STATWA RAKHSA by Munshi premchand.
मीर दिलादूल्हा अली के पास एक बड़ी रास का कुम्मैत घोड़ा था। कहते तो वह यही थे कि मैंने अपनी जिन्दगी की आधी कमाई इस पर खर्च की है, पर असल …
STATWA RAKHSA by Munshi premchand. Read MoreDiscover Insightful Book reviews here
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मीर दिलादूल्हा अली के पास एक बड़ी रास का कुम्मैत घोड़ा था। कहते तो वह यही थे कि मैंने अपनी जिन्दगी की आधी कमाई इस पर खर्च की है, पर असल …
STATWA RAKHSA by Munshi premchand. Read MoreAbout Book दो सौ साल से जयादा बीत गये हैं; पर चिंतादेवी का नाम अभी भी चला आ रहा था । बुंदेलखंड के एक उजाड़ जगह में आज भी मंगलवार को …
SATI by Munshi premchand. Read Moreदुर्गा माली डॉक्टर मेहरा, बार-ऐट ला, के यहाँ नौकर था। पाँच रुपये महिने का तनख्वाह पाता था। उसके घर में बीवी और दो-तीन छोटे बच्चे थे। बीवी पड़ोसियों के लिए गेहूं …
PASHU SE MANUSHY by Munshi premchand. Read MoreAbout क्या नाम कि… सुबह नहा धोकर-पूजा पाठ से निपट कर तिलक लगाकर, पीताम्बर पहन, खडाऊँ पाँव में डाले, बगल में पत्रा दबाकर एक जजमान के घर चला। शादी की जगह …
MOTOR KE CHEENTE by Munshi premchand. Read MoreAbout डिग्री लेने के बाद में रोज लाइब्रेरी जाया करता। अखबार या किलाबों को पढ़ने के लिए नहीं। किताबों को तो मैंने न छने की कसम खा ली थी। जिस दिन …
JWALAMUKHI by Munshi premchand. Read MoreAbout Book नीला – “तुमने उसे क्यों लिखा?” मीना – “किसको?” ‘उसी को! ‘मैं नहीं समझी!’ ‘खूब समझती हो! जिस आदमी ने मेरा अपमान किया, गली-गली मेरा नाम बेचता फिरा, उसे …
JADOO by Munshi premchand. Read MoreAbout केशव से मेरी पुरानी अनबन थी। लिखना और पढ़ना, हंसी और मजाक सभी जगहों में मुझसे कोस्सों आगे था। उसके गुणों की चाँद की रोशनी में मेरे दीए की रोशनी …
HARR KI JEET by Munshi premchand. Read Moreमुलिया हरी-हरी घास की गठरी लेकर आयी, उसके चेहरे पर गुरसा था और बड़ी-बड़ी शराबी आँखों में डर दिखाई दे रहा था महावीर ने उसका गुस्से से भरा चेहरा देखकर पूछा- …
GHASWAALI by Munshi premchand. Read MoreAbout Book रमजान के पूरे तीस रोजों के बाद ईद आ गई। कितना खूबसूरत और सुहाना एहसास था। पेड़ों पर अजीब सी हरियाली थी, खेतों में रौनक, आसमान पर दिल लुभाने …
EIDGAH by Munshi premchand. Read MoreAbout लखनऊ के नौबस्ते मोहल्ले में एक मुंशी मैकूलाल मुख्तार रहते थे। बड़े उदार, दयालु और अच्छे आदमी थे। अपने काम में इतने अच्छे थे कि ऐसा शायद ही कोई मुकदमा …
DUSSAHAS by Munshi premchand. Read More