यह किसके लिए है
-वेजो अपनी गलत आदतों से छुटकारा पाना चाहते हैं।
-वैजो साहकोलाजी पड़ना पसंद करते हैं।
वे जो उन हरकतों के बारे में जानना चाहती हैं जो उनके लिए नुकसानदायक है।
लेखक के बारे में
रिचई ओ कानर (Richard Connor) अमेरिका के एक लेखक और एक साइकोथेरापिस्ट हैं। इससे पहले वै नार्थवेस्ट सेंटर फार फैमिली सर्विस और मेटल हेल्यके डाइरेक्टर थे। वे मूड डिसाईर और बेचैनी जैसे सब्जेक्ट के एक्सपर्ट हैं और अपनी किताब अनइईंग डिप्रेशन के लिए जाने जाते हैं।
यह किताब आपको क्यों पढ़नी चाहिए
आदतों का हमारी जिन्दगी में बहुत असर पड़ता है। सुबह उठकर ब्रश करने से लेकर रात को सोने तक हम अपने ज्यादातर काम बिना सोचे समझे करते हैं। इन आदतों की वजह से हम किसी काम को तेजी से कर पाते हैं। लेकिन हर चीज़ की तरह, इसके भी कुछ ऐसे पहलू हैं जो कि नुकसानदायक हो सकते हैं। कुछ आदतें हमारे लिए लत बन जाती है और फिर ये हमें अदर ही अंदर से खाती जाती हैं।
इसलिए यह समझना बहुत जरुरी है कि किस तरह से यह आदतें बनती हैं, क्यों इन्हें छोड़ना इतना मुश्किल होता है और किस तरह से हम अच्छी आदतों को अपना कर बुरी
आदतों को छोड़ सकते हैं। यह किताब हमें इसो बारे में जानकारी देती है।
इसे पढ़कर आप सीखेंगे
-आदतों के बनने या बिगड़ने से हमारे दिमाग पर क्या असर होता है।
भावनाओं को दबा कर रखने से क्या नुकसान हैं
किस तरह से आप नई और अच्छी आदतों को अपना सकते हैं।
हमारे अंदर दो पर्सनैलिटी रहती है, एक अपने आप काम करने वाली और एक सोच समझ कर काम करने वाली।
क्या आपके साथ कभी ऐसा हुआ है कि आप काम करते करते अचानक से अपना फोन इस्तेमाल करने लगते हैं और फिर एक घंटे तक उसे इस्तेमाल करते रहते हैं? क्या आप कभी कभी कुछ ऐसे काम करने से खुद को रोक नहीं पाते जो आपको पता है कि आपके लिए सेहतमंद नहीं है, जैसे पिज्जा खातार ऐसा क्यों होता है कि हम कभी कभी खुद को कुछ खास तरह के काम करने से रोक नहीं पाते?
ऐसा इसलिए क्योंकि हमारे अंदर दो पर्सनैलिटी रहती है। हम सिर्फ उसी पर्सनैलिटी से परिचित हैं जो सोच समझ कर और किसी काम के नतीजों को देखने के बाद काम करती है। लेकिन इसके अलावा एक दूसरी पर्सनेलिटी भी है जो कि बिना सोचे समझे काम करती है। यह आपके काबू में नहीं रहती, इसलिए जब यह आपके ऊपर हावी होती है तो आप खुद को रोक नहीं पाते।
अगर आपको किसी खराब आदत को छोड़ना है तो सबसे पहले आपको अपनी इस पर्सनलिटी को खुद पर हावी होने से रोकना होगा। हालांकि सोच समझा कर काम करने वाले हिस्से को विकसित करने से भी आपको फायदा हो सकता है, लेकिन अपने आप काम करने वाले को काबू करने से ज्यादा फायदा है।
जब आप किसी नई आदत को बनाते हैं, तो आपके दिमाग में बहुत से बदलाव आते हैं। वो नए सेल्स को पैदा करता है और नए कनेक्शन बनाता है। जब आप किसी आदत को पूरी तरह से अपना लेते हैं तो वो सेल पूरी तरह से विकसित हो चुके होते हैं और उनके बीच का कनेक्शन बहुत मजबूत हो जाता है। ठीक इसी तरह, किसी पुरानी भादत को छोड़ने की कोशिश करते वक्त, आप अपने दिमाग के कनेक्शन को तोड़ रहे होते हैं और सेल्स को मार रहे होते हैं, जो कि बहुत मुश्किल काम है।
एकााम्पल के लिए जब आप कसरत करते हैं तो आपके दिमाग का एक सेल “जिम जाओ बनता है जो कि वहाँ पर तब तक रुको जब तक कसरत पूरी ना हो जाए नाम के सेल से कनेक्शन बनाता है। हर रोज़ इस काग को करते रहने से यह कनेक्शन मजबूत हो जाता हे और फिर एक दिन आपको जिम जाकर कसरत करने से तकलीफ नहीं होती।
बहुत सी आदतें हमारे लिए नुकसानदायक साबित हो सकती हैं।
क्या आप के साथ कभी ऐसा हुआ है कि किसी व्यक्ति के बारे में आपके दोस्त ने आप से कहा हो कि वो व्यक्ति अच्छा नहीं है, लेकिन जब आप उससे असल में मिले तो वो व्यक्ति आपको अका लगा हो? बहुत बार हम अनजाने में कुछ ऐसे काम करने लगते है जिसका हमें अदाजा ही नहीं होता। एकाम्पल के लिए किसी व्यक्ति से मिलने से पहले अगर आप उसके बारे में बुरा सुनते हैं, तो वो अपने आप आपको बुरा लगने लगता है।
इसके अलावा हम बहुत से ऐसा काम अनजाने में करते हैं जिसका हमें पता नहीं चलता। हम अपनी बुरी आदतों का इल्जाम बाहर की दुनिया पर लगाते हैं और अपनी अच्छी आदतों को अपनी काबिलियत कहते हैं। बहुत से लोग होते हैं वे कहते हैं कि वे सिगरेट या शराब इसलिए पीते हैं क्योंकि उनके सिर पर काम का बहुत बोझ रहता है और अपने तनाव को कम करने के लिए वे ऐसा कर रहे हैं। लेकिन अगर वे लोग कभी किसी काम में कामयाब हो जाएं तो वे यह नहीं कहेंगे कि ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि उनके साथ के लोगों ने उन्हें हमेशा बेहतर बनने के लिए उकसाया। वे कहेंगे कि वे अपनी खुद की मेहनत और लगन की वजह से कामयाब हुए हैं।
हम अक्सर वही सुनते हैं जो हम सुनना चाहते हैं। हम उन बातों को नजरअंदाज कर देते हैं जो हमारे हिसाब से अच्छी बातें नहीं हैं। हम नहीं वाहते कि कोई हमारे विश्वास को गलत साबित करे और इसलिए हम उन बातों पर ध्यान नहीं देते। किसी पार्टी के समर्थक हमेशा उस पार्टी की अच्छी बातें ही करते हैं और अगर कोई उनसे उनकी पार्टी की बुराई करे, तो वे गुस्सा हो जाते हैं।
हमारी यह आदतें कभी कभी हमारे लिए नुकसानदायक हो सकती हैं। यह आदतें तब बनती हैं जब हम किसी काम को बार बार करते रहते हैं जिससे वो हमारे दिमाग में एक मजबूत कनेक्शन पैदा कर लेती है। ये आदतें अच्छी भी हो सकती हैं और बुरी भी। जरूरी बात है यह जानना कि किस तरह से आप अच्छी आदतों को बना सकते हैं।
भावनाओं को दबा कर रखने से वे आपको अंदर से खाने लगती हैं।
पहले के वक्त में जब किसी ज्वालामुखी का लावा उनके मुंह तक आ जाता था तो लोग उसके ऊपर एक बड़ा सा पत्थर रख देते थे, जिससे वो लावा कुछ दिन तक बाहर नहीं आ पाता था। लेकिन समय के साथ ज्वालामुखी के अंदर का प्रेशर लावा की वजह से बढने लगता था और एक दिन वो फट जाता था इससे इतना ज्यादा लावा बाहर निकलने लगता था कि लोगों को वहां से भागने का मौका भी नहीं मिलता था।
जब आप अपने अंदर गुस्से को या अपने किसी दुख को ज्यादा देर तक दबा कर रखते हैं, वो आपके लिए नुकसान की वजह बन जाती है। भावनाएँ किसी खास घटना की वजह से पैदा होती हैं और क्योंकि हम अपनी जिन्दगी में होने वाली हर घटना को काबू नहीं कर सकते, हम उनसे पैदा होने वाली भावनाओं को भी काबू नहीं कर सकते। एक ना एक दिन यह लावा की तरह बाहर निकलने लगेगा और कभी कभी यह आपके अपने लोगों के ऊपर जा गिरता है।
एकाम्पल के लिए क्या आपके साथ कभी ऐसा हुआ है कि आपके बॉस ने किसी वजह से आपको डॉटा हो और आप ने घर पर आकर अपने परिवार के किसी सदस्य पर गुस्सा उतारा हो, जिसका आपको बाद में पछतावा हुआ हो?
हम अपनी भावनाओं को दबा कर इसलिए रखते हैं क्योंकि हमें लगता है कि वो गलत हैं या नेगेटिव भावनाएं हैं। लेकिन बात समझने वाली यह है कि भावनाएं कभी गलत नहीं होती। गुस्सा करना गलत बात नहीं है, बस गलत जगह पर करना गलत बात है। जरा सोचिए अगर आपके घर में कोई चोर घुस जाट और आपको गुस्सा ना मार तो क्या होगा। जरा सोचिए अगर आप रोड क्रास कर रहे हों और सामने आने वाली ट्रक से आपको डर ना लगे तो क्या होगा। ऐसे हालात में उन भावनाओं का बाहर आना जरूरी है जिन्हें आप नेगेटिव मानते हैं।
कभी कभी ऐसा होता है कि हमारे सोच समझ कर काम करने वाले हिस्से को पता होता है कि कोई काम गलत है, लेकिन हमारा दूसरा हिस्सा फिर भी उस काम को कर देता है। ऐसे में हम खुद को कोसने लगते हैं या हमें बाद में इसका पछतावा होने लगता है। पछतावा भी अपने आप में बहुत नुकसानदायक हो सकता है। इसलिए अपनी भावनाओं को हमेशा दबा कर रखने की कोशिश मत कीजिए। उन्हें समय समय पर बाहर निकलने दीजिए।
नुकसानदायक आदतें अक्सर गहरी भावनाओं से जुड़ी होती हैं।
बहुत बार हम गलत आदतों को इसलिए अपना लेते हैं क्योंकि हम चाहते हैं कि कोई हमारी वराब हालत देखकर हमारी मदद करने के लिए आए हम जब जिन्दगी से हारने लगते है तो अक्सर ही गलत आदतें हमारे पीछे लग जाती है। अदर से, हम जान बूझकर उन आदतों को अपनाते हैं क्योंकि हम इस बात की उम्मीद करते हैं कि कोई हमें बवाने के लिए के लिए आएगा। इसलिए इस तरह की आदते हमारी गहरी भावनाओं से जुड़ी होती हैं। हम जानते हैं कि ये आदतें हमारे लिए बहुत नुकसानदायक हैं, लेकिन फिर भी हम इन्हें करते जाते हैं।
ऐसा करने वाले दो तरह के लोग होते हैं।
सबसे पहले तो वो लोग आते हैं जो पूरी तरह से हार गाए हैं। उन्हें अपनी जिन्दगी में कभी कोशिश करने का मौका ही नहीं दिया गया और ना ही उन्हें कभी कुछ करने की प्रेरणा मिली। उन्हें लगता है कि इस तरह की बेकार जिन्दगी जीना ही उनकी किस्मत में है और इसलिए वे इसे अपना लेते हैं और कुछ करने की कोशिश नही करते।
दूसरे तरह के हारे हुए लोग वो होते हैं जिन्होंने कुछ करने की कोशिश तो की थी, लेकिन वे उसमें इतनी बार नाकाम हुए और उन्होंने खुद को और अपने चाहने वालों को इतना ज्यादा निराश किया कि वे अब उन्हें और निराश नहीं करना चाहते। वे कोशिश कर के हार गए हैं।
अगर आप पहली किस्म के व्यक्ति हैं, तो आपको यह समझाना होगा कि जिदगी बदलने के लिए कोई बाहर से आपकी मदद करने के लिए नहीं आएगा। और अगर आप दूसरे किस्म के व्यक्ति हैं, तो आपको खुद के लिए कुछ छोटी मंजिलें रखनी चाहिए। छोटी मजिल हासिल करने में आसान होती है और उन्हें हासिल कर लेने पर जो प्रेरणा मिलती है उससे बड़ी मंजिल भी हासिल की जा सकती है। एकाम्पल के लिए आप यह मत कहिए कि आप सिगरेट पीना एकदम से बंद कर देंगे, आप यह कहिए कि आप अब से हफ्ते में सिर्फ एक बार सिगरेट पीएगे।
लत सबसे खतरनाक आदत होती है क्योंकि इस पर आपका बहुत कम काबू होता है।
बहुत बार होता है कि हम खुद से कहते हैं कि अब से हम शराब पीना छोड़ देंगे, लेकिन कुछ वक्त के बाद हम फिर से उसे पीने लगते हैं। जब भी एक शराबी को फिर से पीने का मौका मिलता है, वो अपने आप को रोक नहीं पाता। वो शायद खुद से कहता है कि सिर्फ एक बार और पी कर वो बद कर देगा, लेकिन उसके बाद वो फिर से इसकी लत में फंस जाता है।
हमारे दिमाग में लत के जो कनेक्शन बनते हैं वो बहुत मजबूत होते हैं। अक्सर हमें जिस चीज़ की लत होती है, उसे पाने पर हमें कुछ राहत या सुकून मिलता है। उस चीज़ को पाने के बाद हमारे दिमाग में डोपामीन नाम का हार्मोन निकलता है, जिससे हमें राहत मिलती है और फिर हम बार बार राहत पाने के लिए उस काम को करते रहते हैं जिससे हमारे दिमाग में उस आदत के कनेक्शन उतने मजबूत हो जाते हैं कि हम उन्हें तोड़ नहीं पाते।
जब भी हम किसी गलत आदत को छोड़ने की कोशिश करते हैं, हम अक्सर नाकाम होते हैं। उस काम को फिर से करने पर हमें बहुत पछतावा होता है, जो कि अपने आप में बहुत नुकसानदायक है। इसके लिए आपको सबसे पहले यह सोचना बंद करना होगा कि एक बार से कुछ नहीं होता।
आपके दिमाग में जो कनेक्शन बन गए हैं उन्हें तोड़ने के लिए आपको किसी बाहरी व्यक्ति की जरूरत पड़ सकती है। एक्ज़ाम्पल के लिए अगर आप हर रोज कसरत करने की आदत डालना चाहते हैं और आपके बहुत से दोस्त हैं जो कि कसरत करते हैं, तो वे दोस्त आपकी हर दिन मदद कर के आपको कसरत की आदत इलवा सकते हैं।
ठीक इसी तरह बहुत से प्रोग्राम है जो कि आपकी लत छुड़वाने में आपकी मदद करते हैं। एकाम्पल के लिए एल्कोहोलिक एनोनाइमस को ले लीजिए। वहीं पर जाने वाला हर व्यक्ति शराब की लत से आजाद हो जाता है क्योंकि वहाँ पर उसके जैसे बहुत से लोग होते हैं जो उसकी मदद करते हैं। उन्हें वहां पर सबसे पहले यह बताया जाता है कि वे यह मान ले कि वे अपनी लत के लिए कुछ नहीं कर सकते। इसके बाद उन्हें एक माहौल दे कर उन्हें इससे छुटकारा दिलाया जाता है।
अपनी आदतों पर नजर रखकर हम उनसे छुटकारा पा सकते हैं।
तो अब तक हमने देखा कि किस तरह से हमारी आदतें बनती हैं और क्यों उनसे छुटकारा पाना इतना मुश्किल है। अब हम उस सवाल का जवाब देंगे जिसके बारे में आप शुरुआत से सोचते आ रहे हैं – गलत आदतों से छुटकारा कैसे पाएर इसके लिए सबसे पहले आपको एक कदम पीछे लेना सीखना होगा। एक कटग पीछे जाने का मतलब है खुद को अच्छे से देखकर समझने की कोशिश करना। इसका मतलब है किसी काम को करने की ख्वाहिश होते ही उसे ना करना, बल्कि खुद को उसे करने से रोकना। इसके लिए आपको खुद को काबू करना सीखना होगा।
खुद को काबू करने का सबसे अच्छा तरीका है ध्यान करना। एक शांत जगह खोजिए और हर रोज कम से कम 30 मिनट तक ध्यान कीजिए। अपने खयालों को बिना अच्छा या बुरा बोले सिर्फ उन्हें समझाने की कोशिश कीजिए। अपनी आँखें बंद कर के अपनी सांस पर ध्यान लगाइए और अपने खयालों को अपने दिमाग में आने जाने दीजिए। सब कुछ ठीक ठीक करने की कोशिश मत कीजिए, सिर्फ सुद को समझने की कोशिश कीजिष्ट।
अगर आपको ध्यान करना अच्छा नहीं लगता तो आप अपने साथ एक जर्नल रख सकते हैं। अपने खयालों को इस जर्नल में लिखते जाइए और हर दिन के खयालों को पढ़कर यह जानने की कोशिश कीजिए कि आपको हर दिन किस तरह के विचार आते हैं और किसी काम को करने से पहले कौन सी भावना पैदा होती है। उसमें लिखिए कि वो कौन सी चीज है जो आपको वो करने के लिए उकसाती है जो आप नहीं करना चाहते।
कुल मिलाकर आपको सबसे पहले खुद को समझाने की और खुद को काबू करने की कला सीखनी होगी। आपको खुद पर काबू करना सीखना होगा।
अगर आपको कोई नई आदत बनानी है तो उसे अपना लेने का नाटक कीजिए। एक्जाम्पल के लिए अगर आपको आत्मविश्वास से भरे रहने की आदत डालनी है, तो नाटक कीजिए कि आपके अंदर पहले से बहुत आत्मविश्वास है। इस तरह से एक वक्त आएगा जब आपके दिमाग में इसका एक कनेक्शन बन जाएगा और आपको इसकी आदत पड़ जाएगी।
अच्छा खाना खाइए ताकी आप अपने दिमाग को सेहतमंद रख सकें। खुद को ज्यादा से ज्यादा रोकने की कोशिश कीजिए क्योंकि इससे एक दिन आपको खुद को रोकने में आसानी मिलेगी और आप अपनी आदतों को छोड़ पाएंगे। इसके अलावा अच्छे लोगों के साथ रहने की कोशिश कीजिए क्योंकि इससे आपको अच्छी आदतें बनाने में बहुत मदद मिल सकती है।