THE MONK WHO SOLD HIS FERRARI by Robin S Sharma.

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ये किसके लिए है।

  • सेल्फ-हेल्प किताबों को पसंद करने वालों के लिए।
  • काम में डूबे रहने वाले व्यक्तियों के लिए।

रहस्यमयी कहानियों में रुचि रखने वाले लोगों के लिए।

लेखक के बारे में

प्रोफेशन से लॉयर रह चुक लेत्त्वक रोबिन.एस.शर्मा (Robin S Sharma), लीडरशिप और जीवन सुधार के विषयों पर बोलने वाले एक सधे हुए पीकर है। उनकी लिखो फेमस किंताबे हैं गंगालिविंग-30 डेज टू ए परफेक्ट लाइफ (Megaliving:30 Days to a Prfect Life) और द सैंट, द सफर ऐड द सी.इ.ओ (The Saint, The Surfer and Tie CEO)।

ये किताब आप को क्यूँ पढनी चाहिए?

आपने कछुए और खरगोश की कहानी तो सुनी ही होगी जिसमें की खरगोश को अपनी जीत का इतना भरोसा था की उसने कार को एक रेस के लिए चैलेंज कर दिया, फिर खुद को रेस में आगे पाकर सो गया और अंत में जीत कछुए की हो गयी। ऐसी ही कई रोचक कहानियाँ हमारे समाज में आमतौर पर छोटी बड़ी शिक्षा देने के लिए इस्तेमाल की जाती है।

अब इस बात की कल्पना करें की आपको किसी ने ऐसी कहानी रोचक कहानी सुनाई जिंसे सुन कर आपने अपना जीवन जीने का तरीका ही बदल लिया, और तो और, अपनी सबसे प्यारी चीज़ को भी बेच दिया। तो आइये ऐसी ही एक कहानी हम इस किताब में पढ़ते हैं और एक सरल और सुरवी जीवन की ओर कदम बढ़ाते हैं।

इसके अलावा आप जानेंगे

क्यूँ आप अपने दिमाग की तुलना एक गार्डन से कर सकते हैं।

कैसे एक लाइट हाउस का चित्र आपको एक खुशहाल जीवन जीने का रास्ता बता सकता है।

एक सूमो रेसलर से आप क्या सीख सकते है।

एक आमिर और पावरफुल वकील के रुप में काम करते हुए ऐसा क्या हुआ की जूलियन मेंटल (Julian Mantle) की अंतर चेतना जाग गयी?

ये कहानी जूलियन मेंटल (ulian Mantie) नाम के एक वकील की है जिसके पास भगवान का दिया सबकुछ था। लन्चन की सबसे फेमस यूनिवर्सिटी हार्वर्ड लॉ स्कूल {Harvard) से ग्रेजुएशन करने के बाद वो अमेरिकन कोर्ट का एक जाना माना ट्रायल लॉयर बन गया। 7 अकों की आमदनी, आलीशान घर और एक लाल रंग की घर के बाहर शान से खड़ी फेरारी, उसके पास वो सबकुछ था जिसका सपना एक इसान देखता है।

लेकिन ये सब तो उपरी बातें थी अन्दर ही अन्दर वो संघर्ष कर रहा था अपने समय के साथ क्यूंकि उसका शिड्यूल बहुत बिजी था। रोज़ उसे एक नए और जरुरी केस के लिए बहस करनी होती। और इन सबके कारन उसके ऊपर काम का दबाव इतना बढ़ गया की एक दिन वो भचानक कोर्टरुम में ही हार्टमटेक के कारन बेहोश हो गया।

इस घटना के बाद उसने कभी दुबारा कोई केस नहीं लड़ा। उसके जान पहचान वालों का कहना था की वो सब छोड़-छाड़ कर शांति और संतोष की खोज में इंडिया चला गया,

और असल में हुआ भी यही था। जाने से पहले जूलियन ने अपना बंगला और अपनी फेरारी भी बेव दी।

और तीन साल बाद जब एक दिन वो अपने एक सहकर्मी के पास अचानक आ पहुंचा तो वो उसे देख हैरान रह गया। यो एकदम सेहतमंद और चुस्त दुरुस्त था, उसके चेहरे से तेज़ झलक रहा था और उसपे गौतम बुद्ध जैसी मुस्कराहट थी।

हुआ ये था की अपनी भारत यात्रा के दौरान मेंटल मीलों पैदल चला, अपने सफर में चो सबसे पहले योगियों से मिला वो ये देख के हैरान रह गया की कैसे इन योगियों ने उम्र के पड़ावों को भी मात दे दी है। इसी दौरान उसने कश्मीर के सिवाना में रहने वाले साधुओं के बारे में सुना और इसी कारण वो अपनी खोज जारी रखते हुए हिमालय की पर्वत श्रृंखलाओं पर जा पहुंचा जहाँ उसकी मुलाकात वहां रहने वाले साधुओं से हुई, जिनके सानिध्य में उसने सच्ची जागरुकता को प्राप्त कर अपनी अंतर आत्मा से मिलन किया।

इस रहस्यमयी कहानी से आप सिवाना (Sivana) सिस्टम के सात सिद्धांतों के बारे में जानेंगे।

हिमालय के पर्वतों में उसे एक साधुओं का समूह मिला जो की सिवाना के साधूओ’ के नाम से जाने जाते थे। उसमें से एक साधू योगी रमण ने उसके साथ अपना ज्ञान यौटा। उन्होंने ज़िन्दगी के सही मायनों के बारे में चर्चा की जिससे की मेंटल ने ये सीखा कि केसे आप अपने जीवन में जिवत, रचनात्मक और संतुस्ट महसूस कर सकते हैं। उन साधुओं ने मेंटल को ज़िन्दगी के सच्चे रहस्य बताने से पहले ये शर्त रखी की वो जहाँ से आया है वहां वापस चला जाएगा और उनसे मिले ज्ञान को लोगों में फेला कर जन कल्याण का काम करेगा। इसलिए वो वापस गया ताकी वो ज़िन्दगी में बदलाव लाने वाले सिवाना सिस्टम के बारे में सबको बता सके।

साधुओं ने मेंटल को सिवाना सिस्टम के सात गुणों के बारे में बताया, और इन गुणों को उन्होंने एक रहस्यमयी कहानी के जरिये उसे समझाया।

कहानी एक सुन्दर, शांत, और हरे भरे गार्डन से शुरू होती है, जहाँ ढेर सारे फूल खिलें है और जहाँ का वातावरण बहुत ही सुहावना है। इस गार्डन के बीचों बीच एक लाल रग का लाइट हाउस था, सबकुछ इतना शात था कि तभी वहां की शाति हो भग करता हुआ एक सूमो रेसलर लाइट हाउस से घूमता हुआ बाहर आता है। 9 फीट लम्बा और 900 पौंड के वजन वाले उस रेसलर के पास तन ढकने के लिए कुछ भी नहीं बस एक गुलाबी वायर केबल थी जिससे उसने अपने निजी अगों को ठाका हुआ था।

गार्डन में घूमता हुआ वो एक सुनहरी घड़ी से टकरा गया, उसे देख कर वो हैरान रह गया और उसे उठा लिया। जैसे ही उसने उसे पहना वो बेहोश होकर जमीन पर गिर गया। जब वो जागा तब उसके अन्दर एक नयी उर्जा थी, शायद हम इसके लिए उसके आस पास खिले उन पीले खुशबूदार गुलाबों का शुक्र कर सकते हैं जिसने उसे ना उत्साह और उर्जा से भर दिया। वो हड़बड़ा कर उठ खड़ा हुआ और अपने आस पास हैरत से देखने लगा। तभी उसकी नज़र हीरों से जड़े रास्ते पर पड़ी और वो उस पर चल पड़ा। वो रास्ता उसे कभी न खत्म होने वाली खुशियों और सतोष के पास ले गया।

सुनने में कई लोगों को ये कहानी बहुत ही अजीब लग रही होगी। पर इस कहानी का एक एक तत्व सिवाना सिस्टम के सिद्धांतों और पहलुओं को उजागर करता है। आगे आने वाले सबक में हम इन सिद्धांतों और इस कहानी का आपस में संबंध देखेंगे।

सच्चासंतोष प्राप्त करने के लिए अपने मन को वश में करना बहुत जरुरी है।

योगी रमण की कहानी में जो खूबसूरत गार्डन था वो हमारे मन को दर्शाता है, कई लोग इस सुन्दर गार्डन को गंदा कर देते हैं अर्थात उसे इर और नेगेटिव विचारों से भर देते हैं। इसलिए सिवाना सिस्टम का सबसे पहला सिद्धांत है अपने मन को अपने कण्ट्रोल में करना। आप इस गार्डन रुपी मन के गेट पर अपने दृढनिश्चय को किसी गार्ड की तरह खड़ा कर दें ताकी वो बस पॉजिटिव और अच्छे विचारों को ही मन के अन्दर जाने दे और हानिकारक विचारों को बहार ही रखे। हमारे विचार ही हमारे जीवन का आकार निर्धारित करते हैं। अगर आप अपने जीवन में खुशियाँ और शांति चाहते हैं तो आप अपने दिमाग को उत्साहपूर्ण और शांत विचारों से भरें, क्यूंकि आप जैसा सोचेंगे आपके आस पास का महाल भी वैसा ही हो जगेया।

तो अगर आपको अपने विचरों को वश में करने की कला सीखनी है तो सबसे पहले आपको अपना ध्यान केन्द्रित करना आना चाहिए। इसके लिए सिवाना के साधुओं ने एक खास तरीके को अपनाया है, वही तरीका योगी रमण ने मेंटल को भी सिखाया। इस तकनीक को उन्होंने द हार्ट ऑफ़ रोज का नाम दिया है। इस तकनीक को आजमाने के लिए आपको एक शांत वातावरण और एक गुलाब यानी रोज का फूल वाहिए।अब करना ये है की आपको उस गुलाब के बीच में अपना ध्यान केन्द्रित करने की कोशिश करनी है, उस फूल की सुन्दरता के बारे में सोचना है जैसे उनका रंग उसकी खुशबू उसकी बनावट। शुरु मे आपको इसमें थोड़ी गुश्किलें होंगी और आपका ध्यान इधर उधर भटकेगा लेकिन एक बार अपने इसमें महारत हासिल कर ली तो आप अपने विचारों और सोच पर अपना नियंत्रण आसानों से रख सकेंगे। बस फिर ये आपके हाथ में होगा की आप किस तरह के विचारों को अपने मन में स्थान देते हैं और किसे नहीं।

एक संतोष भरा और खुशहाल जीवन जीने के लिए जरुरी है की आपको अपने जीवन का उद्देश्य पता हों क्यूंकि यही आपको जीने की सही राह दिखायेगा।

सिवाना सिस्टम का दूसरा गुण है उद्देश्य, और योगी रमण की कहानी का लाइट हाउस और कुछ नहीं बल्कि एक उद्देश्य ही था जो की उस गार्डन में मार्गदर्शन का काम करता था। ठीक इसी प्रकार हमारे जीवन में भी एक उद्देश्य होना बहुत जरुरी है जो की हमारे जीने की राह पर हमारा मार्गदर्शन करे।

सिंघाना के जंगलों में जो साधु रहते हैं उन्हें अपने जीवन का सही उद्देश्य पता है, इसलिए वो कभी अपना समय व्यर्थ नहीं करते क्यूंकि उन्हें इस जीवन में परमात्मा के द्वारा दिए गए किसी खास लक्ष्य को पूरा करना है। इन सधुयों ने जीवन के इस उद्देश्य को संस्कृत के सब्द धर्म का नाम दिया है। पुराने समय से ये मान्यता चली आ रही है की जो भी व्यक्ति इस धरती पर जन्म लेता है वो किसी न किसी काम को पूरा करने के लिए आता है और वो उसका धर्म है, तो संतों का कहना है की अपने धर्म का आदर कर उसे पूरा करने की राह पर चलकर ही जीवन का सच्चा सूख और शांति प्राप्त हो सकती है। अपने जिन्दगी के उद्देश्य को समझने के लिए जरूरी है की आप पहले अपने लक्ष्यों को तय करें, क्यूंकि जब तक आपकी नज़रें निशाने पर नहीं होगी तब तक आप सही निशाना नहीं लगा सकते।

तो आईये देखते हैं सिवाना के साधुओं द्वारा जीवन के उद्देश्य को समझने के लिए बनायीं गयी पाँच कदमों की ये विधी।

सबसे पहला कदम है कि आप अपने द्वारा निर्धारित उद्देश्यों के परिणामों का एक चित्र अपने दिमाग में बना लें, जैसे की मान लें आपका लक्ष्य है वजन घटाना तो आप अपने दिमाग में अपने और भी ज्यादा पतले और एकदम फिट रुप की कल्पना कर सकते हैं। ये वित्र आपको अपने वजन घटाने के मिशन में आगे बड़ते रहने के लिए प्रेरणा देगा।

दूसरा कदन है खुद पर लक्ष्य को प्राप्त के लिए दबाब बना कर रखना लेकिन याद रहे ये दबाब सकारात्मक तरीके से बनाएं। दबाब कर दिखता है जो उसने सोचा भी न हो। खुद पर दबाव बनाने के लिए आाप अपने प्लान के बारेमें सोचते रहें और दूसरों को भी इसके बारे में बताएँ। वो काम भी उसके बाद तीसरा कदम है अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए एक डेडलाइन निर्धारित करना और अपने दिमाग में उस डेडलाइन को बिठा के रखें और अपने सारे कम उसी के हिसाब से करें।

चौथे कदम को योगी रमण ने ’21 का मैजिक रुल’ नाम दिया है जिसके अनुसार अगर कोई व्यक्ति किसी भी काम को लगातार 21 दिनों तक करता है तो वो उसकी आदतों में शुमार हो जाता है।

और पांचवां और भारवरी कदम है की आप अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए किये जाने वाली इस प्रक्रिया का आनंद उठाते रहे, इसे बोडा न समझें।

निरंतर आत्म सुधार के रास्ते पर चलना ही एक खुशहाल जीवन की कुंजी है।

आपको योगी रमण की कहनी का वो सुमो रेसलर याद है, वो भी सिवाना सिस्टम के एक गुण को दर्शाता है वो गुण है कायजन (Kaizen)| कायजन एक जापानी शब्द है जिसका अर्थ है निरंतर होने वाला और कभी ना रुकने वाला सुधार। इस गुण में साधुओं ने अपनी प्रतिभायों को निखारने का रास्ता बताया है। इस गुण को सिखाने के लिए उन्होंने 10 कदमों की एक प्रक्रिया के बारे में बताया है जिसे उन्होंने 10 रिचुअल्स ऑफ़ रेडियंट लाइफ यानी पुशाल जीवन की 10 ररगें ‘ नाम दिया।

पहली रस्म है एकांत यानी की आपकी पूरी दिनचर्या में से कम से कम कुछ वक्त ऐसा होना चाहिए जब भाप अकेले किसी शांत वातावरण में बैठ कर अपने अन्दर की संभावनाओं और प्रतिभाओं के बारे में सोचें।

दूसरी रस्म है शारीरिक विकास जिसके अनुसार आपको अपने शरीर का ध्यान रखना है क्यूंकि एक स्वस्थ शरीर में ही एक स्वस्थ दिमाग और सोच का निवास होता है।

तीसरी रस्म है अपना भरण पोषण करने की। साधुनों के अनुसार एक व्यक्ति को हमेशा जीवंत भोजन लेना चाहिए अर्थात जिंस भोजन में जीवन हो वो मारा हुआ ना हो, यानी सरल भाषा में कहें तो शाकाहारी भोजना चौथी रस्म है अपार ज्ञान प्राप्त करने की जिसके अनुसार इसान को अपनी जिंदगी में निरंतर कुछ न कुछ सीखते रहना चाहिए। इसके लिए आप अपने दिमाग को हमेशा ज्ञान अर्जन के लिए उत्तेजित रखें और कुछ न कुछ पढ़ते रहे।

पांचवीं रस्म है आत्म चिंतन यानी कि आप रोज़ अपना दिन खत्म होने के बाद खुद से ये जरूर पूछे की आज आपने अपनी बेहतरी की के लिए क्या किया।

छठी रस्म है सुबह जल्दी उठने की ये उन लोगों के लिए बड़ी कठिन होगी जो की सोने का भरपूर आनंद उठाते हैं, क्यूकि इस रस्म के अनुसार आपको मात्र 6 घन्टों की नौंद है और रोज़ सूरज उगने के साथ ही उठाना है।

सातवीं रस्म है म्यूजिक सुनने की साधुओं के अनुसार आपको जितना हो सके उतना एक सुहावना और शात म्यूजिक सुनना वाहिए क्यूंकि ये आपके मूड़ को अच्छा रखने में आपकी मदद करता है।

आठवीं रस्म है शब्दों की जिसके अनुसार आपको खुद अपने लिए शब्दों को जोड़ कर एक ऐसा मंत्र तैयार करना है जो की आपका प्रेरणा श्रोत बन कर भापको प्रेरणा देता रहे।

नौवीं रस्म है अनुकूल चरित्र की अर्थात आपको अपना चरित्र और मन इस तरह इस प्रक्रिया में ठालना है की आप निरंतर इसका पालन करते रहे।

और आखरी रस्म है सादगी की यानी आपको अपना जीवन सादगी में बिताते हुए अपना ध्यान अपने लक्ष्य पर और अच्छे कर्गों पर केन्द्रित करना है।

तो बस उस सूनो रेसलर को याद करते हुए माप कायजन (kaizer) के इस सिद्धांत का पालन करते रहें।

सदा एक अनुशासित जीवन जीयें और अपने समय का उपयोग समझदारी से करें।

योगी रमन आगे कहते हैं कि उस कहानी में सूमो रेसलर की एक और खास बात थी जिसपर हमें गौर करना चाहिए वो ये थी कि उसके तन पर कोई वस्न नहीं था बस एक गुलाबी रंग की तार से उसमे अपने निजी अंगों को ठाका हुआ था । उस कहानी की वो गुलाबी तार उसके अनुशासन को दर्शाती है। सभी साधुओं ने मेंटल को अनुशासन से भरा जीवन जीने की सलाह दी, और कहा कि अनुशासन से ही हम अपने जीवन के उद्देश्य को प्राप्त कर सकते हैं। लेकिन जीवन में अनुशासन रखना इतना आसान नहीं है इसके लिए योगी रमण ने मेंटल को एक उपाय बताया की वो हफ्ते में एक बार मौन व्रत धारण करे, ऐसा बार बार करते रहने से व्यक्ति अपने मन के ऊपर काबू पाना सीख जाता है और उसका मन और अधिक अनुशासित तरीके से सोचने लगता है।

जैसे जैसे कहानी आगे बढ़ती है उस सूमो रेसलर को एक सुनहरी घड़ी मिलती है वो घड़ी सिवाना सिस्टम के पांचवें गुण को दर्शाती है जो है समय की इज्ज़त करना। हालांकि सिवाना के साधू समाज से दूर घने जगलों में रहते थे लेकिन फिर भी वो अपने समय की बहुत कद्र करते थे और अपना हर काम समय के अनुसार ही करते थे। उनका मानना था की समय पर काबू पाने का मतलब है अपनी जिन्दगी पर काबू पाना। वो सभी घड़ी की सुईओं को इस बात का सूचक मानते थे की एक दिन सभी ने मरना है इसलिए यो मानते थे की हर व्यक्ति को अपना जीवन पूरी तरह से जीना चाहिए।

अपने समय का सही प्रयोग करना और सोच समझ के उसका इस्तेमाल करना जरुरी है। इसलिए जब भी रात को माप सोने जाएँ तो 15 मिनट अगले दिन की प्लानिंग के लिए जरुर दें और एक बार को 1घंटे का समय निकल कर आने वाले पुरे हफ्ते के कामों का हिसाब किताब पहले ही लगा लें।

अपने समय के साथ हमेशा थोडा कूर रहे और उसे बिलकुल भी व्यर्थ न करें, दूसरी जरूरी बात ये है की आपको ना करना आना चाहिए, ताकि आप हर उस काम के लिए ना कर सकें जिसे आप करना न चाहते हों। याद रखें की आप अपना हर दिन ऐसे जीयें जैसे की वो आपकी जिंदगी का आखरी दिन है, और जब भी आपको कोई काम करना हो तो खुद से पूछे की क्या आप अपने जीवन का आरखरी दिन ये काम करते हुए बिताना चाहते अगर आप ऐसा करते हैं तो आपमें खुद ही ना कहने की हिम्मत आ जाएगी।

নি:स्वार्थ भावना से दूसरों की मदद करें और हमेशा आज में जीयें यही एक सुखी जीवन जीने का सूत्र है।

जिस प्रकार मेंटल अपने कोर्ट रुम में अपने काम के दबाव में आकर बेहोश हो गया था उसी तरह योगी रमन की कहानी में सूमो रेसलर भी बेहोश हो गया था लेकिन जब वो उठा तो एक नयी उर्जा से भरा हुआ था जिसका कारण वहा खिले पीले गुलाबों की खुशबू थी। तो आखिर क्या दर्शाते है ये पीले गुलाब आईये जानते हैं। चाइना में एक कहावत है कि गुलाब की खुशबू काफी दिनों तक उन हाथों में रहती है जो उसे किसी को गेंट करते हैं। मतलब ये है कि ये पीले खुशबूदार गुलाब सिचाना सिस्टम के छठे गुण को दर्शाते है जो की नि स्वार्थ भाव से सेवा का है। साधुओं का कहना था की हमें दूसरों के प्रति दया और सौहाट की भावना रखनी चाहिए क्यूंकि किसी की मदद कर के हमारी जिंदगी में भी संतोष आता है।

रोज सुबह उठ कर आप कुछ देर इस बात का चिंतन जरुर करें की भाप इस दुनिया को क्या अच्छा दे सकते हैं और किसी और की जिन्दगी को और बेहतर करने के लिए क्या कर सकते हैं। आपको ज्यादा कुछ करने की जरुरत नहीं क्यूकि कई बार छोटी छोटी चीजें ही बहुत कुछ कर जाती है, जैसे की कभी किसी की यूँ ही तारीफ कर उसे खुश कर दें, या मुसीबत में फसे अपने किसी दोस्त की मदद कर दें और अपने परिवार के साथ हमेशा प्यार से पेश आयें और उन्हें यकीन दिलाए कि आप उनके लिए हैं। बस ये सब कर के देखे की कैसे आपकी जिंदगी खुशियों से भर जाती है।

उसे कहानी में गुलाबों की खुशबू से जागने के बाद रेसलर को एक हीरे से जड़ा रास्ता मिलता है जो उसे कभी ना खत्म होने वाले मानंद और सुख की ओर ले जाता है। ये रास्ता सिवाना सिस्टम के आरवरी गुण के बारे में बताता है और वो गुण है आज में जीने का। सिवाना के साधुओं का मानना था कि ज़िन्दगी का असली सुख मंजिल पर पहुँचने मैं नहीं बल्कि जिन्दगी तो खुद ही एक सफ़र हैं। इस सफर रुपी जीवन के रास्ते में बहुत से हीरे अर्थात छोटी छोटी खुशियां मिलती जाती है, इन हीरों की परख करने के लिए आपको रोज़ आभार व्यक्त करना सीखना होगा। अपने परिवार, माता पिता और उस परमेश्वर के सदा आभारी रहें तो आपकी जिंदगी में खुशियाँ कभी कम नहीं होंगी। इसलिए हर बात ये सोच कर जोयें की जो है वो आज है अभी है और इसलिए हर पल को दिल से जीयें और एक संतुस्ट इसान बनें।

ये सारा ज्ञान लेकर मेंटल अपने देश वापस लौट गया और अपने दोस्तों रिश्तेदारों के साथ अपनी कहानी और अपना ज्ञान बाँटता रहा। आज भी वो लोगों के बीच हान की रोशनी फैला कर साधुओं से किया हुआ अपने वादे को पूरा कर रहा है।

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