About Book
ऐसे कई लोग हैं जिन्हें थ्रिल, एडवेंचर और एड्रेनालाईन रश में बेहद मज़ा आता है. तो वहीं दूसरी ओर ऐसे लोग भी हैं जिन्हें शांति और अकेले रहना पसंद है. तो आप इन दोनों में किस केटेगरी में आते हैं? क्या आप जानते हैं कि एक जेनेटिक लक्षण होता है जिसे हाई सेंसिटिविटी कहा जाता है? इस बुक में, आप सीखेंगे कि अगर आप एक हाइली सेंसिटिव इंसान हैं तो आप खुशी, सक्सेस, मन की शांति और प्यार कैसे हासिल कर सकते हैं.
यह समरी किसे पढ़नी चाहिए?
ऐसे लोग जिन्हें शर्मीला, इमोशनल और अलग-थलग
रहने वाला कहा जाता है
ऐसे लोग जिन्हें लगता है कि वो हाइली सेंसिटिव लोगों
की केटेगरी में आते हैं
ऑथर के बारे में
ऐलेन एरॉन एक साइकोलोजिस्ट और ऑथर हैं. वो एक एक्सपर्ट हैं जिन्होंने हाई सेंसिटिविटी पर 6 किताबें लिखी हैं. ऐलेन के पास अक्सर लोग साइकोथेरेपी करवाने के लिए आते हैं. हाई सेंसिटिविटी के अलावा उन्हें लव और क्लोज रिलेशनशिप पर उनके रिसर्च के लिए भी जाना जाता है.
इंट्रोडक्शन
दुनिया में अलग-अलग तरह के लोग होते हैं जैसे कई लोग बहुत गुस्सैल तो कुछ लोग स्वभाव से ठंडे होते हैं ठीक उसी तरह कई लोग ऐसे भी हैं जो बहुत ज्यादा भावुक यानी कि सेंसिटिव होते हैं. ये एक जेनेटिक लक्षण है जिसकी स्टडी दुनिया भर के कई साइकोलोजिस्ट ने की है. रिसर्च से पता चला है कि पूरी दुनिया की polulation के 206 लोग बहुत सेंसिटिव होते हैं, ये लक्षण 100 अलग-अलग जानवरों की प्रजातियों जैसे बंदर, कुत्ते, हिरण, मछली, पक्षी में भी मौजूद हैं., अगर आपको लगता है कि आप बहुत सेंसिटिव हैं तो आप पूरी तरह से नार्मल हैं. ये लक्षण इसलिए डेवलप हुए हैं क्योंकि इस दुनिया में जीने के लिए एक इंसान को सावधान और तेज़ नज़र वाला होने की ज़रुरत है, रियेक्ट करने से पहले गहराई से सोचने की और किसी भी खतरे के शुरूआती साइन का पता लगाने की ज़रुरत है. बुक आपको आपके बचपन के साथ जोड़ने में मदद करेगी. एक बच्चे के रूप में शायद आप शर्मीले, शांत और अलग-थलग रहने वाले बच्चे रहे होंगे.
शायद आपकी कुछ यादें ऐसी भी होगी जो बुरी थी और जिन्हें आप बिलकुल याद नहीं करना चाहते.
बड़े होने के बाद भी किसी ग्रुप में खुद को फिट करना आपको मुश्किल लगता होगा. आपने आउटगोइंग, adventurous होने की कोशिश भी की होगी. हो सकता है कि आप खुद से पूछते हो कि आप आसानी से क्यों थक जाते हैं. बहुत सारे काम होने से आप इतने परेशान क्यों हो जाते हैं? किसी दोस्त के साथ बहस या झगड़ा होने से आपको इतनी चिंता क्यों हो जाती है? इस बुक को पढ़ने के बाद आपको सब समझ में आने लगेगा.
इसे पढ़ने के बाद आप खुद को पसंद करना सीखेंगे. आप ख़ुद की वैल्यू करने लगेंगे, आप भावुक लोगों को एक अलग नज़रिए से देखना सीखेंगे.
आपके थकने का कारण ये है कि हम एक ऐसी दुनिया में रहते हैं जहां शर्मीले, सेंसिटिव या अकेले रहने वालों को ज़्यादा पसंद नहीं किया जाता. लेकिन जब आप सेंसिटिविटी के बारे में ज़्यादा जान लेंगे तो आप इसे एक कमी के बजाय एक खूबी के रूप में देखना शुरू कर देंगे. हाँ, ये सच है कि हमारा नर्वस सिस्टम कुछ इस तरह से बना हुआ है कि वो ज़रुरत से ज़्यादा ही सोचता है. लेकिन इस एक क्वालिटी के कारण सेंसिटिव लोग दूसरों की फीलिंग्स को बेहतर समझ पाते हैं, चीज़ों के पौजिटिव पहलू और उसकी अच्छाइयों को देख पाते हैं. इतना ही नहीं ऐसे लोग छोटी से छोटी डिटेल पर भी ध्यान देते हैं इस वजह से ये लोग कमाल के वेल प्लांड आइडियाज क्रिएट कर पाते हैं. आप इस दुनिया के उन चंद 20% लोगों में से हैं जो सबसे अलग और यूनिक हैं. इसलिए अब अकेले दुबकने के बजाय बाहर निकलकर अपनी सेंसिटिविटी को गले लगाने का वक़्त आ गया है, आपके अंदर बहुत टेलेंट और क्रिएटिविटी भरी हुई है उसे जगाने का समय आ गया है.
Are You Highly Sensitive?
इस बुक की ऑथर एलेन एरोन खुद भी एक बहुत सेंसिटिव इसान हैं. उन्होंने इस लक्षण को स्टडी करने के लिए अपना पूरा करियर समर्पित कर दिया. और तो और उन्हें कई ऐसी स्टडी का भी पता चला जो उनके रिसर्च को पूरी तरह सपोर्ट कर रहा था. एलेन ने हाई सेंसिटिविटी का पता लगाने के लिए एक टेस्ट बनाया. कोई भी साइकोलॉजिकल टेस्ट 100% सटीक नहीं होता. लेकिन ये टेस्ट आपको खुद को बेहतर समझने में मदद कर सकता है. तो आइए देखते हैं कि इसमें किस तरह के सवाल पूछे गए हैं. । क्या आप बिजी दिनों में इतना थका हुआ महसूस करते हैं कि आप एक अँधेरे कमरे में अकेले रहना चाहते हैं या किसी भी ऐसी जगहजहां बहुत शांति हो?
2 क्या का आप पर बहुत तेज़ असर होता है?
- क्या आपको तेज़ आवाज़, स्कूल या तेज रोशनी से घबराहट महसूस होती हैं या आप भौंचक्के हों जाते हैं?
4
क्या आप आसानी से चौंक जाते हैं?
नन भापको क सामग में बड़त सारा काम करना हो तो क्या आप हडबडा जाते हैं?
- क्या आप मारधाड़ वाले टीवी शो या फिल्में देखना पसंद नहीं करते?
- क्या आप इस बात का बहुत ज्यादा ध्यान रखते हैं कि आपसे कोई गलती ना हो जाए या आप कुछ भूल ना जाएं? 8.
क्या आप पर भूख लगने पर बहुत ज़्यादा असर होता है जैसे आप परेशान हो जाते हैं या आपकी कंसंट्रेशन पॉवर
- क्या आपको बदलाव को अपनाना मुश्किल लगता है?
10
जब आप बच्चे थे तो क्या आपके पेरेंट्स या टीचर्स ने आपसे कहा कि आप बहुत ज्यादा सेंसिटिव हैं?
कम हो जाती है?
- क्या आपको किसी भी कम्पटीशन में या जब आप कोई काम कर रहे हों और कोई आपको गौर से देख रहा हो तो आप नर्वस हो जाते हैं? 12 जब लोग आपको एक साथ कई काम करने के लिए कहते हैं तो आपको झुन्झुलाहट या नाराज़गी महसूस होती है?
- अगर ज़्यादातर सवालों के लिए आपका जवाब हाँ है तो इसमें कोई शक नहीं कि आप एक हाइली सेंसिटिव इसान हैं, अगर आपका जवाब ना है तो भी हमारे साथ बने रहिए क्योंकि हो सकता है कि आपके परिवार में या आपका कोई दोस्त ऐसा हो जो बहुत ज्यादा सेसिटिव हो, तो आपको उसे बेहतर समझने में मदद मिलेगी. हाई सेंसिटिविटी की क्वालिटी आपको दूसरों के साथ ज्यादा सहानुभूति रखना और उनकी फीलिंग्स को ज़्यादा समझना सिखाएगी. ये आपको अपने रिश्तों और अपने आस-पास के लोगों के साथ बातचीत में सुधार करने में मदद करेगी.
The Facts About Being Highly Sensitive हम हाई सेंसिटिविटी की क्वालिटी को “DOES” शब्द की मदद से समझ सकते हैं जहां D का मतलब है Depth of processing यानी गहराई से चीज़ों को समझना और देखना. जो लोग बहुत ज़्यादा सेंसिटिव होते हैं वो छोटी से छोटी बात पर भी बहुत गौर करते हैं. उन्हें डिसिशन लेने में और रियेक्ट करने में समय लगता है क्योंकि वो बहुत गहराई से इनफार्मेशन को समझने की कोशिश करते हैं. हाइली सेंसिटिव पीपल यानी HSP वालों का सिक्स्थ सेंस या इन्टुईशन, जिसे हम चीज़ों को भांपने की पॉवर कहते हैं, वो भी औरों के मुकाबले स्ट्रोंग होती है. अगर आप एक HSP हैं तो क्या आप कभी ऐसी सिचुएशन में रहे हैं जहां आपको पता था कि क्या होने वाला है? अगर हाँ, तो उसे ही इन्टुईशन कहते यहाँ तक कि अगर आपको उस बारे में कुछ पता ना भी हो तब भी आपने हर इनफार्मेशन को गौर से समझा और आपको उसका जवाब मिल गया. इन्टुईशन का मतलब ये भी है कि आपको अपना पास्ट अच्छी तरह से याद है तो अगर कोई घटना दोबारा हो तो आप ख़ुद को तुरंत सावधान कर सकते हैं.
अब अगले अल्फाबेट की और बढ़ते हैं जो है जिसका मतलब है Overstimulation. HSP किसी भी तरह के stimulus के प्रति ज्यादा सेंसिटिव होते हैं. जो भी चीज़ आपको उकसा दे या उत्तेजित कर दे उसे stimuli कहते हैं. ये फैक्टर आपके अंदर से आ सकता है जैसे भूख, दर्द, यादें, आईडिया. ये बाहर से भी आ सकता है जैसे रोशनी, स्मेल, आवाज़ या लोगों साथ मिलना जुलना या बातचीत करना, | ISP हर चीज़ औरों से कुछ ज़्यादा महसूस करते हैं इसलिए वो ज़्यादा उत्तेजित हो जाते हैं.
एग्जाम्पल के लिए, आप अपने दो करीबी दोस्तों के साथ शहर घुमने गए. आपने पूरा दिन खूबसूरत नजारों को देखते हुए बिताया. लेकिन शाम होते-होते आप पूरी तरह थक जाते हैं. वहीं आपके दोनों दोस्त जो HSP नहीं हैं उनमें तो अब भी बहुत एनर्जी बाकी है और वो घर के बजाय नाईट क्लब में पार्टी करना चाहते हैं, अक्सर ऐसी सिचुएशन में HSP गिल्टी महसूस करते हैं कि उनकी वजह से औरों का प्लान खराब हो जाएगा, लेकिन बिलकुल गिल्टी फील ना करें क्योंकि अगर आप थक गए हैं तो रेस्ट करना ज्यादा अकलमंदी है. इसलिए आप उन्हें बाय कहकर घर लौट कर रिलेक्स कर सकते हैं. इसमें कोई abnormal बात नहीं है. ज़ाहिर सी बात है कि इतनी धकान के बाद आप एक ऐसी जगह तो बिलकुल नहीं जाना चाहेंगे जहां लाउड म्यूजिक हो और neon लाइट्स चमक रहे हों.
अब चलते हैं E की ओर जिसका मतलब है सहानुभूति या हमदर्दी, क्या आप जानते हैं कि हमारे ब्रेन में मिरर नयूरोंस होते हैं? कई साइटिस्टस ने इनके होने की बात को साबित किया है. मिरर न्यूरॉन्स हमें उस इंसान के व्यवहार की नक़ल करवाता है जिनसे हम बात करते हैं. HSP लोगों में मिरर नयूरोंस ज़्यादा एक्टिव होते हैं, वो दूसरों की भावनाओं को सिर्फ देखते ही नहीं बल्कि खुद उसे महसूस भी कर सकते हैं. एक एक्सपेरिमेंट में, HSP लोगों को कुछ अजनबियों की तस्वीर दिखाई गई जिनमें से कई खुश, दुखी या परेशान थे. बेन स्कैन करने पर पता चला कि तस्वीर देखने के बाद हाइली सेंसिटिव लोगों के मिरर नयूरोस एक्टिव हो गए थे. इसके साथ-साथ ब्रेन के दूसरे हिस्से भी एक्टिवेट होने लगे जिसका मतलब था कि HSP उन लोगों की मदद करने के लिए या उन्हें बेहतर महसूस करवाने के लिए कुछ ना कुछ करना चाहते थे.
HSP लोगों में बहुत हमदर्दी होती है. दूसरे क्या महसूस कर रहे हैं वो अच्छे से समझ सकते हैं और महसूस कर सकते हैं, वो हमेशा दूसरों की मदद करने के लिए आतुर रहते हैं. E का मतलब emotional reactivity भी है. किसी भी इमोशन जेसे खुशी, निराशा, गिल्ट का HSP पर बहुत गहरा असर होता एक HSP को डिप्रेशन होने की ज्यादा संभावना भी होती है. ऐसा इसलिए है क्योंकि वो उदासी या अकेलेपन को बहुत गहराई से महसूस करते हैं. जब किसी HSP का फेलियर से सामना होता है तो वो उस निराशा और हार को लंबे समय तक याद रखता है. इस कारण इस बात की सभावना कम हो जाती है कि वो एक ही गलती को बाद में कभी दोहराएंगे. जब कोई HSP सक्सेस अचीत करता है तो वो फीलिंग भी उसके लिए बहुत गहरी होती है.
इसलिए HSP उस फीलिंग को दोबारा महसूस करने के लिए सक्सेस पाने के और तरीके खोजने लगता है ताकि वो सक्सेस और खुशी के इमोशन को फिर से महसूस कर सके.
अब आते हैं 5 पर जिसका मतलब है सेंसिंग द सटल (subtle). HSP किसी भी चीज़ के हलके से हलके सिग्नल को भी समझ जाते हैं जैसे बॉडी मूवमेंट, आवाज़ का टोन, चेहरे का एक्सप्रेशन वगैरह. एक HSP किसी भी ग्रुप में जाकर बड़ी जल्दी लेता है कि कौन uncomfortable फील कर रहा है, किसे मज़ा आ रहा है या उनमें से ऐसा कौन है जो फ़ेक और नकली है.
लोगों के साथ बातचीत करते समय ये आर्ट बहुत काम आ सकती है क्योंकि HSP समझ जाते हैं कि कौन झूठ बोल है या कौन उदास है. इस तरह, HSP किसी भी ग्रुप में झगड़े को रोकने में मदद कर सकते हैं. घुप में इगड अगर आप एक HSP हैं तो आपके पास इन्टुईशन, क्रिएटिविटी, हमदर्दी और सतर्कता जैसी अनमोल qualities हैं. कई सेंसिटिव लोग इस बात से शर्मिंदा महसूस करते हैं कि वो इतने भावुक क्यों हैं, तो मैं आपको बता दूं कि आप बिलकुल नार्मल हैं. सच पूछे तो आप ऐसे कमाल के और यूनिक इंसान हैं जिसके पास दुनिया को देने के लिए बहुत सारा टैलेंट और क्रिएटिविटी है. ट्रिक बस आपके रिएक्शन को कंट्रोल करने में छुपा है. जब भी आप थकान या स्ट्रेस महसूस करते हैं तो ब्रेक लेना बिलकुल ठीक है. किसी ऐसी जगह की तलाश करें जहां आप अपने विचारों के साथ कुछ समय अकेले बिता सकें.
Digging Deeper
हमने अक्सर साइकोलोजिस्ट को यह कहते सुना है कि हमारी पर्सनालिटी और हमारे बचपन के बीच एक गहरा कनेक्शन होता है. लेकिन आश्चर्य तो है कि ये कनेक्शन बिलकुल मौजूद है लेकिन हमने इसपर कभी गौर ही नहीं किया. किसी के भी माइंडसेट को समझने के लिए उसके बचपन में झांकना ये ज़रूरी है. बहुत हमारी जिंदगी के पहले दो साल बहुत इम्पोर्टेन्ट होते हैं. बच्चे की देखभाल करने वाले के साथ, खासकर माँ के साथ अच्चे का बहुत गहरा और इम्पोर्टेन्ट कनेक्शन होता है. उस समय बच्चे का ब्रेन पूरी तरह डेवलप्ड नहीं होता. जैसा रिश्ता उसका अपनी माँ के साथ होगा उसका ब्रेन उसी तरह डेवलप होने लगेगा. बचपन का ये कनेक्शन बच्चे के ब्रेन में उन हिंस्सों को डेवलप करती है जिनका संबंध स्ट्रेस और चिंता से होता है. है। जिन पेरेंट्स का अपने बच्चे के साथ ज्यादा अटैचमेंट नहीं होता वो बच्चे insecure हो जाते हैं. ऐसे बच्चे बड़े होने के बाद चिंता, स्ट्रेस और डिप्रेशन के शिकार हो सकते हैं. इसका कारण ये है कि हम सभी अपने पेरेंट्रस से अपनी भावनाओं को कंट्रोल करना सीखते हैं. लेकिन जिन पेरेंट्स का अपने बच्चे के साथ ज्यादा कनेक्शन नहीं होता वो अपने इमोशंस को मैनेज करना सीख ही नहीं पाते और इसमें पेरेंट्स की गलती है, बच्चे की नहीं, जो माँ अपने बच्चे की जरूरतों को अनदेखा करती है या उसे समझती नहीं है तो वो बच्चा खुद को अकेला महसूस करने लगता है. उसे लगने लगता है कि ये दुनिया रहने के लिए एक सेफ जगह नहीं है. या तो वो बेचैन और चिंतित होने लगेगा या खुद को सबसे अलग करने लगेगा. चिंता करने वाले बच्चों को anxious बच्चे कहा जाता है, जो बच्चे नज़रदाज़ करना शुरू कर देते हैं उन्हें avoidant बच्चे कहा जाता है. दोनों ही सिचुएशन में, बच्चे के पेरेंट्स उसकी ज़रूरतों और भावनाओं जैसे भूख, डर, अकेलापन वगैरह को समझने, उसे शांत करने में और उसे पुचकारने में फेल हो गए. समय के साथ ऐसे बच्चों को लगने है कि उसके ऐसे बच्चे चिडचिडे, गुस्सैल और डरपोक बनते हैं क स उसे कभी भी छोड़ कर जा सकते हैं इसलिए वो अपने पेरेंट्स के बहुत चिपकू हो जाते हैं. वो हमेशा प्यार, दुलार और टेंशन की तलाश में रहते हैं क्योंकि उनकी इमोशनल ज़रूरतों को उसके पेरेंट्स ने पूरी नहीं किया इस वजह से वो खुलकर खेल नहीं पाते और ना उनका मन कीাश ऐसे बच्चे यही सीखते हैं कि जब उन्हें ज़रुरत होगी तो उनके पेरेंट्स उनके लिए मौजूद नहीं होंगे. ऐसे बच्चे अपनी फीलिंग्स को एक्सप्रेस करना बंद कर देते हैं और बातों को दिल में दबाने लगते हैं. अक्सर ऐसे बच्चे बड़े होने पर बदमाश और सब पर धौंस जमाने वाले बच्चे बनते हैं. इन्हें अपने इमोशंस को करना नहीं आता क्योंकि उनके पेरेंट्स ने उन्हें कभी शांत करने की या आराम देने की कोशिश ही नहीं की, वो हमेशा उन्हें रोता बिलखता छोड़ मैनेज दिया करते थे. ये बच्चे ऐसा जताते हैं जैसे उन्हें प्यार की ज़रुरत नहीं है लेकिन अंदर ही अंदर वो बहुत अकेलापन और घबराहट महसूस करते हैं.
अब एक और केटेगरी होती है जिसे securely attached बच्चे कहा जाता है. इस तरह के रिश्ते में बच्चे और उसके पेरेंट्स में गहरा अटैचमेंट होता है. उनके पेरेंट्स हमेशा उनकी ज़रूरतों को समझने और उसे पूरा करने के लिए मौजूद होते हैं. ये बच्चे खुलकर अपने इमोशंस को एक्सप्रेस करते हैं. इन्हें इस बात पर पूरा विश्वास होता है कि ज़रुरत पड़ने पर इनके पेरेंट्स इनकी मदद करने ज़रूर आएँगे, ऐसे बच्चे ये सीखते हैं कि ये दुनिया रहने के लिए एक सेफ़ जगह है,
इन बच्चों के जन्म के पहले कुछ महीनों में ये अपने पेरेंट्स को कस कर पकड़े रखते हैं और पेरेंट्स भी इस बात का पूरा ध्यान रखते हैं कि उन्होंने बच्चे को सेफ़ तरीके से पकड़ा है या नहीं, ये बच्चे थोड़े बड़े होने पर खुलकर खेलते हैं, अपने आस-पास की जगह में घूमते रहते हैं. इनके पेरेंट्स की नज़र हमेशा इनकी बनी रहती है ताकि जरुरत पड़ने पर वो उनकी मदद कर सके. जब भी बच्चे को लगता है कि उसके आस-पास कोई खतरा है तो उसके माँ बाप उसे बाहों में भर लेते हैं.
ऐसे बच्चे तुरंत इस बात को नोटिस कर लेते हैं कि उनके पेरेंट्स उनके आस-पास हैं या नहीं, उन्हें देखकर वो संतुष्ट हो जाते हैं, खुश हो जाते हैं और दोबारा खेलने लगते हैं. तो ज़रा सोच कर बताइए कि बचपन में आपका अपने पेरेंट्स के साथ किस तरह का रिश्ता था? कई बार पुरानी यादों को याद करना दर्दनाक हो सकता है लेकिन आप इसी ज़रिए से खुद को हील कर सकते हैं, हो सकता है कि आपके पेरेंट्स नहीं जानते थे कि उन्हें एक सेंसिटित बच्चे को किस तरह हैंडल करना चाहिए. बच्चे की परवरिश करना आसान नहीं है. खुद को एक बीज के रूप में इमेजिन करें, बचपन से ही आपका स्वभाव रहा है कि आप बहुत सेंसिटिव हैं. जैसा कि हमने पहले बताया था, हाई सेंसिटिविटी एक जेनेटिक विशेषता है. इसकी जड़ आपके नर्वस सिस्टम में है. इस दुनिया में कम से कम 20% लोग HSP होते हैं.
देखभाल और परवरिश बहुत मायने रखते हैं. एक बीज को अच्छे से बढ़ने के लिए अच्छी खाद, धूप और पानी की ज़रूरत होती है, अगर बीज अब, का अच्छे से ध्यान रखा जाए तो पौधा मज़बूत बनता है और उस पर खूबसूरत फूल और फल खिलते हैं. ठीक उसी तरह, बच्चे को भी देखभाल और समझदारी से पालने की ज़रुरत है क्योंकि अगर उन्हें वो नहीं मिला तो वो भी फूलों की मुरझा जाएंगे. अगर बच्चे का पेरेंट्स के साथ गहरा अटैचमेंट ना हो तो वो आगे चलकर बेचैनी, चिंता और डिप्रेशन का कारण बन सकता है. शायद आप नहीं जानते होंगे लेकिन इसका आपके फिजिकल हेल्थ पर भी गहरा असर पड़ता है. एक HSP जिसका बचपन खुशहाल नहीं था वो या तो बीमार रहता है या उसे से एलर्जी हो सकती है,
लेकिन जो HSP अपने पेरेंट्स से बहुत अटैच्ड होता है वो खुलकर अपनी क्रिएटिविटी, हमदर्दी को एक्सप्रेस कर पाता है. इन बच्चों के पेरेंट्स ने इस बात को समझा कि ऐसे बच्चों को अकेले समय बिताना अच्छा लगता है इसलिए उन्होंने अपने बच्चों पर ज़्यादा बाहर जाने या दूसरे बच्चों के साथ बातचीत करने के लिए उन पर दबाव नहीं डाला. दुनिया में ऐसे कई लोग हैं जो आपकी तरह बहुत सेंसिटिव हैं, आप बीता हुआ कल तो नहीं बदल सकते लेकिन आप अपने आज और आने वाले कल को बेहतर जरूर बना सकते हैं, स्ट्रेस, दर्द, थकान ये आपकी बॉडी के सिग्नल हैं कि आपको थोड़ा ब्रेक लेने की और आराम करने की जरुरत है. खुद को रिचार्ज करने के बाद आप वापस अपने काम में लग सकते हैं.
Close Relationships
जब आप टीनएज में थे तो क्या आपको बार-बार अट्रैक्शन होता था? क्या आपने एक तरफ़ा प्यार एक्सपीरियंस किया है? अगर हाँ तो ये फैक्ट आपके होश उड़ा देगा. गहरा अट्रैक्शन, एक तरफा प्यार ये सब हाइली सेंसिटिव लोगों में देखने को मिलता है. यानी की पूरी दुनिया के 20% लोगों ने उस लव स्टोरी एक्सपीरियंस किया है जो कभी आपने की थी.
क्या ये कमाल की बात नहीं है कि अपनी दुनिया और ख्यालों में खोये रहने वाले आप अकेले नहीं थे. आप ऐसे अकेले इंसान नहीं हैं जो इस बात की उम्मीद लगाए बैठे हैं कि आप जिसे पसंद करते हैं वो भी आपको पसंद करे और आपकी दुनिया को कम्पलीट करे. हाइली सेंसिटिव लोग बहुत गहराई से प्यार करते हैं और अपने ही ख्यालों में खोये रहते हैं. वो बाहर की दुनिया से इतना ज़्यादा घुलना मिलना पसंद नहीं करते. जब इनकी मुलाकात एक ऐसे इंसान से होती है जो इनका ध्यान अपनी ओर खींच लेते हैं और उन्हें लगने लगता है कि ये दुनिया इतनी भी बुरी । जगह नहीं है. अब HSP अपना प्यार और अटेंशन उस एक इंसान पर न्योछावर करने लगते हैं. इसका नतीजा ये होता है कि उनका पार्टनर इतने ज्यादा प्यार और अटैचमेंट से घुटन या बंधा हुआ महसूस करने लगता है और अक्सर इसी वजह से कई बार उनका ब्रेक अप भी हो जाता है. इन सब से खुद को बचाने के लिए आपको थोड़ा बाहर निकलने की ज़रुरत है. आपको अपने ख़्वाबों की दुनिया से बाहर आना होगा. अगर आप ज्याद लोगों से मिलेंगे, नई चीजें एक्सपीरियंस करेंगे तो आप उस इकलौते इंसान के बजाय कई लोगों के साथ जुड़ने लगेंगे, कोई इंसान आपको खुश या दुखी नहीं कर सकता, आपका रिएक्शन उसे ये पॉवर देता है. आपको खुद के साथ भी खुश रहना सीखना होगा तभी आप सच्ची खुशी को महसूस कर पाएँगे. इस बुक की ऑथर एलेन का कई HSP से सामना हुआ. उन्होंने नोटिस किया कि ज़्यादातर HSP ने एक बार ही प्यार या शादी की थी या अपने परिवार और करीबी दोस्तों के साथ अकेले ही लाइफ को एन्जॉय कर रहे थे. आपको खुद पर डाउट करने की जरुरत नहीं है और ये सोचने की ज़रुरत नहीं है कि आपको दूसरों की तरह बनना होगा क्योंकि अगर दूसरों में खूबियाँ हैं तो आप भी किसी से कम नहीं हैं. अशप वो चीज़ें कर सकते हैं जो Non-Hsp नहीं कर सकते जैसे आप गहराई से सोच सकते हैं, महसूस कर सकते हैं, नेचर में, आर्ट में, किताबों में और खासकर लोगों में अच्छाई को देख सकते हैं. क्या ये खासियत खुद पर गर्व करने या सेलिब्रेट करने के लिए काफ़ी नहीं है?
Thriving at Work
अब सवाल आता है कि 1SP के लिए कौन सा काम सबसे अच्छा है? एलेन ने अपनी रिसर्च में कई HSP लोगों का इंटरव्यू लिया और देखा कि ये लोग कई अलग-अलग प्रोफेशन में काम कर रहे थे जैसे टीचर, पायलट, शेफ, एक्टर. हर फील्ड में उन्हें कोई ना कोई HSP ज़रूर मिला. कहने का मतलब है कि HSP अपने काम में डीप प्रोसेसिंग और इन्टुईशन को अप्लाई करते हैं और वो किसी भी फील्ड में काम कर सकते हैं.
अगर आप अपने करंट जॉब में खुश नहीं है तो इस बात को समझिए कि उसमें एक्सपर्ट बनने में समय लगता है. एंट्री लेवल के जॉब में ज्यादा challenging काम नहीं होते. लेकिन जैसे-जैसे आपका एक्सपीरियंस बढ़ता जाएगा वैसे वैसे आपकी स्किल इम्पूद होती जाएगी और आपको HSP को सोचने के लिए और खुद के साथ समय बिताने के लिए थोड़े स्पेस की ज़रूरत होती है. अगर किसी जॉब में नेटवर्किंग या ज़्यादा लोगों से बातचीत करने की जरुरत हो तो वो HSP के लिए काफ़ी challenging होता है. लेकिन आज हमारे पास इन्टरनेट की सुविधा है. आप लोगों से कनेक्ट करने के लिए ईमेल, इंस्टेंट messaging या सोशल मीडिया को चुन सकते हैं. आपको मीटिंग या कांफ्रेंस में शामिल होने की ज़रुरत नहीं ज्यादा opportunity मिलने लगेगी.
है. अगर आपमें कोई टैलेंट हो या आपका कोई शौक हो जिसे आप एक बिज़नेस में बदलना चाहते हैं तो आज की इस डिजिटल दुनिया में ये करना नामुमकिन नहीं है.
चाहे आपको गार्डनिंग, कपकेक बेक करना या जानवरों को ट्रेन करना पसंद हो तो आप सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर एक सक्सेसफुल बिज़नेस शुरू कर सकते हैं. और इसे करने के लिए आपको किसी ऑफिस की ज़रुरत नहीं पड़ेगी, इसे आप अपने घर के ड्राइंग रूम से भी कर सकते हैं. लेकिन अगर आप 95 की जॉब करते हैं और आपके पास घर से काम करने का टाइम नहीं है तब भी आप सक्सेसफुल हो सकते हैं. अगर आप अपने काम में अपना 100% देते हैं, अपने काम में वैल्यू add करते है तो आपका बॉस, आपके साधी सब आपकी हाई सेंसिटिविटी को समझेंगे और उसकी हाँ, ये सच है कि आपको अपने लिए ज्यादा समय चाहिए. आपको शांति और अकेले में रहना पसंद है. लेकिन आप हमेशा कमाल आइडियाज और solution लेकर आते हैं, अब आप ही बताइए आप जैसे टैलेंटेड, ईमानदार और dedicted इंसान के साथ कोन काम नहीं करना चाहेंगा? तारीफ करी हाइली सेंसिटिव लोग बहुत ज़्यादा सेंसिटिव होते हैं और उनके आस पास की दुनिया उन्हें चौंका देती है. लेकिन आपको बस गहरी सांर्स लेकर शांत होने की ज़रुरत है. आप एक यूनिक इसान हैं और आप कुछ ना कुछ ऐसा ज़रूर क्रिएट कर सकते हैं जो दूसरे नहीं कर सकते, एक बार जब आपने अपनी हाई सेंसिटिविटी को समझकर गले लगा लिया तब जाकर आपको अपने अंदर कई छुपे हुए खज़ाने मिलेंगे.
शायद आपको यकीन ना हो लेकिन दुनिया को आपकी ज़रुरत है. दुनिया को ज़्यादा हमदर्दी, क्रिएटिविटी और इन्दुईशन की ज़रूरत हैं. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप किस प्रोफेशन में है, आप बिलकुल टॉप पर पहुंचकर सक्सेस हासिल कर सकते हैं. तो आपने इस बुक में हाई सेंसिटिविटी के बारे में जाना, इस दुनिया में 20% लोग HSP हैं. ये एक जेनेटिक लक्षण हैं जिसमें बहुत ज्यादा सेंसिटिव नर्वस सिस्टम होता है. आपने DOES शब्द के बारे में सीखा जो हाई सेंसिटिविटी के बारे में बताती है जहां D का मतलब है deep processing, O का
कन्क्लू ज़न
मतलब है overstimulation, E का मतलब empathy और emotions और 5 का मतलब हे 5ensing the subtle, HSP छोटी से छोटी डिटेल को नोटिस करते हैं. वो चीजों को जल्दी भांप जाते हैं और हर चीज़ को गहराई से फील करते हैं, यही वो खासियत है जो उन्हें अच्छे डिसिशन हमें, दूसरों को समझने में में मदद करती है. आपने पर्सनालिटी और बचपन के शुरूआती एक्सपीरियंस के बीच के कनेक्शन के बारे में भी समझा, Securely अटैच्ड बच्चे healthy,
खुशमिजाज़ और ज़िम्मेदार एडल्ट बनते हैं. अगर आप HSP हैं और अगर आपका बचपन अच्छा नहीं था तो आप अपने ज़ख्मों को भर कर अपने बच्चे को एक अच्छा बचपन दे सकते आपने ये भी जाना कि HSP बहुत गहराई से प्यार करते हैं और लोगों से बहुत ज़्यादा अटैच्ड हो जाते हैं, वो अपने खवाबों की दुनिया में रहते हैं जिस वजह से उनका अट्रैक्शन बहुत गहरा हो जाता है. एक बार एक बूढ़ा आदमी था जो कई सालों से एक गुफ़ा में अकेला रह रहा था, ना जाने कितने सालों से उसने बाहर की दुनिया नहीं देखि थी और ना किसी से मिला था. एक दिन, वो गुफ़ा से सिर्फ इसलिए निकल गया क्योंकि वो उसमें गिरने वाली पानी के बूंदों की आवाज को और बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था. खुद को बहुत ज्यादा गहरे इमोशंस और अटैचमेंट से बचाने का एक ही रास्ता है कि आप अपनी ख्वाबों की दुनिया से बाहर आकर रियल वर्ल्ड में घुलने मिलने की कोशिश करें. अपनी एनर्जी और टाइम को अपने करियर में इंदेस्ट करें. अगर आप अपना फोकस अपने प्रोजेक्ट में लगाएंगे तो वो आपको रिजल्ट और सैटिस्फैक्शन दोनों देगा.
इस बात को कभी ना भूलें कि आप यूनिक और कमाल के हैं, कुछ अलग हैं लेकिन बिलकुल नार्मल हैं.