
यह किसके लिए है?
-इतिहास के स्टूडेंट्स के लिए।
- उन लोगों के लिए जो जानना चाहते हैं कि दुनिया आधुनिक कैसे बनी।
उन वैज्ञानिकों के लिए जो अपने मनपसंद विषय के पीछे के किस्मे व बाते जानना वाहते है।
लेखक के बारे में
जम्स ग्लोक ने विज्ञान के इतिहास और टेक्ालौजो के शाक्तिशाली प्रभाव पर बहुत सारी किताबें लिख कर बहुत नाम और शोहरत पाई है। उन्दै अपनी रचनाओं के लिए PEN/EO, विल्सन बेस्ट लिटररी साईस राइटिंग अवाई और रायल सोसाइटी विटन प्राइज़ फार साईस बुक्स जैसे प्रतिषठित एवाई गिल चुके हैं। उनकी किताबें पुलिटजर प्राइज़ और नेशनल बुक एवाई की फाइनल लिस्ट में पहुंची थी। इसके अलावा उनकी लिखी हुई कुछ चाचेंत कितारें हैं: 1) टि इनफार्मेशन: ए हिसट्री, ए ध्योरी, ए पलड (2012) और (2) जीनियस लाइफ ड टटाइम्स आफ रिचर्ड फेडनगैन (1992)।
यह किताब आपको क्यूँ पढ़नी चाहिए
आइजैक न्यूटन संभवत: इतिहास के सबसे प्रसिद्ध वैज्ञानिक हैं। लेकिन प्रसिद्धि के साथ ही उनके बारे में कई सारे मनगढ़त किससे कहानियाँ भी अक्सर सुनने को मिलते है। इसी वजह से न्यूटन की जिन्दगी का ज्यादातर हिस्सा मनगढ़त्त किस्से कहानियों के नीचे दबा हुआ है। चाहे वह उनके शैतान कुते ‘डायमंड का किस्सा हो, जिसने उनकी प्रयोगशाला में गल्ली से आग लगा दी थी. या वह सेब का किस्सा हो, जो बगीचे में उनके सिर पर गिरा धा, जिससे गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत की खोज हुई थी. हम इनमें से बहुत सारे किस्सों से अच्छी तरह से वाकिफ हैं।
लेकिन न्यूटन की जिंदगी में किस्सों के अलावा भी कई सारी चीजें हैं। उनके सिद्धान्त और खोजें आज उनका गति के नियम ही वे पहली चीजें हैं जो विज्ञान में हमें सबसे पहले पढ़ाई जाती हैं।
उतनी हो सार्थक हैं जिननी उनके समय में हुआ करती थी। स्कूलों में
लेकिन, न्यूटन अपने आप में एक स्वासा आकर्षक व्यक्तित्व है। हम उनके विचारों का असली मतलब तभी समझ सकते हैं, जब हम उनके जीवनकाल की दुनिया और उस समय के हालातों को समझेंगे, जिनको उन्होंने हमेशा-हमेशा के लिए बदल दिया। वह रहस्य और जादू टोने का जमाना था। यहाँ तक कि न्यूटन, जो वैज्ञानिक तरीके से सबकुछ समझा रहे थे, ये खुद भी जादू टोने की दुनिया से पूरी तरह अछूते नहीं थे।
उनके विचारों ने दुनिया को हिला कर रख दिया था। हालांकि वे भी खुद को विवादों से नहीं बचा पाए और उन्हें हर मोड़ पर विरोध का सामना करना पड़ा।
इसके अलावा आप जानेंगे कि
ब्रिटेन में आर्थिक स्थायित्व का न्यूटन से क्या संबंध है।
किसने न्यूटन पर कैलकुलस की चोरी करने का आरोप लगाया था।
कैसे न्यूटन ने खुद को विज्ञान की स्पातिर करीब-करीब अधा कर लिया था।
आइज़क न्यूटन का जन्म भारी उथलपुथल के बीच हुआ और वे एक पैदाइशी जिज्ञासु थे।
आइजैक न्यूटन का जन्म क्रिसमस के दिन, 1642 को, लिंकनशायर काउंटी में वुलस्टोर्प में एक मामूली अंग्रेजी फार्मस्टेड में हुआ था। न्यूटन के पिता पढ़े लिखे नहीं थे और
दुर्भाग्य से न्यूटन के पैदा होने से पहले ही उनकी मृत्यू हो गई थी। 1640 के दशक में इंग्लैंड अराजकता की स्थिति में था। इंग्लिश गृहयुद्ध पूरी तरह से राजा का समर्थन करने वाले रॉयलिस्टो और राजा की मनमानी और उनके देवीय अधिकारों को चुनौती देने वाले सांसदों के बीच था।
दुनिया अभी भी जादू और रहस्यवाद में विश्वास से भरी हुई थी। जब लोग गुरुत्वाकर्षण” की बात करते थे, तो वे प्रकृति की ताकत की नहीं बल्कि एक इंसान के असर की बात कर रहे थे। दूसरे शब्दों में कहें तो उस वक्त ज्यादातर लोग प्रकृति के बुनियादी नियमों जैसे गुरुत्वाकर्षण आदि को मानने को तैयार नहीं थे। हालांकि कुछ लोगों ने यह भविष्यवाणी भी की कि यह बच्चा मैथ्स और अपने प्रैक्टिकल आब्जर्वेशन के माध्यम से इस दुनिया को बदल देगा। न्यूटन ने बस यही किया। ऐसा करने में उनके जिज्ञासु दिमाग ने एक बड़ा रोल निभाया।
बचपन में न्यूटन को सूरज की चाल में विशेष रूप से दिलचस्पी थी। एक तार का उपयोग करके उन्होंने मापा कि कैसे आकाश में सूर्य का पता चलता है और उन्होंने तीन मायामी सन डायल और अन्य ज्योमेट्री शेप नाए। उन्होंने यह भी नोट किया कि चाँद की चाल सूरज के जैसी थी।
न्यूटन की पढ़ाई स्थानीय प्राथम में स्कूल हुई। किंग्स स्कूल में उन्होंने लैटिन, ग्रीक, हिब्रू और धर्मशास्त्र की पढ़ाई की। अकगणित की कक्षा में उन्होंने सीखा कि को एरिया और शेप्स को कैसे मापा जाता है और जमीन के सर्वे के तरीके भी उन्होंने सीखे। जल्द ही उन्होंने इस ज्ञान का इस्तेमाल घर पर लालटेन, वाटरमिल और पवनचक्की बनाने में किया।
सभी युवाओं की तरह न्यूटन की जिंदगी में भी वह दौर आया जब वे अपने अस्तित्व को लेकर निराश रहने लगे। उन्हें यह बात परेशान कर रही थी कि उन्हें अपने जीवन में क्या करना चाहिए। उनके परिवार और समाज के लोगों को लगता था कि वह गाँव में ही रहेंगे और अपने परिवार के खेत में भेड़-बकरियों की देखभाल से ज्यादा कुछ नहीं करेंगे। लेकिन न्यूटन जानते थे कि उनकी मंजिल कही और थी।
न्यूटन ने कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में सबसे शानदार प्रदर्शन किया
प्राथम में अपने एक स्कूल मास्टर और अपने एक सम्मानित अकल जो एक जाने-माने चर्चमैन थे, की सिफारिश से आइजैक न्यूटन को कैब्रिज़ यूनिवर्सिटी में एक सीट मिली। जून 1661 में, न्यूटन ने ट्रिनिटी कॉलेज से मैट्रिक किया, जिसे कैम्ब्रिज़ यूनिवर्सिटी के सोलह कॉलेजों में बेस्ट माना जाता है।
कॉलेज में अपने पहले दिन से ही न्यूटन पड़ाई के प्रति जुनूनी थे। उन्हें अपनी नई 140-पेज़ की नोटबुक, कुछ गोगबत्तियों, स्याही और एक चैम्बर पॉट से ज्यादा किसी भी चीज की जरूरत नहीं थी क्योंकि उनका चंचल मन ही उनका सबसे बड़ा हथियार था।
न्यूटन ने ग्रीक दार्शनिक अरस्तू की रचनाओं को अपने सीलेब्स का आधार बनाया गया, खासतौर पर मैटर, फॉर्म्स, समय और गति के विषय से जुड़े में उनके सिद्धांतों को। साथ ही उन्होंने इटेलियन ऐस्ट्रोलोजिस्ट गैलीलियों के आधुनिक वैज्ञानिक विचारों को भी नज़रोंदाज नहीं किया।
न्यूटन के साथ क्या हुआ था इसका एक उदाहरण लेने के लिए आइए गति के विषय पर विचार करें। यह अब काफी अजीब लगता है, लेकिन सत्रहवीं शताब्दी से पहले, गति
को एक स्थिति के रूप में या फिर एक प्रक्रिया सगझा जाता था।
दूसरे शब्दों में कहें तो धीरे-धीरे एक ताजे सेब के सड़ने और एक मूर्ति के बनने की प्रक्रिया को भी ठीक उसी तरह गति में माना जाता था जैसे कि एक चलती हुई वस्तु को। संयोग से गैलीलियो की मृत्यू उसी साल (1642 में) हुई जिस साल न्यूटन का जन्म हुआ। गैलीलियो ही वह पहला व्यक्ति था जिसने यह तर्क दिया कि गति सिर्फ एक स्थिति है कोई प्रक्रिया नहीं।
यह वह दौर था जब धीरे-धीरे विज्ञान का स्वरूप भी बदल रहा था। इससे पहले ज्योमेट्री, आज़र्वेशन और माप जैसी चीजों का युनवर्सल लॉज़ के अध्ययन में कोई स्थान नहीं था। लेकिन न्यूटन के दौर में, इक्स्पीरीअन्स रिसर्च पर आधारित विज्ञान का अध्ययन सामने आया। उदाहरण के तौर पर, न्यूटन की शिक्षा के दौरान बिल्कुल सटीक समय बताने वाली पड़ियों की अवैलबिलिटी बढ़ी। इसका मतलब था कि समय को ज्यादा प्रेक्टिकल तरीके से मापा जा सकता था जिससे टाइम-बेस्ड प्रयोगों को ज्यादा आसानी और सटीक ढंग से किया जा सकता था।
न्यूटन को एक्सपेरिमेंट करने में मजा आता था। उनमें बहुत ज्यादा धेर्य था और वे अक्सर एकात में रहना पसद करते थे।
न्यूटन के एकांत प्रेम का सबूत 1664 में आया। इस साल इतना भयंकर प्लेग फैला कि कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी को अपने दरवाजे बंद करने के लिए मजबूर होना पड़ा। ज्यादातर साधारण छात्रों ने इस स्थिति को पढ़ाई से छुटकारा पाने कि तरह देखा, लेकिन न्यूटन कोई ऑर्डनरी स्टूडेंट नहीं थे।
न्यूटन यूनिवर्सिटी से घर लौट आए और उन्होंने अपनी रिसर्च जारी रास्वी। उन्होंने आष्ट्क्स, प्रकाश और रंग पर प्रयोग करने शुरु कर दिए । इन्हीं में से उनका एक प्रयोग काफी खतरनाक था जिसमें उन्हें काच के जरिए सूरज को घूरना था। उन्होंने गणित के माध्यम से मोशन यानि गति को डिफाइन करने के अपने क्रांतिकारी काम की शुरुआत की। कई पेजों में न्यूटन ने “गति के जरिए समस्याओं को हल करने की कोशिश की। उन्होंने कई सारे अलग-अलग सिनेरिओ की कल्पना की। इनमें से एक सिनेरिओ में उन्होंने उन्होंने माना कि पॉइंट्स सर्कल के सेंटर की तरफ गति करते हैं जबकि एक दूसरे सिनेरिओ के मुताबिक पॉडंट्स एक दूसरे के समांतर यानी (paralle) गति करते हैं।
न्यूटन को व्यहुत ही जल्द ये एहसास हो गया कि गति में ही सबकुछ छिपा है। दूसरे शब्दों में कहें तो बहाव” यानि फ्लक्स ही सबकुछ है वे इस त्यात को जान चुके थे।
प्लेग के थमने के बाद, न्यूटन को रॉयल सोसाइटी ने नोटिस किया और कैम्ब्रिज में प्रोफेसर की उपाधि प्राप्त दी।
प्लेग खत्म हो गया था और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय ने इसके अध्ययन की सिफारिश की। इस वक्त तक न्यूटन गति के विषय पर अपना सिद्धांत करीब करीब तैयार कर चुके थे।
इसमें गुरुत्वाकर्षण का नेचर और इसके कारण गति पर पड़ने वाला प्रभाव शामिल था। न्यूटन का एक किस्सा काफी लोकप्रिय है जिसके मुताबिक न्यूटन को गुरुत्वाकर्षण का ख्याल उस वक्त आया जब उन्होंने एक पेड़ से सेब को गिरते देखा। लेकिन, हकीकत में उसकी खोज में वस्तुओं को गिराना, उन्हें ढलानों से लुड़काना और उनके आज्वेशन को नोट करना था।
अक्टूबर 1667 में, जिस वर्ष वह कैम्ब्रिज लौटे, न्यूटन को उनके गणित के प्रोफेसर आइजेक बैरो ने बुलाया, और 24 वर्षीय न्यूटन को अपना लेक्चर तैयार करने में मदद करने को कहा। न्यूटन भी काफी समय से लेक्चर दे रहे थे। 1669 के आखिर तक, बैरों ने बेहद सम्मानजन लुकासियन चेयर ऑफ़ मैथामेटिक्स को खाली कर दिया, और वह सम्मान न्यूटन को दे दिया गया।
लुकासियन पद के अलावा भी कई सारे पद खाली पद मौजूद थे। प्रोफेसर बनने के बाद न्यूटन को अब ट्रिनिटी में अपनी खुद की लेब दे दी गई। वहाँ उन्होंने अकेले में अनगिनत प्रयोग किए। अपने 30वें जन्मदिन से पहले न्यूटन ने पहली बार रिफ्लेविटेंव दूरबीन के लिए एक प्रोटोटाइप का निर्माण किया। न्यूटन से पहले दूरबीनें अपवर्तन यानि रिफ्रक्शन पर काम करती थीं। ये दूरबीने छोटी, धुदली और टेढ़ी मेढ़ी इमेजेस को प्रोड्यूस करती थी। इसके विपरीत न्यूटन की रिफ्लेक्टिव दूरबीन अधिक प्रकाश लेती थी जिससे शुक्र या बृहस्पति जैसे ग्रहों को अधिक आसानी से देखा जा सकता था।
इसके बाद ब्रिटेन में सबसे बड़ी वैज्ञानिक संस्था रॉयल सोसाइटी को न्यूटन के आविष्कार के बारे में पता चला और उसने न्यूटन को 1672 में प्रकाश और रग पर अपने काम को प्रकाशित करने के लिए बुलावा भेजा।
इस पत्र में, न्यूटन ने अपने प्रयोग का वर्णन किया, जिसमें उन्होंने सूर्य के प्रकाश को कई प्रिमो पर डाला और इस तरह वे प्रकाश के कई रगों को अलग करने में कामयाब हुए।
इस प्रयोग के आधार पर, न्यूटन ने कहा कि प्रकाश कणों से बना था पहले ऐसा माना गया कि प्रिज्म ने खुद ही रंगों का उत्पादन किया था, लेकिन न्यूटन को यकीन था कि वे केवल सफेद रोशनी को अलग कर रहे थे, जो प्रिजम से निकलने वाले सात रंगों का मिश्रण थी।
इस पेपर ने रॉयल सोसाइटी में कुछ लोगों को परेशान किया। दरअसल, सोसाइटी के एक प्रमुख मेम्बर रॉबर्ट हुक न्यूटन के इस पेपर से खुश नहीं थे और वे जिंदगी भर न्यूटन
के काम की आलोचना करते रहे।
युवा न्यूटन ने रॉबर्ट हुक को एक आलोचक और एडमंड हैली को एक चैम्पीयन के रुप में देखा
रंग और प्रकाश पर उनके पेपर को काफी प्रसिद्धि मिली मगर इसके छपने के कुछ समय बाद न्यूटन को अपने पेपर को प्रकाशित करने पर पछतावा होने लगा। न्यूटन को सोसाइटी में अपने काम की आलोचना रास नहीं आ रही थी जो ज्यादातर उन मेंबरों द्वारा की जा रही थी जिनके अहंकार को न्यूटन के काम से ठेस पहुंची थीं। न्यूटन की आलोचना करने वाले ग्रुप का नेतृव रॉबर्ट हुक कर रहे थे। उन्होंने रंग और प्रकाश पर न्यूटन के प्रयोग को बकवास करार दिया। उनका मानना था कि यह एक
सिद्धांत नहीं बल्कि एक सिर्फ कल्पना है।
अपने काम पर उठ रहे सवालों के कारण न्यूटन कई महीनों तक उदास रहे। उदासी से बाहर आकर उन्होंने आक्रामक रुख अपनाया और आलोचक हूक की टिप्पणियों पर हमला करके अपने काम का गणितीय प्रमाण देकर बचाव किया।
लेकिन न्यूटन यहीं नहीं रुके। उन्होंने एक दूसरा प्रयोग करने के लिए दो साल के लिए सुद को सबसे अलग कर लिया। इस खोज को तुरंत प्रकाशित करने के बजाय दिसंबर
1675 में न्यूटन ने पहले इसे रॉयल सोसाइटी ऑफ लंदन के सामने पड़ा। उनके प्रयोग का विषय एक बार फिर ‘प्रॉप्टीस ऑफ़ लाइट” थे, लेकिन इसके साथ ही साथ उन्होंने
गति पर अपने विचारों पर भी चर्चा की और इलेक्ट्रोस्टैटिक्स पर कुछ पुरानी आ्ज़र्वेशन्स को भी स्पष्ट किया।
हुक ने एक बार फिर न्यूटन के विचारों का विरोध किया। इस विरोध का कोई हल नहीं निकला। आखिरकार हुक को 1677 में रॉयल सोसाइटी का सविव चुना गया। हालांकि कहा जाता है कि हुक की दुश्मनी वास्तव में न्यूटन के लिए फायदेमंद थी। इसने निश्चित रूप से न्यूटन को कई क्षेत्रों में आगे जाने के लिए प्रेरित किया, अगर हुक
विरोध न करते तो शायद न्यूटन के प्रयोग उतने शानदार न होते जितने कि वे हुए।
सबसे जरूरी बात यह थी कि हुक ने न्यूटन को अपने प्रयोगों का मैथेमैटिकल एविडेंस देने का दवाब बनाया जिससे न्यूटन को अपने सिद्धांतों के फंडामेंटल्स पर अधिक मेहनत करनी पड़ी। पृथ्वी की कक्षा के बारे में उसका काम इस मेहनत का एक महत्वपूर्ण उदाहरण है। इसका आखिरी रिजल्ट 1684 का पेपर, ऑन दी मोशन ऑफ बॉडीज इन ओरबिट ” था।
जहाँ एक तरफ हुक न्यूटन के कट्टर विरोधी थे वहीं दूसरी तरफ एडमंड हेली (Edmond Halley) उनके समर्थक थे। हेली एक प्रसिद्ध अंग्रेजी खगोलशास्त्री और गणितज्ञ थे. जिनके नाम पर आज एक प्रसिद्ध दहेमकेतु का नाम हेली धूमकेतु रखा गया है।
हेली ने 1686 में न्यूटन की पहली किताब के प्रकाशन में उन्हें आर्थिक रुप से समर्थन दिया, जो यकीनन गणित पर सबसे महत्वपूर्ण किताब थी – “फिलोसोफी नेचुरलिस
fifaful Arce (the Philosophie Naturalis Principia Mathematica)
इस किताब में न्यूटन के तीन मौलिक नियम शामिल हैं, जो आज भी दुनिया भर में बच्चों को विज्ञान विषय में पढ़ाए जाते हैं।
न्यूटन के पहले नियम के अनुसार जब तक किसी गतिमान वस्तु पर बाहर से कोई बल नहीं लगाया जाता है तब तक वह उसी गति से चलती रहती है। दूसरे नियम के मुताबिक गति उत्पन्न करने के लिए बल जरूरी है।
न्यूटन की गति का आखिरी नियम बताता है कि हर एक्शन का एक बराबर और उलटी दिशा में एक रिएक्शन होता है। यह नियम काफी फेमस है।
अब न्यूटन ने रॉयल सोसाइटी के साथ-ही-साथ रॉयल मिंट का भी नेतृत्व किया न्यूटन की पहली पुस्तक जब प्रेस में थी, तभी उसका अगला अपडेटेड संस्करण तैयार करने की शुरुआत हो गई थी। वह काम को अधिक आसान बनाना चाहते थे ताकि पूरी दुनिया को उनकी मेथामेटीकली वेरीफाईड ऑब्जरवेशन से फायदा हो सके।
1703 में उनके महान प्रतिद्वदी रॉबर्ट हुक की मृत्यु हो गई और न्यूटन ने जल्द ही रॉयल सोसाइटी के प्रगुख के रुप में पदभार संभाला। कुछ हृद तक यह न्यूटन के प्रयासों का हो परिणाम था कि सोसायटी ने रहस्यवाद के साथ चिंता करना बंद कर दिया। इसके बजाय, गणित के माध्यम से प्रकृति के नियमों को साबित करने पर अपना ध्यान केंद्रित किया।
इन उपलब्धियों के बावजूद, न्यूटन को अभी भी लगा कि उसके पास और अधिक काम करने को बचा है। हालाँकि अब वह एक और दुनिया हिलाने वाले पेपर प्रकाशित करने की स्थिति में नहीं थे।
न्यूटन ने यूनिवर्सल ग्रेविटी के लिए पहले से ही एक मैथम फार्मूला तैयार किया था, और यह प्रदर्शित किया कि यह वास्तव में एक यूनिवर्सल फॉर्स थी, लेकिन अभी तक वे यह साबित नहीं कर पाए थे कि ग्रेविटी की वजह क्या है। प्रफ की यह कमी उनके विरोधियों के लिए अचूक गोला बारूद थी। जल्द ही सवाल उठने लगे थे कि क्या न्यूटन ग्रेविटी को किसी प्रकार की रहस्यमय शक्ति मानते हैं।
हालांकि, रॉयल सोसाइटी के न्यूटन की अध्यक्षता का मतलब था कि उन्हें ऐसे लोगों से इर नहीं था । उनके नए पद ने उन्हें एक बड़ा अधिकारी बना दिया और वे अवहेलना करने वालों के बारे में बेफिकर हो गए। ब्रिटेन अब एक केथोलिक सम्राट द्वारा शासित नहीं था, जिसकी वजह से हेगलेड के चर्च ने न्यूटन के काम को धर्म विरोधी माना था।
बल्कि, उनका काम अब अच्छी तरह से और व्यापक रूप से यूरोप भर में प्रकाशित हुआ। नए प्रिंटिंग प्रेस की ताकत से न्यूटन ने अतरराष्ट्रीय पाठकों का दिल जीत लिया।
इस दौरान, न्यूटन ने अपनी उपलब्धियों की फेहरिस्त में एक और नाम जोड़ा। उन्हें रॉयल मिंट का प्रमुख नियुक्त किया गया था। दूसरे शब्दों में, वे अब इंग्लैंड की मुद्रा के प्रभारी थे।
यह इतनी विवित्र घटना नहीं थी जितनी यह लग सकती है। शिपिंग, जतसंख्या सांख्यिकी और इकोनॉमिक्स सहित दुनिया के सभी मामलों में मैथ्स तेजी से जरूरी हो रहा था। राजनीतिक गणित की इस नई दुनिया में, एक मजबूत मुद्रा, एक बेहद जरूरी चीज थी।
न्यूटन ने पहले कुछ साल वाईन ऑफ द मिंट के रुप में बिताए थे, लेकिन 700 में उन्हें आधिकारिक रुप से मिंट के मास्टर के पद पर नियुक्त किया गया। उन्होंने मुद्रा और
अकाउंट से संबंधित पद और उसके कर्तव्यों को अपनाया। विशेष रूप से, उन्होंने एक नई करेंसी बनाने पर विचार किया जिसकी नकल करना कठिन काम था।
न्यूटन की नौकरी प्रतिष्ठित और अच्छे वेतन की थी। यहां तक कि न्यूटन का यह पद एक अंतरराष्ट्रीय सेलिब्रिटी के स्टेटस के साथ आया गया था। आखिरकार, न्यूटन का सम्मान शक के घेरे के परे था। लोग आखिरकार उन्हें सुन रहे थे और उनके विचारों को गंभीरता से ले रहे थे।
अपने जीवन के अंत में, न्यूटन को गोटफ्राइड लीबनिज (Gottfried Leibniz) द्वारा चुनौती दी गई और यह विवाद उन दोनों की मृत्यु के बाद भी चलता रहा।
रॉबर्ट हुक की मृत्यु ने न्यूटन को उनके सबसे बड़े आलोचक से छुटकारा दिला दियाथा, लेकिन इसके बावजूद भी विवादों ने उनका पीछा नहीं छोड़।
उन्होंने जर्मन गणितज्ञ गॉटफ्रीड विल्डेम लिबनीज के खिलाफ भी उतना ही संघर्ष किया जितना उन्होंने हुक के खिलाफ किया था। लिंबनौज़ और न्यूटन दोनों ने केलकुलस का इन्वेन्टर होने का दावा किया और एक दूसरे पर उसको कॉपी करने के आरोप लगाए।
यह बहस दशकों तक चलती रही। वास्तव में, यह साबित करना मुश्किल था कि कलकुलस को किसने बनाया है और किसने चोरी किया है या फिर क्या यह स्वतंत्र विकास का नतीजा है।
न्यूटन के द्वारा किये गए दावे उस काम पर आधारित थे, जो उन्होंने प्रकाशित नहीं करवाया था जिससे यह समस्या काफी जटिल हो गई। वास्तव में, सूक्षा गणनाओं पर उनका प्रारंभिक कार्य उन वर्षों के दौरान शुरू हुआ था, जो उन्होंने प्लेग के दौरान कैंब्रिज से दूर बिताए थे।
आखिर में, जॉन वालिस, जो कैम्ब्रिज में न्यूटन के साथी गणितकों में से एक थे, ने न्यूटन को 1660 के दशक के बाद के उन ग्राउन्डब्रेकिंग रिसर्च को प्रकाशित करने के लिए प्रेरित किया, जिसे वह लंबे समय से दबाये बैठे थे। हालांकि, इन कामों में से कुछ का उपयोग न्यूटन अपनी दूसरी पुस्तक, ट्रीटिस ऑन द रिफ्लेक्शंस, रिफ्रेवशंस, इन्फ्लेक्शस एद कलस आफ लाइट” (Treatise on the Refiections, Refractions. Inflexions and Colors of Light) में किया गया था और कुछ अन्य खोजों के बारे में, न्यूटन के नेतृत्व वाली रॉयल सोसाइटी द्वारा जारी बयानों में, इशारा किया गया था। उस समय न्यूटन अपनी पुरी संस्थागत शक्ति का उपयोग, लिंबनीज के आरोपों को खारिज करने और खुद को बेगुनाह साबित करने में कर रहे थे।
न्यूटन की भारी कोशिशों के बावजूद, लिमनिट्ज़ के साथ उनकी प्रतिद्वंद्विता की स्थिति पर कोई बहुत ज्यादा फरक नहीं पड़ा।
दरअसल जर्मन गणितज लिबनीज गुरुत्वाकर्षण के कारणों को न खोज पाने की वजह से न्यूटन की काफी आलोचना किया करते थे। उन्होंने न्यूटन के इस विश्वास की भी खिल्ली उड़ाई कि अंतरिक्ष के खालीपन में भी आकर्षण के नियम लागू होते हैं।
मरते दम तक, लिबनिट्ज़ के दिमाग में दुशानी बनी रही। 1716 में जब मौत उनके करीब थी तो उन्होंने अपने एक दोस्त को लिखा, ‘अलविदा, वैक्यूम, परमाणु और न्यूटन के सारे सिद्धांत” जो दिखाता है कि न्यूटन के खिलाफ प्रतिद्वदीता उनपे कितनी ज्यादा हावी थी।
हालांकि, हुक के साथ न्यूटन की प्रतिद्वंद्विता के विपरीत, इस संघर्ष में जश्न मनाने के मौके बहुत कम थे। लिबनीज़ के साथ न्यूटन की दुश्मनी उनके जीवन का एक शर्मनाक और छोटा अध्याय था। इसने विज्ञान को आगे बढ़ाने के लिए कुछ नहीं किया क्योंकि किसी व्यवसाय को बदसूरत कहना, उसके साथ न्याय नहीं करता है और दुर्भाग्य से लिबनीज्ञ ने ऐसा ही किया।
न्यूटन की उपलब्धियों ने उनके प्रशंसकों को निराश किया, लेकिन उनकी विरासत सुरक्षित है।
न्यूटन का 31 मार्च, 1727 को एक सुपरस्टार की तरह निधन हो गया। उन्हें नाइट की उपाधि मिली और उन्हें लदन के वेस्टमिस्टर एथे में दफन किया गया, जिसमें ब्रिटेन के कई सम्राट दफनाये गए थे। वे किडनी स्टोन यानि पथरी नामक बीमारी से पीड़ित थे। हालांकि कहा जाता है कि वे काफी गहरी पीड़ा में थे, लेकिन वे कभी रोये नहीं और कभी कोई शिकायत नहीं की।
यह भी कहा जाता है कि न्यूटन जिंदगी भर ब्रह्मचारी रहे। उनका कोई वारिस नहीं था। लेकिन उनकी विरासत काफी शानदार है। उन्होंने दुनिया को अंधकार के युग से बाहर निकाला। उनका मानना था कि आधुनिक दुनिया में प्रकृति को नियम-कानूनों को टर्स में समझा जाना चाहिए।
हालांकि, अठारहवीं और उन्नीसवीं शताब्दी के कवि और साहित्य से जुड़े लोग न्यूटन की खोजों का बहुत कम समर्थन करते थे। विलियम ब्लेक जैसे कवियों का मानना था कि ब्रह्मांड के रहस्य अब साहित्य रखने के लिहाज से उपयुक्त नहीं रह गाए हैं क्योंकि न्यूटन ने उनसे पर्दा उठाकर हमारी कल्पनाओं के परख काट दिए है। ब्लेक मानते थे कि न्यूटन ने दुनिया को सबसे बोरिंग चीजों की फेहरिस्त में शामिल कर दिया है।
हालांकि ब्लेक जैसे साहित्यकार अपने बयानों से न्यूटन के काम की ख्याति पर कोई खास असर नहीं डाल पाए। न्यूटन की विरासत सुरक्षित थी। यह दिन-ब-दिन बढ़ती गई और इसमें नई-नई चीजें जुड़ती गई जो आज भी जारी है।
न्यूटन के एक सिद्धात के अनुसार, ग्रेविटी और पृथ्वी की गति के कारण पृथ्वी भूमध्य रेखा यानि इक्वेटर पर उभरी हुई है और यह बात 1733 में एक दस साल लबे फ्रांसीसी अभियान के द्वारा साबित हो चुका है।
ऊपर से, जब अल्बर्ट आइंस्टीन ने बीसवीं शताब्दी में भौतिक विज्ञान के आविष्कारों की अगली लहर की शुरुआत की तो उन्होंने न्यूटनियन फिजिक्स को ही अपना आधार बनाया।
विज्ञान और गणित के अपने प्रेम के अलावा भी न्यूटन की शख्सियत के एक और पक्ष का आखिरकार पता लगाया जा चुका है।
1930 के दशक में जब न्यूटन के एक दूर के रिश्तेदार की एक प्रॉपर्टी की बिक्री के बाद उसमें न्यूटन की रिसर्च के कई एडिशन पाये गए, तो यह पता चला कि न्यूटन रसायन विद्या की एक पुरानी और कम वैज्ञानिक तकनीक “ऐलकेगी” की प्रैक्टिस किया करते थे। दूसरे शब्दों में कहें तो वह पैरानार्गल विंचारों यानि भूत प्रेत में भी विश्वास करते थे।
यह साफ है कि न्यूटन केवल ईमोशनलेस अरगुमेंट करने वाले व्यक्ति नहीं थे जैसा कि कुछ कल्पनाशील इतिहासकारों द्वारा उन्हें दिखाया गया है।
जब आप इसके बारे में सोचते हैं, तो पता चलता है कि जिन जगहों पर अराजकता फैली थी वहाँ न्यूटन ने कानून और व्यवस्था को लागू करने की मांग की थी। गणित और तर्कशास्त्र के सिद्धांत, उनका सबसे प्रसिद्ध योगदान हो सकता है, लेकिन यह भी पूरी तरह सच है कि वह अनजा, रहस्यमय और पैरानामंल विचारों को भी गले लगाने के लिए तैयार धे। भले ही यह बात आपको कितनी भी आश्चर्यजनक लगे लेकिन यह न्यूटन की जिंदगी की एक छुपी हुई सब्वाई है।