THE WAR OF ART by Steven pressfield.

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About Book

The War of Art: Break Through the Blocks and Win Your Inner Creative Battles.

इंट्रोडक्शन (Introduction )

ज़्यादातर इंसानों की दो तरह की ज़िन्दगी होती है एक दो जो हम जी रहे हैं और दूसरा वो जो हमारे अन्दर है, जो अभी जीना बाकी है. इन दोनों के बीच में खडी है रेजिस्टेंस (resistance). अगर आपने कभी ट्रेडमिल खरीदा लेकिन उसे कभी यूज़ नहीं किया, अगर आपने कभी कोई योगा कोर्स शुरू किया या किसी जिम की मेम्बरशिप की फ़ीस दे दी लेकिन कभी आप जिम गए ही नहीं, और अगर आप कभी कुछ करना चाहते थे लेकिन उसे अभी तक कर ही नहीं पाए हैं तो आपको अच्छे से समझ में आ गया होगा कि रेजिस्टेंस क्या होता है. सच्चाई तो ये है कि रेजिस्टेंस यानी रोकना, विरोध या बाधा इस दुनिया की सबसे खतरनाक और जहरीली शक्ति है. ये फेलियर और दुःख का रास्ता है – बहुत निर्दयी और कठोर है. सवाल ये है कि रेजिस्टेंस के खिलाफ खड़े रहने के लिए क्या करना होगा? क्या हमें उस पल का इंतज़ार करना होगा जब हम मरने की कगार पर हों और जो सपना हमने देखा था तब उसे साकार करने की कोशिश करें? क्या हम इस रेजिस्टेंस को खुद को हराने देंगे? एक राइटर के रूप में मैंने जीवन में रेजिस्टेंस के बारे में एक रहस्य जाना है लिखना एक बाधा नहीं है बल्कि लिखने की शुरुआत करने के लिए बैठना एक के जो हमें शुरुआत करने से रोकता है तो है रेजिस्टेंस. रेजिस्ट मतलब रोकना और रोकने की कोशिश यानी रेजिस्टेंस.

बुक वन रेजिस्टेंस (Book One: Resistance) डिफाइनिंग द एनिमी (Defining the Enemy)

रेजिस्टेंस को सिर्फ डेफिनेशन के रूप में देखें तो इसका मतलब होताहै कोई भी काम जो लॉन्ग टर्म सक्सेस और खुशी की जगह तुरंत मिलने वाली केवट की तरफ हमें attract करता है. कोई भी चीज़ जो आपको जीवन में आगे बढ़ा सकती है, वो रेजिस्टेंस को एक्टिवेट कर देती है. सैटिस रेजिस्टेंस के अपने charecteristic होते हैं. वे दिखाई नहीं देती लेकिन इसे महसूस किया जा सकता है – जैसे कोई फ़ोर्स हमें पीछे धकेल रहा हो. इसका काम ही होता है काम से ध्यान हमारे अन्दर से आता है.

जब पैट रिले लॉस एंजेल्स लेकर्स के कोच हुआ करते थे, तो उनका कहना था कि रेजिस्टेंस एक बाहरी टुश्मन है, जो बाहर से आता है. लेकिन ये बात पक्की है कि करते थे, है हम खुद इसे पैदा करते हैं, रेजिस्टेंस बहुत बड़ा ट्रैप है जो हर संभव तरीके से आपको अपनी ओर खींचेगा ताकि आप अपने काम में आगे ना बढ़ सकें. इसकी बातें आपको बिलकुल सही लगेगी जैसे किसी वकील की दलीलें कोर्ट रूम में लगती हैं. लेकिन सावधान, उसकी किसी बात पर ध्यान मत देना क्योंकि को करके सकी ही बोलता है. रेजिस्टेंस फ़िल्म “jaws” के शार्क की तरह होता है, आप उससे बहस नहीं कर सकते. वो सिर्फ पॉचर की भाषा समझता है. ये एक नेचुरल फ़ोर्स है इसलिए ये पर्सनल नहीं है, जब आप इसका सामना करने के लिए खड़े होंगे तो इस बात को हमेशा याद रखियेगा. इसका मतलब ये भी है कि हर कोई इस रेजिस्टेंस के कारण स्ट्रगल कर रहा है – आप अकेले नहीं है. इसकी शुरुआत डर से होती

है. बिना डर के रेजिस्टेंस बहुत कमजोर होता है. अगर आप अपने डर को कण्ट्रोल कर लेते हैं तो आप रेजिस्टेंस को हरा सकते हैं, जहां ये बिना डर के कमज़ोर होता है तो वहीं जब आप बिलकुल फिनिशिंग लाइन पर होते हैं, ये वहाँ बहुत ज्यादा स्ट्रोंग हो जाता है. इथिका के रूलर ओडीसियस को ट्रोजन वॉर से घर वापस जाने के लिए बहुत स्ट्रगल करना पड़ा. वो और उसका पूरा क्रू दस साल तक समुद्र में भटकते रहे. जब इथिका नज़र आने लगी तब ओडीसियस इतने स्योर थे कि अब वो सब सेफ हैं कि उन्होंने झपकी लेने की सोची. उसके क्रू के एक आदमी को

लगा कि उसका कमांडर एक बोरे में सोना छुपाकर ले जा रहा है. लेकिन बोरे में सोने की बजाय उलटी दिशा में बहने वाली हवाए बंद थी जिसे उसने खोल दिया था इसे हवाओं के राजा ने उसे दिया था ताकि ओडीसियस वापस घर ना लौट पाए. वो हवाएं उन्हें इथिका से दूर ले गई और वो फिर वहीं पहुँच गए जहां से उन्होंने शुरुआत की थी. जब रेजिस्टेंस को समझ में आने लगता है कि हम जीतने वाले हैं तो वो घबरा जाता है और हमारी परी मेहनत पर पानी फेर देता है. अब बात करते हैं इसके सिम्पटम्स के

बारे में,

सिम्पटम नंबर वन है टाल मटोल करना. इसका सबसे खतरनाक हिस्सा ये है कि ये एक आदत बन सकती है, हम सिर्फ एक काम को करने में देर नहीं करते बल्कि हम अपनी ज़िन्दगी को भी पोस्टपोन करते चले जाते हैं. ऐसा नहीं है कि हम अपने प्लान को ही कैंसिल कर देते हैं, हम बस ये कह कर टालते रहते हैं कि हमउसे “कल” कर लेंगे. लेकिन वो कल कभी आता ही नहीं है. हालांकि, हमें भूलना नहीं चाहिए कि हम किसी भी पल अपनी ज़िन्दगी कोबदल सकते हैं. किसी भी पल हम इस टाल मटोल की आदत और रेजिस्टेंस को हरा सकते हैं और अपनी किस्मत पलट सकते हैं. फिर आता है ट्रबल यानी मुसीबत. ट्रबल रेजिस्टेंस का ही एक चालाक साथी है. जलन, शराब पीना, ड्रामा करना और कुछ भी जो आपको आपके काम से दूर कर देता है, वो सब रेजिस्टेंस का ही सिम्पटम है. किसी फैकल्टी चेयरमैन की वाइफ को किस करते हुए पकड़े जाना ज्यादा आसान है बजाय बैठ कर अपनी का थीसिस या फाइनल चैप्टर लिखना, वर्किंग आर्टिस्ट अपने जीवन केहर टूबल को दूर कर देता है और उसे अपने काम के बीच

में

नहीं आने देता. जब मैं पहले इस बुक को लिखना शुरू किया था तो मैं लगभग रेजिस्टेंसके बिछाए जाल में फैस गया था. मेरे मन में चल रही आवाज़ों ने मुझे बार बार कहा कि मैं फिक्शन के बारे में लिखता हूँ, नॉन फिक्शन मेरा टॉपिक नहीं है. रेजिस्टेंसने मुझे बार बार समझाने की कोशिश की कि मैं ज्ञान के बारे में

नहीं लिख सकता, मैं तो इसके काबिल ही नहीं हूँ. इसने मुझे सच में डरा दिया था और डर ही तो रेजिस्टेंस का खाना है. लेकिन जिस चीज़ ने मुझे आगे

बढ़ाया वो था : अपनी बुक ना लिखने का दुःख.

मैंने अपने इन सिम्पटम्स को नोटिस किया इसलिए मैंने खुद को बैठने और लिखने के लिए फ़ोर्स किया, और सच में, मुझे बहुतअच्छा लगा. रेजिस्टेंस आपको यही महसूस कराता है : दुःख. ये आपको नाखुश रखता है, बेचैन कर देता है और आपको कभी संतोष महसूस नहीं करने

देता. आप

हमेशा बस गिल्टी फील करते रहते हैं और कारण आपको समझ में ही नहीं आता. इसकी वजह से आपको खुद से और जीवन से नफ़रत होने लगती है. और ये अकेला नहीं आता, या अपने साथ डिप्रेशन, गुस्सा और dissatisfaction लेकर आता है. देखा जाए तो हमारासेल्फ डिस्ट्रक्शन शुरू हो जाता

लेकिन आर्टिस्ट और प्रोफेशनल होने के नाते हमें चुप नहीं बैठना चाहिए. इस दुश्मन के खिलाफ हमें एक जंग शुरू करनी होगी. लेकिन हम जिस consumer कल्चर में रहते हैं वो चीज़ों को थोड़ा मुश्किल बना देता है क्योंकि सोसाइटी हमें ऐसी चीज़ें बेचता है जो हमें हमारे दुःख से distract र देता है. लेकिन एक आर्टिस्ट और प्रोफेशनल होने के नाते हमें अपने अन्दर एक रेवोलुशन शुरू करने की ज़रुरत है जो आपको ये एहसास दिलाएगा कि ये सारे advertisement, विडियो गेम्स और मूवीज हमारी बेचैनी को ठीक नहीं कर सकते. ये बेचैनी सिर्फ अपना काम पूरा करके की ठीक की

जा सकती है,

जब आप रेजिस्टेंस के आगे हार मान लेते हैं तो जो भी इंसान अपनी लाइफ अपनी मर्जी के हिसाब से जी रहा है या वो काम कर रहा है जो उसका पैशन है, तो आप उस इंसान की बुराई करना शुरू कर देते हैं क्योंकि आप उनकी तरह जीना चाहते हैं और इसलिए आप उसने जलने लगते हैं. ये रेजिस्टेंस का ऐसा सिम्पटम हैजो ना सिर्फ आपको बल्कि दूसरों को भी बहुत नुवसान पहुंचाता है. आपको पता होना चाहिए कि रेजिस्टेंस का प्यार से सीधा सीधा और बराबर का रिश्ता है. जब आप किसी चीज़ की तरफ बहुत ज्यादा रेजिस्टेंस महसूस

करते हैं इसका मतलब होता है कि आप उस चीज़ ही उतना ही ज्यादा प्यार भी करते हैं. दूसरे शब्दों में, जितना ज्यादा रेजिस्टेंस होगावो चीज़ आपके

लिए उतनी ही ज्यादा इम्पोर्टेन्ट होगी. तो सिर्फ इस प्यार के खातिर आपको उस काम को करना चाहिए ताकि जब वो पूरा हो जाए तब आपको खुशी और शान्ति मिले.

रेजिस्टेंस का एक और फॉर्म ये सोच है कि “हीलिंग” आपको अपना काम करने में मदद करता है. सैंटा फ़े की तरह, जहां उनका कल्चर हीलिंग के बारे में हैं; एक सेफ जगह जहां आप क्लीयरली सोच सकते हैं, लेकिन आप क्या हील करने की कोशिश कर रहे हैं? लोग ये नहीं जानते कि आप जो भी हिस्सा हील करना चाहते हैं आपकी क्रिएटिविटी उस हिस्से से नहीं आती.

जो आपके पेरेंट्स, आपके दोस्तों या सोसाइटी ने किया है वो आपकी क्रिएटिविटी को डैमेज नहीं कर सकता. आपके क्रिएशन की शक्ति बिलकुल वैसी की वैसी है, मज़बूत और फिट, अगर आपको हीलिंग की ज़रुरत है तो वो सिर्फ आपके पर्सनल लाइफ में है और पर्सनल लाइफ का काम से कोई लेना

देना नहीं होताहै. ऐसा बिलकुल नहीं है कि मैं हीलिंग के खिलाफ हूँ, बल्कि हम सबको इसकी ज़रुरत है. लेकिन खुद को हील करते करते भी आप काम कर सकते हैं. अच्छी बात तो ये है कि रेजिस्टेंस को हराया जा सकता है. ये बिलकुल एक नए जीवन को दुनिया में लाने जैसा है, आपको सब कुछ तब तक इम्पॉसिबल

लगता है जब तक आपको याद नहीं आता कि हर औरत ने इसे successfully पार किया है, फिर चाहे उन्हें कोई सपोर्ट मिला हो या न मिला हो, वो

बहुत ज़बरदस्त हिम्मत करके उन 9 महीनों को पार कर लेती हैं.

बुक टू : कम्बैटिंग रेजिस्टेंस Book Two: Combating Resistance

टर्निंग प्रो (Turning Pro)

जो आर्टिस्ट रेजिस्टेंस के कारण हार मान लेते हैं उन सब में एक बात कॉमन होतीहै : वो सब नौसिखिये (amateur) की तरह सोचते हैं, वो अभी तक प्रोफेशनल (प्रो) बने ही नहीं हैं. जिस पल एक आर्टिस्ट प्रो बन जाता है वो पलउतना ही जादुई होता है जैसा आपके पहले बच्चे के जन्म का पल होता है. मैं अपने लाइफ को दो पार्ट्स में डिस्क्राइब कर सकता हूँ: प्रो बनने से पहले और उसके बाद. प्रोफेशनल से मेरा मतलब लॉयर या डॉक्टर नहीं है, वो तो

प्रोफेशन है. मेरा मतलब है बिलकुल कम्पलीट होना, ये एक नौसिखिये से बिलकुल opposite होता है. इनके बीच के फर्क को समझिये नौसिखिया बस है). नौसिखिये अपना काम पार्ट टाइम करते हैं लेकिन के लिए कामकरता है लेकिन एक प्रो ज़िन्दगी के लिए करता है (वो : एक

कामकुछ্ भी हो सकता

कि वो उसमें पूरी तरह डेडिकेटेड रहता है. और रेजिस्टेंस टाइम अपने काम में लगे रहते हैं. मेरे हिसाब से एक प्रो अपने काम से इतना प्यार करता है से ज्यादा नफरत है. म सॉमरसेट मौधम (1930 के समय के फेमस नोवल और शोर्ट स्टोरी राइटर से पूछा गया कि दयावो किसी इस्पिरेशन के लिए इंतज़ार करते थे या

बस एक टाइम डिसाइड करके लिखने बैठ जाते थे. तब उन्होंने कहा “मैं सिर्फ़ तब लिखता हूँ जब कोई चीज़ मुझे इंस्पायर करती है और खुशकिस्मती से मैं रोज़ सुबह ठीक 9 बजे होता है” मे डोगा है पो होना, थे

जब में थोडा छोटा था तब ज्वाइन की, यद सुना होगा कि मरीन फ़ोर्स में कुछ समय रहने के बाद आप एक खून के प्यासे किलर आपने : में बदल जाते हैं. वो इतना efficient नहीं होता है लेकिन जो वो आपको सिखाता है वो बहुत फायदेमंद होता है. वो आपको दुखी होना सिखाता है. तरह एक आर्टिस्ट को भी दुखी होना चाहिए. क्योंकि रेजिस्टेंस, इंस्पिरेशन, मोटिवेशन और determination के साथ की इसलिए एक मरीन की नरत लड़ाई बहुत लम्बी और बिलकुल नर्क के जैसी होता है. हम इस बात से बिलकुल अनजान हैं कि हम अपने ज़िन्दगी के एक काम में बिलकुलप्रो होते हैं : वो है हमारा जाँब, लेकिन जिस चीज़ में हम

सक्सेसफुल हो चुके हैं क्या उसमें से किसी चीज़ को हम अपने आर्टिस्टिक साइड में अप्लाई कर सकते हैं? वो कौन सी क्वालिटीज़ हैं जो हमें प्रोफेशनल

बनाती हैं? तोवो है कि हम हर रोज़ काम पर जाते है.ये हम ऐसा इसलिए करते हैं क्योंकि हमें फ़ोर्स किया जाता है या इसलिए ताकि हमें कान से निकाल ना दिया जाए, तो हम का हम काम पर र चले जाने

हैं

चाहे हम बीमार हो या ठीक, हम चले जाते हैं ताकि अपने को चर्कर्स को disappoint ना कर दें. और हम लम्बे समय तक वहाँ टिकने की कोशिश करते हैं आप कहते हैं “मैं जीवन भर यही करना चाहता हूँ”, और सबसे ज़रूरी बात ये है कि हम जानते हैं कि हमारा जॉब हमें डिस्क्राइब नहीं करता. हम अपने काम में ज्यादा इन्वोल्व नहीं होते और हमेशा फेलियर से घबराते रहते हैं.

इसका ये मतलब नहीं है कि प्रोफेशनल अपने काम से प्यार नहीं करते लेकिन वो ये अच्छे से जानते हैं कि इससे बहुत ज्यादा प्यार करना भीठीक नहीं है किसी चीज़ से अति प्यार करना लकवा का कारण बन सकता है ये माइंड को सुन्न या फ्रीज कर देता है, लेकिन पैसों के लिए aim करना या एक्टिंग करना कि पैसा कमाना आपका aim है आपको सुन्न होने से बचाता है. देखा जाए तो, प्रोफेशनल पैसों के लिए खेलते हैं लेकिन अंत में वो अपने काम प्यार करते हैं. प्रोफेशनल्स काफ़ी यूनिक होते हैं. आइये जानते हैं। एक प्रोफेशनल बहुत पेशेंस होता है. रेजिस्टेंस यहाँ हमारे

ही हमारे खिलाफ इस्तेमाल करता है. हम जब किसी प्रोजेक्ट या काम के लिए बहुत excited होते हैं तो ये हमसे एक schedule सेंट करवाता है जिसे फॉलो करना इम्पॉसिबल होता है. वो हमारे जोश को यूज़ करके हमें विश्वास दिलाता है कि हम तो प्रोजेक्ट समय लेंगे लेकिन अंत में सब सत्यानाश हो जाता है, लेकिन एक प्रोफेशनल खुद को पेशेंस के साथ बाँध कर रखता है. उसे पता होता है कि चाहे कोई भी काम हो, हम जितना सोचते हैं उससे दुगना समय ही उसे खत्म करने में लगता है -प्रोफेशनल्स रियलिटी को accept करते हैं. और सबसे ज़रूरी बात, प्रोफेशनल रियल वर्ल्ड के रिजल्ट पर भरोसा करता है नाकि अपने दोस्तों के कॉम्प्लीमेंट पर. 17 साल हूँढने और कोशिश करने के बाद जब मुझे मेरा पहला प्रोफेशनल राइटिंग जॉब मिला तब मैंने एक फिल्म “किंग कोग लिव्ज़” के लिएलिखा था. मेरा एक पार्टनर भी था रॉन शुसेट, हम दोनों ने जी जान लगा दी थी Dino Delaurentis के लिए स्क्रीनप्ले लिखने में वो बहुत कमाल का स्क्रीनप्ले कि ये बहुत बड़ी हिट होने वाली है – हमारे जानने वालों को हमने प्रीमियर में आने के लिए इनवाईट किया था, हमने सब कहा कि बहुत भीड़ होने वाली है- लेकिन ऐसा बिलकुल नहीं हुआ. कोई नहीं आया. अगले दिन, Variety में रिव्यु लिखा था “.रोनल्ड शुसेट और

में

जोश को

स्टीवन प्रेसफील्ड; हम आशा करते हैं कि ये इनका असली नाम नहीं है; बस इनके पेरेंट्स के इज्जत की खातिर”

में बहुत टूटा हुआ महसूस कर रहा था. मुझे लग रहा था कि मैं बिलकुल बेकार हूँ और मुझे अपने सपने के लिए सब कुछ नहीं छोड़ना चाहिए था. टोनी के सेल्समैन ने मुझे उस उदासी से बाहर निकाल कर संभाला, उसने पूछा क्या मैं ये सब छोड़ने वाला हूँ, तो मैंने कहा “बिलकुल लेकिन,मेरे दोस्त नहीं फिर उसने कहा “तो खुश रहो. तो क्या हुआ अगर थोड़ी ठोकर लगी तो आखिर मैदान के बाहर नहीं बल्कि मैदान में खड़े रहना ऐसा ही तो होता है”. मुझे तो ऐसा लगा कि मुझे अभी सक्सेस नहीं मिली है लेकिन एक असली फेलियर मिली है, और ये पहली चीज़ है जो आपके साथ होती है जब

आप एक प्रो बन जाते हैं. प्रोफेशनल्स ये भी जानते हैं कि डर तो हमेशा रहेगा जबकि नौसिखियों को लगता है कि किसी एक चीज़ को अचीव करने के लिए उन्हें उस डर से

जीतना होगा. हेनरी फोंडा एक अमेरिकन फिल्म और स्टेज एक्टर थे जो स्टेज पर जाने से पहले अपने ड्रेसिंग रूम के टॉयलेट में उलटी करके जाया करते थे. वो अपने डर से कभी जीत नहीं पाए, जिस चीज़ से उन्हें प्यार था वो उसे करते रहे और साथ ही अपने डर को साथ में पकड़ कर चलते रहे.प्रोफेशनल्स हार नहीं मानते क्योंकि उन्हें पता है कि अगर आज वो रेजिस्टेंस के सामने झुक गए तो उनके साथ कल भी बही होगा. प्रोफेशनल्स जानते हैं कि रेजिस्टेंस बिलकुल एक telemarketer जैसा है, एक बार आपने फ़ोन उठा लिया तो फिर आप अपना काम कंटिन्यू नहीं कर पाएँगे, वो खुद को सारे techniques में माहिर कर लेते हैं, इसलिए नहीं क्योंकि वो इंस्पायर नहीं होते बल्कि इसलिए कि जब उन्हें inspiration मिले तो वो हर स्किल के साथ बिलकुल तैयार हो प्रोफेशनल्स कभी मदद मांगने से भी नहीं चूकते. अब टाइगर वुड्स को ही ले लीजिये : यो दुनिया के सबसे बेहतरीन गोल्फर हैं लेकिन फिर भी उनके कोच हैं, वो जानते हैं कि हर चीज़ के बारे में पता होना इम्पॉसिबल होता है और हर प्रॉब्लम का solution वो अकेले नहीं हूंढ सकते. और सबसे ज़रूरी बात, प्रोफेशनल्स कभी भी सक्सेस और फेलियर को पर्सनली नहीं लेते. एक । वा अकेले नहीं हुआ प्रो अपने पर्सनल ईगो को इससे अलग रखता है.

क्योंकि रेजिस्टेंस हमें रिजेक्शन का डर दिखा कर अपने गोल को हासिल करने से रोकता है. मेरा एक बहुत करीबी दोस्त था जिसने सालों तक एक पर बहुत मेहनत की, लेकिन जब वो पूरी हो गई तो उसे भेजने की वो हिम्मत ही नहीं कर पा रहा था. उसे स्जिक्शन का डर लग रहा था. लेकिन नावेल पर प्रोफेशनल्स कभी भी रिजेक्शन को एक पर्सनल matter के में नहीं लेते क्योंकि वो रेजिस्टेंस को activate कर देता है. हाँ, प्रोफेशनल्स को अपने काम से प्यार होना चाहिए, लेकिन वो उसे खुद को डिफाइन नहीं करने देते. प्रोफेशनल अपने काम की बुराई को ध्यान से सुनते हैं ताकि वो उससे सीख सके और ज्यादा ग्रो कर सके लेकिन वो इस बात को भी जानते हैं कि रेजिस्टेंस इस क्रिटिसिज्म को उनके खिलाफ इस्तेमाल कर सकता इसलिए उन्हें इस से भी बच कर रहना चाहिए.

अंत में, आपको ये पता होना चाहिए कि एक प्रो बनने का डिसिशन आपका है, ये कोई लक या मैजिक नहीं है.

बुक श्री : बियॉन्ड रेजिस्टेंस Book Three: Beyond Resistance

हायर रेल्म (Higher Realm)

हाँ, रेजिस्टेंस एक ऐसा फ़ोर्स है जो हमें अपने गोल्स और ड्रीम्स तक पहुँचने से रोकता है. लेकिन इसका ये मतलब नहीं है कि कोई दूसरा फ़ोर्स रेजिस्टेंस का मुकाबला करने की कोशिश नहीं करता ये फ़ोर्स दो हैं जिन्हें हम अपना ally यानी सहयोगी या दोस्त कहते हैं. और ये alies जब हमें काम करता देखते हैं, रात रात भर जाग कर अपना काम ख़त्म करने के लिए अपना बेस्ट करते हुए देखते हैं, तो वो हमारी मदद के लिए मानो पूरा स्वर्ग ही ले आते हैं. स्वर्ग से मेरा मतलब है inspiration, आईडिया, कंसंट्रेशन और जो भी हमें अपनी मंजिल को पाने के लिए चाहिए वो सब. इनमें से एक फ़ोर्स है सेल्फ revision. हर रोज, जब मेरा काम पूरा हो जाता है, तोमें पहाड़ियों पर चड़ाई करनेके लिए निकल जाता हूँ. में अपने दिमाग हल्का और क्लियर करता हूँ और सोचने लगता हूँ कि मुझे क्या क्या करेक्ट करना है, क्या डिलीट करना है. ये सेल्फ revision बिलकुल एक चमत्कार की भले ही हम ये नहीं जानते कि क्या या किसने इसकी शुरुआत की. ये प्रोसेस हमारे माइंड को इस तरह organize प्रोसेस

करता है कि मैं शायाद बयान भी नहीं कर सकता.

मुझे लगता है,रेजिस्टेंस का मतलब ईगो होता है. और हमारे सेल्फ का ईगो के साथ हमेशा एक चॉर चलता ही रहता है. सेल्फ ज्यादा क्रिएट करके ग्रो करना चाहते हैं लेकिन ईगो जो जैसा अभी रहा है उसी में comfortable होता है. खुद यानी सेल्फ को पाने के लिए आपको ईगो को डिस्ट्रॉय करना होगा, ये जो हमारा सेल्फ है वो एक बहुत डीप पर्सनालिटी है – जो हम सपने देखते हैं, जो आइडियाज हमें आते हैं, जब हम प्रार्थना करते हैं सब हमारे सेल्फ से ही तो आता है. सेल्फ पयूचर की बातें करता है और ईगों को इस बात से चिड़ है. ईगो को इस बात से चिड़ है जब हम अपनी समझ को इस सेल्फ में लगा देते हैं. ये ईगो और रेजिस्टेंस नहीं चाहते कि हम ग्रो करें. दूसरे शब्दों में, ईगो ही इस रेजिस्टेंस को बाहर ले कर आता है और एक

आर्टिस्ट से लड़वाता है.

एनिमल किंगडम में या एनिमल किंगडम के अनुसार, एक इंसान को दो तरीके से डिफाइन किया जाता है हायरार्की(hierarchy) सिस्टम में उनका जो रैंक है (जिसमें उन्हें रैंक उनके स्टेटस या अधिकार के कारण दिया जाता है) उसके हिसाब से और किसी territory (फील्ड) से उनका जोसम्बन्ध है उसके द्वारा. इन दोनों में से जैसे हमनें हायरार्की सिस्टम वाले आप्शन को डिफ़ॉल्ट मान लिया है. ये ह्यूमन नेचर है कि हम ग्रुप में रहते हैं और हमें पता भी नहीं चलता कि कब हमें एक रैंक दे दिया जाता है या एक जगह में सीमित कर दिया जाता है. और हमें अपने जीवन में काफ़ी बाद में पता चलता

है कि territory का भी एक आप्शन होता है. ये हायरार्की सिस्टम एक आर्टिस्ट के लिए बहुत घातक होता है.

अब वैन गॉग को ही देख लीजिये, उन्होंने ना जाने कितने मास्टरपीस बनाए लेकिन उन्हें कभी भी कोई buyer नहीं मिला. एक आर्टिस्ट को सिर्फ territory की दृष्टि से काम करना चाहिए, उसे सिर्फ अपने लिए काम करना चाहिए. लेकिन हमारे पास साइकोलॉजिकल टेरिटरी भी होता है. स्टीवी वंडर का टेरिटरी है टेरिटरी कैसे मार्क ना, अनाल्ड श्वाजनिगरका टेरिटरी है जिम. और जब मैं लिखने के लिए बैठता हूँ तो मैं अपने टेरिटरी में होता हूँ. तो आप अपना

एक टेरिटरी आपको ताकत देती है. आप अपने काम में जितना प्यार और मेहनत लगाते हैं, एक टेरिटरी आपको उतना वापस भी करती है. आपकी टेरिटरी आपकी और सिर्फ आपकी है. और एक टेरिटरी तब बनता है जब आप उसके लिए कड़ी मेहनत करते हैं. अर्नोल्ड श्वार्जनेगर की टेरिटरी जिम

तब

बना जब उन्होंने घंटों और सालों इसके लिए मेहनत करके अपना पसीना बहाया. तो अब बताइए, आपकी टेरिटरी क्या है? आप कैसे पता करेंगे कि आपका डायरेक्शन क्या है : टेरिटरी या हायरार्की? खुद से पूछिए : अगर आप चितित हैं या बेचैनी महसूस कर रहे हैं, तो आप क्या करेंगे? क्या आप अपने 5 दोस्तों को फ़ोन करेंगे और उनसे ये सुनना चाहेंगे कि वो अब भी आपसे प्यार करते हैं? ये hierarchical होता है : जब आप दूसरों से अच्छी बातों को सुनना चाहते हैं. लेकिन अगर किसी दिन अर्नोल्ड को स्ट्रेस हुआ तो वो इस सिचुएशन में क्या करेंगे? वो बस सीधे जिम जाएँगे.

कन्क्लू ज़न (Conclusion)

जब तक आप कोई कदम नहीं उठाते, कोई एक्शन नहीं करते तब तक आपको पता नहीं चलेगा कि आपका इस दुनिया में जन्म क्यों हुआ है. जब तक आप अपने बेड से उठकर कुछ productive नहीं करते तब तक आपकी पता नहीं चलेगा कि आपकी डेस्टिनी क्या है. हो सकता है कि आप कैंसर का इलाज़ ढूंढने के लिए बने हों लेकिन आप बसएक आलसी इंसान बनना चूज़ करते हैं.

ये सिर्फ आपको नुक्सान नहीं पहुंचाता बल्कि आपके बच्चों को, आपके परिवार को और हमारे प्लेनेट को बहुत नुक्सान पहुंचाता है. आप बहुत यूनिक टैलेंट के साथ पैदा हुए हैं जो आप इस दुनिया को बदलने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं, तो जो angels आपको र से देख रहे हैं उन्हें निराश मत कीजिये, खुद की ज़िन्दगी यूहीं waste मत कीजिये – रेजिस्टेंस के सामने हार मत मानिए. दूसरों से प्यार और appreciation की इच्छा मत रखिये – ये खुद से जानिये. आप जो भी करते हैं उस पर गर्व कीजिये, क्रिएटिव बनिए और दुनिया को दिखा दीजिये कि आप क्या क्या कर सकते हैं.

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