The slight edge by Jeff olson.

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The slight edge by Jeff olson.
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About Book

हर दिन किए गए छोटे-छोटे काम आपके लिए सक्सेस का दरवाज़ा खोलते हैं. इस बुक में आप सीखेंगे कि पॉजिटिव नज़रिया कैसे अपनाएं, हर दिन किए गए छोटे-छोटे काम की अहमियत को समझकर कैसे ख़ुद में बदलाव लेकर आएं. सक्सेस रातों रात नहीं मिलती. आप सिंपल स्टेप्स से शुरुआत कर उसे अपनी हैबिट बना सकते हैं. समय के साथ, ये छोटे-छोटे एफर्ट आपको बड़ा रिजल्ट देंगे.

यह समरी किसे पढ़नी चाहिए?

  • स्टूडेंट्स
  • यंग प्रोफेशनल्स
  • जो भी लाइफ में कुछ बड़ा अचीव करना चाहते हैं

ऑथर के बारे में

जेफ़ ओल्सेन एक ऑथर और ट्रेनर हैं. वो Neora नाम की कंपनी के सीईओ भी हैं जो हाई क्लास स्किन केयर और वेलनेस प्रोडक्ट बनाती है. ओल्सेन ने 100 से ज़्यादा टीवी प्रोग्राम भी produce किए हैं जिनका फोकस सेल्फ़-डेवलपमेंट पर था. उन्होंने हाल ही में एक लाइफस्टाइल कंपनी Live Happy को लॉन्च किया था जिसका मकसद था एजुकेशन और कम्युनिटी को साथ लाकर असली ख़ुशी को एक दूसरे के साथ शेयर करना.

इंट्रोडक्शन

क्या आपने कभी कुछ अचीव करने की कोशिश की है और फिर उसे बीच में अधूरा ही छोड़ दिया हो? क्या आपने अपने गोल को सिर्फ इसलिए छोड़ा था क्योंकि आपको उसका रिजल्ट तुरंत नहीं मिला? आप अभी अपनी जिंदगी में क्या हैं और आप क्या बन सकते हैं क्या इस बीच का फर्क आपको बेचैन कर देता है?

अगर आपका जवाब हाँ है तो आपको इस बुक को पढ़ने की ज़रूरत है. हम सब जिंदगी में कुछ ना कुछ बनना चाहते हैं, खुद को साबित करना चाहते हैं लेकिन अक्सर हम इसी उलझन में उलझे रह जाते हैं कि क्या करें, कैसे करें. बार-बार प्रॉब्लम का सामना करना हमें irritate कर देता है लेकिन ये भी सच है कि उससे बचकर भागना उसे सोल्व नहीं कर सकता, वो प्रॉब्लम कभी ना कभी लौटकर फ़िर आपके सामने खड़ी हो जाएगी, सक्सेसफुल लोगों की कामयाबी का राज़ ये है कि वो जो कुछ भी पाना चाहते हैं उसे हासिल करने के लिए सिंपल चीज़ों को फॉलो करते हैं. इस बुक में आप सीखेंगे कि ये सिंपल चीज़े क्या हैं. आप ये भी सीखेंगे कि अपने गोल को अचीव करने के लिए कैसे आपको अपने काम की धुन में लगे रहना चाहिए.

इस बुक का मकसद आपके सामने आने वाली हर प्रॉब्लम को सोल्व करने के लिए एक परफेक्ट solution देना नहीं है. हर प्रॉब्लम को सोल्व करने का exact solution नहीं हो सकता, इस बुक का मकसद है आपको क्लैरिटी देना, इसके साथ-साथ ये आपको अपने गोल्स को अचीव करने के लिए और अपने प्रॉब्लम को हैंडल करने के लिए उसे एक अलग नज़रिए से देखना सिखाएगी.

The Beach Bum and the Millionaire

इस बुक के ऑथर जेफ़ के दो दोस्त थे. ये दोनों इतने जिगरी दोस्त थे कि इन्हें एक दूसरे से अलग करना नामुमकिन था. बचपन में साथ खेलने से लेकर कॉलेज में असाइनमेंट और एग्जाम के लिए तैयारी करना, इन दोनों ने सब साथ-साथ किया था, अगर उनके स्किल और बुद्धिमानी की बात की जाए तो दोनों में ज्यादा फ़र्क नहीं था लेकिन दोनों ने आगे चलकर अपने लिए अलग-अलग रास्ता अपनाया. जो पहला दोस्त था उसे कॉलेज में कम मार्क्स मिले थे जिसके बाद उसने कॉलेज छोड़ दिया. वो इधर उधर घूमने में और ज्यादातर वक्त बीच पर मस्ती करने में बिताने लगा. उसे अपने खर्चे उठाने के लिए एक साथ कई जॉब करने पड़ रहे थे. अंत में वो ऐसी लाइफ से एकदम दुखी हो गया और उसने एक बिज़नेस शुरू करने की कोशिश की. लेकिन उसकी ये कोशिश भी फेल हो गई. वहीं दूसरी ओर, उसके दोस्त ने कॉलेज में बहुत अच्छा परफॉर्म किया, उसे एक बड़ी टेक फर्म में जॉब मिली, उसकी जिंदगी अच्छी चल रही थी, उसने बहुत पैसे भी कमाए और अपने जॉब में सक्सेस भी हासिल की. आप कह सकते हैं कि बो अपने दोस्त से बिलकुल opposite लाइफ जी रहा था.

इतना फर्क होने के बाद भी वो अब भी एक दूसरे के टच में थे, क्या आप इसका कारण जानते हैं? क्योंकि वो दोनों दोस्त एक ही इंसान थे जो खुद जेफ थे. एक वक्त था जब जेफ़ ने कम मार्स की वजह से कॉलेज छोड़ दिया था और इधर उधर मस्ती कर टाइम पास करने लगे थे, साथ में वो छोटे मोटे काम भी कर लिया करते. एक बार जब एक गोल्फ क्लब के लिए वो घास काटने वाले के तौर पर काम कर रहे थे तो उन्होंने अमीर लोगों के महेंगे कपड़े और गोल्फ़ के सामान को देखा. इस नजारे ने जॉर्ज को बेचैन कर दिया. उन्हें लगने लगा कि जिंदगी कितनी बेरहम है, जहां उन्हें अपने रहने और खाने के लिए भी इतना स्ट्रगल करना पड़ रहा था, वहीं दुनिया में ऐसे भी लोग थे जो हर पल अंधाधुन पैसे कमा रहे थे, जॉर्ज को बहुत गुस्सा आ रहा था और तभी उन्होंने एक फैसला किया, उन्होंने खुद से वादा किया कि चाहे जो भी करना पड़े अब वो भी कुछ ना कुछ बनकर ज़रूर दिखाएंगे, उन्होंने दोबारा कॉलेज जाना शुरू किया और अपनी आदतों में कुछ बदलाव किए जिसका नतीजा ये हुआ कि अब उन्हें अच्छे मार्कस मिलने लगे. इतना ही नहीं बल्कि उन्होंने अपने क्लास में टॉप भी किया. न तो आप यहाँ कह सकते हैं कि उनकी स्टोरी हैप्ी एडिंग हुआ लेकिन उनकी स्टोरी यहाँ खत्म नहीं हुई थी. भले ही वो एक बड़े टेक कंपनी "टेक्सास इंस्ट्रूमेंट्स" में एक मैनेजर के रूप में अच्छी खासी जॉब कर रहे थे लेकिन उन्हें कंपनी के अंदर चलने वाली पॉलिटिक्स से बेहद नफ़रत थी. इसलिए जॉर्ज ने जॉब छोड़कर बिज़नेस शुरू करने का मन बनाया. उन्होंने एक सोलर एनर्जी कंपनी की शुरूआत की जिसके बारे में उन्हें कोई भी जानकारी नहीं थी. लेकिन जॉर्ज ने हिम्मत दिखाई और वो डटकर खड़े रहे, अपने काम को बीच में बंद नहीं किया. धीरे-धीरे उनकी कंपनी ने उनके स्टेट और उसके बाद पूरे देश में बहुत अच्छा परफॉर्म करना शुरू कर दिया. जॉर्ज ने कभी सोचा भी नहीं था कि इतना लंबा सफर तय करने के बाद वो दोबारा उसी जगह पहुँच जाएँगे जहां से उन्होंने शुरुआत की थी. ज़माना बदल रहा था और सोलर एनर्जी इंडस्ट्री की हालत बद से बदतर होती जा रही थी और एक दिन जॉर्ज की कंपनी भी ढेर हो गई. जॉर्ज अपने अब तक के सफ़र के बारे में सोचने लगे. कैसे वो इधर उधर घूमा करते थे, उसके बाद उनमें कुछ कर कर दिखाने का जुनून पैदा हुआ, फिर वो एक कंपनी के मैनेजर बने उसके बाद एक सक्सेसफुल सोलर एनर्जी कंपनी के मालिक बने लेकिन आज वो वापस घूमकर उसी मोड़ पर आ गए थे. बीते दिनों की झलक ने उन्हें एहसास दिलाया कि यू बीच पर आवारा की तरह घूमना या एक मिलियनेयर बनना उन छोटी छोटी चीज़ों पर डिपेंड करता है जो हम हर दिन करते हैं.

फर्क कहानी
जॉर्ज कम मार्क्स के कारण कॉलेज छोड़ा, इधर-उधर घूमते रहे, छोटे-मोटे काम किए, गोल्फ क्लब में काम करते समय अमीर लोगों को देख कर प्रेरित हुए, दोबारा कॉलेज गए, अच्छे मार्क्स पाए, टेक कंपनी में मैनेजर बने, सोलर एनर्जी कंपनी शुरू की, सक्सेसफुल बने, अंत में कंपनी बंद हो गई.
दूसरा दोस्त कॉलेज में अच्छा परफॉर्म किया, बड़ी टेक फर्म में जॉब मिली, बहुत पैसे कमाए, सक्सेसफुल बने.

The First Ingredient

जॉर्ज का बिज़नेस बंद होने के बाद उन्होंने एक डायरेक्ट मार्केटिंग करने वाले फर्म को ज्वाइन किया और बाद में जाकर The People's Network या TPN नाम की एक डेवलपमेंट ट्रेनिंग कंपनी शुरू की. TPN ने ऐसे कई टीवी प्रोग्राम को produce किया था जो अलग अलग टॉपिक पर पब्लिक को इनफार्मेशन देते थे, उनका मकसद था लोगों तक काम की इनफार्मेशन पहुंचाकर उनकी जिंदगी को बेहतर करने में मदद करना, लोगों ने भी बड़ी उम्मीद और विश्वास के साथ उनकी सलाह को फॉलो किया था लेकिन उन्हें उसका कोई फ़ायदा नहीं हुआ, लेकिन ये कैसे हुआ, इसका क्या कारण था? इसका कारण था कि जब लोगों ने उनकी एडवाइस को फॉलो किया और जब उन्हें तुरंत रिजल्ट दिखाई नहीं दिया तो उन्होंने उसे बीच में ही करना छोड़ दिया, यही तो सबसे दिक्कत है. हम चाहते हैं कि हमें तुरंत रिजल्ट मिले. लेकिन कुछ पाने की सिर्फ इच्छा रखने से वो आपको नहीं मिल जाएगा, उसके लिए आपको पहले सही नजरिए की जरुरत होगी.

अपनी जिंदगी को बेहतर बनाने वाला पहला फैक्ट्री है जिंदगी के बारे में आपकी फिलोसोफी यानी आप जिंदगी के बारे में क्या सोचते हैं, उसे किस नजरिए से देखते हैं. अगर आप जिस तरह चीजों को देखते हैं वो आपके लिए काम नहीं कर रहा है तो आपको अपना नज़रिया बदलने की ज़रुरत है.

Mastering the Slight Edge

किसी भी चीज़ में मास्टरी हासिल करना हमारा गोल नहीं होना चाहिए क्योंकि जेफ़ के लिए मास्टरी का मतलब सिर्फ अंत तक पहुंचना नहीं होता. मास्टरी का मतलब है जब आप कोई रास्ता चुनते हैं तो उस पर टिके रहने का जज्बा अपनाना. मास्टरी हासिल करना एक दिन का काम नहीं है. इसे आपको हर रोज़ करना है. ये छोटी चीजें आपकी आदतों और स्किल्स को दिन ब दिन बेहतर बनाती जाती हैं और इस तरह आप लाइफ में जो भी पाना चाहते हैं अचीव करने के करीब पहुँच जाते हैं और इसकी शुरुआत एक छोटे से स्टेप से होती है.

अरा चाहिए कि जब हमे छोट थे तो क्या हमने तुरत चलना शुरू कर दिया था. नहीं, बिलकुल नहीं. पहले हम घुटनों के बल चले, अपने आस पास के लोगों को चलते हुए देखा और हमने बार-बार कोशिश करने के बाद चलना सीखा. पहले हमने किसी चीज़ का सहारा लेकर खड़े होने की कोशिश की. हमने कोशिश करना बंद नहीं किया. हम ना जाने कितनी बार गिरे, ना जाने कितनी बार चोट भी आई हालांकि तब भी हम लड़खड़ा रहे हमें चलना सीखने की कोशिश करने से रोक नहीं पाया.

जेफ़ कहते हैं कि जिस पल आप अपना मन बना लेते हैं कि आपको वो पहला कदम बढ़ाना है तो आप आधी जंग तो वैसे ही जीत जाते हैं. भले ही हमें ये याद ना हो कि हमने कब चलने की कोशिश की थी लेकिन यकीकन वो हमारे लिए बेहद मुश्किल रहा होगा क्योंकि हम या तो घुटनों के बल चलते थे या किसी बड़े की गोद में रहते थे लेकिन फ़िर भी हमारे मन में कभी नहीं आया कि हमें चलने की कोशिश करना छोड़ देना चाहिए. तब हमने कभी नहीं कहा था कि "मैंने चलने की बहुत बार कोशिश की लेकिन मैं बार-बार गिर जाती हूँ तो अब ट्राय करने से क्या फ़ायदा, वैसे भी बड़े लोग तो हैं ही मुझे गोद में उठाने के लिए".

Cultivate Slight Edge Habits

अगर सोच समझकर बनाई जाए, तो हैबिट आपकी सबसे दोस्त हो सकती है. जब आप किसी चीज़ को दोहराते जाते हैं तो एक पॉइंट पर आकर आप उसे automatically करने लगते हैं जो एक हैबिट में बदल जाती है. यहाँ 7 आदतें बताई गई हैं जो आपको सक्सेसफुल बनने में और बने रहने मदद करेंगी.

Habit 1#: show up यानी अटेंड

जब जेफ़ की बेटी एम्बर ने कॉलेज जाना शुरू किया तो वो बहुत घबराई हुई थी. नए स्टूडेंट्स को वेलकम करने के लिए एक इवेंट रखा गया था जिसमें 67,000 नए स्टूडेंट्स ज्वाइन करने वाले थे. कॉलेज के डीन ने बताया कि उन सब का GPA लगभग 4.0 के आस इतना ही नहीं उनका SAT स्कोर पूरे अमेरिका में टॉप 10% में था. एम्बर ने अपने डैड को बताया कि वो कितनी डरी हुई थी और वो अपने साथ पढ़ने वालों से एक कदम आगे जाना चाहती थी. जेफ़ ने कहा कि उस कॉलेज को ज्वाइन करना और उस इवेंट को अटेंड करने की हिम्मत दिखाकर उसने बेस्ट से भी ज़्यादा अच्छा परफॉर्म करने का आधा सफ़र पूरा कर लिया था.

Habit 2#: Be consistent यानी अटलता के साथ खड़े रहना

जैफ़ ने एम्बर से कहा कि इवेंट अटेंड करने का मतलब था कि 80% सक्सेस अचीव हो चुकी थी और इसे 100% बनाने के लिए उसे रेगुलर कॉलेज जाना होगा. उसे सिर्फ़ अपनी क्लास ही अटेंड नहीं करनी है बल्कि उसे हर रोज़ पढ़ने के लिए दो घंटे भी निकालने होंगे, तीन हफ़्तों बाद, एम्बर ने जैफ़ को बताया कि 400 में से सिर्फ 80 स्टूडेंट्स ही क्लास अटेंड कर रहे थे. लेकिन जेफ़ ने कहा कि दूसरों को मत देखो, जो तुमने फैसला लिया है उस पर अमल करो, इसलिए एम्बर हर रोज़ कॉलेज जाती रही और जो लड़की कॉलेज के पहले दिन इतनी घबराई हुई थी उसने अपनी क्लास में टॉप कर सबको हैरान कर दिया था. इसका कारण था वो दो छोटी आदतें जो उसने अपने डैड के कहने पर अपनाई थी यानी रोज़ कॉलेज अटेंड करना और दो घंटे पढ़ाई करना.

Habit 3#: हमेशा अपना नज़रिया पॉजिटिव बनाए रखें

कई स्टडी ने इस बात को साबित किया है कि पॉजिटिव सोच रखना आपको आपके गोल्स तक पहुंचाने में मदद करता है. जब आप किसी प्रॉब्लम का सामना कर रहे हों तो उसे प्रॉब्लम समझने की बजाय उसे कुछ नया सीखने के मौके के रूप में देखें. पोजिटिव attitude रखने का ये मतलब नहीं है कि आप हमेशा खुश रहेंगे, आप ऐसे पल भी एक्सपीरियंस करेंगे जो आपको बहुत तकलीफ़ देंगे लेकिन पॉजिटिव नज़रिया आपके अंदर एक उम्मीद जगाता है और उसे पार करने की आपको हिम्मत देता है और उस चैलेंज आप कुछ ना कुछ सीखकर बाहर आते हैं.

Habit 4: अपने रास्ते पर डटकर खड़े रहने के लिए खुद से वादा करें

क्या आपको याद है हमने फिलोसोफी की बात की थी, ये हैबिट उससे कुछ मिलती जुलती है. चाहे कोई आपको कितना भी भाषण दे दे या मोटीवेट कर दे, आप तब तक काम को ठीक से नहीं करते जब तक आपके अंदर से आवाज़ नहीं आती, किसानों को फसल काटने के लिए एक पूरे सीजन का इंतज़ार करना पड़ता है. उनकी तरह, आप भी जो पाना चाहते हैं उसे पाने के लिए लंबे समय तक अपने काम में डटकर लगना होगा.

Habit 5#: पूरे विश्वास के साथ अपने अंदर गहरी इच्छा पैदा करें

किसी चीज़ को पाने की इच्छा करना ही काफ़ी नहीं है, आपको उस इच्छा को सही डायरेक्शन में आगे बढ़ाना होगा. जब आप किसी मंज़िल पर पहुंचना चाहते हैं तो आपके मन में पक्का विश्वास होना चाहिए कि आप वहाँ ज़रूर पहुंचेंगे.

Habit 6#: इस दुनिया में कोई चीज़ मुफ्त में नहीं मिलती

हमें हर चीज़ की कीमत चुकानी पड़ती है. ठीक उसी तरह, अपने सपनों तक पहुँचने के लिए कभी कभी कुछ सैक्रिफाइस भी करना पड़ता है. इसका मतलब ये नहीं है कि आपको अपनी लाइफ में कुछ बड़ा या melodramatic करना पड़ेगा. बुक छोटे छोटे सिंपल एक्शन के बारे में है तो बस आपको वहीं करना है, आप जो चाहते हैं उसे पाने के लिए हो सकता है आपको छोटे-छोटे बदलाव करने पड़े जैसे अपने खेलने के टाइम से थोड़ा एक्स्ट्रा टाइम पढ़ाई को देना पड़े, या वेट कम करने के लिए अपने favourite पेस्ट्री को छोड़ना पड़े वगैरह.

Habit 7#: आप जो भी करें पूरी इमानदारी से करें

इस बुक की खासियल ये है कि इसमें बड़े सिंपल और छोटे एक्शन लेने के बारे में बताया गया है, लेकिन जो चीज़ इसे थोड़ी मुश्किल बनाती है वो ये है कि ये स्टेप्स इतने छोटे हैं कि अक्सर आप इसे अनदेखा भी कर देते हैं. इसलिए बिना चूके आपको पूरी इमानदारी से इन छोटे स्टेप्स को रोज़ फॉलो करना है. एग्ज़ाम्पल के लिए, हर रोज़ पढ़ने के लिए दो घंटे निकालना या अपनी बुक के 10 पेज रोज़ पढ़ना.

कन्क्लूजन

अपने गोल को अचीव कर सक्सेसफुल बनने के लिए आपको बड़े बड़े काम करने की कोई ज़रुरत नहीं है. अक्सर हम इसी सोच में फंसे रह जाते हैं कि बड़ी सक्सेस के लिए हमें बड़े डिसिशन, बड़े रिस्क लेने होंगे लेकिन ये सोच ही गलत है. हमारे छोटे डिसिशन ही हमारी लाइफ को बदलते हैं चाहे वो आपको दिखे या ना दिखे और यही बदलाव समय के साथ हमारी सक्सेस का कारण बनता है.

इस बुक में आपने हर रोज़ छोटे छोटे सिंपल चीज़ों को करने से जो बदलाव होता है उसकी पॉवर को देखा. ये छोटे स्टेप्स अगर समय रहते अपना लिए आपको बड़ी सक्सेस की ओर ले जाते हैं, चाहे आपको कितनी भी नॉलेज हो लेकिन अगर आप अपने सोचने के तरीके को नहीं बदलते हैं तो आप उस नॉलेज का सही इस्तेमाल नहीं कर पाएँगे. इन सिंपल चीज़ों की खासियत है कि इन्हें करना बड़ा आसान है लेकिन ये मुश्किल इसलिए हैं क्योंकि अक्सर हम इसकी अहमियत समझे बिना इसे नज़रंदाज़ कर देते हैं.

इसलिए छोटी छोटी चीज़ों पर भी ध्यान देना सीखें. अगर आप सच में कुछ अचीव करना चाहते हैं तो आपको विश्वास रखना होगा कि छोटे स्टेप्स भी बहुत मायने रखते हैं क्योंकि वो आपको disciplined बनाते हैं जो आपको सक्सेस की ओर ले जाता है. ये छोटी छोटी चीज़ें ही हमें वो एडवांटेज या slight edge देती हैं जो हमें दूसरों से अलग और उनसे एक कदम आगे ले जाती है. हमारे सिंपल से प्रोडक्टिव डिसिशन भी हमें बड़ा फ़ायदा देते हैं. वो कहते हैं ना कि बूंद बूंद से घट भरे तो वैसे ही छोटी छोटी चीजें समय के साथ आपमें बदलाव लाकर बड़ा कमाल करती हैं.

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