स्टार्ट विथ व्हाई का मतलब है किसी मकसद के साथ शुरू करना
लोग कोई प्रोडक्ट अच्छे फीचर्स या उसे बनाने के मुश्किल मेथड को देख क नहीं खरीदते हैं। सवाल ये है कि आपकी कंपनी कस्टमर के लिए क्या कर सकती है और आपका प्रोडक्ट उनके लिए क्या मायने रखता है। अगर आप अपना बिज़नेस पॉपुलर और बढ़ाना चाहते हैं, तो ये बुक ज़रूर पढ़ें।
यह बुक किसे पढनी चाहिये
- नए बिज़नेस ओनर्स
- प्रोडक्ट बनाने वाले
- मार्केटिंग स्टाफ
- बिजनेसमैन बनने की इच्छा रखने वाले
आर्थर के बारे में
साइमन सिनेक एक फेमस मोटिवेशनल स्पीकर और ऑथर हैं। उन्हें TEDx और UN लीडर्स समिट में बोलने के लिए इन्वाइट किया गया था। उन्होंने बिज़नेस और आर्गेनाइजेशन के बारे में 5 बुक्स लिखी हैं।
परिचय
क्यों से शुरुवात की मतलब है कि किसी भी काम को लेकर हम एक पर्पज के साथ आगे बढे, आपने कंपनी क्यों शुरू की थी? लीडर क्यों बनना चाहते है आप? क्या जिंदगी में आपका कोई पर्पज है, अगर है तो क्या? ये सब सवाल फ़िजूल नहीं है, आपको ये बहुत काम के लगेंगे जब आपको पता चलेगा कि कई मल्टी-मिलियन कंपनीया इसीलिए सक्सेसफुल हो पाई क्योंकि वे एक खास पर्पज के लिए बनाई गयी थी। उन्होंने अपनी शुरुवात व्हाई के साथ की।
इस किताब का सब-टाइटल
कैसे ग्रेट लीडर्स ने लोगों को एक्शन लेने के लिए इंस्पायर किया। ग्रेट लीडर्स से हमारा मतलब सिर्फ उनसे नहीं है जो पोलिटिक्स में है बल्कि उन सबसे है जो किसी भी इंडस्ट्री की बड़ी बड़ी कंपनीयों में बड़ी पोस्ट पर होते है। एप्पल एक लीडिंग कंप्यूटर ब्रांड है लेकिन बाद में ये मोबाइल और छोटे इलेक्ट्रोनिक्स इंडस्ट्री में भी उतर गया। क्यों ? इसके बारे में हम बाद में जानेगे। लोगों को एक्शन के लिए इंस्पायर करना यही ग्रेट लीडरो का काम होता है, एक अच्छा लीडर ना सिर्फ लोगो का वोट हासिल करता है बल्कि उन्हें इंस्पायर भी करता है। ठीक वैसे ही लीडिंग कंपनीज़ भी लोगों को अपना कस्टमर बनाती है और साथ ही उन्हें इंस्पायर भी करती है।
ग्रेट लीडर्स के कई लोयल फोलोवेर्स
ग्रेट लीडर्स के कई लोयल फोलोवेर्स होते जो उनके लिए किसी भी तरह का सेक्रीफाइस करने के लिए हमेशा तैयार रहती है फिर चाहे कोई भी रास्ता क्यों न अपनाना पड़े। फॉलोवर्स अपने लीडर की इसलिए सुनते है क्योंकि वो उन्हें इंस्पायर करता है। हर सक्सेसफुल कंपनी के अपने लॉयल कस्टमर होते है। कम्पटीटर भले ही उससे बेहतर और नया प्रोडक्ट निकाल ले मगर कस्टमर इतनी जल्दी उसे नहीं खरीदते। वे अपनी पसंदीदा कंपनी और ब्रांड के लिए लॉयल रहते है। तो ऐसा कैसे हुआ? कैसे उस कंपनी ने इतने लॉयल कस्टमर बनाये। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि उस कंपनी ने व्हाई के पर्पज वे साथ शुरुवात की थी।
मेनीपुलेशन बनाम इंस्पायरेशन
मोटोरोला ने अपना फ्लिप टॉप फ़ोन मॉडल रेजर 2004 में निकाला था। कई हौलीवुड सेलेब्रीटीज़ और प्राइम मिनिस्टर ने भी ये नया फ़ोन खरीदा। मोटोरोला के लिए ये बहुत बड़ी सक्सेस धी। कुल मिलकर उन्होंने रेज़र के 50 मिलियन यूनिट्स बेचे। हालांकि 4 साल में ही कोम्प्टीटर्स ने रेज़र की नकल वाले कई नये फ़ोन मार्किट में उतार दिए थे और भी बढिया फीचर के साथ तो मोटोरोला की चमक फीकी पड़ गयी। ये इसलिए हुआ क्योंकि कंपनी ने इंस्पिरेशन के बदले मैनीपुलेशन इस्तेमाल किया तभी इसने अपने सारे कस्टमर खो दिए। इसमें कोई लोयालिटी वाली बात नहीं थी। मोटोरोला नया प्रोडक्ट निकाला, लोगो को पसंद आया तो लोगों ने खरीदा मगर किसी और ने जब बेहतर प्रोडक्ट बनाया तो कस्टमर उसकी तरफ खिंच गए। अब अगर मोटोरोला ने लॉयल कस्टमर बनाये होते तो वे सिर्फ मोटोरोला के ही प्रोडक्ट खरीदते।
कुछ अलग सोचे
"आओ कुछ अलग सोचे" 1984 में जब एप्पल कंपनी बनी तब से लेकर आज तक उसका यही मोटो रहा है। एप्पल ने अपने सभी प्रोडक्ट और एडवरटाईजिंग में ये बात प्रूव भी की है। जो कुछ भी कंपनी कहती और करती है उसके पीछे कुछ हटकर करना यही रीजन है, और यही एप्पल का स्ट्रोंग पर्पज है जिसे लेकर कंपनी चलती है। आईटयुन्श ने म्यूजिक इंडस्ट्री को बदल कर रख दिया। 2000 के शुरूवाती दिनों में लोग गानों के लिए सीडी बर्न करते थे। रेकोर्डिंग कंपनियों के लिए पाईरसी एक बड़ी मुसीबत बन गई थी। तब स्टीव जॉब्स ने आईट्यून्श निकाल कर लोगों के सामने एक आल्टरनेट रखा। आईटुययूंश और आई पैड ने म्यूजिक इंडस्ट्री को डूबने से बचा लिया।
कंपनी | प्रोडक्ट | लॉन्च का वर्ष |
---|---|---|
मोटोरोला | रेज़र | 2004 |
एप्पल | आईट्यून्स | 2000 |
गोल्डन सर्कल
एचपी और डेल जैसे कपनिया "व्हट" से शुरुवात करती है। दोनों बढ़िया फीचर वाले प्रोडक्ट लांच करती है फिर भी उनके इतने लॉयल कस्टमर नहीं है जितने कि एप्पल के है। ऐसा नहीं है कि मार्केट में अच्छे कप्यूटर नहीं है। एक से एक बढिया कंप्यूटर बढिया स्पेक्स के साथ मार्किट में अवलेबल है फिर भी मैक लवर्स सिर्फ एप्पल को सबसे पहले चुनेगे, जब आप लोगो को बताते हो कि आपका प्रोडक्ट "क्या" है तो लोग उसके बढ़िया फीचर्स को एप्रिशिएट भी करते है मगर जब आप उन्हें अपनी कंपनी का पर्पज भी समझाते हैं तब जाकर वे आपके लॉयल कस्टमर बनते है। क्योंकि हम इंसानों पर पर्पज, बीलीफ और फीलिंग्स का एक स्ट्रोंग इफेक्ट पड़ता है, क्योंकि हमारा दिमाग बना ही कुछ इस तरह है।
कॉफी से कुछ बढ़कर
सैन्स ऑफ़ बीलॉगिंगनेस हम इंसानों में पैदायशी होता है। हम हमेशा सेफ और कनेक्टड फील करना चाहते है। ये एक ह्युमन नीड है कि हम अपने आस-पास से जुड़े रहना चाहते है, जब हम वेकेशन के लिए अपनी कटी से बाहर जाते है तो वहां अपनी कटी के लोगो को देखकर हमें अच्छा लगता है। हमें ये फील होता है कि हम अपने ही लोगों के बीच है, इसी तरह हम उन्ही कंपनीज़ के साथ बेलोगिंग फील करते है जिनके बीलीफ हमारे जैसे हो। हम उनके प्रोडक्ट इसलिए खरीदते है क्योंकि हमारा "व्हाई सेम होता है। इससे हमें पता चलता है कि जिस बात पर हम यकीन करते है कंपनी भी करती है। वे प्रोडक्ट्स और ब्रांड्स हमें बेलोंगिंग की फील कराते।
हार्ले-डेविडसन
क्या आपने किसी आदमी को हार्ले डेविडसन के टैटू के साथ देखा है ? क्यों कोई किसी कंपनी के लोगो का टेटू अपनी बॉडी में बनवायेगा? क्या लोग अपनी बॉडी में किसी और कंपनी का भी टेटू बनवाते है? लोग हाले-डेविडसन का टेटू अपनी बॉडी में इसीलिए बनवाते है क्योंकि हार्ले डेविडसन को अपना पर्पज लोगों को समझाना बड़े अच्छे से आता है। हार्ले डेविडसन का ये लोगो एक बीलीफ का सिम्बल बन गया है और अमेरिका में तो ये टेटू काफी कॉमन है, जो लोग हार्ले चलाते हैं उनके लिए हार्ले सिर्फ एक ब्रांड नहीं बल्कि लाइफस्टाइल है। और हार्ले ने ये मुकाम अपने कई सालो की मेहनत, कंसीसटेंसी, डिसप्लीन और क्लेयिरिटी से पाया है।
डिज्नी
हमें गोल्डन सर्कल के बारे में पता है। सीइओ कंपनी का लीडर होता है जिसका काम है कंपनी के लिए एक पर्पज सोचना, सीईओ के नीचे एक्जीक्यूटिव काम करते है जिन्हें सीईओ के पर्पज में बीलीय होता है। उन्हें पता है कि इस पर्पज को कैसे रिएलिटी में बदला जाए। लीडर्स व्हाई टाइप के लोग है जो विजिनरीज़ होते है। ये ओष्टीमिस्टिक होते है और इस बात पर बीलीव करते है कि जो वो सपने देखते है इमेजीनेशन करते है उन बातो को रियेलिटी में बदला जा सकता है। "हाउ" टाइप के लोग रियलिस्टिक होते है यानी प्रेक्टिकल। वे दुनिया को रियेल तरीके से देखते हैं। ये लोग सपने नहीं देखते बल्कि जो सामने दिख रहा है उसी पर यकीन करते है। ये "हाउ" टाइप के लोग ही स्ट्रक्चर बनाते है। चीज़े कैसे हासिल की जाए, ये बात उन्हें अच्छी तरह पता होती है। वे काम निकलवाने में माहिर होते है इसीलिए "व्हाई टाइप के लोग बिना "हाउ" टाइप के कुछ नहीं कर सकते।
बिल गेट्स
बिल गेट्स जैसे ग्रेट लीडर्स में एक करिश्मा होता है क्योंकि उनके पास एक स्ट्रॉग पर्पज है। अपने बीलीफ को वे एक नाम, एक पहचान देते है। और उसे दुनिया तक पहुंचाते हैं। ग्रेट लीडर्स एक बिजन लेकर चलते है जो पर्सनल से कहीं बढ़कर होता है। उनके पास दुनिया के लिए कुछ प्लान, कुछ कॉज होते है। उनकी अपनी जिंदगी उनके लिए ज्यादा मायने नहीं रखती है, बिल गेट्स मानते थे कि किसी भी प्रॉब्लम को सोल्व करने के दो तरीके है, वे ओष्टीमिस्टिक थे, वे मानते थे कि अगर ओब्सटेकल हटा दिए जाये तो कोई भी इंसान अपनी फुल पोटेंशियल का इस्तेमाल कर सकता है। वे उन्हें इस बात पर भी पूरा यकीन था कि अगर लोगो को यूज़फुल टूल्स दिए जाए तो वे सक्सेसफुल बन सकते है इसमें कोई शक नहीं। "हर घर में, हर डेस्क में एक कंप्यूटर हो" यहीं बिल मेट्स का विजन है और उन्होंने अपना ये विजन माइक्रोसॉफ्ट बनाकर पूरा किया।
वोल्क्सवेगन
क्या आपको वोल्क्सवेगन का मतलब पता है? जर्मन में इसका मतलब होता है लोगो की कार, 70 के टाइम में वोल्क्सवेगन हिप्पी कल्चर का सिम्बल बन गयी थी। कंपनी ने हमेशा ऐसी गाड़िया बनाई है जिसे एवरेज लोग अफोर्ड कर सके। हालांकि 2004 में कंपनी ने एक नयी लक्ज़री कार फेटोंन मार्किट में उतारी जिसकी कीमत थी $70,000। ये कार बहुत बढ़िया फीचर्स के साथ अवलेबल थी। इसके कोम्टीटर बीएम्डबल्यू 7 सीरीज और एस क्लास मर्सीडीज़ बेंज भी। मगर फेटोन सक्सेसफुल नहीं हुई। कार की बस गिनी चुनी यूनिट ही बिकी क्योंकि लोगों का कार ज्यादा पसंद नहीं आई। वजह ये थी कि ये लक्ज़री लोगों की समझ से परे थी क्योंकि वोल्वसवेगन ने हमेशा आम आदमी के लिए अफोर्डेबल गाडिया ही बनाई थी। मगर होंडा और टोयोटा के पास बेटर आईडिया था। दोनों कंपनी ने नए ब्रांड की कारे निकाली जो उनके लक्जरी प्रोडक्टस के