लेखक के बारे में
डाटर एलेकेंडर एल्डर (Dr Alexander Elder) एक रशियन अमेरिकन ट्रेडर और एक टीचर है जो लोगों को ट्रेड करना सिखाते हैं। वे अपनी किताब दन्यूटड फार म लिचिंग के लिए जाने जाते हैं जिसे ट्रेडर्स बहुत पसंद करते हैं।
यह किताब आपको क्यों पढ़नी चाहिए
आज बहुत से नए लोग ट्रेडिंग का नाम सुनकर उन्हें करने के बारे में सोच रहे हैं। उन्हें अभी ट्रेडिंग के बारे में कुछ ज्यादा जानकारी नहीं है जिसकी वजह से वे अक्सर कुछ गलतियां कर बैठते हैं और उनका नुकसान हो जाता है। सिर्फ नए लोग ही नहीं, पुराने लोग, जो इस काम को काफी समय से कर रहे हैं, वे भी कुछ छोटी छोटी गलतियां कर देते हैं
यह किताब हमें बताती है कि वो गलतियां कोन सी हैं, किस तरह से आप उसे सुधार सकते हैं और किस तरह से आप मार्केट में बेहतर तरीके से ट्रेड कर सकते हैं। यह किताब हमें बताती है कि किस तरह से आप अपने रिस्क को कम कर सकते हैं और अपनी परफर्मिस को जाँच कर खुद को पहले से बेहतर बना सकते हैं।
इसे पढ़कर आप सीखेंगे
किस तरह की गलतियों को करने से आपको बचना चाहिए।
बार चार्ट को किस तरह से समझते हैं।
आप मार्केट में अपने रिस्क को किस तरह से कम कर सकते हैं।
ट्रेडिंग करने से पहले आपको कुछ गलतियों के बारे में जानकर उन्हें करने से बचना चाहिए।
बहुत से लोग आज ट्रेडिंग करना चाहते हैं और एक कामयाब इंवेस्टर बनना चाहते हैं। लेकिन क्योंकि वे मार्केट में वजह से उन्हें ज्यादा नुकसान सहना पड़ता है। इसलिए आपको कुछ बातें पहले ही जान लेनी चाहिए। हैं, वे अक्सर कुछ गलतियां करने लगते हैं जिसकी
सबसे पहले कमिशन से सावधान रहिए। जब भी आप एक ब्रोकर एजेंट को या फिर एक बैंक को कमिशन देते हैं तो आप अपना कुछ पैसा खो देते हैं। ये कमिशन देखने में बहुत कम लगते हैं लेकिन समय के साथ ये बहुत ज्यादा पैसे बन जाते हैं। एक्जाम्पल के लिए अगर आप एक दिन में दो बार ट्रेड कर रहे हैं और एक ट्रेड पर 10 रुपए दे रहे हैं, तो एक हफ्ते में 6 दिन ट्रेडिंग करने पर आप 120 रुपए खर्च कर देंगे। एक साल में 52 हफ्ते होते हैं और इस हिसाब से आप एक साल में लगभग 6,000 रुपए खर्च कर
इस खर्च को कम करने के लिए अलग अलग बैंक और ब्रोकर के बारे में पता कीजिए और उनमें से जिसका कमिशन सबसे कम हो, उसे चुनिए।
इसके बाद बहुत से लोग स्लिपेज की गलती करते हैं। इसका मतलब होता है अपने आईर के लिए ज्यादा पैसे देना। आईर दो तरह के हो सकते हैं। एक आईर का नाम है लिमिट आर्डर, जिसमें आप खुद दाम तय करते हैं कि आप किसी स्टाक को कितने दाम में खरीदेंगे। लेकिन अगर सामने वाला इसके लिए तैयार नहीं है, तो यो स्टाक आपको उस दाम पर नहीं मिलने वाला। इसके बाद दूसरा मार्डर होता है मार्केट भाईर, जिसमें माप मार्केट में चल रहे आईर के हिसाब से पैसे देते हैं। अगर स्टाक की कीमत पहले के मुकाबले बढ़ गई है, तो आपको उसके ज्यादा पैसे देने होंगे।
आपको यहाँ पर लिमिट आईर को चुनना है, क्योंकि इसका इस्तेमाल कर के आप किसी स्टाक के लिए ज्यादा पैसे नहीं देंगे। आप खुद अपने हिसाब से दाम तय करेंगे और उस हिसाब से उस स्टाक को खरीदेंगे।
ट्रेडिंग करने का मतलब जूआ खेलना नहीं है।
बहुत से लोगों को लगता है कि ट्रेडिंग उतना ही रिस्की है जितना की जूआ खेलना, जो कि आधा सच है। अगर आपको ट्रेडिंग करना अच्छे से नहीं आता, तो ट्रेडिंग करना एक जुआ ही है जिसमें आप अपने पैसे को काबू नहीं कर सकते। अगर आपको लगता है कि ट्रेडिंग कर के आप बहुत जल्दी बहुत पैसा कमा लेंगे और आप इसे समझाने में ज्यादा समय नहीं लगाते, तो ये आपके लिए एक जुआ ही है।
लेकिन आपको पता कैसे लगेगा कि आप मार्केट में ट्रेडिंग कर रहे हैं या फिर जुआ खेल रहे हैं? यह पता करना आसान है। अगर आप खुद को किसी खास स्टाक में इंवेस्ट
करने से रोक नहीं पा रहे हैं, तो आप यहाँ पर जूभा खेल रहे हैं। दूसरा यह कि बहुत से ट्रेडर किसी स्टाक के साथ अपनी भावनाओं को जोड़ देते हैं। वे उसके अच्छे प्फार्म करने
पर खुश हो जाते हैं और उसके खराब पर्मि करने पर दुखी हो जाते हैं।
अगर आप खुद को ट्रेडिंग करने से रोक नहीं पा रहे हैं, तो इस लत से छुटकारा पाने के लिए कुछ समय का ब्रेक ले लीजिए। इससे आप अपनी लत पर काबू पा सकेंगे। और अगर आप किसी स्टाक के साथ अपनी भावनाओं को जोड़ कर बेठे हैं, तो यह समय लीजिए कि एक स्टाक पेसे कमाने का एक जरिया होता है और अगर वो आपको पैसे कमा कर नहीं दे रहा है तो उसके साथ चिपके रहने का कोई फायदा नहीं है।
इसके बाद बहुत से ट्रेडर खुद अपने पैर पर कुल्हाड़ी मार लेते हैं। वे लापरवाही से फैसले लेते हैं और बाद में उसके नतीजे तले दब जाते हैं। लेखक के एक दोस्त ने यही गलती की।
जब वो बहुत कामयाब था, तो वो घूमने के लिए एशिया चला गया और उसने अपनी बड़ी सी पोजिशन के लिए कोई सिक्योरिटी नहीं छोड़ी। जब वो वहाँ से लौट कर वापस
आया तो उसका सारा पैसा ख्वत्म हो चुका था और यो कंगाल हो गया था।
तो ट्रेडिंग करते वक्त इस तरह से लापरवाही से फैसले लेना आपके लिए मुश्किल पैदा कर सकता है। इससे बचने के लिए आापको मापके पैसे की और उसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी लेनी होगी।
ट्रेडिंग करते वक्त कभी भी एस काम को मत कीजिए जिसे सब लोग कर रहे हैं।
इसान एक सामाजिक प्राणी है और जब वो लोगों के साथ रहता है तो सुरक्षित महसूस करता है। यह उसके लिए तब जरूरी था जब वो जंगलों में रहा करता था। लेकिन स्टाक मार्केट में यह आपके लिए जरूरी नहीं है कि आप सभी ट्रेंड को फालो करें और जिसमें सब लोग पैसा लगा रहे हैं उसी में पैसा लगाएँ। आपको इसका ठीक उल्टा करना होगा।
यह सुनने में आसान लगता होगा कि आपको सबकी तरह काम नहीं करना है, लेकिन हमारा दिमाग हमें ऐसा ना करने पर मजबूर कर देता है, एक्ज़ाम्पल के लिए 1634 में
आए ट्युलिप मानिया को ले लीजिए। इस समय ट्यूलिप के फुल का बिजनेस बहुत तेजी से चल रहा था और हर कोई इसमें कूद रहा था। लोग अपना पुराना बिजनेस और
अपना घर छोड़कर ट्यूलिप के बिजनेस में आ रहे थे। मार्केट कैश कर गया और सभी लोगों के पैसे बरबाद हो गए।
खुद को इस तरह के हालात से बचाने के लिए आपको मार्केट को अच्छे से समझना होगा। मान लीजिए कि मार्केट दो तरह के होते हैं – बुल मार्केट और बीयर मार्केट। बुल और बीयर मार्केट में ट्रेड कर रहे हैं।
अगर कीमत वह रही है तो इसका मतलब इस समय मार्केट पर बुल राज कर रहे हैं और अगर मार्केट नीचे जा रहा है, तो मतलब बीयर मार्केट पर हावी हो रहे हैं। अब अगर आपको यह पता करना है कि माप बुल मार्केट में हैं या फिर बीयर मार्केट में, तो आपको कुछ खास तरह के टूल्स की जरूरत होगी।
मार्केट में बेहतर फैसले लेने के लिए आपको बार चार्ट को बेहतर तरीके से समझना होगा।
बहुत बार होता है कि हम S&P 500 या डोजोस का एक चार्ट देखते हैं, लेकिन हमें कुछ खास समहा में नहीं आता कि उसका मतलब क्या होगा। इसलिए आपको यह समझाता होगा कि किस तरह से चार्ट को बनाया जाता है। इसके पाँच प्रिंसिपल होते हैं- ओपनिंग प्राइज़, क्लोजिंग प्राइज़, बार की ऊंचाई, बार में गिरावट और उनकी ऊंचाई और गिरावट के बीच की दूरी।
ओपनिंग प्राइज़ दिखाता है कि एक नौसिखिए की कीमतों के बारे में क्या राय है, क्योंकि वे अक्सर सुबह के वक्त में काम कर रहे होते हैं। क्लोज़िंग प्राइज़ दिखाता है कि जानकार लोगों ने किस तरह के फैसले लिए हैं। अगर क्लोजिंग प्राइज़ ओपनिंग प्राइज़ से ज्यादा है, तो इसका मतलब जानकार लोग एक बुल मार्केट यानी कि एक फायदेमंद मार्केट की तरफ इशारा कर रहे हैं और अगर क्लोजिंग प्राइज ओपनिंग प्राइज़ से कम है, तो इसका मतलब जानकार लोग एक बीयर मार्केट की तरफ इशारा कर
रहे हैं। इससे आप एक हद तक अंदाजा लगा सकते हैं कि आप बुल मार्केट में हैं या फिर बीयर मार्केट में।
इसके बाद बार की ऊँचाई ये दिखाती है कि अगर मार्केट बुल है, तो उसकी सबसे ज्यादा कीमत, या ताकत क्या होगी। ठीक इसी तरह से बार में गिरावट दिखाती है कि बीयर की ज्यादा से ज्यादा ताकत क्या होगी। अगर आप कुछ खरीदने का फैसला कर रहे हैं, तो आपको इसे दिमाग में रखना होगा।
इसके बाद भेत में, आपको यह देखना होगा कि ऊँचाई और गिरावट की बीच की दूरी क्या है। इस तरह से माप यह पता कर सकते हैं कि बुल और बीयर मार्केट में कितना मत भेद है। यह बताता है कि मार्केट में कितनी हलचल हो रही है।
अगर दूरी बहुत कम है, तो इसका मतलब बुल और बीयर मार्केट में मतभेद भी कम है और इसलिए इसे स्लीपी, यानी सोता हुआ मार्केट कहते हैं। आर दूरी बहुत ज्यादा है
तो मतलब मतभेद भी बहुत ज्यादा है और इस मार्केट को ओचरहीटिंग मार्केट कहते हैं। और अगर दूरी औसत है, तो मतलब गार्कॅट ठंड़ा है। आपको ओवरहीटिंग मार्केट में नहीं घुसना है। इस तरह के मार्केट में स्लिपेज़ की गलती बहुत ज्यादा होती है क्योंकि आपको यह पता नहीं लगता किं स्टाक की असल कीमत क्या है और आप उसके लिए ज्यादा पैसे देने लगते हैं।
अच्छे फायदे कमाने के लिए आपको स्टाक को सपोर्ट लेवेल पर खरीद कर उसे रेसिंस्टेंस लेवेल पर बेचना होगा।
कभी कभी मार्केट में जब किसी स्टाक की कीमत कम हो रही होती है तो अचानक के बहुत से लोग उसे खरीदने लगते हैं जिससे उसकी कीमत बढ़ने लगती है। जब इस तरह से ज्यादा खरीदने पर कोई नीचे जाता हुआ ट्रेंड अचानक से उठने लगता है, तो आप उस स्टाक का सपोर्ट लेचेल देख रहे हैं। यह कुछ ऐसा है कि आप एक बास्केटबॉल को जमीन पर फेकते हैं और वो जमीन से टकरा कर फिर से ऊपर उछल जाता है।
अगर आपको यह सपोर्ट लेवेल पता करना है तो बार चार्ट की दो गिरावटों को एक लाइन से जोड़ दीजिए। यह सपोर्ट लेवेल अक्सर इसलिए बना रहता है क्योंकि स्टाक
मार्केट में काम कर रहे लोगों को याद रहता है कि पिछली बार जब स्टाक की कीमत वहाँ पर पहुची थी, तो वो बढ़ने लगी थी। इसलिए वे उसे बार बार उस लेवेल पर पहुंचने
पर खरीदने लगते हैं जिसकी वजह से उस स्टाफ की कीमत उस लेवेल पर पहुंचने के बाद बढ़ने लगती है।
इसका ठीक उल्टा होता है रेसिस्टेंस लेवेल। इस बार सोचिए कि आप एक बास्केटबॉल को ऊपर फेक रहे है और वो छत से टकरा कर वापस आ जाता है। इस बार जब एक ट्रेंड ऊपर जा रहा होता है तो सब लोग अचानक से उसे बेचने लगते हैं जिससे वो ऊपर जाता हुआ टेंड नीचे गिरने लगता है। बार चार्ट में दो ऊँचाइयों को एक लाइन से जोड़कर आप यह पता कर सकते हैं कि रेसिस्टेस लेवेल क्या है।
तो अब आप यह समझ ही गए होंगे कि आपको एक स्टाक को तब खरीदना है जब वो अपने सपोर्ट लेवेल पर मा जाए और उसे तब बेचना है जब वो रेसिंस्टेंस लेंवेल पर पहुंच जाए। या फिर आप उस वक्त भी इसे खरीद या बेच सकते हैं जब यह सपोर्ट या रेसिस्टैंस लेवेल के आस पास आ जाए।
एक बार में सिर्फ उतने स्टाक को खरीदिए जितने को आप अच्छे से मैनेज कर सकें।
मार्केट में आप बहुत सी चीजों के साथ ट्रेडिंग कर सकते हैं, जैसे कि स्टाक्स, आप्शन या फ्यूचर और हर किसी के अपने फायदे होते हैं। हम हमेशा स्टाक की बात इसलिए
करते हैं क्योंकि ये समझने में सबसे आसान होते हैं। लेकिन ये इतने भी आसान नहीं होते कि आप बहुत सारे स्टाक को एक साथ ट्रेड कर सकें। यह आपके ऊपर है कि आप एक हफ्ते में कितने स्टाक को मैनेज करने के बारे में सोचते है। लेखक सिर्फ एक ही स्टाक को मैनेज करते हैं। आप चाहे किसी भी चीज़ की ट्रेडिंग कर रहे हों, आपको लिक्चिंडिटी और वोलेटिलिटी पर ध्यान देना होगा। लिक्चिंडिटी का मतलब होता है हर दिन आप जिस स्टाक का ट्रेड
कर रहे हैं उसका औसत वाल्यूम क्या है। अगर लिक्चिंडिटी ज्यादा है, तो आप आसानी से ट्रेड कर सकेंगे।
लेखक ने बाहर गलती से उस स्टाक के 6,000 शेयर खरीद लिए जिसके सिर्फ 9,000 स्टाक हर दिन ट्रेड किए जाते थे। उस स्टाक से छुटकारा पाने के लिए उन्हें बहुत से कमिशन और स्लिपेज का सामना करना पड़ा। इस हालात से बवने के लिए सिर्फ उन स्टाक्स की ट्रेडिंग कीजिए जिनके हर दिन में 10,00000 स्टाक से ज्यादा स्टाक ट्रेड किए जाते हों।
बोलेटिलिटी का मतलब स्टाक की कीमत कितनी ज्यादा ऊपर नीचे हो रही है। अगर वोलेटिलिंटी ज्यादा है तो पैसे कमाने और गँवाने, दोनों की संभावना ज्यादा होती है। आप इसे एक बीटा, यानी कि एक बेंचमार्क के जरिए कैल्कुलेट कर सकते हैं, जैसे कि मार्केट इंडेक्स जो कि दिखाता है कि मार्केट के हालात कैसे हैं।
एकाम्पल के लिए अगर बीटा की वैल्यू दो है और उनका बेंचमार्क 5% से बढ़ जाता है, तो वो स्टाक दोगुना बढ़ सकता है और अगर बेंचमार्क घटा, तो वो दोगुना घट भी
सकता है। अगर आप नए है, आपको उस स्टाक को चुनिए जिसके लिए हुन सबकी वेल्यू कम हो क्योंकि इस तरह से आप खुद को ज्यादा नुकसान से बचा सकते हैं।
मार्केट में अपने रिस्क को कम करने के लिए दो आसान तरीकों का इस्तेमाल कीजिए।
अगर मार्केट में आप अपने रिस्क को अच्छे से मैनज नहीं करेंगे तो आपका सारा पैसा तुरंत गायब हो सकता है। इसके लिए आप आसान से दो तरीकों का इस्तेमाल कर सकते
हैं 2% रुल और 6% रुल। 2% दिल कहता है कि आप एक ट्रेड पर अपनी ट्रेडिंग इक्विटी के 2% से ज्यादा रिस्क नहीं लेंगे। मान लीजिए आपके अकाउंट में 50,000 रुपया ट्रेडिंग कैपिटल है। 2% रुल के हिसाब से आप सिर्फ 1000 रुपया रिस्क कर सकते हैं। अब अगर आप एक स्टाक खरीदते हैं जिसकी कीमत 50 रुपया है तो आपको उसका स्टाप आईर 48 पर लगाना होगा। स्टाप आर्डर लगाने का मतलब आपका स्टाक उसी वक्त बिक जाएगा जब उसकी कीमत 48 रुपए से कम हो जाएगा। इस हिसाब से आप उसके 1.000 स्टाक को खरीद
सकते हैं और अपने रिस्क को 2% तक लिमिट कर सकते हैं।
इसके बाद आता है 6% रूल। इस रूल का कहना है कि अगर आपके इस महीने के सारे रिस्क मिलाकर वो 6% से ज्यादा है तो आप और ट्रेड नहीं कर सकते।
इसे केल्कुलेट करने के लिए सबसे पहले अपने इस महीने के सारे रिस्क पता कीजिए और उसे अपने एपन ट्रेड के करेंट रिस्क से जोड़ दीजिए। अगर आपके इस महीने के दूसरे रिस्क और आपके करेंट रिस्क को जोड़ने पर 6% से ज्यादा आता है, तो आपको नए ट्रेड नहीं करना चाहिए।
अपने ट्रेड से संबंधित बर्ताव को अच्छे से समझने के लिए एक जर्नल रखिए।
हम अपनी हर रोज की जिन्दगी में कुछ ऐसे काम कर रहे होते हैं जिनका हमें पता भी नहीं चलता। वो छोटी छोटी बातें जिन्हें हम अन देखा कर देते हैं या फिर उन पर ध्यान मी नहीं देते, वे लम्बे समय में हम लोगों के लिए नुकसान दायक होते हैं। जिस तरह से अपने वजन को काबू करने के लिए आप पता होना चाहिए कि आपका वजन क्या है और उसके हिसाब से आपका वजन कितना हल्का या भारी हो रहा है, उसी तरह से आपको ट्रेडिंग में यह पता होना चाहिए कि आप कितना पैसा पाया खो रहे हैं, जिससे कि आप यह पता कर पाएंगे कि आप लम्बे समय में फायदे में जा रहे हैं या फिर नुकसान में।
एक या दो महीने तक अपने सारे ट्रेड को एक जर्नल में लिखकर आप यह पता कर सकते हैं कि आप कितना अच्छा पफ्फार्म कर रहे हैं। साथ ही इससे आप यह भी देख सकेंगे कि भावनाओं में बहकर ट्रेड करने से आपको कितना नुकसान हो रहा है। आप अपने ट्रेडिंग पैटर्न को पहचान पाएंगे और उसके हिसाब से एक आनलाइन टेम्पेल खो सकेंगे जो कि आपको सूट करता हो।
इसके अलावा अपने साथ एक जर्नल रखकर आप अपने इक्विटी कर्व को जान सकते हैं और यह पता लगा सकते हैं कि आप लम्बे समय में पेसा बना रहे हैं या फिर उसे रावाँ रहे हैं। यह आपको बताता है कि कहीं आप वहम में तो नहीं हैं कि आपको स्टाक मार्केट में नुकसान नहीं हो रहा है, जबकि शायद गिरावट इतनी कम हो रही है कि आपका उस पर ध्यान ही नहीं जा रहा हो। अगर आपका इक्विंटी कर्व नीचे जा रहा है तो आपको यह समझ जाना चाहिए कि आप कहीं पर कुछ गलती कर रहे हैं और आपको सावधानी बरतने की जरूरत है।