दो लफ्जों में
साल 2002 में रिलीज हुई किताब The Art of Trave” को ट्रैवलिंग की जान ऑर्थोडॉक्स गाइड भी कहा जाता है इस किताब के ऑथर “Alan De Botton ने इस किताब में ट्रेवलिंग को लेकर अपना एक अलग ही नज़रिया पेश किया है. ऑथर इस किताब को ट्रेवलिंग की हैंडबुक भी कहते हैं.
ये किताब किसके लिए है?
सफर को पसंद करने वालों के लिए
प्रोफेशनल ट्रेवलर्स के लिए
-फ्रीलान्सजनलिस्ट जिन्नों सफर के साथ काम करने में रुचि हो
ऑथर के बारे में
इस किताब के आयर Alain De Botton है जो कि फिलॉसफर भी हैं इसी के साथ वो कई वेस्ट सेलिंग नॉयेल के ऑथर भी रह चुके हैं, ‘द स्कूल ऑफ़ लाइफ के ये को-फाउंडर भी हैं.
आपकी ट्रिप आपके सपनों वाली ट्रेवलिंग से बिल्कुल अलग क्यों होती है?
अगर आपको ट्रेवलिंग पसंद है? और आप ट्रेवलिंग को लेकर टिप्स जानना चाहते है तो ये किताब आपके लिए ही है. क्या आप भी ऑफिस में 8 घंटे काटते समय अपनी
अगली टिप के बारे में सोचते रहते हैं? क्या आपको भी आइलैंड के सपने आते हैं? अगर ऐसा होता है तो इस किताब वेष्टर्स आपको बतायेंगे कि कैसे छोटी-छोटी चीजों से अपनी टिप को बेहतर बनाया जा सकता है. इस किताब को पढ़ने के बाद आपको पता चलेगा कि कैसे आप अपनी ट्रिप को ज्यादा एन्जॉय कर सकते हैं. इन चैष्टर्स से आपके दिमाग में फिलॉसफिकल पर्सपेक्टिव का
निर्माण भी होगा. इसी के साथ ही साथ आपको ये भी पता चलेगा कि ऐसी कौन सी चीज़ें थीं जिन्हें आप अपनी ट्रेवलिंग के दौरान ग्रांटेड में लिया करते थे.
इसान की जिंदगी ही एक सच के चारों तरफ घूमती रहती है. वो सच है खुशियों की तलाश करना कई लोगों को अपनी खुशियों पैसों में मिलती है तो कई लोगों को खुशियाँ रिश्तों में मिलती है. कई ऐसे भी लोग होते हैं. जिन्हें खुशियों की तलाश ट्रेवलिंग में होती है.
लेकिन ज्यादातर ट्रेवलर्स की लाइफ में देखा जाता है कि उनकी एक्चुअल ट्रिप उनके सपनों की ट्रिप से पूरी तरह से अलग होती हैं. ऑथर ये भी बताना चाहते हैं कि ट्रेवलिंग की निराशा आज से ही नहीं बल्कि 19वीं सदी से चली आ रही है. इसके पीछे रीजन ये है कि लोग घूमने तो चले जाते हैं लेकिन साथ में अपनी दिक्कतों को भी लेकर जाते हैं. कई लोग ऐसा मानते हैं कि अगर वो किसी दिक्कत में हैं तो फिर घूमने से उनकी दिक्कत खत्म हो जायेगी,
लेकिन इस चैप्टर के जरिये से ऑथर बता देना चाहते है कि किसी भी मानसिक दिक्कत का ईलाज ट्रेवलिंग से नहीं हो सकता है. जब आप अपने मेंटल बैगेज को साथ में
लेकर जाते हैं तब आप अपनी ट्रिप की खराब करने की शुरुआत भी कर देते हैं.
इस बारे में एक किस्सा शेयर करते हुए ऑथर बताते हैं कि एक बार वो अपनी डेली रुटीन से तंग आकर बारबाडोस चले गये थे. उन्होंने सोचा था कि वहां जाकर उन्हें आराम मिलेगा, लेकिन वहां सबकुछ अच्छा होने के बावजूद भी उनके अंदर एक बेचैनी बनी हुई थी. उन्हें लगातार एहसास हो रहा था कि जैसे वो अभी भी लन्दन में ही हैं.
असलियत ये है कि ट्रेवलिंग सपनों के जैसी ग्लैमरस नहीं होती है. लेकिन ट्रेवलिंग खुद में एक वल्ल्ड ऑफ वंडर के बराबर है. सब कुछ हमारे एप्रोच पर निर्भर करता है कि हम ट्रैवलिंग को कैसे हेंडल करते हैं.
हवाई सफर हमें बहुत कुछ सिखाता है
19वीं सदी में एक फ्रेंच पोएट हुआ करते थे. उनका नाम Charles Baudelaire था. उन्हें बड़ी शिप्स काफी ज्यादा पसंद हुआ करती थी. जिसमें एक कॉन्टिनेंट से दूसरे कॉन्टिनेंट में जाना उन्हें काफी पसंद था इससे उन्हें एक अलग ही खुशी का अनुभव हुआ करता था. लेकिन ऑथर बताते हैं कि मॉडर्न मीन्स ऑफ ट्रासपोर्टेशन और भी ज्यादा
रोमांचक हो चुका है.
खासतौर पर ऑथर यहाँ पर एयर ट्रेवल की बात कर रहे हैं. उनके अनुसार ये ट्रेवल इतना मजेदार और रोमांचक होता है कि इससे आपका नज़रिया भी बदल सकता है.
अगर 19वीं सदी में फ्रेंच पोएट को समुद्री जहाज में सफर करना रोमांचक और आनन्द से भर देता था अगर वो आज के दौर में बादलों को चीरते हुए हवाई जहाज़ में सफर किये होते. तो शायद वो इसे सबसे रोमाचक सफर बता रहे होते वह बताते कि जब हवाई जहाज ज़मीन को छोड़ता है तो कैसे इंसान का खून भी शरीर में और तेजी से दौड़ने लगता है. वो ये बताते कि बादलों के बीच से गुजरते समय कैसे आपको आपकी महबूबा की याद आ जाती है? वो बताते कि हवाई जहाज से सफर करना किसी इश्क से कम नही है.
हसी के साथ ऑथर बताते हैं कि जब हवाई जहाज धरती को छोड़ता है और टेक ऑफ करता है तब आपको लाइफ के कई पहलु के बारे में पता चलता है. तब आपको भी एहसास होता है कि उड़ने में कैसा लगता है? आपको ऐसा लगता है कि जैसे माप खुद ही उड़ने की शुरुमात कर रहे हों
इसी के साथ जैसे जैसे हवाई जहाज ऊपर जाता रहता है धर और फैक्ट्रीज और भी छोटे होते जाते हैं. इससे इसान साइकोलॉजिकल हुमन नेचर के बारे में भी पता चलता है.
साथ ही साथ हम लोगों को ये एहसास होता है कि साइस ने कितनी ज्यादा तरक्की कर ली है.
अगर आपने कभी ये सोचा होगा कि काश में भी पक्षियों की तरह उड़ सकता तो फिर हवाई सफर से आपकी इस सोच को भी एक ऐसी उड़ान मिलती है, जिसे कभी भी आप भूलना तो नहीं चाहेंगे. यही कारण है कि आज भी लोगों के लिए उनका पहला हवाई सफर बहुत ही ज्यादा खास रहता है. लोग उस सफर को अपने जहन में बैठा लेना चाहते हैं.
हो भी क्यों ना, इसी सफर से तो हमको अपने जिंदा होने का एहसास भी होता है. हमको पता चलता है कि अगर हम ट्रेवल ना करते तो हम काफी कुछ मिस कर सकते थे.
एक बार की बात है इस किताब के ऑथर घूमने के लिएट एम्सटर्डम गये हुए थे. ये जगह उनके लिए बिल्कुल नई थी. उस जगह के बारे में वो कुछ भी नहीं जानते. यो जगह उनके लिए विदेश ही थी. एयरपोर्ट के अजान व्यू ने ही ऑथर को काफी ज्यादा प्रभावित कर दिया था. इसी के साथ एम्सटर्डम में जहाँ के बारे में ऑथर को कुछ नहीं पता था. लेकिन फिर भी उन्हें उस मजान जगह में धूमकार एक अलग ही खुशी मिल रहीं थी भंजान लोगों को देखकर भी उन्हें बहुत अच्छा लग रहा था ये बताकर ऑथर ये बताना चाहते हैं कि हमें अनफमिलियर कल्चर को एक्सप्लोर करते रहना चाहिए. इससे हमें हमारे घर के नशे से भी मुक्ति का एहसास होता है.
एक्सोटिजम के बारे में बात करते हुए ऑथर बताते हैं कि ये शब्द काफी समय से प्रचलित है. लेकिन 19वीं सदी में एक्सोटिक शब्द का उपयोग मिडिल ईस्ट में पड़ने वाले देशों के लिए किया जाता था, एक्सोटिजम ट्रेवलर से ये वादा करता है कि यो उन्हें बोरियत से दूर लेकर जाएगा. एक्सोटिज्म को आप विदेश यात्रा के रूप में भी देख सकते हैं.
ऑथर माज के दौर की बात करते हुए भी कहना चाहते हैं कि विदेश यात्रा से हंसान बहुत कुछ नया सीख सकता है. विदेश यात्रा मापको एक ऐसी जगह से रुबरु करवाती है. जहाँ इससे पहले आप कभी नहीं गये हैं. आप उस जगह के बारे में और वहां के कल्चर के बारे में कुछ भी नहीं जानते हैं. जो कुछ भी आप जानते होंगे वो किताबों या फिर इंटरनेट के माध्यम से ही जानते होंगे.
जब आप खुद उस जगह का अनुभव करने के लिए जायेगे तो फिर आपको अपनी जिंदगी का एक अलग ही रूप देखने को मिलेगा. ऑथर इस बात को दाये के साथ कहते हैं कि आप उस अनुभव को कभी भी भूलना नहीं चाहेंगे. हसी के साथ आपको लाइफ की कुछ ऐसी क्वालिंटी के बारे में भी पता चलेगा जिसके बारे में आप पहले नहीं जानते थे,
तो फिर यहाँ पर आँथर आपसे सवाल करते हैं कि देर किस बात की है? अगर आप भी अपने घर के नशे में डूब चुके हैं? अगर आपको भी अपनी जिंदगी में कुछ बदलाव की
जरूरत है. तो फिर बैग को बैंक करिए और एक सफर में निकल जाइये.
मॉडर्न ट्रेवलर को सवाल पूछने की कला से खुद को रुबरु करवाना चाहिए
भले ही आपको ट्रेवलिंग का शोक हो या फिर नहीं हो, लेकिन आपको सवाल पूछने की आदत तो होनी ही चाहिए वचालिटी ऑफ क्वेश्चन से कई चीज़ों का पता चालता है. अगर किसी भी आदमी को अपने अटर इम्प्यूवमेंट लेकर आना है तो फिर उसके अन्दर सवाल पूछने की कला तो होनी ही चाहिए जैसे-जैसे आप सवाल पूछना सोचते हैं आप चीज़ों को ओबार्य करना भी सीख रहे होते हैं. सवाल पूछने से आप रिसर्च करने की काबिलियत को भी सीखते हैं. इसलिए देश की बात हो या फिर घूमने की सवाल करते रहिये,
यहाँ पर आंधर अपने मेड्रिड घूमने की कहानी को बताते है. उस ट्रिप के शुरुभाती दिनों की बात है. आथर एक दिन नींद में पड़े हुए थे. उन्हें ना ही अच्छे से नीट आरही थी और ना ही अके अदर मजी थी. उस समय ऑथर को लग रहा था. जैसे कि उनके अदर बहुत सारी आलस भरी हुई है. उसके बाद उन्होंने फैसला किया कि ऐसे ही बिना आईडिया के भी इस शहर को घूमने के लिए निकल जाते हैं.
फिर वो उस अंजान शहर को देखो के लिए निकल पड़ते हैं ऑयर यहाँ बताते हैं किजो थकान महें बिस्तर की ओर खींच रही थी. वही थकान उ्हें आज के ट्रेवल्स के अंदर भी देखने को मिलती है
लेकिन ये थकान उन्हें पहले के ट्रेवलर्स के अंदर देखो को नहीं मिलती थी. इसके पीछे का रीजन ये था कि पहले के ट्रेवलर्स एक्सप्लोर किया करते थे
इसके लिए ऑथर ने अलेक्जेंडर वॉन हम्बोल्ट का एग्जाम्पल दिया है जिन्होंने 1799 में साश्चमेरिका की यात्रा की थी,
ऑथर बताते हैं कि अलेकोडर वॉन हाबोल्डट की ट्रिप का क्लियर विजन था. उनको ट्रिप का विजन था कि उन्हें फैक्स जमा करना है. इसके लिए उन्हें काफी जगहों को एक्सप्लोर करना था. वो अप्लो ट्रिप के साथ काफी कुछ नया सीखना चाहते थे, उसी सीख के साथ उन्होंने आगे की जनरेशन के लिए उदाहरण भी पेश किया है
इसी के साथ ही साथ ऑथर बताते हैं कि जब भलेकोंडर वांन हम्बोल्डट फैक्ट्स इकठ्ा नहीं करते वे तब वो अपने समय को एक्सपेरिमेंट में लगाते थे उस एक्सपेरिमेंट की मदद से वो ये देखते थे कि आगे
की ट्रिप में वो फैक्ट्स का कलेक्शन कैसे कसे वाले है? यही यो चीज़ है जो भाज के ट्रेवल्स को अलेकंडर वांन हम्बोल्ड्ट से सीखनी चाहिए,
अपनी यात्रा के दौरान अलेक्जेंडर यान हम्बोइट के पास बहुत कम समय का खाली समय बचता था.यो अपनी यात्रा के समय लगातार समुद्र के येसिम को नापते रहते थे. इसी के साथ की नज़र टेम्प्रेचर में भी बनी रहती थी. इन सबका रिकॉई भी यो लागातार नोंट डाकरते रहते थे.
ऑथर संक्षेप में इस बात को बताते हुए कहते हैं कि अलेक्जेंडर वॉन हम्बोल्डट अपनी यात्रा के दौरान वो सब करते थे. जो कि आज के ट्रेवलर करने से चूक जाते हैं. यही रीजन है कि आज के ट्रेवलर के अंदर
सफर को लेकर काफी बोरियत भी देखने को मिलती है. अगर इंसान अपने सफर के दौरान लगातार बिजी रहे और कुछ ना कुछ सीखने की कोशिश करता रहे तो ऐसा कभी हो नहीं सकता है कि वो अपने
सफर से थक जाए या फिर बोर हो जाए
ऑथर के अनुसार नेवल तो इतनी खूबसूरत बीज है. जिससे हसान सिर्फ और सिर्फ अच्छे और बुर अनुभव को सीख सकता है. अगर आपको बुरा अनुभव भी होता है तो भी उसको एक डायरी में नोट करने की कोशिश करिए आपको अच्छे अनुभव का मजा लेना है. तो फिर आपको बुरे एक्सपीरियस से काफी कुछ सीखना भी है. अगर आप ऐसा करने में कामयाब हो जाते हैं. तो फिर आप जरूर ट्रैवलिंग के टॉप पर पहुंच सकते है
एक काफी ज्यादा मशहूर ब्रिटिश रोमाटिक कवि हुआ करते थे. जिनका नाम विलियम बदसवर्थ था वो अपने आपको शहरी जीवन के क्रिटिक के रूप में पेश किया करते थे. उनके अनुसार शहर की बिल्डस, प्रदूषण, हवा, धुमी और कुछ भी नहीं है ये बस जिंदगी के लिए एक जहर की तरह है. अके अनुसार शहर की हया से इसान के अंदर का चैन और सुख मर जाता है
आज के दौर में अधिकतर लोग ब्रिटिस कवि विलियम वड्सवर्थ की इस बात से एग्री करते हैं. इसी का रीजन ये है कि लोग नेचर के बीचो बीच अपने वेकेशन को प्लान करते हैं शहर के लोग अपने वेकेशन
में नेचर के पास जाना चाहते हैं.
नेचर में जाकर, पेड़ के पास जाकर या तो हिमालय की गोद में जाकर लोग रिलैक्स करते हैं. उन्हें वो सुकून मिलता है, जो उन्हें शहरी जन जीवन में नहीं मिलता है
विलियम वइ्सवर्थ के अनुसार नैचर से हसानी शरीर के साथ ही साथ दिमाग भी सुकून में रहता है. इससे आदमी के अंदर जिंदगी को लेकर एक अलग नज़रिए का जन्म भी होता है
इस बात को सच मानते हुए ऑथर अपने इंग्लैंड के दोरे को चाद करते है जल लेक डिस्ट्रिक्ट गये हुए थे, वहां बड़िया बारिश हो रही थी. तब ऑथर नै रिलेक्स महसुस किया था. इसी के साथ उन्होंने वहां के जगलकी सैर भी की थी.
जैसे कि विलियम यसवर्थ के अनुसार हुमन नेचर से बहुत कुछ सीख सकता है. के अनुसार बारिश की बूटे भी इसान से बातें करती हैं पेड़ की पत्तियां जब हया से हिलती हैं तो थो भी भपनी दास्तों
सुनाती है. इसी बात को इस किताबके आँथर ने भी ओब्सर्य किया था. होंने नेचर में बहुत कुछ सीखने की कोशिश की थी
ब्रिटिश रोमांटिक कवि ने बताया है कि नेचर से सौरखी हुई सूचियाँ लाइफ में आपको काफी लम्बे समय तक मदद करती हैं. इसलिए इस किताब के जरिये ऑथर आज के दौर के ट्रेवलर्स को भी सलाह देते हैं कि जब कभी भी आपको नेचर के पास जाने का मौका मिले तो उससे बात करने की कोशिश करियेगा, कोशिश करियेगा कि आपनेवर में छुपे हुष्ट ज्ञान को समझा पायें
नेचर से आप गिविंग एटीट्यूड भी सीख सकते हैं. इसी के साथ ही साथ नेचर से आप सीख सकते हैं कि गुश्विल के टोर में भी आपको इसते हुए कैसे रहना है
अगर आज के समय में आप नेचर के करीब जाते हैं तो फिर एक बार अपनी आँखों को बेट करियेगा और बोलने के बाद स नजारे को खुद के अटर महसुस करने की कोशिश करियेगा. इसके बाद आपको खुट ही महसूस होगा कि आपका मन कितना शांत हो चुका है
नेचर की सुन्दरता से स्पिरिचुअल फीलिंग का भी जन्म होता है
क्या आपने कभी सोचा है कि नेचर की सुन्दरता का जाना कहाँ से हुआ है: ऑथर आपको बताना चाहते हैं कि प्रकृति का जना किसी ग्रेट फोर्स से हुआ है यही कारण है कि जब हम नेचर के पास होते हैं तो हमारे अटर भी अध्यामिक फीलिंग का जन्म होता है.
इस बात को याद करते हुए ऑथर अपने इजिए के टोरे को याद करते हैं. उन्हें वो समय याद आता है जब वो घूमने के लिए इजिट गये हुए थे.
वहा यो साउथन सिनाई के माउंटेन्स को एक्सप्लोर कर रहे थे. पहाड़ों की घनी येली को उन्होंने प्रोब्सय किया था. जिन वैलीज का उन्होंने प्रोव्सर्वं किया था वो वैली 400 मिलियन साल से पुरानी थी.
ऑयर यहाँ बाइबिल के राइटर को याद करते हुए कहते हैं कि का मी प्रकति को लेकर यही अनुभव था. पवित्र किताब बाइबिल में भी लिखा गया है कि इस प्रक्रति का ज्म सुप्रीम एनजी के द्वारा हुआ है यही कारण है कि जब कभी भी नेचर के नजदीक होंगे आपको इश्वर के होने का एहसास भी होता रहेगा
इसलिए अगर आपको घुमने का शौक है या फिर आपको नेचर के पास जाने का मौका मिलता है तो जरूर जाइएगा. वहां जाकर आप अपने अध्यात्म पे और पास खुद को पायेगे, आपको एहसास होगा कि
इश्वर ने हम दुनिया का निर्माण किया है
ये कहा भी जाता है कि शान से अच्छा तस्वीरें बया करती हैं. इसालिए आपने देखा भी होगा कि कलाकार कितनी शिदत से कोई भी तस्वीर बनाता है. तस्वीर की एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी भी होती है. उसको बिना बिना बोले अपनी पूरी कहानी बयां करनी होती है.
ऑथर यहाँ विन्सेंट वैन गांग को याद करते हुए कहते हैं कि अगर उन्होंने पेंट ब्रश नहीं उठाया होता, तो वो भी वहां वो टेखने कभी नहीं जा पाते औबर यहाँ बताते है कि आर्ट और कला से बस आपके अपने
देश का ही नहीं बल्कि दुनिया भर का ध्यान अपनी और खींवा जा सकता है. ग्रेट आर्ट से नए नज़रिए का जन्म भी होता है इसलिए आप अपने ट्रैवल के दौरान आर्ट और कला को देखने के लिए नज़रिए को
पैदा करिए.
यहाँ पर ऑथर जेम्स को याद करते हैं जेम्स ब्रिटिश पोस्ट थे. म्होंने ब्रिटिश की सुन्दरता के ऊपर एक पोएम लिखी थी. उस कविता का नाम उन्होंने द सीजन दिया था. यो कविता इतनी ज्यादा प्रचलित हुई थी कि उसी तरह की पोएम और भी पोएट्स ने लिखने की शुरुमात कर दी थी.
इसके बाद इसी कविता के ऊपर ब्रिटिश मेंटर थॉमस ने पेंटिंग भी बनाई थी उस पेंटिंग को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आया करते थे इससे आपको समझना चाहिए कि कला की महत्त्व कितनी ज्यादा
उस कविता और पेंटिंग की वजह से ब्रिटिश कट्री साहड को खूबसूरती को देखने के लिए दुनियाभर से लोग आने लगे थे.
इसलिए ऑथर ने ट्रेवलर्स को सलाह दी है कि जब कभी भी आप सफर में निकले तो वहा की कला और आट्स को ओव्सर्व करना ना भूलें
सफर के दौरान लेखन और ड्राइंग आपके फोकस में आपकी मदद करेंगे
क्या आपने कभी टूरिस्ट की हैबिट्स को ओब्सर्व किया है. उनकी हैबिट होती है कि वो हमारतों को अपने आँखों से काग देखते हैं. उन्हें देखने के लिए वो केगरे का उपयोग करते हैं केगर के लेस से वो कुछ तस्वीरों को क्लिक करते हैं और आगे बढ़ते रहते हैं.
लेकिन यहां पर ऑथर आज कल के ट्रैवलर्स के ऊपर सवाल खड़ा करते हुए पूछते हैं कि अगर आपवीजों को देखकर ओब्स नहीं करेंगे तो फिर आपके घूमने का क्या ही फयता हुआ? इसके लिए औयर सलाह भी देते हैं. वो कहते हैं कि जब कभी आप ट्रेवल करें तो वहां की चीजों को भोव्सर्व करिए उन्हें अपने दिल और दिमाग पर जगह दीजिये. उसके बाद जो भी चीज़े आपको अच्छी लगें कोशिश करिए कि उहें आप दाडग के माध्यम से कागज़ में उतार सकें.
अगर आप ये एपसरसाइज करते हैं तो फिर आप ओव्यं करेंगे कि ट्रेवलिंग का मानद भी दोगुना हो गया है.
कई रिसर्च में ये बात सामने आई है कि जब भी हम कोई भी चीज का स्केच चनाते हैं. तो उस चीज को हमारा दिमाग ज्यादा बोहतर तरीके से समझने की कोशिश करता है यो बात भी सामने आई है कि स्कचिंग से हमारी ओब्सर्व करने की क्षमता भी बढ़ती है.
जान रस्किन राइटिंग के बारे में बताते हैं कि ये वई ऑफ़ पेटिंग है. रास्किन के हिसाब से अगर पेंटिंग को शब्दों में क्या करना है तो आपका लिन की कला आनी चाहिए.
जॉन रस्किन के अनुसार लिखने का इपेकर भी पेंटिंग की तरह ही होता है. इससे भी हम अपने आस-पास की चीजों को बेहतर ढंग से समझने लगते हैं.
इसलिए प्राथर ने नये ट्रेवलर्स को सलाह दी है. आँथर के अनुसार आप जब भी कहीं घूमने जाएं तो लिखने की कोशिश भी ज़रूर करें,
जॉन रस्किन का मानना है कि अगर आप ट्रैवलिंग के साथ साथ लिखते भी है तो फिर आपकी ट्रेवलिंग भी यादगार बनेगी. साथ ही साथ समाज और सफर के बारे में आपको बहुत कुछ सीस्थो को भी मिलो वाला है. इसलिए स्केचिंग और लिखने की कला को सीखो की कोशिश में लग जाट
तो अब आपको पता चल गया होगा कि हम लोग घूमने से कितना कुछ नया सीख सकते हैं. फर्क तो बस इस बात से पड़ता है कि हम सफर के दौरान अपने पास कौन सा नजरिया रखने की कोशिश करते हैं