OUT OF THE MAZE by Spencer johnson.

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दो लफ़्ज़ों में

साल 2018 में रिलीज हुई किताब out of the Maze एक सिं्पल और पावरफुल स्टोरी को आपके सामने रखती है. इस स्टोरी की मदद से आपको लाइफ के कई जरूरी पहलू के बारे में समझाने का मौका मिलेगा. इस किताब के चौरस में आपको पता चलेगा कि लाइफ में हो रहे बदलाव को एक्सट करना कितना जरूरी है? हमारी पर्सनाल जिंदगी और प्रोफेशनल जिंदगी दोनों ही लगातार बदलती रहती है. अगर हम इन बदलावों को सही तरीके से एक्सा करना मौत्व ले. तो फिर तमारी लाइफ सरल, सुखट और मनोरंजक भी बन जाएगी

ये किताब किसके लिए है?

ऐसे लोग जिनकी जिंदगी में काफी कठिन बदलाव आ रहे हो

  • ऐसे लोग जिन्हें पॉजिटिव थिंकिंग के ऊपर भरोसा हो
  • ऐसे लोग जिन्हें अपने दिमाग में कुछ बदलाव की ज़रूरत हो

लेखक के बारे में

आपको बता दें कि इस किताब के लश्वक Sperncer johnson है. वह एक प्रसिद्ध अमेरिकन फिजिशियन रह चुके हैं लेकिन इन्होने अपने करियर को मेडिसीन की फील्ड से बदलकर राइटिंग की फील्ड में ट्रान्सफर किया है. अब ये काफी फास मोटिवेशनल राइटर भी हैं. इस किताब के अलावा भी उन्होंने कई फेमस किताबें लिखी हैं. उन किताबों में बेस्ट सेलिंग नॉवेल ‘Who Moved My Cheese भी शामिल है. इस किताब की 21 मिलियन कॉपी सालों के आदर ही बिक गयी थी. इसके बाद साल 2017 में SPETCer Johnson’ का निधन हो गया. Out of the Market किताब को उनके परिवार और दोस्तों ने पब्लिश करवाया है.

कैसा लगता है जब आप कुछ अपना सा खो देते हैं?

जैसे कि आज के दौर से सभी वाकिफ है, आज के समय कोई भी बिना फायदे के कोई भी काम नहीं करता है, तो फिर कोई किताब को क्यों ही पढ़ना चाहेगार लेकिन आपको बता दें कि अगर आपने इस किताब का पहला चैप्टर पढ़ लिया तो फिर आप खुद को रोक नहीं पायेंगे इस किताब में जिंदगी को बड़ी आसान भाषा में समझाया गया है, किताब में एक ऐसी कहानी को बताया गया है. जिससे आप खुद को कनेक्ट कर पायेंगे

इसी के साथ इस किताब में बताया गया है कि जिंदगी में एक ही चीज़ है जो कांस्टेंट है वो है बदलाव. भले ही आपके रिश्ते हों, या फिर दोस्ती हो, या जॉब, कुछ भी हो,

समय के साथ-साथ सबकुछ बदलता रहता है. लेखक के अनुसार ये कहना गलत नहीं होगा कि जिंदगी का दूसरा नाम ही चैंज है।

बदलाव का सामना करने में हमें तीन विकल्पों में से चुनना होता है. सबसे पहले आप वापस जाने की कोशिश कर सकते हैं जो आमतौर पर असंभव है, दूसरा ये है कि वही खड़े रहो, लेकिन ऐसा करने पर आप पीछे छूट जाओगे. तीसरा आप्शन है आगे बढ़ना और चौज़ों को एक्सेप्ट करना. जो कि जाहिर तौर पर सबसे फायदेमद है. बेहतरी की ओर जाने वाला सबसे अच्छा रास्ता यही है लेकिन सबसे चैलेंजिंग भी यही रास्ता है,

हमारी कहानी हेम और हव नाम के दो लोगों के साथ शुरू होती है, जो भूलभुलैया के अंदर रहते हैं वो वाने की तलाश में, भूलभुलैया में भागते हुए अपना जीवन बिताते हैं

एक दिन उन्हें एक जगह मिलती है, जिसका नाम चीज़ स्टेशन था उन्होंने वहाँ देखा कि वहां पर चीज़ की सप्लाई अनलिमिटेड थी, उन्हें पता नहीं था कि ये चीज़ आता कहाँ से

है? लेकिन उन्होंने वहां पर बसने का फैसला कर लिया था. उन्हें मजा आने लगा था. अब उन्हें भूल-भुलेया का चक्कर भी नहीं लगाना पड़ता था.

फिर, अचानक, एक दिन चीज़ की सप्लाई बंद हो जाती है हय आखिरकार नई सप्लाई की तलाश में निकल जाता है, लेकिन वह कभी नहीं लोटता है हेम बहीं रहता है और चीज़ के फिर से आने की उम्मीद करता रहता है,

लेकिन जैसा कि हेम ने सोचा था कि चीज़ की सप्लाई फिर से पहले जैसे हो जाएगी वैसा बिल्कुल भी नहीं होता है. वो भूख से भकेला और परेशान रहने लगता है. इसी के

साथ उसे अपने ‘हव’ की भी चिंता होती है कि वो कहाँ होगा साथ ही साथ उम्मीद भी रहती है कि शायद वो आकर उसकी मुश्किलों को खत्म कर देगा.

इस कहानी में अब हम यहाँ पर रुकते हैं. हम देखते हैं कि इन दोनों दोस्तों के खुशी के पीछे का कारण क्या था? हमें पता वलता है कि इन दोनों की खुशी के पीछे वीज़ था. जिसकी सप्लाई अब बंद हो चुकी है.

प्रेजेंट सिचुएशन ये है कि सिचुएशन ठीक नहीं है.

इसका मतलब ये है कि हम और ईव की जिंदगी में चीज का रोल बहुत ज्यादा है. चीज़ के होने से उनकी जिंदगी में खुशी रहती है. उनके शरीर को पोषण मिलता है. जिससे उनका शरीर चलता फिरता है. मतलब, चीज़ की तलाश उन्हें लगातार करते रहना चाहिए थी.

फिर हमें इस कहानी में क्या दिखता है? हमें नज़र आता है कि जब उन्हें चीज़ के रूप में खुशी गिलने लगी थी तब उन्होंने उसे बहुत कैजुअल ले लिया था, उन्होंने मेहनत करना

ही बंद कर दी थी. उन्होंने सोच लिया था कि अब उनकी जिंदगी इसी तरह आराम से चलती रहेगी,

लेकिन लेखक यहाँ बताना चाहते हैं कि जिंदगी इतनी आसान भी नहीं है. जितना हम उसे समझाने की भूल कर देते हैं. जब हमारे पास कुछ आने लगता है. तो फिर हम उसे ग्रांटेड लेने लगते हैं. हम अपनी खुशियों को भी ग्रांटेड लेते हैं.

इस कहानी में लेखक ये भी बताना चाहते हैं कि जब चीज़ की सप्लाई बद हुई. तो दूसरा दोस्त नए चौज़ की तलाश में आगे चला गया कई लोग लाइफ में इसी तरह मूव ऑन करते हैं. वहीं कई लोग पुरानी खुशियों के लोटने का ही इंतजार करते रहते हैं जैसा कि पहले दोस्त ने किया वो वहीं पर चीज़ की सप्लाई के शुरू होने का इंतज़ार कर रहा है. जिसकी सप्लाई ना शुरु होने से उसके ऊपर दुखों की बाढ़ जाती जा रही है,

इसलिए थदलाव को एक्सेप्ट करना चाहिए, ये बात भी सही है कि बदलाव को एक्सेप्ट करना इसानी दिमाग के लिए बहुत ज्यादा मुश्किल होता है. इसके पीछे रीजन यही होता है कि हम अपने दिमाग में एक दुनिया बना चुके होते हैं. हम सोचते हैं कि जो कुछ भी हमारे पास है वो हमेशा ऐसा ही रहेगा. लेकिन आपको ये याद रखना चाहिए कि जिंदगी में वेज से बड़ा सब कुछ और नहीं है.

अगर आपने अपनी लाइफ में चेंज को एक्सेप्ट करना सीख लिया और उस बदलाव से सीखना भी सीख लिया तो फिर आपको कामयाब और खुश होने से कोई भी नहीं रोक

सकता है.

हैप्पीनेस और सक्सेस का सोर्से अगर खो जाए तो क्या करना चाहिए?

अब कहानी में आगे और बढ़ते हैं. आखिरकार, हेम की भूख इतनी ज्यादा बढ़ जाती है कि वो चीज स्टेशन छोड़ने का फैसला करता है. वो चीज़ की तलाश में आगे बढ़ता है. वो

फिर से भूलभूलेया में घूमने लगता है. भूख की तड़प में वो चारों तरफ भागता है. उसे डर लगा रहता है कि कहीं उसके साथ कुछ बुरा ना हो जाए वो अपनी तलाश जारी रखता है, लेकिन उसे सफलता नहीं मिलती है. इसीलिए वो और आगे बढ़ता जाता है. दूसरे शब्दों में कहें तो वो काफी ज्यादा उदासहीन हो चुका है. ऐसा ज्यादातर लोगों के साथ होता है किसी भी बड़े चेंज के बाद ऐसा देखने को मिलता है, जब सिचुएशन आपको आगे बढ़ने के लिए मजबूर करती हैं. तब आपका दिमाग मूव ऑन के लिए बिल्कुल तैयार नहीं होता है, तब आपको नयी दुनिया मतलब नया चेज बिल्फुल भी

समझ में नहीं आ रहा होता है, आपको नयी जगह कुछ भी पहले जैसा नहीं लगता इसलिए कई बार लोग काफी ज्यादा उदासहीत हो जाते हैं. इसी के साथ हेम की ही तरह

हमें भी कोई रास्ता नज़र नहीं आ रहा होता है. या फिर नयी जगह को हम एक्सप्लोर करना ही नहीं चाहते हैं. कई बार ऐसा भी होता है कि कई सारे आप्शन होने के कारण

इसान कफ्यूज हो जाता है.

इसी तरह हेम को भी कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था. वो भी लगातार आगे ही बड़ता जा रहा था. इसका नतीजा ये हुआ कि वो काफी ज्यादा कमजोर हो चुका था. कमजोरी के कारण एक दिन वो सो गया. जब वो सुबह उठा तो उसको अपने पास लाल रंग की एक चीज़ दिखी. लेकिन उसके दिमाग में दिक्कत ये थी कि ऐसी चीज़ उसने कभी भी देखी नहीं थी.

आपको बता दें कि वो लाल चीज़ सेब थी. जिसे उसी की तरह होप नाम की जीव ने उसके पास रखी थी. होप को मालूम था कि हेम भूखा है. इसलिए उसने उसके पास सेब रख

दिया था.

शुरुआत में हेम सेब खाने से मना कर रहा था. इसके पीछे का कारण ये था कि उसे डर लग रहा था कि कहीं वो इसे खाने के बाद मर ना जाए. लेकिन होप ने उसे मनाने की कोशिश की, वो बोली कि आप इसे खाकर देखिये ये खाने की ही चीज़ है,

फिर हेम ने उसे चखा और उसे पता चला कि ‘चीज़ के अलावा भी कुछ और खाकर भी वो जिंदा रह सकता है. इसी के साथ उसे ये भी पता चला कि उसे चीज़ की तलाश के

लिए इतना परेशान होने की जरूरत भी नहीं है,

इस चैप्टर के माध्यम से लेखक बताना चाहते हैं कि कई बार चेंज हमारे सामने अच्छे आप्शन लेकर आता है. लेकिन हमारी नज़रें और गन ही हमेशा पुराने की तलाश में भटकता रहता है. इससे कई बार हमारा ही बहुत बड़ा नुकसान हो जाता है.

लाइफ में हमें इस बात को समझना चाहिए कि अगर बदलाव से आपकी हैप्पीनेस कम हुआ है तो फिर बदलाव ही आपको नयी खुशियों का रास्ता भी दिखायेगा. बात है तो बस ये कि हमें मूव ऑन करते रहना चाहिए. अगर हम समय के साथ साथ आगे नहीं बढ़ते रहेंगे तो हम देखेंगे कि हम काफी पीछे रह चुके हैं,

बदलाव से आने वाले चेंज को एक्सेप्ट करना मुश्किल है लेकिन नामुमकिन नहीं है

हेम और होप अब साथ साथ में भूल भुलैया में घूमकर अपने जीने के लिए पनीर और सेब का इंतजाम कर रहे थे, लेकिन उन्हें थे पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल पा रहा था. उनके पास बस उतना ही था जितने में वो जिंदा रह सकते हैं. होप तो ठीक थी, लेकिन हेम लगातार उदास होता जा रहा था, उसको अपने पुराने दिन बहुत ज्यादा याद आ रहे थे. जब वो अपने दोस्त के साथ चीज़ स्टेशन में मज़े से चीज़ स्याया करता था. पुराने दिनों को याद करने के चक्कर में हेम अपने आज को अपना नहीं पा रहा था ना ही यो अपने आज में खुल कर जिंदगी को जी पा रहा था.

चेंज के बाद ये हमारे साथ भी हो सकता है कि हम अपने पुराने दिनों को याद करें, अपने पुराने भच्ये दिनों को याद करना गलत नहीं है लेकिन उसी में जीते रहना गलत है. जब आप ऐसा करते हैं, तब आपकी प्रोडक्टिवनेस कम हो जाती है. किसी भी काम में आपका मन नहीं लगता है. अगर आदमी ऐसे ही जीने लगेगा तो वो कभी भी आगे नहीं बढ़ पायेगा.

बदलाव को एक्सेप्ट ना कर पाने के चक्कर में हेम का विश्वास भी कम हो चुका था उसे खुद के ऊपर भी भरोसा नहीं था ऐसा हमारे साथ भी होता है. जब हम किसी भी बदलाव को एक्सेप्ट नहीं करते हैं, भले ही वो हमारी जॉब से जुड़ा हुआ बदलाव हो या फिर हमारे रिलेशनशिप से हुआ. कई लोगों को देखा गया है कि जब भी उनका हर्ट ब्रेक होता है तो वो चेंज को एक्सेप्ट नहीं कर पाते हैं. वो यही चाहते रहते हैं कि उनका खोया हुआ रिश्ता वापस आ जाए लेकिन चीज़ें अब वैसी नहीं रहती हैं जिसके कारण वो डिपरेशन तक में चले जाते हैं. हमें समझना चाहिए कि सिचुएशन जितनी खराब नहीं होती है हम उससे ज्यादा उसे अपने दिमाग में बना देते हैं.

पूरी बात अपने बिलीफ सिस्टम को बदलने की है. लेकिन अब यहाँ सवाल ये उठता है कि हम अपने बिलौफ सिस्टम को कैसे बदल सकते हैं?

काफी दिनों से होप और हेम के बीच में बात चीत चल रही थी होप लगातार हेम को ये समझाने की कोशिश कर रही थी कि पुराने दिनों में जीना बद कर दो. अब समय आ गया है जब हम आगे बढ़े और नई सोर्स ऑफ हैप्पीनेस की तलाश करे. लेकिन हेम पुराने दिनों को भूल ही नहीं पा रहा था. उसने होप को मना कर दिया. इसके बाद हेम ने खुद से ही लगातार सवाल किये कि आखिर उसके साथ ऐसा हो क्यों रहा है?

तब उसने सोचा कि जब चीज की सप्लाई बंद हुई थी तब उस सिचुएशन को देखने का नजरिए उसकी दोस्त का अलग था जैसा कि उसने किया भी था. उसे नये अवसर की तलाश करती थी वहीं उस सिचुएशन को देखने का हेम का तरीका अलग था. हेम को ये भरोसा था कि फ्री का चीज़ फिर से आएगा. उसे कोई काम नहीं करना पड़ेगा. उसे आराम से बैठे-बैठे चीज मिलता रहेगा.

इसके बाद हेम को ये एहसास हुआ कि हम अपने बिलीफ के ऊपर ही भरोसा करते हैं.

इस चैप्टर में लेखक बताते हैं कि हमारी जिंदगी में बिलीफ सिस्टम का बहुत बड़ा योगदान होता है. ये हमको सही रास्ते में भी ले जा सकता है और गलत रास्ते में भी. जैसे कि यहाँ पर हेम के साथ हुआ था. हेम के बिलीफ सिस्टम ने उसे फसा दिया था. अब वो जिंदगी में आगे ही नहीं बढ़ पा रहा था.

बिलीफ सिस्टम में इतनी ज्यादा शक्ति होती है कि ये हमें फ्री भी कर सकता है. इसी के साथ बिलीफ सिस्टम हमे गुलाम भी बना सकता है. अब ये हमारे ऊपर है कि हम अपने

बिलीफ सिस्टम को अपने ऊपर राज करने देते हैं कि नहीं.

इसके बाद हेम को ये भी एहसास होता है कि पहले उसे भरोसा था कि बो बस चीज़ ही खा सकता है, लेकिन फिर उसने होप के ऊपर भरोसा किया. फिर उसे पता चला कि वो एप्पल भी खा सकता है. यहाँ पर हेम को पता चला कि उसने अपना एक बिलीफ तो खुद ही तोड़ दिया है. उसे इस बात की खुशी भी हुई कि उसने अपने आप ही खुद का एक बिलीफ को तोड़ा है. इसी के साथ उसे जिंदगी में खाने के एक नए समान के बारे में पता भी चला है.

इसी के साथ उसे ये भी पता चला कि अपने बिलोफ को तोड़ने के बाद भी बो वही हेम है. जो बो पहले से था. इसका मतलब साफ़ है कि बिलफ सिस्टम को बदलने के लिए आपको इंसान के तौर पर बदलने की ज़रूरत नहीं है.

यहाँ पर हमें एक सिम्पल सी बात को समझना पड़ेगा कि हम वही हो जाते हैं जैसा कि हम अपने दिमाग से सोचते हैं. इसलिए कभी-कभी ज्यादा ना सोचना भी जिंदगी के लिए

बेहतर होता है. इसलिए लेखक बताना चाहते हैं कि आजादी का चुनाव करिए कभी भी किसी का भी गुलाम बनने की जरूरत नहीं है, भले ही वो गुलामी आपके दिमाग की ही

क्यों ना हो खुद को आजाद रखने की कोशिश करिए. आजादी से बड़ा सुख किसी में नहीं है.

हम ही वो होते हैं जो अपने बिलीफ सिस्टम का चुनाव करते हैं, इसलिए हमें बड़ी सावधानी से अपने बिलीफ सिस्टम का चयन करना चाहिए इसी के साथ इस कहानी में ये मोड़ आ गया है कि हेम को भरोसा हो गया है कि वो अपने बिलीफ सिस्टम को बदल सकता है. ऐसा उसने किया भी है लेकिन अब आगे क्या होगा? इसका पता तो आगे के चैप्टर में ही चलने वाला है,

अपनी सोच को बड़ा रखिये, लाइफ में बहुत कुछ अच्छा हो सकता है

कहानी में अब ये मोड़ आ गया है कि हम ये सोचकर परेशान है कि वो किस सोच को एडाट करे? इसको लेकर होप ने उसके सामने एक सलाह पेश की है कि वो चाहे तो भूल भुलैया से भाग भी सकता है.

हेग ये सोच भी नहीं सकता है. हेग को इस भूल भुलैया के बाहर कुछ पता भी नहीं है उसके लिए ये भूल-भुलेया ही उसकी पूरी जिंदगी है. इसके बाहर का ना कभी उसने कुछ देखा है और ना ही कभी जानने की कोशिश की है. वो तो यहीं सोचता है कि उसकी पूरी दुनिया ये भूल भुलेया ही है.

जब ये बात होप को पता चलती है. तो फिर वो हेम से कहती है. तुम ये क्यों नहीं सोचते हो कि शायद यहाँ से बाहर भी तुम्हारे लिए कुछ बहुत अच्छा हो? जो शायद तुम्हारा इंतजार कर रहा हो.

इसके बाद हेम फिर से सोचता है कि आखिर वो क्या चीज़ है जो उसे ये सोचने से रोक रही है कि इस भूल-भुलैया के बाहर भी कोई दुनिया है? जो इससे अच्छी भी हो सकती

है?

इसी के साथ उसे ये भी याद माता है कि पहले तो वो सिर्फ यही मरोसा करता था कि वो बस चीज़ ही खा सकता है. इसी के साथ वो ये भी सोचता था कि चीज़ के भलावा कुछ भी खाने लायक नहीं होता है, लेकिन आखिर कार उसने अपनी सोच को बदला था ना? फिर उसे पता चला था कि चीज़ के अलावा एप्पल को भी खाया जा सकता है. इसी के साथ उसे एप्पल अब बहुत अच्छा लगते भी लगा है. तो फिर क्यों ना वो अपनी दूसरे बिलीफ को भी बदलने की कोशिश करे क्या पता? फिर से कुछ बढ़िया ही देखने को मिले

इसी के साथ लेखक इसे रियल लाइफ से जोड़ने की कोशिश करते हैं. वो कहते हैं कि मान लेते हैं किसी महिला का हाल ही में ब्रेक अप हुआ है. उसके पार्टनर ने उसे चीट किया है. तो क्या अब उसे आगे किसी रिलेशनशिप में नहीं जाना चाहिए ये सोचकर कि सभी लोग ऐसे ही होते हैं. या फिर उसे अपने प्यार की तलाश को एक मौका और देना चाहिए, उसे फिर से किसी अच्छे से इंसान को डेट करना चाहिए

ऐसा ही सेम हमारी जॉब और गोल्स के साथ भी होता है. बात सिर्फ और सिर्फ बिलीफ सिस्टम की ही होती है.

नए अवसर की तलाश में अब हेग को भरोसा होता है कि उसे भूल भूलेया के बाहर भी देखना चाहिए

इसी के साथ उसे ये भी एहसास होता है कि अभी तक उसने डर की वजह से भूल भुलैया के जिस डार्क हिस्से को एक्सप्लोर नहीं किया है. उसे भी वो देखने जाएगा. उसे ये पता चल गया है कि सारा और सिर्फ और सिर्फ उसके दिमाग की ही उपज है. अब इसे अपने डर के साथ खेंलने में मजा आने लगा है.

इसी के साथ हेम को ये भी एहसास हुआ है कि अभी तक उसी के बिलीफ सिस्टम ने उसे पीछे रींवने का काम किया है. उसे पता चल गया है कि उसकी परेशानी की सारी बाह उसका बिलीफ सिस्टम ही है.

इसलिए अब उसने ये फैसला कर लिया है कि उसे खुद को चैलेन्ज करना है. खुद को चैलेन्ज करने के साथ ही साथ वो खुद के बिलीफ सिस्टम को भी चैलेज करने वाला है. लेखक बताना चाहते हैं कि प्रोग्रेस का रास्ता चैलेज से होकर ही गुज़रता है. इसान तब तक कुछ भी हासिल नहीं कर सकता है. जब तक वो खुद को चैलेज करना नहीं

सीखेगा.

इसी विश्वास के हेम और होप आगे बढ़ते हैं. उन्हें एक दरवाजा मिलता है. जिसे खोलने के बाद उन्हें क्या मिलता है? क्या उन्हें चीज़ और एप्पल की खदान मिल गयी है? ऐसा कुछ भी नहीं होता है उन्हें एक खाली कमरा मिलता है. जिसे देखकर हेम निराश हो जाता है. वो फिर से वापस जाना चाहता है. लेकिन होप उसे समझाती है, उसे याद

दिलाती है कि मुख्ं तुम यहाँ पर खुद की बिलीफ को चैलेज करने आये हो. तुम्हे नए अवसर की तलाश करनी है. तुम तो अभी हार मानने लगे हो?

यहाँ लेखक बताते है कि हमें बहुत जल्दी हार नहीं मान लेनी चाहिए

इसके बाद हेम और होप का लम्बा संघर्ष और सफर जारी रहता है. उन्हें एक टनल भी मिलती है जिससे होते हुए उन्हें फिर से एक दरवाज़ा मिलता है. जिसको खोलने के बाद उन्हें खुला आसमान और बहुत सारे पेड़-पौधे और चीज़ और एप्पल मिलते हैं. इसी के साथ ही साथ हेम को उसका दोस्त हव भी मिल जाता है.

वो दोनों फिर से साथ में हो जाते हैं. इसके बाद दोनों अपनी जिंदगी की नई शुरुमात करते हैं,

यहाँ एक कहानी सत्म होती है. लेकिन एक वेटर अभी बाकी है.

दूसरों की मदद से भी हमें हैप्पीनेस मिल सकती है?

इस चैप्टर के पहले हमने देखा कि हेम ये सोच लिया था कि उसे नई चीज़ की तलाश करती पड़ेगी. वो ये भी जान गया था कि उसे खुश रहने के लिए चीज की तलाश में निकलना ही पड़ेगा वहा पर ये सही था कि उसे खाने के लिए नए सोर्स की तलाश करनी जरुरी थी. लेकिन ये सही बिल्कुल भी नहीं था कि नया सोर्स भी चीज ही होगा.

जैसा कि फिर आपने पड़ा भी था कि वो आगे बड़ा और उसे खाने के लिए एप्पल मिले थे. तब उसे ये एहसास हुआ था कि एप्पल खाकर भी जिंदा रहा जा सकता है. इसी के साथ वो और आगे बढ़ा और उसे पता चला कि चीज़ और एप्पल के अलावा भी जिंदगी बहुत सी चीजों में है.

इसी के साथ उसे ये भी पता चला था कि इस दुनिया में खुश रहने के और भी बहुत से तरीके हैं. इसी के साथ इस कहानी में ये देखना चाहिए कि हेम की मदद होप ने की थी.

हेम को असली खुशी की राह होप ने ही बताई थी. अगर होप ना होती तो पता नहीं हेम को और कितना संघर्ष करना पड़ता.

इस कहानी के द्वारा लेखक ने ये बताना चाहते हैं कि लाइफ में कई बार दूसरे भी हमें बहुत ज्यादा खुशी देकर जाते हैं.

जरूरी नहीं है कि हेप्पीनेस का दरवाज़ा केवल आपको ही मालुम हो, इसी के साथ ये भी ज़रूरी नहीं है कि आपके लिए केवल भाप ही हैप्पीनेस का दरवाज़ा खोल सकते हैं,

इसके पहले सभी अध्यायों में ये बताया गया है कि सबसे बड़ी बात नज़रिए की होती है. आपको अपनी सोच और नज़रिए को बड़ा करना पड़ेगा. जितनी जल्दी आप ये कर लेंगे आपको हैप्पीनेस का रास्ता भी मिल जाएगा,

आपको इस किताब में अभी तक कई एजाम्पल्स से पॉवर ऑफ़ बिलीफ के बारे में बता दिया गया है. इसी के साथ ही साथ अभी तक आपको ये भी पता चल गया है कि ईसानी जिंदगी में बिलीफ सिस्टम पॉजिटिव असर के साथ नेगेटिव असर भी छोड़ सकता है.

इसी के साथ अब तक आपने ये भी जान लिया है कि ये हमारे ऊपर ही है कि हम अपने किस बिलीफ को कब तक पकड़ कर रखना चाहते हैं.

अगर हमको अपनी लाइफ में खुशियां चाहिए तो फिर हमारे अदर वेंज को एक्सेप्ट करने की काबिलियत भी होनी चाहिए.

इसी के साथ हमें ये भी पता होना चाहिए कि कम्फर्ट जोन में रहने से कुछ नहीं मिलता है. हमें अपने कम्फर्ट जोन से बाहर आकर भी खेलना चाहिए.

लेखक बताना चाहते हैं कि हमेशा अपनी गली के शेर बनकर जिंदगी जीने का कोई मतलब नहीं है. आपको चेंज को एक्सेप्ट करते हुए अपने बिलीफ सिस्टम को चुनौती देते हुए कम्फर्ट जोन से बाहर आकर खेलना आना चाहिए.

हेप्पीनेस भी खुली हुई बाहों से उन्ही का स्वागत करती है. जिनके अदर जिंदगी को जीने का जज्बा होता है.

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