MAA by Munshi premchand.

आज बन्दी छूटकर घर आ रहा है। करुणा ने एक दिन पहले ही घर लीप-पोत रखा था। इन तीन सालों में उसने मेहनत-मजदूरी करके जो दस-पाँच रूपये जमा कर रखे थे, …

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SWAMINI by Munshi premchand.

About शिवदास ने भंडारे की चाबी अपनी बहू रामप्यारी के सामने फेंककर रोते हुए कहा- “बहू, आज से घर की देखभाल तुम्हारे ऊपर है। मेरी खुशी भगवान से देखी नहीं गयी …

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