
यह किसके लिए है
-वेजो मन की शांति पाना चाहते हैं।
-वैजो फिलासफी पढ़ना पसंद करते हैं।
-वैजो हर वक्त तनाव में रहते हैं।
लेखक के बारे में
रेयान हॉलिडे ( Ryan Holiday) अमेरिका के एक लेखक और मीडिया स्ट्रैटेजिस्ट हैं। वे अमेरिकन मपेरल कै मार्केटिग डाइरेक्टर रह चुके हैं। उनकी कंपनी का नाम बास चेक है जो कि गूगल और हिटर जैसी कंपनियों को सलाह देने का काम करती है।
यह किताब आपको क्यों पढ़नी चाहिए
दुनिया भर में आज बहुत से लोग हैं जो कि काम करने के और कामयाब होने के बारे में हर वक्त बात करते रहते हैं। लेकिन इस कामयाब होने की रेस में हम एक बात हमेशा भूल जाते हैं जो कि कामयाब होने से भी ज्यादा जरुरी है। वो है – सुकून हासिल करना। आप कामयाब इसीलिए होना चाहते हैं ताकि आपको सुकून मिल सके, शांति मिल सके।
यह किताब बताती है कि किस तरह से आप उस शांति को पा सकते हैं। यह किताब सिर्फ स्टिलनेस के महत्व के बारे में ही नहीं बताती, बल्कि यह भी बताती है कि किस तरह से कामयाब होने के लिए भी स्टिलनेस को अपनाना जरूरी है। यह उस फिलासफी के बारे में हमें बताती है जिसका हस्तेमाल इतिहास के सबसे कामयाब लोग खुद को
तनाव से आजाद करने के लिए करते थे।
इसे पढ़कर आप सीखेंगे
स्टिलनेस का मतलब क्या होता है और आप इसे कैसे हासिल कर सकते हैं।
एक हाबी किस तरह से आपकी मदद कर सकती है।
-आराम करना क्यों जरूरी होता है।
आज के वक्त में स्टिलनेस से ही शांति पाई जा सकती है।
दुनिया में शोर बढ़ता ही जा रहा है। बाहर से हर वक्त कभी ट्रैफिक की तो कभी कुत्तों के मौकने की आवाज आती रहती है, तो कभी हमारा फोन ही हर 5 मिनट के बाद हमें एक नोटिफिकेशन देता है। हमारा इनबाक्स हर तरह के मैसेज से भरा पड़ा रहता है। इसके अलावा हमारे दिमाग में भी ना जाने कितने खयाल हर वक्त आते रहते हैं। हमारी जिन्दगी में हमेशा कुछ न कुछ परेशानियां चलती रहती हैं और हम उन्हें लेकर हमेशा चिंता में रहते हैं। इस तरह से आज ना तो हमारे बाहर शांति है और ना ही हमारे अदर।
लेकिन यह जरूरी नहीं है कि आप इसी तरह से अपनी जिन्दगी बिंताएँ। स्टिलनेस को अपना कर आप शांति हासिल कर सकते हैं। लेकिन यह स्टिलनेस होता क्या है?
जब आप किसी काम में या किसी खयाल में इतने खोए रहते हैं कि आपको यह पता ही नहीं लगता कि समय कैसे बीत गया, तो उसे ही स्टिलनेस कहा जाता है। जब आप स्टिल होते हैं, तो आप अपने ध्यान को भटकने से रोक कर उसे सिर्फ एक चीज़ पर लगाते हैं, अब चाहे आप उसे एक किताब पढ़ने पर लगाएँ, रास्ते में चल रही हवा को महसूस करने पर लगाएं या अपने पार्टनर से बात करने पर लगाएँ।
रेइनर मारिया रिल्के नाम की एक कवित्री ने कहा कि जब आप ल्टिलनेस की अवस्था में होते हैं, तो आप खुद को पूरा महसूस करते हैं। उस वक्त आपको किसी दूसरी चीज़ की जरूरत महसूस नहीं हो रही होती है। स्टिलनेस की अवस्था में आप अदर और बाहर, दोनों ही तरफ से आने वालों आवाजों को बंद कर देते हैं। अगर आप स्टिलनेस की अवस्था में जाना सीख लें, तो आप किसी भी तरह के माहौल में शांति पा सकते हैं।
जल्दबाजी में फैसले ना लेकर आप खुद को स्टिलनेस की अवस्था में ले जा सकते हैं।
अमेरिका के राष्ट्रपति कैनेडी जब एक दिन सोकर उठे, तो उन्हें पता लगा कि उनका दुश्मन सोवियत रशिया अमेरिका के तट से 100 मील दूर अपनी मिसाइल बेस बना रहा है।
यह अमेरिका पर एक बहुत बड़ा खतरा था। कैनेडी के सारे सलाहकारों को यह लग रहा था कि सोचियत अमेरिका पर हमला करने की प्लानिंग कर रहा है।
इस तरह के हालात में सभी को सिर्फ एक रास्ता दिख रहा था सोवियत के मिसाइल बेस पर हमला कर के उन्हें तबाह कर दिया जाए और खुद को बरबादी से बचा लिया जाए। लेकिन कैनेडी ने सोच समझ कर फैसला लेने के बारे में सोचा। इसके बाद 13 दिन तक वे सोचते रहे और इन 13 दिनों के माहोल को क्यूबन मिसाइल क्राइसिंस के नाम से जाना गया।
कैनेडी कभी अपनी नोटबुक में दो जहाजों को बनाते जो पानी आराम से तेर रही थी तो कभी वे वाइट हाउस के रोज गार्डन में जाकर टहला करते। उनकी नोटबुक में एक तरफ मिसाइल, मिसाइल, मिसाइल” लिखा था तो एक तरफ लीडर, लीडर, लीडर” लिखा था।
काफी समय तक अकेले रहकर सोचने के बाद उन्होंने फैसला किया कि वे क्यूबा को ब्लॉक कर देंगे। वे उस जगह को चारों तरफ से घेर लेंगे और वहाँ पर हर किसी को आने
जाने नहीं देंगे। साथ ही उन्होंने सोवियत की प्रेसिंडेंट निकिता कुशेव को सोचने के लिए कुछ समय दिया।
इसके 1 दिन के बाद प्रेसिडेंट निकिता कुशेव ने एक चिट्ठी लिखी जिसमें उन्होंने कहा कि वे मिलकर इस मसले को सुलझा लेंगे। लेकिन अगर अमेरिका से किसी ने भी लड़ाई छेड़ने की कोशिश की तो वे पीछे नहीं हटेंगे।
इसके बाद समझौता शुरू हुआ और दुनिया एक बहुत बड़े न्यूक्लियर युद्ध से बच गई। अगर यह युद्ध होता तो इसमें लगभग 7 करोड़ लोगों की जान का खतरा था। हालात शांत हो गए। ऐसा सिर्फ इसलिए हुआ क्योंकि कैनेडी ने जल्दबाजी में फेसला ना कर के सोचने के लिए कुछ समय निकाला।
इसी तरह से जब आपका सामना किसी समस्या से हो, तो आप सबसे पहले रुक जाइए, अपने काम करने की रफ्तार को कम कर दीजिए। कभी भी भावनाओं में बहुकर
फैसला लेने की कोशिश मत कीजिए। खुद को सोचने का समय दीजिए और एक बेहतर समाधान अपने आप ही आपके पास आ जाएगा।
प्रेजेंट में रहिए और हर उस चीज़ को अपनी जिन्दगी से निकाल दीजिए जो आपका ध्यान भटकाती है।
आज के वक्त में लोग हमेशा कहीं न कहीं खोए रहते हैं। वै या तो अपने फोन में खोए रहेंगे या फिर अपने खयालों में। वे एक खूबसूरत नजारे को औरचों से देखने के बजाय उसका फोटो खींचेंगे। वे अपने दोस्तों के साथ बेठकर भी फेसबुक पर लाइक्स और कमेंट्स देखते रहेंगे। जब वे अकेले रहेंगे, तो वे उस पर ध्यान नहीं देंगे जो उनके सामने रखा हुआ है, बल्कि ये उस काम के बारे में सोचते रहेंगे जो उन्हें करना है।
इस तरह से आप कभी स्टिलनेस को हासिल नहीं कर पाएंगे। स्टिलनेस हासिल करने के लिए आपको प्रेजेंट में रहना सीखना होगा। आपको इस बारे में सोचना बंद करना होगा
कि दुनिया में क्या चल रहा है। आपको हर चीज़ के बारे में जानकर अपडेटेड रहने की चाहत को दबाना होगा।
इस मामले में हम नेपोलियन से कुछ सीख सकते हैं। नैपोलियन के पास जब भी कोई दूत कुछ ऐसी खबर लेकर आता था जो कि बहुत जरूरी होती थी, तो वे उसे 3 हफ्ते के बाद पढ़ते थे। उन्होंने अपने मंत्रियों से कह कर रखा था कि किसी भी खबर के आने पर वे उसे कम से कम 3 हफ्ते के बाद ही उन्हें बताए। वे अक्सर यह देखते थे कि 3 हफ्ते में वह समस्या सुद ही सुलझ जाती थी और नेपोलियन को उसे सुनने की जरूरत ही नहीं पड़ती थी।
वे कहते थे कि उन्हें नींद से जगा कर कोई भी अच्छी खबर ना दी जाए। लेकिन अगर कोई बहुत बुरी खबर है जिसे सुलझाने के लिए तुरंत काम करना जरूरी है, तो उसके बारे में उन्हें तुरंत बताया जाए और उसे सुलझाने के लिए काम तुरंत शुरु किया जाए। इस तरह से वे अपने दिमाग में सिर्फ उन चीज़ों को ज्ञाने देते थे जो जरूरी थी।
हर रोज डायरी लिखने से आप खुद को बेहतर तरीके से समझ सकते हैं।
एनी फ्रैंक की किताब “द डायरी ऑफ अ यंग गर्ल’ आज 80 सालों के बाद भी पढ़ी जाती है। इसमें उन्होंने लिखा था कि हिटलर के समय में लोगों पर किस तरह से जुल्म किए जाते थे। वे अपने साथ हो रही हर घटना को रात को सोने से पहले लिख्या करती थीं। उनका कहना था कि इससे वे खुद को दूसरे की नज़र से देख पाती थी। इससे उन्हें खुद के बारे में बहुत सी बातें पता लगती थीं।
एनी ने कहा कि डायरी लिखने से वे अपनी अच्छी और बुरी, दोनों ही आदतों को पहचान पातीं थीं। अगर हर कोई बनने की कोशिश करे, तो यह दुनिया कितनी बेहतर हो जाए।
तरह से डायरी लिखे और अगले दिन पहले से बेहतर
लेकिन वो एनी ही नहीं थी जिन्होंने डायरी लिखने के फायदों के बारे में जाता। यह प्रथा कई सौ सालों से चली आ रही है। ग्रीक फिलासफर सेनेका ने भी डायरी लिखने के बहुत से फायदों के बारे में जाता। वे अपनी छोटी से छोटी बात को भी अपनी डायरी में लिखा करते थे।
यहाँ तक की आज की स्टडीज़ में भी यह बात सामने आई कि डायरी लिखने से आपको ट्रामा और डिप्रेशन से राहत मिल सकती है। इसलिए हर रोज रात को डायरी लिखने की आदत बनाइए। दिन भर आपने जो भी काम किए उनपर एक नज़र डालने की कोशिश कीजिए। कुछ मुश्किल सवालों का जवाब लिखिए जैसे
मैं आज उस बात को लेकर इतना गुस्सा क्यों हो गया?
मैं हर वक्त दूसरों को खुश करने के लिए क्यों काम करता रहता हूँ?
हर रोज अपने मन के खयालों को लिखते रहने से आप स्टिलनेस के करीब पहुंच जाएंगे।
शांति में रहकर आप अपने अंदर की आवाज को सुन सकते हैं।
जैसा कि हमने पहले सबक में देखा, हमारे आस पास बहुत ज्यादा वाज होती रहती है। जब यह आवाज नहीं होती है, तो हम अपनी जिन्दगी को आवाज से भरने लगते हैं। हम या तो फिल्में देखेंगे या फिर गाने सुनेंगे। इस तरह से हम बेकार की आवाज को नए तरह की आवाज से बदल देते हैं और कभी शांति में रहने के फायदों को नहीं जान पाते।
जान केज नाम के एक म्यूजिक कंपोसज़र थे जिन्होंने 1928 में कहा था कि अमेरिका को साल में एक बार मौन व्रत दिवस मनाना चाहिए। केज शायद पहले ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने शांति के बारे में खुलकर बात की थी और अपने काम में भी शांति को दिखाने की कोशिश की थी।
केज के 433 नाम से अपना एक कंपोजीशन निकाला था जिसमें 4 मिनट और 33 सेकेंड तक शांति के अलावा और कुछ नहीं है। लोग जब उन्हें सुनने के लिए कासर्ट में थे, तो उन्हें पियानों की पहली धुन पर हवाओं के चलने की आवाज और दूसरी धुन पर बारिश की आवाज आने लगी।
केज ने कहा कि जब आप शांति में होते हैं, तो आपका दिमाग असल में उन आवाजों को सुन पाता है जिने वो अब तक अदेखा करता आ रहा था। इससे हमें ध्यान लगाने की ताकत मिलती है और हम अपने फोकस को बढ़ पाते हैं। शांति में रहना हमें बहरा नहीं बनाता, बल्कि हमें अच्छे से सुनना सिखाता है।
रेन्डाल स्टमैन ने कहा कि शांति में बैठने से हम उन समस्याओं का हल खोज निकालते हैं जो हमें बहुत समय से परेशान कर रही थीं। इससे माप खुद को रीचार्ज कर पाते हैं और स्टिलनेस की तरफ बढ़ पाते हैं।
अगर आपके मन और आत्मा में शांति नहीं है, तो आप कभी स्टिलनेस की अवस्था में नहीं पहुंच पाएंगे।
मन के शांत होने से आप कामयाबी पा सकते हैं। इससे आपको अपने काम पर फोकस करने की पूरी ताकत मिलती है। लेकिन जब तक आपकी आत्मा में शांति नहीं रहेगी,
तब तक आप कभी सुकून नहीं पा सकेंगे। आप सुशी पाने के लिए एक जगह से दूसरी जगह पर भागते रहेंगे, लेकिन शांति आपको कभी नहीं मिलेगी। कुछ ऐसा ही हुआ इतिहास के महान गोल्फर टाइगर वुड्स के साथ। 2008 में उन्होंने अपने 14वाँ मेजर जीता। उन्होंने तीसरी बार यूएस ओपन गोल्फ चैंपियनशिप जीती। इस जीत में खास बात यह थी कि इस चैंपियनशिप को खेलते वक्त उनका पैर 2 जगह से टूटा हुआ था। इतिहास में इस तरह की कामयाब उनसे पहले किसी ने हासिल नहीं की थी।
लेकिन इसी के कुछ समय के बाद यह सुनने में आया कि टाइगर का अलग अलग पोर्नस्टार और चेट्रेस के साथ अफेयर चल रहा है। यही नहीं, उनका अपने खानदान के ही लोगों की बेटियों के साथ भी अफेयर वल रहा था। इसके बाद 10 साल तक उन्होंने कुछ नहीं जीता।
जब आपके पास दिमाग की शांति होती है लेकिन आत्मा की शांति नहीं होती, तो आप टाइगर वुड्स बन जाते हैं। टाइगर के माता-पिता ने उन्हें दिमाग को शांत रखने के लिए बहुत अच्छे से ट्रेन किया था। जब टाइगर गोल्फ खेल रहे होते थे, तो उनके पिता पीछे से उन्हें गालियां दिया करते थे। अगर टाइगर ने अपना ध्यान भटका दिया, तो उन्हें बहुत मार खानी पड़ती थी। साथ ही उनकी माँ हमेशा उनपर इस बात का दबाव बनाए रखती थीं कि वे समाज में नाकाम होकर उनकी नाक न कटाएँ।
इस तरह से टाइगर ने जमकर मेहनत कर के अपने दिमाग को शांत रखना तो सीख लिया, लेकिन बचपन में प्यार ना मिलने की वजह से वे आत्मा की शाति हासिल ना कर पाए। उनकी कहानी हमें यह सिखाती है कि अगर किसी वीज़ को हासिल करने के लिए आपको अपनी आत्मा की शांति की कुर्बानी देनी पड़े, तो आपको उस चीज़ के पीछे भागना छोड़ देना चाहिए। उसे हासिल कर लेने पर भी आप कभी राहत नहीं पा सकेंगे।
आपकी इच्छाएं आपको हमेशा स्टिलनेस से दूर खींचकर ले जाएंगी।
कितनी बार आप उस चीज के पीछे भागे हैं जिसकी आपको जरुरत नहीं थी? हो सकता है आपके पास पहले से एक फोन रहा हो, लेकिन क्योंकि आप उसे 2 साल से इस्तेमाल करते करते ऊब गए थे, सिर्फ इसलिए आपने एक नया फोन ले लिया? या फिर हो सकता है कि आप ने मार्केट में कुछ नया देखा हो और तुरंत उसे खरीदने के लिए दौड़ पड़े हो?
इस तरह की हच्छाएं आपको हमेशा एक जगह से दूसरी जगह पर ले जाती रहती हैं। आप कभी इन्हें पूरी तरह से शांत नहीं कर पाएंगे और इनके रहते कभी स्टिलनेस की तरफ नहीं बढ़ पाएंगे।
एपिक्यूरस ग्रीक के एक महान फिलासफर थे, जो अपनी इच्छाओं को काबू में करने के लिए एक आसान से सवाल का इस्तेमाल करते थे। वे किसी भी चीज़ को खरीदने से पहले या फिर किसी भी काम को करने से पहले सुट से पुछते थे – इसे कर लेने के बाद मुझे कैसा महसूस होगा?
इस तरह से वे सिर्फ गलत काम करने के बारे में ही नहीं, बल्कि उसके अंजाम के बारे में भी सोचा करते थे। लेकिन सवाल यह उठता है कि इन इच्छाओं को काबू कैसे किया जाए? इसके लिए आपको खुद को यह यकीन दिलाना होगा कि आपके पास पहले से बहुत कुछ है और अब आपको कुछ नहीं चाहिए। इसपर आप कहेंगे कि ऐसा कर लेने से तो आप जिन्दगी में कभी कुछ हासिल नहीं कर पाएंगे। लेकिन आपको यहाँ एक बात समझानी चाहिए कि संतुष्ट होने का मतलब यह नहीं है कि आप काम करना बंद कर के सन्यास ले लें, इसका मतलब यह है कि आप पैसा या कामयाबी कमाने के लिए नहीं, बल्कि अदर शांति पाने के लिए काम करना शुरू कीजिए।
दुनिया के महान लेखक या कलाकार खुद को साबित करने के लिए या फिर पैसे कमाने के लिए नहीं, बल्कि आत्मसुख के लिए काम करते थे। लगभग सारे कामयाब कलाकार बहुत सारी कामयाबी और पैसा कमा लेने के बाद भी काम कर ते गाए, क्योंकि उन्हें अपने काम से प्यार था उन्हें अब कुछ और हासिल करने की जल्दी जरूरत नहीं थी और इसलिए वे अपनी इच्छाओं को काबू कर के पूरा ध्यान अपनी कला पर लगा पाते थे।
अगर आप भी खुद को यह यकीन दिला देंगे कि आप ने पहले से ही बहुत कुछ हासिल कर लिया है, तो आप भी अपनी इच्छाओं को काबू कर सकेंगे।
प्रकृति के साथ जुड़ने पर आपको राहत मिल सकती है।
पहले के समय के जितने भी फिलासफर थे, वे अक्सर प्रकृति के बीच में रहा करते थे। प्राकृतिक माहौल में रहने से आपको मन की शांति मिलती है जिससे स्टिलनेस की अवस्था में जाना आसान हो जाता है। एनी फ्रेक भी जब जेल में थी जो वे जेल के ऊपर एक जगह पर चढ़ जाती थी और वहाँ पर बैठकर बाहर के नजारे को देखती थी। बाद में उन्होंने अपनी डायरी में लिखा कि जब तक यह पेड़, पहाड़ और सूरज जिन्दा है, तब तक वो कभी उदास नहीं हो सकती। जापान में एक कहावत है जिसता नाम है शिरिन योका। इसका मतलब होता है जंगलों में नहाना। यह एक थेरेपी है जिसमें प्रकृति की मदद से लोगों के दुख दर्द को मिंटाने की कोशिश की जाती है। आसान शब्दों में कहा जाए तो जापान के लोग यह मानते हैं कि प्रकृति के साथ जुड़ने पर आप अपनी तकलीफ को कम कर सकते हैं।
अब हर किसी के लिए यह संभव नही होगा कि वे हर रोज इस तरह के प्राकृतिक माहौल में जाए। जो लोग शहरों में रहते है, उन्हें कोई प्राकृतिक माहौल खोजने के लिए कई किलोमीटर दूर जाना पड़ सकता है। लेकिन फिर भी आप हर रोज की चीजों में खूबसूरती खोज कर भी सुद को शात कर सकते हैं।
रोम के फिलासफर मार्कस आरेलियस ने इसी तरह से छोटी छोटी चीज़ों में खूबसूरती खोजी थी। यहाँ तक कि उन्होंने अंधेरे और मौत में भी खूबसूरती खोजी थी। उन्होंने कहा कि मौत से डरकर भागने की बजाय हमें उसे अपन लेना चाहिए। हमें जिन्दगी को उसी तरह से छोड़ना चाहिए जिस तरह से एक पका हुआ फल पेड़ की डाली को छोड़ता है। तो चाहे आप किसी जेल में रह रहे हों या फिर शहरों में, आप अपने आस पास ही कहीं खूबसूरती खोजने की कोशिश कीजिए। इससे आपको मन की शांति मिलेगी।
कुछ काम करते रहने से आप हमेशा सेहतमंद रहेंगे।
स्टिलनेस पाने के लिए आपको सिर्फ अपने मन पर नहीं बल्कि अपने शरीर पर भी ध्यान देना होगा। एक हाथी की मदद से आप यह काम आसानी से कर सकते हैं। दुनिया के सभी महान लोगों के पास एक हाबी थी, जिसका इस्तेमाल वे तनाव से बाहर आने के लिए किया करते थे। इसकी मदद से उन्हें अपने काम से कुछ वक्त से लिए छुटकारा मिलता था और वे अपने मन को कुछ समय के लिए आराम दे पाते थे।
एक्साम्पल के लिए एल्बर्ट आइन्सटाइन को ले लीजिए। वे वायलिन बजाया करते थे। 1945 में जब हिरोशिमा और नागासाकी पर हमला हुआ था, तो उन्हें इससे बहुत
तकलीफ हुई थी। उनके ही बनाए गए फार्मुले का इस्तेमाल कर के बम बनाए गए थे जिससे उस दिन हजारों लोगों की मोत हो गई थी। इस तरह के हालातों से जब भी उनका सामना हुआ, वे वायलिन बजा कर खुद को शांत किया करते थे।
सिर्फ आइन्सटाइन ही नहीं, विन्सटन चर्चिल की भी कुछ अजीब सी हाबी थी। वे अपने खाली समय में ईंट बिछाया करते थे। वे सिमेंट और बालू का मिक्सवर तैयार करते और उससे दीवारें बनाया करते थे। इससे उनके हाथ पैर की कसरत होती थी और यह उनके लिए एक तरह का मेडिटेशन भी था।
चर्चिल बहुत ही कामयाब व्यक्ति थे। उन्होंने 40 किताबें लिखीं थीं और लगभग 2000 से ज्यादा स्पीच दी थी। वे ब्रिटेन के प्राइम मिनिस्टर थे और 26 साल की उम्र से हो पार्लियामेंट के सदस्य भी थे। वे अपने मन के साथ साथ अपनी सेहत का भी खयाल रखा करते थे। भगर आप भी एक ऐसी हाबी खोज सके जिसमें भापके हाथ पैरों की कसरत हो सके तो आपके कामयाब होने की संभावना भी बढ़ जाएगी। इससे आप हर दिन के प्रेशर से राहत पा सकेंगे और अगले दिन अपने काम पर अच्छे से ध्यान दे पाएगे।
आराम करना और अच्छी नींद लेना आपके अच्छे से काम कर पाने के लिए बहुत जरुरी है।
आप ने बहुत से लोगों को कहते हुए सुना होगा – जब मैं मर जाउगा, तब मैं आराम करुंगा। लेकिन सच्चाई यह है कि अगर आप आराम नहीं करेंगे तो आप मर जाएंगे। इसके बहुत अ एक्साम्पल हैं प्रिंस एल्बर्ट जो 19वीं शताब्दी में रानी विक्टोरिया के पति थे।
वे अपने काम को बहुत ज्यादा सीरियसली लेते थे। वे लगातार मीटिंग्स बुलाते रहते थे और “द ग्रट एक्सिबिशन पर काम कर रहे थे। “द ग्रेट एक्सिबिशन ब्रिटेन एंपायर के लिए एक जश्न था जो कि 5 महीने तक चलने वाला था। इसकी तैयारी करने में एल्बर्ट ने अपना पूरा जोर लगा दिया था। जब तैयारियाँ खत्म हुई, तो उन्होंने कहा कि वे पूरी तरह से मरा हुआ महसूस कर रहे थे। इसके बाद उनकी तबीयत कुछ इस तरह से खराब हुई कि वे मर ही गए।
दावरों ने कहा कि उनकी मौत की वजह उनका बहुत ज्यादा काम करना था। वे असल में काम करते करते मर गए थे। इस तरह से यह बात साबित होती है कि अगर आप आराम नहीं करेंगे, तो आप मर जाएंगे। काम करते रहने के लिए आपका जिन्दा रहना जरूरी है और जिन्दा रहने के लिए आराम करना बहुत जरूरी है।
अच्छी नींद ना लेने से आपके काम करने की क्षमता कम हो जाती है। आप 1 घंटे के काम को 2 घंटे में करने लगते हैं। इस तरह से आप अगर दिन में 16 घंटे काम कर रहे हैं, तो भी आप सिर्फ 8 घंटे का काम पूरा कर रहे हैं। लेकिन वही 8 घंटे अगर आप सो ले, तो आप बचे हुए 8 घंटे में 10 घंटे का काम पूरा कर सकते हैं।
एंडरटस एरिकसन ने अपने रीसर्च में देखा कि जो वायलिन बजाने के इस्ताद थे, वे नौसिखियों के मुकाबले ज्यादा सोया करते थे। सिर्फ यही नहीं, वे उनके मुकाबले दिन में ज्यादा आराम भी किया करते थे।
इसलिए कभी भी काम करने के चक्कर में आराम करने के गहत्व को अनदेखा मत कीजिए।