यह किसके लिए है
वेजो खुश रहने के तरीके जानना चाहते हैं।
-वैजो अपने दिमाग पर कुछ ज्यादा भरोसा करते हैं।
वैजो अपने फ्यूचर या पास्ट को लेकर परेशान रहते हैं।
लेखक के बारे में
मो गावदत Me Gawdat ) गुगल एक्स के चीफ बिजनेस आफिसर रह चुके हैं। उनका पूरा नाम मोहम्मद गावदत है। वे एकआन्रप्रीन्योर है और एक लेखक हैं।
यह किताब आपको क्यों पढ़नी चाहिए
बहुत से लोग आज तनाव में रहते हैं। उन्हें लगता है कि जिन्दगी एक के बाद एक उनकी उम्मीदों पर पानी फेर देती है। लेकिन क्या हो अगर हम कहें कि इन सारे दुखों की वजह आपका दिमाग ही हो? क्या हो अगर हम कहें कि आपका दिमाग ही कुछ इस तरह से काम करता है कि उसे बदले में इतनी तकलीफें मिलती हैं?
यह किताब हमें उस वहम के बारे में बताती है जो हम अपने अदर पाल कर रखते हैं। जब ये वहम टूटते हैं, तो हमें तकलीफ होती है। जब आप इन झूठी बातों से खुद को आजाद कर लेते हैं तो आप खुश रहते हैं, क्योंकि तब आपके विश्वास सच पर आधारित होते हैं, जो कि कभी टूटते नहीं हैं। यह किताब ऐसा कर पाने में आपकी मदद करती है।
इसे पढ़कर आप सीखेंगे
वो कौन से झूठ हैं जो आपको खुश नहीं रहने देते।
-चो कौन से वहम हैं जो आपको खुश नहीं रहने देते।
-वे कौन से सब हैं जिन्हें अपना कर आप खुश रह सकते हैं।
खुशी आपको तब मिलती है जब जिन्दगी आपको आपकी उम्मीद से ज्यादा देती है।
अगर आप कुछ छोटे बच्चों को देखिए तो आपको पता लगेगा कि पैसे या फिर साधनों से आप खुश नहीं रह सकते। जब तक वो बच्चे भूखे नहीं होते या फिर दर्द में नहीं होते,
वे हमेशा खुश रहते हैं और खेलते रहते हैं। इसका मतलब आप यह कह सकते हैं कि जब आपके पास दुख नहीं होता, तब आप खुश रहते हैं। लेकिन हम में से बहुत से लोगों का पेट हमेशा भरा रहता है और दर्द भी नहीं होता, लेकिन फिर भी हम लोग उदास रहते हैं। ऐसा वयो? क्योंकि जैसे जैसे हम बड़े होते हैं, हम जिन्दगी से बहुत कुछ माँगने लगते हैं। हम उससे कई सारी उम्मीदे करने लगते हैं और जब हमारी वो उम्मीदें पूरी नहीं होती हैं तो हम
उदास हो जाते हैं। इसी उदासी के होने की वजह से आप खुश नहीं रह पाते। जब लेखक ने इसके बारे में सोचा. तो उन्होंने खुशी का यह फार्मुला बनाया
“आप जिन्दगी से जितनी उम्मीदें करते हैं माइनस जिन्दगी आपको जितना देती है बराबर आपकी खुशी।
इसका मतलब अगर आप जिन्दगी से बहुत कम की उम्मीद कर रहे हैं और जिन्दगी आपको बदले में कुछ ज्यादा दे रही है तो आप खुश रहेंगे। लेकिन अगर जिन्दगी आपको उससे कम दे रही है या फिर वो नहीं दे रही है जो आप चाहते हैं, तो आप दुखी रहेंगे।
लेकिन आपकी जिन्दगी में खुशी और दुख से ज्यादा भी बहुत कुछ है। यह सब कुछ समझना इतना आसान नहीं है। इमारी भावनाएं बहुत उलझी हुई हैं। कभी कभी हम खुद बहुत उलझ जाते हैं, कभी हम बहुत अच्छा महसूस करते हैं, कभी उदास रहते हैं और कभी गुस्से में रहते हैं। लेकिन यह भावनाए कितनी भी ज्यादा हों, हमारी मंजिल है खुश रहना।
अगर आपको जिन्दगी में खुश रहना है, तो आपको खुद से ज्यादा उम्मीदें करना छोड़ना होगा। आपको खुद को भ्रम में रखना छोड़ना होगा। यह भ्रम 6 तरह के है, जिनके बारे में हम आने वाले सबक में जानेंगे।
खुशी पाने के लिए सबसे पहले यह जानिए कि आप असल में कौन हैं।
हर कोई अपने दिमाग में खुद से बात करता है। लेकिन यह आप नहीं हैं। आपके अंदर जो आवाज है जो आप से हर वक्त कहती रहती है कि आप ने क्या सही किया या गलत किया, जो आपको यह बताती रहती है कि आपको क्या करना चाहिए और किस तरह से, वो आवाज आपका अस्तित्व नहीं है।
1930 के दशक में लेव वाइगोत्स्की नाम के एक साइकोलाजिस्ट ने देखा कि जब हम अपने दिमाग में खुद से बात कर रहे होते हैं, तो हमारे वाइसबाक्स में कुछ हलचल होती है। उन्होंने बताया कि जब हम खुद से बात करते हैं, तो हमारा दिमाग असल में हमारे आस पास की चीज़ों को अच्छे से समझ कर उसे हमें समझाने की कोशिश कर रहा होता है।
1990 के दशक में दूसरे न्यूरोसाइटिस्ट्स ने इस बात को कन्फर्म किया। उन्होंने देखा कि जब हम किसी और से बात करते हैं और जब हम खुद से बात करते हैं, तो हमारे दिमाग का एक ही हिस्सा काम करता है। इसका मतलब वो आवाज़ जो आपके अदर है, वो असल में आपका दिमाग है जो आप से बात कर के इस दुनिया को समझने की कोशिश कर रहा है ताकि यो बेहतर फैसले ले सके। लेकिन वो आप नहीं हैं। वो सिर्फ एक आवाज है, जिसके बिना भी आप जिन्दा रह सकते हैं।
यह वो पहला भ्रम था जिसे आपको अपने अंदर से निकालना है। अगर आपके अंदर कुछ नेगेटिव भावनाएं पैदा हो रही हैं, तो यह मत सोचिए कि आप बुरे हैं। यह सिर्फ आपका दिमाग है जो सिर्फ उस वक्त चल रहे हालातों को समझने की कोशिश कर रहा है ताकि वो भाने वाले वक्त में भच्छे फैसले ले सका हो सके तो अपने अंदर चल रही इस बात को कम करने की कोशिश कीजिए।
तो सवाल यह उठता है कि आप असल में कोन है। नहीं, यह आपका ईगो या आपका आपका शरीर भी नहीं है। यह आपका दूसरा भ्रम है। अगर आप अपने ईगो को या फिर अपने शरीर को खुश रखने की कोशिश करेंगे, तो आप खुश नहीं रहेंगे क्योंकि वो तो आप है ही नहीं। कौन है आप? इसे जानने के लिए सबसे पहले उन सभी चीजों को निकाल फेकिए जो हमेशा के लिए नहीं रहने वाली है। सिर्फ उस चीज़ को अपने पास रखिए जो हालात के साथ कभी नहीं बदलती। इसके बाद वो चीज़ जो अंत में बच जाएगी, वो चीज़ जो हर हालात में आपके साथ रहेगी, वही आप हैं।
आप वो है जो अपनी जिन्दगी को देख रहे हैं और उसे समझा रहे हैं। आप वो हैं जो पूरी जिन्दगी को देखते रहते हैं, लेकिन खुद दिखाई नहीं देते। अगर आपको खुश रहता है, तो सिर्फ अपनी जिन्दगी को देखते रहिए। उसमें होने वाली घटनाओं पर अच्छे या बरे का लेबल मत लगाइए। जब आप इस तरह से सिर्फ अपनी जिन्दगी को देखने का काम करते हैं तब आप खुश रहते हैं।
यह सोचना हमेशा फायदेमंद होता है कि आप असल में कुछ नहीं जानते।
कई हजार सालों तक हम यह मानते आए थे कि धरती चपटी है और सूरज हमारी धरती का चक्कर लगाता है। लेकिन आज हम यह जानते है कि वो बातें कितनी गलत थी। लेकिन उस समय के लोग इस बात को सच मानते थे और अगर उस समय किसी ने कहा होता कि धरती गोल है, तो उसे पागल कहा जाता।
इसका मतलब यह कि जरूरी नहीं है कि आप जो जानते हैं या मानते हैं वो सच ही हो। इतिहास में बहुत से वैज्ञानिक आए जिन्होंने बहुत सी बातें बताई और उस सगय के हिसाब से उनकी बातें को काट पाना नामुमकिन था। वो इसलिए क्योंकि उस समय किसी के पास इतनी जानकारी नहीं थी। समय के साथ हमारे पास ज्यादा जानकारी आती जाती है और हमें यह पता लगता रहता है कि हम जो पहले मानते थे, वो गलत था। जब हमें यह पता लगता है कि हमारी सोच गलत थी. तो हम उदास हो जाते हैं।
इसलिए यह मानना बिल्कुल ठीक होगा कि आपको कुछ नहीं आता। जब आप ऐसा करते हैं तो आप तीसरे भ्रम से खुद को आजाद करते हैं और नई जानकारी को अपने अदर जाने का रास्ता दिखाते हैं।
चौथा भ्रम है समय। समय कुछ ऐसा नहीं है जो हमेशा से था और हमेशा रहेगा। समय को हमने अपनी सुविधा के लिए बनाया है और अब हम इसकी वजह से परेशान हुए जा रहे हैं। न्यूटन ने बताया था कि समय कुछ ऐसा है जो कभी अपनी रफ्तार नहीं छोड़ता। लेकिन बाद में आइंस्टाइन ने उन्हें गलत साबित किया और बताया कि समय ब्रम्हांड में हर जगह अलग अलग रफ्तार से चलता है।
पहले के वक्त में हम आसमान में सूरज की पोजीशन देखते थे, फिर हम एक दिन को छोटा करते करते उसे एक सेकेंड तक लेकर आ गए। इस तरह से हमने समय बनाया, ताकि हम उसका इस्तेमाल कर सकें। लेकिन सवाल यह उठता है कि समय का खुशी से क्या लेना देना?
आपके पास जिनती चिंताएँ हैं, वो फ्यूचर को लेकर हैं और जिंतने अफसोस हैं वो पास्ट को लेकर हैं लेकिन अगर आप एक बार इस बात को गान ले कि यह फ्यूचर और पास्ट सिर्फ इंसान के दिमाग ने बनाया है और असल में तो ये कभी थे ही नहीं, तो आपका दुख खत्म हो जाएगा।
जब आप प्रेजेंट में रहते हैं, तो आपको एक बच्चे की तरह तभी दुख होता है जब आपको भूख लगी होती है या आपको दर्द होता है। लेकिन जब आप पास्ट में या पयूचर में रहने के लिए चले जाते है तो आपको हर वक्त दुख होता रहता है। तो समय के हिसाब रहना छोड़ दीजिए क्योंकि यह आपका चौथा भ्रम है।
अपनी जिन्दगी की घटनाओं पर आपका उतना काबू नहीं है जितना आप सोचते हैं।
आप ने बहुत से लोगों को लूडो खेलते वक्त डिडस को जोर से फेकते हुए देखा होगा। उन लोगों को लगता है कि इस तरह से उन्हें 6 मिल जाएगा। लेकिन अगर हम इसे कुछ ध्यान से सोचें तो हमें पता लगता है कि अगर डाइस से साथ खिलवाड़ नहीं किया गया है, तो। से लेकर 6 तक कुछ भी आ सकता है अब चाहे हम उसे केसे भी फेकें। इस तरह से लोग अपनी जिन्दगी की बहुत सी घटनाओं को काबू कर सकने का भ्रम अपने साथ लेकर घूमते हैं और जब उनके भ्रम टूटते हैं तो उन्हें तकलीफ होती है। आपको नहीं पता कि अगर सब कुछ आपके हिसाब से होने लगेगा तो धरती के दूसरे हिस्सों पर इसका क्या असर होगा। एडवर्ड लारेस ने बताया कि अगर कहीं पर एक कीड़े को मार दिया जाए तो उस घटना का असर किसी और जगह पर सुनामी ला सकता है। यहाँ पर हर एक घटना का एक नतीजा होता है। लाखों साल पहले अगर एक बंदर अगर मर गया होता तो शायद आप इस समय यह सेटेंस नहीं पड़ रहे होते। शायद आपका पूरा खानदान इस धरती पर कभी न आया होता। इसे बटरफ्लाई एफेयर कह जाता है।
इसका मतलब इस दुनिया का एक भी पत्ता अगर आपकी मर्जी से हिल जाए तो न जाने क्या होगा। इसलिए, सब कुछ काबू करना छोड़कर उन चीजों पर ध्यान लगाइए जिसे बदलकर आप अपनी जिन्दगी में सुधार ला सकते हैं।
इसके अलावा भाप जिन चीज़ों डरते हैं, उसका कोई मतलब नहीं है। बहुत से डर होते हैं जो हमारे अंदर हालात की वजह से बस जाते हैं। जो बच्चा बचपन में कभी पानी में दूबने से बचा था, वो जिन्दगी भर पानी में कूदने से डरता है। तैरना सीखने के बाद भी वो उससे डरता रहता है।
1920 में एक साइकोलाजिस्ट ने एक छोटे बच्चे के सामने एक चूहा रखा। समय के साथ उस बच्चे को उस चूहे की आदत पड़ गई और चूहा जब उसकी गोद में बैठा रहता था तो भी वो बच्चा शांत रहता था। लेकिन जब वो साइकोलाजिस्ट उस चुडे को जोर से चिल्लाते हुए उस बच्चे के सामने लाकर रखता है, तो वो बच्चा उससे डरने लगता है। एक ही चीज जब आपके सामने अलग अलग हालात में लाई जाती है तो आप उसे अलग तरह से देखते हैं।
अपने इर से जीतने के लिए सबसे पहले आपको यह मानना होगा कि आप उससे डर रहे हैं। इसके बाद जब आप उसका सामना करेंगे तो आपको लगेगा कि उस चीज़ से डरने वाली कोई बात नहीं है। इस छठवें प्रम से निकलने के बाद आप यह जानने के लिए तैयार हो जाएंगे कि आप किस तरह से खुश रह सकते हैं।
हमारा दिमाग पुराने जमाने के हालात के हिसाब से आज भी काम करता है।
बहुत से लोग हर हालात में नेगेटिव सोचते हैं। अगर वे कुछ नया करने जा रहे है तो उनका दिमाग सबसे पहले सोचता है – नहीं हुआ तो? पहले के वक्त में जब हम जंगलों में रहा करते थे तो इस तरह से हर बार हालात को देखकर सबसे खराब नतीजों के बारे में सोचना जरुरी था, क्योंकि उस समय जंगल खतरों से भरा होता था और आपकी एक छोटी सी लापरवाही आपको किसी का डिनर बना सकती थी। लेकिन आज के वक्त में इस तरह से इरकर जीना बिल्कुल गलत है।
यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सस ने अपने स्टूडेंट्स से कहा कि वे दो हफ्तों तक अपने हर खयाल को पेज़ पर लिखकर रखें। यह पाया गया कि उनके 60% से 70% खयाल नेगेटिव थे। आपका दिमाग एक वकील की तरह काम करता है जो कि आपके सिर पर मंडरा रहे हर खतरे से आपको बचा कर रखने की कोशिश करता है और साथ ही आपका नाम भी बचाकर रखता है। लेकिन पहले के वक्त में इस तरह से रहना जरूरी था क्योंकि आपका अंदाजा गलत हो जाना ठीक था, लेकिन मरना ठीक नहीं था। अगर आपको इससे निकलना है तो आपको इन तीन चीज़ों को पहचान कर उन्हें निकालना होगा।
सबसे पहले हैं फिल्टर। आप जिस रास्ते से होकर हर रोज अपने काम पर जाते हैं, उस रास्ते पर कुछ दुकाने पड़ती होगी। क्या आपको उन सभी दुकानों के नाम याद है? रास्ते में आपको हर दिन ना जाने कितने सारे लोग दिखते होंगे। उनमें से आपको कितने लोगों का चेहरा याद है? हग अपने आस पास की सभी चीजों पर ध्यान नहीं देते हैं और ना ही उसे याद रखने की कोशिश करते हैं क्योंकि अगर हमारा दिमाग इतना सब याद रखने लगे तो उसके लिए यह अच्छा नहीं होगा। लेकिन ऐसे में जब आप सिर्फ एक चीज़ पर ध्यान देते हैं, तो आप बहुत कुछ मिस कर रहे होते हैं। इसलिए यह जरूरी नहीं है कि जो आप ने नहीं देखा, वो बात गलत हो।
इसके बाद आता है अनुमान लगाना। अगर हमें पूरी बात नहीं पता होती तो हम उन खाली जगहों को भरने के लिए खुद से कहानियां बनाने लगते है जो कि अक्सर गलत होती है। जैसा कि हमने पहले देखा कि हमारा दिमाग बहुत नेगेटिव सोचता है और आप जब अंदाजा लगाते हैं, गलत अजादा लगाने की संभावना बहुत ज्यादा होती है जिनसे कि आप फिर से खुद को एक वहम में रखने लगते हैं जिसके टूटने पर आपको दुख होता है।
इसके बाद तीसरा होता है भविष्य का अनुमान लगाना। इस समय के हालात को देखते हुए बहुत से लोग भविष्य के बारे में बताने लगते हैं। मान लीजिए कि आपका दोस्त किसी वजह से आप से कुछ दिनों से बात नहीं कर पा रहा है। ऐसे में बहुत से लोग अनुमान लगा लेते हैं कि वो अब उनसे बात नहीं करना चाहता। ऐसे में वे भी उससे बात करना बंद कर देते हैं, जिससे उनका सोचा हुआ सच हो जाता है और फिर उन्हें लगता कि वे जो सोच रहे थे सही सोच रहे थे।
इस तरह से आप अपने अदर बहुत से वहम पाल कर रखते हैं जिसके टूटने पर आपको तकलीफ होती है।
हमारा दिमाग कभी कभी चीज़ों को अलग तरह से देखता है।
हम चीज़ों को उस तरह से नहीं देखते जैसी वो असल में होती हैं। उस चीज़ ने आपको कैसा महसूस कराया, हम उस भावना के हिसाब से उस चीज़ को याद रखते हैं। अगर आप एक नई गाड़ी खरीद कर ला रहे है और उसके आते ही आपका अपने किसी खास दोस्त से झगड़ा हो जाए, तो शायद आपको लगेगा कि वो गाड़ी मनहूस है। इसका मतलब यह नहीं है कि वो गाड़ी असल में वैसी है, इसका मतलब है कि आप उसे उस नजर से देखते हैं।
इसके बाद आते हैं लेबला हम जल्दी फैसले लेने के लिए लेबल का इस्तेमाल करते हैं। इससे हमारा समय और एनर्जी बचता है। एक्साम्पल के लिए, बहुत से लोग खूबसूरत लोगों को ज्यादा समझदार और दयालु मान लगते हैं। या फिर अगर कोई व्यक्ति सिंपल कपड़ों में है तो हम उसे देखकर यह मान लेते हैं कि वो एक आम आदमी होगा। लेकिन यह जरूरी नहीं है कि ऐसा असल में हो। अगर आप घर से आफिस के लिए निकल रहे हैं और तभी बारिश होने लगे, तो वो आपके लिए बुरी बात हो सकती है क्योंकि आप बारिश के ऊपर अपने हालात के हिसाब से एक लेबल लगा रहे हैं, लेकिन शायद किसी किसान के लिए यह बहुत अच्छी बात हो।
इसके बाद आती हैं भावनाएं। एक मुवी देखते वक्त जब भी कोई ईमोशनल सीन आता है, तो बहुत से लोग रोने लगते हैं। लेकिन उन लोगों को अच्छे से पता है कि वे लोग नाटक कर रहे हैं। उन्हें पता है कि उन्हें इस तरह से नाटक करने के लिए पैसे दिए गए हैं ताकि वे उसे हगें दिखा कर हम से पैसे ले सकें। लेकिन हम रोने लगते हैं। इसकी वजह है हमारी भावनाएं। शायद आपको लगता होगा कि आप लाजिक के हिसाब से काम करते हैं, लेकिन आप असल में भावनाओं के हिसाब से काम करते हैं।
इसके बाद सातवा और आखिरी है सच को बढ़ा चढ़ा कर बताना या उसके बारे में कुछ बढ़ा चढ़ा कर सोचना। एक्साम्पल के लिए बहुत से लोग आतंकी हमलों से डरते हैं और उसके बारे में सोचना भी पसंद नहीं करते। लेकिन वही लोग ट्रैफिक एक्सिडेंट से नहीं डरते जबकि ट्रैफिक एक्सिडेंट होने की संभावना आतंकी हमलों से बहुत ज्यादा है। ये हर रोज़ हर घंटे कहीं न कही होते रहते हैं और हमेशा उसमें किसी की मौत होती रहती है। लेकिन लोग उससे ज्यादा आतंकी हमलों से इरते हैं क्योंकि आतंकी हमलों में मौत निश्चित होती है जबकि ट्रैफिक एक्सिडेंट में बचने की कुछ सभावना होती है। इसलिए हमारा दिमाग आतंकी हमलों को कुछ ज्यादा खतरनाक मानता है, भले ही वे बहुत कम क्यों न होते हों।
हर वक्त कुछ काम करते रहने से आप खुश नहीं रहेंगे।
अब तक हमने वहम और झूठ की बात की जिससे हम खुश नहीं रह पाते। अब हम उस पाँच सच की बात करेंगे जिन्हें अपनाने से आप खुश रह सकते हैं। इस सबक में हम पहले सच की बात करेंगे।
जब बहुत से लोगों पर एक स्टडी की गई तो यह बात सामने आई कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कौन हैं या फिर आप क्या काम करते हैं, जब तक आप प्रेजेंट में रहेंगे, तब तक आप खुश रहेंगे। जैसा कि हमने देखा कि किस तरह से हमने समय को बनाया लेकिन फिर हम उसी की वजह से परेशान रहने लगे। जब हम फ्यूचर के बारे में सोचते हैं तो हमें चिंता होती है और जब हम पास्ट के बारे में सोचते हैं तो हमें पछतावा होता है। लेकिन प्रेजेंट में रहकर अपने आस पास की चीज़ों को देखने से किसी को कोई तकलीफ नहीं होती।
प्रेजेंट में रहने के लिए आपको होने और करने में अतर समझना होगा। हम हमेशा कुछ करते रहते हैं क्योंकि हमें लगता है कि कुछ ना करने से कुछ करते रहना अच्छा होता। हम एक बार रुक कर अपनी जिन्दगी की दिशा के बारे में सोचने की कोशिश नहीं करते हैं कि वो कहाँ पर जा रही है। हम हमेशा कुछ करते रहते हैं इसलिए हमें यह सोचने का मौका ही नहीं मिलता।
आपको करने की मानसिकता को छोड़कर होने की मानसिकता को अपनाना होगा। इसको वू वी कहा जाता है जो कि एक ताओहस्ट माइडिया है। याह कहता है कि कभी कभी आप जो सबसे अच्छा काम कर सकते हैं वो है कुछ ना करना। एक पेड़ लगाने के बाद और उने पानी, खाद दे देने के बाद आप कुछ करेंगे तो शायद उस पेड़ पर बुरा असर पड़ सकता है। आपके कुछ भी करने से वो पेड़ जल्दी बड़ा नहीं होगा तो सबसे पहले प्रेजेंट में रहना सीखिए। यह देखिए कि आपके आस पास क्या हो रहा है, आप एक दिन में कितना खाना खाते हैं, आपके आफिस से आपके बॉस का आफिस कितनी कदम की दूरी पर है। यह जरूरी नहीं है कि आप खुश रहने के लिए ध्यान करें। सिर्फ अपने माहौल पर ध्यान देते रहिए और प्रेजेंट में रहने की कोशिश कीजिए।
इसके अलावा आप टीवी, मोबाइल या कंप्यूटर देखना बंद कर दीजिए। एक हपते तक घड़ी के बिना सारे काम करने की कोशिश कीजिए। किसी काम को तब तक करते रहिए जब तक आपका उसमें मन लग रहा है। अगर उसमें मन नहीं लग रहा है लेकिन वो जरूरी है तो थोड़ा ब्रेक ले लीजिए और फिर उस काम को करने की कोशिश कीजिए। जब आप इस तरह से खुद को टेक्नोलॉजी से दूर कर देते हैं, तो आप खुद को अपने आस पास का माहौल देखने के लिए मजबूर कर देते हैं। इसके अलावा एक बार में सिर्फ एक काम करने की कोशिश कीजिए।
चीज़ों में बैलेंस खोजने की कोशिश कीजिए।
दूसरा सच यह है कि चीजें हमेशा बदलती रहती हैं और आप उसे काबू करने के लिए कुछ नहीं कर सकते। आप अपने हालात को काबू नहीं कर सकते, लेकिन आप खुद को काबू कर सकते है। सब कुछ काबू करने की कोशिश करने के बजाय, चीज़ों को खुट से बेलेंस में आने का मौका दीजिए। अच्छी और बुरी ताकतें एक दूसरे को बैलेंस करती है और दोनों का होना जरूरी है।
इसलिए आप भी सब कुछ एक तरफा करने की कोशिश मत कीजिए। खुद में हमेशा स्वराबियों ही मत निकालिए, कभी अपनी खूबियों को भी समझने की कोशिश कीजिए।
हमेशा काम के बारे में मत सोचिए, कभी कभी अपने सपनों को पूरा करने का मन भी बनाइए। जब आप एक पर कुछ ज्यादा ध्यान लगाने लगते हैं, तो दूसरी चीज़ पर इसका असर पड़ने लगता है जिससे वो चीज़ खराब हो जाती है।
इसके अलावा दूसरों से खुद की तुलता मत कीजिए। यह देखिए कि उनके पास क्या नहीं है जो आपके पास है। इससे आप यह पता कर पाएगे कि आप किन मामलों में उनसे बेहतर हैं। लेकिन हर वक्त यह करते रहने से शायद आपको लगने लगे कि आप सबसे बेहतर हैं। इसलिए कभी कभी यह भी देख लिया कीजिए कि उनके पास क्या है जो आपको पास नहीं है और आपको लगता है कि आपके पास होना चाहिए।
इस तरह से भाप चीजों के बीच में बेलेंस खोज सकते हैं और अपनी जिन्दगी को डगमगाने से बचा सकते हैं।
किसी से बेवजह प्यार करना खुशी का तीसरा राज है।
सच्चा प्यार वो होता है जिसकी कोई वजह नहीं होती। जब आप किसी से कुछ माँगते नहीं हैं, या उससे कुछ पाने की उम्मीद नहीं करते और वो व्यक्ति आपको कुछ देता भी नहीं, तो क्या आपको उससे दुख होगा? नहीं। आपको दुख तब होगा जब आप उससे किसी वजह से प्यार करेंगे और वो वजह बाद में चलकर पूरी ना हो। सच्चे प्यार की कोई काह नहीं होती और इसे करने वाले सामने वाले से कोई उम्मीद भी नहीं करते।
हमारी ज्यादातर भावनाओं की कुछ ना कुछ वजह होती है। आपको गुस्सा इसलिए आता हैं क्योंकि आपको उस व्यक्ति की बातें अच्छी नहीं लगती। जब वो आपके इंट्रेस्ट की
बात करने लगेगा, तो आपको गुस्सा नहीं आएगा। जब वजह को खत्म कर दिया जाता है तो वो भावना भी खत्म हो जाती है। लेकिन जब आप किसी से बेवजह प्यार करते हैं,
तो आप उससे हमेशा प्यार करेंगे अब चाहे हालात कुछ भी हो।
अब सवाल यह उठता है कि किस तरह से हम इस प्यार को पा सकते है। इसे पाने से पहले आपको इसे देने के बारे में सोचता होगा। जब आप कुछ देते है तो आपको वह वापस मिलता है। किसी व्यक्ति की मदद सिर्फ ऐसे ही कर दीजिए, भले ही वो आपकी मदद कर सके या नहीं। किसी राह चलते व्यक्ति को यूँ ही एक फूल दे दीजिए, भले यो आपको जानता हो या नहीं। इस तरह से जब आप बेवजह लोगों से प्यार दिखाते हैं, तो लोग भी आप से बेवजह प्यार करने लगते हैं।
एक स्टडी में कुछ स्टूडेंट्स को पैसे दिए गए और उन्हें उसे खर्च करने के लिए कहा गया। जिन स्टूडेंट्स ने उसे अपने ऊपर खर्च किया वे उनके मुकाबले कम खुश थे जिन्होंने उसे दूसरों के ऊपर खर्च किया। इस तरह से प्यार देकर आप प्यार पा सकते हैं।
मौत से डरने की बजाय उसे अपनाना सीखिए।
अगर आप ने जोनाथन स्विफ्ट की नावेल द गुलिवर्स ट्रैवेल पढ़ी है तो आपको पता होगा कि जब गुलिवर्स अपने चौथे सफर पर जाता है तो उसकी मुलाकात हाइनहाइम्स से
होती है जो कि बोलने वाले घोड़े रहते हैं। हाइनहाइम्स मौत को जिन्दगी का एक हिस्सा मानते थे और जब भी उनके यहाँ किसी की मौत हो जाती थी तो वे उसके लिए दुखी नहीं होते थे। जिस तरह से शादी करना, नौकरी पाना या पैसे कमाना हर व्यक्ति की ज़िन्दगी का एक हिस्सा माना जाता है, वे मौत को भी कुछ इसी तरह से देखते थे। लेकिन हम इससे डरते हैं और इससे बारे में बात करना पसंद नहीं करते हैं। मौत आपकी जिन्दगी का चौथा सच है और इस सच से आज तक कोई भी नहीं बचा है। आप हर
दिन मरते हैं। अगले चार महीने में आपके 2500 अरब सेल्स मर जाएंगे और उसके बदले में नाए सेल्स पैदा हो जाएंगे। मौत से ही जिन्दगी पैदा होती है।
जब एक जिन्दगी खत्म होती है तो वो किसी और को एक नई जिन्दगी देती है। एक पौधा एक जानवर को खाना देता है और जब वो जानवर मरता है तो वो कीड़ों को खाना देता है। हमारी धरती इसी तरह से चलती आ रही है। जरा सोचिए क्या होगा अगर कोई ना मरे तो? इस धरती पर एक दिन इतने सारे लोग और जानवर हो जाएंगे कि हमारे पास पैर रखने की जगह भी नहीं बचेगी। ऐसे में जिन्दगी मौत से बेकार हो जाएगी।
इसलिए मौत से भागने या डरने की बजाय उसे अपनाना सीखिए। किसी भी चीज़ से प्यार करने का सबसे अच्छा तरीका है यह सोचना कि वो चीज़ एक दिन आपके पास नहीं रहेगी। जय माप यह सोचेंगे कि आप हमेशा के लिए जिन्दा नहीं रहेंगे, तो आप कुछ ज्यादा भच्छे से जीने की कोशिश करते हैं। आप अपनी जिन्दगी में साल नहीं जोडते, बल्कि साल में जिन्दगी जोड़कर एक साल में कुछ ज्यादा जीने की कोशिश करते हैं।
हम किसी के होने का सबूत तो दे सकते हैं, पर किसी के ना होने का सबूत नहीं दे सकते।
क्या आप मानते है कि भगवान होते हैं ? आज के वक्त में भगवान में मानने वाले लोगों की संख्या कम होती जा रही है, लेकिन लेखक को लगता है कि उसके पास इसका एक
सही जवाब है। एक्साम्पल के लिए, आपको यह पता है कि पान्डा होते हैं। आप ने उन्हें फिल्मों में या फिर जू में देखा होगा इसलिए आप यह कह सकते हैं कि पान्डा होता है। लेकिन अगर हम आप ने पूछें कि क्या प्लंकी नाम का कोई जानवर होता है? शायद इसपर आप कहेंगे कि आपको नहीं पता। लेकिन अगर आप ने इसे नहीं देखा है और आपको इसके होने का अब तक कोई सबूत भी नहीं मिला, तो इसका मतलब यह तो नहीं है कि जानवर होता ही नहीं।
अगर हमें यह साबित करता है कि कोई चीज़ नहीं है तो हमें उसके बारे में हर एक बात जाननी होगी और उसे हर जगह पर खोजना होगा। लेकिन इतने बड़े ब्रम्हान्द में हम हर जगह पर जा पाए,ऐसा अब तक तो नहीं हो पाया है। इसके अलावा हम कभी भी सब कुछ नहीं जान सकते।
इसका मतलब साफ है। हम यह साबित नहीं कर सकते कि भगवान नहीं होते। जब हमें किसी चीज़ के बारे में सब कुछ सही से नहीं पता होता, तो हम संभावना की बात करते हैं। एक्साम्पल के लिए जब आप एक सिक्का उछालते हैं तो हेड आने की संभावना 50% होती है, लेकिन जब आप एक डाइस फेकते हैं, तो 6 आने की संभावना लगभग 16% हो जाती है। इस तरह हो जब बहुत सारे पहलू हो जाते हैं तो उसमें से किसी एक के होने या ना होने की संभावना बहुत कम हो जाती है और हम यह कभी नहीं कह सकते कि वो चीज है ही नहीं।
क्योंकि यह स्पेस बहुत ज्यादा बड़ा है, हम यह कभी नहीं कह सकते कि यहाँ पर क्या है और क्या नहीं है। ऐसे में हमारे लिए यह मान लेना अच्छा होगा कि यहाँ पर कोई ना कोई ऐसी ताकत है जो यहाँ की खूबसूरती को बरकरार रखने का काम करती है। हम उसे डिजाइनर कह सकते है और कुछ लोग उसी शक्ति को भगवान कहते हैं।