
यह किसके लिए है
वेजो तनाव में रहते हैं और ज्यादा नेगेटिव सोचते हैं।
वैजो फिलासफी पढना पसंद करते हैं।
वे जो दूसरों के साथ साथ खुद को सगड़ाना चाहते हैं।
लेखक के बारे में
गैथ्यूकली ( Matthew Kelly) एक लेखक और स्पीकर है। वें आाहने मिक कैथोलिक स्टिट्यूट के फाउंडर है, जो कि लोगों को पहले से बेहतर बनाने की कोशिश करते हैं। उनके सेमिनार को लगभग 50 देशों के 40 लाख लोगों ने अटेंड किया है। वे सिडनी आस्ट्रेलिया के रहने वाले हैं।
यह किताब आपको क्यों पढ़नी चाहिए
हम में से हर कोई चाहता है कि वो खुश रहे। लोग चाहते हैं कि वे सेहतमंद रहें, कामयाब रहे और पहले से बेहतर बनें। लेकिन हम में से बहुत से लोग गलत तरीकों को अपना कर इन चीजों को पाने की कोशिश करते हैं जिसकी वजह से ना तो हमें यह चीजें मिलती है और ना ही खुशी।
यह किताब हमें बताती है कि किस तरह से आप अपनी जिन्दगी को एक बेहतर तरीके से जी सकते हैं। यह किताब हमें बताती है कि किस तरह से आप खुद को समझ सकते हैं, दूसरों को समझ सकते हैं और उस चीज़ पर ध्यान लगा सकते हैं जो कि आपके लिए सबसे ज्यादा जरुरी है। यह किताब हमें बताती है कि किस तरह से आप खुश रह सकते हैं।
इसे पढ़कर आप सीखेंगे
-विरोध करने से किस तरह से आपकी खुशी कम हो जाती है।
मौत के बारे में सोचना किस तरह से फायदेमंद हो सकता है।
-दूसरों को समझाने के लिए आपको पहले क्या करना होगा।
जब आप अपनी जिन्दगी में विरोध करना छोड़ देते हैं तो आप जीत जाते हैं।
विरोध करने का मतलब क्या होता है? इसका मतलब होता है वो कामना करना जो हमें पता है कि हमें कर लेना चाहिए, पर हम आलस की वजह से या फिर किसी और वजह से उसे नहीं करते। एक्साम्पल के लिए, हम सभी को पता है कि हमें सुबह उठ जाना चाहिए, लेकिन जैसे ही अलार्म बजता है, हम उठने का विरोध करने लगते हैं और सूज बटन दबा कर फिर से सो जाते हैं।
इसके अलावा लेखक के पास बहुत से लोग यह पूछने के लिए आते हैं कि किस तरह से वे अपनी किताब को प्रिंट करवा सकते, लेकिन इन में से बहुत से लोग कभी अपनी किताब पूरी लिखते हो नहीं हैं। वे सिर्फ सलाह लेते हैं, अपनी किताब को आधा लिखते हैं और फिर जब उनके पास आइडियाज़ खत्म होने लगते हैं, तो वे आलस के मारे उसे नहीं लिखते।
इस तरह के विरोध से लड़ने के लिए आप उस वाह को एक नाम दे दीजिए जिसकी वजह से आप वो काम करने में हिचकिवा रहे हैं। अगर आप आलस की वजह से उस काम को नहीं कर रहे हैं, तो कहिए कि आलस की वजह से आप उस काम को नहीं कर रहे हैं। इसके बाद दूसरा तरीका है प्रार्थना करना।
लेखक अपना काफी समय सफर पर बिताते हैं और बहुत व्यस्त रहते हैं। शोर में रहने से एक व्यक्ति का मूड आसानी से खराब हो सकता है। लेकिन जब वे प्रार्थना करते हैं, तो उन्हें इस बात का एहसास होता है कि उनका मकसद क्या है।
वे खुद से यह चार सवाल पूछते हैं मैं कौन हूँ? मेरी जिन्दगी का मकसद क्या है? कौन सा काम सबसे जरूरी है? कौन सा काम सबसे कम मायने रखता है?
इस तरह के सवाल उन्हें जिन्दगी का रास्ता दिखाते हैं और यह बताते हैं कि उन्हें किस काम पर अपना ध्यान देना चाहिए। इनसे वे खुद को आध्यात्म से जोड़ पाते हैं।
जब आप मौत के बारे में सोचेंगे तो आपको जिन्दगी बहुत साफ दिखाई देगी।
बहुत से लोगों को लगता है कि अगर उनके पास नया फोन आ जाए, या फिर वे कामयाब हो जाए तो वे खुश हो जाएंगे। लेकिन खुशी अदर की बात होती है और वो इस बात पर बहुत कम निर्भर करती है कि आपके बाहर क्या हो रहा है। इसलिए अगर आपको खुश रहना है, तो आपको यह जानना होगा कि आपकी वैल्यूस क्या है। साथ ही आपको मौत के बारे में सोचना होगा, ताकि आपको यह एहसास हो कि आपके पास एक सौमित समय है और इसमें आप सब कुछ नहीं कर सकते। इसलिए आपको इसपर ध्यान देना होगा जो सबरो जरूरी है।
लेखक को इस बात का पता तब लगा जब वे एक अस्पताल के लिए काम कर रहे थे। उन्होंने वहाँ पर काम करने वाली नर्स से पुछा कि मरते वक्त बुढ़े लोगों को किस बात का अफसोस सबसे ज्यादा होता है। वहाँ कि नर्स ने बताया कि मरते वक्त उन्हें सबसे ज्यादा दुस्ख होता है उन कामों को ना करने का जिसे वे कर सकते उस रिस्क कोना लेने का जो वे ले सकते थे। उन्हें किसी काम को ना करने का अफसोस होता है।
लेखक को उस दिन पता लगा कि चाहे वे कितना भी सेफ खेलने की कोशिश करें, एक ना एक दिन तो ये भी मर ही जाएगे। इसलिए उन्हें प्रेजेंट में जीना चाहिए और उस काम को करने में ध्यान लगाना चाहिए जो कि उनके लिए जरूरी है। अगर आप यह सोचे कि गरते वक्त आपको किस काम को ना करने का अफसोस होगा, तो आप यह पता कर सकते हैं कि आपके लिए सबसे जरूरी क्या है। जब आप वो काम करेंगे जो आपके लिए सबसे जरुरी है, तो आप खुश रहेंगे।
यह कहना तो आसान है, लेकिन करना मुश्किल। तो आप कैसे इस मुश्किल काम को आसान बना सकते हैं? इसका भी जवाब आसान है – यह सोचना कि यहाँ पर हर कोई एक जंग लड़ रहा है और आप ही इसमें अकेले नहीं है। लेखक को जब पता लगा कि उन्हें कैसर है, तो उन्हें बहुत धक्का लगा। यह उनके जिन्दगी की सबसे खौफनाक खबर थी। हालांकि यह पता लगने से पहले सब कुछ ठीक था, लेकिन जैसे ही उन्होंने यह सुना, उनकी जिदगी पलट गई।
लेकिन फिर भी उन्होंने देखा कि उनके बाहर की दुनिया वैसी ही चल रही है। लोग उसी तरह अपने काम पर जा रहे हैं और जिन्हें नहीं पता है कि उन्हें कैंसर है, वे उनसे उसी तरह से बात कर रहे हैं। उस दिन उन्हें पता लगा कि हो सकता है उनकी तरह हर कोई यहाँ पर एक बहुत बड़ी समस्या का सामना कर रहा हो, लेकिन ऊपर से देखने में हर कोई ऐसा दिखता है कि उसकी जिन्दगी में सब कुछ ठीक है।
तो इस तरह से आप जब दूसरों को समझेंगे, तो आप खुद को बेहतर तरह से समझ पाएगे और इस तरह से आप खुश रह सकेंगे यह सोच कर कि आप इस जंग में अकेले नहीं है।
अपनी जिन्दगी में अच्छी किताबों को जगह देकर आपको यह जानना होगा कि पैसा सबसे जरुरी चीज़ नहीं है।
बहुत से लोगों को पढ़ना बिल्कुल पसंद नहीं होता। लेकिन किताबें वो चीजें हैं जो आपको मुश्किल वक्त में भी हौसला दे सकती है। लेखक के पास लगभग 1,000 किताबें हैं और उनमें से जिन किताबों ने उनके ऊपर बहुत गहरा असर डाला है, उन्होंने उन किताबों को सबसे ऊपर रखा है।
लेखक की पिछली किताब द रिथा आफ लाइफ को लिखने के लिए उन्होंने अपनी मनपसंद 37 किताबों से आइडियाज़ लिए थे। उन्होंने अलग अलग टापिक्स पर किताबें चुनी, जैसे कि फिलासफी, साइकोलाजी, बिजनेस, इतिहास और थियोलाजी। इसमें पार्कर जे पाल्मर की किंताब लेट योर लाइफ स्पीक और पीटर जे कीफ्ट्स की किताब श्री फिलासफीस आफ लाइफ शामिल थे।
लेखक यह मानते हैं कि वे बहुत नेगेटिव सोचते हैं और यह किताबें अच्छी सोच रखने में उनकी मदद करती है। लेखक कहते हैं कि वे खुद को हमेशा बेहतर बनाने की कोशिश करते हैं और वे सिर्फ पैसे कमाने के लिए काम नहीं करना वाहते। उनका मानना है कि पैसा जिन्दगी में सबसे जरुरी चौज़ नहीं है। जो चीज सबसे जरूरी है वो यह कि आप अपना काम जितना अच्छे से कर सकते हैं, उसे उतने अच्छे से करें।
एक्जाम्पल के लिए मान लीजिए आप अपने दोस्त कहते हैं कि अगर वो पेड़ लगाने में आपकी मदद करेगा. तो आप उसे एक पेड़ लगाने पर 1,000 रूपए देगा। आपका दोस्त सिर्फ पैसे के लिए आपकी मदद करता है और शाम तक गड्डा रयोदकर पैड़ लगाते लगाते वो बहुत थक जाता है। शाम को वो थका हारा घर वापस चला जाता है।
अब हम इसी को कुछ अलग नजर से देखते हैं। मान लीजिए आप अपने दोस्त के पास जाकर अपनी चिंता जताते हैं कि किस तरह से सरकार रोड़ चौड़े करने के लिए या फिर कुछ बनाने के लिए पेड़ काट रही है और कितना अच्छा होगा कि आप अपने दोस्त के साथ मिलकर वाताचरण को बवाने के लिए कुछ काम करें। अब जब आपका दोस्त अपने दिमाग में कुछ बड़ा लेकर काम करेगा, तो शाम को उसे एक सुकून मिलेगा कि उसने एक अच्छे नागरिक होने का फर्ज निभाया, उसने कुछ अच्छा काम किया। इस बार उसे पैसा बिल्कुल नहीं मिला, लेकिन फिर भी वो खुश है।
तो यह जरूरी नहीं है कि खुशी आपको पैसे से मिले। जब आपको यह लगेगा कि आप ने अपना काम भच्छे से किया है. तो आपको खुशी निलेगी।
अकेले रहकर आप खुद को समझ पाएंगे और अपने सुनने की क्षमता को बढ़ा पाएंगे।
हम में से बहुत से लोगों को अकेला रहना बिल्कुल पसंद नहीं है। हम अकेले में बोर हो जाते हैं और इसलिए कभी कभी हम उन लोगों के साथ बाहर जाने लगते हैं, जिनके साथ हम नहीं जाना चाहते। लेकिन आपको यह समझ लेना चाहिए कि अकेले बैठकर एक अच्छी किताब पढ़ने से अच्छा कुछ भी नहीं होता। जब तक आप खुद के साथ अकेले नहीं बोलेंगे. तब तक आप कभी खुद को अच्छे से नहीं समझ पाएँगे। खुद को समझना एक ऐसा काम है जिसे आपको खुद ही करना सीखना होगा। यह आपको कोई सिंखा नहीं सकता। अगर आपको किसी को भी बेहतर तरीसे से समझना है,
तो आपको उसके साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताना होगा और उसके काम पर ध्यान देना होगा। इसलिए खुद को समझने के लिए खुद के साथ अकेले समय बिताइए।
एक बार जब आपको खुद के साथ रहने की आदत पड़ जाएगी और आप खुद को समझा जाएगे, तो आपको दूसरों को भी अच्छे से समझाने की कोशिश करेंगे। जब आप दूसरों को अच्छे से समझने की कोशिश करेंगे, तो आप उन्हें अच्छे से सुनेंगे।
लेकिन किस तरह से आप किसी को अच्छे से सुन सकते हैं? लेखक इसके लिए 5 टिप्स देते हैं, जिन्हें अपना कर आप अपने रिश्ते को सुधार सकते हैं
- अपने पार्टनर की औरच से भारव मिलाइए और मुस्कुराइए यह दिखाता है कि आप उसकी बात में दिलचस्पी रखते हैं।
अपने बाडी लेग्वेज पर ध्यान दीजिए। आप सामने वाले के सामने किस तरह से बैठें है, वो यह दिखाता है कि आप उसके बारे में कैसा महसूस करते हैं। अगर आप अपने हाथ को मोड़ कर बैठे हैं, तो यह दिखाता है कि आप उसकी बात में दिलचस्पी नहीं रखते।
कभी दूसरों को काटिए मत। किसी को यह अच्छा नहीं लगता कि कोई उन्हें बीच में बोलते वक्त काट दे। अगर आप सागने वाले की बात से सहमत नहीं हैं, तो उसकी बात के खत्म हो जाने पर ही बोलिए।
सामने वाले की बात को ध्यान से सुनिए। अगर आप बीच में अपना फोन इस्तेमाल करने लगेंगे, तो उससे सामने वाले को यह लग सकता है कि आप उसकी बात को अच्छे से नहीं सुन रहे हैं।
सामने वाले से सवाल पूछिए। इससे उसे यह लगेगा कि आप वाकई उसकी बात सुन रहे थे और उसके बारे में और जानना चाहते हैं।
खुद को बेहतर बनाने के लिए बेहतर लोगों से दोस्ती कीजिए और छोटे समय की राहत के पीछे मत भागिए।
जैसा कि आपने बहुत बार सुना होगा, इंसान एक सामाजिक प्राणी है जो कि दूसरे लोगों के साथ रहना पसंद करता है। जब आपके आस पास के यह दूसरे लोग अच्छे होते है और आपको बेहतर बनाने की कोशिश करते हैं, तो आप पहले से बेहतर बन पाते हैं। लेखक इसके एक अच्छे एकज्ञाम्पल है। लेखक के दोस्तों ने देखा कि लेखक काफी समय ने अपना काम करने के लिए रोड पर समय बिता रहे हैं और इस वजह से उन्हें अपना लाइफ पार्टनर नहीं मिल रहा है। इसलिए उन्होंने लेखक को गोल्फ खेलने के लिए इनवाइट किया। लेकिन जब लेखक वहाँ पर पहुंचे तो उन्हें पता लगा कि उनके दोस्तों ने उन्हें बेवकूफ बनाया। उनके दोस्त सिर्फ उनसे बात करने के लिए उन्हें बुला रहे थे, ताकि वे लेखक को एहसास दिला सके कि वे अपनी जिन्दगी के साथ क्या कर रहे हैं।
उनके दोस्तों ने कहा कि वे अपने काम के लिए बहुत ज्यादा सफर कर रहे हैं और इस वजह से उनकी जिन्दगी रास्ते से भटक गई है। इस वजह से उनकी शादी नहीं हो रही है। हालांकि लेखक को इसका बुरा लगा, लेकिन बाद में उन्हें एहसास हुआ कि उनके दोस्त उनकी भलाई के लिए ही यह सब कर रहे थे। उन्होंने उनकी बात मान ली और इटरनेट के जरिए लोगों से मिलने लगे।
लेखक ने इंटरनेट के जरिए डाइनैमिक कैथोलिंक इंस्टिट्यूट को प्रमोट किया ताकि वे अमेरिका को फिर से कैथोलिक धर्म की बातों से जोड़ सकें। इसका उन्हें बहुत फायदा मिला।
इसके अलावा लेखक ने यह जाना कि छोटे समय की राहत के पीछे ना भागकर आप लम्बे समय की कामयाबी हासिल कर सकते हैं। डाइनेमिक कैथोलिक की स्थापना करने के बाद लेखक अपने दोस्तों के साथ के साथ बहुत कम समय बिताने लगे और दूसरे छोटे कामों को भी करना छोड़ने लगे जो कि उन्हें अच्छे लगते थे। लेकिन अत में जब उन्होंने 50 देशों में लेक्चर दिया और उनकी 1 करोड़ किताबें बिक गई तो उन्हें एहसास हुआ कि यह कितना फायदेमंद था।
इसके अलावा एक फेमस एक्सपेरिमेंट, जिसका नाम मार्शमैलो एक्सपेरिमेंट था. उसमें यह दिखाया गया कि जो बच्चे लम्बे समय में मिलने वाले फायदे के लिए छोटे समय की जरूरत को कुर्बान कर सकते थे, वे आगे चलकर ज्यादा कामयाब होते हैं।
अगर आपको कामयाब बनना है तो आपको नेगेटिव लोगों की बात को अनदेखा करना होगा
अच्छे नतीजे पाने के लिए आपको एक चीज़ को उसके सही जगह पर इस्तेमाल करता होगा। आपको यह जानना होगा कि आपका मिशन क्या है और इस तरह से आप यह जान पाएंगे कि आपके काम करने की सही जगह क्या है और कोन सा काम आपके लिए बना है। अगर आपको नहीं पता कि आपका मिशन क्या है, तो आप दूसरों की मदद करने से शुरुआत कर सकते हैं।
लेखक डाइनेमिक कैथोलिक के जरिए एक बूढ़ी महिला से मिले जो कि 70 साल की हो गई थी। वो चाहती थी कि वो अपनी बची हुई जिन्दगी में लेखक की तरह भगवान के बारे में सबको बताए। लेकिन उम्र की वजह से उसका यह कर पाना नामुमकिन था।
इसलिए उस महिला ने लेखक की किताब रीडिस्कवरिंग कैथोलिसिस्म आर्डर कर के उसे अपनी जिन्दगी के सबसे जरुरी लोगों को गिफ्ट कर दिया। चार साल के बाद, उस महिला के पास उन लोगों की चिट्ठिया आई जिन्हें उन्होंने वो किताब भेजी थी और उसमें लिखा गया था कि वे उस किताब के लिए उनके बहुत शुक्रगुजार हैं। उन्होंने बताया कि उस किताब को पढ़ने के बाद उनकी जिन्दगी बदल गई।
लेकिन आपको अपनी जिन्दगी के सफर में हमेशा इस तरह के लोग नहीं मिलेंगे जो कि आपके काम की तारीफ करें। बहुत से लोग आप से कहेंगे कि आप कभी अपने मकसद मैं कामयाब नहीं होंगे। जब लेखक शुरुआत में एक धार्मिक पब्लिक स्पीकर की तरह उभर रहे थे, तो उन्हें दो इवेंट आर्गनाइज़र्स ने कहा कि वे अपने मकसद में कामयाब नहीं होंगे और जब वे 25 साल के हो जाएगे तो उनकी बात सुनने के लिए कोई नहीं आएगा।
लेकिन लेखक के पास कुछ ऐसे भी लोग थे जो उनपर भरोसा करते थे। उन लोगों ने उन्हें ताकत दी जिसकी मदद से लेखक ने अपने काम से लाखों लोगों को प्रभावित किया और उन लोगों को गलत साबित किया जो उनपर भरोसा नहीं करते थे। चो लोग आज भी लेखक के ऊपर भरोसा करते हैं और मुश्किल वक्त में उन्हें हौसला देते हैं।