PRE SUASION by Robert Cialdini.

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About Book

ज़िन्दगी में ऐसे कुछ स्किल्स होते हैं, जिन्हें एक बार सीख लेने के बाद हम अजेय हो जाएंगे। ये बुक अब तक का सबसे इम्पोर्टेन्ट स्किल, पस्व्वेशन के बारे में बताती है। आप सीखेंगे कि, किस तरह किसी को भी, जो आप चाहते हैं वह करने के लिए कन्विंसस कर सकते हैं । आप लोगों से अपना प्रोडक्ट खरीदवा सकते हैं, उनसे अपनी बात मनवा सकते हैं, और उनका फोकस सिर्फ आप पर रखकर, आपकी लीड फॉलो करवा सकते हैं।

यह समरी किसे पढ़नी चाहिए?

उन सभी को जो अपना नया बिजनेस शुरू कर रहे हैं

जिन्हें अपना प्रोडक्ट बेचना है

जो क्लाइंट बुक करना चाहते हैं

कोई भी जो लीडर बनना चाहता है।

ऑथर के बारे में

रॉबर्ट शिआलडिनी मार्केटिंग, साइकोलॉजी और बिजनेस

के प्रोफेसर हैं। वो बेस्ट सेलिंग बुक्स Influence: The Psychology of Persuasion 3ik Yes!

50 Scientifically Proven Ways to Be Persuasive के भी ऑथर हैं। शिआलडिनी Influence at Work नाम की कंपनी के फाउंडर और प्रेसिडेंट हैं, जो प्रोफेशनल्स और ऑर्गेनाइजेशन को वर्कशॉप और सेमिनार देती है।

इन्ट्रोडक्शन

किसी भी शक्तिशाली इंसान की सबसे बड़ी खासियत, उसकी कन्विंस करने की यानी persuade करने की एबिलिटी होती है। एक अच्छा लीडर हमेशा यह जानता है कि लोगों पर प्रभाव कैसे डालें और कैसे ऐसी बिजनेस डील करें, जिससे लाखों डॉलर का फायदा हो। अगर आप भी दुनिया के सबसे प्रभावशाली इंसानों में से एक बनना चाहते हैं, तो आपको पस्व्वेड करना सीखना होगा। यह बुक आपका जरिया बनेगी। आप अपनी सर्विस देने के लिए सही समय चुनना सीखेंगे। आप सिर्फ बातों से काम नहीं कर सकते, क्योंकि बिजनेस की

दुनिया में, सही समय सबसे ज्यादा इंपॉर्टेट होता है।

साथ में, आप यह भी सीखेंगे कि, जो आप चाहते हैं, उस चीज पर, अपने क्लाइंट को कैसे फोकस करवाना है। अगर आपके प्रोडक्ट में कोई अच्छी क्वालिटी है, तो आप किसी को भी उस क्वालिटी पर फोकस करवा सकते हैं। ऐसा करने से उन्हें यह यकीन हो जाएगा कि, आपका प्रोडक्ट खरीदने के लायक वे आपके और आपके प्रोडक्ट के बारे में अच्छा बोलना शुरू कर

देंगे। तब आप सीखेंगे कि, किसी का ध्यान attract करने के लिए जिन आसान ट्रिक्स की आपको ज़रूरत है, वह पहले ही हर जगह मौजूद है। हम आपको

ऐसे ही कुछ ट्रिक्स दिखाएंगे और सिखाएंगे कि उन्हें कैसे यूज़ करना है। आप ना सिर्फ ध्यान attract करना सीखेंगे, बल्कि उस ध्यान को अपनी ओर बनाए कैसे रखना है ये भी सीखेंगे। बस एक बार लोग आपको और आपके प्रोडक्ट को देख ले, फिर कंपीटीटर्स प्रॉब्लम नहीं बनेंगे।

अगर आप नया बिजनेस शुरू कर रहे हैं, और आपको सेल चाहिए, तो यह बुक आपको, क्लाइंट को कन्विंस करने की सभी बेसिक प्रिंसिपल सीखाएगी।

प्रिविलेज्ड मोमेंट्स

अगर आपका खुद का बिजनेस हैं, तो आपने अपना प्रोडक्ट और सर्विस नए क्लाइंट्स को बेचने के लिए ज़रूर स्ट्रगल की होगी। इसका पुराना तरीका यह है की, कस्टमर्स को अपने प्रोडक्ट की अच्छी क्वालिटीस के बारे में बताना और फिर यह देखना कि उन्हें इसकी ज़रूरत है या नही। यह तरीका गलत और थकाने वाला है। इंतजार करना कभी भी एक ऑप्शन नहीं है। नया और डेवलप्ड तरीका यह है कि अपने क्लाइंट्स का सही

समय पर ध्यान attract करके उन्हें पसंद करना। जब आप क्लाइंट को सही समय में यह विश्वास दिलाते हैं की उन्हें इस चीज की ज़रूरत है तब आप ज़रूर sell कर पाएँगे.

आपको आगे और समझाने के लिए, हम सैम, जो हाथ पढ़ना जानता है, उसका example देंगे। सैम इसलिए हाथ नहीं पड़ता था, क्योंकि उसे सुपरनेचुरल दुनिया पर यकीन है। बल्कि वो ये इसलिए करता है क्योंकि उसे पार्टीज़ में मस्ती करना पसंद है। उसे अपने आसपास के अनजान लोगों

पुलना मिलना और बातें करना पसंद है।

जब उसने बहुत से लोगों के हाथ पढ़े, उसने एक अजीब बात नोटिस करना शुरू किया। किसी कारण से उसकी सभी रीडिंग सही साबित हुई। लोग उसके पास आ रहे थे, उन्हें विश्वास था कि, वो सच में उनकी पर्सनैलिटी पढ़ने और भविष्य देखने के काबिल है।

सैम ने दो थ्योरी बनाई। पहला उसने सोचा कि शायद सुपरनेचुरल ताकतें सच में है। शायद वह सच में बीते हुए कल और आने वाले कल के परे देख

से

सकता । शायद वह अपने बगल वाले इंसान की एनर्जी महसूस कर सकता है। दूसरी और ज्यादा रीयलिस्टिक थ्योरी थी। सैम ने सोचा कि लोग उसकी बात पर इसलिए यकीन कर रहे हैं क्योंकि उसने, लोगों के बारे में ऐसे सामान्य

बातें बताई हैं सकता था।

एक बार, सैम ने एक आदमी का हाथ, एक ही शाम मे दो बार पढ़ा। पहली बार जब पार्टी शुरू हुई तब और दूसरी बार जब वो नशे में था तब। पहली बार में, । कहा कि, वह आदमी ढीठ है। और उस आदमी ने यह स्वीकार भी किया। दूसरी र में सेम ने कहा कि वह पलेक्सिबल है, और

उसने इस बार भी स्वीकार किया। लेकिन ऐसा कैसे हुआ?

यहाँ हुआ ये कि, जब आप किसी इंसान से यह कहते हैं कि, वह ढीठ है, तो वह ऐसी चीजें याद करने लगता है जोकि उस दावे को सपोर्ट करती हैं। वह सच में उस पर विश्वास कर लेता है, क्योंकि उसने ऐसी सिचुएशन याद कि जिसमें वह बहुत ढीठ था।

और जब आप आदमी से कहते हैं कि, वह फ्लैक्सिबल है। तो वह सिर्फ उन्हीं बातों को याद करेगा जो उसके फ्लैक्सिबल होने को सपोर्ट करती है। हैं कि, क्या वह एक मददगार इंसान है। तब इंसान ऐसी बातें याद करने लगेगा जब उसने दूसरों की मदद की है।

तो

तो कहानी का सार यह है कि, जब आप, सही समय पर सही शब्दों को यूज़ कर, इंसान की सही याद ट्रिगर करते हैं, तो आप कन्विसिंग बन जाते हैं। जैसे कि, आप रास्ते पर किसी अजनबी को रोककर, उसे सर्वे के लिए पूछते हैं, तो वह मना कर सकता है। लेकिन अब अगर आप उसे रोककर यह पूछते

तब उस अजनबी का जवाब होगा,”हाँ मैं मददगार इंसान हूँ। और तब वह आपको आपके सर्वे के लिए मदद करेगा। तो अगर आप, किसी इंसान का ध्यान उसकी किसी खास याद की ओर ले जाते हैं, तो आप उनसे कुछ भी करवा सकते हैं।

The Importance of Attention. Is Importance

पिछले चैप्टर में हमने सीखा, जब हम किसी इंसान का ध्यान किसी चीज की ओर ले जाते हैं, तो हम उनके डिसीजन को इनफ्लुएंस कर सकते हैं। हम उन्हें अपनी किसी भी बात के लिए सहमत करवा सकते हैं, सिर्फ अगर, हम सही समय पर उनकी सही सोच की धारा को जगा दें तो। जिंदगी और बिजनेस में ध्यान बहुत इम्पोर्टेन्ट होता है। अगर आपके पास कोई प्रोडक्ट है, जिसे आपको बेचना है, तो आपको आपके सभी कस्टमर्स का ध्यान attract करने की ज़रूरत है। आप ऐसा कैसे कर सकते हैं? अच्छी चीज़ों पर फोकस करके, आप ऐसा कर सकते हैं।

जितना आप अपने प्रोडक्ट की अच्छाइयों को हाईलाइट करेंगे, उतना ही लोग उसके बारे में बात करेंगे, और वह उतना ही खास बनता जाएगा। आपकी प्रोडक्ट को परफेक्ट होने की ज़रूरत नहीं ही. सब लोग उसके बारे में बात करने लगेंगे, कोई उसकी कमी पर ध्यान नहीं देगा। यह मीडिया में बहुत ज्यादा यूज कर किया जाता है। अगर आप ध्यान देंगे, तो देखेंगे कि, लोगों का मत हमेशा नए टॉपिक पर शिपट हो जाता है। एक दिन

कोई टॉपिक हर जगह रहता है, और दूसरे दिन वह गायब हो जाता है। आगे और समझाने के लिए, हम बात करेंगे कि कैसे US गवर्नमेंट, लोगों के मत को, अपने हिसाब से मैनिप्युलेट करती है। जब औफिशियल्स ने इराक

पर हमला करने का तय किया, तब वे अलग अलग तरह का दावे करना शुरू कर दिया। पहले ऑफिशियल्स ने कहा कि, इराक हथियार बना रहा है। फिर उन्होंने दावा किया कि, उन्हें इराक को उनके अत्याचारी लीडर सद्दाम हुसैन से आजाद करवाना है। US गवर्नमेंट ने सबको यह विश्वास दिलाने की कोशिश की कि, उनके पास इराक को टेकओवर करने का कारण है। क्योंकि उनके दावों का कोई बेसिस नहीं था, उन्होंने एक नए तरीके का इस्तेमाल किया, और वह है ध्यान खींचना | US गवर्नमेंट ने जंग के मैदान में रिपोर्टर्स को भेजा। उन्हें एक खास मिशन दिया उन रिपोर्टर्स से कहा गया कि, वह सैनिकों की कहानियां बताएं कि, वे कैसे खाते हैं, कैसे ट्रेनिंग करते

हैं, और कैसे अपने देश के लिए लड़ रहे हैं। वह कहानियां बहुत दमदार और दिल को छूने वाली थी। अच्छी कहानियां किसे पसंद नहीं होती? बिना नतीजे जाने, रिपोर्टर्स ने वही किया जो उन्हें कहा गया। उसका रिजल्ट ये हुआ कि, किसी ने यह नहीं सोचा कि, US गवर्नमेंट को इराक पर कब्जा करने का हक है या नहीं। सब का ध्यान सैनिकों की जिंदगी की ओर कर दिया गया था, तो वो मैटर सबसे ज्यादा इम्पोर्टेन्ट बन गया था। और तब, इराक पर धावा बोल दिया गया।

यह ट्रिक एडवर्टाइजमेन्ट में भी यूज किया जा सकता है। अगर कस्टमर्स का ध्यान आपके प्रोडक्ट के किसी खास फीचर पर है, तो वो उसके महंगे होने पर ध्यान नहीं देंगे। जब तक आप उन्हें ये यकीन दिला सके कि, वह चीज़ इम्पोर्टेन्ट है, तब तक आप उन्हें वह खरीदने के लिए पस्ेड कर सकते हैं।

जो फ़ोकल वो कैजुअल है (What Is Focal Is Causal)

पिछले चैप्टर में हमने सीखा, जब आप अपने प्रोडक्ट के किसी एक फीचर को हाईलाइट करते हैं। तो ज्यादा लोग उसी फीचर को देखते हैं और बाकी सेंटर जाता है, तो वही

सब भूल जाते हैं।

वह फीचर ही आपके प्रोडक्ट के बिकने का कारण बन जाता है। क्यों? व्योंकि, जब कोई आईडिया सबके अट्रैकशन

का

बन

डिसाइड करता है कि लोगों को आपका प्रोडक्ट पसंद आएगा या नहीं। इसे आगे और समझाने के लिए, हम पीटर का example लेंगे, जिसकी जिंदगी अचानक से बदल गई। एक रात, पीटर ने घर आकर देखा कि, उसकी

माँ ज़मीन पर थी। वो अपने ही खून में लेथ पथ पड़ी धी। पीटर बहुत डरा हुआ था, लेकिन उसमें मदद के र बुलाने की हिम्मत थी। दुर्भाग्य से जब तक एंबुलेंस आई, तब तक बहुत देर हो चुकी थी। पीटर की

मा गला कटने और बहुत ज्यादा खून बह जाने के कारण मर चुकी थी। बाद में पुलिस को यह पता चला कि, उनकी कुछ हड्डिया भी टूटी हुई है। उन्हें यह भी पता चला की वो बहुत ज्यादा परेशान करने वाली इंसान थी, और

सब उनसे नफरत करते थे। वह ऐसी इसान थी जो लोगों को जानबूझकर परेशान करती थी, खास तौर पर आदमियों को। क्योंकि पिटर लंबा और तगड़ा था, तो पुलिस ने उसी पर अपनी माँ को मारने का शक किया। उन्हें विश्वास था कि उसकी माँ ने उसे इतना परेशान किया

कि, वह अपनी माँ पर कूद पड़ा और उनका गला काट दिया।

पुलिस पीटर को पूछताछ के लिए लेकर गए, तब पीटर ने यह नहीं सोचा था कि, पुलिस उस पर शक कर रही है, तो उसे बकील की ज़रूरत नहीं जब। लगी। वह निर्दोष था। उसे लगा कि पुलिस सिर्फ अपनी कार्यवाही कर रही है, या फिर उन्हें उससे उसकी माँ के बारे में कुछ जानना है। पुलिस ने उससे पूरा एक दिन पूछताछ की। उन्होंने उस पर लाई डिटेक्टर मशीन का भी इस्तैमाल किया। उन्होंने उसे हत्या के बारे में बहुत सी झूठी जानकारी भी दी। पुलिस ने पीटर से कहा कि लाई डिटेक्टर यह प्रुव करता है की वही कातिल है, और उन्हें क्राइम सीन में उसके खिलाफ सबूत भी मिले

हैं, जिसे यह पता चलता है की वही कातिल है।

पीटर मासूम था; वह खुद को बचाने की कोशिश करता रहा। मगर जब 8 घंटे तक, पुलिस उसे विश्वास दिलाती रही कि, वही कातिल है, तो उसने अलग

तरीके से सोचना शुरू कर दिया।

पुलिस के चीफ़ उसे लगातार यह बताते रहे कि, वह घर थक कर आया था, उसने अपनी माँ को घर पर पाया, फिर उसने अपनी माँ को मार दिया,

क्योंकि वो उसे परेशान कर थी।

पुलिस के चीफ़ ने उसे बताया कि, उसने एक रेजर लिया और अपनी माँ पर कूद पड़ा, जिससे उनकी हड्डियां टूट गई, फिर उसने उनका गला काट दिया। उससे कबूल करवाने की कोशिश करते रहे। पीटर ने कैसे अपनी माँ को मारा, यही बात बार-बार सुनकर, पीटर को वैसी ही तस्वीरें दिखने लगी। खुद को निर्दोष साबित करने के बजाए, अब वो ये कहने लगा कि, उसे याद है कि कैसे उसने अपनी माँ का गला काटा। पीटर को यह नहीं पता था कि, यह कहकर वह पुलिस को बह सबूत दे रहा है, जो उन्हें उसे अरेस्ट करने के लिए चाहिए। उसने अनजाने में वह कबूल

कर लिया जो उसने किया ही नहीं था, सिर्फ इसलिए क्योंकि पुलिस ने उसे यह सोचने पर मजबूर कर दिया था। उसे कैद की सजा हो गई। 2 साल बाद पुलिस के चीफ़ की मौत हो गई। पुलिस को छुपे हुए रिकॉर्ड मिले, जिससे साबित होता है कि, जब कत्ल हुआ तब पीटर घर पर था ही नहीं। उसे जेल से आजाद कर दिया गया। उन्हें असली कातिल कभी नहीं मिला।

इस कहानी का सार यह है कि, हमें जो भी इघाँटेंट लगता है, हम खुद को उसकी वजह मानते हैं। पीटर को तब तक यह मानने पर मजबूर किया गया कि उसने ही अपनी मां को मारा है, जब तक उसे यह यकीन नहीं हो गया कि, वही अपनी मां की मौत का वजह है। ऐसा लीडर्स के साथ भी है, क्योंकि वो हर समय स्पॉटलाइट में रहते हैं, इसलिए हम ये मानते हैं कि वही कंपनी की सक्सेस के लिए जिम्मेदार है, जबकि

हर बार ऐसा नहीं होता। तो अगर आप किसी इंसान का ध्यान किसी एक जगह फोकस कर देंगे, तो उसे वही बैल्यूबल लगेगी, और समय के साथ, अपने आस पास होने वाली सभी चीजों का कारण वही लगने लगेगी।

अटेंशन का कमान्डर : अट्रेक्टर कई बार, जब आपको किसी इंसान या किसी ग्रुप का अटेंशन अपनी और attract करना हो, तो उस में ज्यादा मेहनत नहीं लगती है। हो सकता है कि,

आपको ध्यान attract करने के लिए, सिर्फ ऐसे कुछ टूल्स की ज़रूरत पड़े, जोकि दुनिया में पहले से मौजूद हैं, और वह ध्यान attract करते ही हैं। आप सेक्सुअल या डराने वाली उत्तेजनाओं का इस्तेमाल कर सकते हैं। आप इन दोनों में से किसी का भी इस्तेमाल कर सकते हैं, क्योंकि प्यार में पड़ना या खुद को सेफ़ रखना ह्यूमन नेचर है। अगर ये काम ना करें तो आप जाने पहचाने हालात में नई चीजों का को इंट्रोक्यूस करने कोशिश सकते हैं, भी दे सकते हैं, जिससे ऑडियंस अनुमान लगाते रहें। एक बार जब आप अपना content शेयर करेंगे, तब आप पाएंगे कि, वे पहले से ही बेसब्री से

क्योंकि लोग नई और चमकीली चीजों और आइडिया से हमेशा attract होते हैं। आप shots और cuts की स्ट्रेटेजी भी यूज़ कर सकते हैं। फिल्मों की तरह ही, जितनी जानकारी देना है उतनी दे कर, फिर कट कर दें। आप टीज़र

इसका इंतज़ार कर रहे हैं।

इसका सबसे अच्छा example है, पावलोव (Pavlov) एक्सपेरिमेंट। इस क्लासिक कंडीशन को पढ़ाए बीना कोई भी साइकोलॉजी वलास पूरी नहीं

होती।

हम सब यह कहानी अच्छे से जानते हैं। पावलोव के पास उसके लैब में बहुत से कुत्ते थे। उन्होंने अपने कुत्तों को देखकर यह जाना कि, जब भी खाना टेबल पर होता है, उनकी लार टपकने लगती है। तो उन्होंने सोचा कि क्यों ना उन्हें एक नए स्टिम्यूलस से इन्ट्रोজ्युस कराएँ और उनका रिस्पॉन्स देखें।

उन्होंने अपने कुत्तों को सीधे खाना देने के बदले, जब भी उन्हें खाना देना होता था, वह घंटी बजाते थे। समय के साथ उन्होंने नोटिस किया, अब कुत्ते घंटी की आवाज सुनकर लार बहाते हैं, इससे फर्क नहीं पड़ता कि टेबल पर खाना है या नहीं। उन्हें ऐसा बना दिया कि जब भी वो घंटी की आवाज सुनते

थे, वह लार बहाते थे।

इससे पावलोव ने ये नतीजा निकाला कि क्लासिक कडीशनिंग मुमकिन है। ये वह भाग है जो हमने स्कूल में पढ़ा है, लेकिन कमाल की बात यह है कि, इसका एक और भाग है, जो किसी टीचर ने आज तक क्लास के साथ शेयर नहीं किया है।

कुत्ते घंटी बजने पर लार बहाने के लिए ट्रेन किए गए, पावलोव ये चीज़ अपने कलीग्स को दिखाना चाहते थे। लेकिन हमेशा कुछ अजीब होता था। जब भी कोई नया कमरे में आता था, तो कुत्ते लार बहाना बंद कर देते थे।

पावलोव बात को स्टडी किया और नतीजा निकाला कि, किसी नए के कमरे में होने पर कुत्तों को फोकस करने के लिए कोई और चीज मिल जाती

है। क्योंकि उनका ध्यान भटक जाता है, इसलिए कुत्ते घंटी बजने पर लार नहीं बहा पाते।

इंसानों का भी नई चीजों के कारण ध्यान भटक जाता है। याद करिए, कई बार आप किसी चीज के लिए कमरे से किचन में गए हैं। लेकिन किचन में जाने

के बाद भूल कि किस चीज के लिए आप यहां आए थे।

ऐसा इसलिए नहीं कि आपकी याददाश्त कमजोर है। बल्कि ऐसा इसलिए, क्योंकि एक बार जब आप अपना लोकेशन बदलते हैं, तो आपका ध्यान किचन में चला जाता है,

अटेंशन का कमान्डर 2 मेग्नेटाइज़र

मान लीजिए, आप डिबेट में है, और आप अपने क्लासमेट

के साथ ऑडियंस के वोट के लिए कंपीट कर रहे हैं। तो उनका वोट जीतने के लिए आपको

उनका ध्यान पूरे समय अपनी ओर फोकस करवाना होगा। इससे हमारा मतलब है, बिना किसी और को मौका दिए, आपको उनका पूरा ध्यान, पूरे समय सिर्फ अपने ऊपर रखना होगा। यह भी एक तरह का पर्वेशन है।

ऐसा आप ऐसी जानकारियों को यूज करके कर सकते. जो लोगों का ध्यान बनाए रखे। वो कोई ऐसी कहानी हो सकती है, जिससे ऑडियंस रिलेट सके। जब उन्हें आपके डिबेट से जुड़ाव महसूस होगा, तब वो आपको सिरियसली लेंगे।

कर एक और तरह की जानकारी है, जिसे आप यूज़ करके ऑडियंस का इंटरेस्ट बनाए रख सकते हैं। याद है, पिछले चैप्टर में हमने फिल्म या ऐड की तरह, सही समय चुनकर, कट करने की बात डिस्कस की थी। ये बेसिकली वही प्रिंसिपल है। आप अपनी स्पीच शुरू कर सकते हैं, लेकिन जब दूसरे को बात करने का मौका देना हो, या ब्रेक का समय हो, तब ऑडियंस को लटका कर रखें। ऐसा कहानी का एक भाग बता कर रखना होगा, ताकि ऑडियंस इंतजार में लगी रहे और सोचती रहे कि, आगे करने के लिए, आपको किसी इंटरेस्टिंग कहानी खत्म होती है। example चलिए एक और example लेते हैं, जो एक ऐसे आदमी के बारे में जो राइटर बनना चाहता है। किसी भी राइटर के लिए सबसे 5atisfying तत्व होता है, जब उनकी बुक खत्म हो जाती है । यह सुनने में आसान लग सकता है लेकिन असल में बहुत मुश्किल है।

समय लिखना क बहुत हार्ड प्रोसेस है, और बहुत से लोग अपना राइटर बनने का सपना, प्रेशर संभाल ना पाने के कारण के बीच में ही छोड़ देते हैं। लेकिन एक एक राइटर ऐसी भी है, जो अपने प्रोडक्टिविटी के कारण जानी जाती है। उन्होंने कभी भी कोई डेडलाइन मिस नहीं की, और ना ही अपना पहला ड्राफ्ट है। अधूरा छोड़ा है

जब उनसे उनकी सक्सेस का रहस्य पूछा गया तो उन्होंने जवाब दिया कि इसका कोई राज नहीं है। उन्होंने बहुत समय पहले एक आर्टिकल पढ़ा था,

जिसमें रोज कैसे लिखना है उसके लिए टिप्स एंड ट्रिक्स बताए गए थे। उस आर्टिकल में कुछ साधारण सी बातें ही थीं, जैसे, अपने डेक्स में बैठी, कोई ध्यान भटकाने वाली चीज़ नहीं होनी चाहिए, और रोज लिखो। लास्ट ही है, जिसमें ज्यादातर राइटर स्ट्रगल करते हैं।

इसे सोल्व करने के लिए, उस राइटर ने एक एक्साइटींग चीज़ की, उस टिप्स की लीस्ट में कुछ जोड़ा। उन्होंने कहा कि हर दिन जब वो लिखना बन्द करतीं थीं, वो इस बात का ध्यान रखतीं थीं कि वो कुछ अधूरा छोड़ दें। अगर वो पैराग्राफ लिख रहीं है, तो वो उसे कभी बंद नहीं करती थीं। और अगर वह एक चैप्टर लिख रहीं हैं, तो वह खुद को कभी भी, उसे कल से पहले पूरा करने नहीं देतीं थीं।

खुद को दूसरे दिन लिखने के लिए मोटिवेट करने का यह उनका तरीका था। क्यों? क्योंकि यह हमारा ह्यूमन नेचर है कि हम हमेशा अधूरे काम की ओर attract होते हैं।

The primacy of associations: link. Therefore I think. रिसर्च ने यह प्रूव किया है कि, सोचना ही जोड़ना है। इससे हमारा मतलब यह है कि, इससे पहले कि हम कुछ सोचे, हम पहले अलग-अलग तरवीरों,

शब्दों, यादों को एक में जोड़ते हैं, यह हमारा थॉट प्रोसेस है। यह पर्वेशन के लिए भी यूज़ किया जा सकता है। अगर हम किसी इसान को किसी चीज के लिए कन्विस करना चाहते हैं, तो उसके लिए हमें सही शब्द की ज़रूरत होगी। जो उस के दिमाग को कनेक्शन बनाने के लिए push करें, इससे रिजल्ट हमारे फेवर में होगा। सही शब्द चुनकर, हम अपने ऑडियंस को, जो भी हम कहें, वह मानने के लिए डायरेक्ट कर सकते हैं। भाषा पस्ेशन के लिए एक बहुत ही शक्तिशाली हथियार है।

यह एक example है, एक साइकोलॉजिस्ट की टीम ये देखना चाहते थी कि, वायलेंट भाषा का लोगों के व्यवहार पर क्या असर होता है। इसके असर को समझने के लिए उन्होंने एक इंटरेस्टिंग एक्सपेरिमेंट किया।

Participants को कुछ पजल की तरह मिले जुले शब्द दिए गए, जिससे उन्हें सेंटेंस बनाना था जैसे कि, उन्हें शब्द दिए गए” The -Open- Door” participants को उन शब्दों को जमा कर लिखना था “open the door”।

उन लोगों को 2 ग्रुप में बांटा गया। पहले ग्रुप को अग्रेसिव मीनिंग वाले वाक्य दिए गए, जैसे, “he hit them”। दूसरे ग्रुप को समान्य वाक्य दिए गए, जैसे, “fix the chair |

जब सभी पार्टिसिपेंट ने यह टेस्ट पूरा कर लिया, तब दूसरा टेस्ट हुआ दूसरे टेस्ट में, एक आदमी इलेक्ट्रिक कुर्सी से बंधा हुआ था। और participants से पूछा गया कि उसे कितने पावर का इलेक्ट्रिक सॉक देना चाहिए। उन्हें उसी के अनुसार बटन दबाना था।

रिजल्ट भयानक थे। पहला ग्रुप जिसे अग्रेसिव वाक्य किए गए थे, उनमें 48% वायलेंस बढ़ गया था उन्होंने उस आदमी को बहुत गहरा इलेक्ट्रिक शॉक देने का ऑप्शन चुना।

यह पुलाव करता है कि, वायलेंट भाषा वायलेंट बिहेवियर को बढ़ाती है। ऐसा क्यों? ऐसा इसलिए, क्योंकि दिमाग शब्दों को जोड़कर सोच बनाता है. इसलिए भाषा बहुत ही शक्तिशाली है। अगर आप इसे अपने पस्वेशन में यूज़ करें, तो इसमें कोई शक नहीं कि आप जिस इंसान से बात कर रहे हैं, आप उसे इन्फ्लुएंस कर पाएँगे।

कन्क्लू शन (Conclusion)

अब हमने अब अभी तक जो भी सीखा है उसका रीकैप करते हैं।

इस बुक से हमने, अभी तक की, सक्सेस की सबसे इम्पोर्टेन्ट चाबी, को यूज़ करने के प्रिंसिपल को सीखा। आपका गोल क्या है इससे फर्क नहीं पड़ता, एक बार जन्म आप पस्र्वेशन की कला के मास्टर बन जाएंगे तब आपको कोई भी नहीं रोक पाएगा। आपने सीखा, हस्बैंड करने के लिए, आपको दूसरों के ध्यान को अपनी ओर खींचना होगा। आप बस ऐसे ही किसी को अप्रोच नहीं कर सकते। सही समय और सही जगह पर लोग आपका ऑफर लेने के लिए ज्यादा तैयार होते हैं।

इस बुक में आपने समय की इपॉटेंट्स को जाना। आपने, पस्वेड करने के लिए, सही समय और सही सिचुएशन चुनना सीखा। क्योंकि पस्वेशन का अहम हिस्सा अटेंशन है, इसलिए आपने सीखा कि कैसे नेचुरल अट्रैक्टर्स, जैसे कि थ्रिल और मिस्ट्री को यूज़ किया जाए। यह बुक बहुत ही कीमती है। आज आपने जो भी लेसन्स सीखे हैं, वो आपको किसी भी डिबेट को जीताने प्रोडक्ट को बेचने या क्लाइंट बुक कराने के काबिल है।

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