यह किताब किसके लिए है
-वैलोग जो बाउट गहरे तनाव की अवस्था) की ओर बढ़ते हैं
लोग जो सजग और रिफलविरव जीवन के कायल हैं।
हर उस व्यक्ति के लिए जो आर्थिक तौर पर कमजोर हुए बिना भी ब्रेक लेने की ख्वाहिश रखता है
लेखिका के बारे में
रचल रीटा एक मान्यता प्राप्त कोच हैं जिन्हें ख्वासतोर पर परिवर्तनकारी नेत्रत्व क्षमता और ईकक्यूटिंव कोचिंग में दक्षता हासिल है। रेवल गुगल में सेल्स हाँक्चटिव के तौर पर काम करती है। और जब भी उन्हें अपनी नौकरी से फुरसत मिलती है तो वह सजगता पर बात करना पसद करती है और शौकिया तौर पर सर्च इनसाइड योरसेलफ लीडरशिप इस्टिट्यूट में एक वॉलनटौयर के रूप में काम करना पसंद करती है।
यह किताब आपको क्यूँ पढ़नी चाहिए
अपनी दिनचर्या में एक पेज को शामिल कीजिए और बाउट को अपने आप से कोसों दूर रस्विष्ट
आपको कैसा महसूस होता है जब आपकी घड़ी का अलार्म बजता है? क्या आपको लगता है कि आप खुशी और उमंग के साथ दुनिया को जीतने के लिए तैयार हैं। या फिर आपका एहसास यूनानी पौराणिक कथाओं में वर्णित सीसफसनामक उस राजा के जैसा होता है जिसे सजा दी गई थी कि वह एक बड़े पत्थर को पहाड़ के शिखर तक ले जाएगा और जैसे ही वह शिखर के करीब पहुँचने वाला होगा उसे वह पत्थर दोबारा नीचे लुड़काना होगा।
अगर आप अपने भीतर एपे संघर्षशील राजा सिसफसको पहचान लेते हैं तो शायद आप वह कर सकते हैं जो वो नहीं कर सका- एक क्षण ठहरता और अपनी प्राथमिकताओं का मूल्यांकन करना।
कुल-मिलाकर आपका काम भी सिसफस के काम के जैसा नहीं होना चाहिए। ऐसे बहुत सारे पहाड़ मौजूद हैं जिनसे आप आसानी से अपने पत्थर को बोटी तक ले जा सकते
हैं। तो अपने लिए सबसे बेहतर पहाड़ का चुनाव कीजिए और पर्वत पर चढ़ने के अपने सफर का मज़ा लीजिए।
मगर अब सवाल ये उठता है कि अपने लिए सही रास्ते का चुनाव कैसे करें?
यही वह पॉइंट है जहां पर ये किताब आपकी मदद करती है। काम के बीच में ब्रेक के लिए वक्त निकालना एक गंभीर मसला है। अपने पांज/बेक को सही से प्लान कीजिए और इसके पक्षात आप पाएंगे कि आप ज्यादा जोश के साथ अपनी जिंदगी के वास्तविक लक्ष्यों की ओर अधिक स्पष्टता के साथ अग्रसर हैं।
इसे पढ़कर आप सीखेंगे
• उन 5 संकेतों का पता कैसे लगाएं जो बताते हैं कि आपको ब्रेक लेने की जरूरत है
- क्यों अपनी लालसाओं को समझना बेहद जरूरी है
• कैसे एक ऐसा ब्रेक डिजाइन करें जिससे आपके संसाधनों का अधिकतम प्रयोग हो
5 ऐसे संकेत हैं जो बताते हैं कि आपको एक ब्रेक लेने की जरुरत है
क्या आपके साथ कभी ऐसा हुआ है कि पहले-पहल आपको अपनी नौकरी बहुत अच्छी लगती है लेकिन फिर अचानक एकदम से आपको उससे नफरत होने लगती है। उसका सारा रस गायब हो जाता है और अगले दिन दफ्तर जाने का ख्याल भी आपको बुरी तरह से सताने लगता है।
यह इस बात का संकेत हो सकता है कि अब आपको एक ब्रेक ले लेना चाहिए।
इस ब्रेक को हम इस किताब में पेज कहने वाले हैं। पॉज़ खुद का निरीक्षण करने का पल है जिसमें आप खुद को वक्त और स्पेस देते हो ताकि आप अपने अतर्मन के साथ लयबद्ध हो सकें। ऐसा करने के बाद आप अपने काम में बदलावों की शुरुआत कर सकते हैं जो आपको एक बेहतर और प्रमाणिक जीवन की राह पर ले जाने में मददगार साबित होंगे।
लेकिन ये सब बहुत बाद की बातें हैं। सबसे पहले तो आपको ये पता करना है कि आपको एक टाइम-आउट यानि ब्रेक की जरूरत है। आपको एक ब्रेक की जरूरत है इसके
दो सबसे बेसिक संकेत हैं- अपनी नोकरी से नफरत हो जाना और काम में आपका घटिया प्रदर्शना लेखिका ने अपने खुद के काम में इन बातों को नोटिस किया जब वह गूगल
में एक ‘सपोर्ट मैनेजर के रूप में कार्यरत थीं।
शुरुआत में उसे लगा कि सबकुछ बहुत अच्छा है लेकिन बीतते समय के साथ उसे कुछ ठहरा-ठहरा सा महसूस होने लगा। वह कामों को अपनी उम्मीद के मुताबिक जितना जल्दी हो सके उतना जल्दी निबटाना चाहती थी और मीटिंगों के बीच में वह इस बात को अपने में ही चेक भी करती थी। भावताओं के आगोश में और मानसिक तनाव से उसने काम के प्रति अपना सारा जुनून खो दिया।
इसमें कोई हैरानी की बात नहीं है कि इससे उसका कार्य प्रदर्शन बुरी तरह से गिर गया। उनके बॉस ने उन्हें रचनात्मक फीडबैक देकर उनकी सहायता करनी चाहिए मगर फिर भी वह अपनी पुरानी लय में वापिस नहीं लौट पाई। अंत में उन्हें कहा गया कि वह इस नौकरी के लिए पूर्णता फिट नहीं है। अब तक यह बात स्पष्ट हो गई थी उन्हें एक ‘पाँजकी बेहद सख्त जरूरत थी।
परफॉरमेंस में कमी और अपने काम से असतुष्टि इस बात की ओर इशारा करते है कि आपको एक ब्रेक लेने की जरूरत है। इनके अलावा भी कई ऐसी चीजें हैं जो इसकी ओर सकेत करते हैं।
आपको इस बात पर भी ध्यान देने की जरुरत है कि तकनीक का किस तरह प्रयोग करना चाहिए। आधुनिक मेजेट्स और गिजमोस का प्रयोग करना अच्छा है लेकिन यदि आपको उनके अधिक प्रयोग करने की लत लग जाए तो यह एक छपी हुई दिक्कत की ओर संकेत कर सकता है। अगर आप पाते हैं कि आप अपनी डिवाइसों से इस कदर चिपके हुए हैं कि ये आपको जिंदगी के छोटे-छोटे आनंद जैसे- शाम को किसी पार्क में टहलना या फिर दोस्तों के साथ वक्त बिताने से रोकते हैं तो आप मान सकते हैं कि आप अब एक ब्रेक लेने के लिए तैयार हैं।
इसके अलावा जीवन में कुछ बड़े बदलाव होते हैं जो समय और अटेन्शन की मांग करते हैं। अगर आपका कोई प्रियजन अपने जीवन के कठिन वक्त में आपसे मदद की गुहार करता है तो पॉज़ बटन को दबाने में कोई बुराई नहीं है। पाज़ कई सकारात्मक कारणों से भी लिया जा सकता है। इन कारणों में नए अवसरों का अन्वेषण करना शामिल है। जॉब ओपनिंग इसका एक अच्छा उदाहरण है। इन जंगलों को अपने जीवन में इंडिए और फिर निर्णय लीजिए कि आपको एक पॉज़ की जरुरत है या नहीं।
अगर आपको लगता है कि आपको पाँज लेना चाहिए तो इसके बाद बारी आती है पॉज की योजना बनाने की। अगले पाठ में आप जानने वाले हैं कि अपनी इकक्षाओं को समझाना क्यों पॉज लेने की इस प्रक्रिया का केंद्र बिन्दु है।
अपनी लालसाओं को समझकर पॉज़ की प्लानिंग कीजिए एक पॉज़ आपको विश्राम और मज़ा दे सकता है लेकिन यह इसका असली मकसद नहीं है। ब्रेक लेने का मतलब है किसी ऐसी चीज़ को प्राप्त करना जो आपको अर्थपूर्ण लगती है और ऐसा करने के लिए आपका अपनी लालसाओं को समझना बेहद जरूरी है।
चलिए परिभाषा के जरिए लालसा को समझने की कोशिश करते हैं। लालसा बेहद मजबूत इच्छाएं होती हैं। कुछ लालसा, जैसे- जीवित रहने और प्यार किये जाने की लालसा सार्वत्रिक होती हैं यानि दुनियाभर में पाई जाती है जबकि कुछ अन्य लालसाएँ व्यक्तिंगत होती हैं।
अपनी लालसाओं के भंवर में हमारे आसानी से डिस्ट्रैक्ट होने का खतरा होता है जिसके जाल में फंसकर अक्सर हम अपनी लालसा को अड्रेस करना भूल जाते हैं।
इस बात को लेखिका के उदाहरण से समझने का प्रयास करते हैं। रेवल अपना ज्यादातर चक्त ऑनलाइन बिताती है चाहे वह अपने दोस्तों के साथ ही क्यों न हो। बार-बार ईमेल और सोशल मीडिया चेक करने की आदत उनकी आदत उनकी वास्तविक जिंदगी के आड़े आ रही थी। इससे जीवन के प्रति उनकी असंतुष्टि बढ़ने लगी और इस बात में कोई आश्चर्य नहीं है कि इससे वे अपनी लालसाओं को इग्नोर करने लगी और फेस-टू-फेस कनेक्शन उनके जीवन में कम होने लगी। तो केसे पता करें कि आपकी जिंदगी में सबसे ज्यादा कौन-सी चीज मायने रखती है।
एक ऐसी ट्रिक है जो आपकी जिंदगी की सबसे अहम चीज़ को ढूंढने में आपकी मदद कर सकती है। इसे सो दैट (ताकि टेस्ट कहा जाता है।
चलिए जानते हैं यह तरीका काम केसे करता है। सबसे पहले कोई ऐसी चीज के बारे में सोविए जिसे आप पाना चाहते हैं। अब खुद से सवाल कीजिए कि आप इसे ‘क्यों चाहते हैं। इसके बाद जो आपको जवाब मिले उसके साथ ताकिजोड़ दीजिए।
पाता उदाहरण के लिए मान लीजिए कि बॉब को पैसा चाहिए। लेकिन क्यों? “ताकि वह छुट्टियों का लुत्क ले सके। लेकिन वह सिर्फ यहीं नहीं रुकता। वह खुद से यही सवाल बार-बार पूछता रहता है। वह छुट्टियों पर लाना चाहता है मगर क्यों? “ताकि वह बैंजी जपिंग कर सके। वह बैंजी जमपिंग करना चाहता है पर योर “ताकि वह जिंदगी को खुलकर जी सके।’
यहाँ पर बोब की लालसाओं की चेन टूट जाती है और उसे पता चल जाता है कि उसकी असली लालसा जिंदगी को खूलकर जीना है। यह पहला चरण है। एक बार जब आप अपनी असली लालसाओं को जान जाते हैं तो आप उन्हें पूर्ण करने के लिए अपने पाज़ को डिज़ाइन कर सकते हैं।
एक दिमाग खोल देने वाले सैशन के साथ शुरु कीजिए। आपका ब्रेक किस तरह दिखेगा इसका एक रफ खाका तैयार कर लीजिए। आपके मन में अपनी लालसा से कीवर्ड और आइडिया आते है उन्हें नोट कर लीजिए। ‘बीच पर मस्ती करनाऔर ‘बाइकिंग करना जैसी चीजें इसमें शामिल हो सकती है। इन चीजों को भविष्य में याद रखने के लिए स्टिकी नोट्स या फिर जोनल पर लिख लीजिए।
इसके बाद बारी आती है इरादों की। अपनी लालसाओं पर पुन. विंचार कीजिए और सोचिए कि आप अपने पॉज के दौरान क्या अचीव करना चाहते हैं। आप फिलहाल के लिए इसे कुछ भी रख सकते हैं जैसे- वर्तमान में जीने की कला सीखना और एक अच्छा श्रोता बनना।
आखिर में अपने नोट्स की मदद से अपना प्लान तैयार कीजिए और अपने प्लान को बहुत अधिक विशिस्ट मत बनाइये यानि हर चौन को बहुत सोच समझाकर प्लान करते की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि आखिर आप पोज ले रहे हैं कोई कामों की लिस्ट नहीं बना रहे हैं।
अंतिम प्लान बनाने से पहले यह निश्चित करलें कि आपके पास कितने संसाधन मौजूद हैं
आप क्या पाना चाहते हैं अपने पॉज के दौरान यह जानना बेहद जरूरी है मगर इसके अलावा भी एक चीज़ है जो पॉज़ शुरू करने से पहले आपको जाननी वाहिए- आपके पास ससाधनों की उपलब्धता।
और यहाँ पर काम आते हैं हमारे 3 पॉज़ डायल।
एक कार के डैशबोर्ड के विषय में विचार कीजिए। इसकी डिस्प्ले आपको बताती है कि आपके पास कितना ईंधन बचा है। गाड़ी चलाने से पहले आप इसे जरुर चेक करते हैं; करते हैं नारठीक इसी तरह पॉज़ शुरू करने से पहले अपने पॉज़ डायल्स पर भी नजर दौड़ाना जरूरी होता है। ताकि आपको पता चल सके कि क्या आपके पास इतनी गैस मौजूद है जो आपको आपके डेस्टिनेशन तक पहुंचा सके।
चलिए सबसे पहले दो डायलों के साथ शुरू करते हैं। ये दोनों आपकी भौतिक संपती का आकलन करते हैं- पेसा और समय। पैसे का डायल वह पहली वीज है जिसपे आपको नजर दौड़नी चाहिए। जैसे कि मान लीजिए आप दफ्तर के काम से ब्रेक ले रहे हैं तो क्या आप पेड़-लीव ले रहे हैं या फिर अन-पेड़?
अगर आपको पैसों की तंगी है तो भाप किसी अन्य फील्ड में कुछ पार्ट टाइम काम ढूंढ सकते हैं जिसकी मदद से आप कुछ एक्स्ट्रा पैसा कमा सकते हैं यह क्राफ्ट जूलरी बनाने से लेकर फ्रीलास कंटेट लेखन जैसा कोई भी छोटा-मोटा काम हो सकता है।
इसके बाद आता है वक्त का डायला यह डायल आपको बताता है कि आपको पांज़ कितने समय तक के लिए लेना है। यह जरूरी है कि आपके पास पर्याप्त समय हो। अगर ऐसा नहीं है तो शायद आप अपने उन लक्ष्यों को पूरा न कर पाएँ जो आपने अपने पाँज़ की खातिर सेट किये हैं। क्या आपके इम्प्लॉयर वक्त को लेकर फ्लेकसीबल हैं? मब, जबकि आप अपने वक्त और पैसे के डायल का निर्धारण कर चुके हैं तो अब आप अपने ऐक्टिविटी डायल पर नज़र डाल सकते ऐक्टिविटी डायल एक ऐसा टूल है जो उन ऐक्टिविटी को प्लान करने में आपकी मदद करता है जो आप अपने पास उपलब्ध संसाधनों के द्वारा कर सकते है
हो सकता है कि आपके पास काफी वक्त हो लेकिन पर्याप्त पैसा न हो। इस स्थिति में एक फ्री ऑनलाइन कोर्स आपके लिए एक अच्छा आइडीया साबित हो सकता है। अगर आपके पास वक्त और पैसा दोनों चीजों मौजूद हैं तो आप यात्रा करने का विचार कर सकते हैं। लेकिन यदि आपके पास वक्त और पैसा दोनों ही कम है तो आप क्या कर सकते हैं? इस स्थिति में आप किसी पार्क में टहल सकते हैं या फिर अपने दोस्तों के साथ पिकनिक पर जा सकते हैं। ये दोनों ऐक्टिविटी वक्त और पेसा दोनों ही कम लेती है।
अबतक आप ये जान चुके होंगे कि ये तीनों डायल भातरिक तौर पर एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। इसलिए यह जरूरी है अपने पॉज़ की योजना बनाने के दौरान हम उन्हें चेक करते रहें। इन्हें संतुलन में रखने से आप अपने ब्रेक को ज्यादा समुद्ध और सहयोगी बना सकेंगे।
खुद को सीमित धारणाओं से मुक्त करके अपने ब्रेक का अधिकतम फायदा उठाइए
बुरे रचनात्मक अनुभव आपको आपकी आने वाली जिंदगी में अक्सर पीछे धकेलने का काम करते हैं। उदाहरण के लिए अगर आपके अध्यापक कहते हैं कि भाप पेंटिंग में अच्छे नहीं है तो आप पूरी जिंदगी भर अपनी रचनात्मक काबिलियत को शक के निगाह से देखते रह जाते हैं।
यह सीमित धारणाओं यानि लिमिटेड बिलीफ़्स का एक उदाहरण है। ऐसी धारणाएं गहराई से मन में समाई होती हैं और जब आगे बढ़ना मुश्किल हो जाता है तो आप उन्हें मानने के लिए तैयार हो जाते हैं। आखिरकार ये धारणाएं आपको उन चीजों को करने से रोकती हैं जो आप दिल से करना चाहते हैं।
लेकिन राहत की बात तो यह है कि एक बार जब भाप अपनी सीमित धारणाओं को नोटिस करना और समझाना शुरु कर देते हैं तो आप एक तरह से उन्हें बदलने की शुरुआत भी कर देते हैं। विचारों के इन पुराने खाचों को लेखिका फीयर टेप्यानि इर का फदा बोलती है जो कि हमारे दिमागी पुस्तकालय में जमा हुई नकारात्मकता के लूप होते हैं।
ये कई तरह के होते हैं।
‘लॉस-ऑफ-कंट्रोलटेप के अंतर्गत नियंत्रण खोने और आगे क्या होने वाला है इस बात का अंदाजा न लगा पाने का डर शामिल होता है। इसमें माप खुद पे ही शक करने लगते हैं और खुद से सवाल पूछने लगते हैं. “आगे क्या होगा यार”, “अगर मुझे इस पॉज़ में मज़ा नहीं आया तो? लैक-ऑफ अप्रवल टेप हमारे दिमाग को कुछ इस तरह के सवालों से भर देते हैं, “मेरे दोस्त क्या सोचेंगे: सेल्फ-सैबटाश यानि खुद को बर्बाद कर देने वाले टेप्स आपसे कहते हैं कि आपको कुछ भी बेहतर करने की जरूरत नहीं है और न ही आपको अपनी स्थिति को सुधारने की जरूरत है। आप जैसे हो वैसे ही सही हो।
आप इन सभी चीजों को हजारों दफा सुन चुके हैं लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आप इन चीजों के साथ खेलना जारी रखें। आप चाहे तो इन चीजों को अपनी जिंदगी से बाहर निकालकर किसी अन्य चीज में ध्यान लगा सकते हैं।
न्यूरोप्लास्टीसिटी की तकनीक के द्वारा हम नार न्युरल पृथ्वी का निर्माण कर सकते हैं और अपनी नेगटिव टेपों को पाजिटिव टेपों में परिवर्तित कर सकते हैं और इस प्रकार से हम अपने विचारों और नजरिए की बनावट में बदलाव कर सकते हैं।
इस काम को अंजाम देने के सबसे बेहतरीन तरीकों में से एक है- मेंटल फ्लोसिंग की आदत डालना।
मेंटल फ्लोसिंग का मूल अर्थ है- अपने खुद के फीयर टेपों के प्रति जागरूक होना। मेंटल पलोसिंग का एका अहम भाग टेसर (TASER) करने के तरीके को सीखना है। ‘टेसरका मतलब है- सुनना (Tune in), स्वीकार करना (Acknowledge), विपरीत विचार करना (Shift) और दोहराना (Repeat).
चलिए जानते हैं यह काम कैसे करता है।
सुनने के साथ शुरुआत करते हैं। अपने अंतर्मन को देखिए जो बार-बार आपको सीमित धारणाओं को जोर-जोर से चौख रहा है। एक बार जब आप इस चीख के शब्दों को सुन लेते हैं तो स्वीकार कीजिए कि आपके अंदर यह धारणा है और यह बीते वक्त के साथ आहिस्ता-आहिस्ता आपमें भरी है। एक बार जब आप अपनी धारणाओं को स्वीकार कर लेते हैं तो तब बारी आती है शिफ्ट करने की। इसमें आपको जो बात मापने अभी-अभी सुनी, उसके ठीक विपरीत की कल्पना करनी होती है। जैसे कि भगर आपकी धारणा कहती है कि मैं अच्छा नहीं हूँ तो अपने मन में इसका उल्टा दोहराइए- “मैं अच्छा हूँ।
इसके बाद इस नए और सकारात्मक विचार को दोहराइए। बार-बार दोहराइए जबतक कि आप इसे पूरी तरह से महसूस करना न शुरु कर दें। आखिर में इस पूरौ प्रक्रिया को
पुनः दोहराहए।
याद रखिए सीमित धारणाएँ मन में अंदर तक घुसी होती हैं। इन्हें बदलने में कोशिशों और वक्त दोनों लगते हैं। लेकिन अगर आप इस पर काफी वक्त तक टिके रहते हैं तो आपकी नई धारणाएं काफी मापके जेहन में बस जाती हैं।
आप इसकी शुरुआत पॉज़ की प्लानिंग करते हुए भी कर सकते हैं। जिससे आपको पास विकल्पों की कोई कमी नहीं हॉगी।
नियम-कानून बनाइये और अपने पॉज़ को अर्थपूर्ण बनाने के लिए अपने पाज़िटिव बदलावों को नरचर कीजिए
आप अपने पॉज़ की प्लानिंग करने के रास्ते पर अच्छी तरह से चल रहे हैं। इस पाठ में हम कुछ ऐसी तकनीकों के बारे में जानने वाले है जो आपके पाज़ को और भी ज्यादा अर्थपूर्ण बनाने में आपकी मदद करेंगे।
वलिए इसकी शुरुआत कुछ गाइडलाइनों और आदतों के साथ करते हैं।
पॉज़ को कामों की एक लंबी फेहरिस्त की तरह नहीं होना चाहिए। खाली वक्त अनमोल होता है। इसलिए यह जरूरी है कि हम अपनी पुरानी आदतों के चंगुल में न फंस जाएँ और दोपहर तलक सोकर और देर तक इंटरनेट चलाकर अपना कीमती वक्त न ब्ाद करें।
अपने खातिर 3 या 5 नियमों को बनाना आपको इन गदी आदतों के वगुल से छुटने में मदद करेगा। ये नियम कुछ भी हो सकते हैं। मसलन, में दिन में सिर्फ आधे घंटे के लिए अपना फोन इस्तेमाल करुगा या फिर में जितना जल्दी हो सके बिस्तर से उठने की कोशिश करुंगा।
गंदी आदतों को हटाने के बजाय बेहतर होगा कि आप उनके स्थान पर नई और अच्छी आदतों को अपनाएँ।
उदाहरण के तौर पर सेल्फ केयर का अभ्यास करना आपकी सेहत के लिए बहुत अच्छा है। कोशिश कीजिए कि आप अपने नजदीकी पार्क में रोज एक वॉक करेंगे या फिर समय समय पर अपने शरीर की मसाज करवाएंगे। आप पोषित और मोटिवेटेड महसूस करेंगे। यहां तक कि छोटी से छोटी चीज़ें जैसे- हॉट बाथ लेता या फिर खुद को कंबल मैं लपेटना भी आपके लिए लाभकारी साबित हो सकता है।
अपने पॉज़ को एक दीर्घकालीन दृष्टिकोण के लिए रखना भी उपयोगी साबित हो सकता है। कौन-कौन से बदलाव हैं जो आप पॉज़ के बाद अपनी जिंदगी में करना चाहते हैं?
अपनी आदतों पर नजर डालना इसकी शुरुआत करने के लिए एक अच्छी जगह है। पान के पश्चात अपनी पुरानी और नई आदतों की तुलना कीजिए और फेहरिस्त बनाइये जिसमें आपको अपनी उन आदतों को लिखना है जिन्हें आप अपनी जिंदगी में रखना चाहते हो और साथ ही साथ उन आदतों का भी जिक्र करना है जिन्हें आप अपनी जिंदगी से बाहर का रास्ता दिखाना चाहते हैं।
लेखिका ने पॉज़ के बाद उन आदतों को नोट करा जिन्हें वह अपने जीवन में रखना चाहती थी। उनकी इन आदतों में दोपहर में एक टी-ब्रेक लेना, महीने में एक बार दोस्तों को डिनर पर बुलाना, ब्लॉगिंग करना और एक जर्नल रखना शामिल था।
उनकी छोड़ने वाली आदतों की सूची में नाखून कुतरना, बहुत ज्यादा टीवी देखना, शराब का अत्यधिक सेवन और सोशल मीडिया पर दिन में एक घंटे से ज्यादा समय बिताना शामिल था।
उन्होंने टॉम रैथ की बेस्टसेलिंग किताब “स्ट्रेन्स फाइन्डर 20 का भी उपयोग किया जो बताती है कि केसे आप अपने छुपे हुए हुनर को ढूंढ सकते हैं। खुद में छुपे हुए हुनरों और ताकतों को ढूंढने से उन्हें उन तरह की नौकरियों को ढूंढने में आसानी हुई जो वह चाहती थी। अब तक हम पॉज़ के लिए पूरी तरह तैयार तो हो चुके हैं मगर अब बस एक ही सवाल बचता है- ‘पॉज के बाद हमारी जिंदगी कैसी दिखेगी पॉज़ के बाद पहली चीज जो आपको करनी है वह है- अपने पॉज़ पर एक नजर डालना
आप अपना पांज़ बड़े शानदार ढंग से बिताया है और अब समय आगया है अपनी आम जिंदगी में वापस लौटने का अब आगे क्या करें? खैर, अपने पॉज़ के दौरान जो आपने सीखा उसपे गौर कीजिए। ऐसा करने पर आप पाएंगे कि आप अपनी नई और पोषक आदतों के मुताबिक उलने लगे हैं।
अपना ध्यान पॉज़ में सीखी गई बातों पर लगाने के लिए खुद से कुछ ऐसे सवाल करिए- आपको इस पॉज़ से क्या सीखने को मिला? क्या इससे आपको अपनी लालसाओं के बारे में ज्यादा जानने को मिला? क्या आप अभी भी उसी रास्ते पर चलना चाहते हैं जिस पर कि आप अभी हैं। कीन-सी बात अब आपको रोक रही है और कौन-सी नहीं ऐसेकुछ सवालों का जवाब देना चीजों को आपके नजरिए में ला सकता है।
आप लेविका का उदाहरण भी फॉलो कर सकते हैं और एक खास सूत्र का प्रयोग करके अपने इत्साइटस को कार्यकारी बना सकते हैं। किसी चीज ‘क’को करने से जो आपको सीखने को मिला (ऐक्टिविटी की योजना बनाना) वो कैसे आपको किसी चीज ख को करने में मदद कर सकता है (परिवार के साथ अधिक समय बिताना)।
अपनी भावी योजनाओं को गाइड करने का एक अन्य उपयोगी तरीका है- अपनी ताकतों की इनवेंटरी का निर्माण करना। मसलन, लेखिका ने जब अपनी ताकतों का हिसाब
रखना शुरू कर दिया तो उसे एहसास हुआ कि, पहला, बह एक अचीवर है। दूसरा, उसे सीखते रहना बहुत पसंद है और तीसरा, वह बहुत प्रतिद्वंदी मिजाज की है। उसे यह भी पता चला कि वह काफी सकारात्मक और एनकरेजिंग है। इससे उसे यह जानने में मदद मिली कि केसे ये चीजें उसके भगले रोल में उसके काम मा सकती हैं।
अब तक आप ऊपरी तौर उन तरीकों को समझा चुके हैं जिनके द्वारा आप एक व्यक्ति के रुप में बड़े हुए है। अब आपको निर्णय करना होगा कि आप पॉज लेने से पहले की अपनी जिंदगी में वापिस लौटना चाहते हैं या फिर कुछ नया काम करना चाहते हैं।
विकास कुछ नया सीखते रहने का परिणाम होता है। मान लीजिए कि आपने अपना पॉज़ गिटार सीखते हुए बिताया है। ये एक नया हुनर है आपके लिए एक नया कौशल है। इस बात की काफी संभावना है कि इससे न सिर्फ आपके गिटार पर उँगलियाँ दौड़ाने का कौशल सुधरा होगा बल्कि इसके बाद आप अपनी ताकतों, सौमाओं और स्थिति से अच्छी तरह वाकिफ होंगे। कुल मिलाकर कहें तो इस नई स्किल को अपनाने से आपने खुद के बारे में कुछ जाना है, अपनी रुचियों के बारे में जाना है और साथ ही साथ आप इस तथ्य से भी वाकिफ हुए हैं कि आप पांज़ के बाद कौन सी पार्ट-टाइम जॉब करना पसंद करेंगे।
दूसरे शब्दों में कहें तो पात्र के द्वारा आप स्वयं के बारे में जान पाए हैं। और इसका मतलब है कि अब आप अपनी पेशेवर जिंदगी को नए नज़ारिएट से देखने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं।
क्या आपको खुश रहने के लिए अपनी नौकरी बदलने की जरूरत है? हो सकता है कि बैंकर बनने से भापकी लालसाओं की पूर्ति न होती हो मगर एक कलाकार बनने से आपकी लालसा तृप्त होती हों। अथवा। सकता है कि आपकी वर्तमान नौकरी जो है वह दरअसल वह जगह नहीं है जहाँ आपको असल में होना चाहिए। पॉज़ के लिए वक्त निकालना हमारे लिए बहुत ही फायदेमंद है। यह पोषक और पूरक दोनों है। ब्रेक के आखिर तक आपको अपनी वास्तविक जरूरतों और चाहतों की अच्छी-खासी समझ होगी जो आपको आपके अगले रोमांच के लिए तैयार करेगा।