
ये किताब किसके लिए है?
जो अपने जीवन की बागडोर एक बार फिर से अपने द्वार्थों में लेना चाहते हैं.
-साफ-सफाई पसंद करने वालों के लिए
जो लोग अपने घर को व्यवस्थित रखने की आशा रखते हैं.
लेखक के बारे में
ग्रेटेल रुबिन (Gretchen Rautin) एक अमेरिकी लेखक और ब्लॉगर हैं। रुबिन का लेखन अच्छी आदतों और खुशहाली के तरीकों पर केंद्रित है. उनके द्वारा लिखी किताबें, बेटर देन बिफोर, हैपियार एट होग और द हैप्पीनेराप्रोजेक्ट न्यूयॉर्क टाइम्स की बेस्ट सेलर रही हैं दुनिया भर में अब तक रुबिन की दो मिलियन से अधिक किताबें बिंक चुकि हैं, और उनकी किताबों का 30 से अधिक भाषाओं में अनुवाद किया जा चुका है.
अपने आस पास की चीज़ों पर नियंत्रण रख कर आप अपने घर में इक्कठा होने वाले कबाड़ को कम कर सकते हैं, जिसका असर आपके जीवन के बाकी क्षेत्रों पर भी पड़ता है.
अधिक खपत और मनमोहक विज्ञापनों से भरी इस दुनिया में हम अक्सर कई ऐसी चीजें घर ले आते हैं जिसकी कुछ ही दिनों में ना तो कोई उपयोगिता बचती है और ना हमें पसंद आती हैं, जब तक आप इस बात को समझ पाते है, तब तक आपके घर में यहाँ-वहाँ सामान का ढेर इक्कठा हो जाता है, आपकी सारी अलमारियाँ सामान से भर जाती हैं, इस सामान के ढेर के कारण हो रही परेशानी आपके गन को तनाव और निराशा से भर देती है.
तो आप ये कैसे तय करें कि आपको क्या रखना है और क्या फेकना है? और आप ये कैसे सुनिश्चित करें कि आपका घर व्यवस्थित रहे? अच्छी आदतों और खुशहाल जीवन के नुस्वों की एक्सपर्ट ग्रेचेन रुबिन के पास आपके इन सारे सवालों के जवाब हैं. इन अध्यायों को पढ़ कर आप जानेंगे कि क्यूँ एक व्यवस्थित घर हमारी खुशहाली के लिए जरुरी है. साथ ही साथ आपको अपने घर को साफ़ और अपने अनुकूल रखने के कई आसान तरीकों के बारे में भी पता चलेगा इन तरीकों के इस्तेमाल से आप कम से कम मेहनत में अपने वातावरण को स्वच्छ बनाये रख कर आत्म शांति को प्राप्त कर सकें.
हम सब रोज-मर्रा के जीवन में अपने घर और ऑफिस को साफ़ सुधरा रखने की जदोजेहद में लगे रहते हैं. फिर कई बार खुद से कहते हैं कि अगर चीज़ें थोड़ी अव्यवस्थित भी हैं तो इसमें क्या बड़ी बात है. लेकिन बदकिस्मती से सच ये है कि हमारे आस पास का वातावरण और उसका रख रखाव हमारे ऊपर बहुत गहरा असर डालता है. यानी आपका भरा हुमा ड्रावर और यहाँ-वहाँ पड़ा सामान इतना छोटा मसला नहीं है जितना कि हम इसे समझते हैं. कई बार ये आपकी खुशियों के आड़े भी आ जाते हैं.
असल में अपने आस पास की चीजों पर कट्रोल रखने से आपको लाइफ में भी कटोल और बैलेंस का एहसास होता है. जैसे लेखिका की दोस्त के साथ हुआ, जिसे अपने स-ठूस कर भरे फ्रिज को नए सिरे से जमाते हुए ये एहसास हुआ कि वो अपने करियर में भी कुछ नया कर सकती है.
लेकिन फ्रिज की और करियर में क्या समानता है. देखा जाए तो दोनों नयी संभावनाओं पर निर्भर हमारे फ्रिज में भरा खाना और लाड़ी बास्केट में भरे हमें असहाय सी स्थति में लाकर खड़ा कर देते हैं खुद को इस हेर से निजात दिलाना पहाड़ चढने जैसा कठिन लगने लगता है. इसलिए हम कुछ समझ नहीं पाते और उसी उलझन में फंस कर रह जाते हैं.
लेकिन जब हम पुराने खाने और कपड़ों के ढेर से खुद को आजाद कर लेते हैं तो हम असहाय स्थिति से निकल कर एक ताजगी भरे एहसास को महसूस करने लगते हैं. जैसे लेखिका की दोस्त ने अपने फ्रिज से पुराने जैम और मेयोनिस को फेंक कर, चीजों को जरूरत के हिसाब से जमाते वक्त महसूस किया उसे लगा कि अगर चो इस फ्रिज़ को नया रूप दे सकती है तो अपने करियर को क्यूँ नहीं.
यानी बाहर के वातावरण को सजाते हुए आप ये सीख जाते हैं कि अपने जीवन में भी आप अपनी प्राथमिकताओों की सूची बनावर काम कर सकते हैं. जैसे अपने बच्चों की पुरानी चीज़ों से निजात पाकर ही आप उनकी आज की जरुरतों को समझ सकते हैं. उनके विशालकाय खिलोने जिनसे वो बचपन में खेला करते थे उन्हें हटाकर आप ये समझ पायेंगे कि वो अब बड़े हो गए है, और उनकी प्राथमिकताएँ भी बदल गयी है.
बहाने बनाना छोड़िये और समझदारी से निर्णय लीजिये कि क्या रखना है और क्या फेंकना है.
अपने घर में इक्कठा सामान का भंडार स्वाली करना एक बहुत कन्फ्यूजन वाला काम है, क्यूंकि ये फैसला लेना बहुत मुश्किल हो जाता है कि क्या रखें और क्या फेंक दें. सामान को साफ करने फेंकने और रखने के बीच में कई बार हमारी वो भावनाएँ बीच में आ जाती है जिनके कारण हम उस चीज़ को फेंक नहीं पाते. जैसे लेखिका जब भी अपनी अलमारी साफ़ करती वो कभी अपने पुराने कपड़े फेंक नहीं पाती थी उनका मन कहने लगता था कि उन्हें उन कपड़ों से बहुत प्यार है आखिर वो उन्हें कैसे फेंक सकती है. लेकिन वो दाग लगे हुए पुराने कपड़े असल में एक कबाड़ के ढेर के सिवा कुछ नहीं थे, अब इस बहाने को ही देख लीजिये जो लोग अक्सर चीज़ों को न फेंक पाने के लिए बनाते हैं, कि ये तो रिपेयर हो जाएगी, अगर यही वो कारण है जो आपको भी अपने किसी सामान को फेंकने से रोक रहा है, तो अपने लिए एक समय सीमा निर्धारित कर लीजिये अगर आप उस समय तक उसको रिपेयर नहीं करवा पाए तो उसे फेंक दीजिये.
अगला बहाना जो लोग चीज़ों को फेकने से बचने के लिए बनाते हैं कि ये किसी से तोहफे में मिली है इसे फेंकने का मतलन उस इंसान का निरादर करना होगा. अगर आपके पास भी ऐसी चीजें हैं जिसे आप तोहफा समड़ा कर नहीं फेक पा रहे हैं, तो खुद से ये सवाल पूछिए कि क्या उस इंसान को ये पता भी है कि आपके पास अब उसका तोहफा है भी या नहीं? अगर किसी का तोहफा कोई ऐसी वास्तु नहीं है जिसे आप दिखा सकें जैसे कोई शो-पीस या कपड़े, तो किसी को क्या पता कि आपके पास वो तोहफा है या नहीं, और वैसे भी अगर वो व्यक्ति समझदार होगा तो उसे इस छोटी सी बात से कोई फर्क नहीं पड़ेगा. लेकिन, ऐसे निर्णय लेकर चीज़ों को फेकना यकीनन बहुत मुश्किल होता है. राहत की बात है कि लेखिका ने इस परेशानी का हल निकालने का एक उपाय बताया है. लेखिका का कहना है कि अगर अपने घर को साफ करते हुए आप अपनी विचार धारा को थोड़ा सा बदल लें तो आपका काम आसान हो जायेगा. सबसे पहले आप ये समझ लें कि जब आप अपने घर को साफ करने बैठे तो आप जल्दबाजी में ना हों, आपके पास भरपूर समय हो और आपको भूख भी ना लगी हो दूसरी बात कि अगर आप अपने साथ किसी दोस्त को इस काम में शामिल कर लें तो आपको निर्णय लेने में आसानी होगी और आखरी बात कि किसी भी चीज़ को रखने या फेकने का निर्णय लेने से पहले खुद से ये तीन सवाल जरूर पूछे- क्या मुझे इसकी ज़रूरत है? क्या मुझे ये पसद है? क्या में इसका इस्तेमाल करती हूँ अगर इन तीनों सवाल के जवाब ना में है, तो आगे सोचने की जरूर नहीं बस उस चीज़ को फेंक दें.
अपने घर को व्यवस्थित करने में देर न करें क्यूंकि उम्र के बढ़ने के साथ-साथ ये काम और कठिन होता जायेगा. एक बार आपने अपने सामान के ढेर में से ये तय कर लिया कि आपको क्या रखना है और क्या फेंकना है तो आप आत्म-शांति के अगले पड़ाव पर जा सकते हैं. वो पड़ाव है अपनी बची हुयी चीज़ों को उचित स्थान पर रखना और इस बात का भी ध्यान रखना कि वो वहाँ बनी रहे. अगर आप ये सोच रहे है कि कोनसी चीज़ कहाँ रखनी चाहिए तो लेखिका द्वारा दी गयी इस सलाह को याद रखिये, कि जिस चीज़ तक आप पहुँच नहीं पायेंगे उसका आप इस्तेमाल भी नहीं कर पायगे. इसलिए किसी भी वीज़ को रखने की सबसे सही जगह वो है जहाँ से आप उस तक आसानी से पहुँच पाए. अगर आप किसी चीज़ को किसी जगह पर संभाल कर रखने की सोच रहे हैं तो यकीन मानिये आप उसका इस्तेमाल कर पाएंगे इस बात की गुंजाईश बहुत कम ही है.
अपने घर के सामान को जमाते हुए सबसे पहले आप उन चीज़ों को ध्यान में रखें जो आपको आमतौर पर इस्तेमाल में आती है लेकिन आपको कभी भासानी से नहीं मिलता, जन्हें ढूंढना आपको अक्सर परेशान कर देता है. आपकी चामियां, आपके फोन का चार्जर, जो किताब माप पढ़ रहे हैं और हाँ मापका चश्मा ये सब तो इस लिस्ट में पक्का आते होंगे, तो ऐसी ही कभी समय पर ना मिलने वाली चीज़ों की लिस्ट बनाएं और उन्हें सही जगह पर रखें जैसे अपनी गाड़ी की चाभी के लिए आप अपने हॉल में एक हुक लगायें और इस्तेमाल के बाद उसे हमेशा वहाँ लटका दें, अगर आपको चार्जर नहीं मिलता तो बाजार से 1-2 एक्स्ट्रा सरीद के लायें और अपने घर के सुविधाजनक जगहों पर उसे प्लग में लगा दें और वहौं लगे रहने दें और आखरी बात कि जब भी बात घर को ज़माने और साफ़ करने की आये ओ उसे टाले नहीं, ऐसा न सोचें की अगले महीने या अगले साल कर लेंगे, क्यूंकि, पुरानी चीज़ों को फेंकना और काम की चीजों को साफ़ करना एक शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक कार्य है. और यकीन मानिये उम्र के बढ़ने के साथ साथ इसे करना और भी मुश्किल होता जायेगा. शायद इसलिए जराविज्ञान यानी gerentology के प्रोफ्फेसर डेविड एकर्ट (David Ekerdt) नें अपने अध्ययनों के माध्यम बताया कि एक बार आप 50 के हो गये तो अपनी किसी भी चीज़ को आप फेंकेंगे इसकी संभावना हर दशक के साथ कम होती जाती है चीज़ों से छुटकारा पाने की इच्छा का ना होना आगे चलाकर ना सिर्फ आपके लिए बल्कि आपके परिवार के लिए भी एक मुसीबत बन जायेगा क्यूकि अगर आप अपने घर को व्यवस्थित नहीं करेंगे तो मजबूरन उन्हें करना होगा अव्यवस्था से निकलने के लिए आपने आप को समझना बहुत जरुरी होता है.
आप खुद के बारे में कितना जानते हैं? ये सवाल शायद इस साफ सफाई के मुद्दे के बीच में थोड़ा अजीब लगे पर यकीनन यहाँ इससे उचित सवाल नहीं हो सकता, क्यूकि अगर आप खुद को समझते हैं और ये जानते हैं कि आप क्या चाहते हैं, तो आप आपने घर को अपने हिसाब से व्यवस्थित कर सकते हैं जिससे आपका जीवन और आसान बन सके साफ़ सफाई करते वक्त इस पहलू पर ध्यान देना बहुत जरूरी है. घर को व्यवस्थित करते समय सबसे पहले आप खुद से पूछे कि आखिर आप ये सब कर वयूँ रहे हैं? किसी विशेष स्थान को व्यवस्थित कर आप अपनी किस समस्या का निदान कर रहे है? एक बार आपने ये समझ लिया तो आप अपनी उर्जा और सोच को सही दिशा में लगा पायेंगे. साथ ही साथ आप ये भी समझ पाएंगे कि आपने कब सफलता प्राप्त कर ली है.
जैसे अपने स्टोर रुम को ही ले लीजिये, अगर आप अपना स्टोर रुम इसलिए साफ करना चाहते हैं कि आप वहां रखा सामान आसानी से निकाल सकें तो आपके दिमाग में ये बात साफ हो जाएगी कि आपको इतना ही साफ करता है जब तक आप चीजें आसानी से नहीं निकाल लेते. एक बार जगह बन गयी तो आपको आपकी मंजिल मिलने की संतुष्टि मिलेगी और साथ ही अगली बार चीजें निकालने में आपका समय भी बच जायेगा.
जब बात खुद को समझने और व्यवस्था की आती है तो एक और ज़रूरी सवाल जो आप अपने आप से पूछ सकते हैं वो है कि क्या इस सिस्टम को बढ़ावा देकर में अच्छा महसूस कर रहा हूँ?
कई बार जब हम उदास होते हैं तो खुद को छोटे-छोटे तोहफे देकर मन बहलाने की कोशिश करते हैं. ऐसा करते हुए कई बार हम अव्यवस्था को भी बढ़ावा देते हैं जैसे कि कई बार आपने भी खुद से कहा होगा कि आज में बहुत उदास या थका हुआ हूँ तो चीजें जैसी है उन्हें वैसे ही छोड़ कर मुड़ो बस आराम करना है. पर ये अफसोस की बात है कि हम अव्यवस्था को इस रूप में चुनकर अपनी ही परेशानियों को और बढ़ा देते हैं. जैसे दुखी होने पर ट्रीट के रूप में जरुरत से ज्यादा मीठा खा लेना या शराब पीना आगे चलकर हमारी सेहत के लिए हानिकारक होता हैं. उसी प्रकार अव्यवस्था भी आगे चलकर हमें और अधिक तनाव और चिंता से भर देती है. अगर आप सचमुच खुद को मदद करना चाहते हैं तो अपने घर की साफ सफाई के रुटीन में उदासी को बीच में कमी ना आने दें और ये बात हमेशा याद रखें कि एक ऑर्गनाइज़ड घर आपको अनऑर्गताइज़ड घर से ज्यादा खुशी देगा.
इसलिए आप सरल और इफेक्टिव आदतों को अपनाईये और अपने घर को अव्यवस्था से आजाद रखिये. अब जब आपने आपने घर के कबाड़ को फेंककर सभी चीज़ों को उनकी जगह पर जमा दिया है तो आपने मन में ये बात जरुर आ रही होगी कि मैं इसे ऐसे ही व्यवस्थित कब तक रख पाउँगा? अगर आप कुछ छोटी-छोटी आदतों को अपने जीवन का हिस्सा बना लें तो आप उम्र भर चीजों को साफ़ और व्यवस्थित रखकर आत्म-शांति का अनुभव कर सकते हैं. इन आदतों की सबसे अच्छी बात ये होती है कि कुछ समय बाद ये खुद ब खुद आपके जीवन का अभिन्न अंग बन जाती हैं, इसे करने के लिए आपको कुछ अलग से सोच विचार करने की जरुरत नही पड़ती.
पहली सबसे जरुरी आदत है कि एक कमरे से दुसरे कमरे में जाते समय आप उस कमरे का गैर जरूरी सामान साथ लेते जायें. उस सामान को उठा कर आप उसे अपनी जगह पर ही रखें ऐसा जरूरी नहीं है, अगर आप जल्दी में हैं तो उसे अपनी निर्धारित जगह के पास में भी रख सकते हैं. बाद में जब आपके पास समय हो तो उसे सही जगह पर रख दें. ऐसा करते हुए आप देखेंगे कि चीजें खुद ही यहाँ से वहाँ जाते हुए व्यवस्थित होती जा रही है. जैसे बाथरूम से बेडरुम की ओर जाते समय आप अपने कपड़ों को साथ ला सकते हैं, जरूरी नहीं कि आप उन्हें तय कर के अलमारी में रखें, पर कम से कम बेडरूम की कुसी तक तो वो कपड़े पहुँच ही जायेंगे.
अव्यवस्था को मात देने के लिए अगली आदत है, कि आप हमेशा इस बात का ध्यान रखें कि घर के किसी भी कोने में कहीं चीजें इक्कठा तो नहीं होने लगी. कोई ऐसी अलमारी जो अब आसानी से बंद नहीं हो रही या किताबों का भंडार जो आपके टेबल पर इक्कठा हो गया. अव्यवस्था फैलाने वाला सामान का डेर कोई रातों रात नहीं बनता बल्कि इसका जंजाल धीरे धीरे बढ़ता है, इसलिए बेहतर है कि समस्या को उसकी जड़ में ही खत्म कर दिया जाए. आखरी बात है कि आप ये समझें कि बेकार के सामान को घर में आने से आप कैसे रोक सकते हैं. इसके लिए इस बात का ध्यान रखें कि आप किसी दुकान में तभी जाएँ जब आपको पता हो कि आपको क्या क्या सामान लेना है. जल्द से जल्द बस अपनी जरूरत का सामान लेकर दूकान से बहार निकल जाएँ क्यूकि आप जितनी देर वहाँ रुकेंगे उतना कबाड़ इक्कठा कर लेंगे और फ्री सेंपल को तो बिलकुल न आजमाए क्यूकि फिर इससे उस चीज़ को खरीदने की संभावना बढ़ जाती है.
हम अक्सर ये नहीं जानते कि हम अपने घर से आखिर क्या चाहते हैं, लेकिन फिर भी हम इसे सुन्दर बना सकते हैं.
घर के हर कोने से समान के भण्डार को हटाने के बाद अब समय है घर को कुछ देने का, तो आखिर हम अपने घर को क्या दे सकते है? यकीनन सुन्दरता और क्या! एक सुन्दर घर कैसा होना चाहिए ये कह पाना बहुत मुश्किल है, क्यूंकि सुन्दरता इस बात पर निर्भर करती है कि हम अपने घर को कैसा देखना चाहते हैं.
घर की सजावट को लेकर अक्सर हमारी इच्छाएं विरोधाभाषी होती हैं जैसे हम घर में किसी चीज़ की कमी भी नहीं चाहते मतलब हमारे सभी दराज़ चीज़ों से भरे होने चाहिए और कमरे में हेर सारा शानदार फर्नीचर भी होना चाहिए, साथ ही हम ये भी चाहते कि हमारा घर खुला-खुला हो और उसमे मिनिमलिंज्म के सिद्धांतों की झलक भी मिले. हम ये भी चाहते हैं कि हमारा घर किसी शांत से स्थल जैसा हो मगर हम ये भी चाहते हैं कि हमारे घर में बच्चों की किलकारियाँ गूंजे. तो आईये देखते हैं कि कैसे हम एक अच्छे घर के बारे में हमारे विचार के विरोधाभार्थों को समेटते हुए, अपने घर को सुन्दर, स्वच्छ और शांति से भरा बना सकते हैं? भपने धर में आप किसी खास रेंग या पैटर्न का चुनाव कर लें और बाकि सारी चीजें उसके हिसाब से खरीदें, जैसे रंगों के अलग अलग शेड या फिर एनिमल स्किन पेट्न के फर्नीचर. ऐसा करने से भविष्य में भी बदलाव करना और सजावट करना आपके लिए आसान हो जायेगा. साथ ही अगर आप अपने पसंदीदा रंग का चुनाव करते हैं तो अपने घर के हर कोने में उसे बिखरा देख आपकी हर सुबह खुशनुमा हो जायेगी
अपने घर में कोई कमरा ऐसा बनाएं जहाँ बच्चे आपकी इजाजत के बिना नहीं जा सकते हों, यकीनन अपने बच्चों को खेलता देख बहुत खुशी का अनुभव होता है पर हर व्यक्ति को थोड़ी आत्म-शांति की आवश्यकता जरूर होती है, उस शांति के लिए भाप घर का वो कोना इस्तेमाल कर सकते हैं जहाँ बच्चों को जाना माना हो, इससे भापके बच्चों को खेलने की भरपूर आज़ादी भी मिल जाएगी और आपको अपने लिए एक शांत जगह भी मिल जाएगी.
बाहर की चीजों को समेट कर ऑर्गनाइज़ करना यकीनन एक बहुत बड़ा काम है. लेकिन, इसे करने के बाद आप महसूस करेंगे कि आपके पास अपने परिवार, दोस्त, अपनी हॉबी और उन सब चीजों के लिए वक्त है जो आपके जीवन में मायने रखती है.