PHYSICS OF THE FUTURE by Michio Kaku.

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PHYSICS OF THE FUTURE by Michio Kaku.
Physics of the Future - Introduction

Physics of the Future

परिचय (Introduction)

आप कल्पना करिए कि आप ईयर 2100 में जाग रहे है. आपने अपनी आंखे खोली और बैठ गए. जिस दीवार को आपने फेस किया वो एकदम कंप्यूटर स्क्रीन की तरह ओन हो जाती है... अरे नहीं! वो तो एक कंप्यूटर स्क्रीन ही है. आप एक सॉफ्टवेयर प्रोग्राम का फेस देखते है जिसका नाम आपने मौली रखा था. वो आपको गुड मोरिंग बोलके ग्रीट करती है और आपको याद कराती हे मीटिंग की जो आपके वर्क प्लेस पे थी।

आप अपने बाथरूम में जाते है, टूथ ब्रश करते टाइम और शावर लेते टाइम डीएनए सेन्सर्स जो आपके बाथरूम की सिंक, टॉयलेट सीट और मिरर पर लगे है मॉलेक्युलर लेवल पर आपके ब्रीथ को और आपके बॉड़ी फ्लूइड को एनालाइज़ करते है, कि कहीं आपको कोई डिज़ीज तो नहीं है. आप टॉवल से अपनी बॉडी को डाई करते है और कपड़े पहन लेते है. आप अपने हेड पर एक इक्विपमेंट पहन लेते हो जो आपको अपनी मेंटल टेलीपैथी यूज़ करवाता है.

टेलीपैथी की पॉवर

टेलीपैथी की पॉवर से आपके घर का टेम्प्रेचर आपके हिसाब से सेट हो सकता है, घर का म्यूजिक चल सकता है. क्यों है ना मजेदार और तो और एक रोबोट शेफ़ आपका डिलीसीयस ब्रेकफ़ास्ट भी रेडी करे और एक फ्लोटिंग कार आपके घर के मेन डोर पे रेडी मिले. और ये सब आपको इंटरनेट एक्सेस देता है. आप न्यूज़ हेडलाइन्स को पड़ते है जो आपकी आईज के सामने फ्लैश कर रही है, इसके बाद आप अपनी मैग्नेटिक कार में बैठे है और अपने दिन की शुरुवात करते है.

ये सारी प्रेडिक्शंस जिसकी अभी हमने चर्चा की इन सबकी प्रेडिक्शंस पास्ट टाइम में काफी इन्टेलेक्चुअल्स के द्वारा हो चुकी है. लेकिन मिशियो काकू की बुक की प्रेडिक्शंस सिर्फ इमेजिनेश्न्स नहीं है जैसे कि इंटरनेट कांटेक्ट लेंस, लैब में बन रहे ह्यूमन ओर्गस और नानोपार्टिकल्स की इन्वेंशन आलरेडी सच होंगे इसकी गारंटी है क्योंकि ये फिजिक्स के फंडामेंटल लॉज़ को फोलो करते है.

फिजिक्स के फंडामेंटल फोर्सेस

जैसे की हम जानते है इस यूनिवर्स को चार फोर्सेस चलाते हैं: ग्रेविटी (Gravity), इलेक्ट्रोमैग्नेटिक (Electromagnetism), वीक फ़ोर्स (Weak Force), और स्ट्रोंग फोर्स (Strong Force).

Force Explanation
ग्रेविटी (Gravity) हम ग्रेविटी को जेर्नल रिलेविटीविटी की ध्योरी से समझते है.
इलेक्ट्रोमैग्नेटिक (Electromagnetism) क्वांटम थ्योरी हमे इलेक्ट्रोमैग्नेटिज्म को समझने में मदद करती है.
वीक फ़ोर्स (Weak Force) क्वांटम थ्योरी के माध्यम से वीक फ़ोर्स को समझा जाता है.
स्ट्रोंग फोर्स (Strong Force) क्वांटम थ्योरी स्ट्रोंग फोर्स की भी व्याख्या करती है.

हम ये एक्स्पेक्ट कर सकते है कि चारो लॉज़ अगले 100 साल तक तो चेंज नहीं होने बाला. इस बुक समरी में आप सिखने वाले है फ्यूचर ऑफ़ कंप्यूटर्स, रोबोटिक्स, मेडीसिन, नैनोटेक, एनेर्जी और स्पेस ट्रेवल के बारे में. ये किताब आपको अगले 100 की झलक दिखाने वाली है.

मिचियो काकू काफी जाने-माने थ्योरीटिकल फिजिसिस्ट और बेस्ट सेलिंग ऑधर है. वो स्ट्रिंग थ्योरी में एक्सपर्ट है और न्यू यॉर्क सिटी यूनिवरसिटी में प्रोफेसर है. मिचियों ने काफी साइंस शोज बीबीसी, डिस्कवरी, हिस्ट्री और साइंस चैनल को होस्ट किया है. ये वही टीवी शोज है जहाँ पे मिचियो ने इस बुक के अमेजिंग इन्वेंशन्स को एक्सपीरिएंस किया है.

फ्यूचर ऑफ़ द कंप्यूटर्स (Future of the Computers)

मिचियो काकू एक बार मार्क वेइसेर से ज़िरोक्स पार्क में मिले. मार्क तब ज़िरोक्स के एक लीडर थे. जिरोक्स वही कंपनी है जिसने पर्सनल कंप्यूटर, ग्राफिकल इंटरफेस और लेजर प्रिंटर पर फतह हासिल की थी.

मार्क वेइसेर ने तब मिचियो काकू से कहा था कि एक दिन आएगा जब माइक्रोचिप्स काफी मात्रा में और काफी अफ्रोडेबल होगी, वो सब हमारी ज़रूरत बन जाएगा जैसे की खाना और पानी. ये सब हमारी दीवारे, फर्नीचर, क्लोथ्स और तो और हमारी बॉडी में भी होगी पेस मेकर इसका एक एक्जाम्पल है.

ये प्रेडिक्शन मूर के लॉ पर बेस है जो सिम्पली एक्स्प्ले न करता है कि कंप्यूटर पॉवर हर वन एंड हाफ ईयर यानी 15 साल में डबल होती है. दुसरे शब्दों में कहे तो कंप्यूटर की पॉवर एक्सपोनेशीयली ग्रो करती है और ये आईडिया गॉडॉन मूर ने दिया था जो इंटेल के फाउन्डर भी थे.

कंप्यूटर्स का इतिहास

इसके बारे में कुछ सोचिये! कंप्यूटर्स ने र ट्रेड के टाइम से फोलो किया है. वैक्यूम ट्यूब कंप्यूटर जो की बल्ल्ड वॉर के टाइम का था एक बहुत बड़ी मशीन थी जो कि एक रूम में फिट होती थी और इसको ऑपरेट करने के लिए एक अच्छी खासी टीम चाहिए थी जिसे एनिअक (ENIAC) कहते थे.

लेकिन 1960 के टाइम में ट्रांजिस्टर्स का इन्वेंशन हुआ जिसने मेनफ्रेम कंप्यूटर्स की बुनियाद रखी. 1980 में माइक्रोचिप्स की शुरुवात हुई ये वही सदी थीं जिसमे पर्सनल कंप्यूटर्स बने और पहली बार इसका मॉस प्रोडक्शंन भी भी हुआ.

2000 में कंप्यूटर्स में ही नहीं बल्कि स्मार्टफॉन्स और स्मार्ट टीवी में भी माइक्रोचिप्स आ गयी, हम इंटरनेट का यूज़ कहीं भी कर सकते है. एक ऐसा टाइम आएगा जब इंटरनेट हर जगह होगा, ये हमारी बेडरूम की वाल पे होगा, हमारे बाथरूम मिरर पे होगा. हमारी कार में, शॉप्स की वीडियो पे, पोस्ट और बिलबोर्ड पर भी.

हम जो भी पिक्चर्स देखेंगे मूरविंग पिक्चर्स होगी (जैसे कि हैरी पोटर की मूवी में होती है।. अगर एनशियेंट ग्रीक्स या ईज़िपिशियंस हमको देखेंगे वो भी हमको भगवान् ही मान लेंगे. आप को याद होगा कि एक टाइम था जब ना ऐरोप्लेंस थे और ना ही इंटरनेट था ओर ना कंप्यूटर्स.

फ्यूचर प्रेडिक्शन्स

अगले 10 साल में हमारे पास इंटरनेट आईग्लास और इंटरनेट कांटेक्ट लेंस होंगे. ये सच है क्योंकि सारे इन्वेंशस आलरेडी साइंटिस्ट के द्वारा लैब्स में मोड़ीफाईड और यूज किये जा रहे है. 2030 में आप सब इंटरनेट को बस अपनी आईज़ झपका के यूज कर सकेंगे.

इंटरनेट आईग्लास मिचियों काकू ने एम्आईटी में यूज़ भी किया है. ये एक नोरमल आईग्लास की तरह ही दीखता है, बस इंटरनेट आईग्लास के राईट साइड में सिलिंडर लेंस अटैच्ड है. ये लेंस आधा इंच लंबा ही है.

मिचियो ने इसे नॉर्मल आईग्लास यानी एक नॉर्मल चश्मा समझ के ही पहना पर जब उन्होंने स्माल सिलिंडर लेंस को टैप किया तो उन्होंने एक कंप्यूटर स्क्रीन को देखा, जो इस तरह लगा जैसे उनके सामने एक कंप्यूटर स्क्रीन आ गयो हो. स्क्रीन नोर्मल स्क्रीन से छोटी थी लेकिन एकदम क्लियर थी.

ये इंटरनेट आईग्लास एक डिवाइस के साथ थी. ये एक हैण्डहेल्ड डिवाइस से कण्ट्रोल होती थी यानी हाथ में पकडे जाने वाले डिवाइस से कण्ट्रोल होती थी जिसकी मदद से बटन्स के साथ यूजर क्रजर कण्ट्रोल और वर्ड्स टाइप कर सकते थे.

इंटरनेट कांटेक्ट लेंस

यूनिवरसिटी ऑफ़ वाशिंगटन में मिचियो ने एक और इन्वेंशन देखा जो एक इंटरनेट कांटेकट लेंस ही था. वो उसके इन्देंटर बाबक परविज़ से मिले. उस प्लास्टिक कांटेक्ट लेंस में एक बहुत छोटा माइक्रोचिप्स था और कुछ पीसेस लेड यानी लाईट एमिटिंग डायोड के थे.

कल्पना करिए कि आपके पास एक कांटेक्ट लेंस आपकी इंडेक्स फिंगर पर है. अगर आप उसे क्लोजली देखेंगे तो आपको माइक्रोचिप्स की छोटी लाइंस दिखेगी और लेड के छोटे सर्कल्स दिखेंगे. परवेज़ ने कांटेक्ट लेंस को सेमी-टांसपेरेंट रखा था ताकि हम अपनी सराउंडिंग्स को भी देख सके.

वो अपने इस डिजाईन को अभी और इम्पूव कर रहे है ताकि यूजर्स और भी डिटेल साफ कलर्स देख सके. हर एक कांटेक्ट लेंस सिर्फ 10 माइक्रोमीटर ही थिक है. अब सोचिये क्या होगा जब आप एक दिन वीडियोज और बुक्स इंटरनेट काटेक्ट लेंस पर और पढ़ सकेंगे.

फ्यूचर ऑफ़ एआई (Future of AI)

आप कम्फरटेबली अपने सोफा पर बैठे और आपके आइज़ के सामने इमेजेस फ्लैश हो रही है. और तो और अप एक बीच पे रिलेक्स करते हुए ऑनलाइन वीडियो कांफ्रेंस कर रह है. इसकी भी एक पोसिबिलिटी है कि काटेक्ट लेंस पर एक इनबिल्ट कैमरा हो. लोग अपने एक्सपिरियेंसेस को वल्ल्ड के साथ शेयर कर सके. कल्पना करिए कि आपका कोई फ्रेंड माउंटेन ट्रिप पर गया है और इंटरनेट कांटेक्ट लेंस से वो आपको उस माउंटेन की ब्यूटी और सनराइज़ का एक्सपीरिएस शेयर कर रहा है.

हम लोगो ने अनगिनत साइंटिफिक मूवीज देखी है जिसमें इंटेलीजेंट रोबोट्स इंसानों को मार देते है या इसानों को गुलाम बना देते है फॉर एक्जाम्पल - टर्मीनेटर, मैट्रिक्स, आई-रोबोट या एक्स मशीन काफी और भी मूवीज है जिसमे आर्टीफिशियल इंटेलीजेन्स के पास इमोशंस और कॉमन सेन्स है जैसे कि वाल ए और बिग हीरो, आपको क्या लगता है क्या ये वाकई पॉसिबल है?

क्या रोबोट्स फ्यूचर में इंसानों से स्मार्ट हो सकते हैं? क्या आप जानते हैं यू.एस मिलिट्री एक रोबोट यूज़ करती है जिसका नाम प्रीडेटर है जो आसमान से आती हुई मिसाइल्स को शूट कर देता है. प्रीडेटर 27 फीट लम्बा ड्रोन है. ये बहुत एक्यूरेसी से अफगानिस्तान में टेरेरिस्ट्स के निशानों को हिट करता है. ये शुरुवात में बहुत डरावना था लेकिन प्रीडेटर अपने आप काम नहीं करता.

इसके के पीछे हमेशा एक सोल्जर होता है। इसे कण्ट्रोल करता है. जो भी आर्टीफिशिय्ल इंटेलीजेन्स आज के टाइम है जो इसे का में एक्सेप्ट करती है इस ह्यूमन ही कण्ट्रोल या प्रोग्राम करते है. कोई सिंगल रोबोट की इतनी कैपेसिटी नहीं जो अपने आप सोच सके, चाहे एक रोबोट कितनी भी अमेजिंग ए असीम ग एबिलिटीज करते. रखे उसे कण्ट्रोल एक इंसान ही करता है.

दुनिया का सबसे एडवांस रोबोट

इसे दुनिया का सबसे एडवांस रोबोट है. होंडा ने बनाया है. इसकी हाईट 4फीट और उइंच है और इसका वेट 119 पौंड्स हे. ये एक लड़के की तरह दीखता ह जिसके सर पे एक हेलमेट है और पीठ पे बैकपैक. इसकी बॉडी स्टील की बनी है और फेस ब्लैक ग्लास से.

असीमो चल सकता है और भाग सकता है और तो और कमरे में नेविगेट कर सकता है। कप्स उठाकर कॉफी भी सर्व कर सकता है. वो सिंपल कमांडस को फोलो कर सकता है और काफी लेंगुएजेस भी बोल सकता है.

हौंडा साइंटिस्ट ने 20 साल इस पर काम करके असीमो को इतना परफेक्ट बनाया है. जब मिचियो काकू असीमो से मिले उन्होंने सोचा रोबोट अपना हेलमेट उतारेगा और ह्यूमन बॉय बॉडी रीवील करेगा. असीमो हैण्डशेक करेगा और हेलो बोलेगा.

मिचियो ने रोबोट से जूस लाने को बोला और रोबोट ने उसका आर्डर फोलो किया. जब मिचियो असीमो से इंटेरएक्ट कर रहे थे तब इंजीनियर्स की टीम उसके पीछे थी. चो उसे ऑर्डर्स फोलो करने के लिए कांस्टेंटली रीप्रोग्राम कर रही थी.

Artificial Intelligence and Future Technologies

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और फ्यूचर टेक्नोलॉजीज

इंटेलिजेंस का मुकाबला

एडमिट किया असीमो के पास सिर्फ एक इन्सेक्ट जितनी इंटेलीजेन्स है। रोबोट सिर्फ चल सकता है लेकिन उसके स्टेप्स और टर्न प्रोग्राम करने पड़ते हैं - तो वो गिर सकता है। वो अपनी सराउंडिंग को देख और समझ नहीं सकता। जो भी वो लेंगुएज बोलता है वो एक्चुअल में रिकार्डेड है।

यहाँ तक कि एक कोक्रोच भी असीमो से स्मार्ट है। कोक्रोच ओ्जेक्ट्स को पहचान सकते हैं, ओब्स्टेकल्स को अवॉयड कर सकते हैं और कोनो में जाकर छुप सकते हैं। वो अपने खाने और मेट्स को भी ढूंढ सकते हैं और तो और वो अपने प्रीडेटर्स से भाग सकते हैं। कोक्रोच ये सारे डिसीजन कुछ सेकंड्स में ही ले सकते। रोबोट्स की ह्यूमन से स्मार्ट बनने की दौड़ अभी लंबी है, साइंटिस्ट कहते हैं आर्टीफिशियल इंटेलीजेन्स को इवोल्यूशनरी लैडर को पहले क्लिम्ब करना होगा यानी रोबोट्स को पहले कोक्रोच, माउस, खरगोश, डॉग और एक बंदर से ज्यादा स्मार्ट होना पड़ेगा फिर वो ह्यूमन्स से ज्यादा स्मार्ट बन सकते हैं।

क्या रोबोट्स ह्यूमन को मात दे सकते हैं?

अब बताएं क्या आप एक सेकंड में काम्प्लेक्स कैलकुलेशन कर सकते हैं या चैस में वर्ल्ड चैम्पियन को बीट कर सकते हैं? ऐसे रोबोट्स हैं लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि ह्यूमन्स को अपना स्लेव बना लें। डीप ब्ल्यू, ये रोबोट आईबीएम ने क्रिएट किया है और ये 11 बिलियन कैलकुलेशंस सिर्फ एक सेकंड में करता है। इसने वर्ल्ड चेस मास्टर गैरी कास्परोव को भी हराया है। डीप ब्ल्यू सच में अमेजिंग है लेकिन वो सिर्फ एक टास्क ही परफॉर्म कर सकता है। यो चेस में जीनियस है लेकिन और कुछ नहीं कर सकता, रोबोट चाहे कितने भी इंटेलिजेंट बन जाएं मगर दो बेसिक फंक्शन्स नहीं कर सकते जो ह्यूमन कर सकते हैं - फर्स्ट पैटर्न रिकग्निशन और सेकंड कॉमन सेंस।

ये बात नोट करने वाली है कि ह्यूमन ब्रेन कंप्यूटर नहीं है। इसमें ना कोई माइक्रोचिप है ना कोई सॉफ्टवेयर जिसे अपग्रेड किया जा सके। ब्रेन्स में बिलियंस ऑफ़ न्यूरोंस हैं जो हर टाइम कनेक्ट और रीकनेक्ट होते रहते हैं, एक न्यूरोन हर 10,000 न्यूरोंस से कनेक्ट है, जब आप पियानो लेर्न करते हैं या जब भी आप किसी चीज़ की प्रेक्टिस करते हर टाइम न्यूरोंस का नेटवर्क रीइन्फोर्स्ड होता है।

क्या रोबोट्स क्रिएटिविटी में ह्यूमन को हरा सकते हैं?

ये एस्टेबिलिश्ड कनेक्शंस रीजंस हैं जिसकी वजह से की। हम अपनी बैड हैबिट्स नहीं छोड़ सकते। क्या रोबोट्स सोनाटा म्यूजिक कम्पोज़ कर सकते हैं, विजुअल मास्टरपीस को पेंट कर सकते हैं या जिम्नास्टिक परफॉर्म कर सकते हैं? सिर्फ ह्यूमन ही कर सकते हैं। लेकिन फिर भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस फिल्ममेकर्स, राइटर्स, साइंटिस्ट, और इंजीनियर्स के माइंड को इंस्पायर करता है।

फ्यूचर ऑफ़ मेडीसिन

फ्यूचर में आपको डॉक्टर के पास विजिट करने की जरूरत नहीं होगी जब आप बीमार होंगे आप अपने मेडिकल सॉफ्टवेयर से घर से बात कर सकेंगे जो आपके सिम्पटम्स को डाइग्नोज़ करके आपको प्रिस्क्रिप्शन दे देगा। हर दिन आपके वलोध्स आपके बॉडी चेंज को मोनिटर करेंगे, जब आपका कभी एक्सीडेंट होगा आपकी शर्ट इंजरीज को स्टडी करेगी और तुरंत एम्बुलेंस को कॉल लगाएगी।

अमेरिका में रोजाना 18 लोग मर जाते हैं क्योंकि उनको कम्पेटिबल ऑर्गन डॉनर नहीं मिल पाता। साइंटिस्ट ने इसका आंसर टिश्यू इंजीनियरिंग में दिया है। व्या आपको पता है साइंटिस्ट अब नया ऑर्गन ग्रो कर सकते हैं आपके सेल से? अभी तक वो ब्लड, बोन्स, ईयर्स, नोज़, स्किन और हार्ट वाल्वस ग्रो कर सकते थे, फर्स्ट इंजीनियर ब्लैडर 2007 में बनाया गया था, फर्स्ट विंडपाइप 2009 में बनाई गयी थी।

साल इंजीनियर्ड ऑर्गन
2007 ब्लैडर
2009 विंडपाइप

ये सब साइंटिस्ट कैसे करते थे? पहले वो आपके बॉडी से हेल्दी सेल्स को एक्सट्रेक्ट कर लेते हैं फिर वो आपके ऑर्गन का प्लास्टिक मॉडल लेते हैं। वो मोल्ड बायोडीग्रेडेबल पोलीगाईकोलिक एसिड से बना होता है। आपके बॉडी से एक्सट्रेक्ट किये हुए सेल्स को ग्रोथ स्टीम्यूलेटर्स से ट्रीट किया जाता है। धीरे-धीरे वो मोल्ड को फिल कर देते हैं और प्लास्टिक डिसइंटीग्रेट हो जाती है। फाइनल में एक नया ऑर्गन बन जाता है।

धार- मिचियो काकू ने खुद वाके यूनिवर्सिटी में ये देखा था। वो डॉक्टर एंथोनी अटाला की लैब में गए थे। वहां मिचियो ने लिविंग ह्यूमन ऑर्गन को जार में देखा था। उन्होंने ब्लड, ब्लड वेसल्स और पंपिंग हार्ट भी देखा। सबसे बड़ा एडवांटेज टिश्यू इंजीनियरिंग का ये है कि इसकी कोम्पेटेबिलिटी गारंटीड है, नेक्स्ट फाइव ईयर में डॉक्टर अटाला का टारगेट लीवर ग्रो करना है।

स्टेम सेल्स की भूमिका

ये कॉम्प्लीकेटेड नहीं है क्योंकि इसमें बहुत कम टाइप्स के टिश्यूज ही होते हैं। सबसे चेलेजिंग ऑर्गन ग्रो करने के लिए किडनी है, ये मिलियंस से बना हुआ है। किडनी मोल्ड बनाना बहुत डिफिकल्ट है। अपने स्टेम सेल के बारे में ज़रूर सुना होगा। ये बहुत इंट्रेस्टिंग है कि हर यंग छोटे-छोटे फिल्टर्स से बना सेल का जेनेटिक कोड होता है आपके किसी भी बॉडी पार्ट को बनाने के लिए।

लेकिन जैसे ही सेल्स मैच्योर होते हैं वो स्पेशलाइज हो जाते हैं जींस पर एक स्पेशिफिक ऑर्गन के लिए। बाकी कोड्स ऑफ़ हो जाते हैं। जैसे एक्जाम्पल के लिए यंग स्किन सेल्स की ब्लड सेल बनाने की कैपेसिटी होती है लेकिन कोड्स लॉस्ट हो जाते जब एडल्ट स्किन सेल में डेवलप हो जाते हैं।

स्टेम सेल्स की अद्वितीयता

स्टेम सेल्स स्पेशल हैं क्योंकि वो कभी कोड नहीं लूज़ करते, वो किसी टाइप के सेल में जाते हैं यहाँ तक कि एडल्टहुड में भी। स्टेम सेल्स में किसी भी डिजीज को क्योर करने की पोटेंशियल होती है जैसे की पार्किसन की बिमारी, अलझाईमर्स, डाएबीटीज, हार्ट डिजीज और यहाँ तक कि कैसर भी। स्टेम सेल्स में और रीसर्च करना अभी बाकी है।

डॉक्टर डोरिस टेलर जो कि यूनिवरसिटी ऑफ मिनोस्टा से हैं, वो कहते हैं कि स्टेम सेल्स का गुड, बैड, और अग्ली पार्ट ये है कि वो किसी ऑर्गन या टिश्यू को बनाने के लिए मल्टीप्लाई हो जाते हैं। बैड पार्ट ये है कि उन्हें ये नहीं पता ग्रो करना कब स्टॉप करना है केस में स्टेम सेल्स ट्यूमर डेवलप कर लेते हैं।

नैनोटेक्नोलोजी का भविष्य

एवेंजर्स इनफिनिटी वार मूवी में एक सीन है जहाँ टोनी स्टार्क अपने आर्क रिएक्टर पे टैप करते हैं और आयरन सूट उसकी बॉडी के अराउंड फॉर्म हो जाता है। टोनी बूस बैनर से कहते हैं कि यही नैनोटेक है। 10 सालों बाद यही चीज़ बड़ी कॉमन हो सकती हम यहाँ नानोपार्टिकल्स की बात कर रहे हैं। नानोपार्टिकल्स को नैनो इसीलिए बोलते हैं क्योंकि इनका मेजरमेंट नैनोमीटर में होता है।

1 नैनोमीटर .0000001 सेंटीमीटर के बराबर होता है। इन पार्टिकल्स को मोलिक्यूल्स और एटोम्स कहते हैं। ये नेकेड आईज के लिए बहुत छोटे होते हैं। नैनोटेक में बहुत पोटेंशियल है बहुत सारी फाइंडिंग्स को आलरेडी आईबीएम और कंपनीज ने अपनी कंपनीज में अडॉप्ट भी कर लिया है। हमारे पास आज जो भी है, जैसे मोबाइल फोन्स, पर्सनल कंप्यूटर्स और माइक्रोचिप्स ये सब क्वांटम थ्योरी के कारण ही पॉसिबल हुआ है।

नैनोटेक्नोलोजी का प्रभाव

फ्यूचर में हम नैनोटेक के द्वारा बहुत बड़ा इंडस्ट्रीयल रेवोल्यूशन देखने वाले हैं। हमारे पास एक बड़ा आईडिया है। नैनोटेक्नोलोजी ने ये पॉसिबल कर दिया है कि हम किसी भी इंडीविजुअल्स एटम को मेनीप्यूलेट कर सकते हैं। मिचियो काकू एक बार आईबीएम रिसर्च सेंटर केलिफोर्निया गए। वहां पर एक मॉडर्न इक्विपमेंट था स्कैनिंग टनलिंग माइक्रोस्कोप जिसे साइंटिस्ट इंडिविजुअल एटोम्स को देख और मूव कर सकते थे।

मिचियो काकू इस मशीन को ऑपरेट करना चाहते थे। वो मशीन एक विन्यल रिकॉर्ड प्लेयर की तरह लग रही थी ना कि एक माइक्रोस्कोप की तरह, उसमें एक पतली नीडल थी जो को ट्राई स्लोली सब्सटेंस के ऊपर से पास करती जाती थी, उस नीडल से स्माल इलेक्ट्रिक करंट पास किया जाता था।

नैनोपार्टिकल्स का उपयोग

मिचियो को बताया गया कि हर टाइम करंट में स्लाइट चेंज आता था जब नीडल एटम को टच करती थी। कई बार नीडल से एटम को टच करने के बाद मशीन ने इंडिविजुअल एटम की इमेज डिस्प्ले की। वो एक पिंग पोंग बॉल के जैसे थी जिसका डायमीटर से एक इंच होता है, एक और नीडल थी जो एटम को मूव करने के लिए थी। वो एक कंप्यूटर से कंट्रोल होती थी।

मिचियो ने कर्सर उस एटम पर रखा और राईट में मूव किया। माइक्रोस्कोप ने दोबारा स्कैन किया और दूसरी इमेज को डिस्प्ले किया। मिचियो हैरान थे कि एटम की पोजीशन चेंज थी। कुछ टाइम बाद वो सब्सटेंस में हर एटम को पोजीशन चेंज कर सकते थे।

कनक्ल्यूजन

इस समरी में आपने इंटरनेट आईग्लास और कांटेक्ट लेंस के बारे में जाना, आपने आर्टीफिशियल इंटेलिजेंस एएसआईएमओ और डीप ब्ल्यू के बारे में भी जाना। आपने टिश्यू इंजीनियरिंग, स्टेम और क्लोनिंग के बारे में भी जाना, आपने नानोपार्टिकल्स और नानोटेक्नोलोजी के बारे में भी जाना।

क्या आप जानते हैं अपने सोलर सिस्टम में सिर्फ सन ही एनर्जी सोर्स नहीं है? योरोपा जो कि ज्यूपिटर प्लानेट का एक मून है उसके ओसीन फ्लोर में लाइफ फॉर्म है। अर्थ में इसलिए लाइफ है क्योंकि ये सन से एक परफेक्ट डिस्टेंस पे है। हमारा प्लानेट ना ही ज्यादा गर्म है ना ही ज्यादा ठंडा है।

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