About Book
2 मिलियन साल पहले हमारी ये धरती कैसी रही होगी? होमो सेपियन्स कहाँ से आये थे और उन्होंने धरती पर अपनी इतनी आबादी कैसे बसाई? क्यों दुनिया के सबसे बड़े एनिमल्स में से एक मैमल्स की आधी आबादी गायब हो गयी?
इसी तरह एक कई और सवालो के जवाब आपको इस बुक समरी में मिलेंगे. सेपियन्स एक इंटरनेशनल बुक सेलर है जोकि आपको बिलकुल भी मिस नही करनी चाहिए.
ये समरी किस किसको पढनी चाहिए?
हर वो इंसान जो बायोलोजी, हिस्ट्री, आर्कोलोजी, जूलोजी या पेलियोंटोलोजी में इंटरेस्ट रखता है. इस बुक में कई ऐसे फैक्ट्स मिलेंगे जो आपके होश उड़ा देंगे.
ऑथर के बारे में
युवाल नोअह हरारी एक जेविश ऑथर, होस्टरियन और प्रोफेसर है. उन्होंने ऑक्सफोर्ड से हिस्ट्री में पी. एच.डी की डिग्री ली है. वो जेरुसलम की हिब्रू यूनिवरसिटी में पढ़ाते है.
हरारी अपने इंट्रेस्टिंग आईडियाज की वजह से काफी पोपुलर टीचर माने जाते है. 2019 में उन्होंने सेपियन्सशिप नाम से एक ऑर्गेनाइजेशन की फाउंडेशन रखी थी जिसका गोल है ग्लोबल रिस्पोंसेबिलिटी.
इंट्रोडक्शन (Introduction)
फैक्ट 1: करीब 2 मिलियन साल पहले धरती पर इंसान की कम से कम 6 प्रजातियाँ थी. इन्हें ह्यूमन स्पीशीज भी बोलते है.
फैक्ट 2: होमो सेपियन्स ने बाकी जातियों का खात्मा कर दिया था.
फैक्ट 3: सेपियन्स के पास एक ऐसी ताकत थी जिससे वो इस दुनिया में राज कर सके.
फैक्ट 4: इंसानों से पहले धरती पर कई तरह के बड़े-बड़े जानवर रहते थे. और अब उनमें से एक भी नहीं बचा.
इस बुक समरी में ऐसे ही कई और अमेजिंग फैक्ट्स है जो आप पढेंगे और सुनने के बाद इस धरती पर हम इंसानों की हिस्ट्री के बारे में है जिसे आँधर ने काफी डीप स्टडी करने के बाद लिखा है, और इस बुक में आपको कई ऐसी बातें भी सीखने को मिलेंगी जो शायद आपने स्कूल में भी नहीं पढ़ी होंगी.
इससे आपको पता चलेगा कि हम इन्सान जो इस दुनिया में राज करते है, हमारे कंधो पर एक बड़ी रिस्पोंसेबिलिटी है.
एन एनिमल ऑफ़ नो सिग्निफिकेंट (An Animal of No Significance)
इमेजिन करके देखो कि आप आज से दो मिलियन साल पहले के ईस्ट अफ्रीका के जंगलो में हो. आपके सामने एक जानी-पहचानी तस्वीर आती है.
माएं अपने बच्चों की देख-भाल कर छोटे बच्चे इधर-उधर भाग रहे है. मर्द अपने मसल्स दिखा रहे है. बूढ़े लोग एक तरफ बैठकर सब कुछ देख रहे है.
इंसान एक सोशल एनिमल है. वो ग्रुप में रहना पसंद करता है, सब लोग साथ उठते-बैठते है, साथ खेलते हैं. हमारे अंदर दोस्ती और प्यार जैसी फीलिंग्स भी होती है और आपस में कंपटीशन भी खूब होता है.
मगर सिर्फ इन्सान नहीं बल्कि हाथी, बंदर, चिम्पांज़ी जैसे जानवर भी इसी तरह रहते है. तो हम इंसानों में ऐसा स्पेशल क्या है? हम भी तो जंगल के बाकी जानवरों जैसे ही तो है.
बाकी जानवरों के मुकाबले हम साइज़ में छोटे है और अर्ली ह्युमंस यानी आदिमानव की आबादी पहले काफी कम थी.
बायोलोजिस्ट ने ओगनिज्म को स्पीशीज के बेस पर ग्रुप में बाँट रखा है, जो जानवर आपस में सेक्स करके फर्टाइल बच्चे पैदा करते है, वो एक ही जाति के माने जाते है.
जैसे कि एक गधे और घोड़े का एक्जाम्पल लेते है. सब जानते है कि गधे और घोड़े अलग-अलग जानवर है. पर अगर दोनों की क्रॉस ब्रीडिंग कराई जाए तो म्यूल पैदा होगा यानी आधा गधा और आधा घोडा.
मगर वो म्यूल इनफर्टाइल होगा यानी कि वो बच्चे पैदा नहीं कर पायेगा. इसीलिए गधे और घोड़े की क्रॉसब्रीड कभी आगे नहीं बढ़ पाएगी.
अब एक और एक्जाम्पल लेते है, बुल डॉग और स्पैनियल ब्रीड डॉग्स है. दोनों अलग ब्रीड है पर एक ही जाति के है. दोनों नैचुरली मेट करके बच्चे पैदा कर सकते है.
उनके जो पपीज़ होंगे वो भी बड़े होकर बच्चे पैदा करेंगे. जिन स्पीशीज के सेम एन्सेस्टर्स यानी एक ही पूर्वज होते है उनका "जीनस" यानी ग्रुप एक होता है.
अब जैसे टाइगर, जैगुवार, लीपोर्ड्स और लायंस पैंथरा जीनस में आते है. बायोलिजिस्ट ऑर्गेनिज्म्स को दो पार्ट में लैटिन नामो से बुलाते है जोकि एक जीनस है और उसके बाद आता है स्पीशीज, लायंस का एक स्पेशिफिक नाम है "पैंथरा लियो" यानी कि लायंस जीनस पैंथरा से आते है और उनकी स्पीशीज है लियो.
होमो नरह होमो सेपियन्स होमो जीनस से आते है जिसका मतलब होता है मेन और स्पीशीज "सेपियन्स" का मतलब है बुद्धिमान, डरथेलेंसिस (The Homo neanderthalensis) और होमो एरेक्टस (Homo erectus) डिफरेंट स्पीशीज है.
हाँ लेकिन ये दोनों निए भी ह्यूमन्स में आती है. लायंस, चीता और हॉउस कैट कैट फेमिली से बिलोंग करते है जिसका सीधा मतलब है कि इन सारे एनिमल्स के पूर्वज एक ही थे, इसी तरह जैकाल्स, फोक्सेस और वूल्व्स डॉग फेमिली में आते है.
मैमथ, एलिफेंट्स और मस्टोडोंस (Mammoths, elephants and mastodons) तीनो एलिफेंट फेमिली से आते आप माने ना माने लेकिन सच तो ये है कि हम इंसानों के जीनस गोरिल्लास, ओरेंगउटान्स, और चिम्पैंजी की तरह एप फैमिली से बिलोंग करते है.
बल्कि कहना चाहिए कि चिंपांज़ी हमारे सबसे क्लोज कज़न करीब 6 मिलियन पहले एक एप ने दो फीमेल्स को जन्म दिया था उनमे से एक चिंपांज़ीयों की ग्रैंडमदर बनी और दूसरी हमारी ग्रैंडमदर है ना इंट्रस्टिंग फैक्ट?
जो फर्स्ट ह्यूमन था वो ऑस्ट्रालोपिथेकुस (Australopithecus) नाम के जीनस वाले एक एप से ही इवोल्व हुआ था. ये प्रजाति ईस्ट अफ्रीका में रहती.
और फिर 2 मिलियन साल पहले इनमे से कुछ ह्यूमन्स कहीं और चले गए. ये लोग नॉर्थ अफ्रीका की तरफ गए फिर वहां से यूरोप और एशिया चले गए.
इन्सानों के अंदर जो डिफरेंट एबिलिटीज आई है वो उनके डिफरेंट एनवायरमेंट में सर्वाइव करने की वजह से है.
यानि जो आदिमानव यूरोप और वेस्टर्न एशिया गया उसने वहां के सर्द मौसम के हिसाब रहना सीख लिया था, बाद में ये होमो नेंडरधलेनसिस बने जिसे नेंडरथल्स भी बोलते है.
जो आदिमानव ईस्ट एशिया आए उन्हें होमो एरेक्टुस या "अपराईट मेन" के नाम से जाने गए.
जो ह्यूमन इंडोनेशिया के जावा आईलैंड में बसे वो "होमो सोलोनसिस" (Homo soloensis) के नाम से जाने जाते है.
ये लोग ट्रोपिकल क्लाइमेट के हिसाब से एडजस्ट हो गए थे.
इंडोनेशिया के फ्लोरेस आईलैंड में एक और ह्यूमन स्पीशीज की डेवलपमेंट हुई जिन्हें होमो फ्लोरेसिएंसिस बोलते है.
कहा जाता है कि होमो फ्लोरेसिएंसिस (Homo floresiensis) इस आईलैंड में तब आए जब समुंद्र का पानी लो लेवल पर था. फिर कुछ टाइम जब पानी इनक्रीज हुआ तो ये लोग आईलैंड के अंदर ट्रेप हो गए और बाहर नही निकल पाए.
इस आईलैंड में ज्यादा रिसोर्सेस नहीं थे. जिन आदिमानवों का बड़ा शरीर था उन्हें भरपेट खाना नहीं मिल पाया तो इनमें से ज्यादातर मर गए और जो छोटे शरीर वाले थे उन्होंने किसी तरह सर्वाइव कर लिया.
फिर कई सेंचुरी बाद होमो फ्लोरेसिएंसिस की जेनरेशन में बौने पैदा होने लगे. जिनकी हाईट सिर्फ एक मीटर के करीब थी और वजन 25 किलो के बराबर था, वैसे तो ये देखने में छोटे मगर इनकी प्रजाति खूब फली-फूली, इन्होंने शिकार करने के लिए पत्थरों से टूल्स बनाए.
लोग हाथियों का शिकार करते थे जो उनकी तरह ही बौने साइज़ के थे.
जहाँ एक तरफ बाकि ह्यूमन रेस अफ्रीका से बाहर चली गयी थी वही ईस्ट अफ्रीका के आदिमानवों का भी लगातार विकास होता रहा.
इन्हें होमो रुडोल्फफेंसिस (Homo rudolfensis) या "मेन फ्रॉम लेक रुडोल्फ" और होमो इरगेस्टर (Homo ergaster) या वॉकिंग मेन भी कहा जाता है.
फिर धीरे-धीरे में हमारी अपनी स्पीशीज भी इवोल्व हुई जिसे हम होमो सेपियन्स यानी वाइज़ मेन के नाम से जानते है.
ये सारी आदिमानव प्रजातियाँ धरती में एक ही टाइम पर रहती थी यानी कि आज से करीब 2 मिलियन से 10,000 साल पहले.
इंसानों की ये प्रजातियां है निएंडरथल्स, होमो सोलोएसिस, होमो फ्लोरेसिएंसिस, होमो एरेक्टुस, होमो एगेंस्टर और होमो सेपियन्स.
जब पिग्स, बीयर्स, फोक्सेस और बाकि जानवरों की इतनी प्रजातियाँ होती है तो इंसानों की क्यों नहीं हो सकती?
लेकिन सिर्फ होमो सेपियन्स ही इतने लम्बे टाइम तक क्यों टिके रहे इसकी भी एक इंटरेस्टिंग स्टोरी है.
करीब 150,000 साल पहले ईस्ट अफ्रीका में रहने वाले होमो सेपियन्स को बाकी दुनिया से कोई मतलब नहीं था. ये लोग हंटर गेदरर थे.
फिर आग की खोज हुई. ये लोग खाना पकाने और जंगली जानवरों को डराने के लिए आग का इस्तेमाल करने लगे.
साइंटिस्ट मानते है कि इस युग की होना साथयक लला रा सकाकी को कमा मेडनत करनी पड़ती थी, इसलिए होमो सेपियन्स के अब इन्होंने खाना पकाना सीख लिया था तो पका हुआ खाना की वजह से खाने अपने पूर्वजो के मुकाबले छोटे जबड़े और टीथ थे, और इनके ब्रेन का साइज़ भी हमारे जितना ही था.
थ्योरीटिकली बोले तो अगर आज कोई होमो सेपियन्स किसी मुर्दाघर में पड़ा होता तो शायद पैथोलोजिस्ट को उसमे कोई अजीब बात नजर नहीं आती.
70,000 साल पहले होमो सेपियन्स ईस्ट अफ्रीका से बाहर निकला. उसने अरेबियन पेनिसुला को क्रोस किया और वहां से योरोप और एशिया चला गया.
उन्होंने देखा कि यहाँ तो निएंडरथल्स और दूसरी मन स्पीशीज बसी थी. अब आगे क्या हुआ होगा, इस बारे में साइंटिस्ट के पास दो थ्योरीज है.
पहली थ्योरी है इंटरब्रीडिंग थ्योरी. यानि कि होमो सेपियन्स ने यूरेशिया में निएडरथल्स के साथ मेटिंग करके अपनी जेनरेशन को आगे बढ़ाया होगा. जो है इटरडिग ारा. योनि की होमा सापयन्स न लाग इस्ट एशिया पहुंचे थे उन्होंने.
होमो एरेवटुस रिप्लेसमेंट थ्योरी इसे साथ कपलिंग की होगी. इसलिए इन जगहों में इन स्पीशीज़ के मिक्सचर लोग मिलते हैं, हालॉकि होगा. और दोनों गली डिसमिस करती है. क्योंकि होमो सेपियन्स डिफरेंट जाति के लोग थे तो उनका निएंडरथल्स के साथ ज़रूर टकराव हुआ। ने एक दुसरे को खत्म करने की कोशिश भी की होगी.
लेकिन अगर वो मिल भी जाते तो उनके बच्चे इनफर्टाइल होते यानी आगे की जेनरेशन पैदा नही होती. तो ये मुमकिन नहीं है कि इन दोनों जातियों मिलकर बच्चे पैदा किये होंगे. ऐसा माना जाता है कि होमो सेपियन्स ने निएंडरथल्स को खत्म होने की कगार पर पहुंचा दिया था. बेशक सेपियन्स ज्यादा स्मार्ट इन्होने ज्यादा थे और ना ही लोग कुकिंग जानते थे, और इनके ब्रेन भी ज्यादा डेवलप थे, बाकि जातियों के मुकाबले होमो सेपियन्स स्किल्ड हुन्टर्स और गेदर्स थे. ज्यादा नैचुरल रीसोर्सेस यूज़ किये. इनकी पौपुलेशन बढती गयी.
इसी बीच निएंडरथल्स ना तो डियर जैसे जानवरों का शिकार कर पाते ही ज्यादा फूट्स इकटै कर पाते थे, उनके पास खाने-पीने की भारी कमी होने लगी. एक-एक कर उनके झुण्ड के मेंबर मरने लगे थे. एक थ्योरी ये भी है कि आपसी लड़ाई-झगड़े में इन लोगो की जाने गई सेपियन्स जो यूरेशिया आए थे उन्होंने निएडरथल्स की पोपुलेशन का पूरी तरह खात्मा कर दिया अगर ये थ्योरी सच है तो ये ह्यूमन हिस्ट्री की फर्स्ट जेनोसाइड या एथनिक क्लींजिंग मानी जाएगी. ज्यादातर साइंटिस्ट रीप्लेसमेंट थ्योरी के फेवर में थे मगर 2010 में एज जेनेटिक डिस्कवरी ने इस थ्योरी की धज्जियां उड़ा के रख दी. जेनेटिक्सिट (Ceneticists) ने जमीन के अंदर से मिली निएंडरथल्स के फोस्सिल्स का डीएनए निकाला.
उन्होंने इसे मॉडर्न ह्यूमन के डीएनए से कम्पेयर किया तो पाया कि मॉडर्न योरोपियंस और अरब्स के डीएनए में 4% निएंडरथल्स का डीएनए है. बायोलोजी की स्टडी में कोई भी चीज़ स्ट्रिक्टली ब्लैक या व्हाइट नहीं होती. बीच में कुछ ग्रे एरियाज़ भी होते है, यानी हर चीज़ के कई पहलू हो सकते है. इसी तरह इंटरब्रीडिंग और रीप्लेसमेंट की दोनों थ्योरीज़ भी सही हो सकती है. ये मुमकिन है कि सेपियन्स ने ही निएंडरथल्स प्रजाति को खत्म किया हो मगर हो सकता है कि इनमें से कुछ ने मिलकर फर्टाइल बच्चे पैदा किये होंगे. जो डीएनए मिले है वो शायद इसीलिए मिक्स्ड है.
द ट्री ऑफ़ नॉलेज (The Tree of Knowledge)
70,000 से 30,000 साल पहले कोगनिटिव रेवोल्यूशन हुआ था, इसका मतलब है कि इस टाइम तक होमो सेपियन्स काफी इंटेलीजेंट हो चूका था. वो समुंद्र पार करके आस्ट्रेलिया पहुंचा. उसने बोट्स, यो और एरो यानी धनुष बाण, आयल लैप्स और सुई जैसी चीज़े इन्वेंट कर ली थी. इसी युग में शायद दुनिया का पहला आर्टवर्क भी क्रिएट किया गया होगा, क्योंकि स्टेडल केव, जैर्मनी में इस टाइम का एक स्टेडल लायन मेन का स्टैच्यू मिला है, थे मूर्ती हाथी दांत की बनी है जिसका हेड लायन का है और बॉडी इंसान की.
स्टील लायन मेन सिर्फ पहला आर्टवर्क नहीं है बल्कि है इस बात इतनी एबिलिटी थी कि वो उन चीजों के बारे में श्री सोच स के सका का कि कस टाइम तक इन्सान ने रिलिजन की खोज कर ली थी और उसके अंदर भी सोच सकता था जो रियल में एक्जिस्ट नहीं करती. तो आखिर ये कोगनिटिव रेवोल्यूशन हुआ केसे? साइंटिस्ट मानते है कि सेपियन्स के ब्रेन में कोई जेनेटिक म्यूटेशन ज़रूर हुआ होगा. उनके न्यूरोंस कुछ इस तरह से उलझे होंगे कि उन्हें हाई लेवल की इंटेलिजेंस पॉवर मिली होगी. मगर सवाल ये है कि सिर्फ सेपियन्स में ही इस की म्यूटेशन क्यों हुई? ये निएंडरथल्स में क्यों नहीं हुई? इस बारे में अभी तक कोई सॉलिड थ्योरी नहीं मिल पाई है, ये एक रेंडम चांस भी हो सकता है. कोगनिटिव रेवोल्यूशन का मोस्ट इम्पोटेंट इम्प्लीकेशन ये है कि सेपियन्स ने एक नई टाइप की लेंगुएज इन्वेंट की ये बड़ी यूनीक लेंगुएज थीं जो किसी भी दूसरी स्पीशीज के कम्पूनिकेशन के तरीको ज्यादा कॉम्प्लेक्स थी.
सेपियन्स ने जो न्यू लेंगुएज डेवलप की थी, ये कोई फर्स्ट लेंगुएज नहीं थी. चींटीयाँ और मधुमख्खीयों भी अपनी लेंगुएज़ में बात करती है. दूसरों को खाने की इनफार्मेशन देने के लिए कम्यूनिकेट करती है, और ना ही सेपियन्स की लेंगुएज कोई फर्स्ट वोकल लेंगुएज थी. क्योंकि जूलॉजिस्ट ने इस बात का पता लगाया है कि बंदर भी डिफरेंट वार्निंग्स के लिए डिफरेंट कॉल यूज़ करते है. जैसे कि ए ईगल है!" और एक कॉल होती है" केयरफुल! एक शेर है" जूलोजिस्ट ने इन कॉल्स को रिकोर्ड किया और उन्हें बंदरो के एक गुप के केयरफुल! एक एक कॉल है" आगे प्ले किया. जब पहले वाली कॉल बजाई गयी तो सारे बंदर जहाँ थे वही रुक गए और डर के मारे आसमान की तरफ देखने लगे. फिर जब दूसरी वाली कॉल प्ले की गयी तो सारे के सारे बदर भाग कर पेड़ पर चढ़ गए. ना सिर्फ एप्स और मंकी बल्कि एलि्फेट्स और व्हेल्स भी बोकल लेन्गुएज़ का इस्तेमाल करते हैं. सेपियन्स की इस यूनिक लेंगुएज़ उनकी इस एबिलिटी का प्रूफ है कि वो उन चीजों या कॉन्सेप्ट्स को समझ सकते है जो रियल में होती ही नहीं है. ये उनका बाकि ह्यूमन स्पीशीज के मुकाबले अल्टीमेट एडवांटेज था.
सिर्फ सेपियन्स ही उन चीजों के बारे में सोच और बोल सकते थे जो उन्होंने कभी टच नहीं की थी और : ना ही देखी थी. क्योंकि ये आईडियाज उनकी इमेजिनेशन में थे. कोगनिटिव रेवोल्यूशन में सेपियन्स ने मिथ, लेजेंड्स और भगवान् भी बनाये. उन्होंने रिलिजन यानी धर्म बनाया. उन्होंने फिक्शन बनाया. यहाँ तक कि सेपियन्स का एक ग्रुप उस टाइम पर ये बोल सकता था" "द लायन स्पिरिट गाईस आवर ट्राइब यानी शेर देवता हमारे कबीले की रक्षा करे". वो लोग एक इमेजिनेरी भगवान स्टेडल लायन मेन की पूजा करते थे, एक बदंर केले के बारे में सिर्फ सोच सकता है और बोल सकता है. लेकिन ये कभी ऐसा नहीं सोच सकता कि बदरी के स्वर्ग में केले के ढेर लगे है, आप किसी बंदर को केला देने के लिए ये बोलकर नहीं मना सकते कि "मुझे अपना केला दे दो, तुम्हे अगले जन्म इसका पुन्य मिलेंगा मिथ्स और लेजेंड्स में यकीन रखने वाले सेपियन्स बड़े-बड़े झुण्ड बनाकर रहते थे, इंसानी बस्तियों के बसने की शुरुवात पहले कुछ रिश्तेदारों और दोस्तों से हुई फिर धीरे-धीरे झुण्ड बड़े होकर कबीले बनते गए. इन कबीलों में रहने वाले लोगों के मिथ्स और बिलिफ्स सेम होते थे, इसी कॉमन बिलिफ्स के चलते कई बार अजनबी भी उनके ग्रुप में जुड़ जाते थे. इंसानों की तरह चिंपांजी भी ग्रुप में रहना पसंद करते है जिसमें कई बार 50 के करीब चिंपांज़ी होते हैं. यूपी का लीडर अल्फा मेल होता है जो इस बात का पूरा ध्यान रखता है कि ग्रुप में सेफ्टी और शांति बनी रहे. अल्फी मल में कभी भी 50 से ज्यादा चिंपाज़ी नहीं होते क्योंकि इनको कण्ट्रोल करना मुश्किल होता है. ज्यादा चिंपाज़ीयों के होने से सोशल आर्डर टूटने लगता यूपी में है. फिर कुछ चिंपांज़ी किसी नए लीडर के अंडर में एक नया गुप बना लेते है. सेपियन्स 150 के करीब लोगों का ग्रुप बना सकते थे. ग्रुप मेंबर्स की आपसी बॉन्डिंग और फ्रेंडशिप उन्हें एक साथ जोडकर रखती थी. अगर कभी ग्रुप में 150 से ज्यादा में 150 से ग्रुप लोग होते थे तो उनमे से ज्यादातर स्ट्रेंजर्स होते थे. और इसी वजह से कई बार को-ऑपरेशन और पूनिटी बनाए रखने में मुश्किल आती थी. तो सेपियन्स ने 100,000 या इससे भी ज्यादा लोगों की आबादी वाली सिटीज़ कैसे बिल्ड की और कैसे उन्होंने बड़े-बड़े पम्पायर्स खड़े किये जहाँ लाखो लोग रहते थे?
पन्स बिल्ड क्योंकि इतने बड़े लेवल पर पर्सनल बीन्डिंग के बेस पर तो लोगो को नहीं बसाया जा सकता. दरअसल ये सब मुमकिन हुआ था एक कॉमन मिथ पर बिलीव करने की वजह से. इसीलिए सेपियन्स की सक्सेस का सीक्रेट है, उनके फिक्शन को ग्रास्प करने की एबिलिटी. ये लोग बड़े-बड़े गुप बनाकर रह पाए और साथ में सर्वाइव किया. रिलिजन, कॉरपोरेशंस और नेशंस सिर्फ हमारे इमेजिनेशन की चीज़े है. इन्हें कम्यूनिटीज़ ने अपने बिलिफ्स के बेस पर इमेजिन किया था. ये इंसानों की इफेक्टिव स्टोरीज है. बेशक हम इन चीजों को टच नहीं कर सकते और ना ही देख सकते है फिर भी हम इन पर यकीन कर लेते है.
कारपोरेशन वर्ड लैटिन वर्ड कार्पस से आया है जिसका मतलब है बॉडी. लेकिन क्या वाकई में किसी कारपोरेशन की बॉडी होती है? क्या हम उसे देख सकते है? यकीनन नहीं. कारपोरेशन अपने आप में कोई फाउडर नहीं है. स्टीव जॉब्स अब नहीं है मगर एप्पल अभी भी है. बिल गेटस अब सीईओ नहीं फिर भी माइक्रोसॉफ्ट चल रहा है. कारणोरेशन सिर्फ ऑफिस, फैक्टरीज, एम्प्लोईज या प्रोडक्ट भी नहीं है. क्योंकि इन चीजों को रीप्लेस किया जा सकता है. तो कारपोरेशन सिर्फ एक आईडिया है. एक बिलिफ है जो दुनिया में लाखो लोगो को एक सिंगल गोल की तरफ अट्रेक्ट करता है और उन्हें जोड़कर रखता है. सेंपियन्स की तरक्की का भी यही सीक्रेट था. यही हमारा अल्टीमेट एडवांटेज है जो निएंडरथल्स और टूसरी ह्यूमन स्पीशीज के पास नहीं थी. यही वो अल्टीमेट रीजन है जिसने सेपियन्स को धरती पर बचाए रखा, उनकी आबादी दुगनी तिगुनी रफ़्तार से बढ़ती चली गयी और फिर ये पूरे प्लेनेट पर फ़ैल गए. हमारे अंदर इन्टेंगीबल में यकीन करने की एबिलिटी होती है. इसीलिए हम बाकि जानवरों से अलग है, एक बन्दर को पेड़, नदी, शेर समझ आ सकते है मगर वो हमारी तरह स्वर्ग या किसी हायर पर्पज के बारे में नहीं सोच सकते.
द फ्लड (The Flood)
कोगनिटिव रेवोल्यूशन से पहले सेपियन्स अफ्रीका, योरोप और एशिया में ही रहते थे. वो खुले समुन्द्र को क्रोस नहीं कर सके थे. ये लोग अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, मैडागास्कर या न्यूजीलैंड तक नहीं पहुंच पाए थे. इसलिए इन जगहों में रहने वाले जानवर और पेड-पौधे लाखो सालो तक आराम से रहे. मगर कोगनिटिव रेवोल्यूशन के बाद सेपियन्स ने पहले से बैटर टूल्स बना लिए थे और उनकी स्किल भी इतनी डेवलप हो गयी थी कि अब वो समुन्द्र भी पार कर सकते थे, करीब 45000 साल पहले सेपियन्स ऑस्ट्रेलिया पहुंचे. इससे पहले किसी और इसानी प्रजाति ने इस जगह पर पैर नहीं रखे थे. साइंटिस्ट कहते है कि इंडोनेशिया में जाकर सेपियन्स सीफेर्स बन गए थे. इन्होने अच्छी ववालिटी की बोट्स बनाना सीख लिया था और उन्हें चलाने में है कि एक्सपर्ट भी थे. इसी वजह से ये लोग बाद में ऑस्ट्रेलिया भी पहुंच. शुरुवात में यहाँ का एनवायरमेंट सेपिएन्स के लिए बिलकुल नया था. मगर फिर 2000 सालों बाद उन्होंने इस जगह को एकदम बदल कर रख दिया था. सैपियन्स ने लैंड पे कब्जा किया और फूड चैन के टॉप पे जा पहुंचे. और इस तरह सेपियन्स इकोसिस्टम के सबसे डेडलिएस्ट स्पीशीज बन गए. सैपियन्स जब ऑस्ट्रेलिया आए तो उनका सामना यहाँ के ऐसे जानवरों से हुआ जो उन्होंने पहले कभी नहीं देखे थे. जैसे कि यहाँ सेपियन्स को दो मीटर हाईट और करीब 200 वेट वाले मिले. फिर यहाँ एक टाइप के लायन भी थे, मास्सुपियल लायन, कंगारू की तरह इसके पेट में भी एक पाउच होता है जिसमें एक अपने बच्चे को रखता है. और यहाँ पेड़ो पर रहने वाले बड़े-बड़े कोआलाज भी थे मगर ये कडली बिलकुल नहीं थे, बड़ी-बड़ी बर्ड्स थी जो उड़ नहीं सकती थी जो ओस्ट्रिच से भी डबल साइज़ के थे, और यहाँ डिप्टोड़ोन भी थे, धरती का एक ला्ेस्ट मार्सुपियल, ये एक बड़े वोम्बेट की तरह लगता था जिसका वेट ढाई टन के करीब था. मगर ऑस्ट्रेलिया आने के सिर्फ 2000 साल बाद ही ये सारे जानवर गायब हो गए. साइंटिस्ट इस बात को एक्सप्लेन करने की कोशिश करते है कि ये सेपियन्स की गलती नहीं थी. उनकी दलील है कि इन बड़े जानवरों के मरने की वजह है वलाइमेट चेंज. पर तीन रीजन्स है ऐसे है जो इसे एक बीक परूव करते हैं. फ्ट तो ये, धरती हर 100,000 साल बाद आइस एज से गुजरती है. और ऑँस्ट्रेलिया के जाएंट एनिमल्स उसे झेल चुके थे. जैसे एक्जाम्पल के लिए डिप्जोडॉन ऐसे 10 आइस एज सर्वाइव कर चुके थे. ये सच है कि आज से 45000 साल पहले क्लाइमेट चेंज आया था. मगर ये बड़ा अजीब है लगता है कि इसी दौर में ये सारे बड़े जानवर मर गए. सेकंड, अगर आइस एज की वजह से सारे जानवर मर गए थे तो इस हिसाब से सी एनिमल्स को भी मर जाना चाहिए था. पर नहीं, ऐसा कोई निशान नहीं मिलता जिससे ये पूव हो सके कि आज से 45000 साल पहले ये सारे जानवर अचानक गायब हो
होमो एरेवटुस रिप्लेसमेंट थ्योरी इसे साथ कपलिंग की होगी. इसलिए इन जगहों में इन स्पीशीज़ के मिक्सचर लोग मिलते हैं, हालॉकि होगा. और दोनों गली डिसमिस करती है. क्योंकि होमो सेपियन्स डिफरेंट जाति के लोग थे तो उनका निएंडरथल्स के साथ ज़रूर टकराव हुआ। ने एक दुसरे को खत्म करने की कोशिश भी की होगी.
लेकिन अगर वो मिल भी जाते तो उनके बच्चे इनफर्टाइल होते यानी आगे की जेनरेशन पैदा नही होती. तो ये मुमकिन नहीं है कि इन दोनों जातियों मिलकर बच्चे पैदा किये होंगे. ऐसा माना जाता है कि होमो सेपियन्स ने निएंडरथल्स को खत्म होने की कगार पर पहुंचा दिया था. बेशक सेपियन्स ज्यादा स्मार्ट इन्होने ज्यादा थे और ना ही लोग कुकिंग जानते थे, और इनके ब्रेन भी ज्यादा डेवलप थे, बाकि जातियों के मुकाबले होमो सेपियन्स स्किल्ड हुन्टर्स और गेदर्स थे. ज्यादा नैचुरल रीसोर्सेस यूज़ किये. इनकी पौपुलेशन बढती गयी.
इसी बीच निएंडरथल्स ना तो डियर जैसे जानवरों का शिकार कर पाते ही ज्यादा फूट्स इकटै कर पाते थे, उनके पास खाने-पीने की भारी कमी होने लगी. एक-एक कर उनके झुण्ड के मेंबर मरने लगे थे. एक थ्योरी ये भी है कि आपसी लड़ाई-झगड़े में इन लोगो की जाने गई सेपियन्स जो यूरेशिया आए थे उन्होंने निएडरथल्स की पोपुलेशन का पूरी तरह खात्मा कर दिया अगर ये थ्योरी सच है तो ये ह्यूमन हिस्ट्री की फर्स्ट जेनोसाइड या एथनिक क्लींजिंग मानी जाएगी. ज्यादातर साइंटिस्ट रीप्लेसमेंट थ्योरी के फेवर में थे मगर 2010 में एज जेनेटिक डिस्कवरी ने इस थ्योरी की धज्जियां उड़ा के रख दी. जेनेटिक्सिट (Ceneticists) ने जमीन के अंदर से मिली निएंडरथल्स के फोस्सिल्स का डीएनए निकाला.
उन्होंने इसे मॉडर्न ह्यूमन के डीएनए से कम्पेयर किया तो पाया कि मॉडर्न योरोपियंस और अरब्स के डीएनए में 4% निएंडरथल्स का डीएनए है. बायोलोजी की स्टडी में कोई भी चीज़ स्ट्रिक्टली ब्लैक या व्हाइट नहीं होती. बीच में कुछ ग्रे एरियाज़ भी होते है, यानी हर चीज़ के कई पहलू हो सकते है. इसी तरह इंटरब्रीडिंग और रीप्लेसमेंट की दोनों थ्योरीज़ भी सही हो सकती है. ये मुमकिन है कि सेपियन्स ने ही निएंडरथल्स प्रजाति को खत्म किया हो मगर हो सकता है कि इनमें से कुछ ने मिलकर फर्टाइल बच्चे पैदा किये होंगे. जो डीएनए मिले है वो शायद इसीलिए मिक्स्ड है.
द ट्री ऑफ़ नॉलेज (The Tree of Knowledge)
70,000 से 30,000 साल पहले कोगनिटिव रेवोल्यूशन हुआ था, इसका मतलब है कि इस टाइम तक होमो सेपियन्स काफी इंटेलीजेंट हो चूका था. वो समुंद्र पार करके आस्ट्रेलिया पहुंचा. उसने बोट्स, यो और एरो यानी धनुष बाण, आयल लैप्स और सुई जैसी चीज़े इन्वेंट कर ली थी. इसी युग में शायद दुनिया का पहला आर्टवर्क भी क्रिएट किया गया होगा, क्योंकि स्टेडल केव, जैर्मनी में इस टाइम का एक स्टेडल लायन मेन का स्टैच्यू मिला है, थे मूर्ती हाथी दांत की बनी है जिसका हेड लायन का है और बॉडी इंसान की.
स्टील लायन मेन सिर्फ पहला आर्टवर्क नहीं है बल्कि है इस बात इतनी एबिलिटी थी कि वो उन चीजों के बारे में श्री सोच स के सका का कि कस टाइम तक इन्सान ने रिलिजन की खोज कर ली थी और उसके अंदर भी सोच सकता था जो रियल में एक्जिस्ट नहीं करती. तो आखिर ये कोगनिटिव रेवोल्यूशन हुआ केसे? साइंटिस्ट मानते है कि सेपियन्स के ब्रेन में कोई जेनेटिक म्यूटेशन ज़रूर हुआ होगा. उनके न्यूरोंस कुछ इस तरह से उलझे होंगे कि उन्हें हाई लेवल की इंटेलिजेंस पॉवर मिली होगी. मगर सवाल ये है कि सिर्फ सेपियन्स में ही इस की म्यूटेशन क्यों हुई? ये निएंडरथल्स में क्यों नहीं हुई? इस बारे में अभी तक कोई सॉलिड थ्योरी नहीं मिल पाई है, ये एक रेंडम चांस भी हो सकता है. कोगनिटिव रेवोल्यूशन का मोस्ट इम्पोटेंट इम्प्लीकेशन ये है कि सेपियन्स ने एक नई टाइप की लेंगुएज इन्वेंट की ये बड़ी यूनीक लेंगुएज थीं जो किसी भी दूसरी स्पीशीज के कम्पूनिकेशन के तरीको ज्यादा कॉम्प्लेक्स थी.
सेपियन्स ने जो न्यू लेंगुएज डेवलप की थी, ये कोई फर्स्ट लेंगुएज नहीं थी. चींटीयाँ और मधुमख्खीयों भी अपनी लेंगुएज़ में बात करती है. दूसरों को खाने की इनफार्मेशन देने के लिए कम्यूनिकेट करती है, और ना ही सेपियन्स की लेंगुएज कोई फर्स्ट वोकल लेंगुएज थी. क्योंकि जूलॉजिस्ट ने इस बात का पता लगाया है कि बंदर भी डिफरेंट वार्निंग्स के लिए डिफरेंट कॉल यूज़ करते है. जैसे कि ए ईगल है!" और एक कॉल होती है" केयरफुल! एक शेर है" जूलोजिस्ट ने इन कॉल्स को रिकोर्ड किया और उन्हें बंदरो के एक गुप के केयरफुल! एक एक कॉल है" आगे प्ले किया. जब पहले वाली कॉल बजाई गयी तो सारे बंदर जहाँ थे वही रुक गए और डर के मारे आसमान की तरफ देखने लगे. फिर जब दूसरी वाली कॉल प्ले की गयी तो सारे के सारे बदर भाग कर पेड़ पर चढ़ गए. ना सिर्फ एप्स और मंकी बल्कि एलि्फेट्स और व्हेल्स भी बोकल लेन्गुएज़ का इस्तेमाल करते हैं. सेपियन्स की इस यूनिक लेंगुएज़ उनकी इस एबिलिटी का प्रूफ है कि वो उन चीजों या कॉन्सेप्ट्स को समझ सकते है जो रियल में होती ही नहीं है. ये उनका बाकि ह्यूमन स्पीशीज के मुकाबले अल्टीमेट एडवांटेज था.
सिर्फ सेपियन्स ही उन चीजों के बारे में सोच और बोल सकते थे जो उन्होंने कभी टच नहीं की थी और : ना ही देखी थी. क्योंकि ये आईडियाज उनकी इमेजिनेशन में थे. कोगनिटिव रेवोल्यूशन में सेपियन्स ने मिथ, लेजेंड्स और भगवान् भी बनाये. उन्होंने रिलिजन यानी धर्म बनाया. उन्होंने फिक्शन बनाया. यहाँ तक कि सेपियन्स का एक ग्रुप उस टाइम पर ये बोल सकता था" "द लायन स्पिरिट गाईस आवर ट्राइब यानी शेर देवता हमारे कबीले की रक्षा करे". वो लोग एक इमेजिनेरी भगवान स्टेडल लायन मेन की पूजा करते थे, एक बदंर केले के बारे में सिर्फ सोच सकता है और बोल सकता है. लेकिन ये कभी ऐसा नहीं सोच सकता कि बदरी के स्वर्ग में केले के ढेर लगे है, आप किसी बंदर को केला देने के लिए ये बोलकर नहीं मना सकते कि "मुझे अपना केला दे दो, तुम्हे अगले जन्म इसका पुन्य मिलेंगा मिथ्स और लेजेंड्स में यकीन रखने वाले सेपियन्स बड़े-बड़े झुण्ड बनाकर रहते थे, इंसानी बस्तियों के बसने की शुरुवात पहले कुछ रिश्तेदारों और दोस्तों से हुई फिर धीरे-धीरे झुण्ड बड़े होकर कबीले बनते गए. इन कबीलों में रहने वाले लोगों के मिथ्स और बिलिफ्स सेम होते थे, इसी कॉमन बिलिफ्स के चलते कई बार अजनबी भी उनके ग्रुप में जुड़ जाते थे. इंसानों की तरह चिंपांजी भी ग्रुप में रहना पसंद करते है जिसमें कई बार 50 के करीब चिंपांज़ी होते हैं. यूपी का लीडर अल्फा मेल होता है जो इस बात का पूरा ध्यान रखता है कि ग्रुप में सेफ्टी और शांति बनी रहे. अल्फी मल में कभी भी 50 से ज्यादा चिंपाज़ी नहीं होते क्योंकि इनको कण्ट्रोल करना मुश्किल होता है. ज्यादा चिंपाज़ीयों के होने से सोशल आर्डर टूटने लगता यूपी में है. फिर कुछ चिंपांज़ी किसी नए लीडर के अंडर में एक नया गुप बना लेते है. सेपियन्स 150 के करीब लोगों का ग्रुप बना सकते थे. ग्रुप मेंबर्स की आपसी बॉन्डिंग और फ्रेंडशिप उन्हें एक साथ जोडकर रखती थी. अगर कभी ग्रुप में 150 से ज्यादा में 150 से ग्रुप लोग होते थे तो उनमे से ज्यादातर स्ट्रेंजर्स होते थे. और इसी वजह से कई बार को-ऑपरेशन और पूनिटी बनाए रखने में मुश्किल आती थी. तो सेपियन्स ने 100,000 या इससे भी ज्यादा लोगों की आबादी वाली सिटीज़ कैसे बिल्ड की और कैसे उन्होंने बड़े-बड़े पम्पायर्स खड़े किये जहाँ लाखो लोग रहते थे?
पन्स बिल्ड क्योंकि इतने बड़े लेवल पर पर्सनल बीन्डिंग के बेस पर तो लोगो को नहीं बसाया जा सकता. दरअसल ये सब मुमकिन हुआ था एक कॉमन मिथ पर बिलीव करने की वजह से. इसीलिए सेपियन्स की सक्सेस का सीक्रेट है, उनके फिक्शन को ग्रास्प करने की एबिलिटी. ये लोग बड़े-बड़े गुप बनाकर रह पाए और साथ में सर्वाइव किया. रिलिजन, कॉरपोरेशंस और नेशंस सिर्फ हमारे इमेजिनेशन की चीज़े है. इन्हें कम्यूनिटीज़ ने अपने बिलिफ्स के बेस पर इमेजिन किया था. ये इंसानों की इफेक्टिव स्टोरीज है. बेशक हम इन चीजों को टच नहीं कर सकते और ना ही देख सकते है फिर भी हम इन पर यकीन कर लेते है.
कारपोरेशन वर्ड लैटिन वर्ड कार्पस से आया है जिसका मतलब है बॉडी. लेकिन क्या वाकई में किसी कारपोरेशन की बॉडी होती है? क्या हम उसे देख सकते है? यकीनन नहीं. कारपोरेशन अपने आप में कोई फाउडर नहीं है. स्टीव जॉब्स अब नहीं है मगर एप्पल अभी भी है. बिल गेटस अब सीईओ नहीं फिर भी माइक्रोसॉफ्ट चल रहा है. कारणोरेशन सिर्फ ऑफिस, फैक्टरीज, एम्प्लोईज या प्रोडक्ट भी नहीं है. क्योंकि इन चीजों को रीप्लेस किया जा सकता है. तो कारपोरेशन सिर्फ एक आईडिया है. एक बिलिफ है जो दुनिया में लाखो लोगो को एक सिंगल गोल की तरफ अट्रेक्ट करता है और उन्हें जोड़कर रखता है. सेंपियन्स की तरक्की का भी यही सीक्रेट था. यही हमारा अल्टीमेट एडवांटेज है जो निएंडरथल्स और टूसरी ह्यूमन स्पीशीज के पास नहीं थी. यही वो अल्टीमेट रीजन है जिसने सेपियन्स को धरती पर बचाए रखा, उनकी आबादी दुगनी तिगुनी रफ़्तार से बढ़ती चली गयी और फिर ये पूरे प्लेनेट पर फ़ैल गए. हमारे अंदर इन्टेंगीबल में यकीन करने की एबिलिटी होती है. इसीलिए हम बाकि जानवरों से अलग है, एक बन्दर को पेड़, नदी, शेर समझ आ सकते है मगर वो हमारी तरह स्वर्ग या किसी हायर पर्पज के बारे में नहीं सोच सकते.
द फ्लड (The Flood)
कोगनिटिव रेवोल्यूशन से पहले सेपियन्स अफ्रीका, योरोप और एशिया में ही रहते थे. वो खुले समुन्द्र को क्रोस नहीं कर सके थे. ये लोग अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, मैडागास्कर या न्यूजीलैंड तक नहीं पहुंच पाए थे. इसलिए इन जगहों में रहने वाले जानवर और पेड-पौधे लाखो सालो तक आराम से रहे. मगर कोगनिटिव रेवोल्यूशन के बाद सेपियन्स ने पहले से बैटर टूल्स बना लिए थे और उनकी स्किल भी इतनी डेवलप हो गयी थी कि अब वो समुन्द्र भी पार कर सकते थे, करीब 45000 साल पहले सेपियन्स ऑस्ट्रेलिया पहुंचे. इससे पहले किसी और इसानी प्रजाति ने इस जगह पर पैर नहीं रखे थे. साइंटिस्ट कहते है कि इंडोनेशिया में जाकर सेपियन्स सीफेर्स बन गए थे. इन्होने अच्छी ववालिटी की बोट्स बनाना सीख लिया था और उन्हें चलाने में है कि एक्सपर्ट भी थे. इसी वजह से ये लोग बाद में ऑस्ट्रेलिया भी पहुंच. शुरुवात में यहाँ का एनवायरमेंट सेपिएन्स के लिए बिलकुल नया था. मगर फिर 2000 सालों बाद उन्होंने इस जगह को एकदम बदल कर रख दिया था. सैपियन्स ने लैंड पे कब्जा किया और फूड चैन के टॉप पे जा पहुंचे. और इस तरह सेपियन्स इकोसिस्टम के सबसे डेडलिएस्ट स्पीशीज बन गए. सैपियन्स जब ऑस्ट्रेलिया आए तो उनका सामना यहाँ के ऐसे जानवरों से हुआ जो उन्होंने पहले कभी नहीं देखे थे. जैसे कि यहाँ सेपियन्स को दो मीटर हाईट और करीब 200 वेट वाले मिले. फिर यहाँ एक टाइप के लायन भी थे, मास्सुपियल लायन, कंगारू की तरह इसके पेट में भी एक पाउच होता है जिसमें एक अपने बच्चे को रखता है. और यहाँ पेड़ो पर रहने वाले बड़े-बड़े कोआलाज भी थे मगर ये कडली बिलकुल नहीं थे, बड़ी-बड़ी बर्ड्स थी जो उड़ नहीं सकती थी जो ओस्ट्रिच से भी डबल साइज़ के थे, और यहाँ डिप्टोड़ोन भी थे, धरती का एक ला्ेस्ट मार्सुपियल, ये एक बड़े वोम्बेट की तरह लगता था जिसका वेट ढाई टन के करीब था. मगर ऑस्ट्रेलिया आने के सिर्फ 2000 साल बाद ही ये सारे जानवर गायब हो गए. साइंटिस्ट इस बात को एक्सप्लेन करने की कोशिश करते है कि ये सेपियन्स की गलती नहीं थी. उनकी दलील है कि इन बड़े जानवरों के मरने की वजह है वलाइमेट चेंज. पर तीन रीजन्स है ऐसे है जो इसे एक बीक परूव करते हैं. फ्ट तो ये, धरती हर 100,000 साल बाद आइस एज से गुजरती है. और ऑँस्ट्रेलिया के जाएंट एनिमल्स उसे झेल चुके थे. जैसे एक्जाम्पल के लिए डिप्जोडॉन ऐसे 10 आइस एज सर्वाइव कर चुके थे. ये सच है कि आज से 45000 साल पहले क्लाइमेट चेंज आया था. मगर ये बड़ा अजीब है लगता है कि इसी दौर में ये सारे बड़े जानवर मर गए. सेकंड, अगर आइस एज की वजह से सारे जानवर मर गए थे तो इस हिसाब से सी एनिमल्स को भी मर जाना चाहिए था. पर नहीं, ऐसा कोई निशान नहीं मिलता जिससे ये पूव हो सके कि आज से 45000 साल पहले ये सारे जानवर अचानक गायब हो
गए थे. ऐसा लगता है जैसे सिर्फ लैंड एनिमल्स भी इसका असर हुआ था. थर्ड, ये मॉस एक्सटिंक्शन सिर्फ ऑस्ट्रेलिया में नही हुआ था. जब भी सेपियन्स किसी नए लेंड में सेटल हुए उस जगह के बड़े जानवर धीरे-धीरे खत्म होते चले गए. जैसे एक्जाम्पल के लिए न्यूजीलैंड लार्ज मैमल्स ये वही टा 1800 । साल पहले गायब हो गए थे टाइम था जब वहां फर्स्ट सेपियन्स बसे थे, 50 किलोग्राम से बड़ा कोई मैमल ज़िंदा नहीं बचा. और बर्डस की 60% स्पीशीज भी खत्म हो गयी थी. यहाँ ये समझना इम्पोर्टेन्ट है कि जायंट एनिमल्स यानी बड़े जानदर की पोपुलेशन धीरे-धीरे बढ़ती है. क्योंकि उनकी प्रेगनेसी के मंध्स ज्यादा होते है.
और एक बार में कम बच्चे पैदा होते हैं और फिर इनकी हर प्रेगनेंसी के बीच गैप भी काफी होता है, इसलिए इन बड़े जानवरों को बच्चे पैदा करने और अपनी पोपुलेशन बढ़ाने का ज्यादा वक्त नहीं मिल पाता था. इसके आलावा लार्ज मैमल्स ने न्यूम्स को पहले देखा नहीं था. अफ्रीका के जानवरों से एकदम अलग इन ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के इन जानवरों को अपना डिफेंड करना नहीं आता था और इस तरह ये लोग ईज़िली शिकारियों के हत्थे चढ़ जाते थे. इससे पहले कि ये कुछ समझ पाते इनका बड़ी संख्या में खात्मा कर दिया गया, यही सेम सेंड स्टोरी अमेरिका के जाएंट एनिमल्स की भी है. ये घटना भी आज से 16000 साल पहले घटी थीं. ये जगह भी ऑस्ट्रेलिया की तरह थी जहाँ कदम रखने वाले फस्स्ट ह्यूमन सेपियन्स ही थे, लेकिन उन्होंने यहाँ आने के लिए बोट्स का इस्तेमाल नहीं किया. ये लोग पैदल ही यहाँ पहुंचे थे. समुन्द्र का पानी तब नीचे रहा होगा,
नार्थ ईस्टर्न साइबेरिया से नोर्थ वेस्टर्न अलास्का तक एक लैंड ब्रिज़ है. उस वक्त सेपियन्स के सामने जो सबसे बड़ा चेलेंज था, वो था यहाँ का बेहद ठंडा मौसम यहाँ टेम्प्रेचर नेगेटिव फिप्टी डिग्री सेल्सियस तक ड्राप हो जाता था. निएडरथल्स ने इस एरिया तक जाने की कभी कोशिश नहीं की थी. लेकिन सेपियन्स उनसे स्मार्ट थे, उन्होंने स्नोशूज और थर्मल कपडे बनाये. जानवरों की खाल और फर से कपड़े सिलने के लिए ये लोग सुई का इस्तेमाल करते थे. आर्कोलोजिस्ट {Archaeologists) को इस बात के कई प्लुफ मिले है कि सेपियन्स के बसाई थी. ये के कई ग्रुप जो साइबेरिया गए, वहां उन्होंने अपनी बस्तियाँ ये लोग मैमथ हंटर थे. मैमथ इनका मनपसंद शिकार इसलिए था. इस बड़े से हाथी का मीट जूसी तो होता ही था साथ ही इसके फर और दांत हाथी भी बड़े काम आते थे. मैमथ के दांत यानी आइवरी आज भी काफी प्रिसिय्स मानी जाती है.
और इस तरह 16,000 साल पहले स के इसी मैमथ हंटिंग के शोक ने उन्हें अलास्का तक पहुंचा दिया. यहाँ बड़े-बड़े ग्लेशियर्स थे जिसकी वजह ने सेपियन्स के से सेपियन्स अमेरिका को ज्यादा एक्प्लोर नहीं कर पाए, फिर कुछ टाइम बाद ग्लोबल वार्मिंग से बर्फ मेल्ट होने लगी जिससे मैमथ का शिकार करने वाले सेपियन्स को इस जगह को एक्सप्लोर करने का मौका मिल गया, ईस्टर्न यू.एस. के जंगलो में,मिसिसिपी के दलदलो में, सेंट्रल अमेरिका के जंगलो की इस ज और मेक्सिको के रेगिस्तान में सेपियन्स ने अपनी आबादी बसाई. इनमे से कुछ लोग अमेज़न नदी के किनारे जाकर रहने लगे और कुछ लोग एंडीज़ की वैलीज और अर्जेंटीना के मैदानों में रहने चले गए. इस तरह सिर्फ 2000 सालो के अंदर सेपियन्स ने पूरे अमेरिका महाद्वीप पर कब्ज़ा कर लिया धा. से लेकर कैनेडा, अलास्का यूनाईटेड स्टेट्स और लैटिन अमेरिका तक उन्हें कई तरह के ऐसे जानवर मिलते गए जिनके बारे उन्हें नालूम तक नहीं था. मस्टोडौंस और मैमथ के अलावा इन्होने भालू के साइज़ के चूहे, नेटिव कैमल्स और हॉर्सेज, काफी बड़े और डरावने शेर और सबसे फेमस एनिमल सेबर टूथ कैट देखे, यहाँ पर उन्हें बहुत बड़े स्लोथ्स भी मिले जो करीब 6 मीटर लम्बे और 8 टन चेट वाले होते थे. ये जाएंट स्लोथ्स पेड से लटकते नहीं थे बल्कि जमीन पर चलते थे, मगर इन 2000 सालों में, सेपियन्स के आने के बाद ये सारे जानवर गायब होते चले गए.
मैमल्स की 47 जेनेरा यानी प्रजातियों में से 38 के करीब तो नार्थ अमेरिका से एकदम लुप्त हो गयी. साऊथ अमेरिका में भी 60 बड़ी मैमल्स जातियों से 50 जातियों का खात्मा हो गया था. इससे पहले 30 मिलियन सालों तक सेबर टूथ बिल्ली, जाएंट रोडेन्ट्स, अमेरिकन कैमल्स और हॉर्सेज जैसे में । जानवर आराम से रह रहे थे, इनके लिए इस महाद्वीप में भरपेट खाना था और इनकी आबादी भी फल-फूल रही थी. मगर सेपियन्स के इस महाद्वीप में कदम रखने के कुछ हज़ार सालो में ही ये सब के सब मारे गए. मैमल्स की तरह ही कई बर्ड्स प्रजातियों, रेप्टाईल्स, रेयर इंसेक्ट्स और छोटे जानवरों का भी यही हाल हुआ. साइंटिस्टो को इन जानवरों के फॉसिल मिले है और उन्होंने इनकी कार्बन डेट पता की है. लेकिन इन सबमे एक सिग्नीफिकेंट फाइंडिंग है. जो कंकाल यानी लेटेस्ट फॉसिल्स मिले है उनकी डेट आज से 12000 से 9000 बीसी बताई गयी है. उसके बाद के कोई कंकाल नहीं मिले है. तो ये बात तय है कि सेपियन्स के यहाँ आने के बाद ही धरती का सबसे बड़ा मैमल मरा था. और इन जानवरों के खात्मे के लिए कोई और नहीं बल्कि हम होमो सेपियन्स ही जिम्मेदार है. जब हम अपने रहने के लिए दुनिया में कॉलोनीज़ बसा रहे थे, उस वक्त हम एनिमल किंगडम की बर्बादी की नींव खोद रहे थे.
द एनिमल देट बिकम अ गॉड (वो एनिमल जो भगवान बन गया) The Animal that Became a God धरती पर जिंदगी की पहली शुरुवात के साथ ही नेचुरल सेलेक्शन के हिसाब से इवोल्व होने का रुल बन गया. एक सिम्पल बैक्टीरिया से लेकर कॉम्प्लेक्स ह्यूमन तक, सारी लिविंग थिन्स यानी जीवित प्राणी इसी नियम का पालन कर रहे है, नैचुरल सेलेक्शन बायोलोजी पर 4 बिलियन सालो कर रहा है, मगर 21 वी सेंचुरी में सेपियन्स ने कुछ ऐसा किया है जो सिर्फ और सिर्फ ऊपरवाला ही कर सकता है, इसने इंटेलीजेंट डिजाईन से ऑर्गेनिज्म क्रिएट किया है. ऑर्गनिज्म्स को एक स्पेशिफिक ट्रेट यानी कोई खास क्वालिटी डेवलप करने के लिए इवोल्च होने के लिए कई हज़ार साल नहीं लगते.
साइंटिस्ट कोई क्वालिटी डेवलप करने के लिए उस स्पेशिफिक जीन को पहचान कर उसे आगेनिज़्म में मेनिफेस्ट कर देते है. इंटेलीजेंट डिजाईन एक प्रोसेस है जो ह्यूम्न्स ने नेचुरल सेलेक्शन को शोर्ट कट करने के लिए क्रिएट की है. इसे हम जेनेटिक इंजीनियरिंग भी बोलते है. और ये टेक्नीक 1970 के टाइम से मेडिकल साइंस में है. आज कई ऐसे ऑर्गेनिज्म अवलेबल है जो जेनेटिकली मोडीफाईड किये गए है जिन्हें ज्यादातर एग्रीकल्चर और मेडीसिन की फील्ड में यूज़ किया जाता है. 2000 में एडुँदों कच(, Eduardo Kac, नाम के एक ब्राज़ीलियन कंटेम्परी आर्टिस्ट ने एक यूनीक आर्टवर्क बनाने के बारे में सोचा, ये एक डार्क रैबिट के अंदर एक ग्लो था.
एडु (Eduardo)ने फ्रांस की एक लेबोरेट्री को कांटेक्ट करके उनके कुछ साइंटिस्ट्स को हायर कर लिया. फिर इन साइंटिस्ट्स ने उसके इंस्ट्रक्शन पर ऐसा ही एक रैबिट बना के तैयार कर दिया. फिर उस फ्रेंच आर्टिस्ट ने एक नॉर्मल रैबिट का एम्ब्रयो निकाला. उसने इसके डीएनए में एक ग्रीन प्लूरोसेंट जेलीफिश की एक स्पेशिफिक जीन इम्प्लांट करवा दी, उसकी ये कोशिश कामयाब रही. एहुँ? (Eduardo) ने इस ग्लो इन द डार्क रैबिट का नाम अल्बा रखा, यहाँ साइंस की एक और अमेजिंग प्रोग्रेस की बात करते है. इसे डीएनए मैपिंग भी बोलते है, अभी हाल ही में साइंटिस्ट के एक ग्रुप ने एक मैमथ का कम्प्लीट जीनोम मैप किया है, तो अब ये पॉसिबल है कि किसी हाथी का एम्ब्यो लो और उसके डीएनए को मैमध के रीकंस्ट्रकड डीएनए से रीप्लेस कर दो, फिर उस एम्ब्यो को वापस उसी मदर एलिफेंट के वोम्ब में डाला जा सकता है. और फिर 22 महीने में एक नया मैमथ जन्म लेगा, ये अपनी तरह का वो पहला जानवर होगा जिसकी प्रजाति 5000 साल पहले खत्म हो चुकी है. तो हम भला इन एक्सटिंक्ट एनिमल्स पर अपनी रीसर्च को क्यों रोके? 2010 में साइंटिस्ट निएंडरथल्स का पूरा जीनोम मैप कर चुके है. तो अब ये पॉसिबल है कि हम निएंडरथल्स के डीएनए को मॉडर्न इन्सान के एम्ब्रयो में डाल सके, और इसके लिए तो कई सारी औरते अपनी मर्जी से सरोगेट मदर बनने को तैयार है. और हो सकता है कि फ्यूचर में इनमे से कोई औरत फर्स्ट निएंडरथल्स बच्चे को जन्म दे.
ह्यूमन जीनोम प्रोजेक्ट सिर्फ 5200 खर्च क सक्ससफुल रहा है. ये मुमकिन है कि आप अपना खुद का कम्प्लीट डीएनए मैप करवा ले. आपको इस प्रोसीजर के लिए करने है और कुछ हफ्तों में आपको अपने सारे जेनेटिक ट्रेट्स की जानकारी मिल जायेगी. इसका फायदा ये है कि फ्यूचर में डॉक्टर आपको बता पाएंगे कि आपको लंग कैंसर हो सकता है या अल्ज्हेमेर की बिमारी(AIZheimer's disease), और फिर आप उसी हिसाब से पर्सनलाइज्ड मेडीसिन ले सकते है जो आपकी स्पेशिफिक नीड्स के हिसाब से बनी होगी, लेकिन अगर हम जेनेटिक्स का इस्तेमाल बढती उम्र को रोकने या अमर होने के लिए या फिर सुपर्यूमन जैसी पॉवर पाने के लिए करने लगे तो क्या होगा ? क्या होगा अगर हम अपने फ्यूचर बेबीज़ की आँखों का रंग या बाकि चीज़े भी अपनी पसंद से चूज़ करने लगे?
कनक्ल्यूजन (Conclusion) इस बुक समरी में आपने प्री-हिस्ट्री के बारे में पढ़ा. जिसमे हमने आपको डिफरेंट टाइप के ह्यूगन स्पीशीज के बारे में बताया, आपने इंटर्ीडिंग ध्योरी और रिप्लेसमेंट थ्योरी के बारे में भी पढ़ा. आपने कोगनिटिव रेवोल्यूशन और सेपियन्स की उस यूनीक एबिलिटी के बारे में भी पढ़ा कि वो उन चीजों में भी यकीन कर लेते है जो होती ही नहीं है. आपने इस बुक में उन बड़े-बड़े मैमल्स के बारे में भी जाना जो किसी टाइम में धरती पर करते थे. हमने अपने हंटर गेदर वाले पूर्वजों से आगे निकल कर काफी लंबा सफ़र तप किया आज हमारे पास उनसे बैटर टूल्स है. हम लोगो के पास खाना, कपड़ा और घर है. लेकिन क्या हम वाकई में खुश है? आज साइंस, टेक्नोलोजी और मेडिकल साइंस ने इतनी तरक्की कर ली है. आज हम कम्यूनिकेशन और ट्रांसपोर्टशन के लेटेस्ट मीडियम यूज़ करते है, जो हमसे पहले वाली जेनरेशन के पास नहीं थी. मगर वया हमने कभी ये सोचा है कि एडवांस टेक्नोलॉजी ने हमे कहाँ पहुंचा दिया है? हम अपनी इस दुनिया को तरककी के रास्ते पे लेकर जा रहे है या बर्बादी के? इन्सान बहुत कहा। पाँवरफुल एनिमल है क्योंकि गाँड ने हमे एक ऐसा ब्रेन दिया है जिसका मुकाबला नहीं है. १ एसी मगर कई बार लगता है कि हमें अपनी पावर का सही अंदाजा नहीं है. हम अपने हालात से कभी खुश नहीं रहते और ना ही कभी सेटिसफाईड होते है. इन्सान की इसी भूख ने धरती का संतुलन बिगाड़ दिया है. और हमारी ये भूख कभी खत्म नहीं होती. मगर अब टाइम आ गया है कि हम अपने लालच और अपनी इस भूख पर लगाम लगाए. जिस धरती ने हमे इतना कुछ दिया है उसके प्रति हमारा कुछ फ़र्ज़ बनता है. इन्सान धरती का सबसे इंटेलीजेंट और पॉवरफुल एनिमल है इसलिए हमारी रिस्पोंसेबिलिटी है कि हम इस धरती और इस पर रहने वाले जीव-जन्तुओं की हिफाजत करे, उनकी उतनी ही रिस्पेक्ट करें जितनी हम खुद की करते है. और अपने इस खुबसूरत प्लानेट अर्थ को जिसे हम मदर कहते है, इसे प्रोटेक्ट करे और प्रिज़र्व कर
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