WHAT I KNOW FOR SURE by Oprah Winfrey.

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यह किसके लिए है?

यह किताब उन व्यक्तियों के लिए है जोकि अपना मनोबल बछाना चाहते हैं।

यह किताब उन व्यक्तियों के लिए भी है जोकि अपने किसी बचपन के डर से उभरना चाहते हैं।

यह किताब ओपराह के फैन के लिए भी है जोकि उनके जीवन के संघर्षों के बारे में जानना चाहते हैं।

लेखक के बारे में

ओपरा विक्रय अमेरिका के सबसे पॉपुलर टॉक शो की होस्ट रह चुकी है जिसका नाम याद औपराइ चिन्फ्रेव शो। यह शो 1986 से लेके 2011 तक टेलीकास्ट किया गया था ओपराइ पहली महिला विलियनेयर भी हैं।

इस किताब में मेरे लिए क्या है?

व्हाट इ यू नो फॉर श्योर? यह प्रश्न एक अभिनेता जीन सिसकेल ने ओपराह से एक इंटरव्यू के दौरान पूछा था। बाद में इसी प्रश्न ने उनको प्रेरित किया कि वो द ओपराह मैगजीन में एक कॉलम लिखें। बाद में उसी आधार पर उन्होंने किताब लिखी व्हाट आई नो फॉर श्योर।

इस किताब के अध्यायों के जरिये हम ओपराह के बचपन से लेके उनके बड़े होने तक के संघर्षों के बारे में जानेंगे। उनकी माँ की प्रेगनेंसी की समस्या से लेके उस रात की कहानी जब सेहत से जुड़ी समस्या को लेकर उनकी नींद गायब हो गई थी।

और इस बात को हम सभी जानते हैं कि बचपन में भगर कोई घटना घट जाती है तो उसका असर जीनव भर रहता है। इस किताब के जरिये हम जानेगें कि आखिर किस तरह से बचपन के उन डरावने अनुभवों से छुटकारा पाया जा सकता है। ओपराह ने अपने जीवन में न केवल उन चीजों से छुटकारा पाया बल्कि उन्होंने उसे ही अपनी सबसे बड़ी स्टेंथ बना लिया। इस किताब के जरिये हम यह भी जानेंगे कि आखिर हम भी किस तरह से ओपराह की तरह सफल हो सकते हैं।

इन अध्यायों में हम सीखेंगे।

-ओपराह के द्वारा ट्राय की गई बेभकूफी भरी डाइट।

  • आखिर क्यों ओपराह ने अपने बॉयफ्रेंड की चाभी को टॉयलेट में डाल दिया था।
  • मोपराह के पिता की कहानी और उनके ऊपर उनके पिता का प्रभाव।

बचपन की कठिनाइयों ने ओपराह को जीना सिखाया।

लोगों के घर में घर कोई प्रेग्नेंट होता है तो खुशी का माहौल होता है लेकिन भपराह की मा के साथ ऐसा नहीं था। ऐसा इसलिए था क्योंकि वो अविवाहित थी। उन्होंने ओपरा के पैदा होने तक प्रेग्रेसी की बात किसी से नहीं की। 1953 में औपराह का जन्म हुआ।

जन्म के बाद लोगों को लगा कि अपने पैदा होने की कहानी सुनने के बाद ओपराह शर्म के बजह से जी नहीं पाएंगी लेकिन इस बात ने ओपराह को और मजबूत बनाया।

बचपन के दौरान ओपराह को काफी दुख के साथ साथ गालियां भी सहनी पड़ीं। उन्ही के शो द ओपराह विन्फ्रेय शो के दौरान जब एक काउंसिलर ने उनसे उनके बचपन के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि मेरा बचपन एक डरी हुई नादान लड़की के रुप में गुज़रा जिसका पालन पोषण नाना नानी के द्वारा हुआ था। टीन ऐज के दौरान भी उनका अकेलापन कम नहीं हुआ बल्कि और बढ़ा। 10 से 14 साल के बीच ओपराह को यौन उत्पीड़न का सामना करता पड़ा और परिणामस्वरूप वो प्रेग्नेंट हो गयी। अपनी मां की तरह शर्म से बचने के लिए उन्होंने भी अपनी प्रेग्नेंसी सबसे छुपाई और इसी की वजह से उनका बच्चा दुनिया में कुछ हफ्ते ही सांस ले सका। ओपराह का कहना है कि शुरुआती जीवन में कठिनाईयों ने उनको आगे चलके सफल भी बनाया। उन्होंने कहा कि अकेलेपन ने उनको बहुत कुछ सिखाया। उन्होंने अकेलेपन से सीख्या कि किस तरह से एक इसान आत्मनिर्भर होता है। अकेलेपन ने उनको खुद से खुद की खुशी ढूंढने का रास्ता भी दिखलाया। उन्होंने सीखा की कभी भी किसी चीज के लिए दूसरों पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। ओपराह का मानना है कि दृढ़ निश्चय और आत्मविश्वास के दम पर कोई भी इंसान जीवन में सफलता प्राप्त कर सकता है।

ओपराह दूसरों की बजाय अपने अंदर ही खुद के लिए प्यार ढूंढती थीं।

अपने एक शो के दौरान ओपराह ने शादीशुदा मदों को सो पर बुलाया था। वो सभी बेवफा थे। उनसे बात करने के बाद ओपराह ने ज्ञाता कि उन सभी के बेवफा होने का सिर्फ एक कारण था कि वो लोग दूसरी महिलाओं के पास प्यार और शांति का अनुभव करते थे जो कि उन्हें अपनी पत्नी के पास नहीं मिलता था। ओपराह का मानना था कि वो लोग शायद गलत जगह प्यार की तलाश कर रहे थे।

ओपराह का मानना था कि प्यार और सहयोग की भावना किसी ईसान के साथ आपके जीवन में आती है। जब वो बीस वर्ष की थीं तब वो एक व्यक्ति के बारे में जानना चाहती

यौं कि आखिर वो व्यक्ति उनसे प्यार करता है या नहीं और अगर करता भी है तो कितना करता है। अपने शो में आये बेवफा लोगों की तरह वो भी उस समय दूसरों में प्यार की

तलाश कर रही थी।

अपनी प्रोफेशनल लाइफ में सफल होने के बावजूद ओपराह को लगता था कि उनकी सफलता किसी मर्द के बिना अधूरी है। मर्द के लिए चो इतनी पोजेसिव हो गई थी एक बार अपने बॉयफ्रेंड को रोकने के लिए उन्होंने उनके घर की चाभी टॉयलेट में डाल दी थी। हालांकि, दूसरों पर निर्भर होने के बजाय, हमें अपने प्रेम और आत्मसम्मान के स्रोत के रूप में खुद पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

मोपराह का कहना था कि हर इंसान के अंदर क्षमता होती है कि वो खुद को हर तरह से सम्पूर्ण कर सकें उनका कहना था कि एक इंसान जिस तरह से खुद को देखना है उस नजरिये को कभी भी कोई बदल नहीं सकता। उनका कहना था कि अपने जीवन के लिए आप खुद जिम्मेदार है मतलब कि आप खुद को प्यार करने के लिए जिम्मेदार हैं और खुद को सफल बनाने के लिए भी जिम्मेदार हैं।

इसका मतलब यह है कि आपको किसी इसान का इतजार नहीं होना चाहिए कि यो आएगा और आपको प्यार से भर देगा। आपको इस बात का ज्ञान होना चाहिए कि भगवान ने आपको इतनी शक्ति दी है कि आप खुद के लिए हर तरह से काफी हैं।

ओपराह का अपने से प्यार करने का रहस्य कृतज्ञता की शक्ति से आता है।

कृतज्ञता को हमेशा ओपराह ने अपने जीवन का एक स्वास हिस्सा माना था। 10 साल से भी ज्यादा समय के लिए औपराह ने अपनी डायरी में उस चीज़ के बारे में लिया जिसके लिए वो कृतज्ञ थीं। कभी कभी ओपराह को लगता था कि वो उस चीज के बारे में ज्यादा सोचती है जो कि उनके पास नहीं है और उस वीज पर बिल्कुल ध्यान नहीं देती जो कि उनके पास है।

एक चीज़ जिसके प्रति हमेशा से ओपराह को धन्यवाद कहने में परेशानी होती थी वो था उनका शरीर। 20 साल तक ओपराह अपनी बॉडी और बजन की समस्या से परेशान

थी। वजन कम करने के लिए और बॉडी को हेल्दी रखने के लिए उन्होंने तरह तरह की डाइट अपनायी परन्तु कोई खास असर नहीं हुआ। उनके दिमाग में हमेशा यही सवाल

रहते थे कि क्या वो अपनी बॉडी के लिए सही डाइट ले रही हैं, क्या चो जिम जा के सही तरीके का वर्कआउट कर रही हैं, क्या ये कपड़े उनको फिट आएंगे या नहीं।

काफा सालों तक इन्हीं सवालों से उलझने के बाद उनके साथ कुछ ऐसा हुआ कि अपनी बॉडी के प्रति उनका नजरिया ही बदल गया। एक शाम बेड पर लेटे लेटे उनकी दिल की धड़कने वेज होने लगी। यह समस्या उनको 6 महीने तक रही। डॉक्टर उनको सलाह देते रहे क्या करना है क्या नहीं। फिर एक दिन ओपराह को एहसाह हुआ कि उन्होंने अपनी बॉडी को टेकेन फ़ॉर ग्रांटेड ले रखा है, यानी वो अपने शरीर की कद्र नहीं कर रही थीं। वो इस बात पर ध्यान नहीं देती कि किस खाने को खाने से उनकी बॉडी फिट रहेगी बल्कि इस बात पर ध्यान देती थीं कि किस खाने को खाने की वजह से उनको हर तरह की ड्रेस पहनने में आसानी होगी।

उस दिन के बाद से उन्होंने निश्चय किया कि वो अब अपनी बॉडी पर परा ध्यान देंगी और कभी अपनी बॉडी पर व्यंग्य नहीं कसेंगी।

फैसला लेने का डर को अपने जीवन से निकलकर उनको सफलता मिली।

अपने जीवन में मिली सारी सफलता का श्रेय भपराह किसी और इंसान को देती हैं। लेकिन कभी-कभी अपनी इस बात से वह खुद भी एग्री नहीं करती थी। इसलिए वह खुद को बेहतर बनाने अलग अलग तरीके ढूठती रहती थीं।

ओपराह का कहना है कि अपने आप को साबित करने के लिए कभी भी अपनी उम्र को नहीं देखना चाहिए हमेशा आगे बढ़ने की कोशिश करते रहना चाहिए। शुरुआत में ओपराह का मानना था कि लोग उन्हें पसंद नहीं करते। ऐसी एक घटना उनके बचपन में देखने को मिलती है जब वह तीसरी कक्षा में थी तो एक बार उनकी टीचर ने उनको शाबाशी दी कि उन्होंने अच्छा होमवर्क किया है। इस वजह से ओपराह को खुश होना चाहिए था लेकिन इसके बावजूद वो डर गई कि अब उनके क्लासमेट उनको दूसरों तरह से देखेंगे और उनसे चिढ़ने लगेंगे।

अपने डर के कारण ओपराह को इतनी परेशान हो गई थी कि उनका वजन बढ़ने लगा। लेकिन जब उनका वजन बढ़ने लगा तो उन्हें एहसास हुआ कि वह भी सभी की तरह हैं, वह किसी से अलग नहीं हैं। बाद में ओपराह ने यह बताया कि अगर आपको अपने जीवन में सफल होना है तो आप को इस बात पीछे छोड़ना होगा कि लोग आपके बारे में क्या सोचते हैं या फिर वह आपके साथ कैसा व्यवहार करते हैं।

उनका कहना था कि अगर वह किसी दूसरे के लिए जियेंगी तो अपने जीवन में कभी कुछ बड़ा नहीं कर पाएंगी। वह कहती हैं कि किसी इंसान के लिए आपकी इम्पोर्टेस ज्यादा हो सकती हैं या फिर किसी इंसान के लिए कम हो सकती है। लेकिन अगर आपको जीवन में सफल होना है तो आपको सिर्फ एक ही इंसान का ध्यान रखना होगा और वो इसान आप खुद हैं।

ओपराह ने अपनी इनसिक्योरिटी पर जीत हासिल की और साथ ही साथ उन्होंने किसी को ना कहने की अहमियत भी जानी।

जब औपराह ने अपना नया शो शुरू किया तब काफी लोग उनके पास उनसे मदद मागने आने लगे थे। खासकर वह महिला और बच्चे जो कि घर से निकाले गए थे। उन्होंने सबकी मदद करने का प्रयास किया। लेकिन एक समय ऐसा आया कि उनके पास रोजाना बहुत सारे लोग आने लगे मटद मांगने के लिए, तब उन्हें लगा कि उन्हें लोगों को ना कहना भी सीखना पड़ेगा।

एक समय बाद उन्होंने सोचा कि आखिर क्यों वह लोगों की मदद करने के लिए तत्पर रहती हैं। तब उन्हें एहसास हुआ कि वह सिर्फ इसलिए ऐसा करना चाहती हैं क्योंकि वह चाहती है कि लोग उन्हें पसंद करें। उन्हें लगता था कि भगर वो लोगों को मना कर देंगे तो लोग शायद उन्हें पसंद ना करें और उनसे जलन की भावना रखने लगे। उनको खुद से ऐसा जवाब इसलिए मिला क्योंकि बचपन में उन्हें बहुत सताया गया था और उन्हें उनके स्कूल के दोस्त या फिर उनके परिवार के लोग बिल्कुल पसंद नहीं करते थे। इसलिए वह चाहती थी कि अब जब वह इतनी सक्षम हो गई है कि वह लोगों की मदद कर सकती है तो क्यों ना वह सब की मदद करें जिससे कि लोग उन्हें पसंद करें। कोई भी उन्हें नापसंद ना करें।

लेकिन जब उन्हें इस बात का एहसास हुआ कि वह इतनी सक्षम नहीं हैं कि वह सभी लोगों की मदद कर सकें। तो उन्हें लगा कि अब उन्हें रुक जाना चाहिए और लोगों को मना करना सीखना चाहिए। उन्हें सिर्फ उन्हीं लोगों की मदद करनी चाहिए जो कि ज्यादा जरूरतमंद हैं।

इसके बाद से उन्होंने सिर्फ उन्हीं इसानों की मदद करना जारी रखा जिसके लिए उन्हें लगता था कि उन्हें मदद की बहुत सख्त जरुरत है।

ओपराह की खुद को बेहतर बनाने की वजह और लोगों को वोट देने के लिए प्रेरित करने की वजह जातिवाद है।

मिसिसिप्पी जहां पर की औपराह का जन्म हुआ था वह जगह जातिवाद के लिए बहुत ज्यादा मशहूर थी। उस जगह पर काले लोगों को अमेरिकन के द्वारा काफी अलगाव की

भावना से देखा जाता था। यह जगह काले लोगों की लिविंग के लिए मशहूर थी। इसके बावजूद उन्होंने अपने जीवन में लगातार संघर्ष करके सफलता हासिल की। 1950 का वह दशक था जब अमेरिका में रहने वाले ब्लैक लोगों को एहसास हुआ कि उनके बच्चों का आने बाला भविष्य उज्जवल होगा। और 1954 वह साल था जब ओपराह का जन्म हुआ। साथ ही साथ अमेरिका की कोर्ट ने भी यह बोल दिया कि अमेरिका में रहने वाले ब्लैक लोगों के बच्चों को भी उसी प्रकार की शिक्षा का अधिकार है

जिस प्रकार की बाकी अमेरिका की जनता को है।

1969 में ओपराह के स्कूल में आने वाले नागरिक अधिकार कार्यकर्ता जैसी जैक्सन द्वारा शिक्षा के लिए इस पहुंच पर जोर दिया गया था जैकसन ने स्कूल के सभी छात्रों को बताया कि अपनी पढ़ाई और अपने कौशल के बल पर आपको अमेरिका से जातिवाद को हटाना पड़ेगा। इस बात को ओपराह ने एक पेज पर नोट किया और जहां पर उनके घर में मिरर था, वहा पर लगा दिया। जिससे कि वो रोजाना उसको देख सकें और अपने लक्ष्य की ओर आगे बढ़ सके।

कुछ साल बाद, जब ओपराह अपनी 20 साल की थी तब क्लीवलैंड के एक उपदेशक रेवरेंड ओटिस माँस जूनियर नै उनको एक कहानी सुनाई जिसने उनको बहुत प्रेरित किया। उन्होंने बताया कि जातिवाद अमेरिका में बहुत समय से चल रहा है। उनके पिता और उनके पिता के पिता ने भी इस दौरान काफी संघर्ष किया है। लेकिन कुछ समय पहले जब उनके पिता जीवित थे तब पहली बार काले लोगों को वोट करने का अधिकार मिला और इस अधिकार का पालन करने के लिए उनके पिता 15 मील पैटल चलकर वोट डालने गए थे। परतु उनके पिता सिर्फ एक मात्र इलेक्शन में ही वोट डाल सके और उसके बाद उनका देहात हो गया।

इस बात को जानने के बाद ओपराह ने यह फैसला किया कि वह लोगों को वोट डालने के लिए प्रेरित करेंगी।

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