यह किसके लिए है
-कोई भी व्यक्ति जो टाइम मैनेज न कर पाने कि समस्या से जड़ा रहा है
लगातार काम करने के शौकीन व्यक्ति जो उत्पादकता बढ़ाने के तरको को जानना चाहते हैं
मनोविज्ञान के जुनूनी लोग जो कि मनोविज्ञान से जुड़े नष्टा आकड़े जानना चाहते हैं।
लेखिका के बारे में
लेलिका लोस वांडेस्काग ने कार्य उत्पादकता और समय प्रबंधन पर कई सारी पुस्तकें लिखी हैं। साल 2016 में “हाऊ तो गन कट्रोल ऑफ बोर फ्री टाडम’ विषय पर किये गए उनके टेड टॉक एपिसोड को 50 लास्य से अधिक लोग देख चुके हैं साथ हो साथ वे कई बड़ी प्रकाशन कंपनियों जैरे-न्यू यॉ्क ढाइम्स, फास्ट कंपनी और फॉर्वून कपनियों के साथ काग कर चुकी हैं।
ये किताब आप को क्यूँ पढ़नी चाहिए
हममें से कई सारे लोग व्यस्तता के कारण काफी अधिक इमोशनल हो जाते हैं। चाहे यह आपका फोन हो या फिर लगातार आपने वाले ईमलों का जमावड़ा या फिर आपकी घरेलू जिंदगी और इसकी सारी मार्ग: हमारे पास हमेशा कोई न कोई ऐसी चीज़ जरुर होती है जिसे हमारे ध्यान की आवश्यकता होती है। जिस चीज की सबसे अधिक कमी हम महसूस करते हैं वह है विश्राम करने का समय मगर जब भी हमें खुद के लिए समय मिलता है तो हम उसे प्राय: यह सोचने में सर्च कर देते हैं कि वया आप उतना प्राप्त कर रहे हैं जितना कि आपको करना चाहिए या फिर आप अपने अगले काम के बारे में विचार करने लगते हैं।
तो हम अपनी जिंदगी को किस तरह से उत्पादक और मजेदार बना सकते हैं?
क्यों आधुनिक दफ्तरों ने व्यस्तता की सस्कृति को जन्म दिया है और आजकल किस तरह से हमारा अधिकतर खाली समय बेकार के कामों में खर्च हो जाता है केसे आप वक्त के प्रति अपने नजरिए को परिवर्तित कर सकते हैं ताकि आप आराम से जी सकें और अपनी व्यस्त जिंदगी में से महत्वपूर्ण व्यक्तियों के लिए वक्त निकाल पाएँ। साथ ही आप अपनी व्यस्तता को कम करने के लिए और ज्यादा काम करने के लिए अभी क्या कर सकते हैं।
इसे पढ़कर आप सीखेंगे
- अपने प्रियजनों के साथ समय बिताकर कैसे आप अपने समय मात्र बढ़ा सकते
- प्यारी यादें बनाना कैसे हमारा समय का दृष्टिकोण बदल सकता है।
- समय से हमारी उम्मीदों का हमारी उपलब्धियों के साथ क्या लेना देना होता है।
आप अपना समय कैसे व्यतीत करते हैं इसका हिसाब रखिए
चाहे हम स्वीकार करें या ना करें लेकिन हम सबमें एक अव्सेशन या जुनून जरूर होता है। एजाम्पल के लिए इस किताब की लेखिका समय और लोगों के इसको व्यतीत करने के विभिन्न तरीकों के प्रति जुनूनी है। वे समय के प्रति इस हद तक जुनूनी है कि उन्होंने सालों से इस बात का हिसाब रहा है कि वह कितना समय किस काम पर खर्च करती है। उनकी हिसाबपुस्तिका में उन्होंने समय से जुड़ी छोटी-से-छोटे बात को भी नोट किया है
एज़ाम्पल के लिए लेखिका लोगों से कहा करती थीं कि वह हफ्ते में 50 घंटे काम करती है। लेकिन अपनी हिंसाबपुस्तिका का निरीक्षण करने के बाद उन्हें पता लगा कि वह औसतन सिर्फ 40 घंटे ही काम करती है। और सिर्फ वही एकमात्र नहीं है जो इस अति-अनुमानवाद की शिकार है। साल 2011 में ब्यूरो ऑफ लेबर स्टेटिस्टिक्स ने एक शोध में पाया कि लोग जो हफ्ते में 75 घंटे काम करने का दावा करते हैं असल में औसतन 50 घंटे ही काम करते हैं यानि कि वे 25 घंटे एवस्ट्रा लगाते हैं। लेखिका ने एक ऐसे व्यक्ति का इंटरवियू लिया जिसने कि हफ्ते में 180 घंटे काम करने का दावा किया है। वाह! क्या शानदार उपलब्धि है। जबकि हफ्ते में तो सिर्फ 168 घटे होते हैं।
अगर हम उतना काम नहीं कर पा रहे हैं जितना कि हम सोच रहे हैं तो बाकी का हमारा समय आखिर जा कहाँ रहा है?
हैरानी की बात तो यह है कि बहुत सारे लोग इस सवाल का जवाब नहीं जानना चाहते हैं। हम अपना हपत्ते किस तरह बिता रहे हैं लेकिन हममें से ज्यादातर लोग किसी ना किसी कारण से यह करना नहीं चाहते हैं।
शुरुआत में हमें इस बात की चिंता सताती है कि अपने समय का हिसाब रखने से हमें यह पता चल जाएगा कि हम कितना समय उन बेकार की चीजों को दे रहे है जो हमारे
या हमारे परिवार वालों के लिए कतई अर्थपूर्ण नहीं हैं। दूसरा, समय पर नज़र रखना हमें इस बात का एहसास करवाता है कि हमारे पास जीने के लिए कितना कम समय है।
और इस स्थिति में जब हम समय को बेकार कामों पर नष्ट करते हैं तो हमें बहुत ज्यादा चिंता का सामना करना पड़ता है।
हुन नुकसानों के उलट लेखिका ने पाया है कि समय का हिसाब रखने की इस आदत ने उसकी जिंदगी जिंदगी को अच्छे मायनों में बदला है। अपने समय बिताने के बारे में जानने से उसे अपना समय प्रबंधित करने में बहुत ज्यादा आसानी हुई।
लेखिका ने देखा की साल के 327 घंटे सिर्फ बेकार की पत्र-पत्रिकाओं को पठने में ही बर्बाद कर दिए। इससे उन्हें प्रेरणा मिली और उन्होंने एक योजना बनाई और अच्छी किताबों की फेहरिस्त बना लेने के बाद उसने उन्हें पढ़ने का टाइम सेट किया और अपनी अच्छी और काम की किताबें पढना शुरू कर दिया।
उमंग को भरकर अपने जीवन के हर घंटे को यादगार बनाइये चाहें अच्छी हो या बुरी लेकिन हम सभी के पास यादें मौजूद रहती हैं। और यही वे यादें है जो हमारे ‘आज’ का निर्माण करती हैं। यह बहुत ही दिलचस्प बात है कि हमारी यादें हमारे समय व्यतीत करने की आदत में बड़ी भूमिका निभाती है।
रोजाना जैसे-जैसे हम अपनी जिंदगी जीते-जाते हैं तो जो-जो चीजें हमारे साथ घटती हैं वे या तो हमारे दिमाग की गहराहयों में समा जाती है या फिर पूरी तरह से बाहर फेंक दी जाती हैं। मसलन क्या आपको याद है कि आप आज से तीन साल पहले ठीक इसी तारीख पर इसी दिन क्या कर रहे थेट अगर उस दिन कुछ बहुत ज्यादा यादगार घटना घटी होगी तो शायद आपको वह दिन याद होगा। लेकिन अगर वह दिन भी आम हो तो इस बात के ज्यादा मौके हैं कि आपको वह दिन बिल्कुल भी याद ना हो।
लेकिन ऐसा क्यों होता है?
क्योंकि हमारा दिमाग पहले से ही चली आ रही चीजों को याद रखना जरूरी नहीं समझता। यही कारण है कि हमें अपनी दिनचर्या इतनी ज्यादा आरामदायक या कहें सरल मालूम पड़ती है।
दिमाग में आदत के कारण हमारा दिमाग हमारे दिनभर के टाइम को सेट नहीं कर पाता है। एग्जाम्पल के लिए अगर आप लगातार 4 सालों तक साल के 235 दिन अपने दपतर के लिए एक ही रास्ते पर सफर करते हैं तो इस स्थिति में आपका दिमाग इनमें से ज्यादातर को अपने में एक ही बड़े सफर सोचे हॉगे है। और इस तरह से आपकी जिंदगी के बहुमूल्य एक हजार घटे (जब एक सफर एक घंटे का हो) सिर्फ एक घंटे में तब्दील हो जाते हैं। चिंता की बात तो यह है कि अगर हमारे जीवन के बहुत सारे समय के काम में एकरूपता आ जाती है तो जिंदगी के कई साल यूँ ही खो जाते है।
इसका हल है ऐसी यादों को बनाना जो तीव्र और आदर्श हों। एज़ाम्पल के लिए, छट्टियों का आनंद लेना, एक ऐसा ही तरीका है हमारा दिमाग आदर्श अनुभवों को याद रखते हैं क्योंकि वे निश्चित तौर यह नहीं जानते हैं कि किन चीज़ों की आवश्यकता उन्हें भविष्य में पड़ने वाली है। परिणामस्वरुप वे सभी चीजों को नए तरीके से संग्रहीत कर लेते हैं।
इसलिए अगर आप वक्त को जल्दी-जल्दी बीतने से रोकना चाहते हैं तो कुछ रोमांचक कीजिए। मिसाल के तौर पर, हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में एक पक्ष में मुश्किल से दो-चार ही ऐसी घटना होती है जो हमें याद रह पाती हैं। इसके विपरीत एक छुट्टी वाले स्थान पर दो-चार घटनाएँ तो आपको नाश्ता करने से पहले ही याद हो जाती है।
हमारी खुद की असुरक्षिताऐं ही हमें लगातार व्यस्त रखती हैं हमें अपने कामों को कम करना आना चाहिए हममें से ज्यादातर लोग लगातार इतना व्यस्त रहते हैं कि हमें स्वाभाविक रूप से ही यह लगने लगता है कि हर मेहनती इंसान को व्यस्त रहना चाहिए। एक बार लेखिका लौरा, जेफ हीथ के दफ्तर में एक बैठक के लिए पहची जो कि एक बड़ी टेक्नॉलजी कंपनी में वरिष्ठ निदेशक के पद पर कार्यरत थे। लेखिका को लगा कि उनके पास निश्चित रूप से समय की कमी होगी। इसलिए लेखिका ने उनसे पूछा क्या आपके पास एक साक्षातकार देने के लिए समय होगा? जेफ ने बड़े ही मजेदार अंदाज में कहा- मैं तो पूरे हफ्ते भर स्पाली हूँ आप बताइए आप कब साक्षातकार लेने के लिए समय निकाल पायेगी। बड़ी हैरानी की बात है कि एक वरिष्ठ पेशेवर व्यक्ति के पास इतना खाली वक्त कैसे हो सकता है?
साक्षातकार के दौरान जेफ से जब पूछा गया कि कॉर्पोरेट अमेरिका जैसी कम्पनी में काम करने के बावजूद वो अपने लिए खाली समय निकाल पाते हैं तो उन्होंने कहा सोचने के तरीके यानि नजरिए के साथ खास बात तो यह है कि वे उस मानसिक जाल में फंसने से बच गए जिसमें बहुत सारे पेशेवर लोग अक्सर फस जाते हैं। अधिकाश पेशेवर इस बात कि शिकायत करते हैं
कि उनके पास पर्याप्त खाली समय नहीं बच पाता। जबकि सच्चाई यह है कि वे खुद अपनी दिनचर्या में खाली समय नहीं रखना चाहते हैं। मगर क्यों? क्योंकि एक कामों से खचाखच भरी हुई दिनचर्या से हमें ऐसा एहसास होता है कि हम अपने समय का सदुपयोग कर रहे हैं, व्यर्थ बैठकर उसे यूहीं नहीं गवा रहे हैं। कामों को निर्धारित करने की अपनी इस पुरानी आदत को बदलने के लिए आप समय का लगातार उपयोग करने के अपने लालच को कम करने का प्रयास कीजिए। आपको सिर्फ इसलिए स्वयं को व्यस्त रखने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि सारी दुनिया ऐसा कर रही है। दफ्तर में होने वाली हर बैठक के लिए सिर्फ इसलिए हामी न भरें क्योंकि आपके पास कागजी तौर पर वक्त मौजूद है। लगभग हर बैठक आधे घटे से लेकर एक घटे के बीच की होती है, इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है कि उसके लिए वास्तव में कितने समय की आवश्यकता थी। इसलिए अपने दफ्तर की बैठकों को ना कहना सीखें जबतक कि वे पर्याप्त जरूरी न हों।
अपने प्रियजनों के साथ समय व्यतीत करना समय के प्रति हमारे दृष्टिकोण में विस्तार कर सकता है और संभवत: हमारे जीवनचक्र को भी बढ़ा सकता है दोस्त हमारी जिंदगी को समृद्ध बनाते हैं। हमारे जीवन के अकेलेपन को कम करते हैं और इसे अर्थपूर्ण बनाते हैं। लेकिन समय प्रबंधन के हमारे सिद्धांत दोस्तों के साथ वक्त बिताने के बारे में क्या बोलते । एक सख्त दिनचर्या अपने दोस्तों के साथ लेबी-लंबी दोपहरें गुज़ारने और सुकून भरी शामें गुजारने की इजाजत कम ही देती है। है ना?
यह एक गलत धारणा है कि समय प्रबंधन करके आप अपने प्रियजनों के साथ फुरसत के पल नहीं बिता सकते हैं। बल्कि अपने रिश्ते-नातों को प्राथमिकता देकर आप अपने समय को समझदारी से प्रबंधित कर सकते हैं। क्योंकि अपने प्रियजनों के साथ समय बिताना न सिर्फ आपको खुशी देता है बल्कि यह आपके पास ज्यादा समय मौजूद होने का एहसास भी कराता है।
ऐसे लोग जिन्होंने उस दिए हुए दिन अपना ज्यादातर समय अपने दोस्तों और प्रियजनों के साथ बिताया, ने उनके पास पर्याप्त समय होने की बात कही। जबकि वे लोग जिन्होंने अपने पास कम समय होने की बात की, अधिकतर ऐसे लोग थे जिन्होंने अपने परिवार और प्रियजनों के साथ उस दिन पर्याप्त समय नहीं बिताया था।
दरअसल ऐसा नहीं है कि जिन लोगों ने कम वक्त होने की शिकायत की, उनके पास वास्तव में वक्त की कमी थी। बल्कि ऐसा इसलिए था क्योंकि परिवार और दोस्तों के साथ बिताया जाने वाला वक्त अक्सर आरामदायक और खुशनुमा होता है जिसके कारण हमें ऐसा एहसास होता है कि जैसे दुनिया का सारा वक्त हमारे पास मौजूद हो। दूसरे कामों, मसलन ट्विटर चलाने में बिताए गए वक्त से ऐसा एहसास नहीं हो पाता है।
इसके अलावा, एक दूसरे सर्वे में पता चला कि ये लोग जिन्होंने कल अपने प्रियजनों के साथ अच्छा समय बिताया था, यह बात कहने को आतुर थे कि उनके पास उन सारी चोजों को करने के लिए पर्याप्त समय है जो ये करना चाहते हैं।
इसलिए अपने प्रियजनों के लिए अपनी दिनचर्या में से वक्त निकालिए क्योंकि ऐसा करना न सिर्फ आपको आपकी दिनचर्या में अधिक समय होने का एहसास कराता है बल्कि लॉग टर्म में वास्तव में भापके जीवन के समय में वृद्धि करता है। ऐसा वास्तव में होता है क्योंकि करीबी दोस्त और परिवार आपको खुद में झाँकने का मौका देते हैं और साथ ही साथ जब आप बीमार पड़ते हैं तो आपका ख्याल भी रखते हैं। दोस्ती के इन शानदार पहलुओं का मतलब है कि जब बात लंबा जीवन जीने की होती है तो मजबूत रिश्ते नाते होना धूम्रपान छोड़ने की लत के बराबर फायदा देता है।
अपने समय की बाधाओं को स्वीकार कीजिए और अपनी उम्मीदों को कम कीजिए
हममें से ज्यादातर लोगों की ही तरह लेखिका के पास भी एक बड़ा परिवार और थका देने वाली जिंदगी है। हाल ही में बीते एक अस्त-व्यस्त हफ्ते के दौरान लेखिका काफी समय उन लेखकों के बारे में सोचती रही जो केवल लिखने की खातिर अपने परिवार से कई महीनों तक दूर रहते हैं और अक्सर घर की छत पर बनें कमरे में अपने पालतू कुत्ते से साथ एकांतवास में चले जाते है। लेखिका लोरा सोवती है कि काश यह भी अन्य लेखकों के जैसे एकात में अपना पूरा समय लेखक को दे पाती। हममें से भी बहुत सारे लोग अक्सर वास्तविकता और उम्मीदों के बीच के इस अलगाव को अपने जीवन में अनुभव करते हैं, है ना? तो चलिए जानते हैं कि हम इस स्थिति पर कैसे विजय पा सकते हैं।
इसके लिए सबसे बढ़िया चीज जो हम कर सकते हैं वह है- समय बिताने के प्रति अपनी उम्मीदों में बदलाव करना।
एक बार लेखिका ने अपने कार्य के प्रति अपनी उम्मीदों को कम करने की ठान ली। जब वह ऐसा करने में सफल हो गई तो उसने पाया कि उसमें चमत्कारिक ठग से कम समय में अधिक कार्य करने का सामर्थ्य आ गया था। मसलन उसने पाया कि अब वह पत्रिका के लिए लिखे जाने वाले अपने पहले आलेख का इफ्ट केवल कुछ ही घटों में लिख पा रही थी। और घर के कामों के साथ ही साथ इस ड्राफ्ट को केवल 90 मिनट के समय में आसानी से संपादित भी कर पा रही थी।
यह चमत्कार कैसे घटित हुआ दरअसल जब हम अपने काम से ज्यादा परिणाम प्राप्त करने की सोचते हैं तो हम बहुत सारा काम परिणामों के बारे में सोचते हुए ही नष्ट कर देते हैं। लेकिन जब हम प्राप्त होने वाले परिणामों के प्रति अपनी उम्मीदों को कम कर लेते हैं तो हम परिणामों के बारे में सोचते हुए वक्त बर्बाद नहीं करते हैं और ज्यादा कार्य कर पाते हैं। जब हमारी उम्मीदें वास्तविकता से कई ज्यादा ऊपर होती है तो हम अक्सर स्वयं को ही दुख पहुंचाते हैं। स्वयं के द्वारा उत्पन्न की गई यह पीड़ा हमें घटों तक अपनी क्षीण उत्पादनशीलता के बारे में सोचने पर मजबूर कर देती है और इस तरह से अक्सर वह वक्त भी हमारे हाथ से निकल जाता है जो हमारे पास पूरी तरह से मौजूद था।
इसलिए वक्त से ज्यादा उम्मीदें बांधने के बजाय अधिक बेहतर होगा कि हम अपना समय काम करने में लगा दीर्घकालीन सफलता पाने का सूत्र छोटे-छोटे लक्ष्य बनाकर उन्हें पूर्ण करने में है।
एक छोटा बच्चा कैसे अपनी मात्रभाषा को सीखता है इस पर जरा मनन कीजिए। उनका विकास घटों तक अभ्यास करने और कठोर सजाओं से नहीं होता है बल्कि बच्चे धीरे-धीरे आगे बढ़ते हैं और हर नए सीपे गए शब्द और नई भाषाई मंज़िलों को पाने पर अभिभावकों द्वारा उन्हें प्रसनशित किया जाता है। अगर हमें भी बच्चों के जैसे अपने लक्ष्यों के प्रति विकसित होना है तो हमें कम उम्मीदों के सहारे धीरे-धीरे ही सही मगर अपने लक्ष्यों की ओर आगे बढ़ना होगा।
अपना पैसा अच्छे अनुभवों को बढ़ाने और बुरे अनुभवों को कम करने में लगाइए
दुनिया में हर किसी के पास बराबर समय होता है दूसरे शब्दों में कहें तो हमें से हर किसी के पास हफ्ते में 168 घंटों का समय होता है। हम सब के पास वक्त तो हालांकि बराबर होता है लेकिन हमारे बैंक खातों में पैसा बराबर नहीं होता है। मगर क्या बैंक बैलेन्स और हमारी खुशी के बीच कोई संबंध है? आपको क्या लगता है कि पेसा हमें खुशी देता है या फिर हमारे जीवन में और भी अधिक मुश्किलें पैदा करता है।
मजे की बात तो यह है कि जब बात पैसे और खुशी की आती है तो यह मायने नहीं रखता है कि आपके पास कितना पैसा है। बल्कि बात जो मायने रखती है वह है कि आप अपना पैसा किस तरह से इस्तेमाल करते हैं।
पैसा आपकी खुशी में बढ़ोतरी कर सकता है यदि आप उन चीजों को खरीदें जो आपको खुशी देती है। इन चीजों से मिलने वाली खुशी बाद में हमारे लिए मधुर यादों का काम करती है- आनंद के इन सतत कुओं से हम मानसिक सुकून की प्राप्ति कर सकते है। और शानदार बात तो यह है कि ये मधुर यादें अस्थायी सुशी की स्त्रोत नहीं होती जैसा कि अधिकाश वस्तुए प्राय होती हैं। मिसाल के तौर पर, एक बच्चे को कोई नया खिलौना लाकर दे देने पर वह एकदम से उसके साथ खेलने के लिए उतावला हो जाता है। कुछ समय बाद वह उस खिलौने से ऊब जाएगा और फिर उससे खेलना कम कर देगा। दूसरे शब्दों में कहें तो उस खिलौने से उसे आनंद मिलना बंद हो जाएगा। इसके विपरीत अगर आप कैम्पिंग करने की खातिर अपने लिए एक तंबू खरीदते हैं तो यह आपको जीवनभर आनंद प्रदान करता रहेगा। मगर क्यों? क्योंकि जब भी आप उस टेंट को निहारेंगे तो तारों भरी रात और बोनफ़ायर की हसीन यादें मापके मन में ताज़ा हो जाटंगी।
अगर पैसा हमें खुशी देता है तो हमें इस चीज पर भी पुनर्विचार करना चाहिए कि हम खुशी को किस तरह से मापते हैं।
हम कितना खुश है जब हम इस चीज के बारे में मनन करते हैं तो हम अक्सर केवल जीवन सतुष्टि के बारे में सोचते हैं। जीवन संतुष्टि यानि हमें स्वयं क्या लगता है कि हमारी जिंदगी केसी चल रही है। दूसरे शब्दों में कहे तो हम अपनी वर्तमान जिंदगी से कितना खुश है यही जीवन संतुष्टिं है।
अगर आपके पास एक अच्छी नौकरी और अच्छा घर है तो आप स्वयं को जीवन से संतुष्ट मान सकते हैं। हालांकि हो सकता है कि खुशी मापने का यह पैमाना बेस्ट पैमाना न हो। दरअसल हमारा मन अक्सर घंटे-दर-घटे के छोटे-छोटे अनुभवों के हिसाब से बदलता है ना कि हमारी जीवन संतुष्टि के हिसाब से। मसलन हो सकता है कि अपनी पसंद की नौकरी होने के बावजूद भी आपका मूड अक्सर खराब रहता हो क्योंकि आप घर से दफ्तर के बीच की भागदौड़ में अक्सर खुद को थका हुआ पाते हों।
इस असलियत को ध्यान में रखकर हम अपने दैनिक क्रियाकलापों का मूल्यांकन कर सकते हैं और पता लगा सकते हैं कि कौन-से कार्य हमें सुशी देते हैं और कौन-से कार्य हमारी स्थिति को दयनीय बनाते हैं। और फिर हम योजनाबद्ध तरीके से अपने पैसों को उन कामों में खर्च कर सकते हैं जो हमें आनंद प्रदान करते हैं। उदाहरण के तौर पर कई शोधों से ज्ञात हुआ है कि घर-से-दफ्तर आना और दपत्तर-से-घर जाने का काम एक कामकाजी व्यक्ति के लिए सबसे अप्रसनतादायक कामों में से एक होता है। तो अगर आपको भी इस काम में कोई मजा नहीं आता है तो आप अपने पैसे का इस्तेमाल अपने घर और दफ्तर की दूरी घटाने में कर सकते हैं जिससे आपका मूड अच्छा होने की काफी संभावना होगी। हालांकि इसमें आपका काफी ज्यादा पैसा खर्च हो सकता है मगर यह आपकी खुशी में एक शानदार निवेश होगा।
इक्स्क्लूसिव: रोमांच के लिए भी वक्त बचाइए
लेखिका लौरा वाडरकम ने अधिक काम करते हुए भी खुद को कम व्यस्त रखने को लेकर 5 टिप्स साझा किये हैं।
क्या आपको कभी ऐसा लगा है कि वक्त जैसे घंटे-दर-घंटे तेजी से आपकी मुट्ठी से फिसलता जा रहा है और आप कुछ भी नहीं कर पा रहे हैं? ज्यादा वक्त किसी के पास नहीं होता और न ही किसी में इतनी शक्ति है कि वह समय का निर्माण कर सके। हालांकि कुछ ऐसे छोटे-छोटे तरीके हैं जिनकी गदद से आप अपने समय को अधिक समृद्ध और पूर्ण बना सकते हैं।
इस बात का पता लगाइए कि आखिर आपका वक्त जाता कहाँ है। लोगों से जब पूण जाता है कि उनका समय आखिर जाता है तो उनमें से अधिकांश का जवाब कुछ इस तरह होता है. “में बहुत व्यस्त हूँ और मेरे पास बिलकुल भी समय नहीं है। वे अपना सारा दोष समय पर डाल देते हैं। वे यह पता लगाने का बिल्कुल भी प्रयास नहीं करते हैं कि चे व्यस्त तो है लेकिन क्यों है?एक हफ्ते के लिए अपने वक्त का हिसाब-किताब रखिए। इसके लिए आप किसी ऐप, तालिका या फिर किसी नोटबुक ना उपयोग कर सकते है। इस तरह अपने वक्त पर नज़र रखने से बहुत सारे लोगों को ज्ञात होता है कि उनके पास समय के बहुत सारे छोटे-छोटे खाली टुकड़े मौजूद हैं जिन्हें वे चाहें तो अपने अर्थपूर्ण क्रियाकलापों को पूरा करने के लिए उपयोग कर सकते हैं। छोटे-छोटे ऐडवेंचर्स करने की योजना बनाइये क्योंकि जिस वक्त के साथ हमारी यादें नहीं जुड़ी होती हैं वह अक्सर हमें याद नहीं रहता है। इसके कारण हम अपनी जिंदगी के कई वर्ष तक भूल जाते हैं। हर दिन कुछ रोमांचक करने की योजना बनाइये ताकि आपको अपना हर दिन दूसरे दिन से मित्र लगे। जरूरी नहीं कि भाप कुछ बड़ा रोमांच करें। आप अपने दोस्तों या सहकर्मियों को खाने पर बुला सकते हैं। डिनर के बाद बच्चों को मैदान में टहलाने के लिए ले जा सकते हैं। अपनी आम दिनचर्या से हटकर करने के लिए कुछ-न-कुछ करते रहिए।
किसी भी काम के लिए “हाँ” कहने से पहले जरा विचार कर लें। अगर आप ऐडवेंचर्स के लिए वक्त निकालना चाहते हैं तो आप चाहकर भी अपने रोजनामचे को कामों से नहीं भर सकते। इसका समाधान: जब आपको भविष्य में करने के लिए कोई काम दिया जाता है तो स्वयं से पूछिए कि क्या आप इसे काल कर सकते हैं। इससे आपमें उस काम और वक्त के प्रति स्पष्टता आती है। अगर आपको लगता है किं आप कल के अपने कामों की फेहरिस्त में फेरबदल करके या फिर कुछ कामों को अपनी सूची से बाहर निकालकर इस नए काम को उसमें जगह दे सकते हैं तो काम के लिए हामी जरूर मरें। लेकिन अगर आपको लगता है कि आप कल तक इस काम को नहीं कर पाएगे तो उस काम को लेने से माना कर दीजिए क्योंकि जो काम कल नहीं होगा वह वास्तव में कभी नहीं हो पाया।
आराम से कीजिए काम को तेजी से करना सिर्फ आपको एहसास दिलाता है कि आप तेजी से काम कर रहे हैं। उस पल का ख्याल कीजिए जबकि सबकुछ शांत होता है। चेतन मन से अपना ध्यान सतत रूप से दृष्टि, ध्वनि और सुक्षा गतिविधियों पर केंद्रित कीजिए। अच्छे पलों को मस्ती से जीने से बे पल लंबे लगने लगते हैं और यही वह चीज है जो समय के हमारे तजुर्वे को विस्तार देती है।
दोस्तों के लिए समय निकालिए। जो लोग अपने परिवार और दोस्तों के साथ अच्छा वक्त बिताते हैं उन्हें उन लोगों की तुलना में ज्यादा समय होने का एहसास होता है जो कि अपना ज्यादातर वक्त टेलीविजन देखने और इंटरनेट चलाने में बिताते हैं। एक डिनर पार्टी ऑर्गनाइस करने के लिए आपको प्रयास करने पड़ते हैं लेकिन यकीन मानिए यह इस्टाग्राम पर दूसरों की दिनर पार्टी की तस्वीरें निहारने से बेहतर अनुभव होता है। इसी हफ्ते अपने दोस्तों के साथ फुरसत के लमहें गुज़ारने के लिए वक्त निकालिए और कुछ रोमाचकारी करने की योजना बनाइये। इससे आपको एहसास होगा कि आप एक शानदार व्यक्ति है तभी तो आपको अपने दोस्तों के साथ गुणवत्तापूर्ण समय बिताने का अवसर प्राप्त हुआ है और जैसे ही आपको यह अहसास होगा आपकी सारी व्यस्तता उसी पल समाप्त हो जाएगी।