यह किसके लिए है
वेजो बहुत ज्यादा काम करने में यकीन रखते हैं।
वैजो सोचते हैं कि आराम करना आलस करने के बराबर है।
वे जो अपनी सेहत का खयाल रखना चाहते हैं।
लेखक के बारे में
ऐलेक्स सुजग-किम पेंग ( Alex Spcjurig-Kim Pang) इंस्टिट्यूट फार द फ्यूचर में एक रीसर्चर और एक लेखक हैं। इससे पहले वे एन्साहक्लोपीडिया, ब्रिटेनिका के डिप्यूटी एडिटर थे।
यह किताब आपको क्यों पढ़नी चाहिए
ज्यादा काम करना, एक भी दिन की एट्टी ना लेना, रात में देर तक काम करना, कम सोना, वैकेशन पर ना जाना। यह सब बातें दिखाती है कि एक व्यक्ति अपने काम को लेकर कितना लगाव रखता है। आज के वक्त में जो लोग इस तरह से रहते हैं, समाज में उन्हें एक मिसाल की तरह देखा जाता है। लेकिन क्या आपको इसके दूसरे पहलू के बारे में पता है? नहीं
यह किताब आपको इसके दूसरे पहलू से वाकिफ कराती है। यह किताब बताती है कि कम आराम करना किस तरह से आपके लिए बहुत नुकसानदायक हो सकता है काम
सोने से किस तरह से आपके शरीर के साथ साथ आपका दिमाग भी काम करना बंद कर सकता है। इस किताब में सही समय पर आराम करने के फायदे के बारे में बताया गया है।
इसे पढ़कर आप सीखेंगे
-किस तरह से भाप कम समय में ज्यादा काम कर सकते हैं।
-कम सोने से किस तरह की परेशानियाँ हो सकती हैं।
-एक शौक रखना किस तरह से आपके लिए फायदेमंद हो सकता है।
सुबह जल्दी उठकर काम करने से आप कम समय में ज्यादा काम कर पाएंगे।
काम करने का मतलब यह नहीं होता कि आप कितने घंटे के लिए काम करते हैं। काम करने का मतलब होता है आप एक घंटे में कितना काम करते हैं। अगर आप सारा दिन लगातार काम करते रहे और कुछ भी पूरा नहीं हुआ, तो चो काम करना नहीं है। कम समय में ज्यादा काम कर पाने के लिए आपको सुबह जल्दी उठना होगा।
जब आप सुबह जल्दी उठकर काम करते हैं, तो आप दिन भर की थकान से दूर रहते हैं। आप अपने काम पर अच्छे से ध्यान दे पाते हैं और जहां पर ध्यान अच्छा होता है, वहाँ पर काम भी अच्छा होता है। 1980 के दशक के दौरान किए गाए एक रीसर्च में यह बात सामने आई थी।
रीसर्च में यह देखा गया है जो होनहार म्यूजिशियन थे, चे अपने दूसरे साथियों के मुकाबले सुबह जल्दी उठकर अच्छे से प्रैक्टिस किया करते थे और उनसे एक घंटा ज्यादा सोते थे। सुबह के वक्त अच्छे से प्रेक्टिस कर लेने के बाद, वे कुछ देर तक सोते थे और शाम को फिर से कुछ देर के लिए प्रेक्टिस किया करते थे ।
लेकिन सुबह उठकर काम करने का ज्यादा काम करने से वया लेना देना? जब आप सुबह उठकर काम करते हैं तो आपका दिमाग फ्रेश रहता है और आप बेहतर तरीके से सोच पाते हैं। लेकिन अगर आप दिन के किसी दूसरे वक्त काम करते हैं तो आप थके हुए होते हैं और साथ ही आपकी इच्छा शक्ति भी कमजोर हो जाती है जिससे आप बेमन से काम करते हैं और कम काम पूरा कर पाते हैं।
इसलिए सुबह उठने के बाद एक सेहतमंद ब्रेकफास्ट लीजिए और 4 घंटे तक अपने काम को अच्छे से कीजिए। अगर आपके पास अपने समय के हिसाब से काम करने की आजादी नहीं है तो भी आप इस तरह से काम करने की कोशिश कीजिए। सुबह के वक्त मेहनत से काम कर के दोपहर के वक्त आराम करने से आप कम समय में ज्यादा काम पूरा कर पाएंगे।
खुद को रीफ्रेश करने के लिए कुछ देर के लिए चलिए या फिर सो जाइए।
अगर आप काफी समय के काम कर रहे है और आप कुछ थक गए है या फिर ऊब गए हैं, तो कुछ देर के लिए टहलिए या फिर कुछ देर के लिए सो जाइए। दोनों ही तरीके खुद को रीफ्रेश करने के बहुत अच्छे तरीके हैं।
टहलने से हम अपने काम को बेहतर तरीके से कर पाते हैं और अपनी क्रीएटिविटी को बढ़ा पाते हैं। इस तरह से हम अपने अवचेतन मन में जा पाते हैं, जो कि आइडिया लाने में हमारी मदद करता है। यह सिर्फ एक थियोरी नहीं है बल्कि इसे साबित कर के दिखाया गया है। स्टैंफोर्ड यूनिवर्सिटी के 2015 की स्टडी में यह बात सामने आई थी।
इस रीसर्च में साइंटिस्टों ने स्टूडेंट्स को एक सवाल दिया और उनसे कहा कि वे इस सवाल के ज्यादा से ज्यादा समाधान खोजकर निकालें। युछ बच्चे बाहर चल रहे थे और कुछ बैठे हुए थे। यह देखा गया कि जो बच्चे चल रहे थे, वे कुछ ज्यादा बेहतर आइडियाज़ ला पाए और जो बैठे थे वे कम समाधान खोज पाए।
इसके अलावा सोना भी खुद को रीफ्रेश करने का एक अच्छा तरीका होता है। इससे हम अपने दिमाग के ग्रे मेटर को एक्टिवेट कर पाते हैं जो सोचने समझने और चीजों को याद रखने के लिए जिम्मेदार होता है। इस बात को औलाफ लाह ने 2008 में साबित किया था। वे एक स्लीप साइंटिस्ट हैं जो कि जर्मनी के यूनिवर्सिटी ऑफ ड्यूसेलडोर्फ में काम करते हैं।
ओलाफ ने अपने सब्जेक्ट्स को दो भागों में बाँटा। उन्होंने उन्हें 2 मिनट में 30 शब्द याद करने का काम दिया। एक ग्रुप को याद करने से पहले सोने के लिए कहा गया और दूसरे ग्रुप को सोने को नहीं दिया गया। इसके बाद यह देखा गया कि जो ग्रुप जाग रहा था, उसने पहले ग्रुप के मुकाबले बहुत कम शब्द याद किए। इसका मतलब हम यह कह सकते हैं कि सोने से हमारे दिमाग के काम करने की क्षमता बढ़ जाती है।
आराम करने का सही समय खोजकर आप अपने काम को बेहतर तरीके से कर सकते हैं।
किसी काम को लगातार करते रहने से आपको बेहतर नतीजे नहीं मिलते। बल्कि जब आप उस काम को करते वक्त बीच में थोड़ा आराम कर लेते हैं, तो आप बेहतर नतीजे पाते हैं। अगर आप अपने काम में कुछ अच्छा कर देते हैं या फिर आगे निकल गाए हैं, तो वक्त आ गया है आराम करने का। अगर हम कहावतों की मानें तो आराम करने का सबसे अच्छा समय तब होता है जब आपको एक नया आइडिया खोज कर लाना हो। एकाम्पल के लिए अन्सर्ट हेमिंग्वे एक बहुत कामयाब लेखक थे, जो कहते थे अगर आपको पता हो कि आगे क्या होने वाला है, तो रुकने का वक्त आ गया है। उनके कहने का मतलब था कि जब आपको पहले से पता है कि आप क्या लिखने वाले हैं, तो वो बात कुछ ज्यादा अच्छी नहीं होगी। लेकिन जब आप कुछ देर तक आराम करने के बाद लिखते हैं, तो आप अपने दिमाग को सोचने का समय देते हैं जिससे कि वो बेहतर आइडिया खोजकर ला सकता है।
यूनिवर्सिटी ऑफ सिडनी में की गई एक स्टडी यह दिखाती है कि किस तरह से काम के बीच में आराम कर लेने से आपका दिमाग अच्छे आइडिया ला सकता है। उन्होंने दो ग्रुप के स्टूडेंट्स से कहा कि वे एक कागज को ज्यादा से ज्यादा क्रीएटिव तरह से इस्तेमाल कर के दिखाएँ।
एक ग्रुप को बीच बीच में दूसरे तरह का काम करने के लिए कहा गया और फिर वापस आकर उस कागज के इस्तेमाल के बारे में सोचने के लिए कहा गया। दूसरे ग्रुप से कहा गया कि वे लगातार काम करते रहें। इस एक्सपेरिमेंट में यह देखा गया कि पहला ग्रुप ज्यादा क्रीएटिव तरीके खोज कर ला सका दूसरे ग्रुप के मुकाबले।
जब आप आराम कर रहे होते हैं, तो इसका मतलब यह नहीं है कि आपका दिमाग भी आराम कर रहा है। वो हमेशा नए आइडियाज खोज कर लाता रहता है, लेकिन वो आइडियाज पूरी तरह से विकसित नहीं हुए रहते। आपको उन्हें पूरी तरह से विकसित हो जाने के लिए कुछ समय देना होगा। इसके बाद वे बहुत बेहतर रूप ले लेते हैं। इसलिए आप एक काम के लगातार ना कर के रुक रुक कर करना चाहिए।
एक अच्छी नींद लेना आपकी सेहत के लिए जादू का काम कर सकता है।
जब हम सोते हैं, तो हमारा शरीर खुद को रिपेयर करता है। वो पुराने और जख्मी सेल्स को शरीर से निकाल कर नए सेल्स को पैदा करता है। सिर्फ शरीर के लिए ही नहीं,
अच्छी नीद आपके दिमाग के लिए भी बहुत फायदेमंद होती है। जब आप सो रहे होते हैं, तो आपका दिमाग उन यादों पर और उन समस्याओं पर अदर ही अदर काम कर रहा होता है, जो आपके लिए एक परेशानी है। यानी कि सो कर उठने के बाद आप अपनी परेशानियों के बेहतर हल निकाल पाएगे। हमारे दिमाग के विकास के लिए और मेमोरी को मजबूत बनाने के लिए स्टेज 4 स्लीप और आरईएम डीप स्लीप बहुत जरूरी होते हैं। स्टेज 4 स्लीप के वक्त हमारा शरीर जीएचआरएच नाम का एक ग्रोथ हार्मोन पैदा करता है, जो कि शरीर पर लगे चोट को भरने में और पुराने सेल्स को रिपेयर करने में हमारी मदद करता है।
दूसरी तरफ आरईएम दीप स्लीप माइलिन नाम का हामोन पैदा करता है जो कि हमारे दिमाग और मेमोरी के बेहतर तरीके से काम करवाता है।
इसके अलावा 2013 में चूहों पर की गई एक स्टडी में यह बात सामने आई कि जब हम सो रहे होते हैं, तो हम अपने शरीर से नुकसानदायक केमिकल को बाहर निकालते हैं, जिससे कि एल्लाहमर्स जैसी बीमारियां ठीक हो सकती हैं।
जब हम कम सोते हैं, तो हमारे फैसले लेने की क्षमता कमजोर हो जाती है और हम अच्छे से सोच नहीं पाते। रात में काम करने वाले सेनिक, ट्रक ड्राइवरर्स और गाइर्स की सेहत पर इसका बहुत बुरा असर पड़ता है। इससे रास्ते पर एक्सिडेंट के खतरे बढ़ जाते हैं। इससे हमारे सर्केडियन रिथम बिगड़ जाते हैं जिससे कि अल्सर, ब्रीस्ट कैसर और दिल के रोग हो सकते हैं। इसके अलावा इससे हाइपरटेंशन, मोटापा और डाइबिटीस भी हो सकता है।
कुछ समय की छुट्टी लेकर खुद को रिकवर करने का समय दीजिए।
अगर कोई व्यक्ति काफी समय से हर रोज काम पर लगातार आ रहा है और छुट्टी नहीं ले रहा है, तो हो सकता है वो बहुत मेहनती हो, लेकिन उसकी सेहत के लिए यह बिल्कुल भी अच्छा नहीं है। छुट्टी लेने से आप अपने दिमाग और अपने शरीर को फिर से काम करने के लिए तैयार करते हैं।
बहुत सी स्टडीज़ में यह दिखाया गया है कि जो लोग ज्यादा छुट्टियां लेते हैं, उनमें दिल के दौरे का खतरा बहुत कम होता है। इसके अलावा आक्सफोर्ड इकोनामिक्स के हिसाब से छुट्टी ना लेने के वजह से कर्मचारी अच्छे से काम नहीं कर पाते जिससे कि कंपनियों को हर साल 224 अरब डॉलर का नुकसान हो रहा है। छुट्टी ना लेने से कर्मचारी अपने काम से ऊबने लगते हैं और ग्राहकों से अच्छे से डौल नहीं कर पाते। वे डिप्रेशन के शिकार हो जाते हैं और कुछ हालात में आत्महत्या भी कर लेते हैं।
अपने आराम करने के समय को बढ़ाने के लिए और उसका इस्तेमाल अच्छे से करने के लिए जर्मनी के सोशियोलाजिस्ट सेबीन सौन्टेग बताते हैं कि आपको इन चार बातों पर ध्यान देना होगा आराम करना, काबू पाना, माहिर बनने का अनुभव लेना और खुद को काम से पुरी तरह से अलग कर लेना।
आराम करने करने का मतलब आप अपनी आँखें बंद कर के एक बीच पर या अपनी मनपसंद जगह पर होने के बारे में सोचिए और आराम कीजिए।
काबू पाने का मतबल मापको पूरी तरह से ठीक होकर खुद पर काबू पाने के लिए कितना समय चाहिए होगा। यह आपके हालात पर निर्भर करता है अगर आप बहुत से लोगों के साथ काम करते हैं या फिर आपके परिवार में बहुत से लोग रहते हैं, तो आपको खुद पर वापस काबू पाने के लिए ज्यादा समय चाहिए होगा।
माहिर बनने का अनुभव लेने का मतलब सोचिए कि आप वो काम कर रहे हैं जिसमें आप माहिर हैं, अब चाहे वो कोई खेल हो या फिर कोई काम।
अंत में खुद को काम से पूरी तरह से अलग कर लेने का मतलब आप अपना आफिस छोड़कर कहीं दूर चले जाइए जहाँ पर आपको काम की याद भी ना आए और आप एक बिना काम की जिन्दगी जी सकें।
आपके दिमाग की सेहत इस बात पर निर्भर करती है कि आप कितनी कसरत करते हैं।
फुटबाल प्लेयर बाइरान हिजर वाइट, डेट्रियोट लायन्स, पैट हेडन, माइरान रोले, यह सभी लोग दुनिया के कुछ महान खिलाड़ियों और स्कालर्स में से एक थे। इन सब में खास बात यह थी कि ये लोग बहुत कसरत किया करते थे। वाइट आगे चलकर सुप्रीम कोर्ट के जज बने।
इसके अलावा मैरी क्यूरी, जिन्हें रेडियम की खोज करने का क्रेडिट दिया जाता है, वे बहुत साइकल चलाती थीं। अपने हनीमून के दौरान वो साइकल पर बैठकर अपने पति के साथ पूरा फ्राँस घूमती थी।
नेल्सन मंडेला को जब 1962 में अरेस्ट किया गया था, तो सरकार ने उन्हें हार मानने के लिए बहुत मजबूर किया, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। वे कहते थे कि जब उनकी सेहत अच्छी रहती है तो वे दूसरों के मुकाबले अच्छा काम कर पाते हैं। जैल में रहने पर भी वे हर रोज कसरत किया करते थे। 25 साल तक जेल में रहने के दौरान वे 100 पुश-अप्स, 200 सिट अप्स हर रोज मारते थे।
इस तरह से आप देख सकते हैं कि कामयाबी का और दिमाग से अच्छे से काम लेने का कसरत से एक बहुत गहरा नाता है। यह बात सिर्फ देखने को ही नहीं मिलती, बल्कि साबित भी की गई है।
2015 की एक स्टडी में कुछ मोटे लोगों के दिमाग को स्कैन किया गया। फिर उन्हें 3 महीने के फिटनेस कोर्स में डाला गया। इसके बाद जब उनका फिर से ट्रेन स्कैन किया गया तो यह देखा गया कि उनके दिमाग का ग्रे मैटर बहुत ज्यादा बढ़ गया था। यह ने मैटर दिखाता है कि उनका नर्वस सिस्टम पहले के मुकाबले ज्यादा मजबूत हो गया है और वे पहले से ज्यादा सोचने के लायक हो गए हैं।
साइंटिस्ट्स ने यह देखा है कि कसरत करने से हमारे दिमाग में न्यूरोद्राफिन नाम के प्रोटीन निकलते हैं जो कि हमारे दिमाग के न्यूरान्स को विकसित करते हैं और उनके बनने में मदद करते हैं। इसके अलावा कसरत करने से हमारी मेमोरी भी मजबूत होती है। जब हम ज्यादा सात अंदर खींचते हैं तो हमारे छोटे छोटे ब्लड वेसल के जरिए हमारे दिमाग में ज्यादा आक्सिजन और ज्यादा एलर्जी जाती है। 2012 को स्टडी में दिखाया गया कि अगर आपके दिमाग में ज्यादा आक्सिजन जाएगा, तो आपकी मेमोरी मजबूत होगी।
अपने दिमाग को क्रीएटिव बनाने के लिए एक शौक रखिए।
क्या आपको पता है एल्बर्ट आइस्टाइन को वायलिन बजाने का शौक था जब वे छोटे थे और स्कूल जाते थे, तो उनका मन स्कूल में पढ़ाए जाने वाले सब्जेक्ट में नहीं लगता था। उन्हें हिस्ट्री और लैंग्वेज पढ़ाया जाता था जिससे उन्हें सख्त नफरत थीं। जब भी वे अपनी जिन्द्गी से निराश हो जाते थे, चे वायलिन बजाते थे।
शौक रखने से आप डीप प्ले का अनुभव ले पाते हैं। डीप प्ले का मतलब उस काम से होता है जिसे करते वक्त आप खोज जाएं, जो आपके अंदर के आर्टिस्ट को बाहर निकाले और जिसे करते वक्त आप अपने पास्ट के साथ बेहतर तरीके से जुड़ सकें। इसकी मदद से आप एक जगह के आइडिया को दूसरी जगह पर लगा सकते हैं और बेहतर समाधान खोज सकते हैं।
इसके अलावा दीप प्ले को करते वक्त आपको एक संतोष महसूस होता है। आपको लगेगा कि आप पूरी तरह से उस काम में डूब चुके हैं और उसकी छोटी छोटी बातें भी आपको बहुत अच्छी लगेंगी। डीप प्ले से आप अपना तनाव कम कर सकते हैं।
एल्बर्ट आइस्टाइन ने जब 1945 में हुए हिरोशिमा और नागासाकी के हमलों के बारे में सुना तो उनका दिल टूट गया था। साईस का इतना गलत इस्तेमाल हो सकता है, उन्होंने कभी नहीं सोचा था। उन्हें खुद से नफरत होने लगी थी कि वे भी कुछ इस तरह के काम कर रहे हैं जिसका एक दिन गलत हस्तेमाल हो सकता है। जिस दिन यह हमला हुआ, उसके अगले दिन वे यह खबर सुनकर टूट चुके थे।
ऐसे हालात में अपना दुख कम करने के लिए उन्होंने वायलिन का सहारा लिया था। डूबते हुए सूरज के सामने बैठकर वे वायलिन बजाते रहे, जिससे उनका तनाव कम हुआ।
तो आप भी अपने लिए एक ऐसा काम खोजिए जो कि आपको बहुत पसंद हो। यह जरूरी नहीं है कि आपको म्यूजिक ही पसंद हो। वो कोई भी काम हे सकता है, जिसकी छोटी से छोटी चीजें भी आपको अच्छी लगती हो।