WHY I AM AN ATHEIST by Bhagat Singh.

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WHY I AM AN ATHEIST by Bhagat Singh.
Why I am an Atheist by Bhagat Singh

इंट्रोडक्शन (Introduction)

1930 में भगत सिंह जब लाहौर सेंट्रल जेल में बंद थे तब उन्होंने एक एस्से लिखा था. वो खुद को एक एधीईस्ट (नास्तिक), मतलब जो भगवान् में विश्वास नहीं करते, मानते थे. इस वजह से उनके दोस्त उन्हें घमंडी समझने लगे. वो कहते कि भगत सिंह खुद को नास्तिक इसलिए कहते हैं क्योंकि उन्हें बहुत अहंकार और घमंड है.

मगर भगत सिंह इस बात से बिलकुल सहमत नहीं थे. इस एस्से में उन्होंने समझाया है कि उनके नास्तिक होने का कारण घमंड नहीं है. इस बुक में आप उनके आज़ाद सोच और प्रिंसिपल्स के बारे में सीखेंगे. उन्होंने दुनिया में बहुत अन्याय और नाइंसाफी देखी तो सवाल किया कि अगर सच में भगवान् है तो वो अपने लोगों को इतने दुःख और तकलीफ क्यों देता है?

भगत सिंह के विचार

भगत सिंह ने हिन्दू मुस्लिम और क्रिस्चियन के अपने भगवान् में विश्वास को चैलेंज किया. ये दुनिया कैसे बनी, कैसे इतनी आगे बढ़ी और इस बुक में अगले जन्म की सोच जैसी कई बातों पर सवाल उठाए. क्योंकि यो पूरा जीवन नास्तिक रहे, उन्हें स्वर्ग और अगले जन्म के कांसेप्ट में बिलकुल भरोसा नहीं.

भगत सिंह ने मौत का सामना हिम्मत से किया, वो उससे घबराए नहीं, वो खुश थे कि उन्होंने अपना पूरा जीवन इंडिया की आज़ादी और लोगों को आज़ाद करने में लगा दिया, 1931 में उन्हें फांसी दे दी गयी. वो सिर्फ 23 साल के थे.

व्हाई आई एम एथीस्ट (Why I am an Atheist)

क्या मेरे नास्तिक होने का कारण मेरा घमंड है? अगर में भगवान् में विश्वास नहीं करता तो क्या इसका कारण मेरा घमंड है? यही सवाल मेरे दोस्त मुझसे पूछते हैं, मुझे एहसास ही नहीं हुआ कि मेरे व्यवहार से उन्हें ऐसा लग रहा है. कुछ लोगों ने जो थोडा बहुत समय मेरे साथ बिताया था उन्होंने ऐसा ही समझ लिया, ऐसा ही अनुमान लगा लिया.

अब मैं जवाब देने के लिए मजबूर हूँ, मैं एक साधारण आदमी हूँ, इससे ज्यादा मैं खुद को कुछ नहीं समझता. हाँ मैं स्वीकार करता हूँ कि कभी कभी मुझ में घमंड और अहंकार होता है मगर वो मेरे नास्तिक होने का कारण बिलकुल नहीं है.

समाज में मेरी छवि

मेरे कुछ दोस्त मुझे तानाशाह और हुकुम चलाने वाला कहते हैं. कुछ कहते हैं कि मैं हर काम अपनी मर्जी से करता हूँ, उन्हें शिकायत है कि मैं अपनी बात दूसरों पर थोपता हूँ और तब तक बहस करता हूँ जब तक वो मेरी बात मान नहीं लेते. हाँ, इस बात से मैं मना नहीं कर सकता. मैं इस बात से भी मना नहीं कर सकता कि मुझमें बहुत ईगो है. हमारे समाज में इसे “अहंकार” या खुद पर बहुत गर्व होना कहते हैं.

अगर रियलिटी के प्रिन्सिपल्स के नज़रिए से देखें तो ऐसा सोचना भी इम्पॉसिबल लगता है कि कोई भगवान् हैं जिन्होंने पूरी यूनिवर्स और इस दुनिया को बनाया और वो इसे देख रहे हैं.

भगवान् और मैं

अगर पहला स्टेटमेंट सच है तो में खुद को भगवान का दुश्मन समझूंगा, तो सही मायने में में नास्तिक तो हुआ ही नहीं, ऐसा इसलिए क्योंकि खुद को उनका दुश्मन कहने के लिए मुझे पहले इस बात को मानना होगा कि भगवान् सच में हैं. और अगर दूसरा स्टेटमेंट सच है तब मुझे भगवान् के होने की बात पर विश्वास करना होगा कि ऊपर कोई भगवान है जो पूरे यूनिवर्स को देख रहे हैं.

तो ये कहना कि मैं भगवान् का दुश्मन हूँ या मैं खुद भगवान् का अवतार हूँ का मतलब हुआ कि मैं भगवान के होने पर विश्वास करता हूँ? बिलकुल झूठ है, मैं बिलकुल नहीं मानता कि कोई भगवान होते हैं. इसलिए में अहंकारी नहीं हूँ. मैं खुद को भगवान् नहीं समझता. मुझे भगवान् या ये बात किसी डिवाइन एनर्जी के होने पर कोई विश्वास नहीं है. तो मैं साफ़ साफ़ बता देना चाहता हूँ कि भगवान् नहीं होते हैं.

मेरी नास्तिकता का कारण

मेरे दोस्तों ने मेरे बारे में ऐसा कैसे सोचा ? उन्हें क्यों लगा कि मैं घमंडी हूँ इसलिए नास्तिक बन गया हूँ? मैं कोर्ट में चल रहे ट्रायल की वजह से पोपुलर हुआ, दिल्ली में हुए बोम्ब ब्लास्ट और लाहौर कांस्पीरेसी केस की वजह से लोग मेरा नाम जानने लगे, मेरे दोस्तों को लगा कि ये पॉपुलैरिटी मेरे सर पर चढ़ गई है.

तो चलिए, मैं आपको सच बताता हूँ, मैं नास्तिक अचानक या अभी अभी नहीं बना हूँ, मैं जब कॉलेज में था तब से नास्तिक हूँ. मैं उन दोस्तों से नहीं मिला हूँ जो मुझ पर घमंडी होने का इलज़ाम लगाते हैं. मैं अच्छा स्टूडेंट नहीं था तो खुद पर गर्व करने का तो सवाल ही नहीं उठता. मैं पढ़ाकू या होशियार नहीं था, ना ही मैं मेहनती था. मैं बहुत शर्मीला लड़का था जो अपने भविष्य को लेकर हमेशा नेगेटिव ही सोचता था. हाँ मैं ये कह सकता हूँ कि मैं शुरू से नास्तिक नहीं था.

प्वाइंट विवरण
शुरुआत भगत सिंह ने अपनी आरंभिक शिक्षा आर्य समाज के स्कूल में की और गायत्री मंत्र का पाठ किया।
विचारों में बदलाव भगत सिंह ने नेशनल कॉलेज में एडमिशन लिया और वहां विचारों में बदलाव आया।
रेवोल्यूशनरी पार्टी भगत सिंह रेवोल्यूशनरी पार्टी के सदस्य बने और यहां से उनका दृष्टिकोण और विचार अधिक मजबूत हुआ।

निष्कर्ष

भगत सिंह ने अपने विचारों को तर्क और अनुभव के आधार पर विकसित किया और अपने समय में प्रचलित सामाजिक मान्यताओं को चुनौती दी। वह एक महान भारतीय हीरो थे जिन्होंने अपने जीवन को देश की आज़ादी के लिए समर्पित किया।

Bhagat Singh's Thoughts

Bhagat Singh's Ideals

बदले में कुछ नहीं हमेशा के लिए चले जाएंगे, और कुछ नहीं होगा.

चाहिए, कोई इनाम नहीं चाहिए ना इस जन्म में ना किसी अगले जन्म में, मैंने अपना जीवन अपने देश की आजादी के लिए लगा दिया क्योंकि मैं बस वही चाहता था. अपने जीवन को लोगों की सेवा और मदद करने में लगाना, पूरे मन से लोगों के दुखों को दूर करना वो भी बिना किसी इनाम की चाहत में, जैसे की अगले जन्म में राजा बनना या स्वर्ग में रहने की इच्छा रखना, यही सच्ची सेवा है और सबसे महान काम है, क्या इसमें आपको घमंड नज़र आता है?

क्या इस महान काम को करने में आपको कहीं भी घमंड दिखता है? नहीं, बिलकुल नहीं.

हमें उन लोगों को माफ़ कर देना चाहिए जो इस गहरी बात को समझ नहीं सकते, महसूस नहीं कर सकते. जो मुझ पर इलज़ाम लगाते हैं उनके पास बस कहने के लिए दिल है मगर भावनाएं नहीं.

Misunderstood Intentions

ये बहुत दुःख की बात है कि मेरा खुद पर जो भरोसा है उसे घमंड समझा गया. ये बात तकलीफ देती है लेकिन आप दूसरों की सोच को कंट्रोल नहीं कर सकते. अगर किसी बात पर सवाल उठाओ या किसी बड़े आदमी के खिलाफ कुछ बोलो तो इसे आपका घमंड कहा जाता है. लोग सोचते हैं कि ये खुद को बहुत बड़ा और महान समझता है. क्या ऐसी सोच अन्धविश्वास नहीं है?

एक रेवोल्यूशनरी होने के कारण मैं आज़ाद ख्यालों वाला हूँ. मुझे पुरानी बातों और सोच को चैलेंज करने का हक होना चाहिए.

एक्जाम्पल के लिए गांधीजी की बात करते हैं. क्योंकि वो एक महान इंसान थे उनके खिलाफ कोई कुछ नहीं बोल सकता. उन्होंने पॉलिटिक्स, इकोनॉमिक्स, एथिक्स और रिलिजन के बारे में जो भी कहा सब ठीक ही होगा. कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप उनकी बात से सहमत हैं या नहीं, बस आपको उसे सच मान कर अपनाना होगा.

Challenging Established Beliefs

क्या इस तरह की सोच हमें कभी आगे बढ़ने देगी? मुझे पक्का पता है कि बिलकुल नहीं, ये आज़ाद सोच तो नहीं है, ये तो बस एक रिएक्शन है. ये अन्य विश्वास जैसा ही है. ये वैसा ही है जैसे आप भगवान् की पूजा करते जा रहे हैं क्योंकि आपके घर के बड़ों ने ऐसा किया था.

साफ़ बता चुका हूँ कि घमंड मेरे नास्तिक होने का कारण नहीं है, इसे पढ़ने वाले रीडर्स पर डिपेंड करता है कि वो मेरे जवाब से सतुष्टं हैं या नहीं.

मैं ये भी जानता हूँ कि इस समय भगवान् पर भरोसा करने से मुझे शक्ति मिलेगी, मेरी मुसीबत कुछ कम हो जाएगी. इस तकलीफ में भी आनंद आने लगेगा प्यार में तो नास्तिक हूँ इसलिए मुश्किल और चीजे रूखी सुखी हैं. अपने फ्यूचर का सामना करने के लिए मुझे किसी अन्धविश्वास की ज़रुरत नहीं है. मैं मुक्ति पाने की इच्छा में खुद को खोना नहीं चाहता.

Facing Reality

मैं रियलिटी में मेरी किस्मत में जो लिखा होगा मैं उसे एक्सेप्ट कर लूगा और मैं इसे कारण को सोच समझ कर एवसेप्ट करूंगा. ये थोडा मुश्किल है पर मैं पूरी कोशिश करूंगा कि मैं सफल हो जाऊं, लेकिन में जीना चाहता हूँ.

अगर मेरे नास्तिक होने का कारण घमंड नहीं है तो फिर क्या है? अब में इसका जवाब देने जा रहा हूँ. पुराने समय के लोगों के पास इस दुनिया के राज को समझाने का कोई तरीका नहीं था इसलिए उन्होंने भगवान् के होने का आईडिया निकाला. उनके पास कोई सबूत नहीं था कि सूरज कैसे उगता है और कैसे शाम होने पर ढल जाता है, उन्हें पता नहीं था की बारिश क्यों होती है या आग कैसे काम करता है.

Origin of Beliefs

इसलिए हर एक ने अपनी बात को समझाने के लिए अलग अलग बातें बनानी शुरू कर दी. सारे मुस्लिम और क्रिस्चियन आज अपने भगवान् से पूछिए. उन्हें सारी पुरानी बातें बताइए जैसे जितनी भी लड़ाईयां हुई हैं, बाढ़ और सूखा पड़ा है, भूकंप और तूफ़ान आया है, अभी जो हो रहा है उसके बारे में भी बताइए जैसे टेररिज्म, गरीबी और बच्चों के साथ गलत व्यवहार, क्या तब भी आपके भगवान “सब अच्छा है” कहेंगे?

दुनिया में हर जगह लोग गन्दी बस्ती में भूख से मर रहे हैं. लोगों से ज्यादा काम करा कर उन्हें कम पैसे दिए जा रहे हैं. अमीर और अमीर होते जा रहे हैं, उन्होंने गरीबों का जीना मुश्किल कर रखा है.

हर रोज से ज्यादा जो सामान बनता है उसे समुद्र में फ़ेंक दिया जाता है. उसे बनाने वाले लोग गरीब हैं और उन्हें देने की बजाय इतना सामान फेंक दिया जाता है, लोगों को गुलाम बना कर उन्हें सताया जा रहा है और हम राजाओं की बड़ी बड़ी मूर्तियाँ बनाते हैं, उनका सम्मान करते हैं.

The Role of God in Suffering

जब भगवान को ये सब पता है, क्या वो अब भी कहेंगे “सब अच्छा है”? भगवान् इन सभी दुखों का क्या कारण बताते हैं? चुप क्यों हो गए, कोई जवाब नहीं हैं ना आपके पास, अब मैं हिन्दुओं से पूछता हूँ, आप कहते हैं कि आज अगर कोई दुख झेल रहा है तो इसका कारण उसके पिछले जन्म के बुरे काम है, आप का मानना है कि जो आज राजा बन कर पैदा हुए हैं वो पिछले जनम में साधू संत थे इसलिए ये उनके अच्छे काम का फल है.

Faith Explanation Criticism
Christianity God has a plan Why does suffering persist?
Hinduism Karma and rebirth Why are the poor blamed for past lives?

तो हिन्दुओं से मैं ये कहूंगा कि आपके दादा परदादा बहुत होशियार थे, उन्होंने इतनी चतुराई से एक ऐसा सिस्टम बनाया जिसमें बहाना बना कर बचा जा सके, पर देखते हैं इनकी ये सोच कैसे सवालों का जवाब दे पाती है.

मेरे प्यारे हिन्दुओं ये मैं आपसे से कह रहा हूँ. अगले और पिछले जन्म की बातें उन लोगों ने बनाई है जिनके पास पॉवर है, पैसा है. वो सिर्फ अपना पॉवर, अपनी पोजीशन बचाने के लिए ऐसी बातें करते हैं.

वो अपने से नीचे जो लोग हैं उन्हें ये जताना चाहते हैं कि वो सुखी हैं क्योंकि पिछले जन्म में उन्होंने अच्छे काम किये थे और वो गरीब हैं क्योंकि उन्होंने सिर्फ पाप किया था.

और बेचारे गरीब वो अपना हक भी मांगने से डरते हैं, उनमें इसे बदलने की हिम्मत ही नहीं है. ये अमीर पावरफुल लोगों और रिलीजियस लीडर्स ने ऐसा सिस्टम बनाया है जिसमें पिछले जन्म और सज़ा जैसी बातें बताई जाती है जिससे लोगों के मन में डर बैठ जाता है.

Challenging Power Dynamics

गरीबों ने कोड़ों की मार, जेल, फांसी की सजा और कभी ना ख़त्म होने वाली गरीबीको स्वीकार कर लिया है क्योंकि वो समझते हैं कि उन्होंने हमेशा पाप ही किया इसलिए वो इसी के लायक हैं. इसलिए ज्ञान देने वाले और अमीर इस दुनिया के 99% चीज़ों और पैसों पर अपना हक़ जमा के बैठे हैं.

हिन्दुओं में आपसे पूछता हूँ, जब आपके भगवान् सब देख रहे हैं तो वो लोगों को गलत काम क्यों करने देते हैं, उन्हें रोकते क्यों नहीं? अगर वो चाहें तो उन्हें रोक सकते हैं. क्योंकि जंग में मासूम लोगों की जान चली जाती है? उन्होंने खुद ऐसे राजाओं को क्यों नहीं मारा या उनके अन्दर की बुराई को क्यों नहीं मारा? भगवान् ये जंग होने से रोकते क्यों नहीं?

भगवान् ब्रिटिश सरकार का मन क्यों नहीं बदल देते ताकि वो खुद ही भारत छोड़ कर चले जाएँ? अमीर और सेठ के दिल में लालच खत्म क्यों नहीं करते ताकि जनता चैन से एक अच्छी जिंदगी जी सके?

Responsibility and Action

मेरे प्यारे भारतीयों, मैं आपसे कहता हूँ. ब्रिटिश हम पर इसलिए राज नहीं कर रहे क्योंकि भगवान् की मर्जी है बल्कि ये इसलिए है क्योंकि हम उन्हें रोकने की कोशिश ही नहीं करते, हम उनसे लड़ते ही नहीं.

हाँ, उनके पास गन, राइफलं, बोम्ब, बुलेट सब है मगर वो इसलिए सफल हुए क्योंकि हमने लड़ने की कोशिश नहीं की, हम अपनी परवाह ही नहीं करते, हमें बस सहने की आदत पड़ गई है.

उन्होंने हमारे देश को लूटा क्योंकि हमने उन्हें ऐसा करने दिया. इन सब में तुम्हारे भगवान् कहाँ हैं, क्या कर रहे हैं वो? क्या वो सिर्फ देख रहे हैं और हमारे दर्द का मज़ा ले रहे हैं? अगर ऐसा है तब तो वो बहुत जालिम है बिलकुल नीरो की तरह.

Understanding Creation

चलिए अब बात करते हैं कि ये दुनिया कैसे बनी. अगर मैं नास्तिक हूँ तो मैं कैसे समझाऊँ कि ये यूनिवर्स कैसे बनी? मैं कैसे समझाऊ के आदमी का जन्म कब हुआ कैसे हुआ? मेरे पास एक सिंपल जवाब है.

क्रिएशन नेचर का एक प्रोसेस है. हज़ारों साल पहले, यूनिवर्स में घूमने वाले डस्ट पार्टिकल्स और अलग अलग तरह की गैस जब एक साथ आ कर जुड़ गयी तो एक बादल जैसा बन गया, इसे नेब्युला कहते हैं जिससे फिर हमारा earth बना. ऐसे ही एनिमल्स और आदमी का जन्म हुआ.

चार्ल्स डार्विन की बुक “ओरिजिन ऑफ़ स्पीशीज” में बताया गया है कि जब कुछ आर्गेनिक सब्स्टन्स (तत्व) साथ मिले तो एक सिंपल जीव बना. पानी में बैक्टीरिया से फिर प्लांट्स, मछलियाँ, फिर अम्फिबियन (जो पानी और ज़मीन दोनों में रह सकते हैं), reptiles (जो अंडे देते हैं), बर्डस और मैमल्स (जो अंडे नहीं देते बच्चे को जन्म देते हैं) वे डेवेलप हुए. आदमी का जन्म नेचर में बदलाव और डेवलपमेंट के कारण हुआ।

Explaining Genetic Differences

अब आप कहेंगे कि कुछ लोग जन्म से बीमार हैं या उनकी बॉडी में कोई कमी क्यों है? अगर में नास्तिक हूँ तो में कैसे समझाऊंगा कि कोई बच्चा पैदा चल फिर क्यों नहीं सकता, कुछ बच्चे देख क्यों नहीं सकते?

क्या इसलिए कि उसने पिछले जन्म में पाप किये थे? डॉक्टर्स ने इसका कारण खोज लिया है. जन्म के समय कोई भी कमी चाहे वो बॉडी की हो या माइंड की, सबका कारण genes होता है जो हमें हमारे पेरेंट्स से मिलता है. कभी कभी genes की वजह से या प्रेगनेंसी के समय कुछ कमियाँ रह जाती हैं. ये कोई पिछले जन्म के कारण नहीं होता है.

अब आप मुझसे पूछेंगे कि अगर भगवान है ही नहीं तो इसानों को ये थॉट कैसे आया? मेरा जवाब सिंपल है. लोग भगवान् पर वैसे ही विश्वास करते हैं जैसे वो भूत प्रेत पर करते हैं. ये सिर्फ कहानियों और इमेजिनेशन के कारण बना है.

The Origin of God and Belief

भगवान् में और भूत प्रेत में बस यही फर्क है कि सबका मानना है कि भगवान एक अच्छी फर्ज हैं और सिर्फ अच्छा काम ही करते हैं. इस सोच को इतना गहरा और मज़बूत बनाया गया है कि ये अब तक कायम है.

इंसान में रिलिजन को ज़िन्दगी की मुसीबतों का सामना करने के लिए बनाया, उसने भगवान् को माता, पिता, भाई, बहन का नाम दिया ताकि अगर कभी वो बिलकुल अकेला पड़ जाए, जब सब दोस्त और फैमिली साथ छोड़ दे, तब भी उसे लगे कि ऊपर कोई है जो हमेशा उसके साथ है और वो भगवान् बहुत शातिशाली है, जो कभी धोखा नहीं देंगे.

इस सोच से इंसानों को शान्ति मिलती है कि वो कभी अकेला नहीं होगा, भगवान् उसका साथ कभी नहीं छोड़ेंगे. पुराने समय के लोगों को इस सोच से मदद मिलती थी. इसलिए हम कह सकते हैं कि इंसान ने भगवान् में विश्वास सिर्फ इसलिए किया ताकि वो उनके दुःख को खत्म करने में उनकी मदद कर सकें.

Living as an Atheist

अगर कोई इंसान रियलिटी में जीना चाहता है या नास्तिक होता है तो वो सिर्फ खुद पर विश्वास करता है, यही सोच मेरी भी है. इसलिए मैं इस बात पर कहना चाहता हूँ कि घमंड ने मुझे नास्तिक नहीं बनाया, हर बात को टेस्ट करना, उसे समझना और फिर उस पर विश्वास करने की सोच ने मुझे नास्तिक बनाया है.

सिर्फ इसलिए कि मौत सामने है मैं प्रार्थना करने लगू तो ये और भी ज्यादा गलत होगा. मेरे हिसाब से, प्रार्थना करना इंसान की सबसे सेल्फिश आदत है खुद को बचाने के लिए करता है, प्रार्थना में वो हमेशा कुछ ना कुछ मांगता ही रहता है.

मैंने मेरे जैसे दूसरे नास्तिक लोगों के बारे में पढ़ा है जिन्होंने मुसीबत का बहादुरी से सामना किया. इसलिए मैं अपना सर उठाकर हिम्मत से फांसी की सजा को हंस कर गले लगाऊंगा, एक दोस्त ने मुझसे कहा कि देखना मरने से पहले तुम ज़रूर प्रार्थना करोगे. पर मैंने कहा नहीं ऐसा कभी नहीं होगा.

Standing by Beliefs

ऐसा करने से मैं बस डरपोक और झूठा ही कहलाऊंगा. मैं अपनी बात पर अंत तक खड़ा रहूँगा, मैं प्रार्थना नहीं करूंगा. अगर अभी भी मेरे रीडर्स को लगता है कि ये मेरा घमंड है, तो यही सही.

Conclusion

तो इस बुक में आपने भगत सिंह के बारे में पढ़ा. आपने समझा कि वो नास्तिक क्यों थे. आपने समझा कि ये उनका घमंड नहीं था बल्कि उनकी आज़ाद सोच थी. आपने जाना कि भगत सिंह के हिसाब से इंसान ने भगवान् को सिर्फ इसलिए बनाया है ताकि वो मुसीबत से उसे बचा सकें, शायद अब हमें सोचने की ज़रूरत है कि क्या नास्तिक होना गलत है?

अगर आप भगवान् पर विश्वास नहीं करते तो क्या इसका मतलब ये है कि आप लोगों पर हुकुम चला रहे हैं या खुद को भगवान् समझ रहे हैं? क्या इसका मतलब ये है कि आप बुरे इंसान हैं? भगत सिंह लोगों की ज़िन्दगी बदलना चाहते थे, उसमें सुधार करना चाहते थे. वो चाहते थे कि गरीबी हट जाए.

इंडिया आज़ाद तो हो गया है लेकिन एक स्ट्रोंग डेवलप्ड देश बनने के लिए हम अभी भी मुश्किलों का सामना कर रहे हैं. भगत सिंह से कुछ लेना चाहते हो तो ये सीख लो कि हमें खुद अपने पैरों पर खड़ा होना होगा और मेहनत करके अपने गोल को पाना होगा, कोई भगवान् या कोई एनर्जी ये आपके लिए नहीं कर सकती.

हमारे देश का भाग्य हमारे हाथों में है, इसे बचाने और आगे बढ़ाने की ज़िम्मेदारी हमारी है. आप सफल होते हैं या नहीं ये सिर्फ आप पर डिपेंड करता है, किसी और पर नहीं.

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