About Book
प्रेजेंटेशन हमारे लाइफ का एक ज़रूरी स्किल बन गया हैं. दुनिया के हर शख्स को प्रेजेंटेशन आना चाहिए. तो क्यों न इसे स्टाइल के साथ करें? आप जो भी प्रोडक्ट या बातें समझाना चाहते हैं, उससे लोगों का दिल क्यों न जीतें? इस समरी में, आप बिल्कुल स्टीव जॉब्स की तरह ऑडियंस का ध्यान अपनी ओर खींचना सीखेंगे.
इस समरी से कौन सीख सकता हैं?
एम्पलॉईस
सीईओ
स्टूडेंट्स
प्रोफेसर
टीचर
जो लोग लीडर बनना चाहते हैं
ऑथर के बारे में
कारमाइन गैलो एक अमेरिकन ऑथर हैं. वो बिज़नेस कम्युनिकेशन और लीडरशिप स्किल्स के एक्सपर्ट माने जाते हैं. गैलो ने 9 किताबें लिखी हैं जिसमें से सारे किताबों की बहुत ज़बरदस्त सेल हुई है. गैलो सिर्फ ऑथर ही नहीं बल्कि एक columnist, न्यूज़ एंकर और कीनोट स्पीकर भी हैं.
इंट्रोडक्शन
क्या आप कभी स्टेज पर गए हैं और आपको पता नहीं था कि क्या करना है? क्या आप जो समझाने की कोशिश कर रहे थे उसमें आपके ऑडियंस ने इंटरेस्ट नहीं दिखाया ?
क्या आपके पास कभी एक बेहतरीन आईडिया था जो पूरी दुनिया को बदल सकता था, लेकिन आप उसे ढंग से प्रेजेंट नहीं कर पाए और वो आईडिया यूँ
ही बर्बाद हो गया? अगर हाँ तो ये समरी आपके लिए हैं.
इस समरी में, आप जानेंगे कि स्टीव जॉब्स ने कैसे अपने करियर में कमाल किया, क्यों उनके “शो” बेहतरीन होते थे, और वयों उनके समय में एप्पल की सेल्स आसमान छूती थी. आप स्टीव जॉब्स की तरह ही प्रेजेंटेशन देने के लिए ज़रूरी सभी टिप्स और ट्रिक्स सीखेंगे. इन फैक्ट, आप उनसे बेहतर हो
सकते हैं और ये सब आप पर डिपेंड करता है.
एनालॉग में प्लान कीजिए
सभी डिज़ाइन एक्सपर्ट्स सज्जेस्ट करते हैं कि आप अपना ज्यादातर टाइम सोचने, स्केचिंग और
यानि इसे “एनालॉग तरीके से करना हमारे दिमाग को ज्यादा क्लियर और फ़ोकस में रखता है.
30-स्लाइड या एक घंटे के प्रेजेंटेशन के लिए लगभग 90 घंटे की तैयारी करनी चाहिए, उस टाइम
और प्रेजेंटेशन को स्केच करने पर खर्च करना चाहिए.
स्क्रिप्टिंग में बिताते हैं, ये सब काम कागज पर करना
के कम से कम 1/3 टाइम सिर्फ रिसर्च, सोच-विचार
प्रेजेंटेशन का आईडिया कितना भी कॉम्प्लिकेटेड क्यों न हो, इसे आसानी से नेपकिन या पोस्ट-इट नोट पर लिखा जा सकता है, एक
नैपकिन पावरपॉइंट से भी भी ज़्यादा ताकतवर हैं.
साउथवेस्ट एयरलाइंस की एक बहुत फेमस नैपकिन की कहानी हैं.
साधारण पेपर
हर्ब केलहर, एक वकील थे. तो एक दिन अपने क्लाइंट रोलिन किंग के साथ के साथ मिले. किंग के पास एक छोटा चार्टर एयरप्लेन था और उनके दिमाग एक सिंपल पर बहुत पावरफुल आईडिया था. वे एक एयरलाइन बनाना चाहते थे जो बड़े-बड़े हब के बजाय छोटे हब जैसे डैलस, ह्यूस्टन और सैन
एंटोनियो में अपनी सर्विस दे सके.
शब्दों और पॉइंट्स से भरे पॉवरपॉइंट प्रेजेंटेशन पर इतनी मेहनत करने के बजाय, किंग ने एक पेपर नैपकिन निकाला और तीन सर्कल खींचे, हर सर्कल का नाम लिखा था, और फिर उन्होंने उन तीन सर्कल को एक साथ जोड़ा. जब केल्हर ने नेपकिन देखा, तो वह तुरंत समझ गए केलहर ने फ़ौरन एक लीगल काउंसलर के हेसियत से साइन किया और बाद में उसी एयरलाइन के सीईओ बन गए. दो लोगों ने एक नैपकिन पर एक
म एक-एक कि किंग क्या चाहते हैं.
सिंपल पर क्लियर आईडिया रखा और साथ मिलकर एक एयरलाइन की शुरुवात की. ये एयरलाइन अब साउथवेस्ट एयरलाइंस हैं और अमेरिका में
सबसे सक्सेसफुल एयरलाइनों में से एक है.
किसी भी बेहतरीन प्रेजेंटेशन के नी एलिमेंट्स हैं.
पहला है हेडलाइन, जब स्टीव जॉब्स ने आइफोन लॉन्च करना चाहा, तो उनकी हेडलाइन थी, “Today Apple reinvents the phone” यानी “आज एप्पल फिर से फ़ोन का आविष्कार करेगा एक सिंपल और पावरफुल हेडलाइन ऑडियंस के दिल और दिमाग में धर कर लेती हैं, अपनी
हेडलाइन को छोटा रखिए पर ये ऐसा होना चाहिए जो लोगों को हमेशा याद रहे. दूसरा एलिमेंट है जुनून यानि पैशन, एरिस्टोटल का मानना है कि किसी भी सवसेसफुल
की
प्रेजेंटेशन के पीछे जूनून या पैशन होता हैं. आपको स्टीव जॉ्स
के नए प्रोडक्ट्स को लॉन्च करते हुए देखना चाहिए. आपको उनकी बातें बहुत अट्रैक्टिव और जूनून से भरा लगेगा. इस बारे में सोचिए कि
से मत डरिए. आप अपने प्रोडक्ट के बारे में पैशनेट क्यों है, और इसे शैयर करने से ार ऐसे ज़रूरी मेसेज चुनिए जिन्हें आपके ऑडियंस सालों बाद भी याद रखें, तीसरे एलिमेंट है तीन ज़रूरी मैसेज. अपने प्रेजेंटेशन के लिए तीन या
चौथा एलिमेंट है मेटाफर्स और अनालोजिस. मेटाफर ऐसे शब्द हैं जिनका अपना ही कुछ मतलब होता है लेकिन किसी और ही बात को कहने के लिए यूज़ किया जाता है. टेक कंपनी कैंपर स्काय (Kaspersky) के एक बहुत फेमस कैंपेन में, एक पुराने ज़माने के सैनिक को एक फुल सूट कवच पहनकर चलते हुए दिखाया गया था. इसमें एक हैडलाइन था, जिसमें कहा गया था, “”Don’tbe sad, you were very good, once upon a time’ यानी “दुखी मत हो, तुम किसी ज़माने में बहुत अच्छे थे.” ये हैडलाइन कैस्पर स्काय के कॉम्पिटिटर के लिए था जो अपने यूज़र्स को
वायरस से बचाने के लिए पुरानी टेक्नोलॉजी देते थे.
दूसरी ओर, अनालोजिस दो अलग-अलग चीजों की एक दूसरे से कम्पेरिजन करने के साथ-साथ उन दोनों में एक समान बात ढूंढ़ने के लिए की जाती हैं.
जैसे कि “माइक्रोप्रोसेसर आपके कंप्यूटर का दिमाग है.”
पांचवा एलिमेंट हैं डेमोस्ट्रेशन, जब स्टीव जॉब्स ने लेपर्ड ऑपरेटिंग सिस्टम की शुरुआत की तो उन्होंने कहा कि इसमें 300 नए फीचर थे. लेकिन सारे फीचर को प्रेस के सामने पेश करके उनको दस फीचर चुनने के लिए देने के बजाय खुद ही दस फीचर ढूंढे और इन फीचर को
उन्होंने इसके सारे हाईलाइट किया,
इसके अलावा, स्टीव जॉब्स ने उन 10 फीचर की लिस्ट ही नहीं बनाई बल्कि उन्हें समझाया भी, उन्होंने बैठकर ऑडियंस को दिखाया कि हरेक फीचर कैसे काम करती हैं. उन्होंने अपने प्रोडक्ट के फीचर को जिंदा किया था.
एक बेहतरीन प्रेजेंटेशन के लिए छठा एलिमेंट हैं -पार्टनर. जॉब्स हमेशा अपने पार्टनर्स के साथ स्टेज शेयर करते थे. एग्जाम्पल के लिए September
2005 में, जॉब्स अनाउन्स किया कि मैडोना के सारे गाने आई-ट्यून्स में मिलेंगे. मैडोना खुद ही स्टेज पर स्टीव के साथ इस लॉन्च में वेब कैमरा की मदद से शामिल हुई और ऑडियंस को इसके बारे में बताया.
सातवा एलिमेंट हैं कस्टमरों की गवाही और थर्ड पार्टी एन्डोर्समेंट या विज्ञापन. लोग जब बातों से आपके प्रोडक्ट के बारे में दूसरों के सामने बड़ाई करते हैं तो ये सबसे बढ़िया एन्डोर्समेंट है। हैं, खासकर अगर आपकी कंपनी छोटी है. लोग अपने प्रोडक्ट के बारे में दूसरों के राय जानना चाहते हैं. ये करने के लिए आप एक सिंपल सा छोटा वीडियो बना सकते हैं या फिर कस्टमर को स्टेज में इन्वाइट करके पूछ सकते हैं.
आंठवा एलिमेंट हैं वीडियो क्लिप. आमतौर पर स्टीव जॉब्स अपने प्रेसेंटेशन में वीडियो क्लिप्स शामिल करते थे जो ज्यादातर लोग नहीं करते थे. यहां तक कि उन्होंने टीवी पर दिखाए जाने वाले एप्पल के ad का भी यूज़ किया. उन्होंने ad को स्टेज पर यूज़ किया और कभी-कभी तो एक से ज्यादा बार भी चलाया, जब आप अपनी प्रेसेंटेशन में वीडियो का यूज़ करते हैं, तो लोग हैरान हो जाते हैं, वीडियो क्लिप आपके प्रेसेंटेशन को सबसे अलग बनाती हैं और आपके ऑडियंस का ध्यान खींचने में मदद करती है.
नौवां एलिमेंट हैं हैं, अपने प्रेसेंटेशन में फ्लिप चार्ट, प्रॉप्स और शो-एंड-टेल का यूज़ करना, आपकी सब तरह के लोगों तक अपने प्रोड़क्ट को पहुँचाना है इसलिए आपको उन तक पहुंचना चाहिए. ज्यादातर लोग किसी चीज़ को देखकर उसे बेहतर तरीके से सीखते हैं, और, कुछ ऐसे भी लोग होते हैं जो सुनकर ज़्यादा बेहतर सीखते हैं. वहीं, कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो चीज़ों को छूकर और उसका एहसास करके उसके बारे में सीखते हैं. जो लोग देखकर बेहतर सीखते हैं, उनके लिए फ्लिप-चार्ट सबसे अच्छा ज़रिया हो सकता हैँ. जो लोग किसी चीज़ को छुकर और उसका एहसास करके उसके बारे में सीखते हैं, वैसी ऑडियंस के लिए प्रेजेंटेशन के दौरान छने के लिए प्रॉप या प्रोडक्ट दिए जाए तो सबसे असरदार होगा. और आखिर में, शो-एंड-टेल दोनों टाइप के लोग जो चीज़ों को देखकर सीखते हैं और जो सुनकर सीखते हैं, उन्हें अपनी ओर खिंच सकता हैं.
सबसे ज़रूरी एक सवाल का जवाब दीजिए
स्टीव जॉब्स ने एक बार कहा था, आपको कस्टमर एक्सपीरियंस के साथ शुरुआत करनी होगी और टेक्नोलॉजी की दिशा में काम करना होगा, न
उलटे तरीके से.
कि
1998 में जब जॉब्स ने नया आईमैक लॉन्च किया, तो उन्होंने ठीक इसी बात को फॉलो किया. सबसे पहले, उन्होंने कंस्यूमर्स को बताया कि उनका ये प्रोडक्ट किसके लिए था और ये उनके लिए क्यों मायने रखता है. उन्होंने कहा कि आईमेक खास स्टूडेंट्स और टीचर्स के लिए से बनाया गया था. ये
कंस्यूमर्स को आसानी और जल्दी से इंटरनेट का यूज़ करने के लिए बनाया गया था. इसके बाद, जॉब्स ने अपने कम्पनी कॉम्पिटिटर्स की कमजोरियों
के बारे में बताया कि उनके नए आईमैक के सामने उनके प्रोडक्ट्स कितने स्लो हैं. जब एप्पल कम्पनी ने IBM के पावर पीसी चिप्स को इंटेल प्रोसेसर में बदला, तो एप्पल के अनाउन्स करने से पहले ही अफवाह फैलने लगी. ज्यादातर अखबार को चिंता थी कि ऐसी अफवाह फैलाना गलत हैं और उन्हें विश्वास नहीं हो रहा था कि एप्पल अपनी कॉम्पिटिटर इंटेल जैसे बड़े कम्पनी के
रहते हुए ऐसा कदम उठाएगा. प्रेस को यह भी समझ नहीं आ रहा था कि एम्पल ऐसा क्यों कर रहा है जबकि आईबीएम के पावरपीसी चिप्स इतने सक्सेसफुल थे.
अब जॉब्स के लिए मुश्किल काम था. उन्हें ऑडियंस के लिए एक सवाल का जवाब देना था, “हमें नए प्रोडक्ट की केयर क्यों करनी चाहिए? ये काम मुश्किल था, था, लेकिन जॉब्स के लिए यह आसान था. उन्होंने उस सवाल के जवाब से अपनी प्रेजेंटेशन की शुरुवात की. जॉब्स ने बताया कि एप्पल ने ऐसा मुश्किल कदम क्यों उठाया और उन्होंने ऑडियंस को दो साल पहले के एक कॉन्फ्रेंस का स्लाइड दिखाया जो उन्होंने अपने प्रेजेंटेशन में यूज़ किया था. ये एक ताकतवर कंप्यूटर की एक तस्वीर थी और उन्होंने वादा किया था कि एप्पल इसे बाजार में उतारेगा. और फिर,
जॉब्स ने अपने ऑडियंस से कहा कि एप्पल वादा करना चाहता है और वे आईबीएम के साथ रहकर ये वादा नहीं निभा सकते. इसीलिए अपने कस्टमर्स को खुश करने के लिए एप्पल Intel company के साथ हो गए.
जब आप अपने प्रेसेंटेशन के लिए तैयारी कर रहे होते हैं, आपको खुद से एक ज़रूरी सवाल करना चाहिए, ऑडियंस को इस बात से क्या मतलब है?” अगर आपका जवाब साफ़ हैं और इतना सिंपल हैं कि ये पांच साल के बच्चे को भी समझाई जा सके तो, 100 % गारंटी हैं कि आपकी ऑडियंस
आपकी सारी बात समझ जाएंगे.
एक रोड मैप बनाइए
जॉब्स ने पहली बार 2007 में आइफोन को इंट्रोड्यूस किया, कैसे? चलिए, बताते हैं. जॉब्स ने स्टेज पर जाकर ऑडियंस से कहा कि आज एप्पल एक
नहीं तीन डिवाइस इंट्रोड्यूस करेगा.
जॉब्स ने कहा कि एप्पल का पहला डिवाइस एक आइपॉड है जिसमें वाइडस्क्रीन और टच कंट्रोल हैं. ऑडियंस ये सुनकर खुश हुए. तब उन्होंने कहा कि एप्पल का दूसरा डिवाइस एक बिलकुल ही नए टाइप का फ़ोन होगा. ऑडियंस ने फिर से खुशी मनाई और आखिर में, कहा कि तीसरा डिवाइस एक
इंटरनेट कम्युनिकेशन डिवाइस होगा. लेकिन, इस तीसरे डिवाइस के बारे में सुनकर ऑडियंस ने खुशी नहीं दिखाई. ऑडियंस को इस बारे में और ज़्यादा
डिटेल्स चाहिए थी,
जॉब्स ने अपनी बात ज़ारी रखते हुए फिर से कहा, एप्पल एक वाइडस्क्रीन और टच कंट्रोल वाला आइपॉड, एक बिलकुल ही नए टाइप का फोन और एक इंटरनेट कम्युनिकेशन डिवाइस बाजार में उतारने वाली हैं. ये सुनकर भी ऑडियंस ने कोई रिएक्शन नहीं दिया. उन्होंने इसे फिर से दोहराया “हम एक थाइडस्क्रीन और टच कंट्रोल आइपॉड, एक फोन और एक इंटरनेट कम्युनिकेशन डिवाइस ला रहे हैं. क्या आप लोगों को ये समझ नहीं आ रही? ये तीन अलग डिवाइस नहीं हैं. ये सब एक डिवाइस में हैं और हम इसे आईफोन नाम दे रहे हैं.” ऑडियंस अबकी बार बहुत खुश हुई. वे इस बार पहले से
कहीं ज्यादा खुश थे.
एक वर्बल रोड मैप बनाने के लिए. आपको अपने प्रेजेंटेशन में जिस प्रोडक्ट के बारे में भी कहना हैं , उस बारे में आपको तीन सिंपल लेकिन पावरफुल पॉइंट्स बनाने हैं. जब आप पहली बार मंच पर आते हैं, तो अपने ऑडियंस को बताइये कि आप उन्हें 5 पॉइंट्स बताने जा रहे हैं. और अगर आप एक पॉइंट मिस कर गए तो यह गारंटी है कि ऑडियंस आपसे पूछेंगे, “क्या आपने नहीं कहा कि वे 3 पॉइंट्स थे?” तीन पॉइंट्स को फालो करना इजी हैं और ये इतना पावरफुल हैं कि इससे आपके ऑडियंस का इंटरेस्ट बना रहेगा,
साइंस के हिसाब से तीन का रूल एक बहुत पावरफुल टूल हैं जिसकी मदद से आप ऑडियंस को किसी भी चीज़ के बारे में बता और समझा सकते हैं.
प्रोफेशनल्स को पता हैं कि चार या दो पॉइट नहीं, बल्कि तीन पॉइंट्स बनाना ही सबसे बेहतरीन रिजल्ट देता हैं. आपने देखा कि स्टीव जॉब्स ने किस
पावरफुल ढंग से iphone को लॉन्च किया.
अपने अंदर के जेन के लिए रास्ता बनाइए.
जॉब्स का कॉन्सेप्ट था कि उन्हें अपने प्रोडक्ट्स से अनचाही और गैर-जरूरी बातों को निकालना चाहिए. वे अपनी स्लाइड को डिजाइन करते वक्त उसी
कॉन्सेप्ट को फॉलो करते थे.
आप को लग सकता है जब कोई प्रेसेंटर अपनी स्लाइड में ज्यादा पिक्चर और कम शब्दों का यूज़ करता है, तो वो आलसी होता है. लेकिन सच्चाई इससे बिल्कुल उलटी है. जब कोई प्रेसेंटर अपनी स्लाइड पर ज्यादा शब्द यूज़ करता है तो वो आलसी होने की निशानी हैं क्योंकि आप जितने ज्यादा शब्द यूज करेंगे, आपको उतनी ही कम बात करनी पड़ेगी. जॉब्स के प्रेसेंटेशन में कभी बुलेट पॉइंट्स नहीं होते थे क्योंकि उन्हें लगता था कि बुलेट पॉइंट्स किसी भी इनफार्मेशन को देने का असरदार तरीका नहीं
हमारा दिमाग जिस बढ़िया ढंग से ऑडियो और विजुअल के साथ काम करता वो स्लाइड में लिखे बुलेट पॉइंट्स पढ़ने से नहीं करता.
एक आम पॉवरपॉइंट प्रेजेंटेशन आपको जितने चाहे उतने बुलेट पॉइंट्स यूज़ करने का बढ़ावा देता हैं. देखा जाए तो ये ऐसा डिज़ाइन हैं जो हमारे दिमाग
को ढेर सारे इनफार्मेशन से भर कर उसे थका देता हैं. हमारा दिमाग जैसे बना हुआ हैं, वो कम से कम एनर्जी खर्च करना चाहेगा. इसलिए, उन बुलेट
पॉइंट्स को फेंक दीजिए. ये स्लाइड्स जिनमें टेक्स्ट भरे होते हैं, एक्सपर्ट डिज़ाइनर गार रेनॉल्ड्स (Carr Reynolds) ने इनको “स्लाइडयुमेंट्स” (“Slideuments”) नाम दिया हैं. ये “स्लाइड्स” और “डाक्यूमेंट्स” को एक साथ मिलाने कि कोशिश हैं. स्लाइडयुमेंट्स को यूज़ करने से आपके ऑडियंस का इंटरेस्ट कम हो जाता हैं.
“ज़िप्पी वर्ड्स का इस्तेमाल कीजिए
2008 में, जब जॉब्स ने नए अपग्रेड किया गया आईफोन को इंट्रोड्यूस किया तो उन्होंने बताया कि ये अब 30 को सपोर्ट करता हैं. ये बहुत तेज़ नेटवर्क
जिसकी 744 kbps के बजाय 3 Mbps की ट्रांसफर स्पीड हो सकती हैं और जो पुराने 2g से भी सपोर्ट होता हैं, जॉन्स ने ये भी कहा कि पुराने iPhone से ये दोगुना तेज था. और फिर, उन्होंने ये कहते हुए अपनी बात खत्म की ये अमेजिंगली ज़िप्पी है!” जब जॉब्स किसी प्रोडक्ट के बारे में बात करते हैं, तो वे ऐसे शब्दों का यूज़ करते हैं जो दूसरे कंपनियों द्वारा यूज होने वाले शब्दों से बिलकुल हटकर और
अलग होते हैं. सिर्फ जॉब्स ही कुछ ऐसा कह सकते हैं, “ये अमेजिंगली जिप्पी है।” एक बार, उन्हें एप्पल के नए मैक ऑपरेटिंग सिस्टम के बारे में पूछा गया था तो जॉब्स ने कहा, “स्क्रीन पर लगे बटन अब इतने अच्छे लगते हैं कि आप
उसे खाना चाहेंगे.”
जब किसी सिंपल, मजेदार और आसानी से समझने वाले शब्दों के यूज़ करने की बात आती है तो उसमें जॉब्स एक एक्सपर्ट है. सिएटल पोस्ट इंटेलिजेंसर (Seattle Post intelligencer. टॉड बिशप ने एक सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करके स्टीव जॉब्स और बिल गेट्स के
प्रेजेंटेशन में इस्तेमाल होने वाले भाषा, उनके लैंग्वेज ko एक दूसरे से कम्पेयर किया. उस सॉफ्टवेयर ने उनके लैंग्वेज को कई पहलुओं में नापा. जैसे कि उनके लैंग्वेज में मुश्किल वर्ड्स का कितना परसेंटेज था, उनके लैंग्वेज समझने के
लिए कितनी पढ़ाई- लिखाई की ज़रूरत पड़ती हैं.
सॉफ्टवेयर ने साबित किया कि जॉब्स की लैंग्वेज ने गेट्स के कम्पेरिज़न में बहुत बेहतर स्कोर किया.
आप शायद ये सोच सकते हैं कि गेट्स इस दुनिया के सबसे अमीर लोगों में से एक हैं इसलिए वे मुश्किल वर्ड्स यूज़ करें या न करें, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, लेकिन आप गेट्स नहीं हैं और आपने विंडोज नहीं बनाया. अगर ऑडियंस गेट्स के स्पीच में से मुश्किल शब्दों को यूँ ही जाने देते हैं तो ज़रूरी नहीं कि aapke ऑडियंस भी आपके लिए ऐसा ही करें,
स्टेज शेयर कीजिए
जब जॉब्स ने एप्पल के नए इंटेल प्रोसेसर का अनाउन्समेंट किया तो स्टेज में अचानक धुआं भर गया, और फिर एक शख्स फेमस इंटेल बनी सूट पहन
कर आया. बाद में वह शख्स इंटेल का सीईओ निकला. उन्होंने जॉब्स से हाथ मिलाया और कहा कि इंटेल इस बदलाव के लिए तैयार हैं और तब जॉब्स ने जवाब
दिया कि एप्पल भी तैयार हैं.
उन दोनों ने टेक्नोलॉजी और हार्डवर्क के बारे में बात की जो दोनों कंपनियों ने इस तरह के कंप्यूटर को बाजार में उतारने के लिए किया था, उसके बाद, जॉब्स ने एक सरप्राइज अनाउन्स किया. उन्होंने कहा कि इंटेल प्रोसेसर वाले मैकबुक को आज ही लॉन्च किया जाएगा, न कि जून में जैसा कि पहले अनाउन्स किया गया था.
जॉब्स अपने पार्टनर्स और एम्पलॉईस के साथ स्टेज शेयर करना पसंद करते हैं. शायद ही उन्होंने कभी अकेले स्टेज शो किया हो. इंसान का दिमाग क्रिएटिविटी और इंटरेस्टिंग चीजों के लिए तरसता है. आप जितना भी चाहे इंटरेस्टिंग क्यों न हो, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता अगर आप
स्टेज पर अकेले ही जाना पसंद करते हैं. आप कभी जॉब्स जैसे शो नहीं चला सकते. इसलिए आपको अपने पार्टनर्स, एम्पलॉईस, दोस्तों या फिर किसी ऐसे शख्स को इट्रोड्यूस करना चाहिए जिसका आपके काम से कुछ लेना-देना हो.
मास्टर स्टेज प्रेज़ेन्स
जब जॉब्स ने अपनी एक प्रेजेंटेशन पर एटीएंडटी के सीईओ स्टैन सिगमैन को इंट्रोड्यूस किया. स्टेज में सिगमैन ने कुछ अच्छा परफर्म नहीं किया. जब वे बात कर रहे थे, उनके हाथ लगातार उनकी जेब में थे और पूरे छह मिनट तक अपने नोट्स को पड़ते हुए बात की. सिगमैन की कुछ मिनटों की बातें को सुनना ऐसे लगा मानो एक घंटा बीत गया हैं. जब जॉब्स वापस स्टेज पर लौटे तो ऑडियंस ने राहत की सांस ली. ऑडियंस ने जॉब्स को मिस किया था और उनके एनर्जी को भी मिस किया,
जॉब्स सिर्फ सही वर्ड्स का यूज़ करते हैं, वे ऑडियंस का ध्यान अपनी और खींचने के लिए सही हाव-भाव और सही बॉडी लैंग्वेज का भी यूज़ करते है
उससे ऑडियंस
और वे जो कुछ भी कहते हैं उससे करना, इन सबकी आपको प्रेजेंटेशन में ज़रूरत पड़ती है.
का इंट्रेस्ट बनाए रखते हैं. याद रखिए – आई कांटेक्ट, सही बॉडी पोस्चर और सही हाथों के इशारों का यूज़
आइये आई कांटेक्ट के बारे में बात करते हैं. आपको कभी भी अपने स्लाइड्स से नहीं पढ़नी चाहिए. ऐसा करने से आप बहुत ही बोरिंग लगेंगे और इसकी गारंटी है कि आपके ऑडियंस आपको फौरन स्टेज छोड़ते हुए देखना चाहेंगे. जब जॉब्स प्रेसेंटेशन देते हैं, तो दे स्लाइड पर नज़र रखते तो हैं पर फिर फ़ौरन अपने ऑडियंस के तरफ देखने लगते हैं.
अपने ऑडियंस के साथ आई कांटेक्ट रखने से आपके प्रेजेंटेशन में ऑडियंस को अपनापन महसूस होता है. उन्हें ऐसा लगता है जैसे कि आप उस रूम के हरेक शख्स से बात कर रहे हैं. इससे आपके प्रेसेंटेशन और उसकी टॉपिक और भी इंटरेस्टिंग बन जाएगी.
चलिए सही बॉडी पोस्चर की बात करते हैं. अपने ऑडियस से बात करते वक्त जॉब्स अपना जैसा पोस्चर बनाते हैं उसको ओपन पोस्चर कह सकते हैं. जब जॉब्स स्टेज पर खड़े होते हैं, तो वे और ऑडियंस एक दूसरे को साफ-साफ देख सके, ऐसा इंतज़ाम किया जाता है.
उनके बीच कोई भी ब्लॉक नहीं होता. इसके अलावा, वे कभी भी अपने हाथ को पीछे नहीं रखते. वे अपने हाथों के इशारे का भी यूज़ करते हैं. जब भी जॉब्स कुछ समझाते हैं, तो वे सिंपल और पावरफुल शब्दों का यूज़ करते हैं, और अपने हाथों के इशारे से अपनी बालों को और भी असरदार बनाते हैं. आपको एक बहुत इम्पोर्टेन्ट बात का ध्यान रखना हैं. आपके हाथों के इशारे ऐसे नहीं लगने चाहिए कि आपने इसका रिहर्सल किया है या फिर किसी रोबोट जैसे नहीं लगने चाहिए, नहीं तो आपके ऑडियंस को ऐसा लग सकता हैं कि आपका सारा परफॉरमेंस नकली है और वे पूरी तरह से अपना इंटरेस्ट खो देंगे,
मजे कीजिए
जब जॉब्स ने नया O5X लॉन्च किया, तो उन्होंने एक जोक बनाया!
कांफ्रेंस की शुरुआत में स्टेज में एक कॉफिन था, जॉब कहीं नहीं दिखाई दे रहे थे. अचानक, जॉब्स कॉफिन से बाहर आए और उसमें से 059 की बड़ी सी फोटो निकाली, ऑडियंस को इस जोक पर हंसी आ गई लेकिन जॉब्स ने अपने मजाक को जारी रखा. उन्होंने फोटो को पकड़कर और O59 के लिए ऐसे अच्छी बात कही जैसे किसी के गुज़रने के बाद उन्हें याद कर अच्छी बातें कहते हैं, जॉब्स ने ये कहकर अपनी बात शुरू की कि 05 9 कितना शानदार था सिवाय इसके कि वो खुद को भूल जाता था कि वो कौन है और खुद ही फिर से
स्टार्ट हो जाता था. स्टीव ने सबको थोड़ी देर के लिए मौन रखने के लिए कहा और फिर से OS9 को वापस कॉफिन में डाल कर बंद किया. और, उसके ऊपर फूल डाले. ऑडियंस इस पर और ी आडियस
जॉब्स अपना बहुत सा टाइम रिहर्सल करने, क्लटर हटाने और अपने शो ऑर्गनाइज़ करने में बिताते हैं लेकिन फिर भी दे कभी भी मस्ती करना नहीं
भूलते. कभी-कभी चीजें उनके हिसाब से नहीं होते. लेकिन स्टीव जॉब्स जैसे प्रो और कोई साधारण प्रेसेंटर के बीच जो एक बड़ा अंतर है वो है दोनों का अपने गलतियों से डील करने की आदतों में. जब भी कोई गलती होती है तो जॉब्स घबराते नहीं हैं. इसके बजाय, वे बहुत कॉन्फिडेंस के साथ अपने रिएक्शन देते है और यहां तक कि वे इस वाकये के बारे में मजाक भी करते हैं.
इससे आपको जो सीखने की जरूरत है वो ये है कि गलतियाँ होना आम बात हैं. लेकिन, जिस तरह से आप इन गलतिथों पर अपना रिएवशन ये। है, फर्क उसी से पड़ता है. अगर गलती हो भी जाए तो स्टेज पर माफी मत मांगिए. आपकी गलतियों को सबके सामने जाहिर करने से किसी को कोई फायदा नहीं होगा, इसके बजाय, इस गलती को मानिए स्माइल कीजिए और आगे बढ़िए.
देते
कन्क्लू जन
आपने सीखा कि पहला कदम है प्रेजेंटेशन की तैयारी. इसमें रिसर्च, डूडलिंग, पेपर पर लिखना जैसे काम शामिल हैं. एनालॉग का यूज़ करने से आपको
ज़्यादा फोकस और क्लेरिटी मिलेगी.
आपने यह भी जाना कि किसी भी प्रेजेंटेशन में 9 मैन एलिमेंट्स होते हैं जिन्हें आप अप्लाई कर सकते हैं. ये हैं हेडलाइन,पैशन स्टेटमेंट, तीन मैन
मेसेजेस, मेटाफर्स डेमोस्ट्रेशन, पार्टनर, कस्टमर एविडेंस, वीडियो क्लिप और प्रॉप्स हैं. अपनी प्रेसेंटेशन में आपको उस एक सवाल का जवाब देना चाहिए जो सबसे अधिक मायने रखता है. ये वो सवाल होना चाहिए जिसके बारे में आपके ऑडियंस को फर्क पड़ता है. ये सवाल हैं, हमें क्यों केयर करनी चाहिए? अगर आप इसे सही और इंटरेस्टिंग तरीके से जवाब देते हैं, तो गारंटी है
आपको सक्सेस मिलेगी,
कि
तीन का रूल फॉलो करना हमेशा ज़रूरी होता है. आपको तीन पॉइंट्स चुनने चाहिए और उन्हें कम लेकिन साफ़ वर्ड्स में कहने चाहिए ताकि लोगों को इन पॉइट्स को फॉलो करने में इंटरेस्ट आए.
आखिर में, अट्रैक्टिव वर्ड्स को यूज करना मत भूलिए इन वर्ड्स को हम अमेज़िंगली ज़िप्पी वस कहते हैं.” आई कांटेक्ट, ओपन पोरचर और हाथ के इशारों पर ध्यान दीजिए, उन लोगों के साथ अपना स्टेज शेयर कीजिए जिन्होंने आपकी मदद की, लेकिन गज़े करना कभी मत भूलिए.