THE MYTHS OF INNOVATION by Scott berkun.

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लेखक के बारे में

इस किताब के लेखक Scott Berkun हें ये लेखक के साथ ही साथ काफी प्रचलित स्पीकर भी हैं. इससे पहले इन्होने माइक्रोसॉफ्ट जैसी नामी कंपनी के लिए भी काम किया है. वाशिंगटन पोस्ट और न्यू यॉर्क टाइम्स जैसे पब्लिकेशन में इनके आर्टिकल्स पब्लिश्ड होते रहते हैं.

आखिर किसी भी बड़े आईडिया का जन्म होता कैसे है?

आज के समय में कई लोग ये सोचते हैं कि अच्छा आईडिया आने के लिए कोई ना कोई बाहरी प्रेरणा होनी ज़रूरी होती है. कई ऐसे भी लोग होते हैं. जो सारी जिंदगी किसी बड़े आईडिया के आने का इंतजार ही करते रहते है, अगर आप भी बिजनेस कर रहे हैं. या फिर आप बिजनेस स्टार्ट करना चाहते हैं, अगर आपको भी क्रिएटिव आईडिया की कद्र है. तो फिर ये किताब आपके लिए ही है.

इस समरी को पहने के बाद आपको पता चलेगा कि आखिर ग्रेट आईडिया को लेकर कितनी सारी गलत फहमी के शिकार लोग हो चुके हैं. इसी तरह आपको ये भी पता

चलेगा कि इन्हीं गलत फहमी की वजह से लोग फ्रस्ट्रेट हो जाते हैं.

इस किताब की यह समरी आपके सोचने के तरीके को ही बदल देगी. इस किताब को पढ़ने के बाद आप क्रिएटिव प्रोसेस को और ज्यादा बेहतर तरीके से समझा पायेंगे.

जब भी लोग किसी भी आर्टिस्ट के स्टूडियो में जाते है. या फिर रिसर्चर की लेब में जाते हैं. तो एक ही सवाल करते हैं. वो सवाल ये होता है कि आपके आईडिया आते कहाँ से

हैं?

ग्रेट माईडिया की स्टोरी जानने के लिए थ्योरी ऑफ ग्रेविटी के पास जाना होगा. जैसा कि सभी जानते हैं कि उस थ्योरी का आविष्कार न्यूटन ने किया था. तब उनके सर में सेब आकर गिरा था, उसे आप किस्मत भी कह सकते हैं. तो क्या ग्रेट आईडिया के पीछे किस्मत का हाथ होता है?

आपको बताना चाहते हैं कि इस तरह के कयास लगाने पूरी तरह से गलत है. अच्छे आईडिया किस्मत के भरोसे नहीं आते हैं. उनके लिए कड़ी मेहनत और परिश्रम करना

पड़ता है. इसी के साथ कई लोग ये भी सोचते हैं कि ग्रेट आईडिया सीधे भगवान के पास से आते हैं, ऐसा वो लोग सोचते हैं जिनके पास इस सवाल का जवाब नहीं होता है कि आखिर

आईडिया डेवलप कैसे होता हैं।

बहुत बार ऐसा भी देखा गया है कि इस सवाल को किस्मत और धर्म से भी जोड़ देते हैं. वो कहते हैं कि पेपर और कागज लेकर बैठने से बड़े आईडिया नहीं आते हैं ये तो किस्मत की बात होती है. इसी के साथ लोग ये भी बोलते हैं कि जो लोग भगवान की पूजा पाठ करते हैं उनके ऊपर वह खुश होकर सफलता की कुजी के रूप में बड़े-बड़े आईडिया देता है.

लेकिन लेखक आपको बता देना चाहते हैं कि आपको इस तरह की बातों के ऊपर भरोसा नहीं करना है. आपको अपनी लगन और मेहनत के ऊपर भरोसा और विश्वास रखना

है.

लेखक आपसे बोलना चाहते है कि अगर आपको इस सवाल का जवाब जातना है तो फिर किसी भी ग्रेट आईडिया को फॉलो करने की कोशिश करिए, आपको ये देखने को मिलेगा कि बड़े-बड़े आईडिया ऐसे ही नहीं बन जाते हैं बल्कि उनके पीछे कई सारे छोटे-छोटे आईडियाज़ का योगदान होता है.

ये बिल्कुल वैसे ही होता है, जैसे कि आप घर बना रहे हों, जब कभी भी आप किसी भी ईमारत की निर्माण करते हैं तो सबसे पहले उसकी नींव डाली जाती है, फिर दीवारें बनती है और इसके बाद ही छत का काम शुरू होता है, ठीक इसी तरह ग्रेट आईडिया का कांसेप्ट भी काम करता है.

इसी के साथ लेखक ये भी बताना चाहते है कि अगर आप न्यूटन के सेब को छोड़ दें तो आप देखेंगे कि कोई भी ग्रेट आईडिया पेड़ से आपके सर पर नहीं गिरता है. उसके लिए अपने दिमाग के घोड़ों को एक्टिवेट करना पड़ता है. बहुत सारी मेहनत लगती है. किसी भी सफल बिजनेस के पीछे बस आईडिया ही नहीं होता है उस आईडिया को बड़ा करने के लिए की गयी मेहनत भी होती है. इसलिए अगर आपको सफल बनना है तो फिर मेहनत के लिए तैयार रहिये.

आईडिया का निर्माण लगातार करते रहिये और उन्हें बड़ा होने के लिए समय भी दीजिये

आज के दौर में हर चीज़ सुविधा के अनुसार मिलने लगी है. ये देखा जाता है कि स्वरीददार को ज्यादा मेहनत नही करनी पड़ती है. पैसा दीजिये आपको सब चीज पूरी तरह से

कम्प्लीट मिलेगी. भले ही वो हॉलिडे का पॅकेज हो या फिर पेकेज्ड फूड हो. सभी चीज़ एक दम रेडीमेड तेयार मिलती है. इस कल्चर के फायदे बहुत से होंगे लेकिन नुकसान भी भारी है. अब लोग ना तो मेहनत करना चाहते है और ना ही दिमाग लगाना चाहते हैं. सब सोचते हैं कि उनके पास ग्रेट आईडिया भी गिफ्ट में पैक होकर आ जायेगा. कोई आकर बोलेगा कि ये लीजिये साहब इस पेकेट में आपके लिए मिलियन डॉलर आईडिया

है, लेकिन आपको पता होना चाहिए कि आपके पास ऐसा कुछ भी नहीं होने वाला है.

लेखक बताते है कि इस तरह की बिलीफ करना भी खुद को धोखा देना ही है. ये भी एक तरह की मिथ ऑफ़ इनोवेशन है,

नए आईडिया को जन्म के बाद से ही माहौल देना पड़ता है जहाँ पर वो बड़ा होता है. आपको उसके ऊपर कई सारे काम करने पड़ते हैं जैसे कि आपको अपने नये आईडिया के ऊपर जमकर रिसर्च करनी पड़ती है.

माज कल लोगों के अंदर आईडिया डिस्ट्रॉयिंग बिहेवियर मा गया है. इसके पीछे का कारण यही है कि लोगों को शुरुआत से ही परफेक्शन चाहिए होता है लेकिन ये एटीट्यूड पूरी तरह से गलत है

लेकिन आपको समझना चाहिए कि ऑटो मोबाइल इन्वेंटर हेनरी फोर्ड को भी पहली बार में सफलता नहीं मिली थी. इसलिए अगर आपको भी असफलता से रुबरू होना पड़

रहा है तो घबराने की बात नहीं है हर सफल आदमी को अपनी जिंदगी में एक बार नहीं कई बार असफल होना पड़ता है. असफलता के बाद ही सफलता के रास्ते खुलते हैं. ग्रेट आईडिया जैसे कि नाम में ही ग्रेट लगा हुआ है. हसका मतलब महान आईडिया, ग्रेट आईडिया कभी भी आसानी से और आराम से नहीं आते हैं. उसके लिए बहुत कड़ी

मेहनत करनी पड़ती है. इसलिए अगर भापको भी अपने आईडिया के लिए इंतज़ार और मेहनत करना पड़ रही है तो फिर घबराइयेगा बिल्कुल भी नही

हमें कोशिश करना चाहिए कि हम नये-नये आईडिया का जन्म करते रहें. इसी के साथ हम उन आईडिया को ब्लूम करने का भी मौका दें किसी भी आईडिया को प्रेट बनने के लिए समय देना पड़ता है.

अगर आप एक छोटे बच्चे से पूछेंगे पेनकेक्स का आविष्कार किसने किया तो उसका जवाब होगा कि उसकी माँ.

वैसे, यह मानने की बुरी आदत हमें लग गयी है कि जिस व्यक्ति को हम किसी आविष्कार के साथ जोड़ते हैं, वही बस इसका निर्माता है. बचपन से ही हममें से कितने लोग सोचते हैं कि थॉमस एडिसन ने इलेक्ट्रिक लाइट का आविष्कार किया था. जिसे बल्ब के नाम से जाना जाता है. लेकिन कितने कम लोग जानते है कि पहले लैंप का आविष्कार मशहूर हाफी डेवी और जोसेफ स्वान ने किया था. लेकिन दुनिया सिर्फ और सिर्फ एडिसन का नाम जानती है.

इसके पीछे का रीजन यही है कि हम किसी भी इनवेंटर या फिर हीरो को प्री पैकेज्ड फॉर्म में देखना चाडते हैं. इसलिए आज तक इस गिथ को फैला दिया गया है कि ग्रेट आईडिया का जन्म और आविष्कार सिंगल आदमी ही करता है, लेकिन सच्चाई ये है कि किसी भी ग्रेट इन्वेशन के पीछे एक इंसान नहीं बल्कि कई दिमाग होते हैं. आज ये समय भागया है कि हम इस मिथ को तोड़ दें अब समय ये भी आ गया है कि हमें पता होना चाहिए कि ग्रेट आईडिया का जन्म होता कैसे है?

इसको इस एजाम्पल से भी समझाने की कोशिश करते हैं. अगर आपसे सवाल किया जाए कि चाँद पर पहला ईसान कौन गया था? सभी जवान जानते हैं कि नील आर्मस्ट्रोंग,

लेकिन क्या आपको पता है कि उस आईडिया के पीछे नासा के 5 लाख से ज्यादा लोगों ने कड़ी मेहनत की थी

आर्गस्ट्रोग का नाम फेमस गया क्योंकि लोगों ने उन्हें देखा था. लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि उनका योगदान भी बाकियों से ज्यादा था. बाकियों ने भी उस प्रोजेक्ट में पूरे जी जान से मेहनत की थी.

इस को हमारी कानून व्यवस्था भी बल देती है. वो कानून है पेटेंट लॉ. पटेंट लॉ में कुछ लोगों का नाम या फिर किसी सिंगल का नाम ही रजिस्टर किया जाता है. इससे ही ये गलत फहमी भी फेलती है कि ग्रेट आईडिया का इन्चेंशन सिंगल इन्सान ही करता है.

नए और क्रिएटिव आईडिया का जन्म और इम्पोर्टेंस

क्या आपको भी लगता है कि लोगों को नए आईडिया पसंद आते हैं? अगर आपको भी ऐसा लगता है तो फिर आपको पता होना चाहिए कि ये भी एक मिथ है, आपको पता होना चाहिए कि ‘George Lucas की हॉलीवुड फिल्म स्टार वार्स की स्क्रिप्ट को भी ज्यादातर हॉलीवुड के स्टूडियो ने रिजेक्ट कर दिया था. इसी के साथ ही साथ Alexander Graham Bell’ के टेलीफोन के आईडिया को भी ज्यादातर कम्युनिकेशन कम्पनी ने रिोक्ट कर दिया था,

अगर नये आईडिया लोगों को पसंद आते तो आपके सामने सैकड़ों एग्जाम्पल नहीं होते रिजेक्शन के, इसलिए लेखक आपको इन सब मिथ से रुबरु करवाने का काम कर रहे

हैं.

ऊपर पड़कर ये भी पता चलता है कि भले ही आपका नया आईडिया कैसा भी हो, कितना भी अच्छा क्यों ना हो, लोगों की आदत ही होती है कि वो नई चीजों को रिजेक्ट करने की, इसलिए अगर कभी आपका भी आईडिया रिजेक्ट होता है तो फिर आपको निराश होने की ज़रूरत नहीं है.

इसी के साथ कई रिसर्च ये भी बताती है कि इंसान सबसे ज्यादा स्ट्रेस में तब होता है. जब उसका प्यार उससे दूर हो जाता है. या फिर इसका तलाक होता है. या फिर उसको जॉब छूट जाती है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि इसी समय हंसान अपने जीवन में बड़े बदलाव फेस कर रहा होता है.

लेखक इसलिए सुझाव देते हैं कि छोटी शुरुआत करने की आदत डाल लीजिये. अगर आपकी शुरुआत छोटी है. तो भी कोई बड़ी मुश्किल की बात नहीं है. याद रखिये

बड़े बड़े आईडिया की शुरुआत छोटी ही होती है.

क्या आपने कभी सोचा है कि यया होता अगर स्टोफन हार्किंग किसी ऐसे बांस के अंदर काम करते जो उनसे डेली रिपोर्ट मांराता? या फिर किसी ऐसे बॉस के अदर काम करते तो उनके इनोवेशन का क्या होता?

आज के दौर के मॉडर्न वर्क प्लेस में इनोवेशन की जगह लगातार कम होती ही जा रही है, इसके पीछे का कारण ये है कि कर्मचारी के ऊपर टार्गेट का प्रेशर होता है. इसी के

साथ उनके ऊपर एक ऐसा मैनेजर भी होता है. जिसे इनोवेशन पसंद नहीं होते हैं.

तो फिर हम मॉडर्न वर्कप्लेस में इनोवेशन की उम्मीद कैसे कर सकते हैं?

यहाँ तक की हम जानते हैं कि कोई भी इंसान फ्यूचर को प्रिडिक्ट नहीं कर सकता है. लेकिन जब भी हम किसी आईडिया को अपने बाँस के सामने पेश करते हैं हम इस सच्चाई को भूल जाते हैं,

इसी के साथ ये भी देखा जाता है कि कई बाँस के अंदर सुपीरियटी काम्प्लेक्स रहता है, वो सोचते हैं कि उन्हें आईडिया के बारे में सब कुछ पता है.

मैनेजर्स को पता भी नहीं चलता है कि वो कब अपने इस एटीट्यूड के कारण नए इनोवेशन के दुश्मन बन जाते हैं.

तो फिर अगर आपके मैनेजर को भी आपका आईडिया पसंद नहीं आया है. इसी के साथ अगर उसने ये भी बोल दिया है कि ये आईडिया फ्लॉप है, तो भी आप उसकी बात मत मानिए आप अपनी रिसर्च के ऊपर भरोसा रखिये. अगर आपकी रिसर्च में कमी है, तो फिर उस रिसर्च को बढ़ा दौजिये, अपने और भपने आईडिया के ऊपर भरोसा रखिये, भगर आपके अंदर मेहनत करते का भरोसा है, तो फिर आपका भाईडिया सफल सकता है,

अगर आप पास्ट को भी देखने की कोशिश करेंगे तो आपको पता चलेगा कि ऐसा कई बार हुआ है. जब बड़े बड़े इनोवेशन को मैनेजर्स ने रिजेक्ट किया था. लेकिन फिर भी बाद

मैं उन इनोवेशन ने लोगों के दिल और दिमाग पर राज किया था.

इसलिए अपने डर को पीछे छोड़ दीजिये और इनोवेशन की तरफ बड़ते रहिये, जितना ज्यादा आप इनोवेशन करेंगे, उतने ही आप सफल भी होंगे.

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