
लेखक के बारे में
होवई म्यास Hcevard Marks) अमेरिका के एक लेखक और इवेस्टर हैं। अपने कैरियर के शुरूआती दिनों में वे सिंटिबेंक फै लिए सीनियर पोजिशन पर काम करते थे। इसके बाद उन्होंने टीसीडब्लू जाइन कर के हाई याइल्ड कचर्टिबल सिक्योरिटीज और डिस्ट्रम्ड इन्ट गुप्स के लिए काम किया।
यह किताब आपको क्यों पढ़नी चाहिए
स्टाक मार्केट एक ऐसी जगह है जहां पर बेहतर तरीके से इंवेस्ट कर के आप बहुत सा पैसा बिना काम किए कमा सकते हैं। यहाँ पर फायदा कमाने के लिए आपको मार्केट की और कंपनियों की अच्छी समझ होनी चाहिए। आप इसे बेहतर तरह से जितना ज्यादा समझने की कोशिश करेंगे, इसमें फायदे कमाने की संभावना आपके लिए उतनी ज्यादा होगी।
अगर आप भी स्टाक मार्केट को बेहतर तरह से समझना चाहते हैं, तो यह किताब आपके लिए लिखी गई है। यह किताब हमें बताती है कि एक स्टाक मार्केट किस तरह से काम करता है और कब इसमें इंवेस्ट करने का सबसे अच्छा समय होता है। यह किताब हमें उन गलतियों के बारे में भी बताती है जो कि हमें नहीं करने चाहिए।
इसे पढ़कर आप सीखेंगे
-इंवेस्ट करने का सबसे अच्छा समय कब होता है।
भीड़ कभी भी समझादार क्यों नहीं होती।
रेंड के पीछे भागना नुकसानदायक क्यों हो सकता है।
मार्केट में फायदा कमाने के लिए आपको अलग तरह से सोचना होगा।
देवेस्ट करने को अगर हम आसान भाषा में कहें, तो इसका मतलब है अपने पैसे को किसी कंपनी में तब लगाना जब उसके स्टाक की कीमत कम हो और तब बेचना जब उसकी कीमत बढ़ जाए। यानी कि आपको एक स्टाक को तब खरीदना होगा जब उसका दाम गलत लगाया गया हो और भविष्य में उसके बढ़ने की सभावना हो।
लेकिन ऐसा बहुत कम होता है कि किसी स्टाक की कीमत को गलत लगा दिया जाए, क्योंकि बहुत से लोग अलग अलग एसेट की जाँच करते रहते हैं और उसके दाम पर काम करते रहते हैं। इसलिए अगर उसका दाम कुछ कम ज्यादा होता भी है, तो उसमें कुछ ज्यादा अंतर नहीं होता। और अगर उसमें कुछ ज्यादा अंतर नहीं है, तो उससे आप ज्यादा फायदा नहीं कमा सकते।
लेकिन कभी कभी दाम में बहुत ज्यादा अंतर हो जाता है, जैसा कि याहू के स्टाक के साथ हुआ। 2000 की जनवरी में याहू के स्टाक 237 डालर में बिक रहे थे लेकिन उसी साल के अप्रैल में उसके स्टाक कम होकर 11 डालर पर आ गए। इस तरह से अगर दाम को ज्यादा लगाया गया है, तो आपको उससे बहुत नुकसान भी हो सकता है। गलत दाम लगने से फायदा और नुकसान दोनों ही होने की संभावना होती है।
अगर इस तरह के हालात में आपको ज्यादा फायदा कमाना है, तो आपको सबसे अलग सोचना होगा। इस तरह से सोचने को सेकेंड लेवेल थिकिंग कहते हैं। फस्ट लेवेल थिकिंग कहती है – यह अच्छी कपनी है, इसका स्टाक खरीद लेना चाहिए। लेकिन सेकेंड लेवेल यिकिंग कहती है – यह मच्छी कंपनी तो है, लेकिन ऐसा हर कोई सोचता है और इसलिए हर कोई इसका स्टाक खरीदना चाहेगा। इसका मतलब स्टाक की कीमत ज़्यादा हो गई है और मुझे इसे बेच देने चाहिए।
सेकंड लेवेल थिकिंग एक कामयाब तरीका इसलिए है क्योंकि इसमें आप अपने साथ साथ दूसरे इवेस्टर्स के बारे में भी सोचते हैं।
किसी स्टाक में इंवेस्ट करने से पहले उसकी असल कीमत के बारे में जान लें।
पहले सबक में हमने कहा कि आपको स्टाक को तब खरीदना है जब उसकी कीमत कम हो जाए और तब बेचना है जब उसकी कीमत ज्यादा हो। लेकिन आपको कैसे पता लगेगा कि कीमत कम हुई है या ज्यादा इसके लिए आपको यह पता लगाना होगा कि स्टाक की असल कीमत क्या है और जब कीमत इस कीमत से कम हो जाए तब आपको स्टाक खरीदता है। स्टाक की असल कीमत को उसकी इट्रिसिक वेल्यू कहते हैं। स्टाक की हंट्रिसिंक वैल्यू पता करने के लिए आपको एक कंपनी का फंडामेंटल एनालिसिस करना होगा। फंडामेंटल एनालिसिस में आप कंपनी की जाँच कर के यह पता
करने की कोशिश करते हैं कि वो कंपनी कितनी कामयाब है। क्या वो फायदा कमा रही है? क्या बो अपना कर्ज चुका सकती है? इन सवालों के जवाब पाकर आप कंपनी की
इंट्रिसिक वैल्यू जान सकते हैं और आपको स्टाक तब स्वरीदना होगा जब उसकी कीमत इस इंट्रिसिक वैल्यू से कम हो जाए।
किसी स्टाक की करेंट प्राइस और उसके इटिसिक वैल्यू के बीच का सबध बहुत गहरा होता है, लेकिन बहुत से लोग उसे अनदेखा कर देते हैं। उनका एक मनपसंद स्टाक होता है और ये उसी में इंवेस्ट करते हैं और स्टाक मार्केट में भावनाओं के हिसाब से इंवेस्ट करना बहुत खतरनाक हो सकता है।
इसके अलावा स्टाक खरीदने से पहले आपको कुछ टेक्निकल्स और साहकोलाजी पर भी ध्यान देना होगा। टेक्रिकल्स का वैल्यू से कोई लेना देना नहीं होता। जब मार्केट कैश कर रहा होता है, तो इंवेस्टर बिना सोचे समझने नुकसान को कम करने के लिए उसी किसी भी कीमत पर बेच देते हैं।
इसके अलावा साइकोलाजी का मतलब हमारी मानसिकता किस तरह से कीमतों पर असर डालती है। डर और घमंड की वजह से अक्सर मार्केट में उतार चढ़ाव आते हैं। जब वीर की वजह से हर कोई अपना स्टाक बेचता है. तो कीमत कम हो जाती है और जब घमड की वजह से हर कोई स्टाक खरीदता है, तो कीमत बढ़ जाती है। इस तरह से इन बातों का ध्यान रख कर आपको स्टाक को तब खरीदना होगा जब उसकी कीमत कम हो।
एक फायदेमंद इंवेस्टमेंट के लिए रिस्क को हैंडल करना बहुत जरुरी है।
मान लीजिए कि आपको जापान में एक घर लेना है लेकिन आप इस बात से डर रहे हैं कि वहां पर अक्सर आने वाली प्राकृतिक आपदा में अगर आपका घर गिर गया तो क्या होगा। अब आपको यह कैसे पता लगेगा कि एक भूकप में उस घर के गिर जाने का रिस्क है या नहीं एक ही रास्ता है – भूकप आने का इतजार कीजिए, अगर घर गिर जाता है तो उसे खरीदने में रिस्क था और अगर नहीं गिरता तो उसे खरीदने में रिस्क नहीं है।
इस बात को अगर हम आसान शब्दों में कहें तो यह कि रिस्क के बारे में पूरी तरह से जान पाना बहुत मुश्किल होता है। अगर कीमतें लगातार बढ़ रही है तो बहुत से लोगों को लगता है कि वो एक फायदेमंद इंवेस्टमेंट है, लेकिन एक समझदार हेदेस्टर जानता है कि उसके गिरने की संभावना बहुत ज्यादा है। रिस्क को कभी भी पूरी तरह से मिटाया नहीं जा सकता, क्योंकि इंवेस्टमेंट में हम एक तरह से भविष्यवाणी कर रहे होते हैं कि इस स्टाक की कीमत आगे बढेगी। लेकिन क्योंकि भविष्य किसी ने नहीं देखा, हम
पक्के तौर पर कुछ नहीं कह सकते कि हमारी बात सच ही निकलेगी।
इस तरह से जब रिस्क को देख पाना लगभग नामुमकिन हो जाता है, तो रिस्क और भी रिस्की हो जाता है। बहुत बार हमें रिस्क के होने का पता तभी चलता है जब हमारा उससे नुकसान हो जाता है। इससे हमेशा बच पाना नामुमकिन है और इसलिए एक अच्छी इंवेस्टमेंट करने के लिए आपको अपने रिस्क को मैनेज करना आना चाहिए।
हम में से बहुत से लोगों को रिस्क लेना नहीं पसंद है और क्योंकि हम इंवेस्टमेंट करते वक्त इससे व्यच भी नहीं सकते, हमें यह फैसला करना होगा कि उस इंवेस्टमेंट को करने पर हम कितना खो सकते है और उसके मुकाबले हमें कितना फायदा मिल रहा है। इसके अलावा रिस्क समय के हिसाब से बदलता रहता है। अगर आपने कम रिस्क पर इस समय कोई स्टाक खरीदा है, तो यह जरूरी नहीं है कि उसका रिस्क हमेशा कम ही हो। इसलिए आपको रिस्क के बारे में सोचते वक्त स्टाक की इंट्रिंसिक वैल्यू या फिर उससे संबंधित दूसरी बातों को अनदेखा करना होगा।
इंसान के स्वभाव की वजह से मार्केट अक्सर एक साइकल में चलता है।
जैसे कि हमने पिछले सबक में देखा कि मार्केट के बारे में कुछ भी कह पाना मुश्किल है, लेकिन यहाँ पर कुछ नियम हैं जो कि हमेशा सच होते हैं। इसमें से पहला नियम है इसान के स्वभाव की वजह से बहुत सी चीजें एक साइकल में चलती है और खुद को बार बार दोहराती हैं।
रोबोट्स हमेशा प्रोग्राम के हिसाब से चलते हैं, लेकिन इंसान भावनाओं के हिसाब से। इस वजह से वे कुछ खास तरह से काम करने लगते हैं जिसकी वजह से मार्केट के हालात खुद को बार बार दोहराते रहते हैं। एक्साम्पल के लिए बैंक का क्रेडिट साइकल ले लीजिए।
जब मार्केट अच्छा चल रहा होता है, तो बैंक सभी को क्रेडिट देती है। इस समय कोई बुरी खबर नहीं आ रही होती है और इस वजह से बहुत से लोग रिस्क के बारे में सोचते भी नहीं हैं। बैंक सभी को क्रेडिट देने लगती है और बहुत बार तो उन लोगों को भी फाइनैंस कर देती है जो उसके लायक नहीं होते हैं।
इसके बाद जब मार्केट क्रैश करता है, तो बैंक बहुत कम लोगों को क्रेडिट देती है और बहुत से नियम लागू कर देती है। जो लोग मार्केट के उस हालात से लड़ नहीं पाते, वे बैंक नष्ट हो जाते हैं। ऐसे हालात में बहुत से बैंक मार्केट से गायब हो जाते हैं और काम्पटीशन कम हो जाता है जिससे बचे हुए बैंक ज्यादा फायदा कमाने के लिए अपना पर्तेटेज रिटर्न बढ़ा देते हैं। इस तरह से उनके हालात सुधरते हैं, जिससे कि अच्छे दिन आते हैं। जब अच्छे दिन आते हैं, तो वे फिर से लापरवाही करते हैं और बुरे दिन के बारे में सोचना छोड़ देते हैं। इस तरह से फिर से बुरे दिन आते हैं और यह साइकल चलता रहता है।
इसके बाद दूसरा नियम यह है जब लोग पहले नियम के बारे में भूल जाते हैं, तो उस समय सबसे ज्यादा फायदा या नुकसान कमाने का समय होता है। क्योंकि अगर हालात बहुत अच्छे चल रहे हैं, मतलब लोग लापरवाही जरूर कर रहे होंगे और अगर ऐसा है, तो मार्केट जल्दी ही क्रेश करेगा। उसी तरह से अगर मार्केट खराब चल रहा है तो लोग सावधानी से काम कर रहे होंगे, मार्केट से काम्पटीशन कम हो रहा होगा और जो कंपनियां ऐसे मैं जिन्दा बचेगी, वे बहुत फायदा कमाएगी।
जब लोग अच्छे हालात में ज्यादा कीमत पर स्टाक खरीदने लगते हैं, तो वे यह भूल जाते हैं कि मार्केट एक साहकल में चलता है और जल्दी ही वो केश कर जाएगा। इस तरह से वे बहुत नुकसान कमाते हैं। लेकिन जब मार्केट कैश कर जाए, तो यह फायदा कमाने का सबसे अच्छा मौका होता है और इस समय आप अपना हवेस्टमेंट कर सकते हैं।
इंवेस्टमेंट करने का सबसे अच्छा मौका तब होता है जब कोई भी इंवेस्टमेंट ना कर रहा हो।
मार्केट में बहुत से लोग ट्रेंड को खोजते रहते हैं। लेकिन इस वजह से बहुत से लोग ट्रेंड अच्छा होने पर एक साथ खरीदना शुरू करते हैं और ट्रेंड खराब होने पर एक साथ
बेचना शुरू करते हैं जिससे कि मार्केट में बहुत खलबली मच जाती है।
जब लोग एक साथ खरीदते हैं, तो मार्केट बढ़ने लगता है और एक समय आता है कि वो बहुत ऊपर चढ़ जाता है और उसके ऊपर नहीं जा सकता। जब ऐसा होता है, तो जैसे ही एक व्यक्ति अपना स्टाक बेचता है, सब बेचने लगते हैं और डर के मारे यह काम इतना तेज होता है कि मार्केट तुरंत क्रेश कर जाता है।
आपको समझना होगा कि भीड़ कभी समझदार नहीं होती। एक आदमी समझादार होता है। भीड़ हमेशा एक दूसरे को देखकर चलती है और बहुत कम सोचती है। इसलिए आपको इसका उल्टा चलना होगा। अगर सब लोग स्टाक खरीद रहे हैं तो आपको बेचना होगा और अगर सब लोग बेच रहे है तो आपको खरीदना होगा।
इसके लिए आपको उन स्टाक्स पर ध्यान देना होगा जिनपर कोई भी ध्यान नहीं दे रहा है। उन स्टाक्स पर जो बिल्कुल पापुलर नहीं हैं, जिन्हें कोई नहीं खरीदना चाहता और
जिनकी कीमत उनकी असल कीमत से बहुत कम है।
मगर एक स्टाक को कोई नहीं खरीदना चाहता, तो उसकी कीमत कम नहीं हो सकती। अगर उसकी कीमत बेकार से नार्मल लेवेल पर आ जाती है तो भी भापका फायदा होगा। इसलिए अपने गोल में उन स्टाक्स को रखिए जो कि बिल्कुल पापुलर नहीं है और जिन्हें कोई नहीं खरीदना चाहता। यह करना शुरुआत में थोड़ा मुश्किल हो सकता है, लेकिन बाद में आपको इसका फायदा मिलेगl
मार्केट की भविष्यवाणी अक्सर गलत होती है और आपको इसपर भरोसा नहीं करना चाहिए।
जब 2008 में मार्केट कैश करने वाला था, तो बहुत कम लोग इस बात का अंदाजा लगा पाए थे कि मार इस तरह से केश कर जाएगा। बहुत से लोग अक्सर मार्केट को लेकर भविष्यवाणी करते रहते हैं। ऐसा नहीं है कि उनकी भविष्यवाणी हमेशा गलत होती है। कभी कभी उनकी बातें सच हो जाती है, लेकिन उनपर भरोसा किया जा सके, चे इतनी भी सच नहीं होती।
भविष्यवाणी में सिर्फ पास्ट के हालातों को समझ कर भविष्य के बारे में अंदाजा लगाने की कोशिश की जाती है और जैसा कि हम पहले ही देख चुके हैं, मार्केट कभी कभी
खुद को दोहराने लगता है। लेकिन इस अंदाजे से आपको कुछ खास जानकारी नहीं मिलती। इसलिए इनपर भरोसा करना ठीक नहीं है।
अंदाजे तभी सही होते हैं जब वे मार्केट में हो रहे असल बदलाव को देखकर किए जाते हैं। इन्हीं बदलावों के वक्त बहुत सारा पैसा कमाया या गैंवाया जा सकता है और ऐसे हालात में, यह अदाजे सही हो सकते हैं। इसलिए इनपर भरोसा करने से पहले आपको मार्केट के हालात को समझ लेना वाहिए। आपको यह देखना चाहिए कि क्या यह सब बातें मार्केट में हो रहे बदलाव पर आधारित हैं या नहीं।
अंदाजा लगाने के लिए कुछ बातें जरूरी होती हैं जैसे – मार्केट के साइकल को समझना और यह पता करना कि हम इस समय साहकल में कहाँ पर हैं और कब हालात बदल सकते हैं। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि इतना पता कर लेने के बाद आप बिल्कुल सही भविष्य बता पाएटगे। यह फिर भी एक अंदाजा ही रहेगा।
मार्केट में इवेस्ट करने से पहले आपको मार्केट का तापमान पता लगाना चाहिए। आपको यह पता लगाना चाहिए कि दूसरे इवेस्टर्स इस समय क्या कर रहे हैं और मीडिया
क्या कह रहा है। जो सब लोग कर रहे हैं, उसी का उल्टा कीजिए।
कामयाब इंवेस्टर बनने के लिए आपको साइकोलाजिकल और एनालिटिकल गलतियों से बचना होगा ।
साइकोलाजिकल गलतियों का मतलब वो गलतियां जो हम इर या लालच या फिर घमंड में आकर करते हैं। लालच वो भावना है जो कि बहुत ताकत रखती है। जब एक व्यक्ति को लालच होता है, तो वो अक्सर रिस्क के बारे में भूलकर सिर्फ फायदे के बारे में सोचने लगता है। इस तरह से वो अक्सर रिस्क को अनदेखा कर के गलत फैसला कर देता है।
इसके अलावा और भी हमें गलत फैसले लेने पर मजबूर करता है। इसकी वजह से हम रिस्क लेते ही नहीं हैं या फिर उन हेवेस्टमेंट्स को करते हैं जो कि कुछ ज्यादा ही सेफ
होती हैं। जो इंवेस्टमेंट्स कुछ ज्यादा सेफ होते हैं। बहुत से लोग डर के मारे अपने स्टाक को जल्दबाजी में बेचने लगते हैं जिससे मार्केट बहुत तेजी से क्रेश कर जाता है। ऐसे
हालात में हम सोच समझ कर फैसला नहीं ले पाते।
यह भावनाए हम से कुछ इस तरह से चिपकी रहती हैं क्योंकि स्टाक मार्केट में पैसे कमाने की संभावना बहुत ज्यादा होती है। उस पैसे को कमाने चक्कर में कभी कभी हमें ज्यादा रिस्क लेना पड़ता है और इस तरह से हम लालच आकर कुछ गलतियां करते हैं। लेकिन जब तक हम रिस्क नहीं लेंगे तब तक हम अच्छा फायदा भी नहीं कमा सकते। दोनों ही हालातों में यह भावनाएं हमारे साथ रहती हैं।
इसके अलावा बहुत से इंवेस्टर एनालिटिकल गलतियां भी कर देते हैं। इसका मतलब उन गलतियों से है जो कैल्कुलेशन में होती हैं। यह तब होते हैं जब हमारे पास सारी जानकारी नहीं होती है, हम गलत तरह से काम करते हैं, हम कैल्कुलैशन में कुछ गलती कर देते हैं या फिर जब हम किसी ऐसी चीज़ के ऊपर ध्यान देना भूल जाते हैं जो कि जरूरी था। अगर आप कुछ सावधानी बर्तेगे तो आप इन गलतियों से आसानी से बच सकते हैं।
इंवेस्टमेंट से फायदे कमाना कभी कभी किस्मत की बात होती है और इसलिए आपको खुद के लिए एक अच्छी
स्ट्रैटेजी अपनानी होगी।
शायद आप ने किसी को देखा होगा जिसने बहुत बड़ा रिस्क लिया और बाद में उसे इसका फायदा भी मिला। यह सब बातें देखने में तो अच्छी लगती है, लेकिन इनके पीछे कोई लाजिक नहीं होता। वे लोग बस सही जगह पर सही समय पर होते हैं और उन्हें इसका फायदा मिल जाता है। ये बहादुर होते हैं और थोड़े किस्मत वाले भी।
साथ ही बहुत से लोग जब सही जगह पर गलत वजह से होते हैं, तो उन्हें भी कभी कभी फायदा मिल जाता है। इसका मतलब स्टाक मार्केट में आपको कब कहां पर बहुत बड़ी कामयाबी मिल जाएगी और कहाँ पर बहुत नुकसान हो जाएगा, यह सब बातें आपकी किस्मत पर निर्भर करती हैं।
इसलिए आपको कुछ इस तरह से इवेस्टमेंट करना होगा जिसमआप इस तरह की घटनाओं के होने की उम्मीद कर सकें जिसमें आपके फायदे कमाने की संभावना ज्यादा हो। आपको एक ऐसा तरीका चुनना होगा जो कि अलग अलग हालात में भी आपके काम आ सके।
इसके लिए आपको आफॅसिय और डिंफेसिव, दोनों ही तरह के इवेस्टगेंट को अपनाना होगा। आफेसिव का गतलब यो इंवेस्टमेंट जिसमें रिस्क के साथ साथ फायदा कमाने की संभावना भी ज्यादा हो और डिफेंस का मतलब जिसमें रिस्क के साथ साथ फायदा भी कम हो। आसान शब्दों में, आपको अपना कुछ पैसा आपफेंसिव हंवेस्टमेंट में और कुछ पैसा डिफेंसिव इंवेस्टमेंट में लगाकर उन्हें बैलेंस करना होगा।
बहुत कम लोगों के पास यह काबिलियत होती है कि वे मार्केट के हालात हिसाब से अपने तरीके को बदल लें। अगर आप दोनों तरह के इवेस्टमेंट को बैलेंस कर के
इवेस्ट करने का तरीका अपनाएगे, तो आप ज्यादातर हालात में फायदे में रहेंगे।