THE MAN WHO MISTOOK HIS WIFE FOR A HAT by DR. Oliver Sacks.

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About Book

इस बुक में आपको ऐसे स्पेशल लोगो की लाइफ स्टोरीज़ पढने को मिलेगी जो एक्स्ट्राओर्डीनरी कंडीशन के साथ जी रहे है. ये उन लोगो की कहानियाँ है जो स्ट्रोक, ट्यूमर या सर पे गहरी चोट की वजह से ब्रेन डैमेज के शिकार हो चुके है. डॉक्टर सैकएक एक्सपर्ट न्यूरोलोजिस्ट है. उन्होंने इस बुक में इन पेशेंट्स की स्टोरीज़ कलेक्ट की है ताकि रीडर्स इन पेशेंट्स को और उनकी परेशानी को समझ सके. इस बुक एक बार पढ़ के देखो, ये बुक आपको काफी हैरान कर देगी. ये समरी किस किसको पढनी चाहिए? Who will

learn from this summary?

. जो लोग साइकोलोजी में इंटरेस्ट रखते है

जिन्हें ह्यूमन ब्रेन की मिस्ट्री समझने में इंटरेस्ट है

ऑथर के बारे में (About the Author)

ओलिवर सैकएक एक्सपर्ट न्यूरोलोजिस्ट है. वो कहते है कि ह्यूमन ब्रेन यूनिवर्स की सबसे अमेजिंग चीज़ है जिसे साइंटिस्ट अभी तक समझने की कोशिश कर रहे है. डॉक्टर ओलिवर काफी फेमस है और उन्हें अपने काम के लिए कई सारे भी अवार्ड्स मिल भी चुके है. इसके अलावा वो कई बेस्ट सेलर बुक्स के ऑथर भी है. इन बुक्स में उन्होंने ज्यादातर अपने पेशेंट्स की केस स्टडीज़ की स्टोरीज़ शेयर की है.

इंट्रोडक्शन (Introduction)

क्या कभी आपको ये सोचकर हैरानी हुई कि हम इंसानों का दिमाग एक अनसुलझी पहेली है ? हमारे इस छोटे से ब्रेन में इतनी नॉलेज भला स्टोर कैसे हम में से ज्यादातर लोगों को ब्रेन डेमेज के बारे में उतनी नॉलेज नहीं होती है. ब्रेन रिलेटेड कंडीशंस के बारे हमें तभी पता चलता है जब ऐसा कोई केस हमारे सामने आए. आपको शायद यकीन ना आए मगर कई सारे स्पेशल केसेस में पेशेंट्स को ब्रेन ट्यूमर या किसी हेड इंजरी की वजह से अजीबो-गरीब बुक भी ऐसे ही पेशेंट्स के बारे में है जिनकी एक्स्ट्राओर्डीनेरी कंडिशन को लेकर डॉक्टर ओलिवर सैक (Dr.Oliver Sacks |ने ये बुक लिखी है. वो इस बुक के ऑथर होने के साथ-साथ एक एक्सपर्ट न्यूरोलोजिस्ट भी है. इस बुक में उन्होंने ऐसे पेशेंट्स की स्टोरीज़ शेयर की है जिन्हें पढकर रीडर्स हो जाती है? हमारा माइंड इतना पॉवरफुल कैसे है? ह्यूमन ब्रेन इतना मिस्टीरियस है कि न्यूरोलोजी और साइकोलोजी जैसे डिफरेंट फील्ड्स के एक्सपर्ट्स कई सालो से इसे समझने की कोशिश करते आये है पर अभी भी बहुत कुछ ऐसा है जो समझ से परे है.

दिमागी बीमारियां हुई है. ये बीमारियाँ ऐसी है जिसमे दिमाग के कुछ पास काम करना बंद कर देते है.

हैरान रह जाते है.

तो, आइए! इस बुक को पढ़ते है और जानने की कोशिश करते है कि ह्यूमन ब्रेन कितना पॉवरफुल है.

द मेन वहू मिस्टूक हिज़ वाइफ फॉर अ हैट

वो आदमी जिसने अपनी वाइफ को हेट समझ लिया था (The Man Who Mistook His Wife for A Hat)

क्या आपको कभी ख्याल आया है कि अगर आपको लोगो के चेहरे याद ही ना रहे तो क्या होगा? जैसे आपने किसी की शक्ल देखी, मुस्कुराए और उससे बात करने लगे पर जैसे ही वो आदमी जाता आप उसकी शक्ल भूल गए. क्या आपके साथ कभी ऐसा हुआ है?

उसे देखकर आप कितनी अजीब है ना? आप जिस इंसान से एक मिनट पहले बात कर रहे थे एक ही पल में वो आपके लिए अजनबी बन गया. लेकिन अफ़सोस की बात तो ये हैं कि कुछ अनलकी लोग ऐसे भी है जो इस कडीशन के साथ रहने को मजबूर है क्योंकि उनकी विजुअल प्रोसेसिंग में कोई खराबी आ जाती है. ये तब होता जब सर पें गहरी चोट आए या इंसान किसी हादसे का शिकार हो. इन पेशेंटस का ब्रेन लोगो के चेहरे प्रोसेस नहीं कर पाता इसलिए ये लोग कुछ स्पेशल फीचर्स के जरिये किसी को पहचानने की कोशिश करते है जैसे कि दोनों गालो पर डिंपल्स या फिर नाक पर तिल वगैरह. मिस्टर पी. एक जाने-माने म्यूजिशियन और टीचर थे. उनका कहना था कि वो अपने स्टूडेंट्स को उनके नाम से नहीं बल्कि उनकी आवाज़ से पहचानते उनकी ये बात लोगों को बड़ी अजीब और फनी लगती थी, कई बार तो मिस्टर पी नॉन लिविंग थिंग्स यानी बेजान चीजों को भी इंसानों की तरह ट्रीट करने लगते थे, जैसे बार वो दरवाजे के नॉब या फायर हाईड्रेन्ट से रियल इंसानों की तरह ही बात करते उनको डाएबीटीज़ थी इसलिए उन्हें डर था कि कहीं वो अंधे ना हो जाए. इसलिए वो एक ओप्थलमोलोजिस्ट के पास गए, एक्सपर्ट ने बताया कि उनकी आँखे एकदम ठीक है. उसने ये भी कहा कि मिस्टर पी को उनके पास आने के बजाए किसी न्यूरोलोजिस्ट को कंसल्ट करना चाहिए, और इस तरह डॉक्टर सैक और मिस्टर पी की मुलाकात हुई. शुरू में डॉक्टर सैक को उनके बारे में कुछ अजीब नहीं लगा पर जब दोनों की बातचीत बढ़ती गयी तो डॉक्टर ने नोटिस किया कि मिस्टर पी उनके चेहरे को बड़े गौर से देख रहे थे. वो उनकी लेफ्ट आई फिर राईट आई, और फिर चिन को स्टडी कर रहे थे, लेकिन मिस्टर पी डॉक्टर सैक का पूरा चेहरा एक बार में नहीं देख पाए थे.

और यही चीज़ डॉक्टर सैक को कुछ अजीब लगी. उन्होंने मिस्टर पी के कुछ रूटीन एक्जामिनेशन किये जैसे मसल्स स्ट्रेश्थ, को-ओर्डीनेशन और रेपलेक्सेस वगैरह, डॉक्टर ओलिवर ने मिस्टर पी को अपना लेफ्ट शू निकालने को बोला. फिर उन्होंने उसे दुबारा पहनने को बोला पर मिस्टर पी जूता नहीं पहन पाए. डॉक्टर सैक उन्हें शू पहनने में हेल्प करने लगे तो उन्होंने कहा मैंने अपना जूता पहना हुआ है तो डॉक्टर ने उनके पैर की तरफ पॉइंट करते हुए कहा” आपका जूता अभी भी फ्लोर पर है, इस पर मिस्टर पी ने डॉक्टर के पैर की तरफ इशारा करते हुए कहा” ओह! मै समझा कि ये मेरा पैर बस कुछ इस टाइप की अजीब बातो के अलावा डॉक्टर ओलिवर को मिस्टर पी में और कोई प्रोब्लम नहीं लग रही थी, फिर डॉक्टर सेकने एक मैगजीन उठाकर उसमें से एक पिक्चर मिस्टर पी को दिखाई और उसे डिसक्राइब करने को बोला, मिस्टर पी उस पिक्चर का कलर, शेप या बाकि के स्माल फीचर तो बता रहे थे लेकिन पूरी पिक्चर क्या है ये उन्हें समझ नहीं आ रहा था.

फिर डॉक्टर सैकने उन्हें सहारा डेज़र्ट की पिक्चर डिसक्राइब करने को बोला तो मिस्टर पी ने कहा कि वहां पर एक नदी और एक छोटा सा गेस्ट हाउस है” डॉक्टर सैक हैरान रह गए क्योंकि ऐसा कुछ भी नहीं था, और मिस्टर पी को लगा कि डॉक्टर साहब उनके जवाब से इम्प्रेस हो गए.

मिस्टर पी चेयर से उठे. वो देख रहे थे कि उन्होंने अपनी हैट कहाँ रख दी है. उनकी वाइफ चेयर में बैठी उनका चेट कर रही थी कि अचानक मिस्टर पी ने अपनी वाइफ का सर पकड़ा और उसे अपने सर पे रखने की कोशिश की. क्योंकि उन्हें लगा कि ये उनका हैट है. दरअसल मिस्टर पी ने अपनी वाइफ को ही अपना हैट समझ लिया था! डॉक्टर सैक मिस्टर पी का एक्क्सामिनेशन करने उनके घर जाया करते थे. हालाँकि मिस्टर पी शेप्स और कार्टून केरेक्टर्स याद रह जाते थे लेकिन उन्हें उनके अपार्टमेंट में रहने वाले लोगों की पिक्चर दिखाई गयी तो वो उनके नाम भूल गये थे. उन्हें अपने को-वर्कर्स और स्टूडेंट्स के नाम याद नही थे.

अगर मिस्टर पी को किसी को जानते थे तो वो उसे उसके किसी खास फेशियल फीचर से याद रखते थे. वो चीजों को क्लयूज़ में या यूनीक फीचर्स से देखते थे क्योंकि उन्हें पूरी पिक्चर समझ नहीं आती थी.

द मेन व्हू फेल आउट ऑफ़ बेड वो आदमी जो बेड से गिर गया (The Man Who Fell Out of Bed )

हम अक्सर भूल जाते हैं कि हमारा ट्रेन कितना काम्प्लेक्स है. खोपड़ी के अंदर का ये छोटा सा हिस्सा हजारो-लाखों मेमोरीज़ स्टोर करता है, ना जाने कितने ही नाम याद रखता है, यानी दुनिया भर की इन्फोर्मेशन ब्रेन के अंदर स्टोर रहती है. हमे जैसी भी, जो भी जानकारी चाहिए हम अपने ब्रेन पर है। डिपेंड रहते है. हालाँकि आज के टाइम में ब्रेन से रिलेंटेड कोई भी प्रोब्लम आसानी से पता चल जाती है जबकि 100 साल पहले ऐसा नहीं था, आज मेडिकल साइंस काफी एडवांस हो चूका है फिर भी ह्यूमन ब्रेन की बहुत सी मिस्ट्रीज़ अभी तक सोल्व नही हो पाई है.

अगर ब्रेन में कोई ब्लड क्लोट आ जाए या किसी ब्रेन की ब्लड वेस्ल में कोई एयर बब्ल हो तो ये एक सिरियस प्रोब्लम बन सकती है. बेशक ब्रेन के छोटे से पाई में चोट लगी हो पर ये आपकी परी बॉडी को अफेक्ट कर सकती है क्योंकि बॉडी का हर पार्ट हमारे ब्रेन से कनेक्टेड है. हमें ये बात नही भूलनी आदमी था और नॉर्मल लग रहा था. लेकिन ये उसके सोने से पहले की बात थी. उस है कि हमारा दिन हमारी बॉडी को को को एक जवान सेंटर है. एक बार डॉक्टर सैक एक पेशेंट के रूम में गए.

आदमी ने बताया कि एक दुसरे डॉक्टर ने उसे एक्जामिन करके बताया है कि उसे लेज़ी” लेफ्ट लेग की प्रोब्लम है. जब वो आदमी सोकर उठा तो वो जमीन पर लेटा था. उसने बेड पर जाने से मना कर दिया और बड़ी देर तक अपने लेफ्ट लेग को घूरता रहा.

डॉक्टर सैक ने उसे वापस बेड पर जाने को बोला तो दो बुरी तरह अपना सर हिलाकर मना करने लगा. उसने कहा कि बेड पर एक कटा हुआ इंसानी पैर पड़ा है. वो बुरी तरह डरा हुआ लग रहा था. इससे पहले की डॉक्टर सैक कुछ बोल पाते, वो आदमी डरते हुए बोलने लगा” मेरे बेड पर ये अजीब सा ठंडा पैर क्यों पड़ा है?’ लगता है किसी नर्स ने मेरे साथ ये खतरनाक मजाक किया है असल में उस पेशेंट को लग रहा था कि न्यू इयर की शाम में नर्स ने शायद ज्यादा ही ड्रिंक कर ली है और उसके साथ कुछ प्रैंक किया है.

“मुझे लगता है शायद नर्स ने कोई कटी हुई टांग लाकर बेड पे रख दी होगी. ये काहते हुए उस पेशेंट के फेस पर बड़ी प्राउड वाली फीलिंग थी जैसे कि

उसने कोई मिस्ट्री सोल्व कर ली हो. और अचानक उसने बेड पर रखे हुए उस पैर को जो सिर्फ उसे दिख रहा था, उठाकर बेड से फेक दिया. उसके होंठ कार्य रहे थे, वो बुरी तरह डरा हुआ था और बार-बार यही कह रहा था कि ये लेग उसका पीछा कर रहा है क्योंकि ये उसकी बॉडी से चिपक गया है. और वो उस पैर को जोकि उसका अपना ही था, अपनी बॉडी से अलग करने की कोशिश करने लगा. वो आदमी डर के मारे चिल्लाए जा रहा था कि तभी डॉक्टर सैक बीच में आये और उसे समझाया कि ये उसका अपना पैर है. लेकिन वो डॉक्टर की बात मानने को तैयार नहीं था, उसे लगा डॉक्टर सेक उससे कोई मजाक कर रहे है, फिर बड़ी देर बाद आखिरकार उसे समझ आया कि ये उसका अपना शा जिसे दो किसी और का समझ रहा था.

ही उसने डॉक्टर को बताया कि उसे अपना पैर किसी और का लगता है, तो डॉक्टर ने पछा” अगर ये किसी और का पैर है तो तुम्हारा पैर कहाँ है? इस सवाल पर उस आदमी की शक्ल देखने लायक थी, और वो धीरे से बोला मेरा पैर गायब हो गया है और मिल नहीं रहा” ओन द लेवल (On the Level, जैसा कि सब जानते हैं, हमारी पांच सेन्स होती है. फिर भी एक और सेंस है जो अनकांशस और ऑटोमेटिक काम करती है. हम में से कुछ लोग इसे 6th सेन्स भी बोलते है, अब ये सेन्स आपको समझने में हेल्प करती है जैसे कि आपके हाथ आपके साइड में है, या आपके पैर बॉडी के नीचले हिस्से में है, या आपकी बॉडी प्रॉपर ढंग से शेप्ड है, ये 6th सेन्स प्रोप्रिऔसेप्शन कहलाती है.. और हम अक्सर इसका फायदा उठाते है क्योंकि हम इसे सिरियसली नहीं लेते.हालाँकि प्रोप्रियोसेप्शन के बिना आपको अपनी बॉडी अपनी बॉडी नहीं लगेगी. प्रोप्रियोसेप्शन (Proprioception) अक्सर अनकांशस और टेकन फॉर ग्रांटेड सेन्स है क्योंकि इस पर ध्यान देने के कोई खास दजह हमे नही लगती. हमारा इस पर तभी ध्यान जाता है जब ये मिसिंग होती है, जैसे कि अचानक हमे साँस की प्रोब्लम हो जाये तो हमे समझ आएगा कि ये कितनी इम्पोर्टेंट डॉक्टर सैक एक रिटायरमेंट विलेज के न्यूरोलोजी क्लिनिक में मिस्टर मैकग्रेगर से मिले, मिस्टर मैकग्रेगर उनके पास ये प्रोब्लम लेकर आये थे कि लोग उन्हें बोलते है कि वो एक साइड को झुककर चलते हैं जबकि उन्हें लगता है कि वो एकदम सीधे चल रहे है.

तो इस बात का पत्ता लगाने के लिए डॉक्टर सेक ने मिस्टर मैकग्रेगर से एक स्टेट लाइन में चलने को बोला और बताया कि वो उनका वीडियो रेकोर्ड करेंगे, डॉक्टर सैक ने एक बात नोटिस की. मिस्टर मैकग्रेगर 93 की उग्र में भी काफी अलर्ट थे और उन्हें देखकर उनकी एज का पता नहीं चलता था, मिस्टर मैकग्रेगर कॉफिडेंट से खड़े हुए और चलने लगे, डॉक्टर सैक ने खुद अपनी आँखों से देखा कि वो स्ट्रेट नहीं चल रहे थे. वो एक साइड को झुके थे, लोगों ने जो बात बोली थी एकदम सच थी. मिस्टर मैकग्रेगर ने जब अपने चलने का वीडियो देखा लो हृद से ज्यादा हैरान थे. उन्होंने बताया कि उन्हें ज़रा

भी फील नहीं होता कि वो एक साइड झुक कर चल रहे है. डॉक्टर सैक ने उस ओल्ड मेन को प्रोप्रियोसेप्शन के बारे में बताया, मिस्टर मैकग्रेगर ने एक छोटा सा एक्जाम्पल देकर ये बताने की कोशिश की कि उन्हें कांसेप्ट समझ आ गया है, ओल्ड मेन ने कहा “सबके दिमाग में एक छोटी सी आवाज़ रहती है जो उन्हें बताती है कि साइड में मत झुको! सीधे चलो! पर मेरे माइंड में ऐसी कोई वौइस् नही है” और डॉक्टर सैक समझ गए कि ओल्ड मेन व्या कहना चाहता है.

मिस्टर मैकग्रेगर ने ये भी कहा कि उनकी ये प्रोब्लम कुछ हद तक कारपेंटर के काम की बजह से भी है, जो वो पहले किया करते थे. वो एक टूल यूज़ किया करते थे जिसे स्पिरिट लेवल बोलते है, जिससे कारपेंटर्स को पता चलता है कि कोई सर्फेस लेवल अप है या नहीं. ये एक बार जैसा लगता है जिसमें मिडल में एक वाटर ट्यूब होती है. जब सर्फेस लेवल अप रहता है तो वाटर बबल ट्यूब के मिडल में रहता है पर अगर सफेस एक साइड को झुका होगा तो बबल कहीं और चला जाएगा.पार्किसन्स की डिजीज होने से मिस्टर मैकग्रेगर का नैचुरल बॉडी “स्पिरिट लेवल’ खराब हो चूका था. अब डॉक्टर सैक और मिस्टर मैकग्रेगर दोनों मिलकर इस प्रोब्लम को दूर करने में जुट गए. मिस्टर मैकग्नेगर के आई ग्लासेस के दोनों साइड में एक एक्सटेंडेड होरिजोंटल लेवल फिक्स किया गया ताकि उन्हें पता चल सके कि वो एक साइड में झुक रहे है या नहीं. शुरू में काफी मुश्किलें आई क्योंकि मिस्टर मैकग्रेगर को बार-बार लेवल चेक करना पड़ता था. लेकिन फिर जल्दी ही उन्हें इसकी हैबिट हो गयी. और फाइनली ओल्ड मेन मिस्टर मैकग्रेगर को एकदम सीचे होकर चलना आ गया था.

आईज राईट Eyes Right मिस्टर मैकग्रेगर के जैसे केसेस को ट्रीट करना काफी चेलेंजिंग है जिन्हें मालूम ही नहीं होता कि उनके साथ कुछ प्रोब्लम है. इसलिए बड़े पेशेंस के साथ हमे उनके साथ मिलकर उन्हें उनकी प्रोब्लम बतानी पड़ती है. फिर पेशेंट को प्रोब्लम सोल्व करने के लिए मनाना पड़ता है. कोई ऐसा तरीका ढूंढना पड़ता है जो उनके लिए बेस्ट हो , जैसे कोई टूल या टेक्नीक जिसे पेशेंट आसानी से एडाप्ट कर सके और अपनी हैबिट बना ले.

आप शायद यकीन नहीं करोगे पर कुछ लोग सिर्फ एक आँख से देख पाते हैं. ये किसी अंधेपन की वजह से नही नोट बल्कि उनके ब्रेन के विजन कष्ट्रोलर के डैमेज होने की वजह से होता है. पेशेंट कों दूसरी साइड देखने के लिए पूरा 360 डिग्री घूमना पड़ता है ताकि उसे पूरा व्यू दिख सके. जिन लोगों को प्रॉब्लम होती है वो लोग सीसीटीवी कैमरे की हेल्प से अपने चारो तरफ देख सकते है. इनकी सिर्फ एक ही आँख काम करती है। इसलिए इन्हें किसी ना किसी टूल की जरूरत पड़ती मिसेज एस. को खतरनाक स्ट्रोक पड़ा था जिससे उनकी राईट आँख सेरिब्रल हेमीस्फियर से अफेक्ट हो गयी. उन्हें अपनी लेफ्ट आँख से कुछ भी नहीं दिखता था. उन्हें नर्स से अक्सर शिकायत रहती थी कि उनकी फ़ड टे में डिजर्ट क्यों नहीं है जबकि डिजर्ट ट् के लेफ्ट साइड में होती थी.

मिसेज एस की नर्स उन्हें बार-बार याद दिलाती थी कि वो उनके पास ही मौजूद है. अगर वो अपना सर घुमा के राईट आई से देखती तो ही उन्हें अपनी नर्स दिखती थी. इस स्ट्रोक की वजह से मिसेज एस को लेफ्ट साइड की कोई चीज़ नजर नहीं आती थी. और वो फेस के सिर्फ राईट साइड का ही मेक-अप करती थी तो दूसरा साइड मेक-अप फ्री रह जाता.

मिसेज एस ने टनिंग इन सर्कल्स” टेक्नीक एडाप्ट कर ली थी ताकि उन्हें लेफ्ट की चीज़े भी नजर आए. इसके बावजूद भी उनसे कई बार गलती हो जाती थी, क्योंकि उनके सारे इम्पल्सेस ऑटोमेटिकली सिर्फ और सिर्फ राईट साइड में जाते थे,

डॉक्टर सैक ने जब मिसेज एस के लिए एक वीडियो कैमरा सेट-अप किया ताकि उन्हें अपने फेस का लेफ्ट साइड दिख सके पर मिसेज एस इस बात से और भी अपसेट हो गयी और उन्होंने लाइफ साइड में देखने से मना कर दिया.

द प्रेजिडेंट’स स्पीच (प्रेजिडेंट की स्पीच The President’s Speech

अफासिया एक ऐसी बिमारी है जिसमे इंसान को वई को समझने और बोलने में प्रोब्लम

उन्हें जो कुछ भी बोला जाता है, वो समझ नहीं पाते,

होती है. यानी जिन लोगों को अफासिया की बीमारी होती है

अफासिया की बिमारी इतनी आसानी से पकड़ में नहीं आती, इसे स्पॉट करना काफी लंबा और धकाने वाला प्रोसेस है. न्योरोलोजिस्ट ये चेक करता है कि पेशेंट अजीब बिहेव कर रहा है या उसके बोलने का तरीका स्ट्रेंज है, वो बिना किसी एक्सप्रेशन या इमोशंस के बात करता है या नहीं. कुछ अफासिया के पेशेंट्स रोबोटिक वौडस में भी बात करते है. अब क्योंकि पेशेंट्स को अव कया कि अफासियो के पशन की व्स समझने में प्रॉब्लम होती है इसलिए उन्हें नॉन-वर्बल क्ल्यूज़ पर डिपेंड रहना पड़ता है., वो किसी की वौडस टोन, बॉडी लेंगुएज और फेशियल एक्सप्रेशन से अंदाजा लगाते है कि सामने वाला क्या बोल रहा होगा. इसके अलावा अफासिया के पेशेंट्स को ईज़ीली पता लग जाता है कि सामने वाला सच बोल रहा है या झूठ, उन्हें सच्चे या फेक पर्सन के बीच का फर्क पता चल जाता है.

की एक और एक्स्ट्राओडीनेरी कंडीशन है जिसे अग्नोसिया बोलते है. ये अफासिया के एकदम अपोजिट है. इसमें पेशेंट्स को सिर्फ और सिर्फ वर्ल्ड समझ आते है. उन्हें शब्दों की टोन या फीलिंग्स समझ नहीं आती है. अग्नोसिया के पेशेंट्स को नॉन वर्बल व्लयूज़ समझ नहीं आते है. हारई में ऐसे ही एक बार होस्पिटल के बार्ड में अफासिया के पेशेंट्स टीवी पर प्रेजिडेंट की स्पीच देखते वक्त जोरों के ठहाके लगा रहे थे. उन्हें प्रेजिडेंट की कोई भी बात समझ नहीं आ रही थी लेकिन उनके फेस से एक्सप्रेशन देखकर वो समझ गए थे कि मिस्टर प्रेजिडेंट जो कुछ बोल रहे है एकदम झूठ है.

अफासिया के अलावा वहां अग्नोसिया के पेशेंट्स भी थे जो टीवी देख रहे थे. उनमे से एक थी एमिली जो पहले एक स्कूल टीचर थी. एमिली को एग्नोसिया था, उसे प्रेजिडेंट की वौइस् टोन, बॉडी लेंगुएज या फेशियल एक्सप्रेशन कुछ अच्छा नहीं लग रहा था. एमिली ने बताया कि उसे प्रेजिडेंट की स्पीच एकदम बकवास लगी. वो जरा भी इम्प्रेस्ड नहीं हुई. और उसने बोला” शायद प्रेजिडेंट को भी बेन डैमेज की प्रोब्लम है या फिर वो कुछ छुपा रहे है”

एस, फादर-सिस्टर (Yes, Father-Sister)

बदकिस्मती से ब्रेन डैमेज के कई सारे रीजन्स है. जैसे कि आपका कोई बड़ा एक्सीडेंट हुआ हो या फिर पर्किन्सन की बिमारी जोकि एक डीजेरेटिव डिजीज है. ह्यूमन ब्रेन के ऊपर ना जाने कितने ही रीसर्च किये गए फिर भी कई ऐसे फैक्टर्स अभी बाकि है जो हमारे लिए एक निस्ट्री बने हुए है. हमारा ब्रेन इतना काम्प्लेक्स है कि अगर इसका कोई पार्ट डैमेज हो जाए तो ह्यूमन बॉडी पर इसका काफी अफेक्ट पड़ता है. जैसे कि मान लो, ब्रेन का अगर फ्रंटल लोब्स कैंसर के टिश्यूज़ से ढका हुआ हो तो पेशेंट में पर्सनेलिटी चेंजेस की प्रोच्लम आ जाती है, ये एक ऐसी कंडिशन है जिसका अभी तक कोई ट्रीटमेंट नहीं निकला. मिसेज बी एक फॉर्मर रीसर्च केमिस्ट है. उनका मूड अचानक से चेंज हो जाता है. जैसे कि एक पल पहले वो फनी होती है तो दुसरे ही पल उन्हें बेहद गुस्सा आता है. उनके इस बदलते हुए मूड से उनके फ्रेंड्स और फेमिली को बड़ी प्रोब्लम होती है. उन्हें लगता है कि जैसे मिसेज बी बदल गयी है, उन्हें किसी की परवाह नहीं है वगैरह-वगैरह. लेकिन उन्हें ये नहीं पता था कि एक ब्रेन ट्यूमर की वजह से मिसेज बी की पर्सनेलिटी में अचानक से चेंजेस आते एक दिन डॉक्टर सैक मिसेज बी से मिले. दोनों जब बाते कर रह थे तो वो उन्हें फादर’ “सिस्टर” या “डॉक्टर के नाम से बुला रही थी. डॉक्टर सैक ने जब इसका रीजन पुछा तो मिसेज बी ने बताया कि डॉक्टर सैक का फेस और दाढ़ी उन्हें एक पादरी की याद दिलाती है और उनके कपड़े एक नन की. लेकिन जब वो उनके स्टेथोस्कोप को देखती है तो उन्हें डॉक्टर बोलती है. मिसेज बी ने ये भी बताया कि ये बात ज्यादा मैटर नही करती हालाँकि उन्हें मालूम है कि डॉक्टर, पादरी और नन अलग-अलग होते है. तो ये मिसेज बी का आउटलुक था. उनके लिए कुछ भी मैटर नहीं करता था क्योंकि उनकी नजरो में सब सेम था. और उसने ये भी बताया कि उन्हें इस बात से कोई प्रोल्लम नहीं है की उनको सब एक जैसे लगते हैं.

हैंड्स (Hands)

इमेजिन करो आपके एक्जाम आने वाले हैऔर आप काफी नर्वस हो क्योंकि इन एक्जाम्स के ग्रेड्स आपके लिए काफी मैटर करते है. आप स्टडी करने बैठते हो पर बुक में आपका मन नहीं लगता. आप जो पढ़ते हो सब माइंड से निकल जाता है, आपको बार-बार यही ख्याल आता है कि आप एक्ज़ाम में फेल होने वाले वाले हो. फेल होने का डर आपको पढ़ने नहीं दे रहा. आप इतने टेंशन में हो कि आपको कुछ समझ नहीं आ रहा. आप चाह कर भी कुछ नहीं कर पाते. तो, देखा आपने थौट्स कितने पॉवरफुल होते हैं. जब आपको लगे आपसे कुछ भी अचीव नहीं होगा तो सच में ऐसा होता है. जिस काम के लिए आपका माइंड नेगेटिव सोचता है तो बॉडी भी साथ नहीं देती. मैडेलीन एक 60 साल की है. उसे सेरिब्रल पाल्सी की बिमारी है, वो अंधी और बीमार रहती है. मैडलीन अपने लगातार हाथों की वजह से कोई काम नहीं कर पाती.जब से वो पैदा हुई है पूरी तरह अपने घरवालो पर डिपेंड है. अपने हाथो की कंडीशन की वजह से उसे ब्रेल से पहने में भी दिक्कत होती थी. अगर कुछ पढ़ना हो तो उसे लोगो पर डिपेंड रहना पड़ता है. डॉक्टर सैक ये जानकर हैरान रह गए क्योंकि उन्हें नहीं पता था कि मैडलीन को इतनी सिरियस प्रोब्लम मैडलीन अपने हाथो से टच करके सब कुछ फील कर सकती है, लाइट टच, पेन, टेम्परेचर वगैरह, लेकिन वो अपने हाथों से चीज़ें नहीं पहचान पाती, यहाँ तक कि डॉक्टर सैक के हाथों को भी नहीं पहचान पाई, ये चीज़ और भी हैरान करने वाली थी क्योंकि डॉक्टर को लगा कि मैडलीन अगर सेंसेसन फील कर सकती है तो चीजों को टच करके उन्हें पहचान क्यों नहीं सकती ? फिर डॉक्टर सैक को ख्याल आया कि मैडलीन अपने हाथों को युज करना इसलिए नही सीख पाई क्योंकि उसकी फेमिली ही उसे सब कुछ करके देती थी. क्योंकि सबको यही लगता था कि मैडलीन के लगातार हिलते हुए हाथ किसी काम के नहीं है. और यही वजह थी कि मैडलीन को अपने हाथों से चीजों को एक्सप्लोर करने का मौका नहीं मिला था.

अपने बिलिफ्स के अगेंस्ट जाना मुश्किल होता है, मैडलीन कई सालों से यही मानती आ रही थीं कि उसके हाथ बेकार है. तो डॉक्टर सैक ने एक सिंपल उन्होंने नर्स को बोला कि वो जानबूझकर मेडलीन के खाने की ट्रे उसकी पहुँच से थोड़ा दूर रखें, नर्स ने ऐसा ही किया और जब मेडलीन को बेहद भूख लगी तो उसने नर्स के आने का वेट नहीं किया बल्कि खुद ही अपने खाने की ट्रे पकड़ ली. 60 सालों में पहली बार मैडलीन ने अपने हाथो का यूज़ किया प्लान बनाया.

था. इस एक्सपेरिमेंट के बाद मैडलीन के अंदर और भी ज्यादा इम्प्रूवमेंट आया. फिर कुछ ही टाइम के बाद उसने क्ले स्कल्पचर से चेहरा, सिर और बाकि फिगर्स बनाने सीख लिए.

कनक्ल्यू जन (Conclusion)

इस बुक को पढ़ने के बाद आपने कुछ चीज़े सीखी होंगी, पहली तो ये कि हमारा बेन वैसे तो काफी सॉफ्ट ओर्गन है पर इतना पॉवरफुल है कि हमारी पूरी बॉडी को कण्ट्रोल करता है. दूसरी चीज, जब ब्रेन में कोई इंजरी हो जाती है तो इस बात के पूरे चांस है कि हमारी बॉडी के बाकि हिस्से भी अफेक्ट हो सकते है. तीसरी चीज़, बेन में एक छोटी सी चोट या ट्रामा भी काफी सिरियस प्रोब्लम बन सकती है. और लास्ट में, ब्रेन की इन रेयर कंडीशंस के बारे में जानकर हमे उन पेशेंट्स को समझने में हेल्प मिलेगी जिन्हें ये प्रोब्लम है. इन पेशेंट्स की लाइफ बहुत मुश्किलों से भरी है. कम से कम हम इतना तो कर सकते है कि उनके साथ प्यार और नरमी से बत्ताव करे. और हमे उन्हें एकरेज भी करना चाहिए. इन पेशेंट्स को ब्रेन की रेयर कंडीशन या बिमारी है तो इसका ये मतलब नहीं कि इनकी लाइफ बर्बाद है, ऐसा नहीं है, इन्हें भी जीने का उतना ही हक है जितना कि नोर्मल लोगो को. अपनी फेमिली और फ्रेंड्स के सपोर्ट से ये लोग भी एक खुशहाल और सक्सेसफुल लाइफ जी सकते है.

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