THE LAST LEAF by O.Henry.

Readreviewtalk.com

वाशिंगटन स्क्वायर के बाईं ओर एक छोटे से डिस्ट्रिक्ट की बड़ी गलियां आगे जाकर आपस में गुथी हुई और छोटी-छोटी गलियों में बट जाती थी जिन्हें प्लेसेस कहा जाता था. ये प्लेसेस अजीब से एंगल्स और मौड़ बनाते थे, जैसे कि एक ही गली खुद को एक या दो बार क्रोस करती थी. इन गलियों की खास बात ये थी कि कोई बाहर का आदमी यहाँ आकर सही ठिकाने पर पहुँच ही नहीं सकता था. इसलिए कई सारे खस्ताहाल आर्टिस्ट यहाँ रहते थे जो उधार मांग कर कैनवास, ब्रश, रंग वगैरह खरीदते थे और अगर कोई उधारी मांगने आये तो वो बेचारा भूल-भुल्लैया में भटक कर वापस चला जाता था. और इसी वजह से इस बेहद पुराने ग्रीनविच विलेज में आर्टिस्ट आकर बसने लगे थे. एक तो यहाँ किराया सस्ता था और दुसरे उन्हें अपनी तस्वीरे बनाने के लिए यहाँ कई पुरानी और अनोखी ईमारते मिल जाती थी, पास ही के मार्किट में बेहद सस्ते बर्तन और कपड़े वगैरह भी मिल जाते थे, इस तरह धीरे-धीरे यहाँ आर्टिस्टो की एक कॉलोनी बस गई थी.

एक Square shape की तीन मंजिला ईमारत के टॉप फ्लोर पर स्यू और जोहन्स्य (Sue and Johnsy) का अपना स्टूडियो था, जोसी (“Johnsy”) का पूरा नाम था जोआना (Joanna). दोनों लड़कियों में से एक मैन सिटी की रहने वाली थी तो दूसरी कैलिफोर्निया की. वो लोग फर्स्ट टाइम एट स्ट्रीट के डेलमोनिको कॉफी हाउस की टेबल मिले थे. दोनों की जब बातचीत हुई तो उन्हें पता चला कि उनके काफी कुछ कॉमन है जैसे आर्ट, चिकोरी सलाद और बिशप स्लीव्स और इस तरह दोनों की दोस्ती हुई और दोनों ने मिलकर एक स्टूडियो खोला, ये मई महीने की बात थी. पर नवंबर की ठंड आते-आते अजनबी बिमारी जिसे डॉक्टर्स न्यूमोनिया बोल रहे थे, पूरी कॉलोनी में फैलने लगा था उन दिनों काफी लोग इस बिमारी की चपेट में आ रहे थे.

शुरू-शरू में बीमारी शहर के ईस्ट साइड तक फैली थी पर धीरे-धीरे तंग गलियों वाले प्लेसेस का इलाका भी इसकी चपेट में आ गया था. उन दिनों न्यूमोनिया कोई मामूली बिमारी थी जो आसानी से काबू में आ जाए. शहर के डॉक्टरों को एक मिनट की भी फुर्सत नही मिल पा एक के बाद एक न्यूमोनिया के केस आ रहे थे, न्यूमोनिया ने जोहन्सी को जो हाल किया था उससे तो यही लगता था कि ये बिमारी अंदर ही अंदर इंसान को धुन की तरह चाट जाती है. सेहतमंद और खुशमिज़ाज़ जोन्सी दिनों-दिन कमजोर पड़ती जा रही थी. वो एक पुरानी जंग लगी चारपाई पर लेटी रहती और दिनभर खिड़की के बाहर देखती जहाँ अगली बिल्डिंग के पीछे की ईंटो की दीवार दिखती थी, एक दिन बिजी डॉक्टर ने सूए को बुलाया. Grey Color की घनी-घनी आईब्रो वालले डॉक्टर ने पकड़ा क्लिनिक थर्मामीटर झटकते हुए कहाः अपने हाथों में पकडा *उसके बचने के चांसेस बहुत कम है, दस में से एक मान के चलो. और चो एक चांस भी तब है जब वो खुद जीना चाहे. ऐसें लोगो ने पूरे मेडिकल साइंस का मजाक बना के रखा है, तुम्हारी दोस्त ने मन बना लिया है कि उसे जीना ही नहीं है, क्या चल रहा है उसके दिमाग में?

यो- दरअसल वो काफी टाइम से बे ऑफ़ नेपल्स पेंट करना चाहती थी” सूए बोली.

पेंटिंग हूँ! उसके मन में कोई और नहीं जो सोचने लायक हो जैसे किसी लड़के का चक्कर” बात तो “लड़का? सुए काँपती आवाज़ में बोली” —वया बस आदमी ही सोचने लायक चीज़ है, नो, नो उसका कोई चक्कर-वक्कर नही है”

अच्छा, फिर हो सकता है कि ये कमजोरी की वजह से हो. डॉक्टर बोला” जितना मेरे हाथ में है, मे उसे बचाने की हंड्रेड परसेंट कोशिश कर सकता हूँ पर एक बार पेशेंट खुद जीने की उम्मीद छोड़ दे तो चांसेस फिफ्टी परसेंट कम हो जाते हैं. फिर दवाई भी असर नही करती. अगर तुम किसी तरह उसके अंदर जीने की ईच्छा फिर से जगा दो तो में प्रोमिस करता हूँ कि उसके चांसेस दस में एक से पांच में एक हो सकते हैं.

डॉक्टर के जाने के बाद सुए वर्करूम में जाकर खूब रोई. जी भर रोने के बाद उसने अपने आंसू पोंछे, और चेहरे पर एक लापरवाही लाते हुए सीटी बजाती जोहन्सी के रूम में आई.

जोहन्सी उसी तरह चुपचाप बिस्तर पर लेटी हुई थी, उसका फेस खिड़की की तरफ था. सुए ने सीटी बजाते-बजाते ये सोचकर रुक गई कि कहीं वो सो ना रही हो. उसने अपना बोर्ड ठीक किया और मैगज़ीन स्टोरी के लिए पेन और इंक से ड्राइंग बनानी शुरू कर दी. उसके जैसे नए और यंग आर्टिस्ट अक्सर उन मैगज़ीन स्टोरीज़ के लिए पिक्चर्स बनाकर पैसे कमाते थे जिनमें नए ओधेर्स अपने राईटिंग करियर की शुरुवात के लिए लिखा करते थे.

सुए ने अभी तस्वीर में रंग भरने शुरू ही किये थे कि उसे कराहने की आवाज़े आई. बार-बार जैसे कोई धीरे-धीरे रो के बिस्तर के पास गयी.

जोहन्सी की आँखे खुली थी, खिड़की के बाहर देखते हुए वो उलटी गिनती गिन रही थी बारह, उसने गिना.. वो कुछ पल रुकी और फिर से गिनने लगी.ग्यारह… दस.. न. आठ…सात…

रहा हो. वो जल्दी से उठकर जोस्सी जोहन्सी की ऐसी हालत देखकर सुए को उसकी फ़िक्र होने लगी. उसने भी खिड़की के बाहर देखा, ये देखने के लिए कि जोहन्सी क्या काउंट कर रही है. वहा तो कुछ भी नहीं था, सिर्फ एक खाली यार्ड था और उनके चर से बीस फीट दूर एक इंटो की ईमारत खड़ी थी, एक पुरानी, सूखी सी मुरझाई फूलो की बेल ईंट की दिवार के आधे हिस्से तक फैली हुई थी. पतझड़ के मौसम में बेल के सारे हरे पत्ते सूख कर गिर गए थे और बस बेल की सूखी टहनियाँ बची थी

“क्या हुआ डियर? सुए प्यार से उसके पास जाकर बोली,

‘छेह” जोहल्सी जैसे खुद से बड़बड़ाते हुए बोल रही थी. अब तो बड़ी तेज़ी से गिरते जा रहे है. तीन दिन लगभग सौ पत्ते थे. गिनते-गिनते मेरा सर दर्द हो गया था. लेकिन अब आराम से गिन पा रही हूँ. लो! एक और गिरा. अब बस पांच बचे है

पांच क्या, डियर ? बताओ मुझे!”

पत्तियाँ, उस अंगूर की बेल पर, जब लास्ट वाली भी मिर जायेगी तो में भी नहीं रहूंगी, मुझे तो तीन दिन पहले ही पता चल गया था, डॉक्टर ने तुम्ह बताया नहीं?

“ओह! क्या बकवास है! सुए ने झुंझलाते हुए कहा. “इस पुरानी सूखी अंगूर की बेल का तुम्हारे ठीक होने से क्या लेना-देना?’ और तुम्हे तो अंगूर बड़े पसंद भी है, शैतान लड़की, पागल मत बनो, क्यों? डॉक्टर ने तो मुझे बोला है कि तुम्हारे ठीक होने के काफी चांसैस है- क्या बोल रहा था वो? हाँ, उसने बोला था कि दस में से एक चांस है! और सही तो है. अच्छा, अब तुम थोड़ा सूप पी लो. मुझे भी अपना काम करना है

ताकि मैं तो पेंटिंग्स एडिटर को बेच कर अपने बीमार बच्चे के लिए पोर्ट वाइन और अपने लिए पोर्क चोप्स खरीद सकू तुम्हें और वाइन खरीदने की जरूरत नही पड़ेगी” जोह्सी । खिड़की के देख रही थी. ” एक और गिरा! नहीं, ये ले जाओ, मुझे

नही पीना है. चार पत्तियां बची अँधेरा होने से पहले लास्ट वाली भी गिरते देखना चाहती हूँ. फिर मै भी चली जाउंगी” सूप जोस्सी डियर, सुए प्यार से उसके बाल सहलाती बोली, ” मुझे प्रोमिस करो कि तुम अपनी आँखे बंद करके कुछ देर आराम करोगी और विंडो के बाहर मत देखना तक मैं। अपना काम पूरा ना कर लू? मुझे कल तक ये पिक्चर्स देनी है. मुझे उजाले रहते ये काम पूरा करना है. “क्या तुम दुसरे रूम में पेंटिंग नहीं कर सकती? जोहसी ने बेहद ठंडे लहजे में कहा.

नहीं, मुझे तुम्हारे साथ रहना है, सुए बोली, इसके अलावा मैं नहीं चाहती कि तुम उस सड़ी अंगूर की बेल को देखो ‘मुझे बता देना जब तुम्हारा काम हो जाये, क्योंकि लास्ट वाली पत्ती को गिरते हुए देखना चाहती हूँ, मै अब और इंतज़ार नही कर सकती, मुझे अब शांति चाहिए, हमेशा-हमेशा के लिए जैसे इन पत्तियों को मिली है जो बेल से टूटकर मिटटी में मिल जाएँगी.” जोहन्सी ने अपनी आँखे बंद की ओर किसी मूर्ती की तरह बिस्तर पर गिर गई.

सोने की कोशिश करो; सुए बोली” मुझे ओल्ड हर्मिट माईनर की पिक्चर बनाने के लिए उस बुड़े बेहरमन को बुलाना पड़ेगा ताकि वो मेरा मॉडल बन सके. टेंशन मत लो, तुम्हे कुछ नहीं होगा, मैं बस एक मिनट में आई, यहाँ से हिलना मत!

बूढ़ा हरमन एक पेंटर था जो उनके फ्लैट के नीचे वालें फ्लैट में रहता था. वो साठ साल से ऊपर का था और उसके फेस पर माइकल एंजेलो वाली दाढ़ी था। थी. बेहरमन बहुत सालो से पेंटिंग कर रहा था पर वो अभी तक एक सक्सेसफुल पेंटर नही बन पाया था. कई सालो से उसकी ख्वाहिश थी कि वो एक मास्टरपीस बनाए जो वो अभी तक बना नहीं पाया था. कभी-कभार उसे किसी एडवरटाईजिंग के लिए कुछ पेंट करने का काम मिल जाता था और बाकि टाइम वो अपनी कॉलोनी के यंग आर्टिस्ट के लिए मॉडल बन जाता था जो प्रोफेशनल मॉडल हायर नही कर सकते थे. और इस तरह उसका गुज़ारा चल रहा था. कुल मिलाकर वो एक खस्ताहाल स्ट्रगलिंग पेंटर तो था ही ऊपर से एक शराबी भी था जो दारू पीकर हमेशा यही बोलता रहता था” एक दिन मै अपना मास्टरपीस बना के रहूँगा”. बाकि लोगों के लिए वो एक गुस्सेल बुड्ढा था पर सुए और जोहन्सी की मदद के लिए वो हमेशा तैयार रहता था.

दो।

सुए उसे ढूंढते हुए नीचे आई तो उसने अँधेरे में बेहरमन को जुनिपर बेरीज पास खड़े पाया. एक कोने में खाली ईजल पर रखा कैनवास पिछले पचीस सालों से अपने मास्टरपीस का इंतजार कर रहा था, सुए ने उसे बताया कि जोहन्सी की हालत बेहद नाजुक है वो पत्ते से पीली पड़ती जा रही है और खुद की जिंदगी को अंगूर के पत्तों के साथ जोड़ कर देख रही है. सुए की बात सुनकर बेहरमन हैरान रह गया.

क्या? वो लड़की पागल है क्या? उसने गुस्से से लाल आँखे दिखाते हुए कहा, “बेवकूफी की भी हद होती है! पेड़ो से पत्ते गिर रहे है तो क्या लोग भी मर जायेंगे? ऐसी वाहियात बात मैंने आज तक नही सुनी. मुझे नही बनना कोई मॉडल-योडेल… रुको! मैं भी आता हूँ उस बेचारी को देखने। बड़ी कमजोर हो गयी है” सुए बोली. बुखार उसके दिमाग में चढ़ गया है इसीलिए वो अजीब-अजीब सी बातें कर रही है, ठीक है मिस्टर बेहरमन, अगर तुम मेरे मॉडल नहीं बन सकते तो कोई बात नही. लेकिन इतना जरूर बोलूंगी कि तुम जैसा सनकी बुड्धा आज तक नहीं देखा!

“तुम भी बाकि औरतो की तरह निकली! वेहरमन गुस्से से चिल्लाया. किसने कहा मै मॉडल नही बनूँगा? चलो, मै आ रहा हूँ. आधे घंटे से तुम्हें समझाने की कोशिश कर रहा हूँ कि मैं तुम्हारे लिए पोज़ करूंगा. समझी! ये कोई ऐसी-वैसी जगह नहीं है जहाँ मिस जोहन्सी बेचारी बीमार पड़ी रहे. देखना तुम, इशारा किया. दोनों चुपके से दुसरे रूम की विंडो पर जाकर खड़े हो गए, उन्होंने खिड़की के बाहर अंगूर की बेल की तरफ देखा और फिर एक दुसरे को,

एक दिन में अपना मास्टरपीस बनाऊंगा, और फिर हम लोग किसी ढंग की जगह में जाके रहेंगे, समझी कि नही! सुए जब ओल्ड बेहरमन के साथ ऊपर पहुंची तो उस वक्त जोहन्सी सो रही थी. सुए ने खिड़की का पर्दा खींचा और बेहरमन दुसरे रूम में आने का कुछ देर दोनों चुप रहे. सुबह से ही बारिश की ठडी बूंदे गिर रही थी और अब बर्फबारी भी शुरू हो गयी थी. बेचारा बुड़ा बेहरमन इतनी सर्दी में भी एक फटी-परानी से नीली कमीज पहने थी, वो. एक उल्टी रखी केतली के ऊपर पोज बनाकर बैठ गया और सुए उसकी पेंटिंग बनाने लगी.

दुसरे दिन सुबह जब सुए उठी तो उसने देखा जोह्सी उससे पहले ही उठ चुकी है और अभी भी बीमार लग रही थी. वो खिडकी के हरे परदे की तरफ देखते हुए कमजोर आवाज़ में बोली: इसे उठाओ! मैं बाहर देखना चाहती हूँ”

डरते-डरते सुए ने खिड़की पर स परदा उठाया.

पर ये क्या! इतनी हवा, बारिश और बर्फबारी के बावजूद एक पत्ती अभी भी बची थी. जमीन से कोई बीस फीट ऊपर बेल की सूखी टहनियों के बीच और पीले रंग की वो पत्ती दूर से नजर आ रही थी.

“ये लास्ट वाली है, जोडन्सी बोली, मुझे लगा रात को ये पक्का गिर जायेगी. मुझे जोरों से हवा चलने की आवाज़े आ रही थी. पर आज तो ये जरूर गिरेगी और इसके साथ ही मै भी मर जाउंगी”

हरे जोसी, जोहल्सी! तुम्हें क्या हो गया है? अगर तुम्हे अपना ख्याल नही है तो कम से कम मेरे बारे में सोचो “तुम्हारे बिना मैं क्या करूगी?’ पर जवानी ने कोई जवाब नहीं दिया. एक अकेली आत्मा जो इस दुनिया को छोड़कर कहीं दूर, बहुत दूर जाना चाहती है उससे ज्यादा अकेला भला और कौन हो सकता है?

पूरा दिन गुजर गया, रात भी हो गयी थी पर अंगूर की वो इकलौती पत्ती अभी भी दीवार से चिपकी थी. रात को फिर से ज़ोरों की बारिश हुई पर नही गिरी,

अगले दिन धूप खिली थी, जोहन्सी ने एक ठंडी आह भरी और सुए से खिड़की का पर्दा उठाने को बोला.

लास्ट लीफ अभी भी नहीं गिरी थी,

पत्ती जोसी काफी देर तक उसके गिरने का इंतज़ार करती रही. और फिर उसने सुए को आवाज़ दी जो किचन में उसके लिए चिकेन सूप बना रही थी. मै बहुत बुरी हूँ ना सुए! जोहन्सी बोली” इस लास्ट लीफ ने मुझे रिएलाइज करा दिया है कि मै बेहद मतलबी लड़की हूँ. ऊपरवाले से मौत माँगना पाप में होता है. पर अब मैं मरना नहीं चाहती, मेरे लिए थोड़ा सा सुप ले आओ.-नहीं उससे पहले मुझे छोटा शीशा दो, मेरे खाना पकाते देखूंगी”

एक घंटे बाद वो बोली. सुए, एक दिन में बे ऑफ़ नेपल्स बनाउंगी” “

र में डॉक्टर आया, जब वो जवानी को देखकर जाने लगा तो सुए उसके पीछे हालरूम में आई. दोपहर पीछे तकिये रख दो, मै बैठकर तुम्हे “अब चांसेस है” उसने सुए के पतले कापते हुए हाथों को पकड़ते हुए कहा, तुमने उसकी अच्छी देखभाल की है. अब मै चलता हूँ, नीचे वाले फ्लैट में एक और केस देखना है, कोई बुड्डा आर्टिस्ट है-क्या नाम था उसका? हाँ बेहरमन, उसे भी न्यूमोनिया हुआ है. बेचारा काफी बुड्डा और कमजोर है ऊपर से काफी तेज़ बुखार है. बचने की उम्मीद बहुत कम है. अगर वो होस्पिटल जाए तो शायद बच सकता है.

अगले दिन डॉक्टर ने सुए को बताया: अब जोहन्सी एकदम ठीक है. तुम जीत गयी. अच्छी देखभाल और खाना-पीना, बस इससे ही मरीज़ ठीक हो जाता जाता है.

और उसी दोपहर में सुए दौड़ती हुई जोहस्सी के पास आई, जोहन्सी बिस्तर तकियों के सहारे बैठी एक नीले रंग का स्कार्फ बुन रही थी. “मुझे तुम्हे कुछ बताना है, जोहन्सी! हुए बेहद दुख भरी आवाज़ में बोली” मिस्टर बेहरमन आज होस्पिटल में न्यूमोनिया से मर गये. दो दिन पहले तक वो ठीक थे, परसों सुबह चौकीदार ने उन्हें उनके रूम के बाहर दर्द से कराहते देखा था, उनके जूते और कपड़े पानी में भीगे हुए थे, पता नही रातभर वो कि ये अभी तक गिरी क्यों नही? आह, डार्लिंग, यही है बेहरमन का लास्ट मास्टरपीस जो उसने मरने से पहले बनाया था. तुम्हे बचाने की खातिर, उस कहाँ थे. लोगों को उनके पास से एक जलती हुई लालटेन भी मिली थी और एक सीढ़ी भी, कुछ पैट ब्रश और एक प्लेट में हरा और पीला रंग. और देखो जोहन्सी। – सुए ने खिड़की के बाहर इशारा करते हुए बोला- दीवार पर चिपकी उस लास्ट लीफ को गोर से देखो. क्या तुम्हे अजीब नहीं लगता रात जब आखिरी पत्ता गिरा तो उसके बाद बेहरमन ने उस पत्ते की हु-ब-हू पेंटिंग दिवार पर बना दी.

दोस्तो कई बार लोग लाईफ में इन्टरेस्ट ही खो देते है क्योकि हमारा कई बार लाईफ की तरह नेगिटेव एटिट्यड होता है। और ये स्टोरी हमें सिखाती है कि एक पोस्टिव माईन्डसेट की क्या ताकत है और लाईफ में पोस्टिव एटिट्यूट्ड कितना ज्यादा इम्पोरटेन्ट है। ये स्टोरी हमे ये भी सिखाती है कि कई बार सेक्रीफाईज भी किसी को जिंदगी दे सकती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *