THE COURAGE HABIT by Kate swoboda.

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About Book

क्या कभी आपको ऐसा लगा कि जैसे आप जिंदगी की उलझनों में फंस गए है ? क्या आप उन बंधनों को तोडना चाहते हो जो आपको बांधे हुए है ? हम में से हर कोई अपने अंदर कोई न कोई बदलाव चाहता है पर वो बदलाव कैसे लाये ये हम नही जानते. आपके मन में भी अगर इस तरह के सवाल है तो ये किताब आपके लिए है. ये किताब आपके प्रोब्लम का सोल्यूशन लेकर आई है. ये बुक आपको स्टेप बाई स्टेप अपनी स्टोरी में चेंज लाना सिखाएगी. इसे पढ़कर आप सीखोगे कि अपनी हैबिट कैसे चेंज की जाए, अपने डरो का सामना कैसे किया जाए और एक अपने लिए एक बैटर फ्यूचर कैसे बनाया जाए.

ये समरी किस-किसको पढ़नी चाहिए?

टीनएजर्स

कॉलेज स्टूडेंट

. यंग प्रोफेशनल

ऑथर के बारे में

केट स्वोबोडा YourcourageousLife ब्लॉग की क्रिएटर और करेजियस लिविंग प्रोग्राम की ऑथर है. साथ ही वो करेजियस लिविंग कोच सर्टिफिकेशन प्रोग्राम की फाउंडर भी है. केट की स्पेशल बात है कि वो लोगो ये सिखाती है कि हम कैसे ब्रेव बने, अपने डर का सामना कैसे करे और अपनी लाइफ में कैसे बदलाव लेकर आये. दुनिया के टॉप 50 blogger की लिस्ट में केट भी शामिल है जो हेल्थ और फिटनेस की दुनिया में एक रियल चेंज लेकर आये है.

इंट्रोडक्शन

अगर मै आपसे पूछू क्या आप ब्रेव हो, तो आपका जवाब क्या होगा?

ब्रेव होने का मतलब सिर्फ ये नहीं कि हम कुछ डिफरेंट करे या कहीं किसी खतरनाक ट्रिप पर जाएँ बल्कि ब्रेव होने का मतलब है कि हम अपनी लाइफ इस किताब से हम सीखेंगे कि जिंदगी को सच्चाई और बहादुरी के साथ कैसे जिया जाये. ये किताब उन कॉन्सेप्ट्स को एक्सप्लेन करती है और हर चैप्टर

के हर पार्ट को पूरी ईमानदारी और सच्चाई के साथ जिएँ।

हमें प्रेक्टिकल एक्सरसाइज़ देती है.

सबसे पहले आपको अपनी आत्मा में गहराई से झांक कर देखना होगा कि आप असल में हो कौन और आपकी जिंदगी का मकसद क्या है. ये जानना बेहद जरूरी है कि हम जिंदगी से क्या हासिल करना चाहते है.

और जब आपको मालूम हो जाए कि आपको लाइफ से क्या चाहिए तो आप अपनी तीन प्राईमरी फोकस और तीन कॉमन डर को आइडेंटीफाई करना सीखोगे जो आपको अपनी सच्चाई तक पहुँचने से रोक रहे है. फिर आप सीखोगे कि अपना बॉडी स्कैन कैसे करना है ताकि आप अपने डर को कण्ट्रोल कर सको और इसे खुद पर हावी होने से रोक सको. अपने डर

का सामना करते ही आप बिना अटैच हुए अपने मन की आवाज़ सुनने लगोगे. ये किताब हमे एक और चीज़ भी सिखाती है, कि हमे अपनी लिमिट पहचान कर उन्हें अपनी ताकत बनाना है. और एक लास्ट प्रिंसिपल जो हम यहाँ सीखेंगे कि कैसे अपने दोस्त बनाये जो हमे जिंदगी के हर मोड पर सपोर्ट करे और हमारी हैबिट चेंजिंग जर्नी में

हमारा साथ दे.

आपके सबसे डेयरिंग ड्रीम को पूरा करने के लिए ये बुक आपकी जर्नी बनेगी, तो आइये फर्स्ट स्टेप से हम इस जन्नी की शुरुवात करते है.

Your Most Courageous Self

इस चैप्टर को शुरू करने से पहले आपसे एक सवाल का जवाब जानना है: क्या अभी आपकी लाइफ में ऐसा कुछ है जिससे आप खुश नहीं हो ? असल

में हो सकता है कि आप खुद में, अपने काम में या अपने रिलेशनशिप की ऐसी एक दो चीज़े हो जिन्हें आप बदलना चाहते हो. आपने शायद नोटिस किया होगा कि आपकी बॉडी आपको हिट या क्लू दे रही है, ये आपसे कहना चाहती है कि आप अभी अपने हालात से खुश नहीं

हो लेकिन शायद आप है कि अपने बॉडी सिग्नल को इग्नोर करते रहते हैं क्योंकि बदलाव का ख्याल ही हमारे लिए डरावना और मुश्किल है. भी बड़े सपने देखते हो पर आपके अंदर एक आवाज़ आपसे यही कहती है कि आपको रियेलस्टिक होना चाहिए, आपकी प्रोब्लम का एक

ही सोल्यूशन है कि आप खुद को बेहतर तरीके से समझो और ये सोचो कि आप लाइफ से आखिर चाहते क्या हो? अगर आपने इन सवालों के जवाब ढंढ लिए तो समझ लो कि आप फर्स्ट टाइम अपने मोस्ट करेजियस सेल्फ से मिलोगे फिर अपने डीम तक पहुँचने के

लिए आप प्रेक्टिकल स्ट प्लान कर सकते हो.

चलिए हम शे (Shay) की कहानी सुनते हैं जो एक योगा टीचर है और वो काफी वक्त से ट्रेडिशनल योग मेथड फोलो करती आ रही है, एक दिन करेज जैविट पर वर्क शॉप अटेंड करने के बाद शे ने कुछ ऐसा रियलाइज़ जिसने उसकी लाइफ को पूरी तरह से बदल के रख दिया,

वैसे हर योगा क्लास के बाद शे को हमेशा एक ही रीमार्क मिलता था. हर क्लास के एंड में यो अपने स्टूडेंट्स को बोलती थी अपना पोज़ मत भूलना” और फिर क्लास खत्म हो जाती. लेकिन के अंदर से कुछ और थी. वो जैसी स्ट्रोंग और तेज़ थी वही चीज़ दो अपने योग क्लास में लाना चाहती थी. अपने मोस्ट करेजियस सेल्फ से एक ऑनेस्ट टॉक करने के बाद उसने डिसाइड कर लिया कि उसे अपनी योगा क्लास में चेंज लाना है. शे ने एक लेदर जैकेट खरीदी, जैसी लोग अक्सर मोटरसाइकल ड्राइव करते वक्त पहनते हैं. उस दिन शे एक नए एटीट्यूड के साथ क्लास में आई. उसने अपने स्टूडेंट्स को उस दिन ऐसे योगा पोज ट्राय करने को बोला जो उन्हें पसंद नही थे और मुश्किल लगते थे. पर शे ने उन्हें करेजियस बनने और अपनी लिमिटेशन को चैलेन्ज करने के लिए मोटिवेट किया.

किसी ने भी शिकायत नहीं की, सब चुपचाप उन पोज की प्रेक्टिस करने लगे जो शे ने उन्हें करने को बोले थे, किसी ने ये नही बोला कि शे उनसे जबर्दस्ती योगा पोजेस करवा रही है. शे के स्टूडेंट्स उसे काफी पसंद करते थे और उन्हें अच्छा लगा कि शे उन्हें अपनी लिमिट से बढ़कर कुछ करने के और नतीजा ये हुआ कि शे की योगा क्लास लोगों में पोपुलर हो गई, उसके पास हमेशा योगा सीखने वालो की भीड़ लगी रहती थी.

थी. लिए मोटिवेट कर रही थ

शे की स्टोरी इस बात का प्रूफ है कि लाइफ में चेंज लाने के लिए सिर्फ अपना नजरियाँ चेंज करने की जरूरत है. हालाँकि शे चेंज से घबराती थी पर वो

आगे बढ़ी और उसने वही किया जो वो हमेशा से करना चाहती थी,

क्योंकि वो खुद को अच्छे समझ चुकी थी और ये भी जान चुकी थी कि उसे क्या करना है. शे अपनी मोस्ट करेजियस लाइफ जीने के लिए जरूरी स्टेप्स लेने को तैयार थी.

आप भी इस सिंपल एक्सरसाइज से अपने मोस्ट करेजियस सेल्फ को ढूंढ सकते है, पहले बैठ जाओ और फिर सोचो कि आपकी लाइफ का वो कौन सा दिन था जिस दिन आपने फ्रीडम का सबसे ज्यादा एहसास हुआ था. जिस दिन आपको लगा कि आप जो चाहे कर सकते हो और जो चाहे बन सकते हो. जो आपने देखा और फील किया उसे एक पेपर पर लिखो. लिखो कि आप अपनी लाइफ बिना किसी लिमिटेशन के कैसे जीना चाहते हो. आप अपनी लाइफ के हर एस्पेक्ट में ये एक्सरसाइज़ प्रेक्टिस कर सकते हो. शान्ति से बैठकर सोचो और अपनी जिंदगी की तीन मोस्ट प्राइमरी फोकस के बारे में लिखो जिन्हें आप चेंज करना चाहते हो. यही तीन प्राइमरी फोकस होंगे जिन पर आप इस पूरी बुक को पढ़ने के दौरान ध्यान देंगे. तो चलिए स्टार्ट करते है.

Habits and Courage

क्या आपको याद है लास्ट टाइम कब आपने कोई नई हैबिट डालने की कोशिश की थी और आपकी इनर voice आपसे बार-बार कह रही थी कि ये चीज़ पॉसिबल नहीं है? बेल, हमारी ये इनर voice हमेशा ही हमे पीछे धकेलती है.

अपनी मोस्ट करेजियस लाइफ जीने की कोशिश करते वक्त आपको डर भी लगेगा और आपके अंदर कई सारे डाउट्स भी आयेंगे. ये डर आपके ओल्ड

पैटर्स और रूटीन को वापस आने के लिए ट्रिगर करेगा और आपको सक्सेसफुल नही होने देगा. ऐसी हालत में आपको ये देखना होगा कि कहीं आपका हमारे अंदर जो डर होता है उसके अलग-अलग रूप हो सकते है. जैसे कि आपको मेमोरी लोस हो सकती है या अचानक से थकावट या बीमार होने की

डर आपको चेंज लाने से नहीं रहा.

फीलिंग आ सकती है. हमारा डर कैसे काम करता है, ये जानने के लिए याद करो जब लास्ट टाइम आपने चेंज करने की कोशिश की थी पर आप नहीं

कर पाए थे. ऐसी क्या वजह थी जो आप सक्सेसफुल नहीं हो पाए?

चलिए इस कहानी से सीखने की कोशिश करते है.

वास्मिन एक आर्टिस्ट है. कई सालों से वो अपने किचेन के एक कोने में आर्ट की प्रेक्टिस करती आ रही है पर उसे अपना खुद का स्टूडियो खोलने से डर लगता है. अपना खुद का एक स्टूडियो किराए पर लेने के ख्याल से ही उसे घबराहट होने लगती है क्योंकि यास्मीन ने कभी भी खुद को एक प्रोफेशनल

आर्टिस्ट के तौर पर नहीं देखा था. वो खुद को सीरियसली नहीं लेती थी, पर करेज हैबिट के बारे में जानने के बाद यास्मीन ने अपने आर्ट को सिरियसली लेने के बारे में सोचा, उसने डिसाइड किया कि वो इस बारे में जरूरी

स्टेप्स लेगी. और उसने प्रोफेशनल और उसने एक स्टूडियो रेंट पर लेने

और इसलिए उसे एक बड़ी जगह । की जरूरत थी.

का फैसला कर लिया. वो अब लार्ज स्केल पेंटिंग्स के साथ-साथ मुरल्स भी बनाना चाहती थी

उसकी खुशी और एक्साईटमेंट का ठिकाना नहीं था पर जैसे ही उनसे स्टूडियो में कदम रखे उसकी खुशी छू-मंतर हो गई. उसने देखा कि वेयरहाउस कई सारे क्यूबिकल्स में र हर क्यूबिकल किसी ना किसी आर्टिस्ट ने रेंट पर ले रखा था, यानी वहां पहले से ही कई सारे आर्टिस्ट काम करते थे, यास्मीन इनसिक्योर फील करने लगी, उसे डर था कि इतने सारे आर्टिस्ट के बीच उसकी अपनी पहचान कहीं खो कर रह जाएगी, उसने अंदर का डर कह रहा था कि वो रियल आर्टिस्ट नही है इसलिए उसका वहां कोई काम नहीं है. उसे अपना फैसला समय की बर्बादी लग रहा था, और वो वहां से तुरत

बाहर निकली और फिर कभी लौटकर नहीं गई.

यास्मीन के अंदर का डर उस पर हावी हो गया था. उसे पता नहीं था कि उसके डर ने उसे पीछे खींचा है और उसे अपना सपना पूरा करने से रोका है.

अगर आप इस बात को नहीं समझोगे कि कैसे हमारा डर हमारे पुराने लिमिटिंग पैटर्न को ट्रिगर करता है, तो यकीन मानो, आप कभी अपने सपनों तक

नहीं पहुंचा पाओगे.

आज और अभी उस ड्रीम के बारे में लिखो जो आप अचीव करना चाहते हो. खुद से ये सवाल करो: मुझे क्या रोक रहा है? क्यों मैंने अब तक ये सपना

पूरा नही किया?

जब आपको साफ-साफ समझ आने लगेगा कि आपका डर ही आपकी प्रोग्रेस को रोक रहा है तो आप रीपीटीटिव पैटन्स नोटिंस करने लगोगे, अपने तीन मोस्ट कॉमन फीयर्स चूज करो जो आपको रोकते है, और उन्हें एक पेपर पर लिख लो,

आने वाले चैप्टर में आप सीखोगे कि कैसे अपने मोस्ट कॉमन डर से डील करना है और अपनी लाइफ में वो चेंज लाने है जो आप चाहते हो, तो क्या रेडी है आप?

Habit: Accessing The Body

अपनी लाइफ के तीन अहम ड्रीम और तीन कॉमन डर जो आपको आगे बढ़ने से रोकते है, उन्हें पहचानने के बाद बारी आती है खुद में चेंज लाने की. एक चीज़ आपको समझनी होगी कि कोई भी बदलाव आसान नही होता, माना कि आपने उन पैटन्न्स को जान लिया है जो आपकी प्रोग्रेस में रुकावट पैदा कर रहे है पर इसका ये मतलब नहीं कि आप उन्हें आसानी से हटा लेंगे. हमारी लाइफ में पुराने पैटर्न खुद ब खुद आ जाते है और हमें पता भी नहीं चलता.

अपने डर को अपनी बॉडी पर कण्ट्रोल करने से रोकना है तो आपको हमेशा अलर्ट रहना होगा. इस चैप्टर में हम आपको बताएँगे कि जब डर आपको कण्ट्रोल करने की कोशिश करे तो उस पर काबू कैसे पाए. जैसे ही आपको पहले से पता चल जाए कि फियर पैटर्न उभर रहा है तो तुरंत बैठ जाओ और एक लंबी और गहरी साँस लो. फिर एक बॉडी स्कैन करो. अगर लगे कि पेट में गुड़गुड़ हो रही है तो रनिंग, योगा या कोई स्ट्रेच एक्सरसाइज़ करने लग जाओ, अगर हो सके तो डांस करने लग जाओ. ये सारी सिंपल एक्टिविटी आपको रिलेक्स फील कराएगी और आपके माइंड में एक क्लियर पिक्चर होगी कि आपका डर आप के ऊपर हावी होना चाहता है, ये आपको सक्सेसफुल होने से रोक रहा है. जब आप योगा वगैरह करते है, तो आपको अपनी इनर voice साफ़-साफ सुनाई देने लगती है,

जो आपसे कहती है” क्या फायदा है ये करने का” या फिर तुम कभी सक्सेसफुल नहीं हो सकते. पर अगर आपने थोड़ा योगा वगैरह नही किया या खुद को शांत नहीं किया तो ये आवाजे आपकी बॉडी पर कब्जा कर लेंगी और फिर आप तुरंत हार मान लेंगे. यहाँ हम जनेल की स्टोरी लेंगे और देखेंगे कि कैसे उसके अंदर का डर उसे एक ऐसी जिंदगी जीने से रोकता रहा जो वो हमेशा जीना चाहती थी,

जनेल तीन बच्चों की माँ है. माँ बनने से पहले ओ एक गैलरी में काम किया करती थी. उसे आर्ट और पेंटिंग से बड़ा लगाव था,वो अपना सारा वक्त ऐसे माहौल गुजारना चाहती थी. पर बच्चे होने के बाद जनेल की लाइफ एकदम उलट-पुलट हो गई, अपने बच्चो की देखरेख की खातिर उसे काम छोड़ना पड़ा और डे-केयर की फीस वो अफोर्ड नहीं कर सकती थी. एक दिन वो इस बुक की ऑथर केट से फोन पर बात कर रही थी. दोनों जैनेल की प्रोब्लम का कोई सोल्यशन निकालने की कोशिश कर रहे थे, अपनी

सिचुएशन का सिपल एनालिसिस करके जनेल ये चाहती थी कि वो अपने बच्चो पर चिल्लाना बंद कर दे. उसे ये गलत लगता था, इसलिए वो अपनी इस

आदत को चेंज करना चाहती थी,

व वो केट से बात कर रही थी तो केट को फील हुआ कि जेनेल के अंदर कहीं गहराई में कोई डर छुपा है जो उसके बिहेवियर को कण्ट्रोल कर रहा है. केट ने उसे सुझाव दिया कि जेनेल को जब भी अपने बच्चों पर चिल्लाने का मन करे तो वो बॉडी स्कैन करे या एक लम्बी और गहरी सांस ले, जनेल को पहले तो इस प्रोसैस पर यकीन नहीं हुआ पर जब उसने सिरियसली ऐसा किया तो उसे एहसास हो गया कि उसके अदर जो बुरी माँ होने का डर बैठा था, वही उसकी सारी प्रोब्लम की जड था,

वो अपनी जॉब छोड़कर पछता रही थी इसलिए उसके अंदर एक गुस्सा भरा हुआ था. उसे ये भी लगता था कि उसने माँ बनने के लिए अपने करियर

की कुर्बानी दे दी. लेकिन बॉडी स्कैन करने के बाद जनेल को एहसास हुआ कि उसे फिर से जॉब करनी चाहिए और बच्चों को किसी डे-केयर में डालना

चाहिए.

दोबारा जॉब शुरू करने के बाद जनेल को एक सुकून और शांति का एहसास होने लगा. उसका गुस्सा खुद ब खुद कम हो गया था और उसे ये भी लगने लगा कि उसे अब लाइफ की बाकि प्रोब्लम पर भी इसी तरह से फोकस करना होगा. एक बार अगर आपने अपनी बॉडी सिग्नल को समझ लिया और ये भी समझ लिया कि आपका डर आपके बिहेवियर को कण्ट्रोल कर रहा है तो उसके बाद आप खुद अपनी लाइफ में चेंज लाने के लिए जरूरी स्टेप्स लेना शुरू कर दोगे.

Habit: Listening Without Attachment

कोई हमे क्रिटिसाइज़ करे, ये किसी को अच्छा नहीं लगता. हम नहीं चाहते कि दुसरे लोग हमारे बारे में ओपिनियन रखे, हमे जज करे क्योंकि हमे लगता

है कि दूसरे हमारे बारे में उतना नहीं जानते, जितना कि हम जानते है.

वही दूसरी तरफ हम इस सच को झुठला देते है कि एक क्रिटिक ऐसा ही जिसकी बात हम आँख मूंद के सुन लेते है. बिना किसी झिझक के, और ये

क्रिटिक है हमारा इनर सेल्फ जो हमेशा हमे टोकता रहता है. हम जब भी कुछ बड़ा गोल सेट करते हैं, तो ये हमे डराता है. भनते अगर आप है कि आपके अंदर इनर क्रिटिक नहीं है तो इसका मतलब है कि ये आपकी सोच से भी ज्यादा पॉवरफुल है. लेकिन अपनी इनर voice को अवॉयड करने के बजाए इसकी बात सुनना सीखो और इसे खुद को हावी होने से रोको. लेकिन ऐसा करना आसान नहीं है, इसका एक ही सोल्यूशन है कि आप बिना अटैचमेंट के सुनो. आप बैठ सकते हो, एक गहरी साँस लो और अपने इनर

क्रिटिक का रियल मेसेज समझने की कोशिश करो. आपका इनर क्रिटिक कहना चाहता है कि आपके सपने बेकार है, फ़िजूल है, उन्हें मत देखो, चेंज से बचो क्योंकि चेंज खतरनाक होता है.

जब आप अपने इनर क्रिटिक को डिफरेंट वे में डील करोगे तो आपको एहसास होगा कि ये आपका बेस्ट फ्रेंड नहीं है और ना ही आपका दुश्मन, ये बस डरा हुआ है इसलिए आपको सेफ ज़ोन में रखना चाहता लेकिन प्रोब्लम तो ये है कि सेफ जोन कोई अच्छी जगह नही है वो भी तक जब आप अपनी

मोस्ट करेजियस लाइफ जीना चाहते हो.

यहाँ तीन ऐसे साइन है जो बताते है कि आप अपने इनर क्रिटिक से गलत तरीके से डील कर रहे हो. अगर आप हमेशा बहाने बनाते हो, तो आप अपने इनर क्रिटिक की बात अवॉयड कर रहे हो. अगर आप हमेशा अपनी उम्मीद से बढ़कर कुछ कर रहे हो तो आप अपने इनर क्रिटिक को खुश रखना चाहते

हो. और अगर आप हमेशा अपनी इनर क्रिटिक से बहस करते हो तो आप बेकार में मेहनत कर रहे हो क्योंकि ये एक टेम्पररी सोल्यूशन है.

अगली बार जब आपका इनर क्रिटिक हावी होने की कोशिश करे तो ध्यान से उसकी बात सुनिए और खुद से पूछिए: मुझे असल में डर किस चीज़ से तो चलो अब हम टेलर की स्टोरी लेते है और उसके एक्सपिरिएंस से कुछ सीखने की कोशिश करेंगे. टेलर बैंक में जॉब करती थी फिर एक साल बाद अचानक एक दिन उसकी लाइफ बड़े नाटकीय ढंग से हमेशा के लिए बदल गई.

लगता है?’

टेलर की शादी हुई, उसने जॉब छोड़ी और एक फ्रीलॉस वेडिंग फोटोग्राफर का काम करने लगी, उसका फोकस हर जगह रहता था, पर टेलर चाहती थी कि वो अपना फोकस एक जगह रखे और कण्ट्रोल फील करें. उसने बॉडी टेक्नीक एक्सेस किया और सेशन के बाद उसे पता चला कि उसे जितना

लगता था, उससे कहीं ज्यादा problem उसके साथ थे. टेलर को एहसास हुआ कि वो एक नेगेटिव सोच रखने वाली औरत है, जब भी उसके काम या उसकी लाइफ में कुछ गलत होता था तो एकदम डार्क मूड चली जाती थी और गिव अप कर लेती थी. वो अपना सारा वक्त सोफे पर बैठकर टीवी देखने में गुज़ार देती जब तक कि उसे दोबारा काम करने का मन नही होता.

लेकिन ये पैटर्न उसे प्रोग्रेस करने से रोक रहा था. जितना ज्यादा वो अपनी इनर क्रिटिक की बात सुनती उतना ही उसे लगता कि फोटोग्राफी का बिजनेस

उसके बस की बात नही है. वो ये काम नहीं कर पाएगी और इस वजह से उसका पति भी उससे नफरत करने लगेगा. लेकिन अब नेगेटिव सोच रखने के बजाय टेलर ने खुद से ईमानदारी से बातचीत करना शुरू किया. जब उसका इनर क्रिटिक उसे बोलता कि उसकी वेबसाईट बेहद खराब है तो वो उसे इम्पूव करने के बारे में सोचती.

टेलर अब अपनी इनर क्रिटिक को लेकर और कांशस हो गई. वो उसे अवॉयड नहीं करती थी या खुश नहीं करती थी और ना ही उससे लड़ती है. उसने इसे अपनी लाइफ के डरावने हिस्से की तरह लेना सीख लिया धा जिसकी बात उसे बिना अटैच हुए सुननी होगी.

Habit: Reframing Limiting Stories

पिछले चैप्टर में आपने सीखा कि अपनी इनर क्रिटिक को सुनकर हम अपने फीयर्स को समझ सकते है. इस चैप्टर में हम सीखेंगे कि अपनी लिमिटेशन रहे, तो वो अक्सर उसके पीछे कोई बहाना ढूंढ लेते है

स्टोरी को कैसे आइडेंटीफाई किया जाए और उन्हें और पोजिटिव कैसे बनाये जाए. अक्सर जब लोग में आइडेंटीफाई करने की कोशिश करते है कि कोई काम वो क्यों नही कर

पा

कोई हादसा, असे बचपन में हुआ हालात, या फ्यूचर पोसिबिलीटी का ना होना वगैरह. के लिए कि कौन सी स्टोरी आपको लिमिट कर रही है, उन रीजन्स की एक लिस्ट बनाओ जिनकी जिनकी वजह से आपको लगता है कि आप ये जानने के लिए कि अपने गोल्स में कामयाब नहीं हो पाए. फिर उसके बाद हर एक रीजन को गहराई से सोचो. खुद से पूछोः क्या ये स्टोरी वाकई में सच है? जब आप अपनी स्टोरी पर सवाल उठाओगे तो पता चल जाएगा कि उसके पीछे सिर्फ आपका डर था. तब शायद आप अपनी लिमिटिंग स्टोरी को और

ज्यादा पोजिटिव वे में डायरेक्ट करना शुरू कर देंगे.

इसे और अच्छे से समझने के लिए हम केरोलिन की स्टोरी लेते है. कैरोलिन एक वेबसाईट डिज़ाइनर है. अपने काम की वजह से उसे हर जगह जाना

पड़ता है और वो एक जगह से दूसरी जगह घूमती रहती है. उसने दुनियाभर के कई दोस्त बनाए जो अक्सर उसके घर आते है, कुछ दिन ठहरते है और

फिर एक और र नया एडवेंचर.

किसी और के लिए कैरोलिन की स्टोरी एक हैप्पी और फुलफिलिंग लाइफ है. पर कैरोलिन के लिए उसकी लाइफ में बेहद भाग-दौड़ है, वो अब थक

चुकी है और एक स्टेबल लाइफ जीना चाहती है. उसकी सिचुएशन पर गौर करे तो पता चलेगा कि असल में कैरोलिन $60,000 की उधारी से भाग रही थी, वो फ्रीलांसर की जॉब इसलिए कर रही थी

ताकि एक जगह से दूसरी जगह भाग सके.

अपनी स्टोरी चेंज करने के लिए कैरोलिन को अपनी असलियत का सामना करने की जरूरत है. इसके लिए उसने कुछ ऑप्शन सोचे. कैरोलिन ने

डिसाइड किया कि वो एक जॉब ढूंढेगी और अपना सारा कर्जा उतार देगी.

जल्दी ही उसमे एक दोस्त ने उसे अच्छी सेलरी के साथ एक जॉब ऑफर की पर उसने नही की, इसके बजाए कैरोलिन ने फैसला किया कि वो हफ्ता पूरा होते ही कोलोराडो अपने कुछ फ्रेंड्स के साथ रहने चली जायेंगी,

कैरोलिन ये समझने की कोशिश कर रही थी कि आखिर वो जॉब क्यों नही करना चाहती. उसे एहसास हुआ कि उसके अंदर का डर उसे बोल रहा है कि अगर तुम जाब जॉब करने लगोगे तो फिर कभी ऐसी फन और फ्रीडम भरी लाइफ नही जी पाओगे. यही स्टोरी थी जो उसे जिंदगी भर जॉब करने से ओर

सैटल होने से रोकती थी.

अपने का सामना करने के लिए कैरोलिन को अपनी स्टोरी पर डीपली सोचना पड़ा. क्या ये वाकई में सच्ची स्टोरी थी? कॉ्पोरेट सेक्टर में काम करने वाले सारे लोग क्या सारी उम्र ऑफिस लाइफ में फंस के रह जाते है? क्या लाइफ की कमिटमेंट हमारी आज़ादी छीन लेती है? कैरोलिन ने जब इन सवालों का जवाब पूरी ईमानदारी से देने की कोशिश की तो उसे एहसास हुआ कि वो अपनी स्टोरी खुद बना सकती है. वो भी लाइफ में कमिटेड हो सकती है, फुल टाइम जॉब के साथ-साथ लाइफ के मजे भी ले सकती है. इसलिए उसने फैसला किया कि वो ये जॉब करेगी और अपनी

स्टोरी को और ज्यादा पोजिटिव बना सकती है.

कई साल बाद कैरोलिन एक खुशहाल लाइफ जी रही थी और वो अपना सारा कर्जा भी उतार चुकी थी. यही नहीं वो अब एक सिरियस रिलेशनशिप में

भी थी, उसकी लाइफ पूरी तरह बदल चुकी थी, वो वेकेशन पर जाती थी और लाइफ को पूरी तरह एन्जॉय कर रही थी. तो आप भी अपनी स्टोरी चेज कर सकते हो. अगर आपकी भी कोई लिमिटेशन स्टोरी है तो आपको बस उन्हें फेस करना है, उनके पीछे के रीजन्स समझने है और उनकी सच्चाई पर सवाल उठाने है, फिर आप भी केरोलिन की तरह एक मोस्ट करेजियस लाइफ जी पायेंगे.

हैबिट: आगे बढो और अपने जैसे लोगो के साथ एक कम्युनिटी बनाओ (Habit: Reach Out And Create Community) इस बुक से जो लास्ट लेसन आप सीखोगे, वो है एक सपोर्टिव कम्युनिटी बनाना जो आपको अपनी मोस्ट करेजियस लाइफ जीने के सपना पूरा करने में आपकी मदद कर सकें.

आप शायद सोच रहे होंगे कि आपको लोगों की जरूरत नहीं है या फिर लोग आपको आगे बढ़ने से रोकेंगे लेकिन सच्चे दोस्त अगर साथ हो तो हर मुश्किल आसान लगती है आप अपने लिए माइलस्टोन सेट करके जब उन्हें अचीव करते हो तो अपनी जीत की खुशी उनके साथ मनाते हो जिन्होंने आपको सपोर्ट किया और

आपको अपने डर से निकलने में मदद की,

एक करेजियस कम्युनिटी बनाने के लिए आपको ऐसे लोग चाहिए जो खुद अपनी मोस्ट करेजियस लाइफ जीने की कोशिश कर रहे है. क्योंकि ऐसे लोग पोजिटिव, बड़े दिल वाले, ओपन माइंडेड और जीत के सपने देखने वाले होते है.

सच्चाई के साथ जीना और अपनी सच्चाई दुनिया से शेयर करना आपको लोगो के लिए एक रोल मॉडल बना देगा. लेकिन साथ ही कुछ लोग ऐसे भो होंगे जो आपसे जलेंगे, और आपको नीचे खींचने की कोशिश करेंगे, जो लोग आपके खिलाफ है, उनके साथ डील करने का एक ही तरीका है कि आप उनकी बात सुने. उनकी कड़वी बातों में छिपे दर्द को समझे, उनके

साथ वैसे ही डील करो जैसे आपने बिना अटैच हुए अपनी इनर क्रिटिक voice से डील किया था. जैसे मान लो आपके परिवार में से कोई आपसे पूछता है” और बताओ सब कुछ कैसा चल रहा है तो आप वही घिसा-पिटा जवाब “सब कुछ बढिया चल रहा है बालन के बजाए सच सच बताओ कि तुम कोई डिफरेंट जॉब ढूँढने की कोशिश कर रहे हो.

तो आपके परिवार का वो सदस्य बोलेगा कि ये बेकार आईडिया है क्योंकि इकोनॉमी अभी डाउन चल रही है. और फिर वो आपसे ये भी बोलेगा कि” तुमने डिग्री हासिल करने में इतने पैसे खर्च किये और अब तुम पूरी मेहनत पर पानी फेरकर कुछ डिफरेंट करना चाहते हो

आप अपने फेमिली मेंबर टॉपिक पर और बाते करो, उन्हें बताओ कि ये बदलाव आपके लिए क्यों जरूरी है, और उन्हें बोलो कि वो इस मामले

एक नेगेटिव के बजाये एक पोजिटिव वे में देखने की कोशिश करे,

अगर आपको लगे कि वो इंसान नेगेटिव हे क्योंकि वो खुद इनसिक्योर फील करता है तो आप उस इश्यू पर बात करने से बचो. उसकी जो फितरत है,

आप उसे बदल नहीं सकते और ना ही उसकी लाइफ जाए, उन्हें उनके हाल पर छोड़ दो और आगे बढो.

के डर और इनसिक्योरीटी का आपकी लाइफ से कोई लेना-देना है, तो क्यों उनके साथ उलझा

सिर्फ इसलिए कि कुछ लोगों ने आपको नीचा दिखाने की कोशिश की थी, तो इसका ये मतलब नहीं कि आपको अकेले रहना चाहिए. कोशिश करो कि अपने जैसे पोजिटिव लोगों से आपकी दोस्ती हो जो आपको नई हैबिट बनाने और अपने सपने पूरे करने में मदद करे.

आपको बस एक सपोर्टिव कम्युनिटी की जरूरत है और कुछ नहीं.

Conclusion

अब आप जान चुके है कि बहादुर होने का मतलब खुद को चेलेंज करके शोर्ट टर्म रिजल्ट पाना नहीं होता बल्कि बहादुर वो होता है जो पनी लाइफ में लॉन्ग टर्म पोजिटिव बदलाव लेकर आये. बहादुर होने का मतलब है कि जितना हो सके हम अपनी मर्जी से एक बिंदास और ब्रेव लाइफ जिए. इस किताब में आपने सीखा कि लाइफ में कोई भी चेंज लाने से पहले हमे ये जानना होगा कि हम कौन है और असल में हमे लाइफ से क्या चाहिए. इस बुक में आपने ये भी सीखा कि हमारी हैबिट्स चेंज तभी होंगी जब हम अपने डर को समझेंगे और उन्हें काबू करने की कोशिश करेंगे. इसके लिए आपको कुछ ट्रिक्स सीखने होंगे जैसे कि किसी क्ल्यूज़ के लिए अपनी बॉडी को एक्सेस करना. ये बुक हमे सिखाती है कि कैसे हम अटैच्ड हुए बिना अपने अंदर की क्रिटिक voice को सुन सकते है और अपनी लिमिट को यानी जो चीज़े हमे रोकती है, उन्हें रीफ्रेम करके पोजिटिव कैसे बनाये. और लास्ट स्टेप जो आपने इस बुक में सीखा कि कैसे हम सही लोगो को चूज़ करके एक करेजियस कम्युनिटी बना सकते है जो आपको सपोर्ट करे और

आपके अंदर जो चेंज लाने की भावना है, उसे सपोर्ट करे. ये किताब हमे अपने अंदर चेंज और ब्रेवरी लाने की इंस्पिरेशन जगाती है, जो स्टेप्स आज आपने इस बुक से सीखे, अगर आप उन्हें फोलो करेंगे तो देखना आपकी पूरी लाइफ ही चेंज हो जाएगी, आप वो इंसान नहीं रहेंगे जो पहले थे. तो आज से ही खुद से ये वादा कीजिए कि आप जिंदगी में खुश रहेंगे और बेव बनकर जियेंगे!

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