THE CONSCIOUS PARENT by Shefali Tsabary.

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About Book

हर बच्चा अलग है, डिफरेंट है इसलिए उसे उसकी यूनिकनेस के साथ एक्सेप्ट करे. जब आप पेरेंट बनते है तो आपके कंधे पर आपके बच्चे की पूरी जिम्मेदारी होती है और आप इस जिम्मेदारी को कितनी अच्छे या बबुरे तरीके से उठाते है ये डिपेंड करता है कि आपका बचपन कैसा था. अच्छा था या कडवी यादो से भरा था, वो आज आपके बच्चे को और उसके साथ आपके रिश्ते को अफेक्ट कर सकता है. एक कांशस पेरेंट को क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए ये सब आपको इस बुक में मिलेगा.

ये बुक किस किसको पढनी चाहिए? ये बुक हर पेरेंट को जिनके बच्चे है या होने वाले है, ज़रूर पढनी चाहिए. अगर आप अपने बच्चे के साथ एक स्ट्रोंग, हेल्थी और हैप्पी रिलेशनशिप चाहते है तो इस बुक को पढ़े और इसमें दिए गए टिप्स और आईडियाज से अपने बच्चो के साथ लाइफ लॉन्ग चलने वाला एक प्यार भरा रिलेशनशिप बिल्ड करे. इस बुक के ऑथर कौन है?

डॉक्टर शेफाली झवेरी इस बुक की ऑथर है. वो एक मल्टी टेलेंटेड पर्सनेलिटी है. वो एक क्लिनिकल साइकोलोजिस्ट है, एक इंटरनेशनल स्पीकर है और तीन बेस्ट सेलर बुक्स की ऑथर भी है. उनकी तीनो बुक्स पेरेंटिग पर है, द अवेकंड फेमिली, द कांशस पेरेंट और आउट ऑफ़ कण्ट्रोल ने पेरेंटिंग पर लोगो का पर्सपेक्टिव ही बदल कर रख दिया है. इण्डिया में जन्मी और पली-बड़ी डॉक्टर शेफाली 21 साल की उम्र में यू.एस. मूव हो गयी थी. उन्होंने कैलीफोर्निया इंस्टीटयूट ऑफ़ इंटीग्रल स्टडीज से मास्टर्स की डिग्री ली और उसके बाद कोलम्बिया यूनिवरसिटी से क्लिनिकल साइकोलोजी में पी.एच.डी किया. वो कहती है कि “पेरेंटिंग एक एक्सट्रीमली चेलेंजिंग टास्क है जो हमे एक्स्पिरियेश करना पड़ता है और कोई पेरेंट परफेक्ट नहीं होता

परिचय (Introduction)

डॉक्टर शेफाली को एक दिन सुबह उनकी बेटी ने उठाया. उनकी बेटी बड़ी खुश लग रही थी और स्माइल कर रही थी. उसने अपनी मोम से बोला कि टूथ फेयरी ने उनके पिलो के नीचे एक गिफ्ट रखा है. जब डॉक्टर शेफाली ने चेक किया तो उन्हें पिलो के नीचे एक आधा फटा हुआ वन डॉलर का बिल मिला. उनकी बेटी ने बोला कि टूथ थ फेयरी ने हाफ डॉलर उनके पिलो के नीचे और हाफ उनके हसबैंड के पिलो के नीचे रखा है. उस छोटी लड़की को लगा कि उसे अपने मोम और डेड को एक डॉलर बिल बराबर बांटना चाहिए. डॉक्टर शेफाली एकदम स्पीचलैस थी. अगर आप डॉक्टर शेफाली की जगह होते तो क्या करते? केसे रिएक्ट करते? दरअसल हर दिन हमारे लिए अपोरच्यूनिटी लेके आता है कि हम एक कांशस पेरेंट बने. क्या आप जानना चाहेंगे कि आप अपने बच्चो के साथ एक बैटर रिलेशनशिप केसे बिल्ड करे? क्या आप भी अपने बच्चो सक्सेसफुल बनाने के लिए उन्हें लीड करना चाहते है? इस बुक में आप सिखेगे कि ऐसे पेरेंट्स कैसे बने जो आपके बच्चो को चाहिए. इस बुक में आप ना सिर्फ पेरेंटिंग के बारे में पढ़ेंगे बल्कि ओवरआल लाइफ को जेर्नल वे में कैसे जीया जाए ये सीखेंगे. आप एक बैटर पेरेंट तो बनेगे ही साथ ही एक बैटर पर्सन भी बनेंगे.

अ रियल पर्सन लाइक माईसेल्फ (A Real Person Like Myself)

ये सिचुएशन ऐसी है जहाँ या तो पेरेंट्स बच्चे को मेटेलिटी समझ कर उसे सही ढंग से हैंडल करेंगे या उसे डांट फटकार देंगे. डॉक्टर शेफाली ने डीपली सोचा कि वो इस इंसिडेंट को यूज़ करके अपनी बेटी को पैसे की वैल्यू सिखाये या अपनी बेटी को स्माइल करते हुए एक बड़ा सा थैंक यू बोले. लेकिन उन्होंने इस टोपिक को बाद के लिए रख दिया और अपनी बेटी को एक टाईट हग दिया. उन्होंने अपनी बेटी बोला कि वो टूथ फेयरी की ग्रेटफुल है कि उन्हें गिफ्ट मिला, डॉक्टर शेफाली की बेटी इतनी खुश । कि पूछो मत, वो पर बड़ा प्राउड फील कर रही बच्चे ऐसे ही होते हैं. जो रूल्स हम बड़े लोग फोलो करते है उन्हें उससे कोई लेना-देना नहीं होता. वो बस वही अपनी उम्र के हिसाब से बिहेव करते है. उन्हें हर चीज़ एक्सप्लोर करनी होती है, उनके अंदर एक क्यूरियोसिटी होती नहीं जानते कि लाइफ के रिस्क क्या है और लिमिट्स क्या है. ये एक पेरेंट की जिम्मेदारी होती है कि वो अपने बच्चो के लिए लिमिट्स सेट करे. उन्हें रियेलाईज कराए कि वो सुपरहीरो बन सकते है लेकिन वो विंडो से जंप नहीं सकते. उस दिन मोनिंग में डॉक्टर शेफाली की छोटी सी बेटी अपने पेरेंट्स को दिल से गिफ्ट देना चाहती थी. लेकिन नोट को फाड़ना पैसे का वेस्ट है या पेरेंट्स को इतनी जल्दी सुबह नहीं उठाना है, इन सब बातो की समझ उसे नहीं थी, एक पेरेंट्स होने के नाते हम हमेशा अपने बच्चो को लेसन देना चाहते है लेकिन अक्सर हम भूल जाते है कि वो भी हम बडो की तरह इंसान है. उनके अंदर भी खुशी, उदासी, एक्साईटमेंट और डिसअपोइन्टमेंट जैसी फीलिंग्स होती है. इसलिए उन्हें लाइफ के अप्स एंड डाउन खुद फील करने दो, जो पेरेंट्स हमेशा अपने बच्चो के पीछे-पीछे रहते है उनके बच्चे लाइफ में कभी कुछ नहीं सीख पाते. आपका बच्चा आपसे सेपरेट एक अलग पर्सनेलिटी है, उन्हें उनके रियल सेल्फ में रहने दो, चेंज करने की कोशिश मत करो क्योंकि ऊपरवाले ने हम सबको यूनिक बनाया और डॉक्टर शेफाली की तरह आप भी अपने बच्चे को अपना रास्ता खुद चूज़ करने दो,

बच्चो के पैदा होने के पीछे स्प्रिचुअल रीजन्स (The Spiritual Reason We Birth Our Children) हम सब अनकांशस पेरेंट्स होते हैं. दरअसल हम अपने बच्चो को वैसे ही पालते है जैसी परवरिश हमे मिली होती है. एक तरह से बोले तो हम अपने बच्चों के धू अपने सपने जीना चाहते है. अगर आप अपने बच्चे को लेकर कोई प्रोब्लम फेस कर रहे है तो प्रोब्लम बच्चे में नहीं है बल्कि आपको खुद अपने अंदर झाँकने की जरूरत है. कहीं आप भी कांशस पेरेंट तो नहीं बन रहे? कहीं आप अपने बच्चे की नीड्स हिसाब से नहीं बल्कि अपनी नीड्स के हिसाब से तो एक्ट नहीं कर रहे? जो लोग डॉक्टर शेफाली की हेल्प लेते है उन्हें ये बात थोड़ी अजीब लगती है. लेकिन असल में यही फर्स्ट स्टेप है. इससे पहले कि आप अपने बच्चे का बिहेवियर चेंज करने की सोचो, ये देखो कि कहीं आप को तो बदलने की ज़रूरत नहीं इसे अपनी खुशकिस्मती समझो कि आपकी लाइफ में एक बच्चा है जिसके लिए आप रोज़ खुद में बदलाव ला सकते लोग अपने बचपन की यादों का बर्थडे लेकर पूरी लाइफ घूमते है जो उनके बच्चे और उनका रिलेशन भी अफेक्ट करता है. शायद आपको जेसिका और आन्या की स्टोरी से कुछ हिंट्स मिले. टीनएजर जेसिका के बिहेवियर से आन्या को लगता है जैसे वो खुद का चाइल्डहुड उसमें देख रही है. और इसी वजह से आन्या को जेसिका के साथ अपने रिश्ते इम्प्रूव करने का मौका मिला. आन्या की बेटी जेसिका एक वेल-बिहेब्ड बच्ची है. वो हमेशा स्कूल में अच्छे ग्रेड्स लाती है. एक तरह से वो एक आईडियल बेटी थी लेकिन फिर जब वो 14 की हुई तो उसके बिहेवियर में चेंजेस आने लगे. टीनएजर होते ही जेसिका रेबेल बन गयी थी. पता नहीं कहाँ से उसे बुरी आदते लग गयी थी. वो चोरी करने लगी थी, झूठ बोलती थी और तो और स्मोकिंग भी करने लगती थी और उसने क्लब वगैरह जाना शुरू कर दिया था. आन्या के साथ भी वो काफी रूड बिहेव करती थी और कभी-कभी तो वायोलेंट भी हो जाती थी. उसकी बेड हैबिट्स से आन्या परेशान हो चुकी थी. वो अपने इमोशंस कण्ट्रोल नहीं कर पा रही थी, उसे जेसिका पर बहुत गुस्सा आता था. वो उस पर चिल्लाती, उसे बेइज्जत करती थी. इनकी मामूली बातचीत भी लड़ाई पे आके खत्म होती थी.

माँ-बेटी के रिश्ते में इतनी कड़वाहट आ चुकी थी कि एक दिन जेसिका ने हाथ की नस काटकर सुसाइड करने की कोशिश की और ये बात उसने स्कूल काउंसलर के सामने कन्फेस कर ली. उसके लिए अब बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था. आन्या को जब इस बारे में पता चला तो वो शोक्ड रह गयी. उसने डॉक्टर शेफाली को कसल्ट किया. उसने बोला कि” ऐसा लग रहा है जैसे मैं फिर से 6 साल की बच्ची बन गयी हूँ उसे याद था कि उसकी माँ भी बचपन में उस पर ऐसे ही चिल्लाती थी और उसके मुंह पे दरवाजा बंद कर देती थी. और उसके फादर बहुत कोल्ड नेचर के थे. उन्हें आन्या से ज़रा भी अटैचमेंट नहीं थी. उसकी माँ फिजिकली तो उसके पास थी मगर इमोशनली कहीं दूर थी. आन्या जब आठ साल की हुई तो उसकी लाइफ में बहुत अकेलापन था. प्यार और अटेंशन की चाहत में उसने खुद को चेंज करने के बारे में सोचा. वो अपनी माँ की कॉपी करने लगी, उसने सोचा शायद अब उसके फादर उसे प्यार करे. आन्या की मोँ हमेशा अपदूड़ेट और प्रॉपर रहती थी, इसलिए आन्या पाना अब प्रापरली ड्रेस्ड रहने लगी और तमीज से पेश आती या री. स्कूल में भी उसकी परफोर्मेंस अच्छी थी. लेकिन इतना करने के बाद भी उसके पेरेंट्स नहीं बदले, एक रात आन्या के फादर उस पर बहुत गुस्सा हुए, उसकी गलती सिर्फ इतनी थी की वो होमवर्क करते टाइम बोले जा रही थी, उसके फादर उससे ज्यादा बात नहीं करते थे. वो बस उसे खींचते हुए रूम के कार्नर में ले गए और उसे दिवार की तरफ मुंह करके घुटनों के बल बिठा दिया. उन्होंने उसे हाथ उपर करके खड़े रहने को भी बोला, आन्या दो घंटे तो इसी पोजीशन में रही. ना तो उसके फादर कुछ बोलें और ना ही उसकी मदर इंटरफेयर किया. दोनों ने उसकी तरफ पलट कर भी नहीं देखा. आन्या रोती रही, सॉरी बोलती रही लेकिन वो लोग जैसे सुन ही नहीं रहे थे, जब दो घंटे पूरे हुए तो उसके फादर ने उसे जाकर फिर से स्टडी करने को बोला. इस के बाद आन्या ने कभी फिर ऐसी हरकत नहीं की, ये सारे नेगेटिव इमोशश और कड़वी यादे उसने अपने दिल में छुपा ली थी. वो एक परफेक्ट चाइल्ड का रोल प्ले करती रही. सेम यही चीज़ जेसिका के साथ भी हो रही थी. जेसिका के बिहेवियर ने आन्या के अंदर के उन सारे नेगेटिव इमोशंस को ट्रिगर कर दिया था जो उसने इतने सालो अपने दिल दबा कर रखे थे. और यही वजह थी जो उसे अपने बेटी के साथ बुरी तरह पेश आने के लिए मजबूर कर रही थी, दिल के अंदर दबी हुई भावनाए जो कभी जाहिर नही हुई थी. इतने सालो बाद आज आन्या अपने जख्मो से छुटकारा पा सकती थी. उसे समझ आ रहां था कि क्यों वो अपनी नेगेटिव फीलिंग्स अपनी बेटी को पास कर रही है. उसने और जेसिका ने एक दुसरे को माफ़ कर दिया था. उनका रिश्ता सुधर रहा था क्योंकि अब आन्या समझ चुकी थी कि जेसिका उसका रिफ्लेक्शन नहीं है बल्कि एक अलग पर्सनेलिटी है. उसका अपना वजूद है. दोनों ही इस बात से रिलेक्स फील कर रहे थे. उनके रिश्ते इम्पूव हो रहे थे और दोनों अपनी लाइफ में खुश थे, रिलीज़ योर चिल्ड्रन फ्रॉम द नीड फॉर योर अप्रूवल (Release Your Children from the Need for Your Approval) आपके बच्चे को हर बात के लिए आपसे अप्रूवल लेने की ज़रूरत नहीं है क्या आपने कभी सोचा है कि आपके बच्चे को हर चीज़ के लिए आपसे अप्रुवल मांगने पर कैसे लगता होगा? ज़रा सोचो, एक छोटा सा बच्चा बेचारा हमेशा आपकी अटेंशन, आपके प्यार के लिए तरसता है? लेकिन देखा जाए तो ऐसा नही होना चाहिए. हर बच्चे को हक है कि वो जैसा है वैसा रहे, चाहे वो आर्टिस्टिक हो या एथलेटिक, साइलेंट नेचर के हो या फिर आउटस्पोकन। ये उनकी मर्जी है. एक कांशस पेरेंट इस चीज़ को कण्ट्रोल करने कोशिश नहीं करेगा कि उसके बच्चे नेचर कैसा होगा.

अपने बच्चे को फ्रीडम दे कि दो अपना करियर, सेक्सुअलिटी या रिलिजन अपनी मर्जी से चूज़ कर सके. एक पेरेंट के तौर पें आप सिर्फ उन्हें गाइड करे नाकि उन्हें कण्ट्रोल करने की कोशिश करे, एक पेरेट के तौर पे आपके लिए इतना ही बहुत है कि आप बच्चे के पेरेंट है, उसके अंदर क्या अच्छा क्या बुरा है ये मैटर नहीं करता, कोई फर्क नहीं पड़ता अगर आपके बच्चे के इंटरेस्ट और होबीज आपसे डिफरेंट है. एक कांशस पेरेंट हर हाल में अपने बच्चे अप्रूवल देता है. “तुम केरे च्चे हो और बहुत प्यारे हो,

तुम जैसे भी हो, मेरे हो, अगर तुम कुछ गलत भी करोगे तो भी मेरा प्यार कम नहीं होगा”. अपने बच्चे को अनकंडीशनल लव दे, उन्हें शो करायें कि आप उन्हें कितना चाहते हो. उन्हें फील कराओ कि वो आपके लिए कितना मैटर करते है. खाने की टेबल पर उन्हें बोलो कि वो आपकी लाइफ में एक ब्लेसिंग बनकर आये है. टीवी देखते वक्त उन्हें बताओ कि आप ऊपरवाले के शुक्रगुज़ार हो जो आपको उनके जैसे बच्चे मिले. जब आप उन्हें स्कूल से लेने जाओ तो उन्हें फील कराओ कि आपने उन्हें कितना मिस किया. बच्चा चाहे कितना भी बड़ा हो जाए आपके उसके लिए प्यार कम नहीं होना चाहिए.

र दुलार उन्हें हमेशा देते रहे. प्यार लेने और देने की कोई कडिशन नहीं होती. अपने बच्चे को अपने प्यार की सिक्योरिटी दे, उनकी इमोशनल अपना प्यार हेल्थ इम्पूरूव होगी. बच्चो को जब पेरेंट्स का भरपूर प्यार मिलता है तो उन्हें किसी और के बेलिडेशन की ज़रूरत नहीं पड़ती. आपके बच्चो और आपके बीच ताउम्र एक मज़बूत रिश्ता बना रहेगा. चला दो बच्चों की स्टोरी कम्प्येर करते है. शौन एक रिजेव्टेड बच्चा है जबकि जैक को उसके पेरेंट्स ने जैसा वो है, वैसा एक्स्पेट किया है. शौन के पेरेंट्स एंथोनी और टीना अचीवर्स है. एंथोनी एक प्रोफेसनल टेनिस प्लेयर है और टीना लॉयर है. दोनों अपने बेटे शौन को देखकर फ्रस्ट्रेटेड रहते हैं क्योंकि वो फिजिकली वीक तो है ही साथ में पढ़ाई में भी फिसड्डी है. इनफैकट एंथोनी चाहता था कि उसका बेटा एक एथलीट बने और वो सोशल हो, लेकिन सीन है कि घर से निकलने को तैयार ही नहीं, वो अपने रूम में बैठकर या तो रीडिंग करता है या वीडियो गेम खेलता रहता है. शौन की मदर टीना सोचती है कि उसका बेटा स्ट्रोंग यंग मेन बने यानी कि एक डोमिनेटिंग और स्ट्रोंग पर्सनेलिटी वाला लेकिन शोन इसके एकदम अपोजिट है. वो बड़ा शर्मिला और दुबला-पतला सा है. इनकी फेमिली में मोस्ट ट्ूबलिंग टाइम तब आता है जब शोन के एक्जाम होते है.

उसके पूअर ग्रेड्स देखकर एंथोनी और टीना का तो दिमाग ही खराब हो जाता है. फिर दोनों उस पर चिल्लाते है, उसे खूब डान्छ पडती है कि उसे बेसिक मैथ प्रोब्लम्स भी सोल्व करने नहीं आते. बेचारे शौन को तब तक खाना नहीं मिलता जब तक वो एक मैथ कांसेप्ट ना याद कर ले. इन के घर में आलमोस्ट रोज़ लड़ाई होती है. और एक पॉइंट ऐसा आया जब टीना और एथोनी के रिश्ते में दरार पड़ गयी. दोनों ने डीवोर्स लेने का फैसला ले लिया. दोनों ने डॉक्टर शेफाली को बताया कि वो दोनों शौन की वजह से अलग हो रहे है. उनके लिए शौन को बर्दाश्त करना मुश्किल होता जा रहा था. बेटे ने उन्हें परेशान कर दिया था. ये बात एंथोनी और टीना ने शौन को भी बता दी. को बोला कि अगर वो नहीं होता तो दोनों खुशी-खुशारहत. लकिन शौनका असर नहीं हुआ, उल्टा वी और रिबेल बन गया था. भी अपने पेरेंट्स की नजरो में वो एक मिज़रेबल किड था. सारी परेशानी तो यही थी कि पेरेंट्स ही अपने बच्चे को एक्सेप्ट नहीं करना चाहते. एंथोनी और टीना ने जब अपनी गलती रिएलाइज की तब जाकर चीज़े कुछ इम्प्रूव हुई. वो लोग अपनी हर प्रोब्लम के लिए शौन को ब्लेम कर रहे थे इसी वजह से शान और ज्यादा मिस सबिहेब कर रहा था. दोनों ने अपने रिश्ते को एक और चांस देने के बारे में सोचा, और शौन को भी गिल्ट और बर्डन से छुटकारा मिला जो उसके पेरेंट्स की वजह से उस पर था. कुछ लोग सोचते है कि एक्स्पेटेंशन वीकनेस की निशानी है. लेकिन ऐसा नहीं है. आपको पूरे दिल दिमाग से उस चीज़ को एक्सेप्ट करना होता है. एक कांशस पेरेंट अपने चाइल्ड की ज़रूरत के हिसाब से रिस्पोंड करते है. आप तब रिएक्ट करे जब आपका बच्चा कुछ करे. आप ये मत सोचो कि उस टाइम आपका मूड और कडिशन क्या है. इसी चीज़ को हम एक्स्पेटेंस बोलते है. अब जैसे हम जॉन और एलेक्सिया का एक्जाम्पल लेंते है. उनका एक बेटा है जेक. बचपन से ही जेक को देखकर उन्हें रिएलाइज हो कि जेक शायद गे है

वो दुसरे लडको जैसा नहीं है. उसे स्पोर्ट्स से ज्यादा डांसिंग पसंद है. वो शांत नेचर का है. उसे म्यूजिक और आर्ट्स में ज्यादा अच्छे ग्रेड्स आते है. लेकिन जॉन और एलेक्सिया ने अपने बेटे को चेंज करने की कोशिश नहीं की. बल्कि उन्होंने हमेशा उसकी स्ट्रेंग्थ को नर्चर किया. उन्होंने उसे वो करने दिया जो वो चाहता .अपने पेरेंट्स के सपोर्ट की वजह से जेक एक नेकदिल और रहमदिल यंग मेन बन पाया. उसके पेरेंट्स ने उसकी सेक्सुअलिटी पर कोई सवाल नहीं किया और ना ही उन्हें कोई ओब्जेक्शन था, अपने बेटे की चॉइस की उन्होंने रिस्केट की, अगर उसे गे बनना है तो वो बने, जॉन और एलेक्सिया को कोई प्रोब्लम नहीं थी, बो फिर भी अपने बेटे को प्यार करते रहेंगे. जब भी जेक को कोई बुली आर एलोक्सिया करता था तो वो रोता हुआ अपने पेरेंट्स के पास आता था. ऐसे वक्त में उसे हेमशा अपने पेरेंट्स का सपोर्ट मिलता रहा. उसके पेरेंट्स ने कभी भी उसे अकेलापन फील नहीं होने दिया, उसके पेरेंट्स के फ्रेंड्स स्टेट थे लेकिन बेटे की खातिर उन्होंने कुछ गे लोगो से भी दोस्ती कर ली धी.

ये सब वो जेक को कम्फर्टबल फील कराने के लिए कर रहे थे. और एक दिना जेक ने अपने पेरेंट्स के सामने कन्फेस किया कि वो गे है, जॉन और।

र एलेक्सिया ने उसे कसकर गले लगा लिया. जेक समझ चूका था कि उन्हें कोई प्रोब्लम नहीं है, उसके पेरेंट्स उसे एक्सेप्ट कर चुके है. वो अपनी पूरी लाइफ गिल्ट फ्री होकर जी सकता है. कोई उसे जज नहीं करेगा, कोई उससे उसकी सेक्सुएलिटी पर सवाल नहीं उठाएगा. जेक के गे होने पर उसके पेरेंट्स नाराज़ नहीं थे, वो तीनो पहले जैसे ही अपनी नोर्मल लाइफ जीते रहे. इनफैक्ट हर पेरेंट्स अपने बच्चे के जन्म से पहले ही उसके बारे में सपने देखते है. आप भी शायद चाहते होंगे कि आपका बेटा स्ट्रोंग और स्पोर्टी टाइप हो. या आपकी बेटी बहुत प्यारी और खुशमिजाज़ हो. लेकिन आपके बच्चे जैसे भी है, जो भी है उन्हें एक्सेप्ट करे. आप अपने बच्चे के लिए ऐसे पेरैंट बने जो वो चाहते है. अपनी इच्छाओं का बोझ उन पर ना थोपे. सिर्फ एक बार उन्हें एक्स्पेट करके देखे उसके बाद आप उस नन्ही सी जान की हर छोटी-बड़ी बात को एप्रीशिएट करेंगे जो बड़ी उम्मीद से आपकी तरफ देखती है.

अ ब्लो इन आवर इगो A Blow to Your Ego हमारे इगो का हर्ट होना इगो हमारी सेल्फ इमेज से जुड़ी है, और हम अपनी सेल्फ इमेज को लेकर बहुत अलर्ट रहते है. हम इसे किसी भी कीमत में हर्ट नहीं करना चाहते. जब हम दूसरों के सामने खुद को परफेक्ट दिखाना चाहते है तो दरअसल वो हमारा इगो होता है. वो हमारा इगो ही होता है जब हमे दूसरो की मिस्टेक्स तो नजर आती है लेकिन खुद की नहीं, जब किसी डिफिकल्ट सिचुएशन में हम नेगेटिव रिएक्ट करते है तो उस वक्त हम अपने इगो में होते है.. और इसीलिए हम अपने बच्चो को भी अपने इगो का पार्ट बना लेते है. हम उनकी लाइफ कण्ट्रोल करने लग जाते है. वो स्कूल में कैसे परफोर्म करेंगे, किससे दोस्ती करेंगे किससे नहीं, कैसे दिखेंगे और कैसे बिहेव करेंगे ये सारी बाते हम कण्ट्रोल करना चाहते है. लेकिन हमे ये समझना होगा कि हमारे बच्चे की भी अपनी एक पर्सनेलिटी है. वो एक अलग इंडीविजुअल है. और एक दिन ऐसा आएगा जब वो अपने डिसीजन खुद लेगा. स्टुअर्ट एक फर्स्ट जेनरेशन इमीग्रेट है. अपनी फेमिली को सपोर्ट करने के लिए वो जॉब्स चेंज करता रहता है.

वो एक ब्ल्यू कालर वर्कर है. स्टुअर्ट अपने बेटे से बस यही चाहता है कि वो एक प्रोफेशनल बने और बड़े होकर कोई स्टेबल जॉब करे. हालाँकि स्टुअर्ट के बेटे सेमुअल को एक्टिंग का बहुत शौक है इसलिए वो कोई ड्रामा स्कूल ज्वाइन करना चाहता है. और फिर कॉलेज एप्लीकेशन का टाइम आया. लेकिन सेमुअल तो बैस्ट ड्रामा स्कूल जाने के सपने देख रहा । और स्टुअर्ट सोच रहा था कि वो किसी बिजनेस स्कूल में एडमिशन ले. इस बात पर दोनों रोज़ लड़ते थे. फिर एक दिन तंग आकर स्टुअर्ट ने अपने बेटे को धमकी दी कि उसे । से एक्टिंग जाना है तो जाए लेकिन वो उसकी ट्यूशन फीस नहीं देगा, स्टुअर्ट ने ये भी कहा कि वो सेमुभल को घर से निकाल देगा, मजबूरी में सेमुअल को अपने फादर की बात माननी पड़ी. दो एक ब्राईट स्टूडेंट था इसलिए उसे कोलंबिया बिजनेस स्कूल में एडमिशन मिल गया था, कॉलेज के बाद सैमुअल का कॉर्पोरेट सेक्टर में अच्छी जॉब मिली और उसका करियर अच्छा चल पड़ा. कई साल गुजर गए लेकिन आज भी सेमुअल अपने फादर से नाराज़ जॉब है, घर उसके पास एक हाई पेईंग स्टाइल है लेकीन वो खुश नहीं है. वो आज भी एक्टिंग के सपने देखता है. एक्टिंग से उसे जितनी खुशी मिलती वो इस लाइफस्टाइल के मुकाबले कुछ भी नहीं होती. हालंकि अब वो चाहकर भी कुछ नहीं कर सकता क्योंकि उसे मोज और स्टूडेंट लोन पे करना पड़ता है. स्टुअर्ट ने अपने बेटे की लाइफ कम्ट्रोल की थी. उसने अपनी मज्जी सेमुअल पर थोपी. वो पहला इमिग्रेशन इमीगरेंट है जिसे लाइफ में अनस्टेनिटी नहीं चाहिए थी. इसलिए वो अपने बेटे के फ्यूचर को लेकर काफी कंसेर्नड था लेकिन ये भी सच है कि स्टुअर्ट के इगों की वजह से ही सेमुअल अपना सपना पूरा नहीं कर पाया, उसे अपनी पोटेंशियल दिखाने का चांस नहीं मिल पाया जोकि उसे मिलना चाहिए था.

क्या पता वो एक्टर बनके ज्यादा खुश रहता. हम लोग भी कुछ हद तक इगोस्टिक है क्योंकि हमे अपने बच्चो की नजरो एकदम परफेक्ट पेरेंट बनना चाहते है. लेकिन लाइफ में हर चीज़ परफेक्ट नहीं हो सकती. चाहे हम कितनी कोशिश कर ले कुछ ना कुछ कमी रह जाती है. कभी-कभी चीज़े गलत टर्न ले लेती है. अब जैसे एक्जाम्पल के लिए एक लड़के के बार मित्ज्वा में ऐसा ही कुछ हुआ (boys bar mitzvah.) उसकी मोम कई महीनों से इस इवेंट की तैयारी कर रही थी. उसने $30,000 भी खर्च किये थे.

लेकिन हुआ कुछ यूं कि बार मित्ज्या (bar mitzvah) के दिन सब कुछ गडबड हो गया था. उस दिन मौसम खराब था, आसमान में बिजली कडक रही थी. पार्टी डीजे ने कॉल करके बोला कि ट्रेफिक की बजह से वो शायद लेट हो जाएगा. लड़के की माँ का मूड़ पहले से ही खराब था. ऊपर से उसका बेटा मेहमानों के सामने कुछ ज्यादा शरारत कर रहा था. लेकिन वो मेहमानों के आगे एक परफेक्ट मोम और परफेक्ट होस्ट होने का नाटक करती रही, और जैसे ही मेहमान गए उसने अपने बेटे को उसके दोस्तों के सामने खूब डाँटा. उसकी अपने हजबैंड से भी बहस हो गयी और डीजे को भी उसने खूब खरी-खोटी सुनाई. चीज़े उसके मनमुताबिक नहीं हुई और इसीलिए उसे हर किसी पर गुस्सा आ रहा था. दरअसल परफेक्शन के पीछे भागना बेवकूफी ट्रेडिशनल पेरेंट्स खुद को ऐसा दिखाते है जैसे कि वो बहुत पॉवरफुल है और उन्हें सब कुछ पता है. वो कभी भी अपनी वीकनेस शो नहीं करते. वो ऐसे एक्ट करते है जैसे कि हर चीज़ उनके कण्ट्रोल में है. लेकिन इसका नतीजा ये होता है कि उनके बच्चे उनसे डरते हैं और एक दूरी बना लेते है. काशस पेरेंट में अंदर इगो नहीं होता. वो अपनी वीकनेस को एक्स्पेट कर लेते है. उन्हें मालूम होता है कि इंसान में अच्छाई और बुराई दोनों होती है. कोई फर्क नहीं पड़ता अगर आप अपने बच्चे के सामने रोते है या गलती करते है. कोई फर्क नहीं पड़ता अगर आप परफेक्ट नहीं है, अपनी गलतियों पर हंसना सीखे आपके बच्चे भी आपको देखकर अपनी मिस्टेक्स एक्स पेट करना सीखेंगे.

उन्हें रिएलाइज होगा कि हम सब नार्मल इंसान है और गलतियाँ सबसे होती है. और वो आपसे हार्ट टू हार्ट कनेक्ट कर पायेंगे, तो क्या हुआ अगर घर थोड़ा गन्दा है? तो क्या हुआ अगर आपके बाल बिखरे है? तो क्या हुआ अगर सूप में नमक ज्यादा है? इगो हटाकर रियेलिटी देखे, और अपने बच्चो को भी रिएलाइज कराये कि उन्हें परफेक्ट होने की कोई ज़रूरत नहीं है. ज़रूरी बात ये है कि वो अपनी गलतियों से सीखे और फन लविंग बने.

इज योर चाइल्ड ग्रोइंग यू अप? Is Your Child Growing You Up? हमारे बच्चे हमे अपनी इममैच्योरिटी फेस करना सिखाते है. उन्हें पालते हुए हमारे सामने कई ऐसे मौके आते है जब हमारे इमोशनल स्ट्रेंग्थ को चेलेंज करते है. लेकिन हमें उन्हें ब्लेम नहीं करना चाहिए. हमारे दर्द की वजह है हमारी अपनी फीलिंग्स जो बचपन से हमने दिल में दबा के रखी थी. हो सकता है ये इमोशनल हमारे खुद के पेरेंट्स या हमारे हालात की वजह से दिल में ही रह गए हों. हमे इस दर्द को एक्स्पेट करना होगा और भूलना होगा तभी हम लाइफ में आगे बढ़ पायेंगे, हम रिवेंज की फीलिंग के साथ लाइफ में ग्रो नहीं कर सकते. बचपन की इन कड़वी यादो की वजह से ही अक्सर हम अपने टीनएजर बच्चो से उलझ पड़ते है. और अपने हसबैंड या वाइफ से लड़ने के पीछे भी यही सेम रीजन होता है. इसी नफरत के चलते बाकि लोगो के साथ भी हमारा रिश्ता खराब होता है. और अपने दर्द को फेस करने के बजाये आप दूसरो को ब्लेम करते है. और एक एडल्ट के तौर पर जब आपके सामने कोई डिफिकल्ट सिचुएशन आती है तो दिल में दबे सारे इमोशंस ट्रिगर हो जाते है. आप अपना गुस्सा क्ट्रोल है। नहीं कर पाते और फिर हर चीज़ पर्सनली लेने लगते है. ऐसा नहीं है कि लाइफ आपको फेवर नहीं करती. ऐसा कोई नहीं जो आपको नीचा दिखाना चाहता जिस इन्सान पर आपको गुस्सा आ रहा है वो सिर्फ एक इंसान है, जिस सिचुएशन की वजह से आपको गुस्सा आ रहा है वो सिर्फ एक सिचुएशन है.

आप खुद अपनी परछाई से घबराते है. इसलिए अपने अंदर झांक के देखो तभी आप आगे मूव कर सकोगे. यही चीज़ आपको अपने बच्चो को भी सिखानी होगी. उन्हें अपना दर्द अपनी तकलीफे एक्सेप्ट करना सिखाओ. और जब दो मुश्किल टाइम गुज़र जाएगा तो उन्हें रिएलाइज होगा कि दर्द सिर्फ एक इमोशन है जो आता है और जाता है. और फिर एक दिन ऐसा भी आएगा जब दर्द का एहसास नही होगा और आप बैटर फील करेंगे. इस तरह आप अपने बच्चे को सिखा सकते हो कि जो होता है होने दो, है ।

लाइफ के हर फेज को एक्स्पेट करो. यहाँ हम एक मों की स्टोरी सुना रहे है जिसने अपने दिल में छुपाई हुई फीलिंग्स अपनी बेटी को पास की. ऐना एक वो थोड़ी ओवरवेट है और मोटा चश्मा लगाती है. उसके क्लासमेट उसे अक्सर बुली करते है. ऐना हर हाल में पतली होना चाहती साल को लडका है. वी है. उसने अपने माँ से खरीदती है लेकिन ऐना फिर कि वो उसे अच्छे कपड़े, जूते और बैग्स दिला दे. उसकी माँ को भी फैशन पसंद है. वो ऐना के लिए लेटेस्ट डिज़ाईन के कपड़े भी रोते हुए घर आती है. फिर वो घंटो रूम बद करके बैठी रहेगी. ना कुछ खाएगी और ना ही स्टडी करेगी, ऐना के इस बिहेवियर से उसकी की मदर बड़ी परेशान रहती है. ऐना की हालत देखकर उन्हें खुद पे ही शर्म आती है. फिर एक दिन उन्होंने ऐना के लिए एक ट्रेडमिल खरीदा और एक न्यूट्रीशियन भी हायर किया. वो ऐना को डेली एक्सरसाइज़ करने को बोलती थी और उसके खाने पीने का भी ध्यान रखती. उसने ऐना को रेगुलरली सैलून ले कर जाना शुरू किया. उसने ऐना के लिए ऐसे कांटेक्ट लेन्सेस भी खरीदे जो उसकी ब्यूटीफुल ड्रेसेस से मैच करते थे. ऐना की मदर उसके प्रिंसिपल से मिली और उनसे पूछ कर ऐना के टीचर के साथ मीटिंग फिक्स की. उसने ऐना के टीचर को बोला कि जो बच्चे उसकी बेटी को बुली करते है उन्हें वो पनिश करे, उसने अपने और ऐना के लिए एक साइकेट्रिस्ट भी अपोइन्ट किया. डॉक्टर की एडवाईज से उसने एन्जाइटी पिल्स लेनी शुरू कर दी थी. ऐना की मदर ने उसे वो पेन फील होने ही नहीं दिया, उसने ऐना को अपना फिजिकल अपीयरेंस चेंज करने के लिए बोला, उसने ऐना को नहीं बल्कि दुसरे लोगो को उसके पेन के लिए ब्लेम किया. अगर वो एक कांशस पेरेंट होती तो वो ऐना को उस पेन को बर्दाश्त करने को बोलती.

वो उसे कभी भी अपनी फीलिम्स छुपाने के लिए नहीं बोलती या सिचुएशन कण्ट्रोल करने की कोशिश नहीं करती क्योंकि ऐना आज ये दर्द नहीं सहा तो उसे जिंदगी भर इस दर्द का बोझ उठाकर चलना पड़ेगा. उसे आज ये एक्स्पेट करना ही होगा, क्योंकि एक ना एक दिन ये दर्द खुद चला जाएगा. उसे खुद को प्यार करना सीखना होगा, अपनी बॉडी को एप्रीशियेट करना सीखना होगा, बेशक इसमें ऐना की मदर ही उसकी हेल्प कर सकती है. सिर्फ वो ही अपनी बेटी को सिखा सकती है कि लाइफ में हर चीज़ परफेक्ट नहीं होती.

लाइफ इज वाइज़ (Life is Wise)

क्या आप खुद को अनलकी समझते है? क्या आपको भी लगता है कि लाइफ अनफेयर है? एक्चुअल में हम ऐसा इसलिए सोचते है क्योंकि लाइफ हमारे कण्ट्रोल से बाहर है. हमारे साथ जो चीज़े होती है उन पर कई बार हमारा कण्ट्रोल होता. लेकिन ये एक रोंग पर्सपेक्टिव है. जब अच्छी चीज़े होती है तो आप बोलते हो कि लाइफ अच्छी है. लेकिन जब चीज़े आउट ऑफ़ कण्ट्रोल होती है तब आप एकदम से इस नतीजे पर पहुचे जाते है कि है। लाइफ खराब है, लेकिन जो भी चांस है वो सिर्फ आपकी है.

लाइफ गाड़ी आप चला रहे हो. इसलिए जो कुछ होता है उसके जिम्मेदार सिर्फ आप हो. कांशस पेरेंट जानता है कि लाइफ ना अच्छी है ना बुरी, बस हम इसे अच्छा या बुरा बनाते है, हर दिन एक अपोरच्यूनिटी लेकर आता है, हर रोज़ हमें ग्र करने का चांस मिलता है, अपनी मिस्टेक रियेलाईज करने द का मौका मिलता है खुद को इस्पूव करने का मौका मिलता है. सेम यही बात अपने बच्चो को भी सिखाओ. क्योंकि वो हमेशा आपको ओब्ज़ेर्व करते है. वो देखते है कि आप कैसे डिफिकल्ट सिचुएशन हैंडल करते है. वो आपकी एने्जी रीसीव करते है. अगर आप बोलेंगे कि लाइफ बुरी हे तो आपके बच्चे भी यही सोचेंगे. अगर आप सोचेंगे कि आप अनलकी है तो उन्हें भी यही लगेगा. इसलिए उन्हें लाइफ को एप्रीशियेट करना सिखाए. अपने बच्चो को सिखाये कि हर मोमेंट एक लेसन है, जो मामट न जो कुछ लाइफ देती है उसे पूरे दिल से एक्सेप्ट करे. जो कुछ अच्छा होता है उसे एप्रीशियेट करे और जो बुरा है उसे उसी हिसाब से हैंडल करे. एक एक्जाम्पल लेते है. मान लो काउंटर में लम्बी लाइन लगी है या फिर कोई ट्रेफिक जान लगा है. तो इसमें शिकायत कैसी. जो है सो है. अगर आपका मूड खराब है तो भी अपने बच्चो पर गुस्सा ना करें और ना ही किसी और पर अपना गुस्सा निकाले. बच्चो को सिखाये कि भरोसा काउंटर की लॉन्ग लाइन्स और हेवी ट्रेफिक रखे. कोई आपका कुछ बिगाड़ नहीं सकता.

जाम का भी कोई ना कोई सोल्यूशन निकल ही जाएगा. अपने लाइफ पर पूरा जिंदगी बहुत समझदार है और आपका इगो खत्म करना चाहती है. लाइफ चाहती है कि आप ग्रो करो, हर एक मोमेंट को जियो, हर पल खुश रहो. अपने बच्चे को सिखाओ कि लाइफ हमें हर पल कुछ ना कुछ सिखाती है. इसलिए लाइफ से भागो नहीं, इसकी परेशानियों से घबराओ नहीं खुलकर अपनी लाइफ जियो, एलिज़बेथ ने अपना इगो छोड़ा तो अपने दो बेटो के साथ जिंदगी को एन्जॉय करना सीखा डेविड और डिकॉन एक दुसरे से काफी अलग है, डेविड स्मार्ट और एथलेटिक है, वो बास्केटबॉल खेलता है और साथ ही पढ़ाई में भी अच्छा है. वो बड़ा ही काइंड और वेल बिहेव्ड बॉय है. वही उसका छोटा बेटा डिकॉन पढ़ाई में भी वीक है और स्पोर्ट्स में भी. वो थोड़ा शर्मिला भी है और थोडा भुलक्कड भी, वो अक्सर बीमार रहता है. डिकॉन को रूल्स फोलो करना बिलकुल पसंद नहीं है, उसे एक रुल बेकर बोला जा सकता अपने रूल्स खुद बनाता है. उसे इस बात की टेंशन नहीं रहती कि वो कैसा दिखता है या क्या पहनता है. कुल मिलाकर उसके लिए सक्सेस के मायने बाकि लोगों से अलग है उसे ज़्यादातर अकेला रहना पसंद है. वो अपने पालतू जानवरों से खेलता है या फिर बुक्स पढ़ता रहता है. और आए दिन क्लास में फेल होता रहता है, चो अपने पेरेंट्स से बोलता है कि या तो वो बड़ा होकर एक फार्मर बनेगा या किसी डेवलपिंग कंटी में जाकर टीचर बनेगा. डिकॉन एक इग्नोरेंट बॉय है जो अपने ही ख्यालो में खोया रहता है.

अपने फादर के लिए तो वो किसी नाईटमेयर से कम नहीं है. उसके फादर मैथ्ू अपने बड़े बेटे डेविड पर प्राउड फील करते है लेकिन डिकॉन से उन्हें कोई उम्मीद नहीं है. उनके बीच अटैचमेंट भी ज्यादा नहीं है. वो तो ये सोचकर हैरान है कि उनके दोनों बच्चे एक दुसरे से इतने डिफरेंट कैसे हो सकते है. डेविड पर उन्हें प्राउड होता है जबकि डिकॉन को देखकर पछतावा होता है, मगर एलिज़बेथ अपने हजबैंड से अलग सोचती है. वो अपने दोनों बच्चो को एक जैसा ही प्यार करती है. उसने दोनों को एक्स्पेट किया है, डिकॉन से भी उसे कोई प्रोब्लम नहीं है.

वो कहती है कि अगर उसके दोनों बेटे अचीवर्स होते तो उसे बड़ा घमंड होता इसलिए शुक्र है कि ऐसा नहीं है. लाइफ ने एलिज़बेध को सिखाया कि है। डेविड और डिकॉन दोनों ही उसके बेटे है इसलिए वो दोनों को एक बराबर प्यार दे. उसे मालूम है कि अगर वो डिकॉन को अपना अनकंडिशनल प्यार और सपोर्ट देगी तो वो बड़ा होकर एक ग्रेट इन्सान बनेगा. वो डेविड से डिफरेंट है लेकिन उसका अपना रास्ता है जो उसने चूज़ किया है. एलिज़बेथ उसे एक अमेजिंग, क्रिएटिव और थाट फूल बच्चा समझती है., और वो ये भी जानती है कि साथ मिलकर वो दोनों लाइफ से काफी कुछ सीख सकते है.

कनक्ल्यू जन (Conclusion)

आपने इस बुक में सीखा कि कांशस पेरेंट कैसे बने. आपने सीखा कि जो कुछ आप करते है चो आपके बच्चे की स्पिरिट बना सकता है और तौड़ भी सकता है. आपने ये सीखा कि एक ग्रेट पेरेंट बनने से पहले आपको अपना चाइल्डहुड फेस करना होगा. तो क्या आपके भी फ्रस्ट्रेटेड ड्रीम्स या स्प्रेस्ड फीलिंग्स है? क्योंकि अगर ऐसा है तो हो सकता है कि आप अपना गुस्सा अपने बच्चे पर निकाले या फिर उन्हें चो बनने के लिए फ़ोर्स करे जो आप बनना चाहते थे, आपके प्यार पर आपके बच्चे का पूरा हक है. उसके लिए उसे कुछ भी एक्स्ट्रा करने की जरूरत नहीं, अपने बच्चों को बताओ कि आप उन्हें कितना प्यार करते हो, उन्हें एक्सेप्टेड फील कराओ, फिर चाहे आपका बच्चा पतला हो, शर्मिला हो या बीमार हो, इस छोटे से इंसान को भी हक है कि वो अपनी यूनिकनेस के साथ जिए और खुश रहे. लाइफ को एप्रीशियेट करे और आप दोनों एक दुसरे के लिए परफेक्ट बने.

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