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Intuitive Eating: A Revolutionary Program that Works
इंट्रोडक्शन(Introduction)
आप किस तरह खाना पसंद करते हैं? खाना खाने के अलग अलग स्टाइल को 4 तरह की पर्सनालिटीज में डिवाइड किया गया है जो है – केयरफुल ईटर, प्रोफेशनल डाइटर, अनकॉन्सियस(unconscious)ईटर और इंटूइटिव ईटर. तो आपके पास चांस है ये पता लगाने का कि आप कौन सी ईटिंग पर्सनालिटी हैं.
क्या आप उनमें से हैं जो हेल्थ और फिटनेस के बारे में ज्यादा जानने की इच्छा रखते हैं? क्या आप उनमें से हैं जो सामान खरीदते वक़्त लेबल पर डिटेल्स पढ़ते हैं? क्या आप रेस्टोरेंट में वेटर से डिश के बारे में पूछते हैं कि उसमें क्या क्या डाला गया है और किस तरह से उसेबनाया गया है? अगर आपका जवाब हाँ है, तो आप केयरफुल ईटर हैं.जैसा कि इन्हें नाम दिया गया है, ये अपने फूड को लेकर बहुत केयरफुल होते हैं. ये जानना चाहते कि खाने कि हरबाईट में इनके बॉडी के अन्दर क्या जा रहा है. फिट और healthy बनने की इच्छा रखना बिलकुल गलत नहीं है लेकिन केयरफुल ईटर कभी कभी अति कर देते हैंमतलब हद से ज्यादा कोई भी चीज़ बहुत खराब होती है. हर चीज़ में एक बैलेंस होना ज़रूरी है. ये अपने रूल्स को लेके बहुत स्ट्रिक्ट होते क्या आपने हर पॉप्युलर (popular) डाइट को ट्राय किया है ? क्या आप हमेशा नई डाइटिंग टेक्निक को ढूंढते रहते हैं ? क्या आप एक डाइट प्लान से दुसरे प्लान पर जाते रहते हैं, क्या आप रेगुलर डाइटिंग करते हैं? अगर आपका जवाब हाँ है,तो आप एक प्रोफेशनल डाइटर हैं. ऐसेलोगहमेशा डाइटिंग करते रहते हैं. ये स्ट्रिकट डाइट, एक्सरसाइजयहाँ तक कि पिल्स भी लेने को तैयार रहते हैं. क्या आपने कभी सोचा है कि इतना सब कुछ करने के बाद भी इनमें से कोई भी सच में काम नहीं करता है.
क्या आप टीवी देखते समय या बुक पढ़ते समय खाते हैं? क्या आप काम करते समय या इन्टरनेट ब्राउज करते समय कुछ खाते हैं ? अगर हाँ तो आप unconscious ईटर हैं. हो सकता है कि आपका रूटीन बहुत हेक्टिक हो. हो सकता है कि आपकोस्नैक्स(snacks) जैसे कूकीज और कैंडीज खाना पसंद हो, हो सकता है जब आप ऐसे लोग अनकॉन्सियस आप थक हुए, उदास या गुस्से में होते हैं तब खाते हैं. सयस ईटरहोते हैं. इनका ध्यान खाने पर होता ही नहीं है, ये हमेशा कोईना कोई काम करते समय खाते हैं, ये नोटिस ही नहीं करते कि ज़रुरत से ज्यादा खा चुके हैं, ये अपने बॉडी की ज़रुरत और भूख से बिलकुल अनजान होते हैं. यहाँ तक की इन्हें पता ही नहीं चलता की इनका पेट भर चुका है या नहीं. ये बस अपना काम करते रहते हैं और साथ में खाते चले जाते इन तीनों इंटिंग स्टाइल्स के नेगेटिव रिजल्ट्स होते है के दोनों ऑँथर्स ने ऐसे बहुर लोगों के साथ काम किया है जो अपनावेट कम करना चाहते हैं और एक healthy लाइफ जीना चाहते है. आइये देखते हैं ये क्या कहना चाहती हैं :
इंटूइटिव ईटर बनाना सीखो. ये तरीका सबसे बेस्ट होता है. भूख लगने पर जब आप खाना खाते हैं और पेट भर जाने पर जब रुक जाते हैं तब आप एक इंटूइटिव ईटर होते हैं. ऐसे ईटर को कुछ भी खाने केबादमें कभी कोई गिल्ट या नेगेटिव फील नहीं होता है. ईटर्स अपनी बॉडी के नेचुरल सिगनल्स पर ध्यान देते हैं मतलब जो नैचुरली हम सब में होता है. फर्क ये है कि वो अपनी बॉडी की बात सुनते हैं, बाहर की चीज़ों पर ध्यान नहीं देते कि कब खाना है और कितना खाना है. ऐसे ईटर्स अपनी बॉडी और फूड दोनों को लेकर कम्फर्टेबल होते हैं ये अपनी ईटिंग हैबिट से बहुत खुश रहते हैं क्योंकि इनकी बॉडी भी बहुत अच्छामहसूस करती है, वो अपने खाने को बहुत चाव से स्वाद लेकर खाते हैं, उनमें कोई गिल्ट नहीं होता है. क्या आप ऐसा नहीं करना चाहेंगे ? क्या आप इंटूइटिव ईटर नहीं बननाचाहते? इस बुक में आप उन 10 प्रिंसिपल्स के बारे में सीखेंगे जो आपको इंटूइटिव ईटरबनाने में मदद करेगा. एक एक करके इन स्टेप्स को सीख कर आप अपने करंट ईटिंग स्टाइल से इंटूइटिव ईटर बन सकते हैं. इमेजिन कीजिये कि ये आपकी लाइफ को कितना चेंज कर देगा.आप सोच रहे होंगे कि ये बुक हमें ऐसा क्या स्पेशल सिखाएगा. ये हमें खाने में ज्यादा interest लेना और उसके साथ एक अच्छा रिश्ता बनाना सिखाएगा, हमें अपने आप को कैसे खुश रखना है ये सिखाएगा और लाइफ को और ज्यादा कैसे एन्जॉय करना है ये सिखाएगा. फूड हमारी सबसे बेसिक ज़रुरत है, इसे हम कभी अवॉयड नहीं कर सकते हैं इसलिए बहुत ज़रूरी है किइसके साथ हमारा एक पॉजिटिव रिलेशन हो ताकिकुछ खाने के बाद हमें गिल्ट नहीं खुशी और सैटिस्फैक्शन मिले.तो आईये शुरू करते हैं.
हिटिंग डाइट बॉटम (HITTING DIET BOTTOM)
सैंड्रा बिलकुल हिम्मत हार चुकी थी. उसनेहर तरह के डाइट ट्रिक को ट्राय करके देख लिया था फिर भी उसका चेट कम नहीं हो रहा था. उसने डॉक्टर्स एवलिन और एलिस को कहा की वो दोनों अब उसकी लास्ट होप हैं. वो जब भी कोई नई डाइट स्टार्ट करती थी तो बहुतएक्साइटेड होती थी, बहुत होप के साथ स्टार्ट करती थी. वो सोचती थी कि इस बार ये नई डाइट काम
करेगी और उसका वेट कम हो जाएगा. शुरू शुरू में उसे ये सब बहुत अच्छा लग रहा था, वो बहुत सीरियसली डाइट फॉलो करती थी.लेकिनकुछ दिन डाइटिंग करने और खुद को भूखा रखने के बाद वो फिर से अपने पुराने डाइट पर आ जाती थी और ज़रूरत से ज्यादा खा लेती थी, ऐसाबार बार करने से अब सैंड्राहर समय बस खाने के बारे में ही सोचती थी. उसे अपनी बॉडी बिलकुलपसंद नहीं धी. वो खुद को दोष देने लगी थी कि उसने ठीक से और डिसिप्लिन से डाइट फॉलो नहीं किया और खुद को कण्ट्रोल नहीं किया.सैंड्रा ये नहीं समझ पा रही थी कि ये उसकी गलती नहीं है। और उसे खुद को ब्लॉक नहीं करना चाहिए. डाइटिंग करके खुद को भूखा रखने का ये तरीका ही गलत है.ऐसाइस प्रोसेस की वजह से होताहै क्योंकि ये
प्रोसेस बिलकुल गलत है.
डॉ.एवेलिन और डॉ. एलिस के हिसाब से इस ईटिंग हैबिट की वजह से सैंड्रा डिस्टर्ब रहने लगी थी खाना उसे एक दुश्मन के जैसा लगने लगा था. डाइटिंग की वजह से वो खुद को दोष देने लगी थी. डाइटिंग ने उसके मेटाबोलिज्म को स्लो कर दिया था. मेटाबोलिज्म मतलब हमारी बॉडी का वोप्रोसेस जो खाने को पहले ब्रेक करता है और फिर उसे एनर्जी में कन्दर्ट कर देता है.
लेकिन ये सिर्फ सैंड्रा के साथ नहीं हुआ था.ज्यादातरलोग इस डाइटिंग की सोच को बहुत पसंद करते हैं, सेंड्रा जैसे बहुत लोगों ने ये सबxperience किया है सेंड्रा कीऐज जब 14 साल थी तब उसने डाइंटिंग करना शुरू किया था, आज वो उ0 साल की है लेकिन अभी भी अपनी बॉडी से खुश नहीं है. इतने साल डाइटिंग करने के बाद भी उसका वेट कम नहीं हुआ था. उसे बहुत गुस्सा आने लगा था, वो बहुत नाखुश थी. डॉ.एवेलिन और डॉ. एलिस काकहना है कि इंसान जितना ज्यादा डाइट करने की कोशिश करता है उतना हीज्यादा इसके फेल होने के चांसेस होते हैं औरउसका कारण है डाइट
बैकलैश मतलब डाइटिंग के नेगेटिव रिएक्शन,
डाइटिंग करने के बहुत नुक्सान भी होते हैं, उनमें से कुछ हम आपको बताने जा रहे हैं. पहला, क्योंकि डाइटिंग करते समय कुछ चीज़ों को बिलकुल बद करना पड़ता है तो उन चीज़ों के लिए ड्राइविंग बहुत बढ़ जाती है, उसे खाने की और ज्यादा इच्छा होती है जैसे “सिनफुल फूड”, जिसमें बहुत कैलोरीज होती हैं जैसे आइसक्रीम और पिज़्ज़ा. दूसरा, जब लोगों का डाइट प्लान पूरा हो जाता है तो वो “बिंज” करने लगता है मतलब उन्हें इतनी इच्छा होती है.
अपने पसंद का खाना खाने की कि वो बहुत ज्यादा खा लेतेहैं और उसे बाद उन्हें बहुत बुरा लगता है कि उन्होंने कण्ट्रोल नहीं किया जिसकी वजह से उनका डाइटिंग करना बेकार हो गया.
तीसरा साइड इफेक्ट है, खुद को लोगों से दूर करके अलग रहना जिसे “सोशल विथड्रॉवल” कहते हैं. ये लोग पार्टीज में जाना बंद कर देते हैं. फ्रेंड्स औरफैमिली को भी अवॉयड करने लगते हैं.ये अपने बारे में अच्छा फील नहीं करते और इनका खुद पर भरोसा खतम होने लगता है. इनका कॉन्फिडेंस बहुत कम हो जाता है
चौथा साइड इफेक्ट है स्लो मेटाबोलिज्म, आइये एक इंटरेस्टिंग बात जानते हैं, जब आप डाइटिंग करते हैं तो खुद को भूखा रखना शुरू करते हैं, धीरे धीरे आपकीबॉडी को इसकी आदत हो जाती है. आपके बॉडी को लगने लगता है कि कुछ टाइम बाद इससे भी कम खाना मिलेगा और इसलिए ये digestion प्रोसेस को स्लो कर देता है. अब खाना को ब्रेक करने और उसे एनर्जी में कन्वर्ट करने में ज्यादा समय लगता है. हमारी बॉडी ऐसे रियेक्ट ना करे इसलिए बहुत ज़रूरी है कि जितनाहमारीबॉडी को ज़रुरत है उतना खाना खाया जाए. फिफ्थ साइड इफेक्ट है ईटिंग डिसऑर्डर,जिसे खाने का रोग या गड़बड़ी भी कह सकते हैं. डाइटिंग करने वालों को अलग अलग तरह के डिसऑर्डर हो सकते है जैसे एनोरेक्सिया (anorexia) जिसमें इंसान बिलकुल खाना बंद कर देता है. दूसरा है बुलिमिया (bulimia) जिसमें इंसान हर समय खाता ही रहता है, उसे हर समय भूख लगती है. तीसरा है कंपल्सिव ओवरईटिंग जिसमें इंसान अपना कण्ट्रोल ही खो देता है और जबरदस्ती ज्यादा खाने लगता है.
प्रिंसिपल्स ऑफ़ इंटूइटिव ईटिंग: ओवरव्यू (PRINCIPLES OF INTUITIVE EATING: OVERVIEW)
हम सिर्फ आपके वेट में चेंज की बात नहीं कर रहे हैं.इंटूइटिव ईटिंग स्टाइल आपके कॉन्फिडेंस को वापस लाता है और खाने के साथ आपका एक healthy रिलेशन बनाता है जिसमें आप healthy भी रहते हैं और खुश भी. मगर याद रखियेगा ये बुक summary आपको सिर्फ इसके प्रिंसिपल्स के बारे में सिखाएगी, इसेफॉलो करना न करना सिर्फ आप पर डिपेंड करता है. ये 10 प्रिंसिपल्सआपको अपने लाइफ को चेंज और अच्छा
करने का असरदार तरीका देते हैं. इसे अपनाते हैं या नहीं, ये सिर्फ आपके ऊपर प्रिन्सिप्ल नंबर 1 रिजेक्ट डाइट मेंटालिटी (Reject the Diet Mentality)
बिलकुल मन से निकाल दीजिये.आपजितने भी डाइटिंग टिप्स और ट्रिक्स के बारे में जानते हैं उन्हें बिलकुल छोड़नाहोगा. डाइटिंग करने की सोच को हैं बिलकुल छोड़नाहोगा. कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपको उसके बारे में कहाँ से पता चला, वो टीवी शो, मैगज़ीन या कोई आर्टिकल भी हो सकता है.बसउसके बारे में सब कुछ भूल जाइये ये डाइटिंग ही है जो आपको गिल्टी फील है और आपको झूठी आशा देता है.
करवाता
अब तक तो आप समझ ही चुके होंगे कि आपने जितने भी डाइट प्लान या टिप्स को ट्राय किया है सब बेकार है, असल में कोई भीकाम नहीं करता है.
इसे लम्बे समय तक कर पाना पॉसिबल नहीं है और इसके बहुत ज्यादा साइड इफेक्ट्स होते हैं इसलिए इसे एकदम भूल जाइये. डाइटिंग वाली सोच आपको कभी भी इंटूइटिव ईटिंग को समझने और अप्लाई करने नहीं देगा. से ही जेम्स ने टीनएज डाइटिंग करना शुरू कर दिया था उसकी लास्ट डाइट प्लान थी सिर्फ्रोटीन शेक और खाना बिलकुल भीनहीं, ये उसका अब तक
का सबसे खराब डाइटिंग प्लान था. जब जेम्स डॉ.एवेलिन और डॉ. एलिस से मिला तो वो बहुत मोटा हो चुका था, इतना मोटा जितना पहले कभी नहीं
था.उसने कहा कि अब उससे और डाइटिंग नहीं हो पाएगी जबकि वो जानता था कि उसे डाइटिंग करने की ज़रूरत है क्योंकि वो बहुत मोटा हो गया था.
उससे आर डाई दोनों डॉक्टर्स ने उसे इस डाइट की सोच को छोड़ने के लिए कहा. अब जैम्स समझ मया था कि वो फेलियर नहीं है और ना ही उसकी कोई गलती है. ये
डाइटिंग करने का आईडिया ही सबसे बड़ा फेलियर है. डॉक्टर्स से बात करने और समझने के बाद जेम्स ने डाइटिंग की सोच को पूरी तरह छोड़ दिया. वो अब इंटूइटिव ईटर बन चुका था. उसे अब डाइट करने की इच्छा नहीं होती थी, जेम्स अब बहुत खुश था क्योंकि अब वो सब कुछ खा सकता था, वो भी जो उसे बहुतपसंद था और इसके साथ साथ उसका वेट 25 पाउंड कम हो गया था. इतने सालों में पहली बार वो बहुत अच्छा फील कर रहा धा.
पहला बार वा प्रिन्सिप्ल 2 ऑनर योर हंगर (Honor Your Hunger) अपनी बॉडी के नेचुरल सिग्नल पर ध्यान दीजिये हमारी बॉडी को कार्बोहाइड्रेट्स की ज़रुरत होती है क्योंकि इस से हमें हमारा काम करने की एनर्जी मिलती है, अगर आप डाइटिंग करते हैं और कम खाना खाते हैं तो कम काब्ब्स हमारी बॉडी में जाती है जिसकी वजह से बॉडी की ज़रुरत पूरी नहीं हो पाती, ये ओवरईटिंग को ट्रिगर करता है. पहला चांस मिलते ही आप ओवरईटिंग करने लगते हैं. ये वैसा हीहै जैसे पुराने समय में इंसान जंगल में रहता था और ठण्ड के सीजन में उसे भूखा रहना पड़ता था क्योंकि उन्हें कुछ भी खाने को नहीं मिल पाता था. वो लोग तब विंटर ख़तम होने के बाद स्मिंग सीजन जमकर खाना ा खाते थे, खुद को भूखा रखना ज्यादा खाने की इच्छा को ट्रिगर करता है जिससे वेट कम होने की बजाय और भी ज्यादा बढ़ जाता है. खुद को उस लेवल पर मत पहुँचने दीजिये. अपने बॉडी के नेचुरल सिग्नल्स पर भरोसाकीजिये और जब भूख लगे तब खाना खाइए. इस तरह आप खाने
और अपनी बॉडी के साथ एक healthy रिश्ता बना पाएँगे जो आपको खुशी भी देगा और हेल्थ भी. टिम एक मेडिकल स्टूडेंट है जिसने डाइटिंग शुरू किया, उसे अपनी पढाई और ट्रेनिंग के लिए वीक में 80 घंटेमेहनतकरनी पड़ती थी, जब उसे भूख लगती थी तो वो उस पर ध्यान नहीं देता था क्योंकि उसे अपना वेट कम करना था इसलिए वो खाना ही नहीं चाहता था. मगर वो ऐसा सिर्फ लच टाइम ही था उसके बाद वो दुकान में जाकर ज़रुरत से ज्यादा खाना लेकर खाता था, ऐसा करने से उसका चेट हमेशा ऊपर नीचे होता रहता था और उसमें अपनी क्लास अटेंड करने की बहुत कम एनर्जी होती थी.ऐसा लाइफस्टाइल बहुत नुक्सान करता है और आपको बीमार कर सकता है. उसके बॉडी को सारे फिजिकल और मेंटल काम करने के लिए खाने की बहुत ज़रुरत थी. इससेटिम ने एक बहुत इम्पोर्टेन्ट लेसन सीखा कि उसे अपनी बॉडी की रिस्पेक्ट करनी चाहिए, जब बॉडी सिग्नल दे की भूख लगी है तब ज़रूर खाना चाहिए. टिम अब डॉक्टर बन गया था, वो जानता था कि अगर उसने ब्रेकफास्ट नहीं किया तो वो ठीक से पेशेंट्स को चेक नहीं कर पाएगा.इंटूइटिव ईटर बनने की वजह से अब उसमें पूरा दिन काम करने की भरपूर एनर्जी रहती है.उसका वेट बिलकुल नार्मल रहने लगा. उसने खुद को डाइटिंग और फिर ओवरईटिंग के नुक्सान से बचा लिया था, उसने फिर कभी डाइटिंग नहीं की.
प्रिन्सिप्ल नंबर 3 मेक पीस विथ फूड (Make peace with Food) जीने के लिए खाना बहुत जरूरी होता है. खाने को अपना दुश्मन मत समझिये, खाने के साथ अपनी लड़ाई को बंद कीजिये.जब भूख लगे तब जरूर खाइए, अपना दुश्मन समझ कर इसे दूर मत कीजिये. अगर आपने अजीब से रूल्स बनाएं हैं कि आप चॉकलेट्स नहीं खाएंगे तो ये सिर्फ उसे खाने की आपकी इच्छा को और बढ़ा देगा, एक तरफ तो आप बिलकुल खाना नहीं चाहते और दूसरी तरफ आप ज़रुरत से ज्यादा खाने लगते हैं,फिरएक दिन ऐसा आता है जब आपका कण्ट्रोल खतम हो जाता है और आप हद से ज्यादा चॉकलेट्स खा लेते हैं. इसका रिजल्ट क्या होता है ? ये किसिर्फ आपका वेट बढ़ जाता है और आप खुद के बारे में नेगेटिवफील करने लगते हैं. मुझे विश्वास है कि आप ऐसा तो बिलकुल नहीं चाहते होंगे, पूरी तरह चॉकलेट खाना बंद करने की बजाय कभी कभी इसे खा लेना चाहिए ताकि आपको क्रेविंग ना हो और आप बाद में हद से ज्यादा ना खा लें. नैंसी एक रेस्टोरेंट में वेट्रेस है. हर रोज़ उसके आस पास बहुत सारा टेस्टी खाना होता है. नैसी हमेशा खुद को ये सब खाने से रोकती रही. जब वो घर जाती थी. सपने
तोवो ?
वि बहुत थक में उसे बस वो सब लज़ीज़ खाना याद आता था जो उसने सब को सर्व किया था. एक दिन नेैसी से कण्टोल नहीं हुआ और उसने सारे के सारे डिशेस taste कर लिए. उसने सारा खाना खा लिया था. अब उसे बहुत बुरा लग रहा था.फिरवो डॉ.एवेलिन और डॉ. एलिस के पास क्योंकि नैसी ने हमेशा अपनी इच्छा को कण्ट्रोल किया था, उसने ऐसे खाया जैसे इसके बाद उसे कभी खाने को नहीं मिलेगा. उसे लगा कि डॉक्टर्स उसे एक स्ट्रिक्ट डाइट प्लान फॉलो करने के लिए कहेंगे और उसे अपने पसंद की चीज़ों को खाने से रोक दिया जाएगा. लेकिनडॉ.एवेलिन और डॉ. एलिसने उसे इंटूइटिव ईटर बनना सिखाया. अब नैसी की समझ में आया कि जब तक उसका पेट नहीं भर जाता तब तक ईटिंग को ट्रिगर करता है औरउसकी वजह से बोअपना मनपसंद खाना खा सकती है. उसे समझ में आ गया था कि खुद को कुछ खाने से रोकना ओवर गिल्ट महसूस होता है.मगरअब ये सब बंद हो चुका था, उसनेफूड को अपना दुश्मन समझना बंद कर दिया था. प्रिन्सिप्ल नंबर 4 चैलेंज द फूड पुलिस ( Challenge the Food Pollce)
क्या आप IO 00 कैलोरीज से कम हैं तो इन्हें ना कहना सीखिए कन खाने पर खुश होते हैं या एक स्लाइस पिज़्ज़ा खाने पर खुद को सज़ा देते हैं? अगर आपके मन में ये सब बातें चलती अन्दर तक बैठा हैँआ है. ये फूड पुलिस ता कला के जी कुछ फूड को अच्छा और कुछ को बुरा लेबल कर देती है. ये फूड पुलिस आपरके मन में बहुत देखिए, इस वाली सोच आपके लिए बिलकुल ठीक नहीं है, इसे खुद से दूर कर दीजिये. खुद कोसमझाइए और पॉजिटिव बातें कीजिये कि अपने पसंद की चीज़ खाना बिलकुल गलत नहीं है, आप कोई क्राइम नहीं कर रहे हैं.
लिंडा एक टीनएज एथलीट है. ओलिंपिक में उसका ट्रैक एंड फील्ड में सिलेक्शन हो गया था (ट्रैक एंड फील्ड एक इवेंट है जिसमें रनिंग और जुम्पिग शामिल है). उसके कोच ने उसे डाइट शुरू करने और बॉडी फैट कम करने के लिए कहा ताकि दो और फिट हो सके और दूसरों को टफ कम्पटीशन दे सके. उसकी मदर भी उसे बताती रहती थीं कि उसे क्या खाना चाहिए और क्या नहीं. इसकी वजह से हमेशा उसका वेट कम और ज्यादा होता रहा. लिंडा के मन में फूड पुलिस पूरी तरह बैठ चुका था. बहुत सालों तक स्ट्रगल करने के बाद लिंडा ने अपने मन में चल रही इन बातों को कण्ट्रोल करने के बारे में सोचा, उसने मन में ठान ली थी कि वो अब इस सोच को फॉलो नहीं करेगी, जो कुछ फूड को अच्छा और कुछ को खराब बताते हैं. उसने अपने बॉडी की केयर करना शुरू किया, अब वो अपने पसंद का खाना खाने लगी और उसने अपनी इच्छा को दबाना बंद कर दिया था,
प्रिन्सिप्ल नंबर 5 फील योर फुलनेस(Feel Your Fullness) अपने बॉडी के Signal को सुनिए. जब आपका पेट भर जाता है तो बॉडी आपको बता देती है, खाते समय बीच में रुकिए और ध्यान दीजिये कि क्या और खाने की जरुरत है या नहीं,
जैकी एक खुशमिजाज़ लड़की है. उसे फ्रेंड्स के साथ डिनर पर जाना और पार्टी करना बहुत पसंद है. जैकी को खाना इतना पसंद है कि पेट भर जाने के भी वो खाना बंद नहीं करती थी.
रोज़ सुबह वो खुद से कहती कि वो अब ज्यादा खाना बंद कर देगी उसे सुबह बेचैनी महसूस होती थी जैसे कीउसका पेट फूला हुआ हो. सड़क पर रहने वाली बिल्ली को जब कोई खाने की चीज़ मिलती है तो वो सब चट कर जाती है क्योंकि उसे नहीं पता की उसे फिर से खाना कब मिलेगा. वहीं जो पालतूpet) बिल्ली होती है अपना पेट भर जानेपर अपने कटोरे में कुछ खाना छोड़ देती है क्योंकि उसे पता होताहै कि उसे बाद में फिर खाना मिलेगा. जैकी को समझ में आ गया कि वो सड़क पर रहने वाली बिल्ली नहीं है, उसके पास बाद में खाने के लिए भी खाना हमेंशा होता है इसलिए उसने अपने बॉडी के सिग्नल्स को सुनना शुरू कर दिया. अब पेट भर जाने पर वो रुक जाती थी, इसकी वजह से अब वो बीमार महसूस नहीं करती थी, उसे अपना पेट फूला हुआ नहीं लगता था. उसकी समझ में आ गया था कि वो बिना ज़रुरत से ज्यादा खाए भी एन्जॉय कर सकती है, उसने अपने बॉडी को रेस्पेका करना सीख लिया था और अब वो खुश रहने लगी थी.
प्रिन्सिप्ल नंबर 6 डिस्कवर द सैटिस्फैक्शन फैक्टर (Discover the Satisfaction Factor)
हमपतले और फिट होने की इच्छा में फूड को एन्जॉय करना ही भूल जाते हैं. हम एक टेस्टी मील से मिलने वाली खुशी और सैटिस्फैक्शनपर ध्यान देना बंद कर देते हैं. आखरी बार ऐसा कब हुआ था जब आपने सच में अपने खाने को बड़े चाव से स्वाद लेकर खाया था ? जैसे एक कुकिंग कांटेस्ट में जज सच में स्वाद लेकर डिश कोटेस्ट करते हैं ताकि वो ये जान सके कि उसमें क्या क्या डाला गया है और उसे किस तरह बनाया गया है. इमेजिन कीजिये कि आप अपना favourite फूड ऐसे ही खा रहे हैं,आपको लगेगा आपने मन भर कर और पूरा स्वाद लेकर खाना डेनिस फिल्मों में प्रोडक्शन असिस्टेंट का काम करती है हर रोज़ सेट पर खाने की ऐसी चीज़ें आती हैं जिसे खाने से वो खुद को रोकती थी. अगर उसे फ्रेंच फ्राइज खाने का सच में बहुत मन करा हो तब भी वो उसे नहीं खाती थी. वो बस फूट्स खाती थी. उसे कभी समझ में नहीं आया कि उसका मन खुश खाया है. इससे आपको खुशी और सैटिस्फैक्शन मिलेगा.
क्यों नहीं होता था.
एक दिन उसने एक्सपेरिमेंट करने का सोचा. उसनेवो सब कुछ खाया जो उसका मन कर रहा था. फ्राइज खाने के बाद उसे बहुत खुशी हो रही थी क्योंकि वो satisfied फील कर रही थी. उसने ज्यादा नहीं खाया फिर भी उसे खुशी महसूस हो रही थी.
प्रिंसिपल नंबर7 कोप विथ योर इमोशंस विदाउटयूजिंग फूड (Cope With Your Emotions Without Using Food) इस बात पर ध्यान दीजिये कि कब आप अपनी फीलिंग्स/इमोशंस के कारण कुछ खा रहे हैं. शायद आप अकेलापन महसूस करते हैं या बोर फील करते हैं , चिताया गुस्सा महसूस करते हैं. अपने प्रोब्लम्स को डील करने के लिए खाने से ध्यान हटाकर कोई और तरीका दूंढना सबसे अच्छा होता है. क्योंकि
सच ये है की जितना मर्जी आप आइसक्रीम खा लीजिये वो प्रॉब्लमती वैसी की वैसी ही रहेगी, अपने आप सोल्व नहीं होगी.आइसक्रीम बॉक्स के नीचे उस प्रॉब्लम का कोईसोल्युशन नहीं लिखा होता है. खाना आपको better फील करा सकता है मगर सिर्फ कुछ समय के लिए. मगरये”इमोशनल ईटिंग” आपको बहुत मोटा कर सकती है. प्रॉब्लम का सामना करने के और भी तरीके हैं जैसे किसी अपने से बात करना या खुद को स्ट्रोंगबना कर स्माइल करना, लिसा एक हाई स्कूल स्टूडेंट है जिसे होमवर्क करना बिलकुल पसंद नहीं है. वो इससे जी चुराती रहती है, इसे टालती रहती है और पोटेटो चिप्स खाते खाते टीवी देखती रहतीहै.
वहीं सिंथिया एक हाउसवाइफ है. उसके हस्बड बहुत बिजी रहते हैं और उसके बच्चे बड़े बड़े हो गए हैं. अपना अकेलापन दूर करने के लिए वो पेस्ट्रीज और डेजर्ट खाती है.
ये दोनों ही डॉ.एवलीन और डॉ एलिस पेशेंट हैं. येदोनों बहुत परेशान थी. उन्हें अब समझ में आया कि वो अपना मन बहलाने के लिए, अपना ध्यान भटकाने के लिए खाने का इस्तेमाल कर रही थीं, अबउन्होंनेसीखा कि उन्हें अपने बॉडी के हंगर सिग्नल को सुनना चाहिए ना की इमोशनल हंगर को, उन्हें समझ में आ गया था कि खाना सिर्फ तब टेस्टी लगता है जब आपका मूड अच्छा होता हो ना की जब आप परेशान और दुखी होते हैं.
प्रिंसिपल नंबर 8 रेस्पेक्ट योर बॉडी (Respect your Body)
अपने बॉडी साइज को accept करना सीखिए. आपके बॉडी के जींस ने जैसा आपको बनाया है उसको पसंद करना सीखिए. ये ऐसा ही है जैसे अगरआपको साइज़ 8 केजूते आते हैं तो आप कभी साइज़ 6 वाले जूते में अपना पैर फिट नहीं कर सकते हैं. बॉडी का साइज़ भी बिलकुल ऐसा ही है. चाहे आपकी बॉडी जैसी भी हो आप फिर भी अच्छा महसूस कर सकते हैं. आप उन कपड़ों को पहन सकते हैं जो आप पर अच्छे लगते हों और इसके लिए ज़रूरी नहीं की आपको वेट कम करना होगा, बस आपको अपनासोचने का नजरिया बदलने की जरूरत है. एंड्रिया 50 साल की हैं, उनके 4 बच्चे हैं, वो अपने बॉडी की रेस्पेक्ट करती है और उससे से बहुतखुश है क्योंकि वो कितना कुछ कर सकती है जैसे घूमना फिरना, एक्सरसाइज करना, काम करना और अपने बच्चों का ध्यान रखना. मगर हमेशा ऐसा नहीं था, एक समय था जब एंड्रियाअपने बॉडी को बिलकुल पसंद नहीं करती थी.वो चाहती थी कि वो और ज्यादा पतली और यंग दिखे. वो जितना अपने आप मेकमियाँ निकालती थी उतना ही उसे बुरा लगता था.
फिर एंड्रिया इन सब से थक गयी. वो दूसरों से खुद को compare करते करते थक गयी थी. फिर एंड्रिया ने अपने बॉडी की रेस्पेक्ट करना शुरू किया. वो इमोशनल ईटर से इंटू इटिब ईटर बन गयी. एड्रिया के पास ब्यूटी क्वीन जैसी बॉडी नहीं थी लेकिन अब वो गर्व/प्राउड फील करती थी की वो कितना कुछ कर सकती है.
प्रिंसिपल नंबर 9 एक्सरसाइज एंड फील द डिफरेंस(Exercise and Feel the Difference). आपको हद से ज्यादा एक्सरसाइज करने की ज़रूरत नहीं है. आपको बस एक्टिव रहने की और अपने बॉडी को पलेक्सिबल रखने की जरुरत है की वो
फिरता रहे. एक्सरसाइज करते वक़्त ये मत सोचिये की कितनी कैलोरीज बर्न हुई, बस उसे एन्जॉय कीजिये. आपकी muscle कैसे खिंच रही चलता कीजिये, कैसे ये आपके टेंशन को कम कर रहा है और आपकी बॉडी में है वो महसूस कीजि ज्यादा एनर्जी भर रहा है ये महसूस कीजिये. वैट कम करने पर नहीं बल्कि इसे एन्जॉय करने पर फोकस कीजिये, जैसे आप सुबह अपने आस पास वॉक के लिए जा सकते हैं.आप देखेंगे कीकैसैएक हैप्पी एक्सपीरियंस आपको मोटीवेट करता है. जब सुबह आपका अलार्म बजे तो ये मत सोचिये की मुझे इतनी कैलोरीज कम करनी है, ये सोचिये की ऐसा खाना खाएं जो टेस्टी भी हो और हेल्थ के लिया अच्छा भी हो, फिट रहने के लिए आपको किसी भी स्ट्रिक्ट डाइट प्लान को फॉलो करने की ज़रूरत सुबह की वॉक को एन्जॉय करना है. अपने एक्सरसाइज को एन्जॉय करना सीख गए तो इसे आप बेगन से नहीं करेंगे. प्रिंसिपल नंबर 10 ऑनर योर हेल्थ विथ जेंटल नुट्रिशन (Honor Your Health with Gentle Nutrition)
को भूखा मत रखिये, खुद को कुछ खाने से रोकिये मत. अगर आपका मन केक खाने का है तो बिलकुल खाइए. ये ज्यादा मायने रखता है की है. खुद को भूखा मत कि आप ज्यादा नुट्रिशयस फुड खाएं और जंक फूड कम लेकिन अपनी पसंद का चीज़ भी आप खा सकते है. याद रखिये आपका एम है प्रोग्रेस करना, आपने अलग अलग ईटिंग पर्सनालिटीज के बारे में सीखा. आपने इंट्रइटिव ईटिंग के 10 प्रिंसिपल्स के बारे में भी सीखा, आपने अपने जैसे ही कुछ लोगों की स्टोरीज के बारे में जाना, अब जब आपके पास इतनी जानकारी है तो समय है कि आप खुद को भीएक इंटूइटिव ईटर बना लें. आगे बढ़ना, परफेक्शन नहीं.
कंक्लुजन (Conclusion)
इंटूरइटिव ईटरबनने के 5स्टेजेस हैं. फर्ट,हिटिंग डाइट बॉँटम मतलब डाइटिंग और उसके साइड इफेक्ट्स को समझना, डाइटिंग को पूरी तरह अपने मन से निकाल देना, सेकडस्टेज है कॉन्ससियस लर्निंग मतलब ये समझना की खाना कैसे खाना चाहिए और इसके साथ हमारा कैसा रिलेशन होना चाहिए. थर्ड स्टेज crystallization मतलब अपनी सोच में बदलाव लाना, फोर्थ स्टेज अपने अन्दर इंटूइटिव ईटर बनाने की इच्छा पैदा करना, फिफ्थ स्टेज है, जो आपने सीखा है उससे अपनी लाइफ को और अच्छा बनाना, इसे ऐसे ही बनाए से पहले शायद आप फर्स्ट स्टेज में रहे होंगे. हम उम्मीद करते हैं कि ये बुक पढ़ने के बाद आप सेकंड स्टेज में आ जाएंगे.बस इस बुक समरी को लाकि आप फूड और सेटिंग के बारे में अपनी नयी सोच को सच में अप्लाई कर सरकें.
हमारा गोल है कि आप एक इंटूइटिव ईटर बने । और इसे पूरी लाइफ फॉलो करें क्योंकि लास्ट स्टेज में पहुँच कर आपको बहुत खुशी और संतोष मिलेगा. क्या आप खाने को एन्जॉय कर के नहीं खाना चाहते हैं? क्या आप फूड के साथ एक अच्छा और healthy रिश्ता नहीं बनाना चाहते हैं? डॉ.एवलीन और डॉ एलिस कहते हैं कि आप बिलकुल ऐसाकर सकते हैं. आपकी बॉडी healthy हो सकती है. अब आप अपनी लाइफ को बिना गिल्ट के जी सकते हैं, आप अपने बारे में अच्छा महसूस कर सकते हैं. आप में नेचुरली एक इंटूइटिव ईटर है, बसउसे जगाने की ज़रुरत है.उसे जगा कर अपनी लाइफ को एन्जॉय कीजिये, ऐसे जैसे आपने पहले कभीनहीं किया होगा.