THE COMPOUND EFFECT by Darren hardy.

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About Book

अगर आपको दो पोसिबल ऑप्शन दिए जाए कि या तो आप 3 मिलियन डॉलर कैश ले जाए या फिर एक पेनी जो 37 दिनों तक हर रोज़ डबल होती रहे तो आप इसमें से कौन सा वाला ऑप्शन चूज़ करेंगे? ज़ाहिर है कि कोई भी इतना ज्यादा नहीं सोचेगा और फर्स्ट वाला ऑप्शन ही चूज़ करेगा..

1. इस बुक से हम क्या सीखेंगे? आप कम्पाउंड इफेक्ट यूज़ करके अपने बिजनेस को नयी ऊंचाईयों पे ले जा सकते है. लेकिन कम्पाउंड इफेक्ट है क्या? तो हम बताते है कि इसके पीछे बेसिक आईडिया ये है कि कुछ स्माल मगर स्मार्ट डिसीजन जो हम एक पीरियड तक लेते रहते है, वो दरअसल लार्ज और शोर्ट चेंजेस से ज्यादा सब्सटेनियल होते है. चाहे बिजनेस हो या घर या आपकी हेल्थ या रिलेशशिप हर जगह आप कम्पाउंड इफेक्ट का यूज़ करके लाइफ को बैटर बना सकते है.

2. ये बुक किस किसको पढनी चाहिए? कोई भी इंसान जो पैसे बचाना चाहता है या कोई स्माल बिजनेस शुरू करके उसे बड़ा बनाना चाहता है उसे ये बुक एक बार जरूर पढनी चाहिए. बिजनेसमैन, स्टूडेंट्स या ऑफिस गोइंग पर्सन ये बुक सबके लिए है.

3. इस बुक के ऑथर कौन है?

डारेन हार्डी एक अमेरिकन ऑथर, कीनोट स्पीकर, एडवाईजर और सक्सेस मैग्जीन के फॉर्मर पब्लिशर है. इन्होने द एंटप्रेन्योर रोलर कोस्टर, लिविंग योर बेस्ट इयर एवर और कम्पाउंड इफ्केट जैसी बेस्ट सेलर बुक्स लिखी है. हार्डी न्यूयॉर्क टाइम्स के बेस्ट सेलर ऑथर है. उनका जन्म 26 फरवरी, 1971 में हुआ था.

परिचय

कम्पाउंड इफेक्ट क्या है?

समरी से पहले ये जान लेना ज़रूरी है कि डारेन हार्डी ने कम्पाउंड इफेक्ट किसे बोला है। तो इसे एक्सप्लेन करने के लिए इस बुक का एक एक्जाम्पल देख लेते है। अगर आपको दो पोसिबल ऑप्शन दिए जाए कि या तो आप 3 मिलियन डॉलर कैश ले जाए या फिर एक पेनी जो 31 दिनों तक हर रोज़ डबल होती रहे तो आप इसमें से कौन सा वाला ऑप्शन चूज़ करेंगे? जाहिर है कि कोई भी इतना ज्यादा नहीं सोचेगा और नीचे दिए गए इन फैक्ट्स को कंसीडर करते हुए फर्स्ट वाला ऑप्शन ही चूज़ करेगा।

। क्योंकि दुसरे वाले ऑप्शन के कंपेयर में ये ज्यादा पैसा लग रहा है। 2. इसमें टाइम नहीं लगेगा क्योंकि आपको सारा पैसा एक साथ मिल रहा है।

3. ये पैसा कैश में है।

हालांकि अगर हम इन दोनों ओपेशंस को थोड़ा बेसिक मैथमेटिक्स यूज़ करके गौर से समझने की कोशिश करे तो पता चलेंगा कि ऐसी पैनी जो 31 दिनों तक हर रोज़ डबल होती है, असल में उसकी वैल्यू 1 मिलियन यूएसडी के बराबर होगी। हैं ना थे सरपराइजिंग बात? इसका मतलब है कि अगर आप एक पैनी पर डे का ऑप्शन चूज करते है तो आपके पास 7 मिलियन यूएसडी ज्यादा होंगे उस इंसान से जो पहले वाला ऑप्शन यानि 3 मिलियन कैश का ऑप्शन चूज करेगा। तो देखा आपने एक छोटी सी पैनी की वैल्यू में हर रोज़ चेंज आने से इतना फर्क पड़ जाता है। और यही कम्पाउंडिंग इफेक्ट है। कुल मिलाकर कम्पाउंडिंग इफेक्ट से मतलब है कि स्माल स्टेप्स या एक्शन से स्टार्ट करके सक्सेस के रास्ते पर आगे बड़ा जाए।

ऊपर वाले एक्जाम्पल में पर डे डा डेज़ के लिए एक पैनी का स्टाईड लेना एक स्माल स्टेप या एक्शन होगा क्योंकि इसमें पहले वाले ऑप्शन के मुकाबले आपको 7 मिलियन यूएसडी ज्यादा अमीर होने का चांस मिल रहा है। अच्छा चलो एक और एक्जाम्पल लेते है। मान लो आप चेट लोस के केम्पेन पर है तो डिसाइड करते है कि आज से आप शुगर कम लेंगे, आप हर टाइप के जंक से दूर रहेंगे। और इस तरह बाद में जब आप अपना डेट चेक करते है तो वो 80 केजी निकलता है जोकि पहले 150 केजी था। तो आखिर ये हुआ कैसे? आपके सिर्फ एक डिसीजन ने कि आप एक परटीक्यूलर टाइम तक जंक फूड से दूर रहेंगे, आपमें इतना बड़ा चेंज लाया। आपका जंक फूड और शुगर कट करने का डिसीजन स्टार्टिंग में भले ही इन्सिग्निफिकेंट लग रहा हो,

इनफैक्ट आपको कोई डिफ़रेंस भी नजर नहीं आ रहा हो मगर जैसे-जैसे टाइम गुजरता जाता रिजल्ट खुद आपके सामने आता है- पूरे 70 केजी जोकि आपने लोस किया। तो समझे आप! इसी को कम्पाउंडिंग इफेक्ट बोलते है। और कम्पाउंडिंग इफ्केट के बारे में एक अच्छी बात ये है कि इसे आप कहीं भी यूज़ कर सकते है। इस बुक को पढ़ने से पहले मुझे याद है कि अपनी यंग एज में जब मैं अपना पहला मोबाइल फोन परचेज़ करना चाहता था तो उसके लिए पैसे सेच करने के चक्कर में मैंने कितना स्ट्रगल किया था। आपको ये मज़ाक लग रहा होगा? है ना? लेकिन मुझे पूरा यकीन है कि आपमें से कई सारे लोग सेम सिचुएशन से गुज़रे होंगे जब कोई चीज़ लेने के लिए आपने भी पैसे सेव किये होंगे क्योंकि किसी और ने आपको वो चीज़ लाकर नहीं दी।

मेरे केस में मुझे पूरे साल भर तक अपनी पॉकेट मनी का 70% बचाकर रखना पड़ता था जिसका मतलब था कि मैं अपने पैसे से पूरा एन्जॉय नहीं कर पा रहा था। कोई पार्टी नहीं, कोई नए जूते नही, कपड़े नहीं (वैसे आपको बता दूं कि मै एक शू फ्रीक हूँ। बाहर खाना सब बंद! मगर मैंने अपना गोल अचीव करने के लिए ये सब कुछ मैनेज किया। आखिर इतना तो वर्थ करता था अपने फेवरेट फ़ोन के लिए। और आखिरकार जब मैंने वो फ़ोन खरीदा तो अपने दोस्तों में में पहला था जिसके पास खुद का एक फ़ोन था।

आपको शायद मेरी स्टोरी थोड़ी फनी लग रही होगी लेकिन अपना गोल अचीव करने के लिए मैंने सिम्पली कम्पाउंड इफेक्ट लॉ अप्लाई किया था। मैंने एक बड़े गोल (फ़ोन के लिए) बिट्स में पैसे बचाए। आपने क्या खरीदने के लिए पैसे बचाए थे? फोन, लेपटॉप, कार, कोई प्रॉपर्टी या कोई बिजनेस स्टार्ट करने के लिए? चाहे आपने जिस भी चीज़ के लिए पैसे बचाए हो, यहाँ आपने कम्पाउंडिंग इफेक्टर का लॉ अप्लाई किया है।

द बिग आईडिया ऑफ़ कम्पाउंडिंग इफेक्ट

हो सकता है कि कम्पाउंडिंग इफेक्ट आपको थोड़ी टेक्नीकल चीज़ लग रही हो तो इसलिए हम इसे थोड़ा ब्रेक करके समझने की कोशिश करेंगे कि इसके पीछे एक्स्जेक्टली क्या है। तो म बताते है कि इसके पीछे बेसिक आईडिया ये है कि कुछ स्माल मगर स्मार्ट डिसीजन जो हम एक पीरियड तक लेते रहते है, वो दरअसल लार्ज और शोर्ट चेंजेस से ज्यादा सब्सटेनियल होते है। अब हम इसका एक एकाज़म्प्ल लेके देखते है। मान लो तीन फ्रेंड्स है। फ्रेंड ए. फ्रेंड बी और फ्रेंड सी। वे लीनो इतने क्लोज है कि आलमोस्ट सारी चीज़े साथ ही करते है। उनको पार्टीज़ वगैरह अटेंड करने का शौक है क्योंकि उनके पेरेंट्स काफी रिच हैं इसलिए वो तीनो यंग और रेकलेस भी है हालांकि एक पॉइंट ऐसा भी आता है जब उनकी लाइफ में ड्रास्टिक चेंज आता है।

फ्रेंड ए डिसाइड करता है कि वो अब ऐसी लाइफ नहीं जियेगा। पर डे 100 कैलोरी लूज़ करने के साथ-साथ वो मंथ में चार बुक्स तो कम से कम पढ़ेगा ही पड़ेगा।

फ्रेंड बी ने डिसाइड किया कि वो अब सारी पार्टीज़ और ऐसी रैकलेस लाइफ जीना छोड़ देगा लेकिन हाँ क्लब जाने के बदले वो घर पे बैठ के टीवी और फिल्में देखेंगा और बस एक बियर पिया करेगा।

फ्रेंड सी ने कोई एफर्ट नहीं किया, वो जैसी लाइफ जी रहा था वैसे ही जीता रहा।

तीन साल बाद एक प्लेन क्रैश में तीनो के पेरेंट्स मारे जाते है। अब तीनो फ्रेंड्स एकदम अकेले रह गए। बाद में उन्हें रियेलाईज़ होता है कि उनके पेरेंट्स ने बिजनेस में इन्वेस्ट करने के लिए कुछ लोन्स ले रखे थे जो अभी चुकता नहीं हुए थे। इसलिए इनवेस्टर्स अपना पैसा वसूल करने के लिए उन तीनो की सारी प्रॉपर्टी बेच देते है अब ना तो उनके पास पैसा और ना ही पेरेंट्स जो उनके खर्चे पूरे करते थे। अब आप बताओ कि इन तीनो में से कौन है जो सर्वाइव करेगा? वो होगा फ्रेंड ए, क्योंकि उसने इतनी सारी कैलोरीज लॉस्ट की है तो अब तक वो काफी फिट हो गया होगा और तीन सालो से वो हर मंथ चार बुक्स पढ़ता रहा है तो तो उसके पास अब नॉलेज भी ज्यादा होगी।

फ्रेंड बी फेस पे होगा क्योंकि तीन साल तक टीवी और फिल्मे देख-देख के शायद उसने कुछ तो सीखा होगा कि हार्ड टाइम में कैसे सर्वाइव करे लेकिन ये हम ये पक्के से नहीं कह सकते। मगर इतना पक्का है कि फ्रेंड सी की हालत सबसे खराब होगी क्योंकि वेट डबल होने से वो काफी स्लगिश हो गया होगा और उसके माइंड में कोई आईडिया भी नहीं होगा कि कैसे इस प्रॉब्लम से निकला जाए। ऐसी हालत में वो हेल्प के लिए अपने बाकी दोनों फ्रेंड्स या किसी और फ्रेंड के पास ही जाएगा। तो यहाँ पर हुआ क्या ? जब फ्रेंड बी और सी एन्जॉय कर रहे थे तो फ्रेंड ए अपनी डेवलपमेंट में लगा था। उसे काफी टाइम लगा इसमें लेकिन जब टेस्टिंग टाइम आया तो वो ही अकेला था जिसने सर्वाइव किया।

उसने खुद को बैटर बनाने के लिए अपना टाइम, एन्जॉयमेंट, पेरेंट्स का पैसा सब सेक्रीफाईज किया। और फि्नेशियल एस्पेक्ट के अलावा उसकी हेल्थ भी बाकी दोनों से बैटर श्री। अब अपने स्टेटमेंट पर वापस आते हैं। इस स्टोरी के हिसाब से एक स्माल और स्मार्ट चॉइस होगी, 100 कैलोरीज़ पर डे लूज़ करना और मंथ में एट लीस्ट चार बुक्स पढ़ना। और तीन साल बाद जो रिजल्ट मिलता है, वो प्रफ है इस डिसीजन की सक्सेस का। ठीक यही चीज़ हम अपनी डेली लाइफ इम्प्लाई कर सकते है, स्माल स्टेप्स लेकर जिसका इफ्केट हमारे फ्यूचर पर काफी पोज़ीटीव चे में पड़ेगा। ऊपर वाले एक्जाम्पल से सीख लेकर जैसा डारेन हार्डी ने किया था, हम भी फार्मूला प्रोपाउंड कर सकते है: योर डिसीज़न ऑर चॉइस + योर एक्शन और बिहेवियर – रिपिटेड एवशन + टाइम = सक्सेस चलो अब इसके हर कंपोनेंट को रेलेवेंट एक्जाम्पल से समझते है।

चॉइस /डिसीज़न

हार्डी के हिसाब से किसी गरीब, अनहेल्दी और डिप्रेस्ड और अमीर, हेल्दी और अनुडीप्रेस्ड के बीच बस एक चॉइस का ही फर्क है। जो आज हमारा प्रेजेंट स्टेट है वो हमारे बीते के डिसीज़न्स की वजह से है। जैसे मान लो आप अगर आज एक डॉक्टर, इंजिनियर या बिजनेसमेन बने है तो इसीलिए बने है क्योंकि ये चॉइस आपकी थी कि आप बड़े होकर क्या बनेगे। कुल मिलकर अगर कहे तो हमारी लाइफ हमारी चॉइस का ही एक रिपलेक्शन होती है। अब जैसे मान लो आज आप थोड़ा वेट लूज करने का डिसीज़न लेते है तो आपके फ्यूचर में यहीं रिफ्लेक्ट होगा कि आपने वेट लुज़ किया है और लोग आपसे इस तरह के सवाल पूछेंगे: “अरे! आप तो स्लिम लग रहे है, क्या वेट लूज़ किया है?” वाओ! अब आप पहले से ज्यादा स्लिमर लग रहे है।”

अब भला उन्हें कैसे पता होगा कि वेट लूज़ करने का डिसीज़न आपने बहुत पहले ही ले लिया था? उन्हें तो बस आपका प्रेजेंट दिखेगा क्योंकि आप अपने चॉइस के फिजिकल रिप्रेजेंटेशन बने हैं। एक कहावत है कि आपकी सक्सेस उन बहुत सारे गुड डिसीज़न्स का प्रोडक्ट है जो आपने लिए थे जबकि फेलियर उन गुड डिसीज़न्स का प्रोडक्ट है जो आप ले नहीं पाए थे। अपनी लाइफ को इम्पूव करने के लिए आपकी डिसीज़न मेकिंग में भी इम्प्रूवमेंट होना बहुत जरूरी है और मै तो एक गुड डिसीज़न तभी ले पाता हूँ जब मै कोशेस और क्रिटिकल थिंकिंग करता हूँ। मुझे नहीं पता ये आपके साथ होता है या नहीं मगर मुझे याद है कि बचपन में मैंने कुछ चीज़े ऐसी की थी जिनके बारे में सोच कर ही मुझे अजीब लगता है।

मै सोचता हूँ कि मैंने ऐसा कर कैसे लिया था? क्या आप कुछ रिलेट कर पा रहे है? एक बार मैंने एक बच्चे पर पत्थर उठाकर फेंक दिया था क्योंकि वो मुझे चिढ़ा रहा था, लेकिन उस बच्चे पर लगने के बजाये वो पत्थर एक कार की स्क्रीन पर जाके लगा। मुझे पता था कि वहां पर कई सारी कार खड़ी थी लेकिन पत्थर फेंकने से पहले मैंने ये सोचा तक नहीं, कि इसका अंजाम क्या होगा। मेरे गुस्से में लिए गये इस डिसीज़न से उस दिन मुझे काफी प्रॉब्लम भी फेस करनी पड़ी। मै जिस बात को एम्फेसाइज़ करना चाहता हूँ वो ये है कि कोई भी गुड डिसीज़न या चॉइस बनाने से पहले थोडा टाइम निकाल कर उसके बारे में अच्छे से सोच विचार कर ले तो बैटर होंगा। एनालाइज़ करे कि उसके एडवांटेजेस और डिसएडवांटेजेस क्या होंगे?

अगर मैं ये स्टेप लेता हूँ तो क्या ये मेरे फेवर में होगा? ऐसे कई क्वेश्कचंस आपके माइंड में आयेंगे जिनका ज़वाब आपको देना है। खुद से ही सवाल करे और खुद ही जवाब ढूंढें। सच तो ये है कि बहुत सारे लोग आज अगर किसी बुरी हालत में है अगर आपको दो पोसिबल ऑप्शन दिए जाए: 3 मिलियन डॉलर कैश में या एक सेंट जो हर रोज़ डा डेज़ तक डबल होता रहेगा, तो आप कौन सा ऑप्शन चूज़ करेंगे? चलो साथ मिलकर इसे ऐनालाइज़ करते है। अज़्यूम करो कि आप एक पैनी पर डे पेमेंट करते है और मेरा एट वंस 3 मिलियन डॉलर का पेमेंट है तो नेक्स्ट डे आपके पास 2 सेंट्स होगे जबकि मेरे पैसे 3 मिलियन से कम होंगे क्योंकि मैंने उसमे से कुछ खर्च कर लिए है।

और अगर मै महाकंजूस निकला तो बीसवे दिन भी मेरे 3 मिलियन डॉलर है जबकि आपके पास अब तक 5 थाउज़ेंट डॉलर हो गए होंगे। उवे दिन आपका एक सेंट अब 10 मिलियन डॉलर तक पहुँच चुका होगा जबकि मेरे पास 3 मिलियन से बचा पैसा होगा। पॉइंट की बात तो थे है कि हम दोनों ने ही अपनी-अपनी चॉइस रखी( ऑपान जो हमने चूज़ किया) और एक्शन लिया। आपको पर डे पेमेंट मिल रही है और मुझे मेरी पेमेंट एक बार में ही मिल गयी। आपको हर दिन सेंट लेने की हैबिट हो गयी होगी जबकि मै अपने 3 मिलियन रोज खर्च करता जा रहा था। आपकी चाइस का कम्पाउंड इफेक्ट उससे कहीं ज्यादा है जो मुझे एक बार में ही मिल गया। अगर ये एक्जाम्पल हम प्रेक्टिकल लाइफ में अप्लाई करके देखे तो पता चलेगा कि जो मैंने एट वंस पाया,

वो हमारी लाइफ में उस ग्रेटीफिकेशन या प्लेज़र वाली चीजों की तरह है जो इस्टेंट खुशी देती है। जैसे ओवरइटिंग ऑफ़ शुगर, जब हम ज्यादा मीठा खाने लगते है, सारे दिन बिस्तर पे पड़े रहना, खूब ड्रिंक करना और खूब सारा पैसा खर्च करना वगैरह- वगैरह। जबकि एक सेंट पर डे वाला ऑप्शन हमारे स्माल चॉइसेस जैसा है जब हम आलस छोड़कर रोज़ ज़िम जाते है, अपना शुगर इनटेक कम करते है, वीकली एक बुक खत्म करते है, लॉन्ग बोरिंग कोर्सेस ज्वाइन करते है और ऐसे ही कई छोटे-छोटे एफर्ट जो हम करते है। ये स्माल चॉइसेस हमारी लाइफ में क्या कमाल कर सकते है ये आप इमेजिन भी नहीं कर सकते। ठीक वैसे है जैसे हर रोज़ एक सेंट मिलने से एक दिन आपके पास 0 मिलियन डॉलर से भी ज्यादा पैसे आ सकते है।

पेशन्स इन कम्पाउंड इफेक्ट

पैशन्स वो चीज़ है जिससे आप कम्पाउंड इफेक्ट का रिजल्ट हासिल कर सकते है और अपनी डिजायरेबल चीज़ पाने के लिए लम्बे टाइम तक चेट कर सकते है। इसलिए आपमें पेशन्स होना बहुत ज़रूरी है। जिस इसान ने वन सेंट पर डे वाला ऑप्शन चुना, उसे ये सारा पैसा एक दिन में नहीं मिला बल्कि उसे लम्बा चेट करना पड़ा। यही बात हमारी लाइफ की ज़्यादातर चीजों पर भी अप्लाई होती है। जो भी एक्शन आप लेते हैं, उससे रालो रात चेंजेस नहीं आ जाते। आपको वेट करना पड़ता है। अब जैसे अगर आप 100 कैलोरीज़ पर डे लूज़ करने के लिए डिसाइड करते है तो इसका इफेक्ट तुरंत नहीं होगा बल्कि काफी टाइम बाद आपको डिफरेंस पता चलेगा। और एक ही दिन में आप मसल्स बिल्ड भी नही कर सकते।

आपको डीसीप्लीन में रहने के बाद ही कुछ टाइम बाद रिजेल्ट दिखेगा। डारेन ने अपनी बुक में बताया है कि कम्पाउंड इफेक्ट के साध बिल्ड-अप स्टेज उनके लिए मोस्ट इम्पोर्टेन्ट पार्ट है। अपनी हेल्थ, फाइनेन्स या रिलेशनशिप को इम्प्रूव करने की तरफ आपका एक स्माल स्टेप आपके लिए कितना जॉयफुल होगा, ये बस आप ही फील कर सकते है। कुल मिलकर ऐसा कोई भी स्टंट नहीं है जो किसी को भी रातों रात सक्सेस दिला दे। इसका सिम्पल आंसर है कसिसटेंसी और पेशन्स। और सबसे बेस्ट बात ये है कि ये लाइफ के हर पार्ट पर अप्लाई की जा सकती है। और साथ ही ये अपोजिट डायरेक्शन में भी काम कर सकती है।

जिसका मतलब होगा कि अगर कम्पाउंड इफेवर किसी भी सिचुएशन में काम करती है तो इसे हम फेलर अचीव करने भी यूज कर सकते है। मतलब कि अगर आपके डिसीज़न ही गलत होंगे तो सक्सेस के बदले तो आपको फैलर ही मिलेगी। हम इसे ऐसे समझने की कोशिश करते है जैसे आप और आपका फ्रेंड डेली 100 कैलोरी लूज करने का डिसीज़न लेते है। आप दोनों ही इस पर एक साथ एक्शन लेते है लेकिन एक दिन में ही आपका फ्रेंड बोर हो जाता है और अगले ही दिन से वो फिर वही फास्ट फूड खाना शुरू कर देता है। मगर आप अपने इरादे पर डटे रहते है और अपनी एक्सरसाइज़ वगैरह कंटीन्यू रखते है। तो इस तरह कुछ ही दिनों में आप अपना गोल अचीव कर लेते है। आप पहले से काफी स्लिम और फिट दिख होंगे जबकि आपका फ्रेंड जैसा था वैसा होगा या हो सकता है कि और मोटा हो गया हो। तो देखा आपने! सेम कम्पाउंड इफेक्ट, सेम चॉइस मगर डिफरेंट एक्शन और डिफरेंट हैबिट्स

कम्पाउंड इफेक्ट इन हेल्थ

एक हेल्दी और परफेक्ट लाइफ के लिए कम्पाउंड इफेक्ट एम्प्लोय किया जा सकता है। अगर आप एक मोटे इंसान है तो डेली कुछ कैलोरीज़ कट करने का डिसीज़न ले सकते है। जैसे कि अपनी डाईट में से एक्स्ट्रा फेट हटाकर आप ना सिर्फ डाईबिटीज़ से बचेंगे बल्कि एक हेल्दी लाइफ भी एन्जॉय कर पायेंगे। नीचे कुछ और एक्जाम्पल है कि कैसे आप हेल्थ में कम्पाउंड इफ्केट का यूज़ कर सकते है।

अपने रोजाना के टाइम से 30 मिनट पहले सोने की कोशिश करे।

मीठे का मन हो तो चोकलेट के बजाये कोई फूट चूज़ करे

ज़िम जाना शुरू करे, घर में बैठकर खाते रहने से अच्छा है कि कुछ मसल्स बनाई जाए। एल्कोहल के बदले पानी पीने की आदत डाले।

. हो सके तो ड्राइविंग के बदले पैदल चलने की आदत डाले, ऐसे ही कई सारे और एक्जाम्पल है जहाँ एक अच्छी हेल्थ के लिए कम्पाउंड इफ्केट यूज़

कर सकते है।

कम्पाउंड इफ्केट इन फाईनेन्स

अपनी फाईनेन्स बिल्ड करने का एक तरीका ये भी है कि आप कम्पाउंड इफेक्ट यूज़ करे। जो भी लोग आज अमीर है उनसे पूछे तो पता चलेगा कि उन सबमे एक चीज़ कॉमन है कि उन सबने स्माल लेकिन स्मार्ट चॉइस ली थी इनमें ज़्यादातर लोगो ने बड़े स्टेप नही उठाये। ये लोग छोटे-छोटे इफेक्टिव स्टेप लेते गए जब तक कि उन्होंने काफी बड़ा मुकाम हासिल नहीं कर लिया। आप भी अपनी फाईनेन्स बिल्ड कर सकते है ये स्टेप लेकर: एक करंट एकाउंट खोले, अपनी इनकम के हिसाब से हर डे या हर वीक कुछ सटेन अमाउंट उसमें डालते रहे

हमेशा कोस्टली आइटम के बजाये कभी चीपर चीजे भी ले, इससे आपका पैसा बचेगा। आप चाहे तो हर सुबह फास्टिंग कर सकते है जिससे आपके ब्लेकफास्ट का पैसा बच सके।

कम्पाउंड इफेक्ट इन सेल्फ डेवलपमेंट

ये वो एरिया है जहाँ कम्पाउंड इफ्केट सबसे ज्यादा रिजल्ट प्रोड्यूस करता है। अपनी सेल्फ कंसीडर को डेवलप करने के लिए सेल्फ लर्निंग सबसे तरीका है जिससे आप सेल्फ मोटिवेट रहे ये जानने के लिए कि आपका इंटरेस्ट किसमें है यहाँ जो आप कर सकते है वो है:

अपने शेड्यूल के हिसाब से हर रोज़ कम से कम 2 घंटे ज़रूर पढ़े या वीकली एक बुक खत्म करने कोशिश करे। आप डेली कुछ ना कुछ ज़रुर लिखे, कुछ भी फिक्शन या नॉन फिवशन।

आप रोज़ का एक घंटा निकाल कर कोई कोर्स ज्वाइन कर सकते है। ऑडियो बुक्स सुने या पोडकास्ट करे अगर आपको पढ़ना पसंद नही है तो।

कम्पाउंड इफेक्ट इन बिजनेस

आप कम्पाउंड इफेक्ट यूज़ करके अपने बिजनेस को नयी ऊचाईयों पे ले जा सकते है। ज्यादातर लोगो को लगता है कि बिजनेस में स्कसेस एक वन टाइम थिंग है। लेकिन ये बात झूठ है ! ज़रा वारेन बफे से पूछो, यो अपनी लाइफ में काफी देर के बाद ही सक्सेसफुल बन पाया था। सबसे बेस्ट तरीका है कि अपने बिजनेस को छोटे मगर स्ट्रोंग लेवल से स्टार्ट किया जाए। इसके लिए आप

कोई बिजनेस का कोर्स कर सकते है। लेक्चर अटेंड कर सकते है या ट्रेनिंग ले सकते है

बुक्स पढ़े

अपने लिए माइलस्टोन सेट करे खुद को प्रोफेशनल्स के साथ रिलेट कर सकते है

कनक्ल्यूजन

कम्पाउंड इफेक्ट की कोई लिमिट नहीं है जब तक कि आप इसमें पूरी ऑनेस्टी दिखाए। मुझे पूरा यकीन है कि आप इससे जो बनना चाहे वो बन सकते मगर उसके लिए आपको आज से ही स्टार्ट करना होगा। कई मगर सारे लोग इसलिए फेल होते है क्योंकि वे बीच में छोड़ देते हैं। उन्हें लगता है कि उन्हें अपनी कनवीनियेट के हिसाब से चलना चाहिए मगर ऐसा नहीं है। दुःख की बात तो ये है कि लोग समझ ही नहीं पाते कि कम्पाउंड इपकेट ऐसे काम नहीं करता है। रिजल्ट पाने के लिए आपको अपने आराम की कुर्बानी देनी होगी, आपको पेशन्स रखना होगा और लगातार अपने इरादों में डटे रहना पड़ेगा। तो अब जो भी आपकी स्टोरी हो, मुझे बताये, मुझे अच्छा लगेगा।

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