DUSSAHAS by Munshi premchand.
About लखनऊ के नौबस्ते मोहल्ले में एक मुंशी मैकूलाल मुख्तार रहते थे। बड़े उदार, दयालु और अच्छे आदमी थे। अपने काम में इतने अच्छे थे कि ऐसा शायद ही कोई मुकदमा …
DUSSAHAS by Munshi premchand. Read MoreDiscover Insightful Book reviews here
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About लखनऊ के नौबस्ते मोहल्ले में एक मुंशी मैकूलाल मुख्तार रहते थे। बड़े उदार, दयालु और अच्छे आदमी थे। अपने काम में इतने अच्छे थे कि ऐसा शायद ही कोई मुकदमा …
DUSSAHAS by Munshi premchand. Read MoreAbout सुबह सुबह सूरज की सुहानी सुनहरी धूप में कलावती दोनों बेटों को गोद में बैठाकर दूध और रोटी खिला रही थी। केदार बड़ा था, माधव छोटा। दोनों मुँह में निवाला …
DO BHAI by Munshi premchand. Read Moreअब न वह जवानी है, न वह नशा, न वह पागलपन। वह महफिल उठ गई, वह दिया बुझ गया, जिससे महफिल की रोशनी थी। वह प्यार की मूर्ति अब नहीं रही। …
DO KABREIN by Munshi premchand. Read MoreAbout आदमियों और औरतों में बड़ा अन्तर है, तुम लोगों का दिल काँच की तरह कड़ा होता है और हमारा दिल नरम, वह जुदाई का दर्द नहीं सह सकता। काँच चोट …
DHARAM SANKAT by Munshi premchand. Read MoreAbout रफाकत हुसैन मेरे दफ्तर का दफ्तरी था। 10 रु. महीना तनख्वाह पाता था। दो-तीन रुपये बाहर के छोटे मोटे काम से मिल जाते थे। यही उसकी जीविका थी, पर वह …
DAFTARI by Munshi premchand. Read MoreAbout Book बी.ए. पास करने के बाद चन्द्रप्रकाश को टयूशन देने के सिवा और कुछ न सूझा। उसकी माँ पहले ही मर चुकी थी, इसी साल पिता भी चल बसे थे …
CHAMATKAR by Munshi premchand. Read MoreAbout औरत मैं असल में अभागिन हूँ, नहीं तो क्या मुझे रोज ऐसे बुरे नजारे देखने पड़ते दुख की बात यह है कि वे मुझे सिर्फ देखने ही नहीं पड़ते, बल्कि …
BRAHM KA SWAANG by Munshi premchand. Read MoreAbout Book कहते हैं कि बुढ़ापा एक बार फ़िर से बचपन का दौर लेकर आता है। बूढ़ी काकी के साथ भी ऐसा ही कुछ था, वो अपने जीभ के स्वाद से …
BOODHI KHAKI by Munshi premchand. Read Moreबेतवा नदी दो ऊँचे किनारों के बीच इस तरह मुँह छिपाये हुए थी जैसे साफ दिलों में हिम्मत और उत्साह की धीमी रोशनी छिपी रहती है। इसके एक किनारे पर एक …
BETI KA DHAN by MUnshi premchand. Read MoreAbout Book मेरे भाई साहब मुझसे पाँच साल बड़े थे, लेकिन मुझसे सिर्फ़ तीन क्लास आगे थे । उन्होंने भी उसी उम्र में पढ़ना शुरू किया था जब मैने शुरू किया …
BADE BHAI SAHAB by Munshi premchand. Read More