KAYAR by Munshi premchand.
About लड़के का नाम केशव था, लड़की का प्रेमा। दोनों एक ही कालेज में और एक ही क्लास में पढ़ते केशव नये विचारों का था, जात-पात के बन्धनों का विरोधी। प्रेमा …
KAYAR by Munshi premchand. Read MoreDiscover Insightful Book reviews here
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About लड़के का नाम केशव था, लड़की का प्रेमा। दोनों एक ही कालेज में और एक ही क्लास में पढ़ते केशव नये विचारों का था, जात-पात के बन्धनों का विरोधी। प्रेमा …
KAYAR by Munshi premchand. Read Moreझोपड़े के दरवाजे पर बाप और बेटा हाथ सेंकने के लिए जलाई हुई आग के सामने चुपचाप बैठे हुए थे. अन्दर बेटे की जवान बीबी बुधिया, जो माँ बनने वाली थी, …
KAFAN by Munshi premchand. Read MoreAbout Book कहते हैं कि बुढ़ापा एक बार फ़िर से बचपन का दौर लेकर आता है। बूढ़ी काकी के साथ भी ऐसा ही कुछ था, वो अपने जीभ के स्वाद से …
BOODHI KHAKI by Munshi premchand. Read MoreAbout Book मेरे भाई साहब मुझसे पाँच साल बड़े थे, लेकिन मुझसे सिर्फ़ तीन क्लास आगे थे । उन्होंने भी उसी उम्र में पढ़ना शुरू किया था जब मैने शुरू किया …
BADE BHAI SAHAB by Munshi premchand. Read Moreमिस्टर सेठ को सभी हिन्दुस्तानी चीजों से नफरत थी और उनकी सुन्दर पत्नी गोदावरी को सभी विदेशी चीजों से चिढ़! मगर धीरज और विनम्रता भारत की औरतों का गहना है। गोदावरी …
PATNI SE PATI by Munshi premchand. Read MoreIntroduction एक सुंदर औरत सुबह , गाँधी पार्क में बिल्लौर के बैंच पर गहरी नींद में सोयी पायी जाय, तो यह चौंका देने वाली बात है। खूबसूरत लड़कियां पार्क में हवा …
MANOVRITI by Munshi premchand. Read Moreशाम का वक्त था। डॉक्टर चड्डा गोल्फ खेलने के लिए तैयार हो रहे थे। उनकी गाड़ी दरवाजे के सामने खड़ी थी कि तभी दो लोग एक पालकी उठाकार लाते हुए दिखे। …
MANTRA by Munshi premchand. Read MoreAbout Book हरिधन जेठ की दुपहर में गन्ने में पानी देकर आया और बाहर बैठा रहा। घर में से धुआँ उठता नजर आ रहा था। छन-छन की आवाज भी आ रही …
GHAR JAMAI by Munshi Premchand. Read MoreAbout Book वाजिदअली शाह का समय था। लखनऊ ऐयाशी के रंग में डूबा हुआ था। छोटे-बड़े, गरीब-अमीर सभी भोग विलास में डूबे थे। कोई नाच गाने की महफ़िल सजाता था, तो …
SHATRANJ KE KHILADI by Munshi premchand. Read MoreAbout Book मुंशी इंद्रमणि की आमदनी कम थी और खर्च ज्यादा। अपने बच्चे के लिए दाई का खर्च न उठा सकते थे। लेकिन एक तो बच्चे की परवरिश की फ़िक्र और …
MAHATEERTH by Munshi premchand. Read More