
KAFAN by Munshi premchand.
झोपड़े के दरवाजे पर बाप और बेटा हाथ सेंकने के लिए जलाई हुई आग के सामने चुपचाप बैठे हुए थे. अन्दर बेटे की जवान बीबी बुधिया, जो माँ बनने वाली थी, …
KAFAN by Munshi premchand. Read MoreDiscover Insightful Book reviews here
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झोपड़े के दरवाजे पर बाप और बेटा हाथ सेंकने के लिए जलाई हुई आग के सामने चुपचाप बैठे हुए थे. अन्दर बेटे की जवान बीबी बुधिया, जो माँ बनने वाली थी, …
KAFAN by Munshi premchand. Read Moreमेरी पाँच साल की छोटी लड़की मिनी से पल भर भी बात किए बिना नहीं रहा जाता। दुनिया में आने के बाद बोलने में उसने सिर्फ एक ही साल लगाया होगा। …
KABULIWALA by Rabindranath Tagore. Read MoreAbout Book कहते हैं कि बुढ़ापा एक बार फ़िर से बचपन का दौर लेकर आता है। बूढ़ी काकी के साथ भी ऐसा ही कुछ था, वो अपने जीभ के स्वाद से …
BOODHI KHAKI by Munshi premchand. Read MoreAbout Book मेरे भाई साहब मुझसे पाँच साल बड़े थे, लेकिन मुझसे सिर्फ़ तीन क्लास आगे थे । उन्होंने भी उसी उम्र में पढ़ना शुरू किया था जब मैने शुरू किया …
BADE BHAI SAHAB by Munshi premchand. Read MoreAbout Book अन्धी हर रोज़ मन्दिर के दरवाजे पर जाकर खड़ी होती, दर्शन करने वाले बाहर निकलते तो वह अपना हाथ फैला देती और नम्रता से कहती- “बाबूजी, अन्धी पर दया …
BHIKHARIN by Rabindranath Tagore. Read More