PLAYING IT MY WAY by Boria Majumdar and Sachin Tendulkar

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PLAYING IT MY WAY by Boria Majumdar and Sachin Tendulkar
Book Summary

About Book

सचिन तेंदुलकर की ग्रेट परफोर्मेंस हम सबने देखी है. अपने क्रिकेट से उन्होंने पूरी दुनिया में देश का नाम रोशन किया है. इस बुक में आप उनकी स्टोरी के बारे में पढोगे कि किस तरह मुश्किलों और सेक्रीफाईस से वो आज इस मुकाम तक पहुंचे है. इस बुक से आप उनके सक्सेस का सीक्रेट सीखेंगे. सचिन तेंदुलकर के बारे में और जानने के लिए, स्पेशली उनके अपने पॉइंट ऑफ़ व्यूज़ को समझने के लिए आपको ये बुक पढनी चाहिए.

ये समरी किस किसको पढनी चाहिए?
Who should read this summary?

  • हर क्रिकेट फैन को
  • हर इन्डियन को, चाहे यंग हो या ओल्ड ताकि उन्हें देश का ये प्राइड हमेशा याद रहे.

ऑथर के बारे में (About the Author)

सचिन तेंदुलकर अपने टाइम के बेस्ट इंटरनेशनल क्रिकेटर और एक ग्रेट बैट्समेन रहे है. वो दुनिया के अकेले ऐसे बैट्समेन है जिन्होंने वन हंड्रेड सेंचुरी मारने का रिकॉर्ड बनाया है. और वो ओडीआई में डबल सेंचुरी मारने वाले फर्स्ट बैट्समेन भी है. 2013 में सचिन को भारत रत्न का अवार्ड मिला था. सपोर्ट की फील्ड में ये अवार्ड लेने वाले सचिन अब तक के सबसे कम उम्र के प्लेयर है.

इंट्रोडक्शन (Introduction)

सचिन तेन्दुलकर को कौन नहीं जानता. हम सबको मालूम है कि सचिन ने क्रिकेट की दुनिया में और देश के लिए कितना नाम कमाया है. लेकिन हम इस बुक में हम सचिन के बारे में और भी काफी कुछ पढेंगे, इस बुक के शुरुआत में आप उसके माइंडसेट, उसके थौट्स और इमोशंस के बारे में जानोगे और उसकी उनके अंदर ह्यूमेनिटी है और वो एक स्ट्रोंग कैरेक्टर वाले इंसान है.

अपनी लाइफ में उन्होंने काफी स्ट्रगल किया और काफी मेहनत के बाद वो आज इस मुकाम पर पहुंचे है. इस बुक में आपको सचिन की लाइफ जर्नी के बारे में पढ़ने को मिलेगा. और आप उनकी लाइफ स्टोरी की बारे में जानोगे.

चाइल्डहुड( बचपन) Childhood

सचिन, लाइफ किसी किताब जैसी है जिसके कई चैप्टर्स होते है. कुछ चैप्टर्स हमे सक्सेस दिखाते है तो कुछ हमें फेलियर का लेसन देते है. इस बुक से आपको एक बात समझ आएगी कि दुःख और परेशानियां हमे वो सिखाती है जो हमे खुशी नहीं सिखा सकती, इसलिए तो दुखो को एक बेहतरीन टीचर कहा जाता है.

अपनी कंट्री के लिए खेलना किसी भी प्लेयर के लिए ऑनर की बात होती है. पर याद रहे ये भी लाइफ की बुक का सिर्फ एक चैप्टर है. अगर गौर से देखो तो प्रोफेशनल क्रिकेट में आप अपनी लाइफ के मैक्सिमम 25 साल गुजारते है. जबकि आपकी लाइफ का एक बड़ा हिस्सा स्पोर्ट्स के बाहर भी है.

कहने का मलतब है कि स्पोर्ट्स के अलावा भी लाइफ में काफी कुछ है जो हमे देखना चाहिए. इसलिए अपने पैर मजबूती से ग्राउंड पर जमाए रखो, सक्सेस को कभी सर पे मत चढ़ने दो, जितने हन्बल रहोगे उतना अच्छा है. क्योंकि प्रोफेशनल करियर खत्म होने के बाद भी लोग आपसे प्यार करते रहेंगे और आपकी रिस्पेक्ट करेंगे. मेरे बेटे, तुम्हारा फादर होने के नाते मै हमेशा यही चाहूँगा कि लोग मुझे देखे तो बोले"सचिन एक अच्छा इन्सान है" बजाए इसके कि" सचिन एक ग्रेट बैट्समेन ये बात मुझे मेरे फादर ने बोली थी जो मुझे आज तक याद है, मेरे फादर की डेथ 1999 में हुई जब मै इंग्लैण्ड में वर्ल्ड कप खेल रहा था लेकिन मेरे फादर हमेशा मेरे लिए एक ग्रेट इंस्पिरेशन रहेंगे.

Early Life and Family

मैं मुंबई के बांद्रा में साहित्य सहवास कालोनी में पला-बढ़ा हूँ, अपने चार भाई-बहनों में मै सबसे छोटा और सबसे ज्यादा शैतान था. मेरे फादर एक प्रोफेसर और कवि थे, और मेरी माँ दुनिया की सबसे बेस्ट कुक थी, मैं अपने बड़े भाई अजित के बहुत क्लोज धा. वो तब से मेरे साथ है जब मैंने पहली बार क्रिकेट खेला था.

मेरा बचपन काफी खुशहाल और एडवेंचर्स रहा है, मै और मेरे फ्रेंड्स पड़ोसियों पर प्रेंक करते थे जिसमे से हमारा प्रेक होता था, अपने फोर्थ फ्लोर के फ्लैट से गली में आने-जाने वालों पर पानी फेंकना. सच कहूँ तो हम लोग बड़े मजे करते थे.

लर्निंग द गेम (गेम सीखना) Learning the Game

मै और मेरे फ्रेंड्स टेनिस बाल क्रिकेट भी खेलते थे, जब भी टीवी पे क्रिकेट मैच आता, मैं जरूर देखता था. सुनील गावस्कर और विव रिचर्डस मेरे फेवरेट बैट्समेन थे. मैं उनकी टैक्नीक्स बड़े गौर से ओब्ज़ेर्च करता था और टेनिस बाल खेलते वक्त ट्राई करता था. तब मेरी एज ]] साल की थी. फिर मेरे भाई अजित ने मुझे रमाकांत अचरेकर समर कैम्प ज्वाइन करने के लिए एंकरेज किया, वो मुंबई के सबसे बेस्ट क्रिकेट कोच थे.

उस टाइम यो शारदाश्रम विद्यामंदिर स्कूल में कोचिंग करते थे. अजित और मैने बस से शिवाजी पार्क पहुंचे, यही पर अचरेकर सर प्लेयर्स को ट्रेनिंग देते थे. मैंने सब-जूनियर के लिए ट्राई किया, स्टार्टिंग में अचरेकर सर ने मुझे रिजेक्ट कर दिया था. उन्हें मेरी बेटिंग अच्छी नहीं लगी थी. उन्होंने अजित को बोला" ये अभी बहुत छोटा है. अभी इसे और प्रेक्टिस की जरूरत है लेकिन अजित को मुझ पर पूरा बिलीव था. उसने टेनिस बॉल क्रिकेट में मेरी परफॉर्मेंस देखी थी. उसने अचरेकर सर से कहा सर एक चांस और दे दीजिये, आप इसे देख रहे है इसलिए ये नर्वस हो रहा है.

Practice Sessions

तो अचरेकर सर छुपकर दूर से मुझे देखते रहे. मैंने दुबारा बेटिंग की और इस बार पहले से अच्छी परफोर्मेस दी, और फाइनली अचरेकर सर मुझे मुझे अपना स्टूडेंट बनाने को तैयार हो गए. मेरी ट्रेनिंग रोज सुबह 7:30 से 10:30 तक होती थी. फिर दोपहर से शाम तक एक और सेशन होता था, मेरे पास यूनिफोर्म धी. .मै जब लंच के लिए घर जाता था तो अपनी यूनिफोर्म धोकर सुखा देता था. फिर वही यूनिफॉर्म पहन कर आफ्टरनून सिर्फ एक ही क्रिकेट य प्रेक्टिस के लिए जाता था.

समर कैंप अच्छा चल रहा था. अचरेकर सर ने मेरे फादर से कहा कि अगर ये क्रिकेट को लेकर सिरियस है तो उसे शारदाश्रम में डलवा दीजिये, मेरी ये। फेमिली हमेशा से ही काफी सपोर्टिव रही है. मेरे फादर ने मुझे हमेशा यही एडवाइस दी कि अपना बेस्ट करो और अपने गोल पर डटे रहो. मुझे अपने फ्रेंड्स के साथ खेलना और टेनिस बॉल क्रिकेट खेलना भी पसंद था इसलिए कई बार मै प्रेक्टिस के लिए लेट हो जाता था. तब अचरेकर सर अपने स्कूटर में मुझे लेने मेरी कॉलोनी पहुँच जाते थे. और मुझे डांटते हुए खेल के बीच से उठाकर ले जाते थे.

Training with Coach

अचरेकर सर के सामने कोई बहाना नहीं चलता था वो मुझे बोलते" जल्दी से क्रिकेट ड्रेस पहनो पीछे बैठ जाओ. इन फालतू के गेम्स में टाइम वेस्ट मत करो, रियल क्रिकेट नेट्स में तुम्हारा वेट कर रहा है. अगर तुम मेहनत करोगे तो जादू हो सकता है" अचरेकर सर मुझे कुछ इस तरह की ट्रेनिंग देते थे. 15 साल की एज में मुझे अपना डेब्यू मैच खेलने का चांस मिला जो मुंबई और गुजरात के बीच था ये मेरे लिए काफी बड़ा ब्रेक था.

मुंबई के कैप्टेन ने मेरा गेम देखा और डिसाइड कर लिया कि मैं अब क्रिकेट के लिए एकदम रेडी हूँ. और अपने पहले मैच में ही सेंचुरी मारने वाला में सबसे यंगेस्ट क्रिकेटर बन गया, उसके बाद मैंने ईरानी ट्राफी गेम्स में 100 नोट आउट स्कोर बनाये. ओर 16 की उम्र में इंडियन नेशनल टीम में मेरा सेलेक्शन हो गया था.

अंजली (Anjali)

1992 में ऑस्ट्रेलिया में मेरा फर्स्ट वर्ल्ड कप था. हालाँकि हम सेमी फाइनल्स तक नहीं पहुंच पाए पर मेरे लिए ये एक बड़ा चांस था. इंटरनेशनल क्रिकेट खेलना मेरे लिए बहुत बड़ी बात थी. इसने मुझे एक क्रिकेटर के तौर पर पूरी तरह से ट्रांसफॉर्म कर दिया था. वर्ल्ड कप की वो चार महीने की ट्रेनिंग मेरे स्किल्स इम्पूव करने के लिए काफी थी.

इसी बीच, मैं अपनी होने वाली वाइफ अंजली से मिला. ये इंसिडेंट एयरपोर्ट पर हुआ. मै उसी टाइम इंग्लैण्ड के टूर से लौटा था. में अपने बैग्स का वेट कर रहा था, तभी मेरी नजर एक बेहद खूबसूरत लड़की पर पड़ी, उसने ब्ल्यू जींस और ऑरेंज शर्ट पहनी थी. ये अंजली थी. वो अपनी फ्रेंड के साथ थी. फिर क्या हुआ कि दोनों मुझे फोलो करते हुए एअरपोर्ट के बाहर आ गई, मैंने उसकी तरह देखा, वो अपनी फ्रेंड से बोल रही थी" ओ माई गाड, वो कितना क्यूट है!

Meeting Anjali

मुझे बड़ी शर्म आई, लेकिन मै अंजली से कुछ बोल नहीं पाया क्योंकि अजित बाहर मेरा वेट कर था. अंजली का एक फ्रेंड क्रिकेटर था. उसने उससे मेरा नंबर माँगा, बाद में मुझे पता चला कि अजली के फादर क्रिकेट फैन है, इसीलिए अंजली ने रहा मुझे भी टीवी में क्रिकेट देखा थी. एक दिन उसने मुझे फ़ोन किया, उसने मुझे बोला कि वो एयरपोर्ट वाली लड़की है. उसने मुझे मिलने के लिए बौला, उसे डाउट था कि शायद मुझे एयरपोर्ट वाली बात याद बात याद नहीं है.

लेकिन जब मैंने उसे बोला" तुम वही हो ना जिसने ब्ल्यू जींस और ऑरेंज शर्ट पहनी थी तो वो खुश हो गयी. हमने क्रिकेट क्लब ऑफ़ इंडिया में मिले. वहां काफी भीड़ थी इसलिए हम दोनों को ज्यादा बात करने का चांस नहीं मिल पाया. पर मैंने उसका नंबर जरूर ले लिया, और उसके बाद हम रोज फोन पे बात करते थे, मेरी भाभी को ये बात पता चली तो उसने मुझे चिढाना शुरू कर दिया, अंजली और मै पांच साल तक डेट करते रहे, सच बोलूं तो मेरी लाइफ में कभी कोई लड़की नहीं आई थी, अंजली ही वो पहली लड़की थी जिससे मुझे प्यार हुआ था.

Marriage and Family

मैंने क्रिकेट के अलावा कभी कुछ सोचा ही नहीं था, लेकिन मेरा लक अच्छा था जो मुझे अंजली जैसी लड़की मिली. फिर हमारी शादी हुई, दो बच्चे हुए, उनके नाम है सारा और अर्जुन.

एंड्रलकर (Endulkar)

क्रिकेट में हमेशा जीत नहीं होती, 2004 के वर्ल्ड कप में इन्डियन नेशनल टीम फाइनल चार तक पहुँच गयी थी पर आगे नहीं जा पाई. हम जानते थे कि लोगो को हमसे बड़ी एक्सपेक्टेशन है. इसीलिए 2007 के वर्ल्ड कप में हम पूरे जी-जान से खेले. हमारा फर्र्ट गुप मैच बांग्लादेश के खिलाफ था. ये मैच 77 मार्च को हुआ. टीम मैनेजर चाहता था कि मुझे नंबर फोर पर बैटिंग करनी चाहिए. तब तक लो और स्लो हो जाती है. और स्पिन करना ईज़ी हो जाता है.

लेकिन बदकिस्मती से विकेट्स बाउंस हो गयी और बैंगलादेश को बैटर एडवांटेज मिल गयी. जब मेरी बारी आई, हमारे दो विकेट्स खो चुके थे. अब्दुर रजाक, लेफ्ट आर्म स्पिनर ने मेरे बैट पर अंदर की तरफ से हिट किया था. बॉल ने मेरे पेड़ पर बाउंस करते हुए स्टंप को हिट किया था. ये मैच हमारे फेवर में नहीं था. मेरे टीम मेट सौरद, जिसने ओपनिंग बैटिंग की थी, उसने 66 रन बनाए, लेकिन हमारे कैप्टेन राहुल ने सिर्फ 14 रन बनाए और धोनी डक हो गया.

Challenges in 2007 World Cup

बंगलादेश अच्छा खेल रहा था. हमारा स्कोर उनसे 191 रन से पीछे था, अगले लेवल तक जाने के लिए हमे नेक्स्ट टू गुप मैच जीतने थे. हम 257 रनों से बरमूडा से जीत गए थे. अब हमारा टोटल स्कोर था 413. और हमे श्री लंका को हराना था. 23 मार्च के मैच में हमारी शुरुवात अच्छी हुई. श्रीलंका का स्कोर तब तक 254 हो चूका था. हमारे पास अभी भी मौका था. हालाँकि जैसा हमे लगता था, वैसा नहीं हो पाया. दिलहारा फर्ननांडो (Dilhara Fernando,) उनका फास्टेस्ट बोलर है, उसने मेरे बैट के इनसाइड एज पर हिट किया.

बॉल स्टंप पे जाके लगी, मुझे बहुत फ्रस्ट्रेशन हो रही थी. और 185 के स्कोर पर हम सब आउट हो गए. ड्रेसिंग रूम में हम सब चुपचाप बैठे हुए थे. मेरे कुछ टीममेट्स रो रहे थे. उस दिन मै बहुत ज्यादा डिसअपोइन्ट था.

Facing Criticism

ये मेरे करियर का सबसे लो पॉइंट था. हमारे लिए होमकमिंग काफी मुश्किल था. एयरपोर्ट से लेकर घर तक मिडिया ने मेरा पीछा नहीं छोड़ा. सब यही बोल रहे थे कि टीम इंडिया में कमिटमेंट नहीं है. हमारे अपने लोग ही हमारी काबिलियत पर शक कर रहे थे. इससे ज्यादा पेनफुल और क्या हो सकता

मैं इस बात से अनजान नहीं था कि हमने लोगो की उम्मीदों पर पानी फेर दिया था. लेकिन हम गद्दार नहीं है. लोग हमे देशद्रोही बुला रहे थे. न्यूज़ की हेडलाइन में लिखा था" एंडूलकर" मुझे बहुत ज्यादा बुरा लग रहा था, यहाँ तक कि मैंने सोच लिया था" अब क्रिकेट छोड़ दुंगा", कई ऐसे लोग थे जो अपने एयर कंडिशंड ड्राइंग रूम में बैठकर खुद को क्रिकेट का एक्सपर्ट समझ रहे थे और हमारी परफोर्मेस को क्रिटिसाइज कर रहे थे.

Overcoming Doubts

जो लोग हमारे जीतने पर पोजिटिव कमेंट्स देते थे, वहीं आज हमारी हार पर नैगेटिव बाते बोल रहे थे, इन सो-काल्ड एक्सपर्ट्स को शायद अंदाजा भी नहीं होगा कि फील्ड में जाकर खेलना कैसा होता है, 2007 वर्ल्ड कप के बाद मेरा हौसला एकदम टूट गया था. मैंने ऑलमोस्ट रिटायर होने का सोच लिया था. लेकिन फिर एक दिन मुझे विव रिचर्ड्स का कॉल आया. विव मेरे आइडल बैट्समेन है. उन्होंने मुझे वेस्ट इंडीज़ से फोन किया था. उन्होंने मुझसे 45 मिनट्स तक बात की. विव ने कहा कि तुम्हे अभी क्रिकेट नहीं छोड़ना चाहिए. अभी तुम्हे काफी आगे जाना है.

विव को मैंने हमेशा एक बड़े भाई की तरह ट्रीट किया है और इतने सालो में हमारी अच्छी फ्रेंडशिप हो चुकी थी. विव ने मुझे काफी वैल्यूएबल एडवाइस दी थी और उन्होंने मुझे काफी एंकरेज किया.

बाउंसिंग बैक (Bouncing Back)

फिजिकल इन्जुरिएस (Physical injuries) एक खिलाड़ी की लाइफ का हिस्सा होते हैं. 2008 की शुरुवात थी. मुझे अपने ग्रोइन एरिया में जोर का दर्द हो रहा था. मुझे समझ नहीं आ रहा था कि अचानक मुझे ये दर्द क्यों हो रहा है. दिन ब दिन पेन बढ़ता ही जा रहा था, मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था और ऊपर से चैन्नई में हमारा मैच था, टेस्ट से एक रात पहले डॉक्टर ने मेरे ग्रोइन में तीन इंजेक्शन लगा दिए, उसने बोला इससे दर्द ठीक हो जायेगा और मैं गेम खेल पाऊंगा.

Injury and Recovery

बदकिस्मती से सामने वाली टीम साऊथ अफ्रीका ने टॉस जीता. उनकी बैटिंग दो दिन चली और उन्होंने टोटल 540 का स्कोर खड़ा किया. चौथे दिन बैटिंग करते मुझे बेहद पेन हो रहा था. मसल्स स्टिफ और सोर होने की वजह मुझे खेलने में दिक्कत आ रही थी. दर्द इतना ज्यादा था कि मुझे ते टाइम अपने टीम मैनेजर को बताना पड़ा कि मैं अब और नहीं खेल पाउंगा. मै वापस मुंबई आ गया. कोई डॉक्टर मेरी बिमारी समझ नहीं पा रहा था.

मुंबई इंडियन के एक डॉक्टर ने तो ये तक बोल दिया कि प्रोब्लम सिर्फ मेरे माइंड में है. मै छुट्टियों में लंदन गया था. वही पर मुझे पता चला कि मुझे जो बिमारी है, उसे स्पोर्टसमेनस हर्निया बोलते है. अगस्त 2008 में जर्मनी में मेरी सर्जरी हुई. मुझे ये जानकर बड़ी हैरानी हुई कि म्यूनिख में एक हर्निया सेंटर है जहाँ पर हर तरह के हर्निया का ईलाज होता।

Surgery and Comeback

मेरा ईलाज डॉक्टर उलिके मुस्वावेच्क (Dr Uirike Muschaweck) ने किया जिन्हें हर्निया की सर्जरी में 20 सालों का एक्सपीरियंस है और उन्होंने न्यू रिपेयर टेक्नीक डेवलप की है. डॉक्टर उलिके ने मुझे अश्योर किया कि में बहुत जल्दी ठीक हो जाउंगा. मैंने पुछा" क्या मेरे ग्रोइन के दोनों तरफ सेम डे में सर्जरी हो सकती है?' पर जब डॉक्टर ने बोला कि दर्द बहुत ज्यादा होगा तो मैंने उनसे दोनों सर्जरी एक के बाद एक करने को बोला, मे ऑस्ट्रेलिया के टेस्ट सीरीज से पहले ठीक होना चाहता था,

Key Achievements Year
100th International Century 2012
First ODI Double Century 2010
Bharat Ratna Award 2013

The above table highlights some of the most significant achievements in Sachin Tendulkar's career. His journey is an inspiration for many aspiring cricketers around the world.

सचिन तेंदुलकर का जीवन सफर

सुनने में बड़ा फनी लगता है

सुनने में बड़ा फनी लगता है पर सेकड सर्जरी के बाद मेरी हालत ऐसी थी कि मैं बाथरूम तक नहीं जा पाया और ना ही कुछ खा पा रहा था. ज़रा सा हिलने डुलने में भी बेहद तकलीफ होती थी, मै डॉक्टर उलिके (Dr Uirike) का हमेशा शुक्रगुज़ार रहूँगा जिनकी वजह से मेरा क्रिकेट करियर बच गया था.

मुंबई वापस आकर मैंने जल्दी ही रिकवरी एक्सरसाईजेस करनी शुरू कर दी थी, मैं रोज़ सुबह 7 बजे से प्रेक्टिस स्टार्ट कर देता था जिसमें फिटनेस एक्सरसाइज़, रनिंग, कार्डियो, और पूल सेशंस होते थे. मैं हर हाल में अक्टूबर 2008 तक फील्ड में वापस आना चाहता था. मै टाइम से आगे भाग रहा था, और मुझे मालूम था कि मुझे हार्ड वर्क करना ही पड़ेगा.

मैं इतना थक जाता था कि रात को बिस्तर पे जाते ही ढेर हो जाता था, और फिर अगले दिन एक्सरसाइज़ करने के लिए जल्दी उठ जाता था. मैं अपने ट्रेनर्स और फ्रेंड्स का भी शुक्रगुज़ार हूँ जिन्होंने मुझे इतना सपोर्ट किया. और आखिर मैंने कर दिखाया था. मैं ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ होने वाले टेस्ट में खेल रहा था. हमारे लिए ये टेस्ट बड़ा मेमोरेबल रहा क्योंकि मेरे टीममेट्स अनिल और सौरव ने अपने रिटायरमेट की अनाउंसमेंट कर दी थी. ये उनका लास्ट गेम था, और हमने ये सीरीज 2-0 से जीत ली धी.

वर्ल्ड कप 2011

ये एक ऐसा मौका था जिसका सबको इतज़ार था. 2007 में हम जीत नहीं पाए थे और 2011 में हमें हर हाल में खुद को प्रूव करके दिखाना था. ये मौका वैसे भी एक्स्ट्रा स्पेशल था क्योंकि श्रीलंका के खिलाफ हमारा फाइनल गेम मुंबई में होना था.

हम जब फील्ड में पहुंचे तो पुरा स्टेडियम लोगो से भरा हुआ था. क्राउड कण्ट्रोल के लिए बहुत सारे पुलिस वाले भी मौजूद थे, लोग सड़को पर हमारी टीम बस के आने का इंतज़ार कर रहे थे, मुझे फील हो रहा था कि ये एक हिस्टोरिकल डे होगा.

वर्ल्ड कप 2007 हमारे लिए एक बुरे सपने की तरह था, पर वर्ल्ड कप 2011 हमारी स्टोरी की हैप्पी एंडिंग लिखने वाला था. पीछे मुडकर देखने का तो सवाल ही नहीं था अब, एक्साईटमेंट और जोश से भरे लोग घंटो से वानखेड़े स्टेडियम में हमारा वेट कर रहे थे. इण्डिया के लिए ये क्रिकेट मैच बहुत मायने रखता था.

मैच का रोमांच

खैर, मैच शुरु हो गया. जहीर अच्छा खेल रहा था. We had a good start with Zaheer who reeled off three maidens.

लेकिन तभी श्रीसंत ने बताया कि उसकी तबियत ठीक नहीं है. हरभजन और मैं उसे मोटिवेट करते रहे, श्रीलंका ने 274 का स्कोर बनाया. मुझे मालूम था कि मैच इतना भी ईजी नहीं होगा.

जैसे-जैसे गेम प्रोग्रेस कर रहा था, विकेट ईजी होते चले गए. हालाँकि सहवाग डक आउट हुआ और उसके बाद मैं भी 18 पे आउट हो गया. मुझे बड़ा बुरा लग रहा था, ड्रेसिंग रूम की तरफ जाते हुए मै बेहद निराश था और इस बात को मैं कभी नहीं भूल सकता.

खिलाड़ी स्कोर परिणाम
सहवाग 0 (डक आउट) शुरुआत में आउट
सचिन तेंदुलकर 18 जल्दी आउट

हमारे लिए बड़ा मुश्किल टाइम था. गौतम और विराट ब्रिस्क पेस पर खेल रहे थे. हम ज्यादा पीछे नहीं थे. विराट के आउट होने के बाद धोनी खेलने आया. हालाँकि उसकी टर्न नहीं थी लेकिन वो गेम फिनिश करना चाहता था. इतना प्रेशर होने के बावजूद गंभीर और धोनी की पार्टनरशिप काफी बढ़िया खेल रही थी. उन्होंने मिलकर 109 का स्कोर बनाया और हम वही कप गए.

सेलिब्रेशन का समय

सहवाग और मै ड्रेसिंग रूम में बैठे प्रे कर रहे थे, मैंने ही उसे बोला था कि जब तक धोनी का शॉट बाउंड्री क्रोस नहीं करता, हमें बाहर नहीं जाना चाहिए. और जब फाइनली धोनी ने शॉट मारा तब जाकर मैंने सेलिब्रेट किया. 2011 का वर्ल्ड कप जीतना मुझे कभी काफी नहीं लगा, मुझे हमेशा लगता है कि हमें एक और मैच जीतना है.

लेकिन जब में ग्राउंड पर तो युवी ने मुझे लगे लगा लिया. और में अपने इमोशंस नहीं रोक पाया. एक लाइफ चेंजिंग मोमेंट था, और मै हर पल को एन्जॉय करना चाहता था, विराट और युसुफ़ ने मुझे उठा लिया था.

किसी ने मेरे हाथ में इण्डिया का फ्लैग पकड़ा दिया था, और मै फ्लैग लहराने लगा. वर्ल्ड कप जीतना मेरे करियर का सबसे बड़ा मोमेंट था. उस दिन हमने पूरी रात ताज महल होटल में सेलिब्रेट किया.

वर्ल्ड कप सेलिब्रेशन

हम लाउड म्यूजिक पर डांस कर रहे थे, ड्रिंक्स पर ड्रिंक्स पिए जा रहे थे, मुझे उस वक्त बड़ी हंसी आई जब युवी, भज्जी और विराट घुटनों के बल बैठकर जोर-जोर से रब ने बना दी मूवी का सोंग गाने लगे. कुल मिला के बड़ा फनी और एम्बेरेसिंग सीन था.

द क्वेस्ट फॉर द 100th हंड्रेड

फरवरी 2011 में मैंने अपना 98th हंड्रेड पूरा किया. ये हमारा सेकंड वर्ल्ड कप गेम था जिसे हम इंग्लैण्ड के खिलाफ खेल रहे थे. तब उस वक्त किसी ने मेरे 100th के बारे में बात नहीं की थी. दो हफ्ते बाद साउथ अफ्रीका के खिलाफ खेलते हुए मैंने अपना 99th हंड्रेड बनाया, लेकिन अभी भी मेरे 100th हंड्रेड की कोई चर्चा नहीं थी.

हमारे वर्ल्ड कप जीतने के बाद ये टॉपिक मीडिया में उठा था. टेलीविजन और न्यूज़पेपर्स में यही टॉपिक छाया हुआ था. अचानक से मुझ पर जैसे एक्सपेक्टेशन का प्रेशर बन गया, हर बार जब भी मैं बैटिंग करता, लोग मुझसे 100th हंड्रेड पूरा करने की उम्मीद करने लगते.

में इस चीज़ से छुटकारा पाना चाहता था, मुझे अपनी बेटिंग पसंद है पर प्रेशर मुझे अच्छा नहीं लगता, हर रोज़ मुझे अपने चाहने वालो के टेक्स्ट मैसेजेस आते है. जहाँ भी मै जाऊं, लोग यही बात करने लगते है. वो मेरे लिए चीयर करते है, रेस्ट्रोरेंट्स में, होटल्स में, प्लेन्स और एयरपोर्ट लाउन्ज में, हर जगह लोग मुझे देख कर स्माइल करते है और बोलते है "सचिन आप डेफिनेटली अपनी हंडेडथ सेंचुरी पूरा करोगे".

लास्ट वर्ड्स

मैं अपनी नेशनल टीम को सेफ हैंड्स में छोड़ कर गया. क्योंकि मै जानता हूँ कि आज की जेनरेशन के प्लेयर्स बहुत कैपेबल है. और मै ये भी जानता हूँ कि बैटिंग हमारी टीम की ताकत है और हमेशा रहेगी. और हमारे आज के बैट्समेन के पास अच्छा एक्सपीरिएंस और जोश दोनों है. जहाँ तक बॉलर्स की बात है, तो हमारे करंट बॉलर्स काफी अच्छा खेलते है. लेकिन अभी हमें और ज्यादा टैलेंटेड और फ़ास्ट बॉलर्स चाहिए.

पर मुझे टेंशन नहीं है क्योंकि मुझे पूरा यकीन है कहीं ना कहीं कोई इंडियन बॉलर जरूर होगा जिसमें वो पैशन और ड्रीम है जो हमारी टीम इंडिया को और भी मजबूत बनाएगा. हमारे देश में क्रिकेट सबसे फेवरेट गेम है और इंटरनेशनल लेवल पर इसकी धूम है.

ये अकेला ऐसा गेम है जिसमें तीन सेपरेट फॉर्मेट है. टेस्ट क्रिकेट आज पीक पर है, लेकिन ओडीआई भी अच्छा चल रहा है. और ट्वेंटी 20 में भी काफी पोटेंशियल है. मुझे लोग पूछते है कि रिटायर होने के बाद में क्या करूँगा. सच बोलू तो इसका जवाब मुझे भी मालूम नहीं, क्योंकि मैंने कभी कोई फ्यूचर प्लान्स नहीं बनाया.

कनक्ल्यूजन

हम अपने सचिन तेंदुलकर से क्या सीख सकते है? फर्स्ट है फोकस, डिटरमाइनेशन और हार्ड वर्क. उनके खेलने का स्टाइल देख के लगता है कि वो हंड्रेड से भी ज्यादा टाइम बड़ी ईजिली एक के बाद एक बॉल हिट कर रहे हो. लेकिन लोग ये नही जानते कि सचिन की इस ब्रिलिएंट परफोर्मेंस के पीछे कितना हार्ड वर्क, कितना पैन छुपा है. सचिन ने 20,000 से भी ज्यादा घंटो तक बैटिंग की है, इसीलिए तो उन्हें मास्टर बैट्समैन बोलते है.

11 साल की उम्र से वो रोज़ क्रिकेट की प्रेक्टिस करते आ रहे हैं. उन्होंने अपनी पूरी लाइफ क्रिकेट के नाम डेडीकेट कर दी है. इस बुक के थ्रू आप उस हार्ड वर्क, पेन और फेलर्स के बारे में जान चुके है जिनसे होकर सचिन गुज़रे है. आपको उनकी एक्स्ट्राओर्डिनरी सक्सेस का सीक्रेट समझ आ चूका होगा.

सचिन से हम एक और लेसन सीख सकते है और वो है, ह्यूमेनिटी, अपनी ऑटोबायोग्राफी में उन्होंने हमेशा यही बोला है कि उनके और उनके टीममेट्स की अच्छी परफोर्मेंस के पीछे फैमिली और फ्रेंड्स का हाथ है. सचिन अपनी बुक के थ्रू ये बात प्रवेश करते है कि क्रिकेट बन मैन शो नहीं है, क्योंकि उनके पीछे कई लोग थे जिनकी वजह से वो आज यहाँ तक पहुँच सके.

सचिन तेंदुलकर अब रिटायर हो गए है, लेकिन वो हमेशा हम सबके हीरो रहेंगे. उन्होंने हमारे देश का जो नाम रोशन किया है, वो हिस्ट्री में हमेशा याद किया जाता रहेगा. सचिन हम सब देशवासियों का प्यार और रिस्पेक्ट डिजर्व करते हैं और करते रहेंगे.

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