PERFORMING UNDER PRESSURE by Hendrie Weisinger,j.p. Pawliw-Fry.

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यह किताब किसके लिए है?

-नोगजो दबाव में अच्छे से काम नहीं कर पाते।

-वैज्ञानिक और विद्यार्थी जो परफॉर्मस से जुड़ी चीजों की वजह से तनावग्रस्त हैं।

विद्यार्थी, खिलाड़ी या कोई भी व्यक्ती जो अत्यधिक दबाव वाली प्रतियोगिता की तैयारी कर रहा है।

लेखक के बारे में

तेनरो वाइसिंगर, एक मनोवैज्ञानिक और लेखक होने के साथ ही साथ चबाव व्यवस्था के क्षेत्र के जनक भी हैं।

जो पौलीव फ्राई, एक परफोरमेंस कोच हैं जो गुख्यतः ओलंपिक सिपिलाड़ियों और कारोबारी कामकाजियों को सलाह देते है। वे ‘इस्टिव्यूट फॉर हैल्धएण्ड सामन पोटेन्नियल नामक एक वैश्विक शोध और शिक्षण कंपनी के प्रमुख भी हैं जो कि कंपनियों और उनके कामकाजियों को दबाव में भी बेहतर काम करने की कला सिंख्याती हैं।

यह किताब आपको क्यों पढ़नी चाहिए?

क्या आप भी उन लोगों में से एक हैं जो अपने आज के कार्मों को कल पर छोड़ देते हैं। क्या आपको भी लगता है कम समय मिलने पर आप बेहतर हंग से काम कर पाते हैं। अगर “हाँ”तो शायद आप गलतफहमी में जी रहे हैं।

वैज्ञानिक प्रमाण दर्शाते हैं भले ही दबाव हमें देरी करने से रोकता हो मगर यह लगभग हमेशा हमारी रचनात्मकता को देर करवाता है और हमें सबसे पारंपरिक हलों की तरफ भेजता है । दबाव हमारी सोचने की शक्ती को भी बुरी तरह से प्रभावित कर सकता है।

यह ज्ञात हुआ है कि सबसे ज्यादा कामयाब लोग वहीं होते हैं जिन्होंने हजारों लोगों की भीड के सामने, भारी दबाव के बीच अच्छा प्रदर्शन करना सीख लिया हो। लेकिन आप ऐसा करने के लिए आवश्यक तकनीकों में महारत कैसे हासिल कर सकते हैं। इस किताब में दिए गाए पाठ आपको दबाव होलने और उत्पादक बनाने में सहयोग देने का प्रयास करेंगे।

इसके अलावा आप सीखेंगे

दबाव से जूड़ाने की आपकी योग्यता आपकी प्रेममय जिंदगी के बारे में क्या बताती है

  • “मुझे एक गाड़ी चाहिए”कहना कैसे आपकी सेहत को बिगाड़ सकता है
  • केसे एक “कवचनुमा कोट आपको दबाव से लड़ने में मदद कर सकता है

तनाव से निजात पाने के लिए “वर्तमान”पर ध्यान लगाइए और दबाव को नियंत्रित करने के लिए सफलता को निहारिए।

एक महत्वपूर्ण परीक्षा के बारे में विचारिए। आपको कैसा महसूस होता है? इर या फिर उमंग । क्या इस पल आपकी हथेलियाँ पसीने से गीली हो जाती है या फिर आपकी नसें द्विव हो जाती हैं।

हस पल में जो संवेदनाएँ आप महसूस करते हैं वे अधिकतर उच्च-दबाव की परिस्थितियों में देखने को मिलती हैं। दुर्भाग्य से दबाव और तनाब हमारे प्रदर्शन को हैम्पर कर सकता है जबकि हमारे सफल होने के सबसे अधिक मायने हों।

दबाव के पल हर चीज़ में हमारे प्रदर्शन को प्रभावित कर सकते हैं आपकी दैनिक नौकरी से लेकर आपके रिश्तों तक, सबकुछ।

हार्वर्ड बिजनेस स्कूल की प्रवक्ता टेरेसा एम्बाइल के द्वारा दफ्तर में रचनात्मकता पर किये गए एक शोध में ज्ञात हुआ कि दबाव कलात्मकता और रचनात्मकता दोनों को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है। हालांकि कुछ कामकाजियों को लगा कि ये दबाव में ज्यादा रचनात्मक होते हैं; मगर मुद्दे की बात तो यह थी कि वे अपना काम तो निपटा रहे थे मगर अपने काम में उनकी रचनात्मकता एक बहुत ही निचले स्तर पर थी।

दबाव हमें दफ्तर के काम के अलावा भी कई चीजों में नुकसान पहुंचाता है। किसी कामयाब रिश्ते का राज दो लोगों की कैमिस्ट्री में नहीं छुपा होता बल्कि दबाव की परिस्थिति में उस जोड़े के निर्णयों और बातचीत में छुपा होता है।

एक्सम्पल के लिए, जोड़े जो एक-दूसरे की यह कहकर आलोचना करते हैं कि “तुम स्वार्थी हो”; अपने रिश्ते पर बहुत अधिक दबाव डाल देते हैं। जिसके परिणामस्वरूप रिश्ता कमजोर हो जाता है क्योंकि फिर दोनों व्यक्ती एक-दूसरे से असन्तुए। लगते हैं।

दूसरी ओर, तनाव विभिन्न दृश्यों में घटित होता है।

जिन परिस्थतियों में सफलता जरूरी होती है उनमें दबाव का होना आम बात होती है, जैसे- किसी महाविद्यालय की प्रवेश परीक्षा में । लेकिन जब हमारे पास मागे ज्यादा होती हैं और उन्हें पूरा करने के लिए संसाधन कम उपलब्ध होते हैं तो तनाव उत्पन्न होता है, जैसे- दफ्तार में एक ही दिन में लगातार कई बेठकें होना।

लेकिन दबाव और तनाव के बीच संबंध क्या है?

दबाव की ही भांति तनाव भी हमारी रचनात्मकता को नकारात्मक रुप से प्रभावित करता है। लेकिन तनाव दाबाव से एक मित्र घटना है जिसके कारण यह भिन्न हल की मांग भी करता है।

अपनी जिंदगी में मायने रखने वाली चीजों की संख्या को कम करना तनाव को घटाने का एक अच्छा तरीका है। एक्साम्पल के लिए, सिर्फ और सिर्फ उसी काम पर ध्यान

लगाना जो आप अभी कर रहे हैं, आपको तनाव से लड़ने की ताकत देगा।

मगर दबाव को नियंत्रित करने का तरीका थोड़ा-सा अलग है। इसमें आपको आखिर में मिलने वाले फल पर यान लगाना है, फिर चाहे वह एक हेलिकॉप्टर को सुरक्षित उतारना हो या फिर कोई खेल जीतना हो । इसका मतलब, दबाव वाली परिस्थिति में आपको अपना ध्यान दबाव झेलने के बाद मिलने वाली कामयाबी पर लगाना है और अपना बर्ताव आगे बदलते रहना चाहिए।

दबाव एक पल में आपकी प्रदर्शन करने की योग्यता को घटा सकता है, ठीक उसे रास्ते से जो आप सोचते हैं।

क्या आपने किसी प्रेसेंटेशन को यह सोचकर शुरू किया कि इसमें जो भी आप बोलने जा रहे हैं उसका एक एक शब्द सही होगा? निश्चित ही हम सब अपने आप पर इस काम को करने का दबाव डालते हैं। लेकिन यह उत्पादकता का दुश्मन है।

मगर क्यों

क्योंकि ऐसा करने हमें एक खास तरह की असफलता की तरफ ले जाता है, जिसे हम “चोकिंग (दम घुटना) कहते हैं। चलिए जानते हैं कि यह “चोकिंग नाम की प्रक्रिया आखिर काम कैसे करती है।

दबाव आपके परफॉरमेंस सिस्टम, जैसे- शारीरिक अराउज़ल, विचार और बर्ताव में घुसपेठ करता है। इन सबमें से से किसी के प्रभावित होने से पूरा सिस्टम ही प्रभावित हो जाता है।

एक्साम्पल के लिए जब आप भाषण देते हैं तो आप अपने ऊपर दबाव बनते हुए महसूस कर सकते हैं: आपका हृदय तेजी से धड़कने लगता है, आपका दिमाग खाली हो ज्ञाता है और आप अपने सामने लिखे हुए शब्दों को भी मुश्किल से ही पढ़ पाते हैं। इस तरह आपकी साँसे फूलने लगती है और भाप घबड़ाने लगते हैं।

दबाव आपकी दिमागी क्षमता को भी प्रभावित कर सकता है। जैसे कि, दबाव के क्षणों में आप अपने प्रदर्शन का आकलन स्वयं ही करने लगते है जिससे आपके दिमागी संसाधनों का काफी दोहन होता है।

लेकिन ऐसा करने से क्या होता है?

ऐसा करने से प्रक्रियात्मक मेमोरी, जो कि आपको बिना सोचे भी कई जटिल काम आसानी से करने में मदद करती है, ब्लॉक हो जाती है। कल्पना कीजिए कि आपका कोई दोस्त पिछले कई हफ्तों से पियानों बजाने का अभ्यास (रियाज) कर रहा है। मगर जब आपका वह दोस्त मंच पर पहुंचता है तो वह अपनी हर हरकत पर बारीकी से ध्यान देने लगता है और इस वजह से वह अचानक से अपने सारे अभ्यस्त की हुई धुने भूल ज्ञाता है।

दूसरे शब्दों में कहें तो आपका दोस्त घड़बड़ा जाता है। लेकिन यह सब आखिर होता कैसे है?

एक छोटी-सी चीज, जैसे उस स्थिति में भापका दृष्टिकोण आपको दबाव में लाने के लिए पर्याप्त होता है। और यहाँ तक कि यह आपको गहरे तनाव का शिकार भी बना सकता है। चलिए जानते हैं कि यह कैसे काम करता है-

आपके द्वारा किये गए संज्ञानात्मक मूल्यांकन, जो निशित करते हैं कि आप दुनिया को किस निगाह से देखते हैं, आपके दबाव से प्रभावित होते हैं। यह दबाव आपको एक दशा में ले जाता है जिसे हम संज्ञानात्मक विकृति कहते हैं। यह विकृति इतनी खतरनाक होती है कि आपको चिंता और तनाव में ले जाने के लिए पर्या् होती है।

एक्साम्पल के लिए, यह सोचना कि आपको किसी चीज की जरुरत है, जैसे किं- एक नई कार या फिर कुछ भी और, आपको दबाव में डालता है और इससे आपके मानसिक रुप से बीमार होने का खतरा बढ़ जाता है। एक खराब वास्तविकता को नियंत्रित करने के लिए यह जरूरी है कि माप अपने शब्दों पर नियंत्रण साधे।

इसलिए यह सोचने की बजाय कि “मुझो एक कार की जरूरत है यह सोचना ज्यादा बेहतर है कि मैं एक कार चाहता हूं। इस प्रकार वाक्य और स्थिति दोनों का ही दबाव

अपने आप कम हो जाता है।

दबाव वाली स्थितियों को सही रणनीतियों के साथ हैन्डल करना। एक छोटा-सा नियम- “ठंडे रहो”।

ये तो हम सब जानते ही है कि दबाव में होना एक खराब बात है। लेकिन हम इस दबाव नामक चीज़ से कैसे मिड सकते हैं?

कुछ सरल उपाय हैं जिनके माध्यम से आप दबाव को कम कर सकते हैं और अपनी चिंताओं को कम कर सकते हैं।

एक्साम्पल के लिए प्रेशर कम करने का एक छोटा-सा उपाय है- चीजों को बहुत ज्यादा गंभीरता से न लेना । इससे आपका दबाव और हारने का इर दोनों खत्म हो जाता है।

मान लीजिए कि आप एक बहुत ही जरूरी साक्षातकार के लिए जा रहे है और दबावित महसूस कर रहे हैं। इतने में आपका कोई दोस्त मिल जाता है और वह आपको कहता है कि ज्यादा गंभीर मत हो, वैसे भी ज्यादा ज्यादा क्या हो जाएगा।

इस स्थिति में भले ही आपका मन अपने उस दोस्त को डांटने का करे, मगर उसने बात तो बहुत ही सही की है। क्योंकि अपनी परिस्थिति को जितना हो सके उतना सामान्य देखने से आप पर बना दबाव कम होता है और इस तरह से आप जो आप करना चाहते हैं उसे करने के लिए स्वतंत्र होते हैं।

मसफलता के बारे में बहुत ज्यादा सोचने से आप उन चीजों दूर हो जाते हैं जो भाप कर रहे होते हैं। इसलिए अपने दिमाग को साफ और ध्यान केंद्रित बनाने को अपना लक्ष्य बना दीजिए।

लेकिन आप इसे कैसे कर सकते हैं?

साक्षातकर्ता क्या पूछ सकता है, यह सोचने की बजाय सोचे कि आप अच्छा प्रदर्शन करने के लिए अपनी तरफ से क्या कर सकते हैं। पर्याप्त शोध कीजिए और उस चीज़ का अभ्यास कीजिए जो आप वहाँ कहने जा रहे हैं।

दबाव से लड़ने का अन्य तरीका है, उच्च-दबाव वाली परिस्थितियों में स्वयं को अपना महत्व याद दिलाना । चलिए जानते हैं कि यह सब कैसे करें?

दबाव के क्षणों में हमसे जो करने को कहा गया होता है, हम उसे करने में इतने व्यस्त हो जाते हैं कि हम अपना व्यक्तिगत महत्व ही भूल जाते हैं । निक्षित करने के लिए कि ऐसा घटित न हो, आपको अपने व्यक्तीगत महत्वों की प्राथमिकता के क्रम में एक सूची बनानी चाहिए।

एक्साम्पल के लिए, सफलता आपके लिए बेहद जरूरी हो सकती है लेकिन हो सकता है कि “भलाई”भापके लिए उससे भी ज्यादा जरूरी हो। अब मान लीजिए कि आपका बॉस आपको एक नई कंपनी के साथ सौदा (डील) करने को भेजता है। लेकिन मोलभाव करते वक्त आपको समझ आाता है कि अगर माप यह सौदा मंजूर करते हैं तो कंपनी की बहुत ही कम दाम रखने वाली नीति कारण आपको अपने कर्मचारियों को सामान्य से कम वेतन देना होगा।

क्योंकि आप जानते हैं कि आपके कर्मचारियों कि भलाई आपके लिए सफलता

आसानी होगी और आपसे दबाव कम हो सकेगा।

भरोसा और आशावाद दबाव को संभालने और हराने दोनों की पहली जरुरत है।

अपना सर्वश्रेष्ट प्रदर्शन देना जब इसकी सबसे ज्यादा जरूरत हो, के लिए आपको कुछ गुण विकसित करने पड़ेंगे जो आपको दबाव वाली परिस्थितियों में कामयाबी दिलाने में

मदद करेंगे।

इन गुणों को अपने कवच का कोट (COTE) समझिए-आत्मविश्वास (confidence), आशावाद (optimism), इृड़ता (tenacity), जोशोजुनून (enthusiasm).

आत्मविश्वास वो चाभी है जो आपको आगे बढ़ाए जाती है जबकि एक-एक कदम आगे बढ़ना कठिन होता है।

जैसे जैसे आपका आत्मविश्वास बढ़ता है आपकी चिंता कम होती जाती है और इस प्रकार दबाव के अदर भी अच्छा प्रदर्शन करना आसान हो जाता है। यहाँ तक कि कई शोधों में भी सिद्ध हो चुका है कि उच्च आत्मविश्वासी लोग अच्छा प्रदर्शन ज्यादा मेहनत से काम, ज्यादा लबे समय तक टिके रहते हैं और वे स्वयं को अपने साथियों से ज्यादा समझदार और आकर्षक पाते हैं।

आप एक उच्च-शक्ति की मुद्रा से अपना आत्मविश्वास आसानी से बढ़ा सकते हैं।

इस मुद्रा की शुरुआत शारीरिक रूप से अपने शरीर के साथ करिए । अपने हाथ ऊपर उठाइए, कमर को सीधा रखिए और अपने कधों को पीछे धकेलिए । इस मुद्रा में कुछ मिनटों तक रहिए । यह आत्मविश्वासवर्धक मुद्रा आपके तनावयुक्त हार्मोनों को कम करने के लिए पर्याप्त है और इससे आपका टेसटेसटेरोन हार्मोन बढ़ता है जिससे आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।

आत्मविश्वास की तरह ही आशावादिता भी आपको दबाव में आगे बढ़ने में मदद करेगी।

अगर आप चीजों को सकारात्मक नजरिए से देखते हैं और आपके पास भविष्य को लेकर अच्छो उम्मीदें हैं तो आप उन कामों को करने में ज्यादा विश्वास रखेंगे जो कि वर्तमान में कठिन हैं मगर भविष्य में आपको इनसे लाभ होगा, जैसे खतरा मोल लेना और जी-तोड़ मेहनत करना।

देवरा एक युवा महिला है जो, एक भयावह कार दुर्घटना के बाद, कई सारे फ्रेकचरों और महीनों लबी रिकवरी की कठिन प्रक्रिया से गुज़री ।

इतना सब कुछ घटित हो जाने के बाद भी देबरा इस बात को लेकर कृतज्ञा थी कि वह अभी तक जीवित है। उसका सकारात्मक हृष्टिकोण हतना शक्तिशाली था कि इसने उसे काम करते रहने की शक्ति दी और आखिरकार वह दोबारा अपने पैरों पर खड़ी हो पाई।

आप भी कैसे अपने आप में एक सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित कर सकते हैं?

अपने दिन की शुरुआत अपने आसपास की छोटी-छोटी चीजों की तारीफ करते हुए करें। चीजें जैसे- आपका आरामदायक बिछौना, ताजी हवा और आपका प्यारा परिवार । छोटी-छोटी चीजों में सकाराताकता हूंडने से आप प्रत्येक परिस्थिति को एक सकाराताक दृष्टिकोण से देख पाएंगे।

अब तक हम आत्मविश्वास और भाशावादिता को जान चुके हैं। अब कोट की बची दो अन्य चीजों टिलसिटी और जोश को पूरा करने की बारी है।

दृढ़ता और जोश से अपना कोट पूरा कीजिए।

आत्मविश्वास और आशावाद आपको आगे बढ़ाए रखने के लिए अच्छे हैं जब चीजें कठिन हो जाती है। लेकिन भारी दबाव के बीच लगातार आगे बढ़ते जाने के लिए आपको दृढ़ता की जरूरत भी पड़ेगी।

हढता की जरूरत तब पड़ती है जबकि आपके पास कोई लक्ष्य हो जिसके लिए आपमें बहुत अधिक ललक हो।

क्योंकि जब आप किसी ऐसी चीज़ के लिए काम कर रहे हैं जिसे आप पाना चाहते हैं तो आपको उन चुनौतियों और डरों को भी सहना होगा जिन्हे आप सामान्य परिस्थितियों में बिल्कुल भी नहीं सह सकते ।

एक्साम्पल के लिए, आपको लोगों के सामने बोलने में भय लगता है लेकिन आप अपने कक्षा के साथियों को जानवरों के अधिकारों के सदर्भ में जागरूक करना वाहते हैं। सभवतया आप चाहेंगे कि आप अपने डर से आगे बढ़कर अपने साथियों के सामने एक ऐसा भाषण दें जिनसे वे सभी माँस भरे बर्गर खाना बंद कर दें।

हड़ता आपको ये चीजें करने का साहस देंगी जिन्हें आप प्रायः करने में अपने आप को समर्थ महसूस नहीं करते मगर जोश आपको दबाव के बावजूद जुनूनी और रचनात्मक रहने मैं सहयोग करेगा।

जोश आपको काम करते रहने और अपना सर्वश्रेष्ठ देने की ऊर्जा देता रहता है। यह एक विषाणु की भांति होता है जो जल्दी से फैलता है और आपके आसपास के लोगों को सकारात्मक ढंग से प्रभावित करता है।

यहाँ तक कि जिन परिस्थितियों में दबाव करीब-करीब आपकी रचनात्मकता को मार ही देता है उनमें जोश इसे वापस लाने में सहयोग करता है।

एक्साम्पल के लिए, जब हम किसी भी हाल में नतीजा निकालने के दबाव में होते हैं तो अपनी ही संकरी कर देना और किसी हाल की तलाश करना आम बात है। मगर आप उस काम के बाबत जुनूनी हैं जो कि आप कर रहे हैं तो हो सकता है कि शायद आप अपना दिमागी दायरा बढ़ाकर कुछ नई और अनोखी चीज़ ढूंढ लें।

इसलिए अगली बार जब कभी भी आप किसी बहुत अधिक दबाव की अवस्था में हाँ, जैसे कि डाइरेक्टरों के बोर्ड के सामने भाषण देता, तो जोश से बर्ताव करने की कोशिश जरूर करें जिससे कि आपमें जुनून आ जाए। अगर आप अपना जोश बढ़ाना चाहते हैं तो हँसिये, किसी सकारात्मक याद को याद कीजिए या फिर सकारात्मक गाने सुनिए।

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