यह किसके लिए है
बेजो ध्यान करने के फायदों के बारे में जानना चाहते हैं।
-वैजो बहुत ज्यादा तनाव में रहते हैं।
वे जो अपने दिगाग को शात रखकर खुद को अपने काम में बेहतर बनाना चाहते हैं।
लेखक के बारे में
डेविड गेल्स (David Geliles) न्यू यॉर्क टाइम्स में संडे बिजनेस सेक्शन के एक लेखक हैं। इससे पहले वे इीशियल टाइम्स के लिए काम करते थे। वे फावर्स और दलॉस एंजेलेस टाइास जैसे गैगज़ान्स में आ चुके हैं। वे पिछले कुछ सालों से ध्यान के फायदों को जानने के लिए काम कर रहे हैं।
यह किताब आपको क्यों पढ़नी चाहिए
हम भले ही जंगलों को छोड़कर भाज शहरों की सुख सुविधा में रहने के लिए आ गए हों, लेकिन हमारी खुशी पर इसका कुछ खास असर नहीं हुआ। आज के वक्त में दुनिया बहुत तेजी से भाग रही है और हम खुद से इतनी ज्यादा उम्मीटदें करते हैं कि तनाव में रहना एक आम बात हो गई है। लोग डिप्रेशन में जा रहे हैं और रात को सोने के लिए भी दवाइयों का इस्तेमाल कर रहे हैं।
लेकिन क्या इस परेशानी का इलाज नहीं हो सकता? क्या यह जरूरी है कि हम मेहनत कर के बहुत से पैसे कमाएँ और फिर दवाइयां खरीद कर उन पैसों को खर्च करें?
बिल्कुल भी नहीं। आज के वक्त में ध्यान करना तनाव से छुटकारा पाने का एक बहुत ही आसान और कामयाब तरीका है। इसे करने के बहुत से फायदे हैं और हमें इनके लिए
एक भी रुपया नहीं देना होता।
यह किताब हमें ध्यान करने के फायदों के बारे में बताती है। यह किताब हमें बताती है कि बिजनेस की दुनिया में किस तरह से लोग ध्यान का इस्तेमाल कर के अपने दिमाग
को शांत रखते हैं और ज्यादा कामयाब होते हैं।
इसे पढ़कर आप सीखेंगे
ध्यान करने का हमारे दिमाग पर क्या असर होता है।
-ध्यान कर के किस तरह से आप खुद को एक लीडर
-मार्केट में ध्यान को लेकर कोन सी समस्याएं पैदा हो रही हैं।
माइंडफुलनेस आज कंपनियों का एक हिस्सा बनता जा रहा है।
जैसे जैसे हम आगे बढ़ रहे हैं, हमारे ऊपर काम का दबाव बढ़ता जा रहा है और उसी तरह से हमारा तनाव। बढ़ता जा रहा है। अगर चल्ल् हेल्थ आर्गनाइजेशन की मानें, तो अमेरिका में बढ़ते तनाव की वजह से हर साल 300 अरब डॉलर का नुकसान हो जाता है।कपनिया आज इस बात समझ रही हैं और वे इसे कम करने की पुरी कोशिश कर रही है।
माईडफुलनेत एक तरह का ध्यान होता है जिसमें हम अपना ध्यान प्रेजेंट पर लगाते हैं और अपने खयालों को अच्छा या बुरा बोले बिना, उन्हें बस अपने दिमाग में आने देते हैं।
इससे हम अपने तनाव को कम कर के अपने काम को अच्छे से कर सकते हैं। इससे हम खुद को अच्छे से जान सकते हैं, खुद को ट्रेन कर सकते हैं और साफ साफ सोचने की क्षमता पा सकते हैं।
माइंडफुलनेस की मदद से हम अपने आस पास के लोगों को, उनकी समस्याओं को और साथ ही अपनी समस्याओं को बेहतर तरीके से समझ कर उनका बेहतर हल निकाल सकते हैं। एकाम्पल के लिए हो सकता है कि कोई आपको गुस्से में कुछ बोल दे, लेकिन अगर आप शात दिमाग के हैं, तो आप उसके गुस्से को समझने की कोशिश करेंगे, ना कि खुद गुस्सा करेंगे।
कंपनियों में माज कर्मचारियों को ध्यान करने की ट्रेनिंग दी जा रही है। इसका एक अच्छा एक्जाम्पल जनरल मिल्स, जहाँ पर जैनिस मार्टरानो ने कर्मचारियों को ध्यान करने की ट्रेनिंग देना शुरु किया। जैनिस इससे पहले खुद बहुत ज्यादा तनाव में रह चुके थे और ध्यान की मदद से इससे लड़ने के बाद वे अपने कर्मचारियों को ऐसा करना सिखाते हैं और आज ध्यान उनकी कंपनी के कल्चर का एक हिस्सा बन गया है।
विज्ञान ने ध्यान करने के फायदों को साबित कर के दिखाया है।
1990 के दशक में जब हमारे पास ज्यादा टेकोलॉजी नहीं थी, तो लोगों को यह बता पाना मुश्किल था कि उन्हें ध्यान क्यों करना चाहिए। उस समय हमें यह नहीं पता था कि ध्यान करने का हमारे दिमाग पर क्या असर होता है। लोगों को लगता था कि यह धर्म से संबंधित बातें हैं और वे इसे नहीं किया करते थे। लेकिन आज के वक्त की टेक्नोलॉजी से हम यह देख सकते है कि ध्यान करने के क्या फायदे हैं।
फंक्शनल मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग (एफएमआरआई) का इस्तेमाल कर के हम देख सकते हैं कि हमारा दिमाग किस तरह से हरकतें कर रहा है। इससे हमने दिमाग के अलग
अलग हिस्सों की जाँच की और हमने पाया कि ध्यान करने वाले लोगों के दिमाग की बनावट कुछ अलग होती है। दिमाग की बनावट पत्थर जैसी नहीं है, बल्कि हम इसे अपनी
आदतों के जरिए बदल सकते हैं।
एफएमआरआई के इस्तेमाल से वैज्ञानिकों ने पाया कि हमारे दिमाग का जो हिस्सा तनाव के लिए जिम्मेदार है, वो ध्यान करने से शात हो जाता है। इसके अलावा इससे दिमाग के उस हिस्से की हरकत कम हो जाती है जिसकी मदद से हम खुद के बारे में सोचते हैं। इसका मतलब अगर आप हर बार खुद में कमियाँ निकालते हैं या अगर आपको किसी काम को कर लेने के बाद लगता है कि आप ने वो काम अच्छे से नहीं किया, तो ध्यान करने से आप खुद को कोसना कम कर सकते हैं।
म्यान करने से हमारे दिमाग के प्रीनटल कार्टेक्स की हरकत बढ़ जाती है जिससे हम ज्यादा सहानुभूति दिखा पाते हैं। साथ ही यह कोर्टिकल की चौड़ाई को बढ़ा देता है और हम चीज़ों को ज्यादा अच्छे से याद रख पाते हैं। यह हमारे तनाव और डर को कम करता है। एमाण्डाला पर असर डालकर यह हमें इंटरव्यू या स्पीच से पहले होने वाली घबराहट से बचाता है।
एमबीएसआर का इस्तेमाल कर के आप अपने दर्द पर काबू पा सकते हैं।
दुनिया के महान लोग जब ध्यान के फायदों को समझ कर लोगों को इसे करने की सलाह देने लगे, तो लोग धीरे धीरे इसे अपनाने लगे। लेकिन 1970 के दशक में जब जॉन
कैबट जिन ने लोगों को एक नए तरह के ध्यान के बारे में बताया, तो लोगों में यह बहुत तेज़ी से फेलने लगा । इसका नाम माइंडफुलनेस बेस्ड स्ट्रेस रिडक्शन (एमबीएसआर) है।
एमबीएसआर का संबंध किसी भी धर्म से नहीं है और यह लोगों को प्रेजेंट में रहना और अपने शरीर में हो रही हलचल को महसूस करना सिखाता है। इसकी मदद से आप यह
जान पाते हैं कि आपके शरीर में किस तरह से दर्द हो रहा है। एक बार आप यह जान जाते हैं, तो आप खुद को पहले से ज्यादा समझ पाते हैं और उस दर्द पर काबू पाते हैं।
एमवीएसआर के एक एक्सरसाइज में आप यह देखते हैं कि आपके शरीर में कहाँ पर दर्द हो रहा है और कहाँ पर आपको आराम मिल रहा है। इसे बार बार करने पर आपको यह पता लगता है कि आपको हर बार एक जितना दर्द या एक जितना आराम नहीं मिलता, बल्कि समय के साथ यह कम ज्यादा होते रहते हैं। इससे आपको यह पता लगता है कि यहां पर कुछ भी हमेशा क लिए नहीं है। आप अपने दर्द को समय साथ गायब होते हुए देखते हैं और यह तनाव से लड़ने का एक बहुत अच्छा तरीका साबित हुआ है।
ध्यान करने से आपका फोकस बढ़ता है।
आज के वक्त में हमारे पास बहुत से काम होते हैं और दिन पूरा होने से पहले हमें सारे काम पूरे करने होते हैं। ऐसे में बहुत से लोगों को लगता है कि दो काम एक साथ करना काम करने का एक अच्छा तरीका हो सकता है, जो कि बिल्कुल गलत है।
जब हम एक बार में एक काम करते हैं, तो हम उस काम को अपना पूरा फोकस देते हैं और उस काम को अच्छे से कर पाते हैं। लेकिन जब हमें बीच में किसी काम की वजह से अपना ध्यान उस काम पर से हटाना होता है, तो फिर से लौटने पर हमें यह देखना होता है कि हमने अपना काम कहाँ तक अधूरा छोड़ा था और उसके बाद क्या करना है। इसमें हमारा समय बरबाद होता है।
आप एक साथ दो कामों पर कभी ध्यान नहीं लगा सकते। जब आप दो कर रहे होते हैं, तो आप असल में अपना ध्यान एक काम से हटा कर उसे दूसरे पर लगाते हैं और फिर दूसरे से हटा कर उसे पहले पर लगाते हैं। इससे आपके दिमाग को बार बार सोचना पड़ता है कि उसे अब क्या करना है जिससे चो बहुत जल्दी थक जाता है।
लेकिन माइंडफुलनेस की मदद से आप अपने फोकस को एक जगह पर लाकर रख सकते हैं और बार बार हसे करते रहने से एक दिन यह अपने आप होने लगता है और फिर आपको अपना ध्यान एक जगह पर लगाने में मेहनत नहीं करनी पड़ती। साथ ही आपका ध्यान कम भटकता है।
अपने फोकस को एक बार में एक काम पर लगाए रखने के लिए आपक बार बार खुद से यह सवाल करना होगा कि क्या आप इस वक्त वही कर रहे हैं जो आपको करना चाहिए? एक्जाम्पल के लिए हो सकता है कि आप कुछ काम कर रहे हों और तभी आपका एक दोस्त आकर आप से क्रिकेट के स्कोर के बारे में बात करने लगे। आपको पता भी नहीं लगेगा और आप खुद को उससे क्रिकेट के बारे में बात करते हुए पाएंगे।
ऐसे हालात में अगर आप माइंडफुलनेस प्रैक्टिस कर रहे हैं तो आप प्रेजेंट में रहना सीख पाएँगे और अपने ध्यान भटकने से पहले ही उस व्यक्ति को जवाब दे पाएंगे कि आप कभी व्यस्त हैं और उससे बाद में बात करेंगे। इस तरह से आप खुद को ट्रेन कर सकते हैं।
ध्यान करने से हम अपनी और दूसरों की भावनाओं को अच्छे से समझ सकते हैं।
जब आप ध्यान करते हैं तो आपको पता लगता है कि बुरे दिन हम सभी के आते है और नेगेटिव भावनाएँ हम सभी के अंदर होती है। इससे आप धीरे धीर खुद को प्रेजेंट में रखता सीखते हैं तो आपको अपनी भावनाओं के बारे में पता लगने लगता है। आप खुद को अच्छे से समझाने लगते हैं। एक बार आप खुद को समझ गए, तो आप दूसरों को भी अच्छे से समझ पाते हैं और उनकी समस्या को अच्छे से सुलझा पाते हैं।
अपनी भावनाओं को अच्छे से समझ पाना मतलब उनपर अच्छे से काबू पा सकना। जब आप अपने अंदर की नेगेटिव भावनाओं को काबू कर के खुद को खुशी से भर देते हैं, तो
यह खुशी धीरे धीरे बाहर निकल कर दूसरों की तरफ जाने लगती है। लोग आपको एक अच्छे व्यक्ति की तरह देखते हैं और वे आपकी तरफ आकर्षित होते हैं।
मंत्रा नाम के इस ध्यान को करने से आप खुद में सहानुभूति की भावना पैदा कर सकते हैं। इसमें आप खुद के लिए अच्छी और पाजिटिव भावनाओं को विकसित करते हैं। आप खुद से कहते हैं कि आपको कोई नुकसान नहीं होगा और किसी तरह से आपको दुख नहीं पहुंचेगा। आप खुद को खुश रहने का आशीर्वाद देते हैं। समय के साथ आप यह भावना दूसरों के लिए भी आपके अंदर पैदा होने लगती है।
सहानुभूति आपको पहले से ताकतवर बनाती है। इससे आप खुद को तो दर्द और तनाव से तो दूर रखते ही हैं, लेकिन साथ ही आप दूसरों को भी इससे दूर रखते हैं और उनकी समस्याओं को भी अच्छे से समझ कर उन्हें सुलझाने की कोशिश करते हैं।
लेकिन यह सब कुछ एक दिन में नहीं होगा। इसमें कुछ समय लग सकता है। अगर आप इसे हर दिन कर रहे हैं, तो आपको इसका फायदा देखने को मिलेगा। आप पहले से ज्यादा शात और खुश रहेंगे।
बहुत सी कंपनियां माइंडफुलनेस प्रैक्टिस कर के अपने वातावरण और अपने लोगों का अच्छा खयाल रख रही हैं।
कंपनियों में अक्सर बहुत से लोग काम करते हैं। यहाँ पर कुछ लोग साथ मिलकर अपने ग्राहकों के लिए प्रोडक्ट बनाते हैं और उन्हें खुश रखने की कोशिश करते हैं। बहुत सी कंपनियां अपना ध्यान सिर्फ अपने फायदों पर लगाती है। वे यह देखती है कि किस तरह से वे ज्यादा से ज्यादा फायदा कमा सकती हैं। लेकिन कुछ कंपनिया माइंडफुलनेस प्रेक्टिस करती है और वे अपने लोगों का खास खयाल रखती है।
इस तरह की कंपनियां समझ रही हैं कि वे समाज के लिए काम कर रही हैं। एक्ज़ाम्पल के लिए पेटागोनिया नाम के एक कपड़े की कंपनी ने अपने ग्राहकों को वातावरण के
नुकसान के बारे में बता कर उन्हें अपने खर्चे कम करने के लिए कहा। उन्होंने अभिनय निकाले जिसमें उन्होंने अपने ही ग्राहकों से कहा कि वे यह देख लें कि कहीं वे ज्यादा कपड़े तो नहीं खरीद रहे हैं।
इलीन फिशर नाम की एक कपनी अपने कर्मचारियों पर खास ध्यान देती है। टैक्स देने के बाद उन्हें जो फायदा होता है, वे उसका 10% भाग अपने कर्मवारियों में बाँट देती है। इसके अलावा ये वातावरण को साफ रखने के लिए भी काम कर रही है। 2012 में उन्होंने अपने चाइना के उस कंपनी से बात की जो कि उनके लिए रेशम बनाती थी। उन्होंने चाइना की कंपनी को बताया कि किस तरह से उनके तरीकों से वातावरण को नुकसान हो रहा है। उन्होंने कुछ जरूरी बदलाव किए जिससे अब उनके यहाँ का रेशम 45% कम केमिकल और 25% कम पानी इस्तेमाल कर के बनाया जाता है।
इसके अलावा उन्होंने बताया कि किस तरह से उनके यहाँ के कर्मचारी बुरे हालात में काम कर रहे हैं। बाद में उन्होंने उनके कर्मचारियों के काम का माहौल सुधार कर उन्हें पहले से ज्यादा सुरक्षित माहौल दिया।
शेयरमील नाम की एक एप्लिकेशन कंपनी अपने ऐप के जरिए लोगों के यहाँ का बचा हुआ खाता उन बच्चों तक पहुँचाती है जिन्हें खाना नहीं मिलता। यह कपनी अपने कर्मचारियों को इस काम के महत्व के बारे में बताती है और साथ ही उनसे कहती है कि वे अपने दोस्तों को इसके बारे में बताएँ और उनके इस मिशन में उनकी मदद करें।
इस तरह से यह कुछ कंपनियां हैं जो अपने फायदों को बगल में रखकर अपने ग्राहकों का, अपने कर्मचारियों का और अपने वातावरण का खयाल रखती हैं।
ध्यान करने से आप खुद को एक अच्छा लीडर बना सकते हैं।
एक अच्छा लीडर वो होता है जो अपने कर्मचारियों को सुनता है, अपने टार्गेट को पहचान कर उसे समय से पूरा करता है और अपने लोगों का खयाल रखता है। लेकिन आज कल के लीडर इन खूबियों से कोसों दूर है। वे अपने कर्मचारियों की बात नहीं सुनते और अपनी ही जिद किए जाते हैं और अगर कोई परेशानी आ जाए तो वै अपना गुस्सा अपने ही लोगों पर निकालते हैं।
जब आप ध्यान करते हैं तो आप अपने दिमाग को अपने गोल पर लगा पाते हैं और रास्ते में आने वाली चुनौती को ज्यादा आसानी से अपना कर उसका हल निकालने की कोशिश करते हैं। आप अपनी भावनाओं को अच्छे से समझ पाते हैं और अपना गुस्सा किसी दूसरे पर नहीं निकालते। आपके अंदर अपने लोगों के लिए सहानुभूति होती है और आप ईमानदारी से सारे फैसले ले पाते हैं।
ध्यान करने से आप अपने दिमाग को शांत रख पाते हैं और एक लीडर को जितना सोचना पड़ता है, उसके लिए एक शांत दिमाग का होना बहुत जरूरी है। जब आपका दिमाग शात रहता है तो आप अपने रास्ते में आई हुई युनौती को छोटे छोटे भाग में बाँट उससे आसानी से निपटना सीखते हैं। इस तरह से आपके ऊपर तनाव नहीं आता और जब आपको पता होता है कि आपको करना क्या है तो आप अपने दिमाग को शांत रखकर अपने काम पर भी ध्यान रखा पाते हैं।
अवसर जब रास्ते में कोई रुकावट आती है, तो हम चिढ़ जाते हैं। लेकिन एक अच्छा लीडर उस रुकावट को सुलझाने का काम उस व्यक्ति को देता है जो उस काम में माहिर है। इसके अलावा एक अच्छा लीडर अपने कंपनी के कल्चर को मेनटेन करने की कोशिश करता है। वो अपनी कंपनी के सिद्धांत को अपने कर्मचारियों पर अच्छे से लागू करता है जिससे उसके कर्मचारी अपनी जिम्मेदारी समझ कर ज्यादा अच्छे से काम कर पाते हैं।
जब कर्मचारी अपना काम अच्छे से करने लगते हैं, तो वे ना सिर्फ अपनी जिन्दगी सुधारते हैं बल्कि वे अपने पास आने वाले हर व्यक्ति को उसकी जिम्मेदारी का एहसास दिला कर उसे काम पर लगाने की कोशिश करते हैं। वे दूसरों का भी भला करते हैं और उन्हें भी काबिल बनाते हैं।
ध्यान के फायदों को बहुत से लोग अच्छे से नहीं समझ पाए हैं।
कुछ लोग आपको हमेशा मिलेंगे जो कहेंगे कि ध्यान से कुछ फायदा नहीं होता। साथ ही कुछ ऐसे भी लोग हैं जो ध्यान का इस्तेमाल कर के सिर्फ फायदे कमाना चाहते हैं। बहुत से टीचर्स लोगों को अच्छे से ध्यान करना नहीं सिखाते और बहुत से लोग इसकी बुराई भी करते हैं।
बहुत से लोगों मानना है कि ध्यान के फायदों को आज बाजार में बेचा जा रहा है। बहुत से लोग ध्यान के अजीब अजीब फायदे बता कर लोगों को अपनी क्लास में बुलाते हैं और उनसे फायदे कमाते हैं। कुछ लोग अब भी मानते हैं कि यह सारा काम सिर्फ धर्म को बढ़ावा देने के लिए किया जा रहा है। लेकिन ध्यान पर लगाए गए यह सारे इल्जाम सच नहीं हैं।
कुछ लोग हैं जो लोगों को आधा अधूरा ज्ञान दे रहे हैं। वे लोगों को सिर्फ यह बताते है कि किस तरह से ध्यान करने से वे खुद को अपने काम में बेहतर बना सकते है लेकिन वे सहानुभूति के फायदों के बारे में नहीं बताते। इस तरह के ध्यान को मैकमाइडफूलनेस कहा जाता है जिसमें ध्यान के सिर्फ एक खास फायदे पर ध्यान देकर बाकी को नजरअंदाज कर दिया जाता है।
कुछ लोगों का मानना है कि ध्यान करने से वे ज्यादा तनाव में आ जाते हैं। असल बात यह है कि ध्यान करने से आप अपनी भावनाओं को अच्छे से समझते हैं और इससे बो भावनाएं उभर कर सामने आती हैं जिसे भाप ने काफी समय से दबा कर रखा था। इसलिए जब यह भावनाएं ऊभर कर सामने आती हैं तो आपको परेशानी होती है, लेकिन इसे हर रोज करते रहने से आपको उनपर काबू पाना आ जाता है। ध्यान करने से आप खुश नहीं रहते, ध्यान करने से आप अपनी भावनाओं को काबू में करना सीखते हैं जिससे आप उन चीज़ों को खुद पर हावी नहीं होने देते जो आपको परेशान करती है। इस तरह से आप खुद को खुश रखते हैं। ध्यान का असल मकसद खुद को समझ़ाता है।
मार्केट में आज बहुत से क्लासेस आ गए हैं जिनका मकसद सिर्फ पैसे कमाना है। हमें कुछ ऐसे नियम बाहिए जिससे एक व्यक्ति यह पता लगा के कि इनमें से कौन फ्राइ है। आज बहुत से लोग गलत क्लासेस में जा रहे हैं और जब वे गलत तरह से ध्यान करना सीख रहे हैं और जब उन्हें इसका फायदा नहीं होता तो वे कहते हैं कि ध्यान करना समय की बरबादी है। इसमें उनका कोई दोष नहीं है, उन्हें गलत तरह से ध्यान करना सिखाया गया है।
ध्यान करते के बहुत से फायदे हैं, लेकिन अभी हमें कुछ ऐसे लोग चाहिए जो कि लोगों को इसे सही तरीके से करना सिखा सकें।