LOVE’S EXECUTIONER AND OTHER TALES OF PSYCHOTHERAPY by Irvin Yalom.

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About Book

यहां उन परेशान लोगों की कहानियाँ है जो साइकोथेरपी की हेल्प लेते है. आप उनके दुःख-दर्द के बारे में जानेंगे. आप देखेंगे कि कैसे ऑथर ने उन्हें बेहतर महसूस करने में मदद की. कभी-कभी जिंदगी आपको ये एहसास कराती है कि जीना बहुत तकलीफ देता है. पर दुनिया में ऐसे भी लोग और चीज़ें है जो आपको एहसास कराते है कि ज़िन्दगी जीने के लायक है. इन्हीं चीज़ों में से एक है ये बुक. है? इस समरी में से कौन सीख सकता

जो भी चिंता या डिप्रेशन महसूस करते हैं

जो भी ख़ुद को खोता हुआ और निराश महसूस करते हैं

ऑथर के बारे में

अर्विन यैलम एक साइकेट्रिस्ट, स्टैंडफोर्ड यूनिवर्सिटी के एमेरिटस प्रोफेसर और दस से भी ज़्यादा बुक के ऑथर है. इन्होंने ग्रुप साइकोथेरेपी और एक्सिस्टेंशिअल साइकोथेरेपी के फील्ड में बहुत योगदान दिया है. यैलम के पास पचास से भी ज़्यादा सालों का एक्सपीरियंस है और उन्हें उनके काम के लिए कई अवार्ड भी मिले है.

इंट्रोडक्शन

एक घिसा-पीटा सा सवाल है क्या आपको लगता है कि लोग वैसे ही होते है, जैसे हमें नज़र आते है? हम सब लोग जिस तरीके से जीते है, उसके बारे में क्या कहना है? क्या आप मानते है कि सबके लिए ही जिंदगी तकलीफ से भरी है ? क्या जिंदा रहने का मतलब ही दर्द पालना है? इस बुक में आप अर्विन यलोम और उनके पेशेंट्स की कहानियाँ पढ़ेंगे. एक साइकोथेरेपिस्ट के तौर पर, अर्विन बताते है कि उनके पेशेंट्स को किस तरह के दर्द से गुज़रना पड़ा. आप एक बूढ़ी औरत के बारे में जानेंगे जिन्हें एक ऐसे आदमी से प्यार हो गया धा जिनको उन्होंने आठ साल पहले देखा था, आप ऐसे एक आदमी के बारे में भी जानेंगे जो कैंसर की वजह से मरने के कगार पर था और वो सपना देख रहा था कि रेप जैसे घिनोने काम को legal करार कर दिया जाए. आप एक असीसी भारी भरकम औरत के बारे में भी पढ़ेंगे जो मानती है कि उसका मोटापन उसके कंट्रोल से बाहर था. हालांकि इन सब लोगों के हालात आपसे अलग हो सकते हैं पर फिर भी उन्होंने जो भी सबक सीखे है उसे आप अपनी लाइफ में अप्लाई कर सकते है. जिंदगी को जीने में जो भी तकलीफ है, वो तो हमें मरते दम तक झेलना ही पड़ता है. कम से कम हम ये तो कर सकते है कि हम दूसरों से सीखें कि वे कैसे इन सब से जूझते है. इस बुक में वो सबक हैं जो ज्ञान बढ़ाते है. ये ज्ञान बदले में हमें एक बेहतर इसान बनने में मदद करती है.

प्यार का जल्लाद

Love’s Executioner आँधर अर्विन एक साइकेट्रिस्ट भी थे. शुरू में, वे उन पेशेंट्स को नहीं देखना चाहते थे जिन्हे प्यार हुआ था. प्यार एक बहुत ही पावरफुल एहसास है और इसका मिजाज साइकोथेरपी से ठीक उल्टा है, साइकोधेरपी का काम होता है किसी इंसान की जिंदगी के हर इंच को जांचना जबकि प्यार रहस्य और पहेली के बीच फलता-फूलता है. यही बात इसे बहुत दिलचस्प बनाती है.

अर्विन प्यार के जल्लाद नहीं बनाना चाहते थे, लेकिन वे बिलकुल नहीं हिचकिचाए जब उनसे 7 साल की औरत थेल्मा ने आकर मुलाकात की और बताया उन्हें र है. थेल्मा एक ऐसे आदमी से प्यार करती थी जिन्हें उन्होंने आखिरी दफा आठ साल पहले देखा था, और अब इस प्यार को खत्म करना चाहती थी. मैथ्यू नाम के इस आदमी के प्यार ने थेल्मा को पूरी तरह से निगल लिया था. टाइम के गुजरने के साथ उनका प्यार और भी गहरा होता गया थेल्या ने कई थेरेपिस्ट से मुलाकात की थी और अर्विन ही उनकी आखिरी उम्मीद थे. अर्विन ने थेल्मा को मैथ्यू के बारे में सवाल पूछे. जब थेल्मा 50 के आस पास थी, दे डिप्रेशन की शिकार हो गई थी. इस कारण उन्हें अपने लोकल

मन्टल हेल्थ क्लिनिक में थेरेपी के लिए जाना पड़ा. वहां के ट्रेनी में से एक थे मैथ्यू जिसने थेल्मा से बात की थी. वो एक जवान और खूबसूरत

साइकोलॉजी के इंटर्न थे. जब वे दोनों बात करते तो थेल्मा खुद अब तक के बेहतरीन रेपिस्ट थे., वो सच्चे दिल को वि साय सयासे महसुस करता. मथ्यू वाकई में थेल्मा की बहुत केयर करते थे. वो थेल्मा के थे. थेल्मा थेरेपी खत्म होने के बाद उन दोनों ने एक दूसरे को एक साल तक नहीं देखा की क्योकि मैथ्यू एक हॉस्पिटल में फुल-टाइम काम करने के लिए चले गए थे. हाँ, थेल्मा बिलकुल उजड़ सी गई थी. पर जब दे दोबारा मिले, वो इत्तेफ़ाक ही था, धेल्मा अचानक ही मैथ्यू से सैन फ्रांसिस्को के यूनियन स्ववायर में

मिली थी. उन्होंने पहले कॉफ़ी पी, फिर डिनर किया और वे दोनों मैथ्यू के घर गए उन्होंने इस बात का जिक्र नहीं किया कि वे दोनों ही पैशेंट- धेरैपिस्ट

की मर्यादा को लांघ रहे है. इन सब में सबसे परेशान करने वाली बात ये थी कि मैथ्यू को धेल्मा के बारें में सब कुछ पता था क्योकि वो उनकी पेशेंट रह

चुकी थी, थेल्मा भी शादी-शुदा थी और उनके पति घर पर ईंतज़ार कर रहे थे. बहरहाल, मैथ्यू और थेल्मा का अफेयर 27 दिनों तक चला. यही वो 27 शेल्मा को पिछले आठ साल सेत रहे ।

इस अफेयर के खत्म होने का कारण ये था कि मैथ्यू ने थेल्मा से मिलना बंद कर दिया था. उसने कभी ये नहीं बताया कि उसने ऐसा क्यों किया और उसने थेल्मा के फोन जवाब ही देना द कर दिया था. इसलिए, मैथ्यू से मिलने के लिए थेल्मा उस हॉस्पिटल में पहुँच गई जहां वो काम करते थे. वहाँ उसके ऑफिस में, मैथ्यू ने थेल्मा को गले लगाया और कहा कि जो वे दोनों कर रहे थे वह गलत है. इसे रोकने के ज़रूरत हैं.

अपनी जिंदगी के सबसे बेहतरीन 27 दिनों का

का यूँ ही अचानक खत्म हो जाने से थेल्मा बिलकुल टूट गई थी. उन्हें ऐसा लग रहा था मानो उनकी दुनिया ही

उजड़ गई है. फिर, थेल्मा पर एक जुनून सवार हो गया, मैथ्यू ने उन्हें क्यों ठुकरा दिया ? सब कुछ अच्छा चल रहा था, इसे खत्म क्यों करना पड़ा? मैथ्यू के बारे में पिछले आठ सालों से रोज़ सोचती रही. अपने थेरेपी सेशन में डॉ. अर्विन ने थेल्मा के दिमाग में फंसे इस बात को दूर करने की कोशिश की कि मैथ्यू ही वह सब कुछ था जिसकी उन्हें जरूरत थी, धेल्मा पर मैथ्यू के प्यार का जुनून सवार हो गया था. उन्हें अभी भी उम्मीद थी कि । % चांस एक दिन मैथ्यू उनके फ़ोन का जवाब ज़रूर देंगे. उन्हें ये उम्मीद नहीं थी कि मैथ्यू फिर से उनसे प्यार करने लगेंगे पर थेल्मा जानना चाहती थी कि क्या

वो अभी तक उनकी परवाह करते है या नहीं. इस 1% की उम्मीद में ही उन्होंने अपने पिछले आठ साल बिता दिए थे.

थेल्मा से बात करना बहुत ही मुश्किल होता जा रहा था. वो अपनी पुरानी यादों में ही रह गई थी. दुर्भाग्य से, अपने बीते हुए कल पर फोकस करने का मतलब है अपने आज की परवाह न करना. वो अपनी ज़िन्दगी नहीं जी पा रही थी क्योंकि वो अभी भी मैथ्यू के साथ गुज़ारे सुहाने पलों में ही जी रही थी. थेल्मा ने मैथ्यू को अपनी ज़िन्दगी पर इतना अधिकार दे दिया था. जब भी अर्विन थेल्मा से बात करने की कोशिश करते तो बात सुनने से इंकार कर देती. आखिर में अर्विन ने एक फैसला किया. थेल्मा के जुनून को

खत्म करना था और उनका सामना हक़ीक़त से कराना था. थेरेपी के पांचवे महीने में, अर्विन ने मैथ्यू को थेल्मा के अगले सेशन के लिए बुलाया. इस

ऑफर

सुनकर धेल्मा चेहरा खिल उठा, वो अपने प्यार से आठ सालों बाद मिलने वाली थी

इसके अगले ही हफ्ते, थेल्मा और मैथ्यू ने अर्विन के सामने बात की. थेल्मा ने मैथ्यू से वो सारे सवाल पूछे जो उन्हें पिछले आठ सालों से परेशान कर रहे थे. अर्विन को मैथ्यू के जवाब सुनकर काफी हैरानी हुई. उसने कहा कि वो थेल्मा की परवाह तो करता था पर फिर भी उसे धेल्मा को दूर करना पड़ा. मैथ्यू ने बताया कि जब वे दोनों इत्तेफाक से यूनियन स्क्वायर में मिले धे, उससे कुछ दिनो पहले ही उन्हें साइकोसिस का पता चला था. इस वजह से मैथ्यू का मेन्टल स्टेट बहुत अच्छे हालत में नहीं था. उसने और थेल्मा ने कुछ गलत फैसले लिए जिसके कारण उसे और धेल्मा दोनों को तकलीफ पहुंची थी. थेल्मा से मिलना उनके मेन्टल स्टेट के लिए ठीक नहीं था, ऐसा उनके थेरेपिस्ट ने बताया था और उन्होंने ही थेल्मा से मिलना बंद करने के लिए कहा

था, थेल्मा ने उन 27 दिनों में जो महसूस किया था वो मैथ्यू के एक्सपीरियंस से बिलकुल अलग था. थेल्मा के लिए वो वक्त बहुत ही सुहाना था पर

मैथ्यू के लिए नहीं, वो तो अपनी जिंदगी के सबसे बुरे दौर को जी रहे थे. उस सेशन के बाद, थेल्मा ने अर्विन से कहा ি कि उनके साथ अपने सेशंस को रोक देगी. ये जानना थेल्मा के लिए एक बहुत बड़ा धक्का था कि दो और मैथ्यू दोबारा उन 27 दिनों को फिर से नहीं जी सकते उन्होंने सारी उम्मीदें खो दी थी और बस अब पेशेंट बनी रहना नहीं चाहती थी. मैथ्यू से मिलने से । पहले | भी वे लगातार साइकोथेरेपी ले रही थी. अर्विन खुद भी पे फेल हो गए थे. थेल्मा के इंकार के बाद वे थेल्मा की मदद नहीं कर सकते थे. थेल्मा साइकोथेरेपी के लिए बिलकुल फिट नहीं थी. मैथ्यू

से मुलाकात में भी कुछ ख़ास हासिल नहीं कर पाई थी, अर्विन को पता तो था कि ऐसा हो सकता है पर वे ये साबित करने पर अड़ गए कि वे थेल्मा की

मदद कर सकते है. सबसे हैरानी की बात ये थी कि थेल्मा ने अर्विन से आखिरी बार मिलने से पहले बताया कि वे और मैथ्यू दोबारा बातचीत करने लगे

है. ये बात ,अर्विन की थेल्मा के लिए चिंता को कम नहीं कर पाई,

“अगर रेप लीगल होता…”

“If Rape Were Legal.” जब सेराह नाम की मानसिक रोगी गुस्से से अर्केन के ऑफिस में घुस आई तो अर्विन को लगा कि इसके पीछे कि वजह कालोस ही है. सेराह, एक ग्रुप थेरेपी सेशन की लीडर थी जिसमें कार्लोस भी हिस्सा लेता था, कालोस अर्विन से अकेले में भी धेरेपी सेशंस लेता था. सेराह अपने गुस्से में अर्विन के पास आई. वो अर्विन ही थे जिन्होंने सेराह से कालोस को उसके थेरेपी ग्रुप में शामिल करने को कहा था. उसने अर्विन को गुस्से में बताया कि उस दिन

गुप सेशन में क्या हुआ था.

मार्था, जो उसी ग्रुप की एक मेम्बर थी, ने पहली बार खुल कर बताया कि उसका रेप हुआ था. मार्था इतनी नर्वस थी कि वो इस बात को कहते हुए रो पड़ी सैराह को लगा कि मार्था को सपोर्ट की जरूरत है इसलिए उसने गुप के बाकी सारे लोगों को तीन साल पहले मार्था के साथ हुए रेप की बात बता दी. वहाँ जब सारे लोग ये सोचने में लगे थे कि वे मार्था को दिलासा देने के लिए क्या कहे, तब कार्लोस ने मार्था से सवाल पूछा, कार्लोस ने पूछा कि क्या रेपिस्ट ने उसके कपड़े फाड़ दिए थे? जब रेप हुआ तो क्या उसने एन्जॉय किया ? ये बात जाहिर हो गई थी कि कार्लोस को ऐसी बात करने में मज़ा आ रहा था. सेराह और बाकी ग्रुप के लोग कार्लोस की बातों को सुनकर नाराज़ हो गए. कार्लोस बहुत ही बुरा इंसान था. अर्थिन

सेराह से वादा किया कि वे कार्लोस से इस बारे में बात करेंगे. जब सेराह उनके ऑफिस से निकल गई तो उन्होंने अपने पेशेंट के बारें में सोचना शुरू

किया. कार्लोस खून के एक तरह के कैंसर लिंफोमा से पिछले दस सालों से जूझ रहा था. उसकी कीमोथेरेपी सफल रही थी पर फिर भी कैंसर धीरे-धीरे उसके हार्ट और लंग्स में फैल रहा था. ऐसा लगता था कि कार्लोस इस दुनिया में ज्यादा दिनों के लिए नहीं रह पाएगा. ये सच्चाई किसी को भी मायूस कर

सकती थी.

उसके ऊपर से काल्लोस अकेला था. हालांकि, उसके दो बच्चे थे, एक बेटा और एक बेटी पर वे दोनों अपनी माँ के साथ साउथ- अगेरिका में रहते थे. उसके कोई दोस्त भी नहीं थे क्योंकि दोस्त रखने की कोई भी ज़रूरत उसे नहीं दिखती थी, डेटिंग करना भी उसके लिए मुश्किल था क्योंकि लिंफोमा की वजह से उसके कुहनी , गर्दन और कानों में गोल सर्कल बनाकर लिम्फ नोड्स निकला हुआ था. सालों के कीमोथेरेपी के कारण उसके बाल भी गिर गए थे. वो अकेला हो गया था, उसका कॉन्फिडेंस भी खत्म सा हो गया था और उसका किसी से करीबी रिश्ता भी नहीं बन पाया था, उसके अपीयरेंस को देखकर कोई कॉल गर्ल भी उसके पास नहीं जाती थी,

आप देख सकते थे कि कार्लोस में इतनी कड़वाहट क्यों थी. वो सबके साथ चिड़चिड़ा और उखड़ा सा रहता था. वो औरतों को सिर्फ़ इस्तेमाल करने वाली चीज समझता था. अर्जुन को भी नहीं पता था कि एक मरते हुए आदमी के लिए क्या ट्रीटमेंट सही रहेगा, पर फिर भी उन्होंने कार्लोस को अपना

पेशेंट बना लिया था.

जब अर्विन कार्लोस से थेरेपी सेशन के लिए मिले, उन्होंने उससे पूछा कि गुप धेरेपी में क्या हुआ था. कार्लोस उस बात को लेकर बिलकुल शर्मिंदा नहीं

और उसने इसके लिए माफ़ी भी नहीं मांगी, उसने कहा कि रेप करना उसकी fantasy है और अगर रेप करना legal होता तो वो कभी कभार औरतों का रेप जरूर करता.

अर्विन को पता चला कि सिर्फ दो चीज़ों के लिए ही कार्लोस सीरियस होता था. एक था उसके बच्चे और दूसरा उसका पुनर्जन्म में यकीन, अर्विन ने क ऐसी सोसाइटी को इमेजिन करने को कहा जहां रेप लीगल होता. कार्लोस इस सोच से ही खुश होकर मुस्कुराने लगा. लेकिन, उसकी कार्लोस को ए ये मुस्कराहट जल्दी ही हो गई जब अर्विन ने कार्लोस से पूछा कि क्या वो अपनी बेटी को ऐसी ही सोसाइटी में रहते देखना पसंद करेगा. कार्लोस, अपनी बेटी के रेप के बारे में सोचकर बेचैन हो गया. वो बहुत ही सीरियस हो गया. उसके बाद, अर्विन ने कार्लोस से उसके पुनर्जन्म पर यकीन करने वाली सोच के बारे की. ये बात कार्लोस को सुकून देती थी कि उसके मरने के बाद भी कुछ था.

एक रात, कार्लोस को सपना आया कि वो एक एजेंसी में गया है जो रेंट पर कार देती है. पर, वहाँ वो निराश हो गया जब उसे सिर्फ हरे रंग की हौंडा सिविक्स कार ही मिली और हरे रंग से नफरत थी. लेकिन उसके पास उस कार को चलाने के सिवाय कोई चॉइस नहीं थी. ये ऐसी कोई बड़ी बात नहीं थी पर इस सपने ने कार्लोस को डरा दिया था. वो इतना घबरा गया कि वो जाग गया और कई घंटो तक परेशान रहा, अर्विन की मदद से उसने इस

सपने को अपने पुनर्जन्म से जोड़ा,

कार्लोस को एहसास हुआ कि पुनर्जन्म ऐसा होता है जैसे अपनी बॉडी को एक नए बॉडी से बदल देना. ये एक कार को रेंट पर लेने जैसा है. अर्विन ने कार्लोस को और भी गहराई से इसके बारे में सोचने को कहा, उस सपने ने कार्लोस को क्यों इतना डरा दिया था? अगर कार अगले जनम में मिलने वाली बॉडी की तरह है तो कार्लोस को सपने में वही कार और वाही रंग क्यों मिले जिनसे उसे बेहद नफरत थी? कार्लोस ने खामोशी से जवाब दिया कि पुनर्जन्म में वही जिंदगी मिलती है जिसके दो लायक होता है, एक बुरे आदमी के तौर पर शायद उसका पुनर्जन्म बहुत ही बुरा होगा. कालोंस को एहसास हुआ कि शायद उसके सपने उसे बता रहे थे कि जैसे वो जी रहा था, वो तरीका सही नहीं है. इस से कार्लोस को गहरी चोट पहुंची थी. अर्विन ने काल्लोस को गहराई से अपने रिश्तों के बारें में विचार करने के लिए एनकरेज किया. अ्िन के अलावा कालोस के पास बातें करने के लिए कोई नहीं था. वो बिलकुल अकेला था. क्यों नहीं काल्लोस एक दोस्त बनाने का गोल बना ले? आखिर, यही उन कारणों में से एक था जिसने अर्विन को कार्लोस से ग्रुप थेरेपी सेशंस में शामिल होने के लिए कहा था. कार्लोस ये बात सुनकर मुस्कुराया. उसके बाद वो धीरे-धीरे बदलने गया. कार्लोस अपने ग्रुप थेरेपी सेशन के लोगो से प्यार से मिलने लगा. जल्दी ही, ग्रुप के लोग उससे सपोर्ट और एडवाइस भी मांगने लगे. अपनी जिंदगी के आखिरी महीनों में कार्लोस ने लोगों की जितनी हो सके मदद की इस बदलाव के कारण उसके बच्चे भी उसके काफी करीब आ गए थे, कार्लोस के गुज़र जाने से पहले, अर्विन उससे मिलने गए. वो बहुत ही कमजोर और पतला हो गया था. कैंसर उसे खत्म कर रहा था, इस हालत में भी उसने अर्विन के हाथ को दबाया और उनको अपनी लाइफ बचाने के लिए थैंक्स कहा,

मोटी औरत

Fat Lady जब पूछा गया कि वो अर्विन से मिलने क्यों आई है, तो बेट्टी ने कहा कि उसकी जिंदगी की हर बात ही उसे परेशान करती है. वो सौ किलो से ज्यादा वज़न की औरत है जिसकी कोई सोशल लाइफ नहीं है. वो हाल में ही न्यू यॉर्क से कैलिफ़ोर्निया अपने जॉब के लिए आई थी. पर ये तो बेट्री का टेम्पररी सेट अप था. बाहर जाने और समय बिताने के लिए बेट्टी के कोई दोस्त नहीं थे और न ही कोई बॉयफ्रेंड था. कई सांस तक अर्विन ने बेट्टी को ऑब्ज़र्व किया और पाया कि उसके साथ रहना बहुत ही बोरिंग था. बेट्टी नॉन-स्टॉप अपनी जिंदगी की हर चीज़ के बारे में बातें करती थी: अपने ऑफिस के लोगों के साथ उसके बातचीत से लेकर उन लड़को के बारें में जिनको वो अट्रैक्टिव मानती थी. अर्विन को ये सब बोरिंग लगा क्योंकि जब वे बेट्टी से गहराई में बात करने की कोशिश करते तो वो इकार कर देली. वो अपने मोटापे के बारें में भी बात करने से इंकार करती थी असल में उसे तो इसी बात पर अपना फोकस रखना चाहिए था. बेट्टी अपने ज्यादा है इसके कारण तो बहुत अकेली और अलग-थलग हो गई थी. वेट के कारण कोई दोस्त या बॉयफ्रेंड बनाने से हिचकिचाती थी.

साइकोथेरेपी में आगे बढ़ने के लिए सबसे पहला स्टेप था बेट्टी का एक्सेप्ट करना कि उसका मोटापा उसकी ही ज़िम्मेदारी है. वो अपने हालात के लिए सब को दोष देती थी पर खुद को को नहीं. वो इस हाल के लिए कारण बताती थी कि वो हाल में ही यहाँ आई है और कैलिफ़ोर्निया के लोगों को मोटे लोगों से परेशानी है. बेट्टी कहती कि अगर वो मोटी नहीं होती तो पूरी दुनिया के लोग उसे अलग तरीके से ट्रीट करते और फिर, मोटापा घटाना बहुत ही मुश्किल काम है. अगर उसके आगे खाना रखा हो तो उसका खुद पर कोई कंट्रोल नहीं रहता, जब अर्विन और बेट्टी ने मिलकर इस मामले पर काम करना शुरू किया तो बेट्टी धीरे -धीरे खुलने लगी और उसने प्रोग्रेस किया, अपने अकेले सेशन के

अलावा अर्विन ने उसे ग्रुप थेरेपी लेने के लिए एनकरेज किया. ये बहुत ही बढ़िया तरीका था बेट्टी को सोशलाइज करवाने का उसके मोटापे को कम करने के सफर

इस मुलाकात ने बेट्टी को हिला दिया क्योंकि उसने अपने पिताजी को बचपन के कारण ही खो दिया था. इसके बाद बेट्टी वापस अलग-थलग रहने लगी. अपने पिताजी पर कैंसर के बुरे असर को याद करके बेट्टी को बहुत तकलीफ हुई. को इतना ज़्यादा सोचने लगी कि उसे पूरे दिन सरदर्द होता रहता. उसे सांस लेने में भी तकलीफ रहने लगी और पीठ में भी दर्द होने लगा. बेट्टी को लगा कि उसे भी कैंसर हो गया है. उसे यकीन कराना मुश्किल हो गया था कि उसे कैंसर नहीं है क्योंकि वो डॉक्टर को दिखाना चाहती ही नहीं थी. बेट्टी अपने वजन से इतनी शर्मिदा थी कि वो किसी डॉक्टर से मिलना नहीं चाहती थी. पर, कभी-कभी वो ये भी सोचती कि वो मोटी है इसलिए उसे कैंसर नहीं हो सकता. उसके पिताजी और कार्लोस दोनों का वजन कैंसर से घट गया था, इसलिए, ये हो नहीं सकता था कि बेट्टी को कैंसर हो. अर्विन, कार्लोस और गुप थेरेपी सेशन ने बेटी की मदद की. कार्लोस ने बेट्टी को कैंसर को देखने का एक अलग नजरिया दिया था. कार्लोस समझदार था

ग्रुप थेरेपी के दौरान बेट्टी कार्लोस से मिली जिसे कैंसर था.

कैंसर और हिम्मतवाला काफी हिम्मत मिली थीं. इससे बैटरी को अब अपने बेतुकी बातों को आसानी से अर्विन के सामने कहने में मदद मिली. उन्होंने बेट्टी सारे घोट्स को समझने के प्रोसेस में गाइड किया. इन्ही सब बातों ने बेट्टी को अपना वेट कम करने के लिए भी एनकरेज किया. उसने एक डाइट प्रोग्राम में भी हिस्सा लिया और अपने अपार्टमेंट से सारे

खाने की चीज़ें हटा दी. वो हर हफ्ते अपना वेट कम करने लगी. आखिर में, बेट्टी 79 किलो की हो गई. अर्विन उसे इस अचीवमेंट पर बधाई देना नहीं भूले. हालांकि, बेट्टी इस बात को लेकर बहुत ही गर्व महसूस कर रही थी पर धीरे-धीरे उसका मूड खराब रहने लगा. उसका डिप्रेशन वेट घटने पर और भी ज़्यादा हो गया था. बेट्टी अब 72 किलो की हो गई थी. ये एक बहुत बड़ी जीत थी पर बेट्टी को ऐसा नहीं लगता था. वो जितने वेट की अब हो गई थी, यो उतनी ही थी जितनी सालों पहले उसके पिताजी के गुजरने के बाद थी. छोटे कपड़ों में फिट होने की खुशी ज़्यादा दिनों तक नहीं चली. बेट्टी ये भी ध्यान नहीं दे पाती थी कि अब लड़के उस पर ध्यान देने लगे थे. ये सब बातें उसके पिताजी की मौत के पीछे छिप गया

वो मरने से भी घबराती थी. बेट्टी को लगता था कि वो कभी भी मर सकती है क्योंकि उसके पिताजी भी अचानक गुज़र गए थे. अपने आखिरी दिनों में उसके पिताजी का काफी वेट घट गया था, अर्विन ने बेट्टी से कहा कि जो लोग मरने से घबराते है वो वही होते है जो अपनी ज़िन्दगी पूरी तरीके से नहीं जीते, अगर बेट्टी ने अपनी ज़िन्दगी को बेहतरीन तरीके से नहीं जिया तो वो मरने और भी ज्यादा घबराएगी,

अर्विन ने बेटी को एनकरेज किया कि क्योंकि अब वो अपनी जिंदगी के बेहतर मोड़ पर खड़ी है, मेंटली और फिजिकली दोनों ही तरीकों से, इसलिए

उसे बाहर जाकर अपनी ज़िन्दगी जीना चाहिए. दुःख की बात ये थी की बेट्टी के प्रोग्रेस को अर्विन नहीं देख पाए थे क्योंकि वो वापस न्यू यॉर्क चली गई

थी. जबकि दोनों नहीं चाहते थे कि थेरेपी ख़त्म हो पर वो तो खत्म होना ही था. बेट्टी फिर से बेचैन होने लगी. उसे लगने लगा कि अर्विन के साथ थेरेपी खत्म होने पर उसके प्रोग्रेस का कोई मतलब नहीं रह जाएगा. वो वापस अपनी पुराने आदतों में चली जाएगी, पर, अर्विन ने उसे भरोसा दिलाया कि ऐसा कुछ नहीं होगा, जो भी बदलाव और ग्रोथ उसमें आए हैं, वो थेरेपी सेशन के खत्म होने पर नहीं रुकेंगे, ये बदलाव हमेशा उसके साथ ही रहेंगे,

कन्क्लू ज़न

तो आपने थेल्मा के बारे में जाना जो अपने उन 27 दिनों में अटक कर रह गई थी जो उसने आठ साल पहले गुजारे थे, दो एक आदमी से इतना प्यार करती थी कि वो जीना ही भूल गई थी., आखिर में, थेल्मा ने सच का सामना किया और मानसिक रोगी बने रहने से खुद को रोका. आपने कार्लोस के बारे में जाना जो अक्खड़ और बड़े ही कड़वी बातें बोलने वाला आदमी था, जिसे लिंफोमा कैंसर हुआ था. वो हर औरत के साथ फिजिकल रिलेशनशिप बनाना चाहता था, थेरेपी की वजह से कार्लोस को एहसास हुआ कि वो तो मर रहा है पर इसका मतलब ये नहीं है कि उसके आखिरी बचे टाइम के कोई मायने नहीं है. उसके बच्चे थे जिनके लिए वो जी सकता है और उसका पुनर्जन्म में यकीन भी था. आपने बेट्टी के बारे में भी जाना जो एक मोटी औरत थी. वो अपना नहीं घटाना चाहती थी क्योंकि इससे उसे अपने पिताजी के गुज़र जाने की बातें याद आती थी. अर्विन, कार्लोस और गुप थेरेपी सेशन ने उसे अपने विचारों में समझदारी लाने में और अपने हेल्थ की ज़िम्मेदारी लेने में मदद की थी. कहानियाँ हमें याद दिलाती गुज़ारते. अर्विन ने इस उन तकलीफों की जो ज़िन्दगी जीने के दौरान हमें मिलते हैं. हम अपनी पूरी ज़िन्दगी बिना कोई नुकसान के नहीं इस दुनिया में हमारी मौजूदगी को तकलीफ का नाम दिया है. फिर चाहे वो अकेलेपन की वजह से हो, प्यार या किसी से करीब होने के कारण, हम तकलीफ से गुज़रते ही है. हम अपनी पूरी ज़िन्दगी बिता देते है उन चीज़ों को पाने में जो हम कभी पा नहीं सकते. सुनने में काफी गंभीर लगता है पर अ्विन के पेशेंट्स की कहानियों की तरह ही अभी उम्मीद बाकी है. आप इन लोगों की गलतियों से सीख सकते है. खुद को बेहतर बनाने के लिए बदल सकते है,

आपकी जिंदगी एक बहुत ही कमाल की चीज़ है. इसमें तकलीफ तो है पर किसी मकसद और मीनिंग से आप इस तकलीफ का सामना कर सकते हैं. अपनी जिंदगी को इस तरह जियें जिससे आप बहुत खुश रहें. उन लोगों पर अपना फोकस रखिये जो आपकी परवाह करते हैं और उन चीजों पर भी

जिनसे आपको पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा प्यार है. हर दिन उठने का कारण ढूंढिए. ताकि जब आपके जाने का वक़्त आए तो आप कह सकें मैंने जिंदगी को भरपूर जिया है”

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