
About Book
बुक आपको एक negotiation एक्सपर्टबनने के लिए गाइड करेगी. आप दूसरी पार्टी से अपने रिश्ते को नुकशान पहुंचाए बिना अग्रीमेंट तक पहुँचने के लिए होशियारी से निगोशिएट करने की स्ट्रेटेजी सीखेंगे. इसमें कई अलग-अलग स्ट्रेटेजीज के बारे में बताया गया है जिसमें अगर आपने महारत हासिल कर ली तो आप कभी भी किसी मुश्किल सौदेबाज़ी में नहीं फंसेंगे. इस तरह आप आपसी समझौते (म्यूच्यूअल अग्रीमेंट)पर पहुँच सकते हैं.
ये समरी किसे पढ़नी चाहिए?
जो लोग बिज़नेस में एक अच्छे negotiator बनना
चाहते हैं
जो लोग पॉलिटिक्स में दिलचस्पी रखते हैं और पोलिटिकल फील्ड में कैसे negotiation करना चाहिए
वो सीखना चाहते हैं
जो भी negotiation के हुनर के बारे में ज़्यादा जानना चाहते हैं
ऑथर के बारे में
रॉजर फिशर हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में लॉ के प्रोफेसर हैं. विलियमयूरी anthropologist और negotiation एक्सपर्ट हैं. वे दोनों हार्वर्ड negotiation प्रोजेक्ट के मेंबर हैं जहांवे negotiation के मुद्दों और झगड़ों को हल करने का काम संभालते हैं.
इंट्रोडक्शन(Introduction)
क्या आपने कभी कोई सौदा करते वक़्त या कोई बिजनेस डील का अग्रीमेंट करते वक़्त निगोशिएट करना या मोल भाव करना बीच में ही छोड़ा है? हम सब ये कभी ना कभी एक्सपीरियंस जरूर करते हैं जब मौजूदा आप्शन हमारी पसंद से मैच नहीं होते, तब हमें निराशा महसूस होती है और हम बीच में ही अग्रीमेंट छोड़ देते हैं. लेकिन आपसी समझौते तक पहुँचने का एक तरीका है जो दोनों ही पार्टी के लिए एक विन-विन सिचुएशन होती है. जब भी हम कुछ खरीदना चाहते हैं या कोई डील क्रैक करना चाहते हैं तो हम फेयरटम््स और प्राइस के लिए मोल भाव करने लगते हैं, उसे ही नेगोशिएशन या बार्गेन करना कहते हैं.इसमंह सबसे अहम् बात होती है पेशेस दिखाना,जब दोनों पार्टी बातचीत करते समय अपना पेंशेंस दिखाते हैं तब वो आसानी से सही डिसिशन तक पहुँच सकते हैं.इस बुक में आपसीखेंगे कि बिना हार माने या बिना पीछे हटे आप एक डील पाने के लिए कैसे प्रोफेशनली निगोशिएट कर सकते इसके अलावा आप सही स्टेप्स लेकर दूसरी पार्टीज को अपने ऑफर की ओर attract भीकर सकते हैं. तो क्या आप निगोशिएट और बातचीत करने के लिए तैयार हैं? ये बुक आपको सिखाएगी कि शांति से एक negotiator कैसे बनें और अच्छे रिलेशन बनाए रखते हुए फेयर अग्रीमेंट कैसे हासिल करें.
Don’t Bargain Over Positions
Negotiators अक्सर कोई डील निगोशिएट करते समय बीच में फंस जाते हैं, वो हमेशा आगे बढ़ने की कोशिश में लगे रहते हैं लेकिन विलियम और रॉजर के अनुसार,नेगोशियेशन जीतने के बारे में नहीं है. ये राईट अग्रीमेंट करने के बारे में है, नेगोशिएट करते समय दोनों पार्टीज अपने आप का बचाव करने की कोशिश करती हैं.
, buyer है जो एक गिफ्ट शॉप में कुछ खरीदना चाहता है. Buyer बहुत कम दाम के लिए मोल भाव करने लगता है लेकिन एग्ज़ाम्पल के लिए, एक सेलर उसके लिए राज़ी नहीं होता. सेलर नार्मल प्राइस का ऑफर देता है लेकिन buyer को लगता है कि वो अब भी महँगा है.buyer प्राइस कम करने है लेकिन सेलर नहीं मानता. वो उस प्रोडक्ट की क्वालिटी और मैन्युफैक्चरिंग प्रोसेस के बारे में बताकर कम दाम को एक्सेप्ट की कोशिश करता रहता है। करने से मना कर देता है. दोनों । लेकर बहस करने लगते हैं. इस सिचुएशन को positional bargaining कहा जाता है.ऐसी सिचुएशन में दोनों पार्टीज अपनी अपनी बात रहते हैं.
आमतौर पर इस तरह की negotiation को सही नहीं माना जाता क्योंकि ये दोनों पार्टी के बीच के रिश्ते रिश्ते को बर्बाद कर सकती है वो है उनका ईगो , वो दोनों खुद जीतने की कोशिश में लगे रहते हैं. इस प्रॉब्लम को खराब कर सकता है.जो चीज़ उनके को सोल्व करने और एक अग्रीमेंट तक पहुँचने के लिए दो तरीके हैं. उसे soft bargaining और hard bargaining कहते हैं. निगोशिएट करते वक्त सॉफ्ट negotiator किसी झगड़े में ना पड़कर आपसी समझौते जिसे म्यूच्यूअल अग्रीमेंट कहते हैं उस तक पहुँचने की कोशिश करता है. म्यूच्यूअल अग्रीमेंट उसे कहते हैं जहां एक नहीं बल्कि दोनों की पार्टी को कुछ ना कुछ फ़रायदा ज़रूर होता है.वहीं दूसरी ओर, हार्ड negotiator मोल भाव करने में अड़ा रहता है, वो कभी पीछे नहीं हटता. वो हमेशा अपने टम्म्स पर डील फाइनल कर जीतने की कोशिश करता है. आमतौर पर, सॉफ्ट negotiator दूसरी पार्टी को एक दोस्त के रूप में देखता है इसलिए इनके रिलेशन ज़्यादातर अच्छे होते हैं, ये लोग हमेशा म्यु न अग्रीमेंट पर जोर देते हैं ताकि दोनों पार्टी संतुष्ट हो सके. इससे बिलकुल उलटे, एक हार्ड negotiator दूसरी पार्टी को पूअल इसमें है इस हालत में हराना चाहता है. देखता है एक दुश्मन के रूप में अगर buyer और सेलर दोनों मोल भाव करने की ज़िद पर अड़े रहे तो यहाँ दोनों ही हार्ड bargaining का इस्तेमाल कर रहे हैं. सॉपट barganing में दोनों ही पार्टी एक ऐसे प्राइस तक पहुँचने की कोशिश करती है जहां दोनों को कोई आपत्ति ना हो. जैसे कि मान लीजिए, आपका दोस्त 500$ में अपनी बाइक बेचता है. आप उसकी बाइक लेना चाहते हैं ताकि आपको काम पर बस में ना जाना पड़े लेकिन आप 3005 से ज्यादा कर सकते.
अब इस सिचुएशन में अगर सॉफ्ट barganing हो तो आप और आपका दोस्त एक अग्रीमेंट तक पहुँचने की कोशिश करते हैं, यहाँ आए 3005 का देते हैं और अपने दोस्त को समझाते हैं कि आपको बाइक की ज़रुरत क्यों हैं और आपका दोस्त मान जाता है. अंत में आपको बाइक 3005 में मिल जाती है. इसमें आप दोनों की satisfied महसूस करते हैं क्योंकि बाइक मिलने से आपकी ज़रुरत पूरी हुई इसके साथ-साथ आपने बाइक खरीद कर अपने दोस्त की मदद भी की.
आपका दोस्त भी संतुष्ट होता है क्योंकि उसे अपनी बाइक के पैसे मिल गए और उसने आपकी भी मदद कर दी. हमें सामने वाली की सिचुएशन को समझने की कोशिश करनी चाहिए, इससे एक अग्रीमेंट तक बड़ी आसानी तक पहुंचा जा सकता है. इस केस में दोनों पार्टी ने एक दूसरेको समझने की कोशिश की और एक दूसरे के हित या इंटरेस्ट पर फोकस किया नाकि सिर्फ़ खुदकी पोजीशन पर.
Separate the People from the Problem
एक और तरीका है जो हार्ड और सॉफ्ट barganing technique से ज्यादा असरदार है. Harvard Negotiation Project में विलियम और रॉजर ने positional bargaining के लिए एक अलग मेथड डेवलप किया है. उन्होंने इसे principled negotiation या negotiation on the merits का नाम दिया जिसका मतलब होता है योग्यता के आधार पर निगोशिएट करना. इस मेथड में चार फैक्टर्स शामिल हैं,जो हैं – लोग, interest, option और criteria.
पहला फैक्टर है लोग यानी निगोशिएट करते वक्त हमें लोगों को प्रॉब्लम से अलग रखना चाहिए. ये फैक्टर हमें ये समझाता है कि हम लोगों के इमोशंस और ईगो को कैसे पहचान सकते हैं जो उस प्रॉब्लम में शामिल होते हैं जिसके लिए वो निगोशिएट कर रहे हैं. ऐसे लोग बड़ी आसानी से अपसेट और निराश हो जाते हैं. अगर हम उनके इरादे को ठीक से समझने में चूक गए तो वो हमें गलत समझ सकते हैं. ऐसे मामले में आप “hard on the problem, soft on the people” मेधड का इस्तेमाल कर सकते हैं. ये मेथड हमें सिखाती है कि अपने ईगो को शामिल किए बिना आप प्रॉब्लम को कैसे सोल्व कर सकते ये negotiation में होने वाली रालतफहमी से भी बचाता है. इसके साथ-साथ दूसरे पार्टी के साथ आपके रिश्ते को भी मजबूत करता है. तो रिश्ते को मजबूत बनाने के लिए आपको क्या करना होगा? आपको उस डील में दोनों पार्टी के हितों को देखना चाहिए और अग्रीमेंट तक पहुँचने में किसी भी तरह के झगड़े से बचना चाहिए. इसके अलावा आपको अपने इमोशन को अलग रख कर प्रॉब्लम पर फोकस करना होगा. यहाँ main चैलेंज लोगों को प्रॉब्लम से अलग करना, लोगों को लोगों से अलग करना नहीं. आइए एक एम्ज़ाम्पल से इसे समझते हैं. जॉन इलेक्ट्रॉनिक्स रिपेयर स्टोर में एक नया एम्लोई है. एक दिन,एक कस्टमर स्टोर में शिकायत लेकर आया कि रिपेयर करवाने के बावजूद उसका टीवी काम नहीं कर रहा था, तब जॉन ने उसे समझाया कि उसका टीवी बहुत पुराना हो गया था और ठीक नहीं किया जा सकता. लेकिन तब भी कस्टमर जिद पर अड़ा रहा कि टीवी को ठीक करना होगा, यहाँ तक कि उसने जॉन को धमकी दी कि वो पुलिस कंप्लेंट कर देगा.
तब जॉन ने मैनेजर को प्रॉब्लम बताई. एक हफ्ते बाद कस्टमर दोबारा स्टोर में आया. मैनेजर ने भी कस्टमर को समझाने की कोशिश की कि टीवी ठीक नहीं हो सकता और कहा कि पुलिस कंप्लेंट करना सही नहीं है. इसके बजाय उसे उनके स्टोर से कम दाम का नया टीवी खरीद लेना चाहिए. वो कस्टमर को अलग अलग टीवी दिखाने लगा और उनके फीचर के बारे में बताया. आखिर कस्टमर को कम दाम का एक टीवी पसंद आ ही गया और इस तरह ये बात आगे बढ़ने से रुक गई. इस केस में मैनेजर ने जॉन और कस्टमर दोनों को प्रॉब्लम से अलग कर दिया था.
Focus on Interests, Not Positions
अब आते हैं दूसरे फैक्टर पर जो है इंटरेस्ट, इसमें आपको दोनों पार्टी के हित या इंटरेस्ट पर ध्यान देना है नाकि उनकी पोजीशन पर. ये फैक्टर sof-bargaining approach से जुड़ा हुआ है जहां लोग अपने इंटरेस्ट पर फोकस करते हैं और अपनी पोजीशन के हिसाब से मोल भाव नहीं करते. ये फैक्टर आपको गाइड करता है कि आप लोगों की ज़रूरतों को कैसे जान सकते हैं, जब कोई समझाता है कि आपको क्या चाहिए तब जाकर दूसरे उसे समझ कर एक प्रोडक्ट आपके लिए ला सकते हैं.आइए एक एग्जाम्पल से समझते हैं. एक परिवार सैर पर निकला था. वो शहर के खूबसूरत नज़ारे को एन्जॉय कर रहे थे. उस परिवार में एक छोटा बच्चा था जी सड़क पर चाट का ठेला देख कर वहाँ खाने की ज़िद करने लगा लेकिन उसके पापा ने मना कर दिया क्योंकि उन्हें वो जगह साफ़-सुथरी नहीं लग रही थी. बच्चा ना सुनकर ज़ोर-ज़ोर से रोने लगा.तब उसकी मम्मी उसे समझाने की कोशिश करती है कि वो उसके लिए उतना ही टेस्टी डोसा घर पर बना देगी, कुछ देर बाद बच्चा मान जाता है. यहाँ कहा जा सकता है कि उसकी मम्मी ने बिना स्ट्रीट फूड खरीदे सिर्फ अपनी बातों से बच्चे की इच्छा पूरी की.
आइए एक और एग्ज़ाम्पल देखते हैं. एक कस्टमर बुकस्टोर में बुक खरीद रहा था. उसने 255 की बुक 155 में खरीदने की बात कही, लेकिन सेलर इंकार कर देता है क्योंकि वो बुक नई नई पब्लिश हुई थी. कस्टमर फ़िर भी मोल भाव करने की कोशिश कर रहा था. तब सेलर ने पूछा, “आप ये बुक क्यों खरीदना चाहते हैं? क्या ये आपकी favourite बुक है?” कस्टमर ने कहा, “हाँ, ये बुक काफी दिलचस्प है और इसकी स्टोरी लाइन कमाल की है.” ये सुनकर सेलर ने कहा, मेरे पास इस बुक की चार seguel है. इ के ऑथर ने इस साल चार बुक्स पब्लिश की हैं. रुकिए मैं आपको दिखाता स बुक हूँ.” उसने चारों बुक्स कस्टमर को दिखाते हुए कहा, अगर आप चारों बुक्स खरीदते हैं तो मैं एक बुक 20$ पर देने के लिए तैयार हूँ’ इस ऑफर से कस्टमर खुश हो गया उसने चारों बुक्स में . इस डील से दोनों कस्टमर, र खुश भी थे
Invent Options for Mutual Gain
अब आते हैं तीसरे फैक्टर पर जो है आप्शन. ज़्यादातर डील तभी फाइनल होती है जब उसमें दोनों पार्टी का कुछ ना कुछ फ़ायदा हो यानी म्यूच्यूअल गेन. अक्सर इस गेन को हासिल करने के लिए पार्टी कई सारे आध्शन देती है. हालांकि, विलियम और रॉजर का मानना है कि निजी स्वार्थ, समय से पहले किसी डिसिशन पर पहुँच जाना या सिर्फ हाँ सुनने की ही आशा लगाए रखना आपको इस म्यूच्यूअल गेन तक पहुँचने से रोक सकती है.
प्रॉब्लम तब खड़ी होती है जब आप दूसरी पार्टी को इन्फॉर्म किए बिना आप्शन को बड़ी जल्दी जज कर लेते हैं या जब आप सिर्फ एक ही बात के लिए सहमत होते हैं और आप्शन को आगे नहीं बढ़ाना चाहते.
क्रिएटिव आप्शन्स की खोज करने के लिए, विलियम और रॉजर का कहना है कि पहले आपको आप्शन को इंवेंट करने के काम को आप्शन को जज करने के काम से अलग करना चाहिए. दूसरा, negotiator को आध्शन को टाइट रखने के बजाय उसे फ्लेक्सिबल और खुला रखना चाहिए ताकि आसानी से कुछ ना कुछ बदलाव किये जा सकें.तीसरा, उन्हें म्यूच्यूअल गेन के रास्ते खोजने चाहिए. चौथा, आसानी से एक डिसिशन तक पहुंचा जा सके उन्हें ऐसा तरीका सोचना चाहिए. म्यूच्यूअल गेन क्रिएट करने के ये चार स्टेप हैं,आइए एक एग्ज़ाम्पल से समझते हैं.
दो पड़ोसियों के बीच अन बन चल रही थी,जूलिया का एक छोटा बच्चा थाऔर मेसन के पास एक पालतू कुत्ता. ये दोनों ही घर के पीछे वाले आगन में खेला करते थे. दोनों के आंगन के बीच कोई दीवार नहीं थी. इसलिए जूलिया और मेसन को हमेशा वहाँ कुछ ना कुछ चीज़ें पड़ी हुई मिलती थीं जैसे बच्चों के खिलौने, लकड़ी के डंडे वगैरह वगैरह वो दोनों इस बात पर चर्चा कर रहे थे कि बच्चे और कुत्ते दोनों को एक दूसरे के आँगन में सामान छोड़ने से कैसे रोका जाए. जूलिया ने कहा, “आप अपने कुत्ते को पिंजरे में बंद करके क्यों नहीं रखते?” लेकिन मेसन ने मना कर दिया और कहा, “मैं अपने कुत्ते को कैद करके
नहीं रख सकता. इससे वो स्ट्रेस में आ जाएगा और बोर भी होगा.” फ़िर मेसन ने कहा, “मुझे लगता है कि आपको अपने आँगन में बच्चे के खेलने के लिए एक छोटा सा प्लेग्राउंड बनाना चाहिए.” जूलिया ने कहा, “ये तो बहुत ही अच्छा आईडिया है. लेकिन इसे बनाने के लिए काफी पैसों की ज़रुरत होगी और पैसे बचाने में लंबा समय लग जाएगा.” थोड़ा सोचकर मेसन ने दोबारा कहा, “अगर हम दोनों मिलकर अपने आँगन के बीच एक दीवार खड़ी कर लें तो कैसा रहेगा? तब आपका बेटा मेरे आँगन में आकर अपने खिलौने नहीं छोड़ेगा”. जूलिया इसके लिए राजी हो गई ये तो कमाल का आईडिया है. ऐसा करने से आपका कुत्ता मेरे आँगन में अपना खाना नहीं छोड़ेगा.” इस बात के लिए दोनों ही राजी थे. इस तरह अंत में प्रॉब्लम सोल्व हो गई और अन बन ख़त्म होने से दोनों अच्छे पड़ोसी बन गए थे.
Insist on Using Objective Criteria
अब आते हैं चौथे फैक्टर पर जो है क्राइटेरिया, एक negotiator ऑब्जेक्टिव क्राइटेरिया का इस्तेमाल करने पर ज़ोर देता है, आमतौर पर एक negotiator positional bargaining द्वारा प्रॉब्लम को सोल्व करने की कोशिश करता है, अपनी मर्जी को ऊपर रखने की इस लड़ाई से बचने के लिए इस मेधड को बदलना होगा. दोनों पार्टी को जीत हासिल करने के लिए एक दूसरे को अटेक नहीं करना चाहिए. इसलिए इस मर्जी की लड़ाई को किसी फेयरस्ट्रेण्डर्ड से बदलना होगा.इसे अवसर objective criteria कहा जाता है. लेकिन objective criteria का इस्तेमाल क्यों करें? जो negotiator objective criteria का इस्तेमाल करते हैं वो टाइम को बड़े अच्छे से मैनेज करते अड़े रहने के बजाय पॉसिबल स्टैण्डर्ड और solution के बारे में बात करते हैं, हैं वो अपने
विलियम और रॉजर का कहना है किobjective criteria का इस्तेमाल खुलेपन को बढ़ावा देता है. ये प्रिंसिप्ल के बेसिस बात मानने को बढ़ावा देता है नाकि प्रेशर के बेसिस पर,जब आप objective criteria का इस्तेमाल करना चाहते हैं तो आपको तीन बातों को समझना होगा.पहला, आपको हर प्रॉब्लम को objective criteria के जॉइट सच के रूप में देखना होगा. दूसरा, प्रिंसिपल पर फोकस करें, प्रेशर पर नहीं,तीसरा, सुझाव नेने के दिमाग को खुला रखें. लिए अपने
एग्ज़ाम्पल के लिए, एक एम्प्लोई HR डिपार्टमेंट के साथ सैलरी के बारे में बातचीत कर रहा है, HR स्टाफ़ ने पूछा, “आप इस कंपनी में कितनी सैलरी की उम्मीद कर रहे हैं?” कडिडेट ने कहा, “मुझे इस कंपनी से 60,000 5 सैलरी की उम्मीद है.” जवाब सुनकर HR स्टाफ़ ने कहा, ” कंपनी आपको 40,000 5 तक दे सकती है. आपका क्या कहना है?” उसने ये भी कहा कि सैलरी कंपनी के स्टैण्डर्ड और policy के अनुसार थी. कैंडिडेट ने एक बार फिर ऑफर दिया, “मुझे लगता है कि कंपनी 45,000 5 दे सकती है. इस बारें में आप क्या कहेंगे? इस फील्ड में मुझे पांच सालों का एक्सपीरियंस है और इस पोजीशन के लिए मेरे पास वो सारे स्किल्स हैं जिसकी ज़रुरत पड़ने वाली है,” जवाब सुनकर HR स्टाफ़ ने उसके ऑफर को एक्सेप्ट कर लिया और प्रॉब्लम सोल्य हो गई,
What if they are more powerful?
(Develop your BATNA-Best Alternative to a Negotiated Agreement) अब आप दूसरी पार्टी को अटैक किए बिना निगोशिएट करने के लिए ऊपर बताई गई का इस्तेमाल
्ट्रेटेजीज
कर सकते हैं. लेकिन क्या होगा अगर सामने
वाली पार्टी की bargaining पोजीशन ज़्यादा मज़बूत हुई और आप किसी अग्रीमेंट तक पहुँचने में फेल हो गए तो? कभी-कभी सामने वाली पार्टी की bargaining पोजीशन हमसे ज़्यादा स्ट्रोंग होती है और हम अपना ऑफर आगे ही नहीं रख पाते. तो ऐसी सिचुएशन में क्या आप हार मान लेंगे?
नहीं, ऐसा मत कीजिएगा क्योंकि हम आपको इसका एक हल बताने वाले हैं. व इस केस में आपको अपना BATNA या Best Alternative to a Negotiated Agreement को डेवलप करना होगा. ये आधकी अब negotiating पॉवर को बेहतर बनाने में काम आएगा. ये एक negotiator के पास मौजूद एसेट का ज़्यादा से ज्यादा फ़ायदा उठाने में भी मदद
करेगी, इसलिए वो जो भी अग्रीमेंट करेगा, उसका इंटरेस्ट ज़्यादा ज्यादा पूरा हो पाएगा और वो ज्यादा संतुष्ट भी होगा, आइए इसे लिली की कहानी से समझते हैं.
लिली एशली का लैपटॉप खरीदना चाहती है, एशली ने उसे 6,000 डॉलर में बेचा.लिली को वैसा ही लैपटॉप ऑनलाइन स्टोर में सिर्फ 3,000 डॉलर में मिला. यहाँ हम देख सकते हैं कि लिली का BATNA 3,000 डॉलर है. अगर एशली कम दाम ऑफर नहीं करता तो लिली को एक बेहतर डील खोजनी चाहिए. अगर एशली अब भी 6,000 डॉलर या उससे ज़्यादा का ऑफर देता है तो लिली को एक सेम लैपटॉप ढूँढ़ना चाहिए जिसकी कीमत 3,000 डॉलर से ज़्यादा ना हो. एशली शायदअपना लैपटॉप 5,000 डॉलर में किसी और को बेच सकता है, इसका मतलब है कि एशली का BATNA 5,000 डॉलर है. इसलिए लिली और एशली के बीच कोई अग्रीमेंट नहीं हो पाया. दयोंकि एशली इसे कम से कम 5,000 डॉलर में बेचना चाहता है जबकि लिली इसे ज्यादा से ज़्यादा 3.000 डॉलर में खरीदना चाहती है. अगर एशली अपने लैपटॉप को किसी इलेक्ट्रॉनिक स्टोर में बेचता है और दुकान का मालिक उसे 4,000 डॉलर का ऑफर देता है तो दोनों पार्टी एक अग्रीमेंट पर पहुँच सकते हैं, प्राइस रेंज 4,000 डॉलर से 3,000 डॉलर होगी, एशली अगर अपना लैपटॉप दुकान में 4,000 डॉलर में बेचेगा तो लिली उसे स्टोर से 3,000 डॉलर में खरीदेगी. दोनों ने अपना BATNA या Best Alternative toa Negotiated Agreement का इस्तेमाल किया. इस तरह की डील में दोनों को वही मिला जो वो चाहते थे.
What If they won’t play? (Use Negotiation Jujitsu)
कभी-कभी ऐसी सिचुएशन भी होती है जब सामने वाली पार्टी आपके ऑफर में इंटरेस्टेड ही नहीं होती. कभी-कभी तो वो आपके ऑफर को अटैक भी कर देते हैं. फिर आप इस प्रॉब्लम को कैसे सोल्व करेंग? दूसरे पार्टी को principled negotiations अप्लाई करने के लिए encourage करने के तीन तरीके हैं.
पहला, आपको इस बात पर फोकस करना है कि आप क्या कर सकते हैं. अभी हमने देखा था कि आपको अपने इंटरेस्ट का ध्यान रखना है नाकि पोजीशन का, लेकिन अगर ये काम नहीं करता तब क्या होगा? इसका मतलब है कि आपको इस बात पर फोकस करना होगा कि सामने वाली पार्टी क्या कर सकती है. ये स्ट्रेटेजी उनके ख़ुद के इंटरेस्ट पर फोकस कर positional bargaining को अटैक कर सकती है. इस स्ट्रेटेजी को दया negotiation jujitsu कहते हैं.अगर ये फ़िर भी काम नहीं किया तो ? तब हमें लास्ट एप्रोच इस्तेमाल करना होगा जिसमें आपको किसी थर्ड पार्टी की मदद लेनी होगी. आइए एक एग्ज़ाम्पल से समझते हैं.
1990 के समय में एक स्टार्ट अप कंपनी Soros capital fund से 10 मिलियन $ की फंडिंग लेने की कोशिश कर रही थी लेकिन स्टार्ट अप फाउंडर अग्रीमेंट हासिल करने में ऑफर दिया गया था लेकिन कामयाब नहीं हुआ. नौ महीने बाद, स्टार्ट अप ने दोबारा नेगोशिएशन की शुरुआत की जिसमें 1.25$per शेयर का Soros capital 0.50% per शेयर की ऑफर के लिए तैयार था, स्टार्ट अप ने दूसरे फडर्स को खोजने का फ़ैसला किया लेकिन उसे कहीं भी सफलता नहीं मिली, बाद में, स्टार्ट अप के फाउंडर ने Soros capital की पोजीशन पर गौर करने के बारे में सोचा. उन्होंने महसूस किया कि Soros capital शायद अब भी उनकी कपनी पर डाउट कर रहा था, उन्हें अब अभी उन पर फुल कांफिडेंस नहीं था.
अब स्टार्ट अप के फाउंडर ने प्रॉब्लम को सोल्व करने के लिए ऑफर को चार स्टेज में ब्रेक किया जो था हर स्टेज में परफॉरमेंस टारगेट मिलियन $. अब की बार Soros capital fund को प्रपोजल पसंद आया और उन्होंने 25 मिलियन 5 इंवेस्ट कर दिए. शर्त ये थी कि अगर स्टार्ट के साथ 2.5 अप अपना टारगेट अचीव कर लेता है तो Soros capital fund दोबारा इंवेस्ट करेगा. अब हम थर्ड पार्टी के रोल को समझेंगे. एक कपल था जो अलग हो गया था. बच्चे को माँ के साथ रहने के लिए कहा गया था और अब उसके पिता अपने बच्चे की कस्टडी चाहते थे, लेकिन उसकी पत्नी ने इंकार कर दिया क्योंकि वो अपने बच्चे के साथ रहना चाहती थी. लेकिन वो आदमी अब भी खुद कस्टडी लेने की बात पर जोर दे रहा था क्योंकि उसकी पत्नी के पास बच्चे के लिए समय ही नहीं था, एक फेयर डिसिशन तक पहुँचने के लिए दोनों ने एक लॉयर की मदद लेने का फैसला किया. क्योंकि वो दोनों इस मुद्दे का कोई हल नहीं निकाल पा रहे थे उन्हें एक थर्ड पार्टी को इसे सुलझाने के लिए शामिल करना पड़ा.
What If They Use Dirty Tricks? (Taming the Hard Bargainer)
कई लोग negotiation करते वक्त कई तरह के पैतरों का इस्तेमाल करते हैं. वो छल कपट से आपको धोखा देकर फ़ायदा भी उठा सकते हैं. वो आपसे झूठ बोल सकते हैं, मेंटली परेशान कर सकते हैं या फिर प्रेशर की स्ट्रेटेजी का इस्तेमाल भी कर सकते हैं. इस तरह की ट्रिकी सौदेबाज़ी के द्वारा हार्ड bargainer दूसरी पार्टी को डील अपनी शर्तों पर करने के लिए मजबूर कर देता है. इस ट्रिकी सौदेबाज़ी से
के लिए negotiation के तीन तरीके हैं. पहला, आपको दूसरी पार्टी के पेतरों और स्ट्रेटेजी को पहचानना होगा. दूसरा, आपको साफ़-साफ़ जो बचने के डीलर आपको 2.00,000 $ के घर का ऑफर देता है. लेकिन मार्केट में उस घर की actual कीमत 4,00,000 $ है. इसका मतलब है कि एजेंसी आपके साथ कोई चाल चल रही है. इस चाल का जवाब देने के लिए, आपको घर खरीदने का डिसिशन लेने से पहले अपने BATNA पर गौर करना होगा. आपको डीलर के ऑफर का मुकाबला करने के लिए कोई ना कोई इनफार्मेशन देनी होगी औरउसे आपके सवालों का जवाब देना होगा. अगर वो नहीं दे पाया तो समझ जाइए की दाल में कुछ काला है.
मुद्दा है उसे सामने रखना होगा. तीसरा, आपको बारीकी और गौर से उस स्ट्रेटेजी को समझना होगा. एक ट्रिक ये भी है कि आमतौर पर एक negotiator हाई या लो प्राइस की ऑफर से डील की शुरुआत करता है. एग्ज़ाम्पल के लिए, एक प्रॉपर्टी
कन्क्लू जन (Conclusion)
तो आपने निगोशिएट कैसे किया जाता है वो सीखा. फेयर तरीके से नेगोशिएट करके ना तो आप दूसरी पार्टी को नुकसान पहुंचाते हैं और ना ही आपको अपनी शर्तों को छोड़कर दूसरों की शर्त पर बेमन और मजबूरी में अग्रीमेंट करना पड़ता है. आपनेसॉफ्ट और हार्ड -bargaining approach के बारे में सीखा, आपने principled negotiations और उसके चार फैक्टर्स के बारे में भी जाना. ये चार फैक्टर हैं – लोग, इंटरेस्ट, आप्शन और
criteria, आपने अपनी नेगोशिएशन पॉवर को बढ़ाने के लिए BATNA या Best Alternative to a Negotiated Agreement को इस्तेमाल करना भी सीखा. आपने ये भी सीखा कि मुश्किल सौदेबाजी से कैसे बचें, आपको उन स्टेटेजीज को गौर से समझने की ज़रुरत है जो दूसरे negotiator इस्तेमाल करते हैं ताकि आप उसमें फंसने से बच सकें.
हर कोई एक negotiator बन सकता है. अगर आप principled negotiations के चारों फैक्टर्स को अप्लाई करेंगे तो आप हमेशा एक ऐसे अग्रीमेंट पर पहुंचेंगे जहां दोनों पार्टी का हित छुपा होगा. आपको विश्वास होना चाहिए कि सब कुछ पेशेंस के साथ किया जा सकता है ख़ासकर negotiation के मामले में, आपसी समझौते तक पहुँचने का राज पेशेंस में छुपा है, अपने ईगो और घमंड को साइड में रख दें, आपको सामने वाले की बात समझने की भी कोशिश करनी होगी,अगर आप ऐसा करते हैं तो ना सिर्फ आपको एक अच्छी डील मिलेगी बल्कि आप दूसरी पार्टी के साथ अच्छे रिलेशन भीबना पाएँगे.