About Book
आपके हिसाब से ज्यादा पावरफुल, लॉजिकल लेफ्ट ब्रेन है या क्रिएटिव राईट ब्रेन है? इस बुक में, आप सीखेंगे कि डिजिटल युग में दुनिया कैसे बदल गई है। लेफ्ट ब्रेन के थिंकर्स का काम अब कंप्यूटर के ज़रिए ज्यादा इफेक्टिवली किया जा सकता है। यही कारण है कि राईट ब्रेन के थिंकर्स भविष्य को रूल करेंगे। अगर आप अपनी ज़िन्दगी में ज्यादा क्रिएटिविटी, सिम्फनी, एम्पथी, मीनिंग और अच्छी स्टोरीज़ चाहते हैं, तो इस बुक को पढ़ें।
इस समरी को किसे पढ़ना चाहिए?
एंप्लाइज और मैनेजर
एडवरटाइजर और बिजनेसमैन
डॉक्टर और लॉयर
आर्टिस्ट, राइटर, फिल्ममेकर और क्रिएटिव लोगों को
ऑथर के बारे में
डैनियल पिंक बिजनेस और ह्यूमन बिहेवियर पर लिखी गई कई किताबों के बेस्ट सेलिंग ऑथर हैं। वह नेशनल जियोग्राफिक टीवी शो “क्राउड कंट्रोल” के होस्ट और को प्रोड्यूसर भी हैं। उनके आर्टिकल और essay द न्यूयॉर्क टाइम्स और हार्वर्ड बिजनेस रिव्यू जैसे बड़े पब्लिकेशन में पब्लिश हुए हैं।
इंट्रोडक्शन
क्या आपने यह गौर किया कि आज हम जिस दुनिया में रहते हैं उसमें बहुत सारी क्रिएटिविटी की जरूरत है? क्या आपने नए ग्रेजुएट्स को बेरोज़गारी और काम में खराब परफॉरमेंस के कारण स्ट्रगल करते हुए देखा है? और क्या आप किसी ऐसे इंसान को जानते हैं जिसने स्कूल बीच में ही छोड़ दिया था
लेकिन आगे चलकर बहुत सक्सेसफुल इंसान बन गया? ऐसा क्यों है? हमारे अभी के समय में, राईट ब्रेन बढ़ रहा है और इसके साथ R-डायरेक्टेड थिंकर हैं। दूसरी ओर L-डायरेक्टेड थिकर कम हो रहे हैं। इस बुक में, आप
R-डायरेक्टेड और L-डायरेक्टेड धिंकर्स के बीच फ़र्क को और यह अभी समाज को कैसे अफेक्ट कर रहा है, यह जानेंगे। L-डायरेक्टेड थिंकर लेफ्ट ब्रेन को यूज करते हैं, जो लॉजिकल और ऐनलिटिकल है। दूसरी ओर, R-डायरेक्टेड धिंकर्स के पास एक एक्टिव राईट ब्रेन है जो क्रिएटिव, imaginative और लॉन्ग टर्म की चीज़ों को देखना ज़्यादा पसंद करता है।
यहाँ, आप सीखेंगे कि । डायरेक्टेड थिंकर्स पीछे रह गए हैं क्योंकि उनकी जगह अब पावरफुल सॉफ्टवेयर से काम लिया जा रहा है जो सोचने में तेज़ और ज़्यादा सटीक हैं।
स बुक में, आप यह भी जानेंगे कि R डायरेक्टेड थिंकर बढ़ रहे हैं क्योंकि उनमें क्रिएटिव सेंसेस हैं जो कंप्यूटर मे नहीं हैं। ये उन्हें वैल्यूबल बनाता है और उनकी मांग बढाता है। सक्सेसफुल कंपनीज़ भी R- डायरेक्टर थिंकर्स को हायर करना चाहती हैं। आप होल न्यू माइंड के सेंसेस को जानेंगे, जो कि सिम्फनी यानी एक सामान होना या एकता, दया, कहानियाँ और मतलब हैं ये फैक्टर्स एक साथ इंडिकेट करते हैं कि फ्यूचर राईट ब्रेन वालों का है।
सौभाग्य से, कोई भी R-डायरेक्टेड थिंकर बन सकता है। ये आसान नहीं है, लेकिन यह बुक आपको उन क्वालिटीज़ की और गाइड करेगी, जिन्हें, आपको राईट ब्रेन वाला बनने के लिए, अपने अंदर लाना होगा। क्या आप इस डिजिटल युग में कामयाब होना चाहते हैं? यह बुक आपको बताएगी कि कैसे जहाँ दूसरे फेल हो रहे हैं, वहाँ सक्सेसफुल होना है और आप आखिरकार इस मॉडर्न वल्ल्ड में केसे फिट हो सकते हैं।
राइट ब्रेन राइज़िंग(RIGHT BRAIN RISING) पिछले दशकों में, L-डायरेक्टेड थिंकर समाज में सबसे बेस्ट रहे हैं। ये वो शानदार दिमाग हैं जो मौजूद जानकारी को गहराई और एक्सपर्ट तरीके से
इस्तेमाल करते हैं। लेकिन फ्यूचर बदल रहा है और कुछ खास तरह के लोगों के लिए जगह बना रहा है, जो हैं R-डायरेव्टेड थिंकर। ये क्रिएटिव लोग
हैं, इंवेंटर्स, डिजाइनर, स्टोरी कहने वाले, आर्टिस्ट, दो लोग जो छोटी छोटी बातों को देखने के बजाय लॉन्ग टर्म के बारे में सोचते हैं। हमारा ब्रेन जटिल है। म ये बहुत पहले से जानते हैं कि ब्रेन दो हिस्सों में बँटा हुआ है। कुछ समय पहले तक, सभी साइंटिस्ट सहमत थे कि ब्रेन का । शुरूआती ब्रेन डेवलपमेंट स्टेज के बाद बचा हुआ हिस्सा है।
लेफ्ट हिस्सा सबसे इंपॉर्टेंट है, और यह हमें इंसान बनाता है। वहीं दूसरी ओर, राईट हिस्सा लेफ्ट साइड को ज़्यादा इम्पोर्टेन्ट माना गया है क्योंकि यह रैशनल, लॉजिकल ऐनलिटिकल है।
लेकिन 1950 में ब्रेन को लेकर हमारी समझ गलत साबित हुई। एक्सपर्ट न्यूरोलॉजिस्ट रोजर डब्ल्यू स्पेरी (Roger W. Sperry) ने मिर्गी के मरीजों स्पेरी ने इन लोगों को देखा, और उन्होंने उनके व्यवहार में एक बड़ा बदलाव देखा। इससे उन्होंने नतीजा निकाला कि ब्रेन का राईट हिस्सा, जिसे मुर्ख और मानसिक रूप से सुस्त माना जाता था, वह कुछ खास काम को ज्यादा अच्छे से कर सकता है। स्पेरी ने कहा कि राईट ब्रेन लेफ्ट ब्रेन के मुकाबले कमजोर नहीं बल्कि वह अलग तरह से सोचता है। तो, यह दो ब्रेन और सोचने के दो तरीके होने जैसा था। लेफ्ट हिस्सा रीज़निग समझता है, लेकिन राईट हिस्सा पैटर्न को पहचानता है, भावनाओं और अनकहे संकेतों की समझता है। स्पेरी ने इस खोज के लिए
पर स्टडी किया। इन पेशेंट्स में ब्रेन के दो हिस्सों को जोड़ने वाली नसें, कॉर्पस कॉलोसम (corpus callosum) नहीं थी। यह सोचा गया कि इन पेशेंट्स की कॉर्पस कॉलोसम को हटाने से उनके मिरगी के दौरे ठीक हो जाएंगे। इसलिए, उन्हें बटा हुआ दिमाग यानी स्प्लिट ब्रेन कहा जाता था।
पीस प्राइज भी जीता 1979 में, एक आर्ट इंस्ट्रक्टर, बैटी एडवर्ड्स (Betty Edwards ) ने एक बुक लिखी जिसका नाम था Drawing the Right Side of the Brain | उसने रोजर स्पेरी की खोज को स्टडी किया और आम लोगों के लिए इसे समझना आसान बना दिया। बेटी ने ब्रेन के राईट हिस्से से सोचने के कांसेप्ट को ज्यादा पॉप्युलर बना दिया।
नोबेल
वो इस बात से सहमत नहीं थी कि कुछ लोगों में आर्टिस्टिक काबिलियत नहीं हो सकती। बेटी ने कहा कि drawing करना मुश्किल नहीं है। हमें सिर्फ अपने लेफ्ट ब्रेन की सोच को शांत कर, राईट ब्रेन को अपना काम करने देना है। इस तरह, हम आर्ट को देखकर उसकी तारीफ़ कर सकते हैं।
लेफ्ट हिस्सा लॉजिकल सोच को हैंडल करता है जबकि राईट हिस्सा बड़ी दुनिया के बारे में सब कुछ जानता है। जब दोनों हिस्सों को एक साथ पूरी
तरह से काम मे लाया जाता है, तो रिज़ल्ट्स बहुत अच्छे होते हैं। लेकिन जब कोई इंसान सिर्फ एक से काम करता है और दूसरे को अलग रख देता है, तो
उसके परफॉर्मेंस में कमी होती हैं। होता है। जो लोग लॉजिकली और step by step सोचते हैं वे इंजीनियर और लॉयर बनते हैं, जबकि जो लोग पूरे चीज़ को देखकर और नेचुरल रूप से सोचते हैं वे इवेंटर, एंटरटेनर और काउंसलर बन जाते हैं। पहली तरह की सोच को L-डायरेक्टेड थिंकिंग कहा जाता है, और दूसरा R-डायरेक्टेड थिंकिंग है। L लेफ्ट ब्रेन को दिखाता है, जबकि R राईट ब्रेन को।
पिछले दशकों में, L-डायरेक्टेड थिंकर अपने एक्स्ट्राऑर्डिनरी काम के लिए अवार्ड जीत रहे थे, और वे अक्सर सोचते थे कि राईट हिस्सा लेफ्ट हिस्से
को पूरा करता है। लेकिन डिजिटल युग में, चीजें बदल रही हैं। R-डायरेक्टिंग सोच तय कर रही है कि हम फ्यूचर में कहाँ जा रहे हैं और हम वहाँ केसे पहुँचेंगे। आज, कई इंडस्ट्रीज़, जैसे बिज़नेस, मेडिसिन और लॉ, R-डायरेक्टेड सोच को यूज़ कर रहे हैं। लेफ्ट ब्रेन लॉजिक और एनालिसिस अब काफी नहीं हैं। अब लोग, राईट बेन की काबिलियत जैसे तालमेल, दया, मीनिंग और स्टोरीटेलिंग, की मांग कर रहे हैं। इसके कारण, R-डायरेक्टेड सोच रखने वाले लोग फ्यूचर में कामयाब होंगे।
होल न्यू माइंड के सेंसेस: (THE SENSES OF THE WHOLE NEW MIND:) सिम्फनी(SYMPHONY)
आगे आने वाले चैप्टर में, हम राईट ब्रेन के क्रिएटिव सेंसेस को डिस्कस करेंगे। वे हैं सिम्फनी,एम्परथी, मीनिंग और स्टोरी। साथ में, यें अपने साथ एक पूरा नया ब्रेन यानी होल न्यू माइंड लेकत आते हैं जिसकी हमें इस डिजिटल युग में आगे बढ़ने के लिए ज़रूरत है। आइए एक-एक करके इन कमाल के सेंसेस को डिस्कस करें।
M क्या आपने कभी orchestra परफॉर्मेंस देखा है? क्या आपने देखा है कि किस तरह अलग अलग ग्रुप, अलग अलग नोट्स और म्यूजिकल इंस्टरमेंट, को एक साथ मिला कर एक बहुत अच्छी धुन बनाते हैं? इसे हम सिम्फनी कहते हैं। सिम्फनी का मतलब अलग-अलग हिस्सों को मिलाना और उन्हें एक साथ काम करवाना है, ना कि उन्हें अलग अलग करके ऐनलाइज़ करना। जब आप
एक जवाब ढूँढने के बजाय दो बिलकुल अलग-अलग चीजों को आपस में जोड़ते हैं और उनके कॉमन पैटर्न को देखते जब आप कुछ नया इवेंट करने के लिए दो अलग-अलग एलिमेंट्स को मिलाते हैं, तो यह भी सिम्फनी है।
हैं, तो इसे सिम्फनी कहा जाता है।
जो लोग इस डिजिटल युग में सफल होना चाहते हैं उन्हें सिम्फनी की ज़रूरत है। उन्हें अलग अलग कॉन्सेप्ट में समानता खोजना सीखना चाहिए। उन्हें पता होना चाहिए कि कुछ नया बनाने के लिए अलग अलग आइडियाज़ को कैसे जोड़ा जाए। 1970 में, हर्शी फूड कॉर्प (Hershey Food Corp) TV पर एक ऐड के साथ आए, जिसमें उन्होंने R- डायरेक्टेड सौच और सिम्फनी को यूज़ किया था। ad में, एक आदमी चॉकलेट खाते हुए रास्ते के किनारे सपने देखता हुआ चल रहा था दूसरी ओर से एक और आदमी पीनट बटर खाते हुए आ रहा था।
दोनों आदमी एक दूसरे से टकराते हैं। पहला आदमी शिकायत करता है, “अरे, तुमने मेरी चॉकलेट पर पीनट बटर मिला दिया।” फिर दूसरा आदमी बोलता है, “तुमने भी मेरे पीनट बटर में चॉकलेट मिला दिया। दोनों आदमी पीनट बटर मिला हुआ चॉकलेट खाते हैं, और वे चकित हो जाते हैं कि का आइडिया दो मौजूदा आइडिया को
उसका टेस्ट कितना अच्छा हो गया है। आदमियों को एहसास होता है कि कुछ एक्स्ट्राऑर्डिनरी बन गया है। R डायरेक्टेड थिंकर ऐसे सिंपल कॉम्बिनेशन के पीछे के साइंस को समझते हैं। कई मामलों में, सबसे कमाल मिलाकर बनता हैं, जो पहले किसी ने नहीं सोचा था। और यह एक ऐसी खूबी है जो सिर्फ दिमाग का राईट हिस्सा ही कर सकता है। डिजिटल युग एक इंसान को आगे बढ़ने के लिए, इस तरह की काबिलियत की मांग करता है।
कंप्यूटर और इंटरनेट से पहले, बारीकी से जांच करने की काबलियत के कारण जानकार लोग ज़रूरी थे । इस डिजिटल युग में, मशीनों ने इनमें से कई लोगों की जॉब ले ली हैं। उनका काम अब पावरफुल सोफ्टवेयर की मदद से मिनटों में हो जाता है। इसलिए अब जो कंप्यूटर नहीं कर सकता जो हो गया है सिम्फनी उनमें से एक है। वेल्यूबल हो गया है।
ज्यादातर एम्प्लॉयर्स ऐसे लोगों की खोज में रहते हैं जिनमे सिम्फनी है। stereo के पार्ट बनाने वाली कंपनी के सीईओ सिडनी हरमन, एमबीए की डिग्री वाले लोगों को नौकरी पर नहीं रखना चाहते। इसके बजाय, वो कहते हैं, मैं चाहता हूं कि कुछ poet यानी कवी मैनेजर बने क्योंकि पोएट मे सिम्फनी होती है, वे डिजिटल थिंकर हैं। वे नए आइडिया के लिए लॉजिक पर नहीं बल्कि इमैजिनेशन और क्रिएटिविटी पर भरोसा करते हैं। डिस्लेक्सिया एक ऐसी कंडीशन है जिसमें इंसान पढ़ने की कोशिश करता है लेकिन सारे alphabet एक दूसरे से मिक्स हुए नज़र आते हैं और शब्दों को प्रोसेस करना मुश्किल होता है। यह लिनीअर सिक्वेन्शल लेफ्ट ब्रेन की धिंकिंग में किसी दिक्कत के कारण होता है। हालांकि, न्यूरोलॉजिस्ट ने पता
लगाया कि डिस्लेक्सिक लोगों में बहुत अच्छी प्रॉब्लम सॉल्विंग स्किल होती है। यह इसलिए है क्योंकि उनका राईट ब्रेन ज्यादा अच्छे से काम करता है। यही कारण है कि डिस्लेक्सिक लोगों में अभी भी लीडर और मैनेजर बनने की बड़ी पोटेंशियल है।
एम्पथी(EMPATHY)
एम्पथी अपने आप को किसी और की जगह रख कर सोचने की खूबी है कि वे कैसा फील करते हैं। लेकिन यह सिर्फ उस इंसान के लिए बुरा फील करना नहीं है, बल्कि इन फीलिंग्स को उनके साथ बांटना भी है। पहले, एम्पधी या सहानुभूति सिर्फ नरम दिल होने की निशानी थी जो जरूरी नहीं थी क्योंकि लोगों का सख्त होना अच्छा माना जाता था। लेकिन अभी, R- डायरेक्टेड धिंकर की मांग है जो दूसरों के एक्सप्रेशन को समझ और पढ़ सकते हैं। जब प्रेसिडेंट बिल क्लिंटन ने कहा, “मैं आपका दर्द महसूस कर रहा हूँ,” तो कई लोग उनके क्रिटिक बन गए। उन्होंने कहा कि प्रेसिडेंट ने कायरों वाला काम किया है। अमेरिकी लोग प्रेसिडेंट को लॉजिकली और स्ट्रेटेजिक तरीके से सोचने के लिए पैसा देते हैं, हमदर्दी जताने के लिए नहीं। एक प्रेसिडेंट को
-डाइरेक्टेड थिंकर होना चाहिए।
यहाँ तक कंपनीज़ भी। डायरेक्टेड सोच पर आगे बढ़ती है। पहले, हाईटेक कंपनीज़ के नॉलेज वर्कर्स की, सिचुएशन को एनालाइज करने में और इस तरह से फैसले लेने की ज़रूरत थी जिसमें भावनाएं शामिल ना हों। यह एक तरफ़ा सोच बहुत ही सीमित है। आज, कंपनी एक अलग नज़रिया अपना रही हैं।
जब प्रेसिडेंट क्लिटन ने वो सहानुभूति भरे शब्द कहे, L-डाइरेक्टेड सोच से R-डायरेक्टेड सोच में यह बदलाव तब साफ़ दिखाई दे रहा था।
इंटेलेक्चुअल एबिलिटी से ज्यादा इमोशनल एबिलिटी को ज्यादा पसंद किया जा रहा है। पिछले दो दशकों में टेक्नोलॉजी में बहुत ज्यादा उन्नति हुई है। टेक्नोलॉजी ने इंसानों के बहुत से काम संभाल लिए हैं क्योंकि वे ज्यादा एफिशिएंट हैं। मशीनें मिनटों में बड़े कैलकुलेशन कर सकती हैं। लेकिन वो एक काम नहीं कर सकते, भले ही इंजीनियर कितनी भी कोशिश कर लें, कंप्यूटर अभी भी लोगों से बातचीत नहीं सकते है। कंप्यूटर हमारी भावनाओं को नहीं भांप सकते या हमारी फीलिंग्स को नहीं समझ सकते। यहीं से R-डायरेक्टेड सोच सामने आती है।
स्टैनफोर्ड बिजनेस स्कूल के स्टूडेंट्स इंटरपर्सनल डायनेमिक्स नाम के कोर्स को ज्वाइन करने के लिए आते रहे हैं। यह लोगों को सहानुभूति सिखाने पर फोकस करता है। जो लोग लॉयर बनने की इच्छा रखते हैं वो इस कोर्स को करतें हैं ताकि वे सीख सके कि अपने क्लाइंट को कैसे समझ, उनकी असल ज़रूरतों को महसूस करें और उनसे हमदर्दी रखें। यह कोर्स लॉयर को जूरी को देखना, चेहरे के हावभाव पढ़ना, और यह समझना भी सीखाता है कि वो आज्ञा में जीत रहे हैं या हार रहे हैं।
लेकिन एम्पथी फ्यूचर में सिर्फ बचे रहने का टूल नहीं है। यह एक मोरल वैल्यू है जिसे हम सभी को जीना चाहिए। दूसरों को समझने से हम इसान बनते हैं और हमें खुशी मिलती है। अगर आप चेहरे के हावभाव और दूसरे बिना शब्दों के सिग्नल को पढ़ सकते हैं, तो डिजिटल युग आप के लिए अच्छी तरह से काम करेगा। लेकिन अगर आप एक L-डाइरेक्टेड थिंकर हैं जिसे यह मुश्किल लगता है, तो अपने अंदर एम्परथी लाना शुरू कर दें क्योंकि यह उन सेंसेस में से एक है जिसकी मॉडर्न दुनिया मे ज़रूरत है।
मीनिंग(MEANING)
हाल ही में अमेरिकास पर की गई एक स्टडी ने दिखाया कि 58% अक्सर अपनी ज़िन्दगी के पर्पस और मीनिंग के बारे में सोचते हैं। मटिरीअलिस्टिक कल्चर, जिसका मतलब इकॉनॉमिक और फिजिकल सीक्योरिटी है, अब धीरे-धीरी पोस्ट-मटिरीअलिस्टिक कल्चर, जो लाईफ की क्वालिटी पर जोर देता है, में बदल रहा है।
एक दूसरे सर्वे ने बताया कि पांच में से तीन लोगों को लगता है कि अगर उन्हें पैसे के अलावा मीनिंग और पर्पस का सेंस भी मिले, तो काम करने की
जगह बेहतर बन जाएगी।
1942 में, सेकेंड वर्ल्ड वॉर के समय, जर्मन्स ने वियना में सैकड़ों जूइश लोगों को गिरफ्तार किया। कैदियों में विक्टर फ्रैंकल नाम के एक जवान साइकैट्रिस्ट थे। अपनी गिरफ्तारी के समय, फ्रेंकल एक वैल-बीइंग थ्योरी पर काम कर रहे थे, जिसने उनकी फिल्ड में लोगों का ध्यान उनकी ओर खींचा था।
फ्रेंकल और उनकी पत्नी टिली को पता था कि उन्हें अरेस्ट किया जाएगा और वे इसके लिए तैयार थे। डटे रहना उनकी सबसे बड़ी ताकत थी। फ्रैंकल के पास हाथ से लिखी गए कई कागज़ थे, उसमें वे जो बुक लिख रहे थे, उसकी थ्योरी लिखी थी। गिरफ्तार होने से ठीक पहले, टिली ने इस किताब को अपने पति के कोट के लाइनिंग में सिलाई कर दी थी। जब फ्रेंकल को कॉन्सन्ट्रेशन कैम्प में लाया गया, तब उन्होंने कोट को पहना हुआ था। ऑशविट्ज़ पहले दिन, फ्रेंकल ने अपने कोट को पकड़ कर रखा। लेकिन दूसरे दिन, एक गार्ड ने उनके कपड़े छीन लिए और उनके वो कागज़ हमेशा के लिए खो गए। आखिर में, फ्रेंकल ने अपनी पत्नी, माँ, पिता और भाई को भी खो दिया।
लेकिन फ्रैंकी ने अपनी बुक को पूरी करने और पब्लिश करने की ठान ली थी। कैम्प के अंदर, उन्होंने चोरी किए हुए कागज के टुकड़ों पर अपनी असली थ्योरी को फिर से लिखा। 1946 में जब कैदियों को आजाद किया गया, तो फ्रेंकल के कागज़ के टुकड़े हिस्ट्री की सबसे अच्छी बुक में से एक, “मैन्स
सर्च फॉर मीनिंग”, लिखने का आधार बन गए। इस बुक में, फ्रेंकल ने बताया कि कैसे वह कम खाने, मुश्किल हालातों में काम करना और दूसरों के दुःख से मज़ा लेने वाले गार्ड्स को झेलने के बाद भी बचे रहे। लेकिन यह बुक सिर्फ डटे रहने के बारे में नहीं है। यह एक मीनिंगफुल लाईफ जीने के लिए एक गाइड भी है। अपनी कहानी और साथी कैदियों के आधार पर, फ्रेंकल ने लिखा कि सबसे मुश्किल समय में, इंसान को खुशी महसूस करने में या दर्द से बचने में कोई दिलचस्पी नहीं रह जाती।
अपने होने
पह े का कारण और मतलब खोजने लगता है।
फ्रेंकल को कॉन्सन्ट्रेशन कैम्प में मीनिंग मिला। भले ही वो फिजिकली कमज़ोर हो गए हों, लेकिन उन्होंने अपनी मेंटल और इमोशनल एबिलिटी को कम नहीं होने दिया। फ्रैंकल ने अपना बुक लिखना और अपने थ्योरी पर काम करना जारी रखा। इस पर्पस ने उन्हें आगे बढ़ते रहने में मदद की। उन्होंने लिखा कि इंसान बहुत दर्द और तकलीफ मे भी मीनिंग पा सकता है। इक्कीसवीं सदी में, कई बदलावों ने बड़ी संख्या में लोगों को मीनिंग की खोज करने के लिए इंस्पायर किया है। हालांकि गरीबी और बेसिक सर्विस की प्रोब्लम अभी भी यहाँ हैं, फिर भी यह कहा सकता है कि हम अच्छे समय में जी रहें हैं। यह साबित करता है कि किसी भी इंसान के लिए खुश होने के लिए मटेरियल चीजें काफी नहीं हैं। हमें जीने के लिए एक पर्पस खोजने की जरूरत है।
कहानियां (STORIES)
हम सभी को कहानियां पसंद हैं। हम उन्हें आसानी से नहीं भूलते। एक अच्छी कहानी बनाने के लिए, इंसान को क्रिएटिव होने की ज़रूरत है जो राईट ब्रेन की एक खूबी है। लोग उन स्टैटिस्टिक्स और लॉजिस्टिक्स से ऊब चुके हैं जो L-डायरेक्टेड थिंकर्स देते हैं। एक्सपर्ट इकोनॉमिस्ट, डिएड्रा मैक्लोस्की और आरजो क्लैमेर (Deirdre McCloskey and Arjo Klamer) का कहना है कि एडवरटाइजिंग, काउंसलिंग, कंसलटिंग, और बाकी सर्विसिज़ के द्वारा से बताई गई कहानियां अमेरिका के gross डोमेस्टिक प्रोडक्ट को 25% तक योगदान देती हैं। इसका मतलब है कि R-डायरेक्टेड सोच अमेरिकी इकॉनमी के लिए लगभग ट्रिलियन डॉलर लाती है। रॉबर्ट मैककी (Robert McKee) हॉलीवुड के सबसे इंस्पिरेशनल लोगों में से एक है। वह एक R-डायरेक्टेड घिंकर है जिनमें बहुत क्रिएटिविटी है।
लेकिन उनका चेहरा स्क्रीन पर शायद ही हो, और उनका नाम आमतौर पर फिल्म क्रेडिट में नहीं बताया गया है। मैक्की स्क्रीन राइटर्स को इंस्पायरिंग कहानियां बनाने के तरीके सिखाते हैं। वह पिछले दो दशकों से अमेरिका और यूरोप में ऐसा कर रहे हैं।
मैक्की ने जिन स्क्रीन राइटर्स सिखाया, उन्होंने व बहुत सारे अवॉर्ड जीते हैं, और उनकी किताबों को कई फिल्म मेकर्स ने यूज़ किया है। लेकिन हाल ही में, कई लोग, यहाँ तक कि जो फिल्म बिज़नस से नहीं हैं, वे रॉबर्ट की काउंसलिंग की तलाश में आ रहे हैं। क्यों? क्योंकि कहानियां लोगों को ज्यादा छूती हैं और उनके दिमाग पर एक लम्बे समय के लिए छाप छोड़ देती हैं। ऐड्वर्टाइज़र, बिजनेसमैन, कंपनी इग्ज़ेक्यटिव और यहां तक कि पॉलीटिशियन भी अब यादगार और इंस्पायरिंग कहानियां बताना चाहते हैं। ऑर्गेनाइजेशनल स्टोरीटेलिंग नाम का एक मूवमेंट बनाया गया, जो ऑर्गनाइजेशन्स को कहानियों को, अपने बीच में ही अपने गोल्स को पाने के लिए, करें, ये सिखाता था। इसे लीड करने वालों में से एक, स्टीव डेनिंग्स, एक समय वर्ल्ड बैंक के मिडिल इम्ज़ेक्यटिव थे। उनका कहना है कि कैसे यूज़ ऑर्गेनाइजेशन उनके पीछे पड़े थे क्योंकि वे लेफ्ट ब्रेन वाले इंसान थे। एक दिन, वर्ल्ड बैंक में रीऑर्गनिज़ेशन हुआ और उसे जॉब से निकाल दिया गया।
क्यों? बैंक को अब R-डायरेक्टेड थिंकर्स की तलाश थी। अपने दिमाग के राईट हिस्से को एक्टिव करने और ज्यादा क्रिएटिव बनाने के लिए, स्टीव को अलग तरह से सोचना पड़ा। उन्होंने कहानियों के ज़रिए
एक ऑर्गेनाइजेशन को समझने के लिए एक technique इंवेंट की।।-डायरेक्टेड एप्रोच मेथड जिसे उन्होंने क्लास में सीखा था, वो काफी नहीं था। ज्यादा, उन्हें आगे बढ़ने के लिए राईट हिस्से की क्रिएटिविटी की ज़रूरत थी। क्रिएटिविटी और R डायरेक्टेड अप्रोच को यूज़ करके, स्टीव ने वर्ल्ड ant को पहला ऐसा ऑर्गेनाइजेशन बना कर, जो बिजनेस मैटर्न सीखने के लिए कहानियों को यूज़ करता है, उसे नॉलेज मैनेजमेंट का लीडर बना दिया।
इस तरह से, स्टीव को अपनी वैल्यूबल पोजीशन वापस मिल गई, और वो वर्ल्ड बैंक का ज़रूरी हिस्सा बन गए।
यह कहानियों और R-डायरेक्टेड सोच की पादर का एक और सबूत है। अभी, कोलंबिया यूनिवर्सिटी में सभी सेकेंड ईयर मेडिकल स्टूडेंट्स को नैरेटिव मेडिसिन के सेमिनार में हिस्सा लेना ज़रूरी हो गया है। ऐसा इसलिए है क्योंकि उन्हें पेशेट्स से सिर्फ कंप्यूटर की तरह डाइग्नोस्टिक सवाल पूछने के बजाय हमदर्दी के साथ सुनने की जरूरत है। हर मरीज की कहानी जानने से, ये फ्यूचर में बनने वाले डॉक्टर ट्रीटमेंट या इलाज करते समय ज्यादा इस भरेपूरे युग में, लोग पर्पस और मीनिंग, और साथ ही साथ खुद को गहराई से समझने की कोशिश कर रहे हैं। जब हम अपनी ज़िन्दगी को देखते एक्यूरेट और इफेक्टिव हो सकते हैं।
हैं, तो हम इसे सिर्फ कहानियों में ही बता सकते हैं, नंबर में नहीं। इसी तरह, कंपनियों ने महसूस किया है कि नम्बर्स काफी नहीं है। यही कारण है कि R-डायरेक्टेड थिकर जो क्रिएटिवली कहानियां बना सकते हैं वे इस मॉडर्न युग में कामयाब होंगे। आपने उन गलत धारणाओं के बारे में जाना जो लोगों को शुरू में ब्रेन के राईट हिस्से के बारे में थी। आपने सिखा कि मॉडर्न युग में, R डायरेक्टेड सोच
कन्क्लूज़न
सक्सेस के लिए ज़रूरी है, और L-डायरेक्टेड सोच अब काफी नहीं है।
आपने द होल न्यू माइंड के बारे में सीखा, जो राईट ब्रेन की सोच के सेंसेस को एक्सप्लोर करता है। ये सेंसेस सिम्फनी, एम्पथी, मीनिंग और स्टोरीज़ हैं।
सिम्फनी अलग अलग हिस्सों को जोड़ कर कुछ नया बनाने की एबिलिटी है। एम्पथी एक दूसरा इंसान जो फील कर रहा है उसे फील करने की एबिलिटी है। मीनिंग, हमारे भरेपूरे मॉडर्न वर्ल्ड में तेजी से हो रहे कम्युनिकेशन में पर्पस खोजने की एबिलिटी है। स्टोरीटैलिंग इंस्पायर करने और लम्बे समय तक रहने वाले छाप छोड़ने की एबिलिटी है। R-डायरेक्टेड सोच ही फ्यूचर है। दुनिया ने महसूस किया है कि R-डायरेवटेड थिंकर्स के पास कंप्यूटर के मुकाबले ऑफर करने के कुछ ज्यादा है।
सौभाग्य से, आप R-डायरेक्टेड थिंकर बन सकते हैं। अपने ब्रेन के राईट हिस्से को अपने दिमाग और अपने जीवन पर रूल करने दें, और आप खुद को इस मॉडर्न दुनिया में कामयाब होते हुए देखेंगे।