BRAIN RULES FOR BABY by John Medina.

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BRAIN RULES FOR BABY by John Medina.
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गए थे. ऐसा लगता है जैसे सिर्फ लैंड एनिमल्स भी इसका असर हुआ था. थर्ड, ये मॉस एक्सटिंक्शन सिर्फ ऑस्ट्रेलिया में नही हुआ था. जब भी सेपियन्स किसी नए लेंड में सेटल हुए उस जगह के बड़े जानवर धीरे-धीरे खत्म होते चले गए. जैसे एक्जाम्पल के लिए न्यूजीलैंड लार्ज मैमल्स ये वही टा 1800 । साल पहले गायब हो गए थे टाइम था जब वहां फर्स्ट सेपियन्स बसे थे, 50 किलोग्राम से बड़ा कोई मैमल ज़िंदा नहीं बचा. और बर्डस की 60% स्पीशीज भी खत्म हो गयी थी. यहाँ ये समझना इम्पोर्टेन्ट है कि जायंट एनिमल्स यानी बड़े जानदर की पोपुलेशन धीरे-धीरे बढ़ती है. क्योंकि उनकी प्रेगनेसी के मंध्स ज्यादा होते है.

और एक बार में कम बच्चे पैदा होते हैं और फिर इनकी हर प्रेगनेंसी के बीच गैप भी काफी होता है, इसलिए इन बड़े जानवरों को बच्चे पैदा करने और अपनी पोपुलेशन बढ़ाने का ज्यादा वक्त नहीं मिल पाता था. इसके आलावा लार्ज मैमल्स ने न्यूम्स को पहले देखा नहीं था. अफ्रीका के जानवरों से एकदम अलग इन ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के इन जानवरों को अपना डिफेंड करना नहीं आता था और इस तरह ये लोग ईज़िली शिकारियों के हत्थे चढ़ जाते थे. इससे पहले कि ये कुछ समझ पाते इनका बड़ी संख्या में खात्मा कर दिया गया, यही सेम सेंड स्टोरी अमेरिका के जाएंट एनिमल्स की भी है. ये घटना भी आज से 16000 साल पहले घटी थीं. ये जगह भी ऑस्ट्रेलिया की तरह थी जहाँ कदम रखने वाले फस्स्ट ह्यूमन सेपियन्स ही थे, लेकिन उन्होंने यहाँ आने के लिए बोट्स का इस्तेमाल नहीं किया. ये लोग पैदल ही यहाँ पहुंचे थे. समुन्द्र का पानी तब नीचे रहा होगा,

नार्थ ईस्टर्न साइबेरिया से नोर्थ वेस्टर्न अलास्का तक एक लैंड ब्रिज़ है. उस वक्त सेपियन्स के सामने जो सबसे बड़ा चेलेंज था, वो था यहाँ का बेहद ठंडा मौसम यहाँ टेम्प्रेचर नेगेटिव फिप्टी डिग्री सेल्सियस तक ड्राप हो जाता था. निएडरथल्स ने इस एरिया तक जाने की कभी कोशिश नहीं की थी. लेकिन सेपियन्स उनसे स्मार्ट थे, उन्होंने स्नोशूज और थर्मल कपडे बनाये. जानवरों की खाल और फर से कपड़े सिलने के लिए ये लोग सुई का इस्तेमाल करते थे. आर्कोलोजिस्ट {Archaeologists) को इस बात के कई प्लुफ मिले है कि सेपियन्स के बसाई थी. ये के कई ग्रुप जो साइबेरिया गए, वहां उन्होंने अपनी बस्तियाँ ये लोग मैमथ हंटर थे. मैमथ इनका मनपसंद शिकार इसलिए था. इस बड़े से हाथी का मीट जूसी तो होता ही था साथ ही इसके फर और दांत हाथी भी बड़े काम आते थे. मैमथ के दांत यानी आइवरी आज भी काफी प्रिसिय्स मानी जाती है.

और इस तरह 16,000 साल पहले स के इसी मैमथ हंटिंग के शोक ने उन्हें अलास्का तक पहुंचा दिया. यहाँ बड़े-बड़े ग्लेशियर्स थे जिसकी वजह ने सेपियन्स के से सेपियन्स अमेरिका को ज्यादा एक्प्लोर नहीं कर पाए, फिर कुछ टाइम बाद ग्लोबल वार्मिंग से बर्फ मेल्ट होने लगी जिससे मैमथ का शिकार करने वाले सेपियन्स को इस जगह को एक्सप्लोर करने का मौका मिल गया, ईस्टर्न यू.एस. के जंगलो में,मिसिसिपी के दलदलो में, सेंट्रल अमेरिका के जंगलो की इस ज और मेक्सिको के रेगिस्तान में सेपियन्स ने अपनी आबादी बसाई. इनमे से कुछ लोग अमेज़न नदी के किनारे जाकर रहने लगे और कुछ लोग एंडीज़ की वैलीज और अर्जेंटीना के मैदानों में रहने चले गए. इस तरह सिर्फ 2000 सालो के अंदर सेपियन्स ने पूरे अमेरिका महाद्वीप पर कब्ज़ा कर लिया धा. से लेकर कैनेडा, अलास्का यूनाईटेड स्टेट्स और लैटिन अमेरिका तक उन्हें कई तरह के ऐसे जानवर मिलते गए जिनके बारे उन्हें नालूम तक नहीं था. मस्टोडौंस और मैमथ के अलावा इन्होने भालू के साइज़ के चूहे, नेटिव कैमल्स और हॉर्सेज, काफी बड़े और डरावने शेर और सबसे फेमस एनिमल सेबर टूथ कैट देखे, यहाँ पर उन्हें बहुत बड़े स्लोथ्स भी मिले जो करीब 6 मीटर लम्बे और 8 टन चेट वाले होते थे. ये जाएंट स्लोथ्स पेड से लटकते नहीं थे बल्कि जमीन पर चलते थे, मगर इन 2000 सालों में, सेपियन्स के आने के बाद ये सारे जानवर गायब होते चले गए.

मैमल्स की 47 जेनेरा यानी प्रजातियों में से 38 के करीब तो नार्थ अमेरिका से एकदम लुप्त हो गयी. साऊथ अमेरिका में भी 60 बड़ी मैमल्स जातियों से 50 जातियों का खात्मा हो गया था. इससे पहले 30 मिलियन सालों तक सेबर टूथ बिल्ली, जाएंट रोडेन्ट्स, अमेरिकन कैमल्स और हॉर्सेज जैसे में । जानवर आराम से रह रहे थे, इनके लिए इस महाद्वीप में भरपेट खाना था और इनकी आबादी भी फल-फूल रही थी. मगर सेपियन्स के इस महाद्वीप में कदम रखने के कुछ हज़ार सालो में ही ये सब के सब मारे गए. मैमल्स की तरह ही कई बर्ड्स प्रजातियों, रेप्टाईल्स, रेयर इंसेक्ट्स और छोटे जानवरों का भी यही हाल हुआ. साइंटिस्टो को इन जानवरों के फॉसिल मिले है और उन्होंने इनकी कार्बन डेट पता की है. लेकिन इन सबमे एक सिग्नीफिकेंट फाइंडिंग है. जो कंकाल यानी लेटेस्ट फॉसिल्स मिले है उनकी डेट आज से 12000 से 9000 बीसी बताई गयी है. उसके बाद के कोई कंकाल नहीं मिले है. तो ये बात तय है कि सेपियन्स के यहाँ आने के बाद ही धरती का सबसे बड़ा मैमल मरा था. और इन जानवरों के खात्मे के लिए कोई और नहीं बल्कि हम होमो सेपियन्स ही जिम्मेदार है. जब हम अपने रहने के लिए दुनिया में कॉलोनीज़ बसा रहे थे, उस वक्त हम एनिमल किंगडम की बर्बादी की नींव खोद रहे थे.

द एनिमल देट बिकम अ गॉड (वो एनिमल जो भगवान बन गया) The Animal that Became a God धरती पर जिंदगी की पहली शुरुवात के साथ ही नेचुरल सेलेक्शन के हिसाब से इवोल्व होने का रुल बन गया. एक सिम्पल बैक्टीरिया से लेकर कॉम्प्लेक्स ह्यूमन तक, सारी लिविंग थिन्स यानी जीवित प्राणी इसी नियम का पालन कर रहे है, नैचुरल सेलेक्शन बायोलोजी पर 4 बिलियन सालो कर रहा है, मगर 21 वी सेंचुरी में सेपियन्स ने कुछ ऐसा किया है जो सिर्फ और सिर्फ ऊपरवाला ही कर सकता है, इसने इंटेलीजेंट डिजाईन से ऑर्गेनिज्म क्रिएट किया है. ऑर्गनिज्म्स को एक स्पेशिफिक ट्रेट यानी कोई खास क्वालिटी डेवलप करने के लिए इवोल्च होने के लिए कई हज़ार साल नहीं लगते.

साइंटिस्ट कोई क्वालिटी डेवलप करने के लिए उस स्पेशिफिक जीन को पहचान कर उसे आगेनिज़्म में मेनिफेस्ट कर देते है. इंटेलीजेंट डिजाईन एक प्रोसेस है जो ह्यूम्न्स ने नेचुरल सेलेक्शन को शोर्ट कट करने के लिए क्रिएट की है. इसे हम जेनेटिक इंजीनियरिंग भी बोलते है. और ये टेक्नीक 1970 के टाइम से मेडिकल साइंस में है. आज कई ऐसे ऑर्गेनिज्म अवलेबल है जो जेनेटिकली मोडीफाईड किये गए है जिन्हें ज्यादातर एग्रीकल्चर और मेडीसिन की फील्ड में यूज़ किया जाता है. 2000 में एडुँदों कच(, Eduardo Kac, नाम के एक ब्राज़ीलियन कंटेम्परी आर्टिस्ट ने एक यूनीक आर्टवर्क बनाने के बारे में सोचा, ये एक डार्क रैबिट के अंदर एक ग्लो था.

एडु (Eduardo)ने फ्रांस की एक लेबोरेट्री को कांटेक्ट करके उनके कुछ साइंटिस्ट्स को हायर कर लिया. फिर इन साइंटिस्ट्स ने उसके इंस्ट्रक्शन पर ऐसा ही एक रैबिट बना के तैयार कर दिया. फिर उस फ्रेंच आर्टिस्ट ने एक नॉर्मल रैबिट का एम्ब्रयो निकाला. उसने इसके डीएनए में एक ग्रीन प्लूरोसेंट जेलीफिश की एक स्पेशिफिक जीन इम्प्लांट करवा दी, उसकी ये कोशिश कामयाब रही. एहुँ? (Eduardo) ने इस ग्लो इन द डार्क रैबिट का नाम अल्बा रखा, यहाँ साइंस की एक और अमेजिंग प्रोग्रेस की बात करते है. इसे डीएनए मैपिंग भी बोलते है, अभी हाल ही में साइंटिस्ट के एक ग्रुप ने एक मैमथ का कम्प्लीट जीनोम मैप किया है, तो अब ये पॉसिबल है कि किसी हाथी का एम्ब्यो लो और उसके डीएनए को मैमध के रीकंस्ट्रकड डीएनए से रीप्लेस कर दो, फिर उस एम्ब्यो को वापस उसी मदर एलिफेंट के वोम्ब में डाला जा सकता है. और फिर 22 महीने में एक नया मैमथ जन्म लेगा, ये अपनी तरह का वो पहला जानवर होगा जिसकी प्रजाति 5000 साल पहले खत्म हो चुकी है. तो हम भला इन एक्सटिंक्ट एनिमल्स पर अपनी रीसर्च को क्यों रोके? 2010 में साइंटिस्ट निएंडरथल्स का पूरा जीनोम मैप कर चुके है. तो अब ये पॉसिबल है कि हम निएंडरथल्स के डीएनए को मॉडर्न इन्सान के एम्ब्रयो में डाल सके, और इसके लिए तो कई सारी औरते अपनी मर्जी से सरोगेट मदर बनने को तैयार है. और हो सकता है कि फ्यूचर में इनमे से कोई औरत फर्स्ट निएंडरथल्स बच्चे को जन्म दे.

ह्यूमन जीनोम प्रोजेक्ट सिर्फ 5200 खर्च क सक्ससफुल रहा है. ये मुमकिन है कि आप अपना खुद का कम्प्लीट डीएनए मैप करवा ले. आपको इस प्रोसीजर के लिए करने है और कुछ हफ्तों में आपको अपने सारे जेनेटिक ट्रेट्स की जानकारी मिल जायेगी. इसका फायदा ये है कि फ्यूचर में डॉक्टर आपको बता पाएंगे कि आपको लंग कैंसर हो सकता है या अल्ज्हेमेर की बिमारी(AIZheimer's disease), और फिर आप उसी हिसाब से पर्सनलाइज्ड मेडीसिन ले सकते है जो आपकी स्पेशिफिक नीड्स के हिसाब से बनी होगी, लेकिन अगर हम जेनेटिक्स का इस्तेमाल बढती उम्र को रोकने या अमर होने के लिए या फिर सुपर्यूमन जैसी पॉवर पाने के लिए करने लगे तो क्या होगा ? क्या होगा अगर हम अपने फ्यूचर बेबीज़ की आँखों का रंग या बाकि चीज़े भी अपनी पसंद से चूज़ करने लगे?

कनक्ल्यूजन (Conclusion) इस बुक समरी में आपने प्री-हिस्ट्री के बारे में पढ़ा. जिसमे हमने आपको डिफरेंट टाइप के ह्यूगन स्पीशीज के बारे में बताया, आपने इंटर्ीडिंग ध्योरी और रिप्लेसमेंट थ्योरी के बारे में भी पढ़ा. आपने कोगनिटिव रेवोल्यूशन और सेपियन्स की उस यूनीक एबिलिटी के बारे में भी पढ़ा कि वो उन चीजों में भी यकीन कर लेते है जो होती ही नहीं है. आपने इस बुक में उन बड़े-बड़े मैमल्स के बारे में भी जाना जो किसी टाइम में धरती पर करते थे. हमने अपने हंटर गेदर वाले पूर्वजों से आगे निकल कर काफी लंबा सफ़र तप किया आज हमारे पास उनसे बैटर टूल्स है. हम लोगो के पास खाना, कपड़ा और घर है. लेकिन क्या हम वाकई में खुश है? आज साइंस, टेक्नोलोजी और मेडिकल साइंस ने इतनी तरक्की कर ली है. आज हम कम्यूनिकेशन और ट्रांसपोर्टशन के लेटेस्ट मीडियम यूज़ करते है, जो हमसे पहले वाली जेनरेशन के पास नहीं थी. मगर वया हमने कभी ये सोचा है कि एडवांस टेक्नोलॉजी ने हमे कहाँ पहुंचा दिया है? हम अपनी इस दुनिया को तरककी के रास्ते पे लेकर जा रहे है या बर्बादी के? इन्सान बहुत कहा। पाँवरफुल एनिमल है क्योंकि गाँड ने हमे एक ऐसा ब्रेन दिया है जिसका मुकाबला नहीं है. १ एसी मगर कई बार लगता है कि हमें अपनी पावर का सही अंदाजा नहीं है. हम अपने हालात से कभी खुश नहीं रहते और ना ही कभी सेटिसफाईड होते है. इन्सान की इसी भूख ने धरती का संतुलन बिगाड़ दिया है. और हमारी ये भूख कभी खत्म नहीं होती. मगर अब टाइम आ गया है कि हम अपने लालच और अपनी इस भूख पर लगाम लगाए. जिस धरती ने हमे इतना कुछ दिया है उसके प्रति हमारा कुछ फ़र्ज़ बनता है. इन्सान धरती का सबसे इंटेलीजेंट और पॉवरफुल एनिमल है इसलिए हमारी रिस्पोंसेबिलिटी है कि हम इस धरती और इस पर रहने वाले जीव-जन्तुओं की हिफाजत करे, उनकी उतनी ही रिस्पेक्ट करें जितनी हम खुद की करते है. और अपने इस खुबसूरत प्लानेट अर्थ को जिसे हम मदर कहते है, इसे प्रोटेक्ट करे और प्रिज़र्व कर

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बच्चों की देखभाल और परवरिश

ज़्यादा बच्चे पैदा होते जा रहे थे वैसे-वैसे गरीबी और बेघर लोगों की तादाद बढ़ती जा रही थी। इसलिए अब लोगों ने अपने बच्चों को अनाथ की तरह छोड़ देने का फैसला कर लिया था। अब कचरे के डब्बे में, खुली सड़क पर युहीं लोग बच्चों को छोड़ने लगे थे।

निकोले ने उन हज़ारों बच्चों की देखभाल करने के लिए शहरों में अनाथालय बनाने का हुकम दिया। लेकिन उस वक्त रोमानिया बहुत कर्जे में डूबा हुआ था और ज़्यादातर पैसा उसे चुकाने में खर्च हो चुका था। इस वजह से अनाथालयों में खाना, बिजली, पानी और बाकि की बुनियादी ज़रूरतों की कमी होने लगी थी, जिन हालातों में बच्चे रह रहे थे वो बहुत दर्दनाक और दुखदायी था।

बच्चों को गोद में उठाने वाला या प्यार से सहलाने वाला कोई नहीं था। उनमें से कई बच्चों के मुहं में दूध की bottle रख कर उन्हें बिस्तर से बाँध कर अकेला छोड़ दिया गया था। उनके बिस्तर मल मूत्र और गंदगी से भर गए थे। बिना इंसानी जज्बात के, बिना किसी देखभाल के वो बच्चे बस एक टक खाली दीवारों को देखते रहते, उनके कमरे में इतना सन्नाटा था कि किसी के रोने की आवाज़ तक सुनाई नहीं देती थी।

अनाथालयों की स्थिति

इन बच्चों के मरने की संख्या बहुत ज़्यादा थी। कुछ लोगों ने रोमानिया के अनाथालयों को बच्चों का नाज़ी कंसंट्रेशन कैंप कहना शुरू कर दिया था। इसलिए साइकोलोजिस्ट के एक ग्रुप ने गंभीर रूप से सदमे इन बच्चों का इलाज करने का फैसला किया।

Canada के कई परिवारों अपनी मर्जी से इन बच्चों को अच्छे माहौल में बड़ा करने की ज़िम्मेदारी लिए आगे आए। लेकिन जैसे-जैसे बच्चे बड़े होने लगे दूसरों बच्चों की तुलना में उनमें कुछ फ़र्क नज़र आने लगे थे। जिन बच्चों को चार महीने की उम्र से पहले गोद लिया गया था, उनकी ग्रोथ ठीक थी।

लेकिन जिन बच्चों को आठ महीने की उम्र के बाद अपनाया गया था वो गुस्सेल और झगड़ालू हो गए थे। वो बच्च की लोगों से घुलते मिलते नहीं थे। इसके साथ-साथ वो ईटिंग डिसऑर्डर और कई तरह की बीमारियों का शिकार हो चुके थे।

बच्चों की मानसिक स्थिति

क्योंकि इन बच्चों को कम उम्र में वो प्यार और सुरक्षा नहीं मिला, वो बहुत स्ट्रेस महसूस करने लगे धे। ये सदमा इतना गहरा होता है कि कई साल बीत जाने के बाद भी ये बच्चे नार्मल तरीके से ना जी पा रहे थे ना जिंदगी का आनंद ले पा रहे थे।

इसे अपने बच्चे के साथ ना होने दें। अपने बच्चे पर दिल खोलकर प्यार और देखभाल की छाया बनाए रखें, खासकर पहले तीन सालों तक, इस समय बच्चे का ब्रेन डेवलप करने के स्टेज में होता है।

बच्चों की ज़रूरतें

जिस तरह से आप अपने बच्चे की देखभाल करते हैं, उसकी ज़रूरतों को पूरा करते हैं उसका सीधा असर उसके ब्रेन के उन हिस्सों पर पड़ता है जिसका संबंध स्ट्रेस और सोशल behavior से होता है। जब भी आपका बच्चा रोए, चाहे दो भूख की वजह से हो या सिर्फ आपकी मौजूदगी के लिए हो, तुरंत उसके पास जाएं।

इससे उसे महसूस होगा कि ये दुनिया रहने के लिए एक सुरक्षित जगह है। वो जान पाएगा कि उसे घबराने या चिंता करने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि आप उसके लिए हमेशा मौजूद रहेंगे।

SMART BABY: SEEDS

कोई भी बच्चा स्मार्ट ब्रेन के साथ पैदा नहीं होता है। लेकिन एक बच्चे की इंटेलिजेंस काफ़ी हद तक उस माहौल पर डिपेंड करती है जिसमें वो पलता बढ़ता है। बच्चे की इटेलिजेंस में 50% gernes का हाथ होता है और बाकी माहौल का।

इसका मतलब है कि माता पिता होने के कारण आपको अपने बच्चे के लिए एक अच्छा और supportive माहौल बनाना होगा। प्रेसिडेंट थियोडोर रूज़वेल्ट बचपन में बहुत बीमार रहते थे।

दो हमेशा घबराए से रहने वाले एक शर्मीले बच्चे थे। उन्हें अस्थमा की बीमारी थी इसलिए उनका दम घुटने से बचाने के लिए उन्हें हमेशा सीधे सोना पड़ता था। रूज़वेल्ट इतने बीमार रहते थे कि वो स्कूल तक नहीं जा सकते थे।

रूज़वेल्ट का संघर्ष

इसलिए उनके माता पिता ने उन्हें घर में पढ़ाना शुरू किया। डॉक्टर ने भी ये सलाह दी कि रूज़वेल्ट को एक ऐसा करियर चुनना चाहिए जहां वो एक जगह डेस्क पर बैठकर काम कर सकें ताकि ज्यादा फिजिकल एक्टिविटी से उनके शरीर पर बोझ ना पडे।

लेकिन रूज़वेल्ट बहुत होशियार बच्चे थे, उनकी मेमोरी जैसे एक फोटोग्राफिक मेमोरी थी और उन्होंने जिंदगी में कुछ कर दिखाने की ठान ली थी। वो भाग्यशाली थे कि उनका जन्म एक अमीर घराने में हुआ था।

टेबल 1: बच्चे की देखभाल के टिप्स

टिप्स लाभ
बच्चे से बातें करना ब्रेन डेवलपमेंट
पोषण आहार शारीरिक विकास
सुरक्षित माहौल भावनात्मक स्थिरता

9 साल की उम्र में रूज़वेल्ट ने अपना पहला साइंटिफिक पेपर लिखा और 16 साल की उम्र में उन्हें हार्वर्ड में एडमिशन मिल गया। 24 साल की उम्र में उन्होंने 1812 के जंग के बारे में एक बुक लिखी, इस बुक से उन्हें बहुत नाम और शोहरत मिली, इसके साथ-साथ जाने माने हिस्टोरियंस का सम्मान भी मिला।

इस बात को नकारा नहीं जा सकता कि रूज़वेल्ट की बुद्धिमानी पर उनके माहौल का गहरा असर हुआ था। अपनी डायरी में उन्होंने लिखा था कि कैसे उनके पिला उनसे प्यार करते थे और उन्हें हमेशा और ज़ोर लगाकर कोशिश करने के लिए हिम्मत देते रहते थे।

शायद आप अपने बच्चों को वो सुख सुविधाएं ना दे पाएं जो रूज़वेल्ट को मिली थी लेकिन इन अगले शब्दों को कभी ना भूलें, हर माता पिता अपने बच्चों को भरपूर प्यार, अटेंशन और सही रास्ता दिखाने के बिलकुल काबिल होते हैं।

SMART BABY: SOIL

हर माता पिता चाहते हैं कि उनका बच्चा प्रेसिडेंट रूज़वेल्ट की तरह स्मार्ट हो। तो इससे पहले आपको सीखना होगा कि अपने बच्चे को ठीक से बढ़ने देने के लिए उन्हें ज़रूरी चीज़ें कैसे दें।

एक बच्चे का ब्रेन मिट्टी में बोए गए बीज की तरह होता है। इस बीज को पोषण, देखभाल और एक अच्छे माहौल की ज़रुरत होती है ताकि ये healthy और मजबूत हो सकें।

इस सेक्शन में आप सीखेंगे कि आपके बच्चे को स्मार्ट बनने के लिए किन चीज़ों की ज़रुरत है। जब एक माँ अपना दूध बच्चे को पिलाती है तो ये उसके ब्रेन को डेवलप करने में मदद करता है।

आपको जानकार हैरानी होगी कि माँ के दूध में ऐसे कई ज़रूरी salt और विटामिन होते हैं जो दुनिया की किसी और चीज़ मैं नहीं पाए जाते। आपके बच्चे की इम्यून सिस्टम को मज़बूत करने में, सांस और गैस्ट्रिक इन्फेक्शन को रोकने के अलावा, माँ का दूध बच्चे को स्मार्ट भी बनाता है।

टेबल 2: बच्चों की आवश्यकताएँ

आवश्यकताएँ महत्व
माँ का दूध ब्रेन डेवलपमेंट
शब्द ज्ञान बौद्धिक विकास
प्यार और सुरक्षा भावनात्मक स्थिरता

जब अमरीकी बच्चों पर cognitive टेस्ट किए गए तो रिसर्च से पता चला कि जिन बच्चों को माँ का दूध पिलाया गया था उन्होंने टेस्ट में 8 पॉइंट्स ज़्यादा स्कोर किया था उन बच्चों की तुलना में जिन्हें डिब्बा बंद दूध पिलाया गया था।

आगे चलकर भी ये बच्चे पढ़ने लिखने में बहुत शार्प और ब्रिलियंट साबित हुए, इसके अलावा, अपने बच्चे से बातें कर के उसके ब्रेन को डेवलप करने में मदद करें चाहे आपको उनकी ही भाषा में बात क्यों ना करना पड़े।

बच्चों से बातचीत का महत्व

एक रिसर्च से पता चला है कि स्मार्ट बच्चों और शब्दों के बीच एक कनेक्शन होता है। कई बच्चों पर ये देखने के लिए एक्सपेरिमेंट किया गया कि शब्दों का उनके ब्रेन पर कोई असर होता है या नहीं।

तीन साल तक, रिसर्च करने वाले हर महीने बच्चों के पास जाते। वो ये नोट करते कि बच्चा कितने शब्द बोलना सीख चुका है और माता पिता कितनी र त्वच्चों से बात करते हैं।

रिसर्च के अंत में, इन बच्चों का IQ टेस्ट लिया गया। नतीजे से ये पता चला कि जिन माता पिता ने बहुत कम उम्र से अपने बच्चों के साथ बहुत बातचीत करना शुरू कर दिया था, उसने बच्चों के लैंग्वेज की एबिलिटी को काफी हद तक बढ़ा दिया था।

यहाँ तक कि जब इन बच्चों ने स्कूल जाना शुरू किया तो ये बच्चों की तुलना में ज़्यादा बेहतर तरीके से पढ़, बोल और सीख पाए, जिनके माता पिता ने उनसे इतनी बातें नहीं की थीं। ऐसे बच्चों का IQ औरों की तुलना में डेढ़ गुना ज्यादा होता है।

बच्चों के विकास में संवाद

आपको ये समझना होगा कि आपके बच्चे को स्मार्ट बनाने में बच्चों से बातचीत करना बहुत अहम् भूमिका निभाता है। इसकी जगह Youtube के विडियो या टीवी शो नहीं ले सकते।

आपके बच्चे को आपका समय और ध्यान चाहिए। हमेशा अपने बच्चे की बात सुने और उसे बातचीत में बिजी रखें। उसे जितने चाहे उतने नए-नए शब्द सिखाएं, उसके साथ पढ़े लिखें, drawing करें और उसे नई चीजें सीखने दें, तब आपका बच्चा असल में स्मार्ट बनेगा।

HAPPY BABY: SEEDS

क्या आपके मन में कभी खयाल नहीं आया कि बच्चे इतना रोते क्यों हैं? जब एक बच्चा छोटा होता है तो उसके ब्रेन में कई सारी एक्टिविटी चल रही होती हैं।

6 महीने में बच्चा आशय, गुस्सा, खुशी जैसी कई भावनाओं को समझने लग जाता है लेकिन उन्हें ये समझ नहीं आता कि उन्हें किस वक्त कौन सा इमोशन एक्सप्रेस करना है। वो रोते इसलिए हैं क्योंकि उन्हें पता होता है कि ये उनके माता पिता का ध्यान उनकी ओर ज़रूर खींचेगा।

- जब जॉन और र उनकी पत्नी अपने पहले बच्चे को हॉस्पिटल से घर लेकर आए तो वो हर वक्रत सिर्फ रोता रहता था। चाहे उसे गोद में लो या बिस्तर पर सुलाओ, उसका रोना बंद ही नहीं होता था। वो दोनों आखिर सोच में पड़ गए कि "क्या ये बच्चा रोने के अलावा और कुछ जानता है?"

एक दिन, जब जॉन घर आए तो उनका बच्चा बच्चों को घुमाने वाली गाड़ी में लेटा हुआ था। पहले तो वो जॉन को देखकर बहुत खुश हुआ, फ़िर मुस्कुराया और फिर एकदम एक टक उन्हें देखने लगा।

जॉन इतने खुश और excited हो गए कि वो बच्चे को उठाने के लिए आगे बढ़े लेकिन जल्दबाज़ी में उन्होंने शायद उसे ज़ोर से उठा लिया था जिस वजह से बच्चा रोने लगा।

इमोशनल समझ और अभिव्यक्ति

यहाँ तक कि उसने अपना डायपर भी गीला कर दिया। शायद वो मासूम ये बताना चाह रहा था कि वो अपने पिता के अचानक करीब आने से घबरा गया था लेकिन उसे समझ नहीं आया कि उसे एक्सप्रेस कैसे करें जिस वजह से वो रोने लगा।

तो पहले आपको समझना होगा कि जब तक आपका बच्चा बोलकर अपनी बातें समझाना नहीं सीख जाता तब तक वो बहुत रोने वाला है।

लेकिन ये रोना ज़्यादातर इसलिए होता है क्योंकि वो कन्फ्यूज्ड होता है कि किस सिचुएशन में कौन सा इमोशन एक्सप्रेस करना चाहिए।

बच्चों के इमोशनल विकास में माता-पिता की भूमिका

लेकिन जैसे-जैसे आप उनके साथ कनेक्शन बनाने लगेंगे, उन्हें प्यार और पोषण देंगे, बच्चे नए शब्द और अलग-अलग इमोशन को कैसे एक्सप्रेस करना सब सीखने लगेंगे।

एक बार जब आपके बच्चे इमोशन को समझने लग जाएं तो एक पेरेंट के रूप में ये आपकी ड्यूटी है कि उनमें आप अच्छे इमोशन जैसे खुशी को बढ़ावा दें।

माता पिता के रूप में आपको ये बात समझना बहुत जरूरी है कि जिस तरह आप अपने बच्चे से बातचीत करेंगे।

टेबल 3: बच्चे के विकास के चरण

चरण लक्षण
शैशव अवस्था रोना और ध्यान आकर्षित करना
बाल्यावस्था भावनाओं की समझ
किशोरावस्था भावनाओं का प्रबंधन

तय करेगा कि वो कितने खुश होते नील हाई स्कूल का स्टूडेंट था, वो पढ़ने में तेज़, कॉफिडेंट, स्पोर्ट्स और पढ़ाई हर चीज़ में अच्छा था। वो स्कूल में कई एक्स्ट्रा एक्टिविटी में भी participate करता था।

इसके अलावा, वो बहुत विनम्र था और स्कूल में काफी popular भी था। वो पढ़ने में इतना होशियार था कि उसे ग्रेजुएशन सेरेमनी में स्पीच देने के लिए कहा गया।

नील की कहानी

लेकिन क्या वो सच में इतना अच्छा होने का नाटक कर रहा था या वो सच में परफेक्ट था? रिसर्च पता चला है कि नील जैसे बच्चे कुछ अलग होते हैं, उनमें अपनी भावनाओं को कंट्रोल करने की एक अनजान और गज़ब की ताकत होती है ऐसा वो अक्सर अनजाने में ही करते हैं।

नील जैसे बच्चे खुद को जल्दी से शांत कर लेते हैं, स्कूल में दूसरों बच्चों के साथ हमदर्दी से पेश आते हैं। कोई बच्चा परफेक्शन लेकर पैदा नहीं होता।

नील के माता पिता ने उसे जैसा माहौल दिया, उसके साथ जैसा व्यवहार किया उस वजह से नील इतना और अपने माता पिता की बात भी मानते हैं।

भावनाओं का प्रबंधन

वो झगडालू या मारपीट करने वालों में से नहीं होते, दो स्कूल में अच्छा परफॉर्म करते हैं और बहुत कम डिप्रेशन या चिंता का शिकार होते हैं।

समझदार और अच्छा लड़का बना था। नील जैसे बच्चों के माता पिता पर किए गए एक रिसर्च से कई बातें सामने आई जो उन सब में कॉमन थीं। पहला था भावनाओं को अच्छी तरह से मैनेज करना।

तो आप अपने बच्चों के इमोशनल लाइफ के साथ कैसे डील करते हैं? जिस तरह से आप अपने बच्चे की प्रॉब्लम को मैनेज करते हैं यानी उसे पता लगाने से लेकर आप किस तरह रियेक्ट करते हैं, उसका आपके बच्चे की खुशी पर गहरा असर पड़ता है।

माता-पिता की जिम्मेदारियाँ

माता पिता के तौर पर आपमें ममता तो होनी चाहिए लेकिन थोड़ा सरा भी होना चाहिए आप अपने वरने की पॉँचनाम सख्त की तरफ़ respond कर उसे सहारा देकर अपनी ममता दिखा सकते हैं लेकिन आप उससे अच्छा च्यवहार करने की डिमांड भी कर सकते हैं।

नाच आपका एग्जांपल के लिए, जब सा बच्चा कोई गलती करता है तो आप उसे सरल लेकिन मज़बूती से "no" कह सकते हैं। उस पर चिलाएं नहीं, ना ही हाथ उठाएं।

बस आपको समझदारी से अपने बच्चे के लिए लिमिट सेट करनी होगी। एक और बात, हमेशा शांत बने रहे। अगर आपका बच्चा जमीन पर सारा खाना बिखरा भी दे तब भी अपने गुस्से पर काबू रखें।

बच्चों का व्यवहार

आपका बच्चा अपनी भावनाओं को किसी और से नहीं बल्कि आपको देखकर सीखेगा, बच्चे स्पंज की तरह होते हैं, वो अपने आस-पास हो रही चीज़ों को बड़े गौर से देखते हैं और सोख कर अपने अंदर उतार लेते हैं।

इसलिए अपने बच्चे के आस-पास समझदारी से व्यवहार करें।

निष्कर्ष

तो आपने जाना कि आपके बच्चे के ब्रेन का पोटेंशियल तब से डेवलप होना शुरू हो जाता है जब वो आपके गर्भ में होता है। दो कितना स्मार्ट होगा ये उस पर डिपेंड करता है कि आप क्या खा रहे हैं और कितना खा रहे हैं।

अगर आप पौष्टिक खाना खाते हैं तो आपके बच्चे का ब्रेन बड़ा हो जाता है और उसका IQ बढ़ जाता है।

बच्चों की सुरक्षा

आपने ये भी जाना कि बच्चे सुरक्षा के लिए तरसते हैं। जब वो आपके आस पास सुरक्षित महसूस करेंगे तब वो आपसे एक मज़बूत रिश्ता बना पाएँगे।

जब उन्हें अपने माता पिता या देखभाल करने वाले लगाव नहीं मिलता है तब उनके शरीर और ब्रेन में कई तरह की बीमारियाँ पैदा होने लगती हैं जो बड़े होने तक उनके साथ बनी रहती हैं।

माहौल का प्रभाव

आपने ये भी सीखा कि आप जिस माहौल में अपने बच्चे की परवरिश करते हैं वो आपके बच्चे की स्मार्टनेस का 50% हिस्सा होता है।

अपने बच्चे के लिए प्यार और सपोर्ट से भरा घर बनाने की कोशिश करें, बेशक, हो सकता है कि आप उन्हें दुनिया की हर सुख सुविधा ना दे पाएं, और उसमें कोई बुराई नहीं है, लेकिन यकीनन आप उन्हें प्यार, अपना अटेंशन और सपोर्ट दे सकते हैं।

बच्चों का इमोशनल विकास

आपने ये भी समझा कि बच्चे इस बात को लेकर कन्फ्यूज्ड रहते हैं कि उन्हें कौन सी भावना एक्सप्रेस करनी चाहिए, इसलिए वो हमेशा रोते रहते हैं।

लेकिन आपकी मदद से आपका बच्चा सीखेगा कि भावनाओं को कैसे मैनेज करे। खुश, स्मार्ट और अच्छे व्यवहार वाले बच्चों को बड़ा करने के लिए हमेशा शांत बने रहे और उनके लिए एक लिमिट सेट करें।

बुरा व्यवहार देखते ही उन्हें तुरंत उनकी गलती का एहसास करवाएं, अपनी भावनाओं में बहकर उसे नज़रंदाज़ ना करें नहीं तो आपका बच्चा कभी अपनी गलतियों से सीख नहीं पाएगा।

अंतिम विचार

याद रखें कि आपके बच्चे की नज़र में आप दुनिया के सबसे बुद्धिमान इंसान हैं, वो आपके हर शब्द और एक्शन की नक़ल करेंगे, तो यहाँ सीक्रेट ये है कि आपको उनके सामने ऐसा बनना है जैसा आप चाहते हैं कि वो बड़ा होकर बने।

आपका बच्चा आप ही की परछाई होता है इसलिए चो जैसा है उसके लिए कहीं ना कहीं आप भी ज़िम्मेदार होते हैं। अपने बच्चों को बिना किसी शर्त के प्यार करें, उन्हें अच्छा माहौल दें और याद रखें कि डांटने से नहीं बल्कि समझाने से चीजें ठीक होती हैं।

बचपन का ये लगाव आपके रिश्ते की आगे भी मज़बूत बनाए रखेगा और आपकी जिंदगी को प्यार से भर देगा।

आपके बच्चे की जिंदगी का सफ़र घर से शुरू होता है, बाहर की दुनिया में वो बाद में निकलता है इसलिए दुनिया की फ़िक्र बाद में करें, पहले उसे घर पर अच्छा माहौल दें।

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