ALI by Jonathan Egi.

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यह किसके लिए है

-ये जो मुहम्मद अली के बारे में जानना चाहते हैं।

-चैजो सफलता की कहानियाँ पढ़ना पसंत करते हैं।

वे जो बाक्सिंग और स्पोट्र्स में दिलचस्पी रखते हों।

लेखक के बारे में

जोनाथन ईग् (Jonatham Eig) बरविलिन, न्यू यॉर्क में पैदा हुए थे। वे एक अमेरिका जर्नलिस्ट और एक लेखक हैं। उन्होंने अब तक पाँच किताबें लिखी हैं। उनकी ज्यादातर किताबें महान लोगों के

जीवन के ऊपर लिखी गई हैं।

यह किताब आपको क्यों पढ़नी चाहिए

मुहम्मद अली अपने समय के सबसे महान हेवी वेट चैम्पियन थे। उनकी जिन्दगी प्रेरणा से भरी पड़ी है। इस किताब में आप जानेंगे कि किस तरह से उन्होंने 12 साल की छोटी उम्र से ही कड़ी मेहनत की और कैसे उनकी मेहनत रंग लाई।

हर सफल आदमी के साथ कुछ परेशानियां और मुश्किलें हमेशा लगी रहती है। अली के साथ भी ऐसा ही था। उनकी जिन्दगी में भी बहुत से उतार चडाव आए/वे बहुत बार गिरे लेकिन हर बार उठ खड़े हए क्योंकि जमीन पर गिरे रहना चैम्पियन्स की फितरत में नहीं है।

मुहम्मद अली की जिन्दगी हम सभी के लिए एक प्रेरणा है। उनसे हमें यह सीखने को मिलता है कि – इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कितनी बार गिरते हैं। फर्क इससे पड़ता है कि गिरकर आप कितनी बार उठते हैं। हर विनर वो लसर है जिसने एक बार और कोशिश की थी।

इसे पढ़कर आप सीखेंगे

“मुहम्मद अली ने बाधिसंग की शुरुआत कैसे की।

कौन सा मुक्का आगे मुहम्मद अली के लिए घातक साबित हुआ।

अली ने अपना धर्म कब और बदला।

मुहम्मद अली के परिवार का इतिहास अच्छा नहीं था।

मुहम्मद अली के परिवार का इतिहास परेशानियों से भरा पड़ा था। आइए हम उनके परदादा जॉन हेत्री क्ले से शुरुआत करते हैं।

जान हेत्री क्ले एक गुलाम थे। उनके मालिक का नाम हेत्री क्ले था जिनके नाम पर उन्हें नाम दिया गया। हेत्री अब्राहम लिंकन के बहुत अच्छे साथी थे और उनके विचारों से वाल्लुक रखते हैं। वे भी चाहते थे कि गुलामों को आजादी मिले और उन्हें एफ्रिका भेज दिया जाए। वे अमेरिकन कोलोनाइज़ेशन सोसाइटी को फाउन्डर थे जो इसी मुद्दे पर काम करती थी।

एक अच्छे मालिक के गुलाम होने के कारण अली के परदादा ने किसी तरह एक छोटी सी जमीन हासिल कर ली गुलामों कि जिन्दगी आसान हो गयी। उन्होंने अपने परिवार को पाला। आने वाले वक्त में

समस्या तब शुरू हुई जब जॉन हेत्री क्ले के बेटे यानी मुहम्मद अली के दादा हर्मेन हीटेन यले ने अपने एक दोस्त के यहाँ वाल्ल्स डिकी का नाम लेकर से कुछ पैसे वुरा लिए।

बाद में चाल्स डिकी के एक दोस्त ने जब पैसे गाँगे तो हानि ने पैसे देने से इनकार कर दिया और उसे गोली मार दी जिसके लिए उसे 6 साल की सजा भुगतनी पड़ी।

जेल से निकलने के बाद हर्मन हीटेन क्ले ने मुहम्मद अली की दादी एडिथ ग्रेटहाउस से शादी कर ली।

हर्मन और एडिथ का पहला बेटा एवरेट क्ले था। एवरेन को भी अपनी पत्नी की हत्या के जुर्म में जेल भेज दिया गया। इसके बाद हर्मन और एडिथ का दूसरा बेटा हुआ जिसका नाम केसियस मार्सेलस क्ले सीनियर था। ये मुहम्मद अली के पिता थे।

कैसियस ने ओडिंसा प्रेडी चले से शादी की और जनवरी,1942 में उनका बेटा पैदा हुआ जिसका नाम कैसिंयस मासेलस क्ले जूनियर था। जी हाँ ये वही मुहम्मद अली हैं जिन्होंने पूरी दुनिया में अपने नाम को रोशन किया।

गरीब होने के बावजूद मुहम्मद अली की परवरिश बहुत अच्छे तरीके से हुई।

क्लेसिथस वले ( मुहम्मद अली का असली नाम ) बहुत छोटी उम्र से ही बड़ों जैसी बातें करने लगे थे और उनके जैसे रहने लगे थे। हालाँकि वे गरीब थे लेकिन उनकी परवरिश

बहुत अच्छे ढंग से की गई थी। अस्पताल में जब वे रोते थे तो उनकी आवाज बाकी बच्चों के मुकाबले जोर से निकलती थी। लेकिन आगे उन्हें ज्यादा रोना नहीं हुआ क्योंकि उन्हें बहुत लाड प्यार से बड़ा किया गया।

अली की माँ बताती हैं कि वे हमेशा अपने पालने से निकल कर आस पास जाने की कोशिश करते थे। 10 महीने की उम्र से ही वे अपना काम खुद से करने लगे और किसी को भी अपने काम में नहीं आने देते थे। इसकी वजह से उनका कमरा हमेशा बिखरा सा रहता था

मुहम्मद अली बचपन में बहुत जिद्दी थे। उन्हें बहुत गुस्सा आता था और ये किसी की बात नहीं सुनते थे। उनके इसी स्वभाव ने उन्हें आगे चलकर एक महान बाक्सर बनाया।

मुहम्मद अली के पिता एक अच्छे पति और एक अच्छे पिता साबित हुए। उन्होंने अपने घर को गुलाबी रंग से पेंट किया क्योंकि यह उनकी पत्नी का मनपसंद रंग था। उन्होंने पेंटर का काम किया और अपने बच्चों के लिए एक घर भी बनाया।

1944 में अली का छोटा भाई रुडोल्फ आर्नेट क्ले पैदा हुआ। गरीब होने की वजह से उनके पास अच्छे कपड़े और जूते तो नहीं थे लेकिन उन्होंने कभी भी अपने बच्चों को भूखा

नहीं सोने दिया।

लेकिन हालात हमेशा एक से नहीं रहे। सत्य के साथ उनके पास कुछ और पैसे आने जिससे उन्होंने अपने बच्चों के लिए खिलौने, पालतू जानवर और एक साइकल भी खरीदी।

मुहम्मद अली ने अपने कैरियर की शुरुआत एक बाक्सिंग क्लब से की।

जब अली 12 साल के थे तब वे अपने भाई के साथ अपनी साइकल पर कहीं घूमने गए थे। तभी अचानक से जोर से आँधी चलने लगी और वे कोलम्बिया आडिटोरियम में रुक गए। जब मौसम शांत हुआ तब दोनों भाई आडिटोरियम से बाहर आए और उन्होंने देखा कि उनकी साइकल वहाँ नहीं थी।

वह साइकल उन्हें क्रिसमस पर मिली थी और अपनी पहली साइकल के चोरी हो जाने पर मुहम्मद अली बहुत गुस्सा हो गए। कुछ लोगों ने उन्हें सलाह दी कि वे इसके चोरी होने की रिपोर्ट लिखवा दे।

अली अपने भाई के साथ पुलिस के पास गाए। जिस आफिसर के पास वे रिपोर्ट लिखा रहे थे उसका नाम जोड़ एल्स्थी भार्टिन था जो कोलम्बिया आडिटोरियम के नीचे एक बाक्सिंग क्लब चलाता था।

मार्टिन ये देखकर हैरान था कि एक 12 साल का पतला सा बच्चा किस तरह से अपनी साइकल चोरी होने पर इतना गुस्सा कर रहा था और चोरी करने वाले को मारने के लिए

उतावला था। मार्टिन ने अली को सुझाव दिया कि वह उसके बाक्सिंग क्लब का हिस्सा बन जाए जिसके लिए अली ने हाँ कह दी। उनके इसी फैसले ने उन्हें

मली स्कूल में एक औसत लड़के थे। बाक्सिंग बलाब की खुशबू और वहाँ का माहौल मली को अच्छा लगने लगा और उन्होंने वहाँ पर अपने पूरे जोर के साथ मेहनत की। उनकी मेहनत जल्दी ही रंग लाने लगी।

मुहम्मद अली ने अपनी पहली लड़ाई 12 साल की उम्र में अपनी पहली लड़ाई लड़ी। उसके 6 साल तक उन्होंने लगभग 100 लड़ाइयाँ लड़ी जिसके उन्हें पहली बार दुनिया के सामने लड़ने का मौका मिला।

18 साल की उम्र में मुहम्मद अली ने पहला गोल्ड मेडल जीता।

1960 में अली को अमेरिका की ओलम्पिक टीम के लिए चुन लिया गया था। यह ओलम्पिक रोम में हुआ था जिसमें अली के लड़कपन के जोश ने उन्हें फेमस बना दिया।

अली का मुकाबला बड़े बड़े लोगों के साथ था और अमेरिका को यह उम्मीद नहीं थी कि वे उनके सामने टिंक पाएंगे। लेकिन उन्होंने सबको गलत साबित कर दिया। उनका मुकाबला ऑस्ट्रेलिया के टोनी मैडिगन, पोलैंड के बिग्यु पीटज़ाईकोवसी और लशिया के चैम्पियन गेनेडी शेटकोव के साथ हुआ।

मुहम्मद अली ने बहुत अच्छी शुरुआत की। अपने बेल्जियम के प्रतियोगी को सेकेंड राउन्ड में हरा दिया। लोग तो तब चौंक गए जब अली ने शेटकोव को बिना पसीना बहाए

हराया। टोनी मेडिगन के साथ लड़ना उन्हें भारी पड़ा। उनकी लड़ाई काफी देर तक चलती रही। आखार में जब समय खत्म हो गया तब जज ने अली को विजेता घोषित किया क्योंकि

वे मेडिगन पर भारी पड़ रहे थे।

अंत में उनकी लड़ाई पीटज़ाईकोवसी से हुई जो कि बाँए हाथ का इस्तेमाल करता था। अली को इसकी आदत नहीं थी लेकिन फिर भी उन्होंने इससे एक सबक सीखा। अली ने लड़ने के लिए अपने बाएं हाथ का और अपनी फुर्ती का इस्तेमाल नहीं किया। वे अपने दाएँ तरफ पर ही फोकस करते रहे। हालांकि उन्हें कुछ फोर के मुक्के खाने पड़े थे लेकिन तीसरे राउन्ड में उन्होंने उसे खून से लथपथ कर दिया और जज ने फैसला अली के पक्ष में किया। इस तरह से उन्होंने ओलम्पिक में अमेरिका के लिए 18 साल की उम्र

में अपना पहला गोल्ड मेडल जीता।

नेशन आफ इस्लाम से जुड़ने के बाद अली ने अपना धर्म बदला और अपना नाम भी।

ओलम्पिक में मेडल जीतने के बाद अली ने चार साल तक बाक्सिंग की और लगभग सभी में जीत हासिल की सोनी लिस्टन को हराने के बाद वे दुनिया के सबसे महान हेवी वेट बाक्सर की लिस्ट में आने लगे।

जब अली मैल्काम एक्स से एक पार्टी में मिले तब उनकी जिन्दगी में बहुत से बदलाव आने लगे। मैल्काग एक्स नेशन आफ इस्लाम और ब्लैक मुस्लिंग मूवमेंट के स्पोक्सपर्सन थे। मैल्काम की मुलाकात अली से इत्तेफाक से नहीं हुई थी। अली ने पहले भी अमेरिका की ब्लेक कम्युनिटी के लिए कुछ करने में रुचि दिखाई थी और मैल्काम एक्स ने धीरे धीरे उन्हें अपना दोस्त बना लिया।

इसके बाद अली की मुलाकात नेशन आफ इस्लाम के लीडर एलीजा मुहम्मद से हुई जो अली को दुनिया के सामने नेशन आफ इस्लाम से जोड़ने के लिए बेताब था। अली पहले से ही नस्लवाद के खिलाफ लड़ना चाहते थे और इससे उन्हें एक मोका मिल गया। मेल्काम एक्स से मिलने के अगले दिन ही अली ने एक प्रेस कांफ्रेंस बुलाई

जहाँ उन्होंने लोगों के सामने अपने विचारों को रखा।

कांफ्रेंस में भलो ने यह घोषणा की कि वे क्रिश्चन धर्म को छोड़कर हस्लाम को अपना रहे हैं और वे मानते हैं कि अल्लाह उनका भगवान है जो उन्हें शांति फैलाने के लिए कह रहा है। इसी काफ्रेंस में भली ने कहा कि वे इस बात से खिलाफ है कि काले लोगों को गोरे लोगों के समाज में एडजस्ट करना होगा। वे काले लोगों मज़बूत बनाने की लड़ाई लड़ना चाहते थे।

इसके कुछ दिन के बाद 6 मार्च 1964 को कैसियस गार्सेलस बले जूनियर ने क्रिश्चन धर्म को छोड़ा और इस्लाम को अपना धर्म बनाया। इसके साथ ही उन्होंने अपना नाम मुहम्मद अली रखा।

अली को 1960 के दशक में बहुत सी परेशानियाँ भी झेलनी पड़ी।

1960 के दशक में अमेरिका का विएतनाम से युद्ध हो रहा था। इस युद्ध में अमेरिका काले लोगों को जबरदस्ती युद्ध में भेज रहा था। अली को यह बात अच्छी नहीं लगी। काले लोगों का शोषण हो रहा था और अली इसके सख्त खिलाफ थे।

1967 में अली के आर्गेनाइजेशन ने अली को इसके खिलाफ आवाज़ उठाने के लिए कहा। अली ने कोर्ट में अर्जी दी की सेना में जाने के लिए चुनाव जबरदस्ती और नस्ल के आधार पर हो रहा है और इसे रोकना होगा। लेकिन वे स्टेट कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट से अपनी बात नहीं मनवा पाए।

अली भी काले लोगों में से एक थे जिससे उन्हें भी सेना में जाने के लिए कहा गया। अली के साथ 26 लोगों को सेना में जाने के लिए बुलाया गया। अली के पास उनका वकील था। जब उन लोगों ने अली का नाम लिया तब उन्होंने खड़े होने से मना कर दिया और बार बार इसका विरोध करते रहे।

एक नेची आफिसर ने उन्हें चेतावनी दी कि अगर चे खड़े नहीं होंगे तो उन्हें 5 साल जेल और 10000s का जूर्मांना भरना होगा। लेकिन अली तो बचपन से ही जिद्दी थे। उन्होंने इससे साफ मना कर दिया।

इसके बाद अली को यह खबर मिली कि उनकी इस हरकत की वजह से उन्हें वर्ल्ड बाक्सिंग एसोसिएशन ने तीन साल के लिए बैन कर दिया। इसके अलावा सभी बाविसंग एसोसिएशन ने उन्हें अमेरिका के लिए खेलने से तीन साल के लिए बैन कर दिया।

अली को इस पर गुस्सा नहीं आया।या शायद अगर आया भी होगा तो उन्होंने इसे दिखाया नहीं। उन्होंने कहा कि वे घर जा कर अपनी माँ के हाथ का खाना खाएगे।

तीन साल के बाद जब अली बाक्सिंग में वापस आने वाले थे तब नेशन आफ इस्लाम ने उन्हें बैन कर दिया।

नेशन आफ इस्लाम के कुछ सख्त नीयम थे और उन नियमों को ना मानने वाले को निकाल दिया जाता था। अली भी इनमें से एक थे।

एलिजा को जब यह पता लगा कि अली पर से बैन हटने वाला है तब वह परेशान हो गया। सिगरेट, शराब पीने या हिंसा के काम करने के वह खिलाफ था। इसलिए वह अली से मिलने उसके घर गया और उसने अली से गुजारिश की कि वह बाक्सिंग छोड़ दे।

अली एलिजा की बहुत इज्जत करते थे। लेकिन एलिजा की यह बात उसे पसंद नहीं आई। अली बाक्सिंग छोड़ने के लिए बिल्कुल तैयार नहीं थे। लेकिन ये शांति फेलाने के लिए कुछ करना भी चाहते थे। अली धर्म संकट में फंस गए थे।

लेकिन वे जल्दी ही इससे निकल आए और उन्होंने बाक्सिंग को चुन लिया। इसके कुछ समय के बाद ही यह घोषणा हुई कि अली को नेशन आफ इस्लाम से निकाल दिया गया है और अब मुहम्मद अली एक बार फिर से कैसियस मार्सेलस क्ले जूनियर हो गाए हैं।

अली के अलावा बहुत सारे लोगों ने एलिना की बात मानने से इनकार कर दिया। वे अपने सपनों और अपने परिवार वालों को छोड़ने के लिए तैयार नहीं थे जिसकी वजह से एलिजा ने अपने बहुत से साथियों को निकाल दिया।

लेकिन यह एक तरफ की कहानी थी। बहुत सारे लोगों ने अपने सपनों को छोड़ दिया और एलिजा के साथ नेशन आफ इस्लाम के सदस्य बने रहे। उन्होंने अपने रिश्तों और अपने काम को पूरी तरह से छोड़ दिया। इनमें से एक का नाम था लूइस फराहखान जो एक उस समय के फेमस सिंगर थे। एलिजा की मौत के बाद 1975 में लूडस नेशन आफ इस्लाम के लीडर बने।

अली अपने बाक्सिंग के सफर पर एक बार फिर से महानता हासिल करने निकल पड़े। उन्होंने हम सभी को एक संदेश दिया कि हम इस दुनिया के नियम मानने के लिए और इस दुनिया के हिसाब से रहने के लिए यहां नहीं आए हैं, हम यहाँ खुद के लिए एक दुनिया बनाने आए हैं।

जोड़ फ्रेज़ियर के लेफ्ट हुक ने अली के दिमाग की कुछ नसें फाड़ दीं।

1971 में जब अली एक बार फिर से लड़ने के लिए मैदान में उतरे तो उनका मुकाबला उस समय के चैम्पियन जोड़ फ्रेजियर के साथ हुआ। उनकी इस लड़ाई का नाम फाइट आफ द सेंचुरी था जो सबसे बड़ी फाइट्स में से एक थी।

यह लड़ाई 8 मार्च 1971 में मैडिसन स्वर में हुई थी। इसमें हारने या जीतने वाले को 25 मिलियन डॉलर दिए जाते जो 2018 के 15 मिलियन डॉलर के बराबर था।

इस लड़ाई की टिकट बहुत जल्दी बिक गई और इस मैच को लगभग 30 करोड़ लोगों ने टीवी पर देखा होगा। यह मैच 15 राउन्ड का था।

इस लड़ाई की शुरुआत में अली ने अपना पूरा जोर दिखाया। दो मैच तक वे जोड़ पर मुक्के बरसाते रहे। लेकिन छद् मैच के बाद अली थक से गए थे तीन साल तक उन्होंने बाक्सिंग नहीं की थी। इसका असर दिखने लगा था। 8 राउन्ड के बाद अली रस्सियों से सिर्फ इसलिए लटक रहे थे ताकि वे अपने पैरों पर खड़े रह सकें। मुक्के बरसाने की बारी अब जोड़ की थी। 15वें राउन्ड में जोड़ ने अली को एक जोरदार लेफ्ट हुक मारा जिससे अली जमीन पर गिर पड़े। कुछ सेकेंड्रस तक वे खड़े नहीं हो पाए लेकिन ये एक बार फिर से उठे और अपने आप को 2 मिनट तक संभाले रखा।

अंत में जोड़ को विजेता घोषित कर दिया गया। बाद में यह बात सामने आई कि उस लेपट हुक की वजह से अली के दिमाग को झटका लगा था जिसकी वजह से उनके दिमाग की कुछ नसें फट गई थी।

1978 में अली ने अपनी आखिरी लड़ाई लड़ी।

जोड़ से हारने के बाद अली ने उससे दो बार फिर से लड़ाई की और वे दोनों बार जीते। इसके बाद अली का सामना केन नार्टन से हुआ। नाटन ने 1973 में अली का जबड़ा तोड़ दिया और अली को हराकर वर्ल्ड चेम्पियन बन गया।

1974 नार्टन को जॉर्ज फोरमैन ने हराया और वर्ल्ड चैम्पियन का टाइटल उससे ले लिया। फोरमैन अब तक हर किसी से जीतता आया था लेकिन अली से लड़ना उसे भारी पड़ा।

अली और फोरमैन की लड़ाई अक्टूबर 1974 में ज्ञाइरे में हुई थी। अली ने इस लड़ाई में अलग पैंतरा अपनाया। उनके इस पैंतरे का नाम रोप-अ-डोप रखा गया। अली ने शुरुआत में फोरमैन को यकाया। वे यहाँ वहाँ दौड़ कर रस्सियों से लटकते रहे, भपना बचाव करते रहे और उसका मजाक उड़ाते रहे। अंत में जब वह थक गया तब वे फोरमैन पर जमकर मुक्के बरसाने लगे और उसे हरा दिया। वे दूसरी बार वर्ल्ड चैम्पियन बन गाए।

कुछ साल तक अली चल्ल्ड चैम्पियन बने रहे लेकिन फिर उनका मुकाबला लियॉन स्पिंक्स के साथ हुआ। स्पिक्स ने अली को पहले मैच में हरा दिया और उनसे वर्ल्ड चैम्पियन का टाइटल छीन लिया।

मली और स्पिक्स का मुकाबला सेप्टेंबर में एक बार फिर से हुमा। स्पिंक्स अपनी जीत की खुशी में इतना मस्त था कि उसने ट्रेनिंग नहीं ली थी जिसकी उसे कीमत चुकाई।

यह मैच उतना शानदार नहीं था लेकिन यह अली का आखिरी मैच था। इसमें अली ने स्पिंक्स को हराया और वर्ल्ड चैम्पियन का टाइटल तीसरी बार हासिल किया। वे पहले ऐसे हेवीवेट वेम्पियन थे जिन्होंने वर्ल्ड चैम्पियन का टाइटल तीन बार जीता था।

बाक्सिंग के बाद अली ने लोगों को हँसाने के लिए और दुनिया में शांति फैलाने के लिए बहुत सारे काम किए।

अली ने अपने सिर पर बहुत सारे मुझे खाए थे पिसका असर उन पर अब दिखने लगा था। 1981 के बाद वे समझा गए थे कि अब वे बाक्सिंग के लिए ठीक नहीं हैं और उन्हें कुछ और काम ढूठना होगा। अली बहुत फेमस हो गए थे और कामेडी शो के लिए एकदम फिट थे।

शो में अली अक्सर सो जाते थे। वे धीरे धीरे बीमार पड़ रहे थे और इसका असर साफ दिख रहा था। लेकिन फिर भी वे लोगों को हँसाने के लिए अलग अलग तरीके खोज लाते। वे नाटक करते कि वे सो रहे हैं और फिर हवा में मुक्के मारने लगते। फिर वे उठ जाते और कहते कि वे बाक्सिंग का सपना देख रहे थे। कभी कभी सो जाने पर वे अचानक से गाना गाते हुए उठ जाते थे जिससे लोग खूब हँसते थे।

1985 में अली ने बहुत सारे अमेरिका के नागरिकों को आतकवादियों की कैद से छुड़ाने में मदद की। वे रोनेल्ड रीगन की एक संस्था के सदस्य थे जिसने अमेरिका के लोगों को छुड़ाया।

इसके बाद अली ने ईरान के एक लीडर से बात की जिसका नाम अयातुल्लाह खोमीनी था। इस मीटिंग के बाद एक अमेरिका के नागरिक को केद से रिहा किया गया।

अली इस तरह के हालात में अपना सहयोग देते रहे। लेकिन समय के साथ वे बहुत कमजोर हो गार और 1984 में उन्हें पहली बार पार्किसन्स डीसीस के लिए डाइग्रोस किया गया। यह बीमारी उनके साथ उनकी मौत तक रहा। 3 जून 2016 में उनकी मौत हो गई।

अपनी मौत के आखिरी दिनों में वे पार्किसन्स डीसीस के रिसर्च और शांति फेलाने के कामके लिए फंड इकठ्ठा करते रहे। ये इस दुनिया के लिए एक प्रेरणा के स्रोत बने।

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