ये किताब किसके लिए है?
-साइकोलॉजी को करीब से समझने वालों के लिए
जिन्हें मेंटल हेल्थ के बारे में जानना हो
जिस भी ऐसी समस्या हो
लेखक के बारे में
Paul McGee यूपी के गारातूर मोटिवेशनल स्पीकर ही उन्होंने अब तक 7 किताबों का लेखन किया है. मैंटल हेल्थ से जुड़े कई टॉपिक्स के ऊपर लेखक ने काफी करीब से अध्ययन किया है
एंग्जायटी और स्ट्रेस?
आज के दौर की एक सच्चाई है, वो ये है कि लोगों के जीवन में पैसों की तो बढ़ोतरी हुई है, लेकिन इसी के साथ उनकी जिंदगी में स्ट्रेस ने भी एक अलग ही जगह बना ली है, स्ट्रेस एक ऐसी बिमारी, जी हाँ ये बिमारी ही है. इसे बिमारी इसीलिए कहा जा रहा है क्योंकि इसी की वजह से कई खतरनाक बीमारियों का जन्म होता है.
इसीलिए कहा गया है कि चिंता और चिंता में ज्यादा फर्क नहीं है. कई बार ऐसा होता है कि आपको अपनी दिक्कत के बारे में तो अच्छे से पता होता है लेकिन आप कुछ कर नहीं पाते हैं. सीधा-सीधा कहा जाये तो आप अपनी मदद ही नहीं कर पाते हैं.
अब इसके पीछे का क्या कारण होता है और आप मेंटल हेल्थ को कैसे बेहतर रख सकते हैं? इन सब बातों के बारे में आपको इस किताब में पता चल जाएगा.
क्या कभी आपकी नीद रात को अचानक खुली है? इसके बाद पूरी रात आप जागते ही रहे हों. क्या आपको भी भविष्य की विता में नीद नहीं आती है?
अगर ऐसा होता है तो ये एक सामान्य सी प्रक्रिया है. लेकिन तब तक जब तक एक सामान्य सी वरी किसी स्ट्रेस या एंजायटी का रुप नहीं ले लेती है.
अगर इसे और अच्छे से समझने की कोशिश करें तो चिंता के बाद ही जायटी का जन्म होता है. णजायटी के बाद आपके शरीर में कई तरह के बदलाव देखने को मिलने लगते हैं. आपको कभी-कभी महसूस हो सकता है कि आपको सास लेने में दिक्कत हो रही है. कई बार अचानक आपकी हरट बीट बहुत तेज़ हो जाएगी ये सब लक्षण एजायटी के ही होते हैं.
आपको ये बात समझना पड़ेगा कि चिंता, एजायटी और स्ट्रेस आपस में कनेक्ट करते हैं. कई बार ऐसा होगा जब चिंता के बाद एंजायटी और स्ट्रेस का जन्म होगा वहीं कई बार ऐसा भी हो सकता है कि स्ट्रेस के बाद चिंता और एगजायटी का जन्म हो होने को कुछ भी हो सकता है. लेकिन चिंता, एग्जायटी और स्ट्रेस आपस में जुड़े हुए हैं,
इन सबसे एक साइकिल का निर्माण होता है. एक्साम्प्ल के लिए आप समझ सकते हैं. कि चिंता और डर के कारण जब एग्जायटी का जन्म होता है तो इसान कुछ ज्यादा ही ओवर थिंकिंग करने लगता है. कई बार ये ओचर थिकिंग इतनी ज्यादा होती है कि उससे आदमी बेहोश तक हो जाता है. बेहोशी तो छोटी अवस्था है. स्ट्रेस और एग्जायटी के कारण आदमी का मानसिक संतुलन भी बिगड़ सकता है. यहाँ तक कि इस अवस्था से किसी की भी जान भी जा सकती है.
जब कभी भी आप इस साइकिल में फंसेंगे तो आपकी जिंदगी में कई सारे बदलाव आपको देखने को मिलेंगे आपकी क्वालिटी ऑफ़ लाइफ खत्म हो जायेगी. इसान की बॉडी का इम्यून सिस्टम खराब हो जाता है. यहाँ तक कि ये भवस्था इंसान की सेक्स लाइफ में भी बुरा असर डालती है.
जब आपके साथ या फिर आपके किसी भी चाहने वाले के साथ ऐसा कुछ हो तो सबसे जरुरी होता है कि उस समय दिमाग की मदद से कुछ बेहतर फैसले लिए जाएँ, अगर इन्सान उस दौर में अच्छे और मजबूत फैसले ले लेता है तो फिर वो इस अवस्था से बाहर भी निकल जाता है.
लेकिन असलियत में होता कुछ ऐसा है कि उस दौर में किसी का भी दिमाग काम करना बंद कर देता है, मरीज के दिमाग में एक ऐसा लूप तैयार होता है कि वो प्रेजेंट में जीना ही नहीं चाहता है, पास्ट एक्सपीरियंस का क्या योगदान होता है?
अगर आपको किसी भी चीज़ की चिंता है? तो सबसे पहले शीशे के सामने खड़े हो कर कुछ सवाल खुद से करिए कि इस छोटी सी जिंदगी में ऐसा क्या है जिससे आप इतना परेशान है। क्या वो जॉब की चिंता है? या फिर कोई और दिक्कत है. याद रखिये चिंता जितनी भी बड़ी क्यों ना हो? उसका कारण उतना ही छोटा होता है.
अब लेखक आपको बताते हैं कि लोगों के परेशान होने का एक सबसे बड़ा कारण क्या होता है? वो होता है उनका पास्टकई लोगों के साथ तो ये भी देखा गया है कि लोग अपने पास्ट का बोझ डोते ही रहते हैं. कई लोग तो अपने बचपन की घटना को जवानी तक लेकर आते हैं. फिर होता क्या
है उस चिंता से एक डर का जन्म होता है. उस डर का ऐसा असर होता है कि आपके दिमाग को एजायटी घेर लेती है. फिर आप परेशान होते रहते हैं.
पास्ट के अलावा दर्दनाक एक्सपीरियस भी स्ट्रेस का एक महत्वपूर्ण कारण होता है.
भले ही वो कोई एक्सीडेंट हो या फिर आपका कोई बेकार रिलेशनशिप हर चीज़ का गुनाहगार आप क्यों खुद को समझ लेते हैं? ऐसा करने से कभी भी समस्या का हल नहीं
निकलता है. लोग अपने पास्ट को अपने साथ जोड़कर रखते हैं. ऐसा रखते हैं कि वो भूल जाते हैं कि उनकी जिंदगी में प्रेजेंट भी कुछ है,
फ्यूचर तो बाद में आएगा, अभी तो आपको ये भी याद नहीं है कि आपकी जिंदगी में प्रेजेंट भी कुछ चल रहा है.
इन सबसे बाहर आने के लिए ये समझ लीजिये कि जिंदगी ने आपका ठेका नहीं लेकर रखा हुआ है कि वो आपके सामने चही वीज़ लाएगी जैसा कि आप चाहते हैं. आपको खुद को तैयार रखना पड़ेगा कि अगर चीजें आपके हिसाब से नहीं हुई तो फिर आप क्या करेंगे? क्या आपको खुद के ऊपर भरोसा ही नहीं है?
क्या एक ब्रेक अप के अंदर इतनी शक्ति है कि वो आपको खत्म करके रख दे. इसलिए सबसे पहले अपनी सोच को प्रैक्टिकल बनाहर, जो भी चीज़ आपके पास्ट में हो चुकी है.
उसके सामने जाकर खड़े हो जाइए, उसे एक्सेप्ट कीजिए, सब कुछ आपको सोच का ही खेल है. उससे बोलिए कि भव तू मुझे और परेशान नहीं कर सकता है.
पास्ट को एक्सेप्ट कर लीजिये जितनी जल्दी आप ये कर लेंगे आपकी जिंदगी में एक बड़े बदलाव की शुरुआत हो जायेगी.
अगर आपको कभी किसी चीज़ से चिंता होने लगे तो फिर तुरंत उस चीज़ से दूर हट जाइए इसान के दिमाग के बेसिक स्ट्रक्चर को समझने की कोशिश करिए इंसान का दिमाग ही इस तरह से बना हुआ है कि वो खतरनाक सिंचुएशन को लेकर रियेक्ट करता है.
चिंता किसी के भी ब्रेन के इमोशनल पार्ट का हिस्सा होती है.
चलिए इसको समझने की कोशिश करते हैं. प्रिमिटिव ड्रेन सब कोन्सियस में मौजूद होता है. ये फ्लाइट और फाइट से डील करता है, इसका मुख्य उद्देश्य आपको जिंदा रखना होता है. लेकिन ये आपकी सेक्स ड्राइव और खान-पीन पर भी ध्यान देता है.
हमोशनल ब्रेन और प्रिंमिंटिव ब्रेन साथ मिलकर ही काम करते हैं. दोनों साथ मिलकर ही एड्रेनालाईन और कोर्टिसोल जैसे हॉर्मोन को रिलीज करते हैं. इन्ही की वजह से आपके अंदर एलर्जी लेवल बढ़ता है.
चिंता सर्वाइवल स्ट्रेटजी का हिस्सा है. इसकी वजह से आप हमेशा अलर्ट रहते हैं. दिमाग चाहता है कि आप हमेशा बुरी परिस्थति के लिए तैयार रहें.
इसलिए हमेशा जब भी आपको चिंता हो. तो आप कोशिश करिए कि आपका फोकस रेशनल ब्रेन की तरफ रहे. रेशनल ब्रेन का अप्रोच प्रेक्टिकल रहता है.
अगले अध्याय में हम समझने की कोशिश करेंगे कि आप अपने रेशनल ब्रेन का अच्छे से उपयोग कैसे कर सकते हैं?
स्थति को जानना ही बचाओ की तरफ पहला कदम है
इस अध्याय में उस सिम्पल मैच के बारे में जानेंगे जिसकी गाय से शाप खुप यो येडवर जान पारण. अगली बार जाप कमी आप सप को ऐशा सिएशन में पाइयेगा तो इस मेथड या यूग ज़रूर करियेगा.
इन एक्सरसाइज में आपको खुद को जानने में काफी ज्याला मदत मिलेगी अब आते हैं इस बात पर कि इस करना कैसे है?
सबसे पहले खुद से सवाल करिए कि आपकी पूरी चिंता आखिर आ कहाँ से रही है।
इसके बाद अपनी चिंता को तीन कैटेगरी में बाटने की कोशिश करि देखिये कि आपकी चिंता सिटमनल है. एटमीपैटरी है या फिर देवी जुमल है।
सिंचुषशनल स्ट्रेस एग्जायटी का एक रूप होता है. ये वर्तमान में घट रहे किसी भी घटनाक्रम के कारण हो सकता है. हो सकता है कि आपका रिलेशनशिप अव्या ना बता रहा .या फिर विशनेस में कोई दिक्कत आ रही हो.
अशा सात करते है स्टीसापट स्टेस की ये भी एजायटी का ही का है ये तब होता है जब आप पासूबर के बारे में सोच रहे होते हैं. ऐसा हो मकता है कि आपका काई शाजान इन वाला हो या फिर आपको अपने प्रजेटशन की टेंशन ही कोई भी ऐसा इवेंट जिसके बारे में सोचकर आपको अभी से दिक्कत हो रही हो.
इसके बाद शौजुअल स्ट्रेस आता है. उस टैस का मतलब होता है कि पास्ट में आपके साथ कुछ बुरा हा हो जिसके कारण आपके दिमाग में ट्रामा का साया पड़ा ही शो को बौटीएसडी मी कहते है जिसको पोस्ट ट्रॉगेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर कहा जाता है
अब भाप तीन पहलु को गौर करिए और पहवानिए कि आपकी कौन सा दिमकान है या फिर आपके दिमाता की वजह क्या है?
इसी के साथ आगर आप अप स्टेटस को पहचान लो तो आपको इसको जड का भी पता कल जायेगा इसके बाद कभी भी वें मत सौचियेगा कि आखिर एसा आपके साथ ही क्यों हो रहा है। ऐसा सोचने से आपके पास कोई इल तौ नही निकलेगा बल्कि आपकी परेशानी और ज्यादा चल जायेगी उलना मान लीजिये विआर आप अपने आभने दोस्ती कर लेंगे तो आपको कभी भी अपनी विक्षों से भागना नहीं पड़ेगा. अपनी दिक्कत पहचानिए और आगे ब्यवे रहिये इना के साथ अगर आप अपनी जायटी में गाइर आना चाहते है तो सबसे पहले खुद को रोइलर से समझाने की कोशिश करिए अगर आप खुद को समझ लगे तो फिर आपइम विझत में बहत्तर तरीक में लड़ना सीख पायेंगे किसी भी दिक्कत को पहचाग लेने का मतलब होता है कि आप उस लिक्कल को आधा साल्ত कर दिया है. बुद्ध को पहचान लीजिये खुद को दिक्कत के मोर्स को भी पहचान लीजिये खुद के दिमाग को हल्का रखने की कोशिश करिए, जिंटा बात कही नहीं होती है. इस छोटी सी जिंदगी में आप खुद के ऊपर ज्यादा बोझ लेकर मत चलिए अगर आपने अब तक सनरी र रो पड़ी है. वो कि आपके लिए खुशारी है, ये मुसलाधरी ये है कि आपने अपनी परजायटी में लाने की शुरुवात कर दी है आपने इसे आता करने के लिए पहला कदम भी बढ़ा दिया है.
अब दूसरा कचा वाडा. सबसे पहले अपनी को सा करने की शुरूआत कर दीजिये. सबसे पहले देखिये कि ऐसी कौन-कौन सो दिया है जिन्हें आप आनी से समाप्त कर सकते हैं? अगर आपको ऐमी समस्याओं का पता चल जाए ता सजाम पहले उन्द स्याम करिए जिह आप खत्म कर सकते हैं तो ठीक है. अगर भागको ममस्याभं से दूर भी जाना पड़े तो उससे दूर जाने में देर ना कारयगा.
जितनी टी आप करेंगे, उतनी ही देरी आपकी जायटी को जाने में भी लगगा, अछ पहले ही बहुत ज्याना देरी हो चुकी है अख आपके पान और ज्यादा समय ग्रांट करने के लिए नहीं है
सर्टिकले के कार्य को आगे बढ़ाते हैं. मबहर एक समस्या को अलग-अलग करके देखने की कोसिस करिए समस्याओं को देखकर फैसला करिएकि ये कैसामानस्यार है?
स्या को समस्या भूत से जुड़ी हुआ है? हिस्टोरिकल समस्याएं एंग्जायटी का वो रूप होती हैं, जो इंसान के माट एपसपीरियस से डर का रूप लो लोती है. अगर आप कभी रात में रहाल रहे डों और दजते-टलाते आप बैंकर रामले में कुण सोचते हुए विलित हो जाएं तो इसका मकान साफ है कि आपको कोई पुरानी बात परेशान कर रही है. जाय आपको कोई पुरानी बार परेशान को तो खुद में कृण परिचना.
खुद से पूछियेगा कि या इस तरह चितित होकर भाप उस सिचुलाम को बदल सकते है। इसका जवाब होगा कि नहीं, जो चीज पास्ट में हो चुकी है पसे अब बदला नहीं जा सकता है जिसे आप बदल नहीं सकते हैं उमके व्ारे में
सोचकर जुट को दिमाग को परेशान करने का क्या ही मतलब हैर
एक बार जब आप अपनी परेशानियों को मार्ट कर ले तो शद से पृष्टिए कि अब गया करता ?
अगर आपको आपा पास्ट परेशान कर रहा है तो सब्स अका तरीका है कि कोई इमोशनल हेल्प लीजिये और मूत औन करिए. आज का दौर मूत्र श्रीन करने का हा दौर है
आज के समय एक मुख्य वजह होती है डिशा में जाने कि रिलेशनशिप आज के दौर के जबान लोग अपने पास्ट के दाना को सोच-सोचकर ट्रामा में रहते हैं. उस ठामा की वजह से जाके अदर जायटी, स्टेस और डिप्रेशन जैसी बामारी अप्पा घरमा लेती है
अगर आपको भी ऐसी कोई दिक्कत है तो सबसे पहले जान लीजिये कि मागण्य कारण इर है आपके अंदर किसी ना किसी डर ने अपना घर बना लिया है. सी इर की कार से मायो वे दिक्पात हो रही हैं
सबसे पहले तो अपन मिाग को बनाइए कि आपका पास्ट अन जा बूका है. जो भूलकाला है इसे भूत में ही रहन दीजिय
अगर फिर भी तो डर जाने का नाम नहीं ले रहा है तो जवान हो भाई चौडी छाती करो और आप डर के सामने खड़े हो जाभो एक बार जब भाषका हौसला ऊपर उगा गा तो विभाग मानिष्ट कि भापके इस के लिए कोई जगह नहीं
खुद को ये बताते रहिये कि दिनी En राम का नाम है. इस सफर में कई सारे लोग मिलगे, कई सारे रिश्ते टूटी इस दुनिया में कुछ भी मरमाने नहीं है आपका भी मनानेट नही है ह दु के पौधे ही सुल का रास्ता । खुला रहता है देर से तो पास इस बात की, कि आप आरास्ते को पहचान दी नहीं पा रहे हैं
कई बार एक लांग वैकशन और अध्यातम का रास्ता भी इमान के दिमाग को शांत करने में मदद करता है. अगर आपको इस तरह की मदद की भी जरूरत पड़े तो आपको उसको लेने के लिए आगे झालना चाहिए,
कोशिश करते रहिये कि अपने आपको व्यस्त रस्य सके.अगर आप व्यस्त रहेंगे तो आपके दिमाग में इतनी जगा ही नहीं नेगी कि पालत की सोच उसकी जान ले सके बत साडी आपको खुद को चैले-ग करते रहना चाहिए आपको अपनी फीलिम्स को भी में लग करना चाहिए. मुट से पूना चाहिए कि कितनी बार ऐसा हुआ है कि माप जो सोचे वो सच हो जाए ऐसे सवाल माजी मदद करेंगे इतनी मदद आपके लिए काफी हो सकती है
कोई और नहीं जार सका है, अगर आपको यु की इन सर्वे उमर आपको ये बात याद रखनी चाहिए कि आपकी मदत आपके अलाता माझत हिम्मत को इतनी विराट रखिये कि सभी समस्याए उसके सामने खाली साबित हो.
फोकस को तेज करिए, सही का चुनाव करिए अगर आम ऐसा सोचते हो कि बौनों आपको कंट्रोल में नहीं है तो इंतजार करते रहिये जाइप में बहुत जान आपको पड़ा मरणाइना मिलने वाला है जिंदगी ऐसे समच में सरप्राइज से रूपर करणाी है जाप माणको उसको दूर-दूर
तक उम्मीद नहीं होता है. इसलिए हमेशा तैयार रहिये कि आपके सामने कुछ मस्त सरप्राइज आने वाला है.
इनका मै मतलव चित्कुल भी नहीं है कि जिंदगी में सबकुछ भापक हाथों में ही है, कई चीजे होती है ऐसी जिनका हम कुछ नहीं कर सकते हैं
उनयोगों और बातों को जल्द से जल्द एक्ट करने की आदत डाल लीजिये जितनी जल्दी आप जीओ को एवतेट कर सकते हैं, उतनी जल्दी करिध आगर आप एक्स्ट नहीं करेंगे तो कि आप परेशान होते रहेंगे, अगर आपको परेशान नहीं होता है तो लाइफ को हल्का फुल्न लाने की कोशिश पारिए जिला लाइफ को आप हल्का बनायो जना डी दिमाग भी आपका इल्का एल्का ही रहेगा, जाब तिमाग हल्का रहेगा. तर आपके पास कोई परवाती ही नहीं रहेगा जब जिन्दगी में परेशानी नहीं होगी तो हजायटी का सयाल डी पैदा नहीं होता है भूल जाइए, एजायटी क्या होता है। लापा का एक मन में भी है कि हम कुछ परेशानियों को तो प्चानकर उन्हैं दूर कर सकते हैं. लेकिन कई दिक्कतें ऐसी होती है जिने हम लुद से दूर नहीं कर सकते है, अन मवाल में उठता है कि हम न फरेशानियों से खुद को केन ए सो लिए एक सामान सस्ता ये भी बताया गया है कि हमें कुछ समय सिर्फ और सिर्फ समय को देना ही चाहिए. अगर हम यावर को टाइम दे ! तो फिर एक मनन आएगा जब सब कुछ सही-सही लगने लगेगा लकिन लोगों के अंदर पेशन्स की कमी आ जाती है. जाब पशन्स का कमा आती है तो चाज बिगड़ने लगता है. अब य हमार जापर ही है कि हम उस सिंबएशन को कैसे हंडज करते हैं?
कई साइकोलोजिकल स्टडी में मा कहा गया है कि डिप्रेशन का मैन रीजन या फिर यूँ कहें कि सबसे बड़ा रीज़न ओवर विकिंग ही है ओर थिाका दिमाग की वो अवस्था होती है.जब वो कुण्ज्यादा हो नोचो लगता है कई बार तो दिमाग ऐसे साइकिल में सोचता है कि नीजे आट ऑफ कंट्रोल हो जाती है इसलिए मान को इस डिप्रेशन के बारे में जानने से पहले ओवर चिकिया के बारे में भी जाना चाहिए जसथयो गाव एक साथ ये भी है कि कोई भी शोध भी तक आपको परेशान कर सकती है. गय तक प उस सोध को अपने आपको परेशान करने देते हैं सोचने की शक्ति को समाहावं इससे प्रॉब्लम सॉल्व भी हो सकती है और बढ़ भी सती है
क्या आपको पता है कि एजापटी का ईलाज़ कैसे किया जाता है। क्या निपं और सिर्प हाजायटी का इलाज दमाई से ही डाला है। इसका जवाब है जहाँ इन एजायटी का इलाज हमश में भी हो सकता है.
जी हाँ, आपने सही सुना है एजायटी को खत्म आप अपने इमेजिनेशन के पोवर में भी कर सकते हैं,
अ ये आपके ऊपर दे कि आम अपनी इमेजिनान का यूज केसे करता है।
इमेजिनेशन एक गाटार पुल दूल है इस टूल की मदद मे आप घुन को शांत भी रख सकते हैं.
स्ट्रेस को लेकर अगर बात की जाए तो ये चीज बस इसान को ही होती है. क्योंकि इसान का दिमागी स्ट्रक्चर ही अलग झा हुआ है
इमेजिनेशन काही अगर सही इस्तेमाल ना किया जाये तो वो औधर शिकिंग बनती है और विरिण ते ही एजावटी और स्टेन का जाना होता है वही अगर स्ट्रेस से बाहर लेकर मी आएणी इसलिए हमेशा अपनी सोध सही डायरेक्शन में लगाने की कोशिश करनी चाहिय बिगि का प्रोडविष्य यूज चिया मातो ये आपको एसआयटी और जितनी सडी आपको साव होगा, उतना ही रोहतर आपकी जिंदगी होगा. इस दुनिया में बईगाई आविष्कार भी घोएस इमजिनशन की वजह से ही हुए है अगा भाप सोच सकते हैं कि इमाजिनशनमा क्या पाचर हा इस पाचर को अपने लिए इस्तेमाल करिए, जब आप इमेजिनका सही हम्तेमात सीख जायेंगे तो खुद औस् करने तगी कि पांलम धीर-र खत्म होती जा रही है
किसी भी समस्या को लत करने के लिए उसकी जड में अपनी पकन मजबूत बनाने की कोशिश करिष्ट