About Book
क्या हम सब में एक पॉइंट पर आकर ईगो डेवलप नहीं होता? ये ह्यूमन नेचर का एक हिस्सा जिससे आप पीछा नहीं छुड़ा सकते लेकिन हाँ, आप उसे कंट्रोल ज़रूर कर सकते हैं. ईगो आपका सबसे बड़ा दुश्मन है और ये बुक आपको उसे कंट्रोल में रखना सिखाएगी. आप ईगो को दूर करने के कई टेक्निक्स के बारे में जानेंगे. आप ईगो को हराकर ये लड़ाई जीत सकते हैं.
ये समरी किसे पढ़नी चाहिए?
यंग generation और नौजवानों को
जो लोग लीडर बनना चाहते हैं
जो भी ईगो के कारण स्ट्रगल कर रहे हैं
ऑथर के बारे में
रायन हॉलिडे एक स्पीकर, ब्लॉगर, ऑथर और बिजनेसमैन हैं. उन्होंने कई बेस्ट सेलिंग बुक्स लिखें हैं जैसे “Obstacle is the Way, Ego is the Enemy 3i Stillness is the Key.” रायन ने 19 साल की उम्र में स्कूल छोड़ दिया था और एक राइटर के रूप में काम करने लगे थे. वोBrass Check के फाउंडर भी हैं, जो एक क्रिएटिव एडवाइज़री फर्म है.
इंट्रोडक्शन (Introduction)
आजकल हर किसी का ईगो बहुत बड़ा हो गया है. तो क्या है ये ईगो? कोई इसे अहंकार और घमंड कहता है तो कोई इसे “मैं” की भावना होना कहता है.क्या आपको भी लगता है कि ईगो आपके और आपके गोल्स के बीच में आ रहा है? क्या आप फेल होने के बाद हार मान लेते हैं? क्या आपकी लाइफ कंट्रोल हो रही है? अगर हाँ तो आपने बिलकुल सही बुक को चुना है. ये बुक आपके ईगो को कंट्रोल करने के लिए आपको गाइड करेगी क्योंकि से बाहर हो रही ईगो आपका सबसे बड़ा दुश्मन है, आप ऐसे टेक्निक्स के बारे में सीखेंगे जिन्हें प्रैक्टिस कर आप अपने ईगो को कंट्रोल में रख सकते हैं. आप सक्सेसफुल होने के लिए हम्बल यानी विनम्र होने के इम्पोर्टेंस के बारे में भी जानेंगे. इस बुक में ऐसी कई आदतों के बारे में बताया मया है जिन्हें आप अपनी लाइफ स्टाइल में शामिल कर अपने ईगो को ठीक कर सकते हैं.
और हाँ,आप अकेले नहीं हैं जो इसका सामना कर रहे हैं. ईगो एक नेचुरल इमोशन है जो हम सब महसूस करते हैं. लेकिन इसे कंट्रोल करना भी ज़रूरी है क्योंकि इसमें आपको बर्बाद करने की ताकत है. आपकी सक्सेस आपके हाथों में है इसलिए इसे अपने ईगो के कारण खुद से दूर ना जाने दें,
टॉक, टॉक, टॉक (Talk, Talk, Talk)
किसी भी नई की शुरुआत के वक्त हम सभी exc ited लेकिन कुछ डरे हुए होते हैं.खुद को शांत करने के लिए हम अक्सर अपने अंदर देखने की बजाय बाहर वो कम्फर्ट और आराम हूँढने लगते हैं.हम सभी अटेशन पाना चाहते हैं. लेकिन कुछ करने की बजाय सिर्फ़ बातें करना बड़ा आसान होता
है. हम अक्सर खामोशी को कमज़ोरी मान लेते हैं इसलिए अपनी ताकत दिखाने के लिए बात करते हैं, लेकिन हम इस बात से अनजान हैं कि चुप रहना यानी साइलेंस एक ऐसी महान क्वालिटी है जिसमें आज तक बहुत कम लोग महारत हासिल कर पाएं हैं.बेकार की बातें कर के हम उससे जुड़े एक्शन मज़ोर देते हैं साइलेंस हमारे सेल्फ़-कांफिडेंस ताकत को दिखाता है. ज्यादा बात करना हमारे काम की क्वालिटी को ख़राब कर देता है और हमारा ध्यान भटका देता है.ये एक साइकोलॉजिकल फैक्ट है कि बात करने से किसी भी काम को कम्पलीट करने का चांस कम हो जाता है.ये हमें फील कराता है कि जैसे हमने उसे पहले ही कम्पलीट कर लिया
इसलिए आपको हमेशा अपनी जीभ पर काबू रखने की कोशिश करनी चाहिए ताकि आप बातों के जाल में ना फंस कर सक्सेस हासिल कर सकें. चुप रहने की क्वालिटी का बेस्ट परफॉर्मेंस बाहर निकालने में मदद करती है, इसलिए आपको चुपचाप काम करना चाहिए और बेफ़िजूल की बात करने
क हरया से दूर रहना चाहिए. आदमी एक कहानी इसे समझत है. क मे केनिशोर्तिया के गवर्नर के पौस्ट के लिए इलेक्शन में खड़ हुए में से कहानी एक्टिविस्ट अप्टन सिंक्लेयर(Upton Sinclair } कहाना से समझते है
थे. कैंपेन के दौरान अप्टन ने बड़ा ही अजीब सा कदम उठाया जिसने सभी को चौंका दिया था.उन्होंने एक शोर्ट बुक पब्लिश की जिसका नाम था “,
Governor of California, and How I Ended Poverty.” इस बुक में सब कुछ past tense में लिखा हुआ था यानी ऐसे लिखा हुआ हो और उसमें अप्टन ने गवर्नर के रूप में क्या क्या खास काम किया था उस बारे में बताया गया था.
पारस का सब छु ता पूजा सर ा क री सा नरीन कर सकते थे उस तरह कोई टसरा नहीं कर सकता था.लेकिन उन्हें जरा भी अंदाज़ा नहीं था कि वो जानते थे कि जिस तरह उनका ये आईडिया उन्हें बर्बाद कर देगा, अप्टन ने बुक में अपनी सभी स्ट्रेटेजीज के बारे में लिखा था जिससे उनके competitors को फ़ायदा हुआ, इसके अलावा, अप्टन ने खुद अब कैंपेन में रूचि खो दी थी क्योंकि उन्हें लगने लगा था कि जो भी उन्होंने लिखा है वो सब उन्होंने हासिल कर लिया है. इस बुक की लाखों कॉपी बिकी, लेकिन अप्टन का कैंपेन बहुत बड़ा फेलियर साबित हुआ. वो 250,000 वोट से इलेक्शन हार गए और इस प्रोसेस में उन्होंने दिलचस्पी खो दी थी, अप्टन के साथ जो हुआ नो उनके कम्युनिकेशन के कारण था. वा उनके बुक ने उन्हें से ये महसूस कराया कि उन्होंने सब व कुछ हासिल कर लिया था जबकि वो तो अब तक गवर्नर बने भी नहीं थे और उन्होंने अब तक कुछ भी नहीं किया था. वो अपने शब्दों को एक्शन में नहीं बदल पाए. वो बातों के जाल में फंस गए और इस कारण उनका सारा काम चौपट हो गया. इस कहानी ने दुनिया को ये सिखाया कि कोई भी काम पूरा करने के लिए अपनी ज़बान पर लगाम रखना कितना ज़रूरी है.
अगर आप अपने काम में सक्सेसफुल होना चाहते हैं तो आपको बातें बनाना बंद कर बिलकुल साइलेंस में अपना काम करना चाहिए.बात करने से आपके माइंड को ये विश्वास हो जाता है कि आपने सब कुछ अचीव कर लिया है और वो आपको रियलिटी में काम करने से रोक देता है.
टू बी और टू डू ? (To Be or To Do?)
लाइफ में चाहे कुछ भी हो जाए, आप जैसे हैं बिलकुल वैसे ही बने रहे, रियल और दिखावे से दूर, तब आप लाइफ में कुछ ख़ास ज़रूर करेंगे.अगर आप बिना ईगो के अपने रास्ते पर आगे बढ़ेंगे और खुद के प्रति सच्चे रहेंगे तो आप क्या क्या अचीव कर सकते हैं इसकी कोई सीमा नहीं है. एक इंसान जब खुद के साथ बेस्ट होता है तब यो दूसरों के साथ भी कभी फेक नहीं होता. जब आप कुछ करने का फैसला करते हैं तो उसे फेमस होने के लिए या अपनी पहचान बनाने के लिए ना करें, जो भी चीज़ आप दिल से करना चाहते हैं
उसके बदले में बिना कुछ चाहे आप अपने और दूसरों के साथ सच्चे बने रह सकते हैं. कुछ ऐसा करें जिससे आप दूसरों की लाइफ में कुछ वैल्यू add कर सकें, आइए एक एजाम्प्ल से इसे समझते ैं मॉडर्न बिॉर में Influential
लोगों में से एक जॉन बॉयड थे. वो एक महान फाइटर पायलट थे और 40 सेकंड से भी कम समय में किसी की भी हरा
सकते थे.इन सब के बावजूद उन्हें कभी कर्नल के रैंक से ऊपर प्रमोट नहीं किया गया था. में लीड इंस्ट्रक्टर के रूप में चुना गया. F-15 और 5-16 उनके pet प्रोजेक्ट्स थे. उनका सबसे बड़ा और वो अपने देश की हर संभव सेवा करना चाहते थे, जॉन प्राइवेट मीटिंग में
जॉन को Nellis Air Force Base, कोरिया मकसद था अपने देश के लिए एक एडवाइजर की भूमिका अदा करना
डिफेंस सेक्रेटरी को काफी सलाह देते थे लेकिन इसके लिए उन्होंने कभी क्रेडिट नहीं लिया, उन्होंने अपने अचीवमेंट की कोई बुक पब्लिश नहीं की और ना ही किसी मिलिट्री बेस का नाम उनके नाम पर रखा गया. वो बिना किसी अटेंशन और लोगों की तारीफ़ के अपना काम इमानदारी से करना चाहते थे. उनका मानना था कि चाहे उन्हें हाई रैंक मिले या ना मिले, उनके काम से उनके देश को प्रमोशन मिलने का हमेशा ये मतलब नहीं होता कि आप अपने काम में अच्छे हैं, लाइफ में आपका पर्पस आपसे ऊपर और बड़ा होना चाहिए और वो फ़ायदा होना चाहिए। र बस, तब होता होता है जब आप सिर्फ अपने बारे में नहीं बल्कि सबकी भलाई के लिए सोचते हैं.जब आप सेल्फ़लेस होकर दूसरों की लाइफ में सुधार करना चाहते हैं तब आपको एक्स्ट्राऑर्डिनरी सक्सेस मिलती है.
बिकेम अ स्टुडेंट (Become a Student)
एक स्टूडेंट का main काम क्या होता है, सीखना., तो लाइफ में हमेशा एक स्टूडेंट बनकर सीखते रहने की सोच अपनाएं, खुद को इम्प्रूव करने के लिए हमेशा नई चीजें सीखते रहे. आपको हमेशा उन चीज़ों को सीखने की कोशिश करनी चाहिए जिनके बारे में आप कुछ नहीं जानते ताकि आपकी नॉलेज लाइफ के हर एरिया में बढ़ सके.
अक्सर जब हमें सक्सेस मिलती है तब हम निश्चित हो जाते हैं कि भई मुझे तो सब कुछ पता है और मुझे कुछ सीखने की ज़रुरत नहीं है. लेकिन ये सोच जल्दी ही आपको नीचे भी ले आती है. आपको अपने टीचर्स से फीडबैक लेना चाहिए और ये complain तो बिलकुल नहीं करना चाहिए कि टीचिंग प्रोसेस कितना स्ट्रिकट है, ये आपके ईगो को दूसरों के हाथों में दे देता है, ये होती हैं एक स्टूडेंट की पॉवर, रियल फीडबैक पाने के लिए आपको किसी ऐसे इंसान से सीखने की ज़रुरत जो आपसे ज्यादा जानते हैं. इस बात को एक्सेप्ट करें कि कई लोग ऐसे हैं जो आपसे बहुत ज्यादा जानते हैं और आप उनके नॉलेज से बहुत कुछ सीख सकते हैं. जिस दिन आपने सोच लिया कि आपको सब कुछ आता है, उस दिन से आपकी ग्रोथ होना बंद हो जाएगी. इसलिए महान बनने के लिए और महान बने रहने के लिए हमेशा एक स्टूडेंट की तरह सीखते रहे. एक हद तक खुद को criticise करना और सेल्फ-मोटीवेट करना हमारे ईगो को चेक में रखता है, आइए एक कहानी से इसे समझते हैं.
कर्कहैमेट नाम का एक गिटारिस्ट था जो एक कमाल का स्टूडेंट था, वो मुश्किल से 20 साल का होगा उसे Metallica बैंड के लिए एक गिटारिस्ट के रूप में चुना गया. कुछ दिनों बाद उसने पहले बड़े शो में परफॉर्म किया, कर्क बहुत डाउन टू अर्थ और हम्बल इंसान था, वो सालों से गिटार बजा रहा था इसके बावजूद उसे लगता है कि अब भी बहुत कुछ सी ब बसालेए उसने एक टीचर को तलाशना शुरू किया। में सेन फ्रांसिस्को में अपने होमटाउन में उसे एक महान टीचर मिले जिनका नाम जो सट्रियानी (Joe Satriani) था. जो के म्यूजिक का स्टाइल क्क के स्टाइल से बिलकुल अलग था. जो को अपने टीचर ये था कि के रूप में चुनने का मकसद सक्क कुछ ऐसा सीखना चाहता था जिसके बारे में वो कुछ नहीं
जानता था. जो कर्क की कमज़ोरी समझ गए और उसे इम्पूरूव करने में उन्होंने बहुत कर्क एक स्पंज की तरह था और उसके टीचर जो कुछ उसे सिखाते वो उसे तुरंत catch कर लेता. कर्क बाकि स्टूडेंट्स से काफ़ी अलग था क्योंकि वो सारे instructions कान से सुनता और हमेशा सीखने की कोशिश करता. दो साल तक, कर्क ने जो के हर फीडबैक को पोजिटिव तरीके से लिया साल की मदद की, और खुद को इम्पूरूव करता रहा.जिसका रिजल्ट ये हुआ कि लोग उसे एक ग्रेट गिटारिस्ट के रूप में जानने लगे थे, तो कर्क ने ये कैसे किया? उसने अपने ईगो को साइड में रखा और इस बात को एक्सेप्ट किया कि कोई उससे better म्यूजिशियन है, इसे एक्सेप्ट करने
के बाद, उसे जो के नॉलेज से बहुत कुछ सीखने को निला जिसने अंत में कर्क को अपने स्किल में मास्टरी हासिल करने में मदद की. अगर कर्क एक स्टूडेंट की तरह सीखता नहीं तो कभी इम्पूव नहीं करता. वो फेमस गिटारिस्ट एक स्टूरडेंट बन गया ताकि वो फेमस से ग्रेट बन सके और ग्रेट बने रह सके. अगर उसने फेमस होने के बाद ये मान लिया होता कि उससे ज़्यादा कोई नहीं जानता य उसे और सीखने की ज़रुरत नहीं है तो वो कभी ग्रेट नहीं बनता. ये कहानी हमें सिखाती है कि हमें हमेशा सीखते रहना चाहिए और इस बात को एक्सैप्ट करना चाहिए कि कई लोग हैं जो हमसे भी ज्यादा जानते हैं.इसलिए कहा गया है कि जब परफॉर्म करो तो एक गुरु की तरह परफॉर्म करो लेकिन बड़े होने के बाद भी जब सीखो तो एक शिष्य की तरह सीखो.
द डेंजर ऑफ़ अली प्राइड (The Danger of Early Pride)
आपको कभी भी अपने ऊपर घमंड नहीं करना चाहिए. ये घमंड आपके गोल और आपके बीच की सबसे बड़ी बाधा है. ये सोचना कि आप सभी से better हैं एक डेंजरस सोच है और ईगो में आपको बर्बाद करने की पॉवर है.बेंजामिन फ्रेंक्लिन का नाम किसने नहीं सुना, तो आइए उनकी कहानी से
इसे समझते हैं. 13 साल की उम्र में वो 7 महीने के बाद अपने होमटाउन बोस्टन लौटे. उन्होंने तब तक बहुत पैसा कमा लिया था और वो बड़े ठाट बाट के साथ नया सूट
और घड़ी पहन कर अपने शहर वापस आए थे. उनके चेहरे पर घरमंड साफ़ दिखाई दे रहा था. वो अपने परिवार और बाकि सभी को शो ऑफ करने लगे कि उन्होंने कितना पैसा कमाया था.
एक दिन, फ्रेंक्लिन की मुलाकात कॉटन माधेर (Cotton Mather) नाम के एक पुराने दोस्त से हुई. सोसाइटी में सब उनका बहुत मान सम्मान करते थे, वो दोनों चलते-चलते बातें कर रहे थे कि अचानक माथेर चिलाए “नीचे झुको, नीचे झुको फ्रेंक्लिन अपनी शेखी बघाड़ने में इतने बिजी थे कि वहाँ एक कम हाइट के सीलिंग से उनका सर टकरा गया, उन्हें बहुत जोर से लगी थी,
माधेर ने उनसे कहा कि “तुम्हारा दिमाग इतना ऊँचा हो गया है कि ठोकर तो लगनी ही थी, तब प्रेक्लिन को एहसास हुआ कि वो क्या कर रहे थे, उन्होंने अपने ईगो से लड़ना शुरू कर दिया क्योंकि वो उन्हें घर्मडी बना रहा था. वा बना रहा यही बात हम सब पर भी लागू होती है, अगर आपमें घमंड आने लगा है तो आपको लाइफ में एक बड़ी लोगो की है. अगर ठोकर ज़रूर लगेगी. ये अभिमान हम में घर्मंड पैदा करता है और हुमिलिटी को हमसे दूर ले जाता है. इसलिए हमेशा अपने ईगो को कंट्रोल में रख कर विनम्रता से जीवन जीने की कोशिश करें. डोंट टेल योरसेल्फ अ स्टोरी (Don’t Tell Yourself a Story)
जब आप अपना बेस्ट परफॉरमेंस देंगे तो सक्सेस को आपके पीछे आना ही होगा. इसलिए आपको अपने हर काम में छोटी से छोटी डिटेल पर फोकस करना चाहिए. आपके काम की क्वालिटी टॉप क्लास होनी चाहिए. हम अव्सर जब किसी नई चीज़ की शुरुआत करते हैं चाहे वो जॉब हो या बिज़नेस, हम अपने मन में इमेजिनेशन से एक स्टोरी बनाने लगते हैं कि अभी शुरूआत हुई है, इसके बाद ऐसा होगा, वैसा होगा. ये कहानी बहुत खतरनाक होती क्योंकि वो स्टोरी सिर्फ हमारे ख़यालों में है अभी सच तो नहीं हुईहै. इसके बावजूद ये हमारे अंदर घमंड पैदा करने लगता है. आइए बिल की कहानी से इसे समझते हैं,
ये कहानी फुटबॉल कोच और जनरल मैनेजर बिलवॉल्श के बारे में है जिन्होंने सबसे खराब फुटबॉल टीम को ट्रेन करने का फैसला किया था, सिर्फ तीन सालों में उन्होंने एक loser टीम से सुपर बाउल जीता कर चैंपियन बना दिया था. उन्होंने छोटी से छोटी डिटेल पर अटेंशन दिया जिसकी बदौलत उन्हें जीत मिली थी. इतनी बड़ी सिर्फ फील्ड पर ही नहीं, उन्होंने फील्ड के बाहर भी प्लेयर्स को डिसिप्लिन में रखा, वॉल्श ने उन्हें हर समय अपना ocker रूम साफ़ रखना वहाँ स्मोक करना, गाली देना या झगड़ा करना बिलकुल allowed नहीं था.
सिखाया,
न्यूज़पेपर्स वॉल्श को जीनियस कहने लगे और उनकी सक्सेस की कई कहानियां लोगों के सामने आईं लेकिन उन्होंने इन सब पर बिलकुल ध्यान नहीं दिया. उन्होंने उसे पुरी तरह अनदेखा कर दिया था क्योंकि बो उन्हें धरमंडी बना देता. लेकिन वॉल्श के प्लेयर्स को घमंड होने लगा, उनके मन में कॉन्फिडेंस की जगह ओवर कॉन्फिडेंस ने ले ली थी. इस ओवरकॉन्फिडेंस ने उनके परफॉरमेंस पर बहुत खराब असर किया और वो 22 में से 12 गेम हार गए.
यही होता है जब आप समय से पहले ही खुद को क्रेडिट देना शुरू कर देते हैं, जब ये कहानियां आपके माइंड में अपना घर बना लेती है तब आप कम efforts करने लगते हैं और आपके काम की क्वालिटी गिरने लगती है.
49ers को भी अपने खोए हुए स्टैण्डर्ड को पाने के लिए फिर से कड़ी मेहनत करनी पड़ी.यही कारण धा किवॉल्श ने मीडिया द्वारा दिए गए बड़े बड़े टाइटल को अपने सर पर नहीं चढ़ने दिया था खुद के बारे में बढ़ चढ़ कर बोलना आपको घमंडी, ओवर कॉफिडेंट और कम हार्ड वर्क करने वाला इंसान बना देता है
व्हाट्स इम्पोर्टेन्ट टू यू? (What’s important to You?) ये सोचना बहुत ज़रूरी है कि सक्सेस पाने के लिए आपके लिए क्या इम्पोर्टेन्ट है.लेकिन ये इसान की फितरत है कि जो हमारे पास होता है हम उससे
कभी खुश नहीं होते और हमेशा वही चाहते हैं जो दूसरों के पास होता है. हमारा aim होता है कि हमारे पास दूसरों से ज़्यादा हो. हम अपने जनी की शुरुआत उस चीज़ से करते हैं जो हमारे लिए इम्पोर्टेन्ट होती है लेकिन उसे हासिल करने के बाद हमारे अंदर ईंगो डेवलप होने लगता है. हम उन opportunities को भी हाँ कह देते हैं जिनकी हमें कोई ज़रुरत नहीं है, ये सोचकर कि ये हमें सक्सेसफुल होने में मदद करेंगे लेकिन असल में इसका बिलकुल उल्टा होता है.ये हमें रियलिटी से दूर कर एक सपनों की झूठी दुनिया में ले जाता है. आइए इसे एक एम्ज़ाम्प्ल से समझते हैं.
ये यूलिस एस. ग्रांट की कहानी है. अमेरिका में सिविल वॉर के बार ग्रांट एक Influential और इम्पोर्टेन्ट पर्सनालिटी बन गए थे. ग्रांट को पॉलिटिक्स में कोई दिलचस्पी नहीं थी और इस कारण उन्होंने आर्मी जनरल बनने का रास्ता चुना था. लेकिन अचानक ग्रांट ने पॉलिटिक्स में सबसे ऊँचे पोस्ट प्रेसिडेंट की पोजीशन के लिए खड़े होने का फ़ैसला किया.
उन्हें इलेक्ट किया गया और उनका टर्म अमेरिकन हिस्ट्री में सबसे करप्ट और खराब टर्म बन कर सामने आया, उन्होंने दो बुरे टम्म्स के बाद ऑफिस छोड़ हो दिया. प्रेसीडेंसी के बाद, ग्रांट ने फर्डीनड ward नाम के एक इन्वेस्टर से साथ मिलकर अपना सारा पैसा फाइनेंसियल ब्रोकरेज बनाने के लिए इस्तेमाल
किया. Ward ने ग्रांट का दिवाला निकाल दिया था.
ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि ग्रांट का मकसद अपने इंटरेस्ट को फॉलो करने के बजाय millionaires से होड़ करना था. ग्रांट को फर्म का debt चुकाने के लिए लोन लेना पड़ा जिसके लिए उन्होंने वॉर की निशानियों को सिक्यूरिटी के रूप में डिपाजिट किया. उन्होंने अपनी जिंदगी के आखरी कई साल कैंसर से लड़ने और अपने परिवार के लिए फंड्स इकट्ठा करने में लगा दिए. गले से
ग्रांट ने अपना सब कुछ इसलिए खो दिया था क्योंकि उन्होंने ईगो को खुद पर हावी होने दिया और जिस चीज़ से उन्हें प्यार था उसे फॉलो ना करके दो दूसरों से मुकाबला करने में गए. ये उनके downfall का कारण बना.
अलाइव टाइम और डेड टाइम? (Alive Time or Dead Time?) फेलियर हमारे लाइफ की जनी हिस्सा होता है इसलिए अपने फेलियर से निराश होकर उसे खुद को पीछे पकड़कर ना रखने दें, जितनी बार
आपको ठोकर लगे आपमें उतनी बार उठकर खड़े होने का जज्बा होना चाहिए. जब आप फेल होते हैं तो गुस्सा आना और उदास फील करना नेचुरल है लेकिन उसी में अटके ना रहे क्योंकि कई नए मौके हैं जो आपका इंतज़ार कर रहे हैं. इस बुक के ऑथर कहते हैं कि टाइम दो ते हैं, डेड टाइम और अलाइव टाइम, डेड टाइम वो टाइम है जो आप वेट करने में बिता देते हैं.
अलाइव टाइम वो टाइम है जिसे आप कुछ ना कुछ सीखने में और प्रोडक्टिव बने रहने में यूज़ करते हैं. ज़्यादातर लोग डेड टाइम में फस जाते हैं लेकिन आपको कोशिश कर हमेशा अलाइव टाइम में बने रहना चाहिए. कहानी में फेमस क्रिमिनल और मिनिस्टर मैल्कॉम एक्स के बारे में है जिन्हें पहले डेट्रॉइट रेड के नाम से जाना जाता था. उनका नाम हर तरह के काइम था जैसे डॉग्स, डकैती, मर्डर, उनका अपना एक गैंग था जिसे वो बड़े बेखौफ़ तरीके से लीड करते थे. मैल्कॉम को मारने से या मरने से डर नहीं लगता था.
आखिर एक समय आया जब उन्हें गिरफ्तार किया गया. उन्हें 10 साल की सज़ा हुई और उस वक्त वो मुश्किल से 21 साल के थे. मैल्कॉम ने सिर्फ खुद को ही नहीं बल्कि सोसाइटी और इंसानियत को भी शर्मिंदा किया था. अब वो एक छोटे से जेल में 10 सालों के लिए कैद हो गए थे,लेकिन जो वो बाहर की आज़ादी में नहीं कर पे, उसे उन्होंने केद में बंद होकर किया. उन्होंने जेल की लाइब्रेरी में मौजूद किताबों को पढ़ना शुरू किया.
मेल्कॉम ने फिलोसोफी और रिलिजन के बारे में बहुत कुछ सीखा, उन्होंने खुद को सुधारने के लिए जेल में हर सेकंड का फ़ायदा उठाने फैसला किया. वो अपने फेलियर से निराश नहीं थे इसलिए उन्होंने डेड टाइम की जगह अलाइव टाइम को चुना. जेल से बाहर आने के बाद उन्होंने ऊँचाइयों एक अलग मुकाम को छुया थाऔर एक खतरनाक क्रिमिनल एक सिविल राइट्स एक्टिविस्ट बनकर मानवता की भलाई में लग गया था इसलिए कहा जाता है कि “जब जागों, तभी सवेरा”, कभी ना सोचें कि खुद को बदलने का समय निकल चुका है, बस खुद को बदलने की नीयत होनी चाहिए.
ड्रॉ द लाइन (Draw The Line)
हम सभी अपने लाइफ के किसी ना किसी पॉइट पर फेल ज़रूर होते हैं लेकिन इसका ये मतलब नहीं है कि आपको अपने ईगो को जीतने देना चाहिए. कभी भी बुरे डिसिशन लेकर अपनी लाइफ और खराब ना करें.हर सुबह आपको एक नई शुरुआत करने का मौका देताहै.चाहे लाइफ में कैसी भी सिचुएशन हो, अपने कैरेक्टर और सेल्फ रिस्पेक्ट को बनाए रखें.परेशानी हमेशा के लिए नहीं रहती और अगर आप फेल हो भी गए तो कोई बात नहीं. ईगो हमें फेल होने पर शर्मिंदा महसूस कराता है जबकि ये सोच बिलकुल गलत है, आइए इस कहानी से सीख लेते हैं.
John Delorean एक कार कंपनी के मालिक थे दिन-ब-दिन उनका बिज़नेस गिरता जा रहा था. रिजाइन करने के बजाय जॉन ने बिज़नेस बचाने अपमान हुआ और उन्हें शर्मिंदगी उठानी पड़ी. वो खुद अपनी परेशानी का कारण बने थे. इसके लिए किसी और को दोष नहीं दिया जा सकता, उन्होंने अपने ईगो को जीतने दिया था जिसने चीज़ों को बद से बदतर कर दिया. जॉन को जब एहसास हुआ कि उनका बिज़नेस फेल हो रहा था तब वो उसे बंद कर सकते थे लेकिन इसके बजाय उन्होंने गलत रास्ता चुना, उन्होंने फेलियर को के लिए iled illegal तरीकों की बहुत बुरा परिणाम हुआ. को अपनाने का फैसला किया. उन्होंने अपने पैसों को बचाने के लिए 220 pound कोकेन में पैसा इन्देस्ट कर दिया. इसका 60 मिलियन $ उन्हें कारण उनका पब्लिक के सामने बहुत आ ्रस की डील करने के लिए गिरफ्तार किया गया और इससे उनके करियर का अंत हुआ. इस घटना क शर्मिदगी के रूप में देखा जो उनकी सबसे बड़ी गलती
द एफर्ट इज़ एनफ (The Effort Is enough)
थी.
कभी भी स्वार्थ और लालच को खुद पर हावी ना होने दें., सिर्फ अपने लिए ही नहीं बल्कि दूसरों के लिए भी कुछ करने की कोशिश करें, लाइफ में कभी कभी ऐसा भी टाइम आएगा जब सब कुछ सही करने के बाद भी रिजल्ट नेगेटिव होगा, कई बार ऐसा भी होता है जब आपका सिचुएशन पर कोई कंट्रोल नहीं होता और आपके काम का क्रेडिट कोई और ले जाता है.ऐसे समय में ईगो हमें कमज़ोर करता है लेकिन हमेशा हम्बल बने रहने की सोच को डेवलप करें. हमें कभी रिजल्ट केस के साथ खुद को attach नहीं करना चाहिए क्योंकि ज्यादा मायने हमारे efforts रखते हैं.
Belisarius अब तक के महान मिलिट्री generals में से एक हैं. उन्होंने Byzantine Empire के लिए कई युद्ध जीते. Belisarius ने रोम को वापस जीतने के लिए एक लीडर की भूमिका निभाई क्योंकि barbarians ने उस पर कब्ज़ा कर लिया था,लेकिन उनकी जीत को कभी जनता के सामने बताया नहीं गया. उन्हें सम्राट Justinian बार-बार शक की निगाहों से देखते रहे. उसके बाद सम्राट ने हिस्टोरियंस को Belisarius की अच्छी reputation और उनकी विरासत मिट्टी में मिलाने का आदेश दे दिया था. Scholars के अनुसार, Belisarius की दौलत को और उन्हें दिए गए टाइटल्स को उनसे छीन लिया गया था, लेकिन इससे भी उनका मन नहीं भरा, भीख भी मंगवाई गई. Justinian एक ओवर-कट्रोलिंग, लालची, सेल्फिश और दूसरों से जलने वाला Belisarius को अंधा कर उनसे सड़कों और शोहरत से उसे खुद के लिए खतरा महसूस होने लगा था. अपने साथ हुए अन्याय के बावजूद Belisarius ने कभी शिकायत नहीं की. उनमें ज़रा भी अहंकार और लालच नहीं था. वो जानते थे कि कोई उन्हें
इंसान था, Belisarius के बढ़ते हुए नाम पसंद करे या ना करे इस पर उनका कोई कंट्रोल नहीं था, तो उनके बारे में जो खास बात थी वो ये थी कि इतने अन्याय होने के बावजूद वो हमेशा सही रास्ते पर चलते रहे. अपने देश की सेवा करना उनके लिए सबसे बड़ा कर्म था और इसके बदले में वो कोई इनाम या शोहरत नहीं चाहते थे, इसलिए अपने काम को बिना किसी रिवॉर्ड पाने की इच्छा से करते रहे क्योंकि सिर्फ आपको महान बनाता है.
कन्क्लू ज़न (Conclusion)
तो इस बुक में आपने सीखा कि कैसे कुछ अचीव करने से पहले अपने प्लान्स के बारे में बड़ी बड़ी बातें करना आपकी सक्सेस के है, आपका मन ये मान लेता है कि आपने उसे हासिल कर लिया है और इस वजह से आप उसमें इंटरेस्ट खो देते हैं.
चांस को कम कर देता आपने ये भी सीखा कि ऑनेस्ट रहना और डाउन टू अर्थ बने रहना कितना ज़रूरी है. ये आपको आपकी जड़ों से जोड़े रखता है, कई बार अपना गोल अचीव करने के अ ा बाद हमने ईगो डेवलप हो जाता है और हम ये मान लेते हैं कि हमें सब कुछ आता है और हमें कुछ भी सीखने की ज़रुरत नहीं है. बस यही हमारे down fall का कारण बनता है.
आपने ये भी जाना कि हमेशा एक स्टूडेंट बनकर सीखते रहना चाहिए. सीखने की कोई सीमा नहीं होती और आप जो कुछ भी सीखते हैं वो कभी
ऐसे नहीं होता. वो किसी ना किसी तरह आपमें इम्पूवमेंट जरूर करता है, अपनी सोच को बड़ा करें और बिना झिझके इस बात को एक्सेप्ट करें कि लोग हैं जो हमसे ज्यादा जानते हैं और आप उनसे कितना कुछ सीख सकते हैं. कई लोग अपने माइंड में कहानियां ना बनाएं क्योंकि ये आपमें घमंड पेदा करता है जो आपके प्यूचर के लिए बिलकुल अच्छा नहीं हैं. हम्बल बने रहे और वो करते रहे जिससे आपको प्यार है.
waste नहीं होता. वो लाइफ में एक ना एक बार हर कोई फेल होता है. गलती करना गलत नहीं है लेकिन उस गलती से कुछ ना सीख कर उसे दोहराना बहुत गलत है. इस बात को हमेशा याद रखें कि अगर कुछ बुरा होता भी है तब भी आप एक नई शुरुआत कर सकते हैं. फेलियर से शर्मिंदा होने की ज़रुरत नहीं है बल्कि ये सक्सेस की तरफ़ आपका बढ़ाया हुआ कदम है और कभी कभी हम गलत कदम उठा लेते हैं लेकिन इससे ernbarrass नहीं होना चाहिए.अपने ईगो को कंट्रोल में रखें और अगर आपने ऐसा कर लिया तो आपके रास्ते के कई प्रॉब्लम अपने आप सोल्व हो जाएंगे और आपका रास्ता आसान हो जाएगा,