About Book
शायद आपने इनका नाम टीवी पर सुना होगा या किसी ब्लॉग और मैगज़ीन में उनके बारे में पढ़ा होगा. वो कोई और नहीं ल्कि दुनिया में सबसे ज़्यादा डिमांड वाले लक्ज़री फैश ब्रैंड की मालिक कोको चैनल हैं. क्या है उनके जीवन की कहानी? वो कहाँ से आई थीं और उन्होंने अपने बिज़नेस की शुरुआत कैसे की? ये बुक आपको उनके जीवन के सफ़र पर ले जाएगी जहां आप उनकी जिंदगी के कई पहलुओं को देख पाएँगे.
यह समरी किसे पढ़नी चाहिए?
जो लोग फैशन डिज़ाइनर बनने की इच्छा रखते हैं
नौजवान लड़के लड़कियां, औरतें जिन्हें फैशन से प्यार
है
जो भी रोमांस, बिज़नेस और सक्सेस के बारे में एक
दिलचस्प कहानी पढ़ना चाहते हैं
ऑथर के बारे में
सुज़न गोल्डमैन रुबिन ने आर्ट और हिस्ट्री के ऊपर कई नॉन-फिक्शन किताबें लिखीं हैं. उन्होंने बच्चों के लिए भी 50 से ज़्यादा कहानियां लिखी हैं. सुज़न ने 20 साल तक यूसीएलए (UCLA) में राइटिंग इंस्ट्रक्टर के रूप में भी काम किया है. उन्हें उनके उम्दा और बेहतरीन काम के लिए नॉनफिक्शन की केटेगरी में “गोल्डन काइट अवार्ड” से सम्मानित किया गया है.
इंट्रोडक्शन
चैनल नंबर 5, लिटिल ब्लैक ड्रेस, इंटरलॉकिंग C, चेन के स्टैप वाला leather बैग, पर्ल नेकलेस, शोर्ट हेयर और ब्लड रेड लिपस्टिक – ये कुछ ऐसे ट्रेंड कोको चैनल ने फैशन इंडस्ट्री में Introduce किए थे, जिसने फैशन को एक नया आयाम दिया था. तो कोको चैनल आख़िर हैं कौन? क्या वह एक अमीर परिवार से थी? क्या वह सच में किसी की प्रेमिका थी और नाजी सोच से सहानुभूति रखने वाली
थी जैसा कि कुछ लोग कहते हैं ? उन्होंने दुनिया में सबसे popular फैशन ट्रेंड कैसे बनाया? उनके अतीत की क्या सच्चाई है? कोको चैनल जोश और जुनून से भरी एक बिजनेस woman, प्रेमीका, फैशन डिजाइनर, और एक एक्स्ट्राऑर्डिनरी औरत थी. इस बुक में, आप उनकी जिंदगी के बारे में जानेंगे जो आपको आश्चर्यचकित भी करेगी और इंस्पायर भी. am not an Orphan कोको चैनल का जन्म 1883 में फ्रांस के सौमर शहर में हुआ था. उनके पिता ड्रग्स बेचने का गैर क़ानूनी काम करते थे और उनकी माँ हाउसवाइफ
थीं. जिस दिन कोको का जन्म हुआ, उनके पिता उनके साथ नहीं थे. हॉस्पिटल के कुछ लोगों ने उनका रजिस्ट्रेशन किया. कोई भी उनका असली sirname “Chasnel” ठीक से लिखना नहीं जानता था इसलिए मेयर ने उसे बदलकर chanel” रख दिया. कोको का असली नाम गैब्रिएल था, लेकिन उन्होंने अपने जीवन में इस नाम का कभी इस्तेमाल नहीं किया. यहाँ तक कि उन्होंने अपने sirname को भी सही करने की जहमत नहीं उठाई. ऐसा इसलिए था क्योंकि कोको नहीं चाहती थी कि लोगों को पता चले कि वह एक बहुत गरीब परिवार से थी. बड़े होने के दौरान, उन्होंने अपने बचपन के बारे में कई मनघडंत कहानियाँ बनाई.
कोको का परिवार घोड़ा गाड़ी में एक शहर से दूसरे शहर सफ़र करते थे क्योंकि उनके पिता मार्केट और मेलों में टोपी बेचते थे, कोको की एक बड़ी बहन
थी जिसका नाम जूलिया था. बाद में, उनका एक छोटा भाई अल्फोंसो और एक छोटी बहन हुई, जिसका नाम एंटोनिएट था. जब कोको 6 साल की थी तो उनकी माँ अस्थमा के कारण बहुत बीमार हो गई तब उनके बूढ़े चाचा ने उन्हें अपने घर में रहने के लिए बुलाया. लेकिन वहाँ पहुँचने के बाद, कोको के पिता को बहुत बोरियत होने लगी. वो बेचैन होकर शराब पीने बार में चले जाते और चहाँ औरतों के साथ फ्लर्ट और छेड़खानी करते. कभी-कभी वो गायब भी हो जाते. कोको की माँ इससे चिंतित हो गई. एक दिन वो भी अपने पति की तलाश में चली गई. इस तरह, उन्होंने कोको और उनके भाई बहनों को रिश्तेदारों के भरोसे छोड़ दिया, अगर कोको कभी बुरा बर्ताव करती तो उनके रिश्तेदार कहते कि वो उन्हें बंजारों
बेच देंगे,
कुछ सालों बाद, कोको के माता पिता एक साथ लौटे, अब उनके दो और बच्चे थे लुसिएन और ऑगस्टिन कोको जब 1 साल की थी तो एक कड़ाके की सर्द रात, उनकी माँ को ब्रोंकाइटिस का अटैक आया और दुर्भाग्य से उन्होंने दम तोड़ दिया, कोको और उनके भाई बहनों की देखभाल कोई रिश्तेदार नहीं करना चाहता था. इसलिए यह तय किया गया कि लड़कों को काम करने के लिए खेत में भेजा जाएगा और लड़कियों को अनाथ आश्रम में सिस्टर की
निगरानी में रखा जाएगा. कोको
कभी इस सच्चाई का खुलासा नहीं किया कि वो अनाथ थी, वो हमेशा अपने बीते हुए कल के बारे में कहानियां बनाती रहती, उन्होंने अनाथालय की दूसरी लड़कियों से कहा कि उनके पिता काम की तलाश में अमेरिका गए हैं और जब वो बहुत पैसा कमा लेंगे तो उन्हें लेने आएँगे. लेकिन
था. उनके पिता ने उन सब को सिस्टर के पास छोड़ दिया था और वो दोबारा कभी उनसे मिलने नहीं आए. सब झूठ था, उनके प्रार्थना और ख़ामोशी, प्रार्थना और खामोशी, कोको अनाथ आश्रम के इस रूटीन से तेग आ गई थी. उन्हें father के सामने घुटने टेक कर अपनी गलतियों के बारे में बताना और उसे स्वीकार करने के काम से नफ़रत थी, अक्सर, वो अपने पाप के बारे में झूठी कहानियां बनाती. वहाँ सभी बच्चे हर दिन सादे कपड़े पहनते थे और कोको को ये बात बिलकुल पसंद नहीं थी.
छुट्टियों में, उन्हें और उनकी बहनों को मौलिन्स में अपने दादा-दादी और वार्निज़ में अपनी मौसी के पास जाने की इजाजत दी गई थी. कोको अपनी दो
चाची लुईस और एड्रिएन के बहुत करीब हो गई थीं, वो दोनों उम्र में उनसे सिर्फ एक साल बड़ी थीं. कोको ओर एड्रिएन एक दूसरे को बहनों की तरह
मानती थीं. वो एक ही कमरा शेयर करती और सुबह होने तक बातें करती रहतीं. जब वो टीनएज की उम्र में पहुंचे तो न्यूज़पेपर में छपने वाले रोमांटिक novel भी साथ-साथ पढ़ती थीं. फ़िर वो एक -एक चैप्टर को काटते और उन पन्नों को साथ जोड़ देते, उनकी पसंदीदा कहानी थी “Two Little Vagrant” जो उन गरीब लड़कियों के बारे में थीं जो बड़े होने के बाद बहुत अमीर, स्टाइलिश और आकर्षक औरतें बन जाती हैं, उस कहानी के किरदारों ने जो सुंदर कपड़े पहने थे उसका कोको पर गहरा असर हुआ था, वो उससे
इंस्पायर होने लगी थीं.
शायद ये नियति थी कि उनकी चाची लुइस एक उम्दा टेलर थीं. उन्होंने कोको और एड्रिएन को टेबल क्लॉथ सिलना, कपड़े पर पट्टियाँ और स्लीव बनाना सिखाया, चाची लुइस मेले से मामूली टोपी लेकर आती और उसे सुंदर से सजाकर एक नया रूप दे देतीं. 1901 में कोको 18 साल की हुई. वो और उनकी बड़ी बहन जूलिया अनाथ आश्रम में रहने के लिए अब काफी बड़े हो चुके थे. अब वो वहाँ सिर्फ तभी रह सकते थे जब वो सिस्टर बनने के लिए राजी होते. इसलिए, उनकी दादी ने कोको और जूलिया का एडमिशन नॉट्रे-डेम में करवा दिया, जो मोलिंस में जवान औरतों के लिए एक स्कूल था. वहाँ कोको और जूलिया के हालात ऐसे थे कि रहने और पढ़ाई के खर्च को उठाने के लिए उन्हें घर के काम करने
पड़ते थे जैसे किचन में सफाई और मदद करना.
Who has seen Coco?
जब कोको 20 साल की हुई, तो उन्होंने बोर्डिंग स्कूल छोड़ दिया और अपनी चाची एड्रिएन के साथ एक टेलर के रूप में काम करने लगीं. मौलिंस के एक दुकान में वो सोमवार से शनिवार तक काम करते और हर रविवार एक दर्ज़ी की दुकान में भी कान करते. यहाँ कोको और एडिएन कुछ आर्मी ऑफिसर्स और जवानों से मिले, जो उन्हें डेट पर ले जाते थे. ये ऑफिसर दरज्ज़ी की दुकान पर अपने यूनिफार्म ठीक करवाने आते थे और अक्सर वहाँ काम करने वाली लड़कियों से फ्लर्ट भी करते थे.
हालांकि, कोको दूसरी लड़कियों की तुलना में कद में छोटी और दुबली पतली थी लेकिन लड़के उनके अनोखे चार्म के कारण मोहित हो जाते थे. एक शाम, कुछ ऑफिसर्स ने कोको और एड्रिएन को एक कैफे में इनवाईट किया. ऑफिसर्स को शरारत सुझी और उन्होंने कोको को स्टेज पर जाकर उनके लिए एक गाना गाने के लिए चैलेंज किया. कोको ने उनकी इच्छा पूरी की और एक फ्रेंच गाना गाया. ऑफिसर्स साथ-साथ वहाँ ऑडियंस को भी उनकी आवाज़ बहुत पसंद आई.
एटिएन बल्सन (Etienne Balsan) उनके एक चाहने वाले थे. वो ऊँचें पद के सम्मानित ऑफिसर थे. उन पर कोको की अदाओं का जैसे जादू हो गया था. वो उनके प्रेमी बने और अंत तक उनके फैशन बैंड का एक अहम हिस्सा भी रहे, बल्सन जब आमी से रिटायर हुए तो उन्होंने एक बहुत बड़ी प्रॉपर्टी खरीदी. उसमें खूबसूरत बँगला, घोड़ों का अस्तबल और कई रेस कोर्स थे. उन्होंने कोको को वहाँ रहने के लिए बुलाया. कोको कई सालों तक वहाँ रहीं. कोको जानती थी कि अल्सन उन्हें कभी पत्नी का दर्जा नहीं देंगे क्योंकि थो एक ऊँचें और रईस धराने से थे तो ज़ाहिर है कि वो अपनी ही तरह ऊँचें
खानदान की लड़की से ही शादी करेंगे. कोको तो बस एक आम टेलर थी जिसका एक रहस्मयी अतीत था. sale इसलिए कोको ने बस वहाँ रहने का आनंद लिया. उन्होंने घोड़ों की सवारी करना सीखा. वो पूरा दिन जंगल की सैर किया करती. उस समय औरतें लंबे स्कर्ट पहनती थीं इसलिए घोड़े पर सामने के बजाय घूम कर बैठा करती थीं, लेकिन कोकों सबसे अलग थीं, वो सवारी करने के लिए अलग किस्म के पेंट पहनती थीं ओर ऊपर बल्सन की कालर और बटन वाली शर्ट के साथ उसे मैच करती. कोको बिलकुल आदमियों की तरह घुड़सवारी करती थीं. एक दिन बल्सन उन्हें पेरिस के लॉन्ग चैम्प रेस कोर्स ले गए. वहां ऊँचें घराने की औरतों ने बॉल गाउन और बड़े-बड़े पंखों वाली टोपी पहनी थी, जो उस समय पेरिस की औरतों का फैशन था. वहीं कोको स्कूल के बच्चे जैसे कपड़े पहने हुए लग रही थीं, उन्होंने एक आम टोपी पहनी थी जिसे काले बो टाई रिबन से सजा कर उन्होंने एक अलग स्टाइल दे दिया था, उनकी टोपी देखकर वहाँ कई रईस औरतों ने उनसे आकर पूछा “आपने ये टोपी कहाँ से खरीदी? यहाँ से कोको के बिज़नेस आईडिया ने आकार लेना शुरू किया.
कोको ने बल्सन के साथ बिताए हुए समय का भरपूर आनंद लिया लेकिन उन्हें एहसास हुआ कि वो अपनी पूरी जिंदगी सिर्फ आदमियों के भरोसे नहीं जीना चाहती थी, अंत में, कोको ने बल्सन से कहा कि वो वापस काम पर जाना चाहती थी, उन्होंने बल्सन को औरतों की पसंद से उनके लिए टोपी डिज़ाइन करने के अपने बिज़नेस आईडिया के बारे में बताया, बल्सन ने उनका साथ दिया और उन्हें अपना बुटीक बनाने के लिए पेरिस में अपने अपार्टमेंट की चाबी धमा दी,
I was my own Master
बल्सन कोको के प्रति बहुत अच्छा व्यवहार करते थे और कोको ने भी इसमें कोई कसर नहीं छोड़ी थी. लेकिन फ़िर कोको एक आदमी से मिली जिसने उन्हें मंत्रमुग्ध कर दिया था. वो इंग्लैंड के पोलो प्लेयर आर्थर “बॉय” कैपेल थे. कोको ने कैपेल को पहली बार तब देखा जब वह पाइरेनीस पहाड़ों में बल्सन के साथ शिकार करने गई थी. उन्हें पहली नज़र में ही आर्थर से प्यार हो गया था.
जब आर्थर का पेरिस लौटने का वक्त आया तो कोको ने बल्सन के नाम एक नोट लिखा जिसमें लिखा था, “मेरे प्यारे एटीन, मुझे माफ कर दो, लेकिन मैं उससे प्यार करती हैं” उनके साथ कोको पेरिस में बस गईं. आर्थर उन्हें अपने साथ बड़े-बड़े इवेंट में ले जाने लगे. कोको ने हमेशा अपने परिवार और आर्थर अक्सर उनसे कहते, “कोको तुम इतनी कहानियां कैसे बना सकती हो?” लेकिन दूसरी ओर वो कोको को समझते भी थे और बल्सन की तरह उन्होंने भी कोको के बिजनेस में उनका पूरा साथ दिया. कोको अब भी बल्सन के अपार्टमेंट का इस्तेमाल कर रही थीं और बल्सन अपने अमीर दोस्तों को
बेकग्राउंड के बारे में झूठ बोला. उनका कहना था कि वो इस सच्चाई को सामने नहीं लाना चाहती थी कि वो एक अनाथ थीं.
कोको के बुटीक में जाने के लिए कहते. इसके साथ-साथ आर्थर कोको को भरपूर पैसे और बिज़नेस के लिए कैपिटल देते रहते थे, कुछ लोगों का कहना है कि बल्सन और आर्थर एक ही वक्त में उनके प्रेमी बने थे. ज़रा सोचिये, दो अमीर, जवान सुंदर लड़के जो आपसे प्यार करते हैं और आपको कुछ भी देने के लिए तैयार हैं तो क्या क्या हो सकता है लेकिन वो कहते हैं ना कि कौको औरों से बिलकुल अलग थीं, यूनिक और खास, उनमें एक बिजनेसमैन, विज़नरी और क्रिएटिव फैशन डिज़ाइनर तीनों की खुबियाँ कूट-कूट कर भरी थीं. हाँ इस बात को नकारा नहीं जा सकता कि बेसन और आर्थर ने उनकी बहुत मदद की लेकिन कोको की स्ट्रोंग पर्सनालिटी और एक टेलर के रूप में उनकी एक्सपर्ट स्किल को बिलकुल नज़रंदाज़ नहीं किया जा सकता.
कोको ने डिपार्टमेंट स्टोर से कई साधारण टोपियाँ खरीदी और अपनी क्रिएटिविटी से उन्हें अपना एक यूनिक स्टाइल दिया. कभी वो उसमें फूल जोड़ देती, कभी पंख तो कभी रिबन. बल्सन के कई दोस्त अपने दोस्तों के साथ कोको के बुटीक गए. उन सभी को कोको का कलेक्शन बेहद पसंद आया. उनकी टोपी यूनिक, मॉडर्न और दिखने में बहुत हाई क्लास थीं. वो उस बड़ी सी टोपी से बहुत अलग धे जो फ्रांस की औरतें अपने लंबे बॉल गाउन और कोर्सेट के साथ उस वक्त पहनती थीं.
जल्द ही, कोको को अपने बुटीक के लिए एक बड़ी जगह की ज़रुरत पड़ने लगी. आर्थर ने उन्हें बिज़नस एरिया में रेट पर जगह लेने के लिए पैसे
दिए. सेल इतनी तेजी से बढ़ रही थी कि कोको को और लोगों को काम पर रखना पड़ा, उस समय के दौरान, सबसे टॉप ब्रैंड के मालिक Charles Frederick Worth थे, उन्हें हाई फ्रेंच फैशन का गुरु कहा जाता था, उनका ट्रेडमार्क स्टाइल था लंबे गाउन जिन्हें टाइट कोर्सेट और लंबे टेन के साथ पहना जाता था. कोर्सेट औरतों के शरीर को ज़्यादा आकर्षक बनाते हैं, लेकिन वे पहनने में बहुत uncomfortable होते हैं. पेरिस की औरतों ने कई
सालों तक इसे सहन किया लेकिन कोको ने आकर सब कुछ बदल दिया था.
कोको को आर्थर के कपड़े पहनना बहुत पसंद था, वो अक्सर उनके कपड़ों में से पोलो शर्ट, blazer, ढीले स्वेटर खुद पहन कर ट्राय किया करती थीं.
उन्हें उसमें से आर्थर की खुशबू आती थी और वो पहनने में बहुत आरामदायक थे. कोको आदमियों के कपड़े पहन कर ज़्यादा पावरफुल और आज़ाद
में में
महसूस करती थी, इसलिए उन्होंने आर्थर के कपड़ों में कुछ बदलाव किए और उन्हें औरतों के पहनने लायक बनाया. एक शाम, कोको और आर्थर एक costume पार्टी में गए. पार्टी का थीम था शादी. अगर आप उस समय पेरिस की रहने वाली होती तो क्या आपको शादी में पैंट पहनने का ख़याल भी आता? नहीं, लेकिन कोको ने बिलकुल यहीं किया. जहां पार्टी में सभी औरतों ने लंबे बॉल गाउन पहने हुए थे, कोको लड़कों की तरह तैयार होकर गई थीं. उन्होंने वाइट शर्ट, blazer, पैंट और बूट्स खरीदे. ये कपड़े उनके दुबले पतले शरीर पर बिलकुल फिट आए थे
और उन पर खबजा रहे थे. कोको एक चंचल, शरारती, टॉमबॉय लड़की की तरह दिख रही थी. जल्द ही, उनके अमीर और वफ़ादार कस्टमर्स उनसे अपने बिज़नेस को टोपी से कपड़ों तक बढ़ाने के लिए कहने लगे. अब पेरिस की औरतें भी कोको की तरह comfortable कपड़े पहनकर आज़ाद महसूस करना चाहती थीं.
1913 में, आर्थर ने कोको को encourage किया कि वे ड्यूबिल (Deauville) के समुद्र किनारे रिसॉर्ट में एक और स्टोर खोलें. वहाँ पेरिस के जाने माने रईस गर्मी की छुट्टियां बिताने आते थे, स्टोर के सामने कोको ने अपने नाम का एक बड़ा सा बोर्ड लगाया. जल्द ही, ड्यूविल में उस ट्रेंडी और फैशनेबल बटिक के चर्चे होने लगे
कोको ने औरतों के लिए पोलो शर्ट, जर्सी स्वेटर बनाने शुरू कर दिए. वो उसे एंकल लेंथ की स्कर्ट के साथ मैच करती थीं. वो ऐसे कपड़े चुनती थीं जो ढीले. मुलायम और stretchable होते थे जो औरतों के दुबले पतले शरीर पर बहुत आकर्षक लगते थे.
यहाँ तक कि जब 1914 में World War | शुरू हुआ, तब भी कोको चैनल के बिज़नेस में तेज़ी आई. पेरिस के बड़े घराने के लोगों की कोको स्टोर पर लाइन लग गई. उन्होंने बिआरित्ज़ (Biarit2) में एक नया स्टोर खोला जो स्पेनिश बॉर्डर के पास था. यह एक ज़बरदस्त बिज़नेस स्ट्रोक था क्योंकि जंग के दौरान स्पेन किसी भी एक पक्ष में नहीं था. स्पेन का शाही परिवार भी कोको के कस्टमर बन गए और तब तक, कोको के पास तीन स्टोर हो गए थे, जिनमें से एक पेरिस, ड्यूविल और बिआरित्ज़ में था.
Black Wipes Out Everything
1918 में आर्थर ने कोको का दिल तोड़ दिया. उन्होंने एक अंग्रेज़ औरत से शादी कर ली जो एक बड़े और ऊँचें घराने से थी. लेकिन शादी के बाद भी
कोको और आर्थर एक दूसरे से मिलते रहे.
एक शाम, आर्थर अपने रोल्स रोयस में कोको के बंगले से निकले. वह कान्स में अपनी बहन के पास जाने वाले थे. लेकिन सड़क पर अचानक उनकी
गाड़ी का टायर फटा जिस वजह से गाड़ी पलटी और फट गई. गाड़ी धू धू कर जलने लगी. उस भयानक दुर्घटना में आर्थर की मौत हो गई. किसी ने कोको को रोते हुए नहीं तो देखा लेकिन ये साफ़ था कि आर्थर की मौत से वो टूट गई थीं. उन्होंने कहा था, “1979 में, मुझे शोहरत मिली, मैं पहचानी जानी लगी, लेकिन फिर भी मैंने अपना सब कुछ खो दिया.
उस समय के आसपास, चैनल ने लाल दिल आकार के झुमके लॉन्च किए थे. ये सोने से बना था और बीच में जो लाल दिल था उस पर एक दूसरे जुड़े हुए दो “C” बने थे जो कोको और आर्थर चैपल के नाम थे.
से
कोको ने आर्थर को श्रद्धांजलि देने के रूप में खुद को काम में बिजी कर लिया. आर्थर ने ज़्यादातर जायदाद अपनी पत्नी और बेटी के नाम की थी. लेकिन उन्होंने कोको के नाम भी बहुत दौलत छोड़ी थी. कोको ने इसका इस्तेमाल पेरिस में अपने बुटिक को 5 फ्लोर की बिल्डिंग में शिफ्ट करने के लिए
किया.
जल्द ही कोको एक नए इनोवेशन के साथ आई, वो था The Little Black Dress”. एक शाम, कोको पेरिस ओपेरा हाउस में एक शो देखने गई,
वहाँ उन्होंने उन औरतों के पहनावे को गौर से देखा जो प्रीमियर बॉक्स सीट में बैठी थीं. उन्होंने कहा, “उन रंगों को देखकर मैं चकित थी, मानो मेरी आखें
चौधियां गई हो. उन लाल, हरे, इलेक्ट्रिक ब्लू रंगों को देखकर मुझे लगा मेरी तबियत ही ख़राब हो रही है.” फूल और तितलियों वाले प्रिंटेड ड्रेस कोको के competitor पॉल पोइरेट के कारण popular हुए थे. उस रात कोको ने खुद से और अपनी टेलर से
कहा, “ये सारे रंग बहुत भी भयानक और भड़कीले हैं. अब मैं इन सभी औरतों को ब्लैक कपड़े पहनाने जा रही हूँ.” फ्रांस में हर कोई काले रंग को शोक और दुःख जताने का रंग मानता था. लेकिन 1920 में कोको ने ब्लैक ड्रेस लॉन्च किया. इसके लिए उन्होंने ऊन और क्रेप के कपड़े का इस्तेमाल किया. उन्होंने राउंड नैक स्वेट शर्ट और close फिटिंग स्लीव डिज़ाइन किया और उसे knee length स्कर्ट के साथ मैच किया.
कोको ने Little Black Dress के भी कई अलग-अलग डिज़ाइन लॉन्च किए. वो plain ब्लैक, आरामदायक और पहनने में हलके थे. कभी-कभी, वह कंधों पर bow या चेस्ट पर एक सफेद कपड़े की कैमेलिया फूल जोड़ देती थी. उनके दूसरे स्टाइल में बिना स्लीव चाले ब्लाउज और हुडेड नेकलाइन शामिल थे. 1926 में कोको ने अमेरिका की ओर रुख किया वोग मैगज़ीन ने लिटिल ब्लैक ड्रेस को फोर्ड ड्रेस का दिया. उस समय अमेरिका में फोर्ड की
मॉडल-टी कार की धूम मची हुई थी. हेनरी फोर्ड ने जोर देकर कहा था कि वो कार सिर्फ एक ही रंग में बेची जाएगी जो था ब्लेक कलर, फोर्ड की
मॉडल-टी की तरह ही कोको की लिटिल ब्लैक ड्रेस अमेरिका में बहुत बड़ी हिट साबित हुई, जल्द ही, हॉलीवुड की जानी मानी actresses ने लिटिल
ब्लैक ड्रेस पहनना शुरू किया.
Lead Them By the Nose
इतनी शोहरत के बाद भी कोको रुकी नहीं, अभी तो को ना जाने क्या-क्या और डिज़ाइन कर लोगों को चौकाने वाली थीं. इस बार उन्होंने कुछ हटकर लॉन्च किया और वो था उनका दुनिया भर में मशहूर परफ्यूम Chanel No. 5. हर दिन, कोको जब काम पर जाती तो उनमें से उस साबुन की महक आती थी जो उन्हें अनाथ आश्रम में दिया जाता था. हालांकि, उन्हें परफ्यूम बेहद पसंद था और वो उसे अपनी कलाई और कान के पीछे थोड़ा सा लगाती थीं.
उनके competitor पॉल पोइरेट और दूसरे डिज़ाइनर बड़े खास और अलग किस्म की फूलों वाले खुशबू का परफ्यूम बेंचते थे. उनमें से गुलाब, चमेली और गेंदे की भीनी-भीनी खुशबू आती थी. कोको जब अ्नेस्ट बीक्स के लैब में पहुंची तो उन्होंने साफ़-साफ़ कह दिया कि उन्हें ये फूलों वाली खुशबू नहीं बल्कि कुछ बिलकुल अलग और नया चाहिए. कुछ ऐसा यूनिक जो सिर्फ उनके ब्रैंड चैनल में ही बनता हो.
इसलिए बीक्स ने कई केमिकल को मिक्स कर एक्सपेरिमेंट करना शुरू किया. उसने कोको के सामने दो सीरीज पेश की. bottle नंबर 5 की सुगंध ने कोको को मंत्रमुग्ध कर दिया और उन्होंने कहा कि 5 हमेशा उनका लकी नंबर रहा है. उसकी खुशबू इतनी हटकर और यूनिक थी जो उन्होंने पहले कभी महसूस नहीं की थी. उन्होंने bottle उठाया, उस पर 5 लिखा और कहा, “मैं अब इसे बेचूगी. कोको ने अपने पुराने कस्टमर्स को इसका सैंपल दिया और अपने स्टोर में काम करने वाली लड़कियों से कहा कि उसे बुटिक में चारों ओर स्प्रे कर दें, उस समय बिकने वाले ज्यादातर परफ्यूम के रोमांटिक नाम हुआ करते थे और वो सब फ्लोरल प्रिंट के bottle में आते थे. कोको ने अपने एक्स्ट्राऑर्डिनरी परफ्यूम के लिए बड़ा ही plain सिंपल bottle और सिंपल नाम चुना था. वो सिपल ज़रूर था लेकिन बहुत हाई क्लास था. कोको का कहना था कि इस सिंपल डिजाईन का कारण था कि लोग इसके अंदर के सोने जैसे लिक्विड को देख पाएं.
Chanel No.5 इंस्टेंट हिट साबित हुआ. ये ऐसा था जैसे कोको के हाथ कोई जादुई चिराग लग गया हो. फ्रांस की औरतें इसकी खुशबू की दीवानी हो गई. आज भी Chanel नंबर 5 टॉप ऑफ द लाइन परफ्यूम का सबसे ज्यादा बिकने वाला परफ्यूम है.
A Very Bad Dead Person
1939 में World War || शुरू हुआ. जर्मनी ने पोलैंड पर हमला किया, फिर फ्रांस और ग्रेट ब्रिटेन ने जर्मनी पर जंग का एलान कर दिया. हर बिज़नेस की तरह, कोको चैनल के लिए भी ये बहुत मुश्किल दौर था. वो उस समय 57 की थीं और एक जानी मानी फैशन डिज़ाइनर बन चुकी थीं. उस वक्त कोको ने अपने से कम उम्र के आदमी बैरन हांस गनथर वॉन डिनक्लेज (Baren Hans Cunther von Dincklage), जो एक जर्मन इंटेलिजेंस ऑफिसर थे, को डेट किया. यही कारण है कि लोगों ने कोको पर नाजी के प्रति सहानुभूति रखने का आरोप लगाया था. कोको ने उनका बचाव कर किया किया कि “हास जर्मन नहीं है, उनकी माँ अंग्रेज़ थीं.” जंग ख़त्म होने के बाद, कोको दोबारा अपने फैशन ब्रैंड में जान डालने में मशगूल हो गई. यहाँ तक कि उन्होंने 70 और 80 तक की उम्र मैं भी नए-नए designers जैसे क्रिश्चियन डायर, यवेस सेंट लॉरेन (Christian Dior और wes Saint Laurent) से जमकर मुकाबला किया और उन्हें
जबरदस्त टक्कर दी.
1955 में, कोको ने चेन स्ट्रैप के साथ अपना ट्रेडमार्क लेदर शोल्डर बैग लॉन्च किया. उन्होंने इसे 2.55 का नाम दिया. आज भी ये elegant बैग एक फैशन ट्रेंड बना हुआ है. तब से लेकर आज तक कोको के डिजाईन की नक़ल की जाती है. बुढ़ापे में जब उन्हें गठिया ने जकड़ लिया तब भी उन्होंने काम करना बंद नहीं किया. वो अपनी कैंची लेकर नए-नए डिज़ाइन बनाने की धुन में लगी
जनवरी 1971 में, कोको अपने नए कलेक्शन के बारे में सोचने में मसरूफ़ शीं. उस वक़्त उनकी उम्र 88 साल थी. उन्होंने अपने हेल्पर से कहा, “मैं कल भी काम करूगी.” लेकिन वो शाम उनकी जिंदगी की आखरी शाम में बदल गई. कोको ने अपने खूबसूरत और आलिशान घर में उस शाम आखरी सांसे ली. उनके अतिम संस्कार में कई जानी मानी हस्तियों के साथ-साथ प्रेस के लोग भी शामिल हुए. उनकी कॉफिन अनगिनत खूबसूरत सफेद फूलों से ढकी थी. उनके बैंड के साथ काम करने वाले कई सुपर मॉडल सामने खड़े थे. दे सभी उनके लेटेस्ट कलेक्शन के कपड़ों में तैयार होकर आए थे. कोको ने एक बार कहा था कि मौत के बाद में औरों की तरह शांति से लेटी हुई नहीं रह पाऊँगी क्योंकि दफन होने के बाद में बेचैन हो जाउंगी और वापस इस दुनिया में आकर एक नई शुरुआत करना चाहूंगी.”
कन्क्लू जन
इस बुक में आपने दिग्गज कोको चैनल और उनकी विरासत के बारे में जाना. आपने उनके गरीब परिवार और मुश्किल हालातों के बारे में जाना. ये आपको उस सफ़र पर ले गई जहां आपने उन्हें एक आम टेलर से एक सम्मानित फैशन डिज़ाइनर बनते हुए देखा. आपने कोको के समर्पित प्रेमियों
बल्सन और आर्थर के बारे में भी जाना.
आपने उनके ट्रेडमार्क डिज़ाइन के बारे में जाना, जिसमें सजी-धजी टोपियों से लेकर लड़कों जैसे कपड़े, लिटिल ब्लैक ड्रेस और परफ्यूम चैनल शामिल हैं, आज भी कोको चैनल वर्ल्ड क्लास लक्ज़री बैंड बना हुआ है.
उनके जीवन की कहानी ये साबित करती है कि कोई भी कामयाब हो सकता है यहाँ तक कि एक छोटी जगह से आई ग़रीब अनाथ लड़की भी. कोको में जुनून, जोश, पक्का इरादा, ज़ज्बा सब कूट-कूट कर भरा था और सबसे ज़रूरी बात उन्हें खुद पर यकीन था.
कुछ लोग कहते हैं कि वो एक झूठी,मौकापरस्त, नाजी से सहानुभूति करने वाली इंसान थीं लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि कोको चैनल इतिहास की सबसे पावरफुल और स्ट्रोंग औरतों में से एक हैं जिन्होंने अपना मुकाम खुद बनाया. उनके नाम की गूंज हर दशक में सुनाई देती रही है और उनका नाम अभी आने वाले कई दशकों तक जाना जाता रहेगा.