
एस्ट्रोनॉट बनने का सपना
क्या आपने कभी एस्ट्रोनॉट बनने का सपना देखा है? क्या आपको स्पेस और रॉकेट साइंस की बातें दिलचस्प लगती हैं? अगर हाँ, तो ये बुक आपके लिए है. क्रिस हैडफील्ड आज के ज़माने के जाने माने एस्ट्रोनॉट्स में से एक हैं. वो कई वायरल विडियो के स्टार हैं जैसे स्पेस में ब्रश कैसे करें या पीनट बटर सैंडविच कैसे बनाएं. क्रिस ने इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के अंदर उड़ते हुए Space Oddity, गाने का म्यूजिक विडियो भी शूट किया है. यहां आप जानेंगे कि वह एस्ट्रोनॉट कैसे बने और वे कौन से प्रिंसिप्ल हैं जो उन्होंने स्पेस और अर्थ पर रहते हुए फॉलो किए.
यह समरी किसे पढ़नी चाहिए?
- हाई स्कूल और कॉलेज स्टूडेंट्स
- जो लोग साइंटिस्ट और एस्ट्रोनॉट बनना चाहते हैं
- यंग लोगों के लिए और वो जो दिल से जवान हैं
ऑथर के बारे में
क्रिस हैडफील्ड एक कैनेडियन एस्ट्रोनॉट हैं. उन्होंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और मिलिट्री स्कूल गए. उसके बाद वो एक फाइटर पायलट और टेस्ट पायलट बने. फिर कैनेडियन स्पेस एजेंसी ने उन्हें हायर किया. क्रिस तीन स्पेस मिशन पर जा चुके हैं. वो स्पेस में जाने वाले पहले कैनेडियन थे और इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के पहले कैनेडियन कमांडर भी. क्रिस 2013 में रिटायर हुए और अब एक ऑथर, लेक्चरर, मोटिवेशनल स्पीकर, म्यूजिशियन और सोशल मीडिया स्टार के रूप में अपना समय बिताते हैं.
इंट्रोडक्शन
जब आप एस्ट्रोनॉट शब्द सुनते हैं तो आपके माइंड में क्या इमेज बनती है? शायद आप एक स्पेस सूट पहने आदमी को हवा में तैरते हुए इमेजिन करते होंगे या फिर एक रॉकेट को पूरी शान और तेज़ी से टेक ऑफ़ करते हुए सोचते होंगे, वैसे, इस बुक में आप एक एस्ट्रोनॉट के बारे में कई अलग-अलग बातें जानेंगे,
स्पेस वॉकिंग एक बहुत ही मुश्किल और खतरनाक काम है, एक एस्ट्रोनॉट को स्पेस में बिताए जाने वाले हर एक दिन के लिए कई महीनों तक लगातार खुद को ट्रेन करना पड़ता है, जैसा कि साइंस फिक्शन फिल्मों में दिखाते हैं, रियल लाइफ में किसी प्रॉब्लम का सामना करने पर एस्ट्रोनॉट एक दूसरे से लड़ते नहीं हैं. वो शांत रहते हैं क्योंकि उन्हें बुरी से बुरी सिचुएशन का सामना करने के लिए ट्रेन किया जाता है. इसके अलावा आप कड़ी मेहनत, हार ना मानने वाला attitude, नम्रता और अच्छे character के बारे में भी जानेंगे. आप जाश पाएंगे कि क्रिस हमारे समय के सबसे कमाल के और बेहतरीन एस्ट्रोनॉट क्यों हैं
Trip that Takes a Lifetime
मेरी पहली स्पेस फ्लाइट की सुबह मैंने महसूस किया कि जो मोज़े मैं पहनने वाला हूँ वो उन कई चीज़ों में से एक हैं जिन्हें में अपने साथ ले जा रहा हूँ, ये सब एक सपने जैसा लग रहा था. बाहर रिपोर्टर और फोटोग्राफर मेरा इस कदर इंतज़ार कर रहे थे जैसे मैं मौत की लाइन में खड़ा होने जा रहा हूँ. मैंने और मेरे कू के साथियों ने स्पेस सूट पहना. हम सभी ने डायपर पहने थे, ये सिर्फ उस सिचुएशन के लिए था कि अगर हम लॉन्च pad में कई घंटों फंस गए तो आगे रॉकेट खड़ा था, चमचमाता हुआ, रौशनी से जगमगाता हुआ.
आपको ये जानकार आश्चर्य होगा मगर रॉकेट असल में एक 4.5-megaton का bomb है क्योंकि इसे लॉन्च करने के लिए बहुत ज़्यादा एवस्प्लोसिव fuel की ज़रुरत होती. मैं यहाँ आकर बहुत खुश हूँ. जैसे ही रॉकेट को लॉन्च किया गया, मेरा तो मुस्कुराना बंद ही नहीं हो रहा था और इस बड़ी सी मुस्कराहट से मेरा मुहं दर्द करने लगा. मैं बहुत excited था लेकिन हमेशा की तरह हम सभी को फोकस करने की ज़रुरत थी क्योंकि हम एक मिशन पर जाने वाले एस्ट्रॉनॉट थे. बहुत से लोग सोचते हैं कि एस्ट्रोनॉट्स के लिए स्पेस में घूमना गार्डन में टहलने जैसा ही होगा लेकिन यहाँ मिशन STS-74 पर हमारा मकसद था, russia के स्पेस स्टेशन Mir पर डॉकिंग मोड्यूल बनाना. इस डॉकिंग मोड्यूल का काम था आगे आने वाले एस्ट्रोनॉंट्स के लिए सफ़र को आसान और सैफ़ बनाना, हम वहाँ 8 दिन थे.
अपने पहले मिशन के दौरान मुझे एहसास हुआ कि अभी मुझे कितना कुछ सीखने की ज़रुरत थी. उस पल के लिए मैंने कई सालों तक ट्रेनिंग ली थी लेकिन किसी चीज़ को पढ़ना और ट्रेनिंग लेना रियल सिचुएशन से बिलकुल अलग होता है. मुझे पता चला कि कौन से स्टेप्स बेकार हैं और कौन से इम्पोर्टेन्ट. दूसरे शब्दों में कई प्रोसेस ऐसे थे जिन्हें बस जान लेना ही काफ़ी था लेकिन कुछ ऐसे थे जो जिंदगी और मौत से आपको निकाल सकते थे. एस्ट्रोनॉट होना एक बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी है. लोग सोचते हैं कि जब हम लौटकर आते हैं तो खाली बैठे-बैठे अगले मिशन का इंतज़ार करते रहते हैं मगर सच नहीं है.
Year | Mission | Objective |
---|---|---|
2001 | Second Mission | Install Canadarm2 |
2013 | Expedition 35 | Commander at ISS |
हम लगातार प्रैक्टिस कर अपने स्किल को इम्प्रूव करते हैं. हम दूसरे स्पेस मिशन में मदद करते हैं और रिसर्च करने में लगे रहते हैं. एस्ट्रोनॉट गवर्नमेंट एम्प्लोई और पब्लिक सर्वेंट होते हैं. हमारे ट्रेनिंग और इक्विपमेंट्स के लिए कई देशों द्वारा बिलियन डॉलर इंवेस्ट किया जाता है. हम टैक्स भरने वालों का पैसा बर्बाद नहीं कर सकते. इसलिए एक एस्ट्रोनॉंट का अपने काम में हाइली स्किल्ड और माहिर होना बेहद ज़रूरी है. 2001 में मेरा दूसरा मिशन था. इसके लॉन्च से चार साल पहले से मैंने ट्रेन करना शुरू कर दिया था. इस बार हमारा मिशन था Canadarm2 को इंस्टॉल करना. ये इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से जुड़ी बहुत बड़ी रोबोटिक ब्रांच थी, इसका इस्तेमाल सप्लाई को भेजने, सेंटेलाइट को कैप्चर करने और |SS के कुछ हिस्सों को पूरा करने के लिए किया जाता है. इस मिशन के दौरान मैंने पहली बार स्पेसवॉक किया और ये केनेडा का भी पहला स्पेसवाँक था.
स्पेसवॉकिंग की कठिनाई
आम ग़लतफहमी है कि एस्ट्रोनॉट बड़े आराम से स्पेस में तैरते होंगे, लेकिन सच्चाई तो ये है कि वेटलिफ्टिंग और रॉक क्लाइबिंग को मिलाकर जितनी मेहनत लगती है स्पेसवॉकिंग उतना ही मुश्किल है. आपको एक भारी भरकम सूट पहनना पड़ता है और क्योंकि वहाँ ग्रेविटी नहीं होती तो एक स्कू खोलने के लिए भी बहुत कोशिश करनी पड़ती है.
स्पेसवॉकिंग काफ़ी खतरनाक है और एक एस्ट्रोनॉट को पूरी तरह से तैयार होना चाहिए क्योंकि कुछ भी गलत हो सकता है. मैंने इसके लिए जॉनसन स्पेस सेंटर में न्यूट्रल Buoyancy लैब में ट्रेनिंग ली थी, Buoyancy Lab एक बहुत बड़ा पूल है जहाँ एस्ट्रोनॉट हर रोज पूरा स्पेस सूट पहनकर घूमने और इक्विपमेंट को ठीक करने की ट्रेनिंग लेते हैं. बिलकुल स्पेस की तरह, हम पानी के अंदर सांस नहीं ले सकते, इसलिए वहां प्रेक्टिस करना मेरे लिए बहुत मददगार साबित हुआ.
वापस आने के बाद 2001 से 2012 तक मैंने NASA में कई पोजीशन पर काम किया. मैं Russia में Director of Operations बना, फिर Houstor Chief of Robotics और उसके बाद International Space Station Operations का चीफ. मेरे करियर का शिखर 2013 में था जब मैं आईएसएस में एक्सपेडिशन 35 का कमांडर बना. ये मेरा तीसरा स्पेस मिशन था. इस बार मैं कुछ दिनों के लिए नहीं बल्कि 6 महीनों तक स्पेस में रहा. इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन हमारे घर से दूर हमारा दूसरा घर था. ये 17500 miles per hour की स्पीड से अर्थ के चक्कर लगाता है, एक्सपीडिशन 34/35 में छह एस्ट्रोनॉट थे और हमने 2,336 बार अपने प्लेनेट का चक्कर लगाया.
जीवन का पाठ
स्पेस में रहने से मुझे एक बात का एहसास हुआ. उसने मुझे सिखाया कि इस दुनिया में ज़्यादा खुशहाल और बेहतर कैसे जीना है. मैंने अपने डर का सामना करना सीखा, ज्यादा फोकस्ड रहना सीखा. मैंने मुश्किल से मुश्किल वक़्त में भी effectively respond करना सीखा.
हम एस्ट्रोनॉट्स हमेशा खुद से पूछते हैं, "अगली कौन सी चीज़ है जो मुझे मार सकती है?" स्पेस मिशन बहुत महंगे होते हैं इसलिए अथॉरिटीज उन एस्ट्रोनॉट्स को चुनती है जो कई स्किल में एक्सपर्ट होते हैं, जो शांति से मुसीबतों को संभाल सकते हैं और जो दूसरों के साथ मिलकर काम कर सकते हैं. क्या आप जानते हैं कि हर एस्ट्रोनॉट को सिखाया जाता है कि टूटे हुए टॉयलेट को कैसे फिक्स करना है? ऐसा इसलिए क्योंकि स्पेस में कोई plumber, कोई इलेक्ट्रीशियन नहीं है. आपको सब काम खुद ही करना होता है. इसके अलावा एस्ट्रोनॉट्स को बेसिक दांत का ट्रीटमेंट और सर्जिकल स्किल भी सीखने की जरुरत होती है.
Have an Attitude
एक एस्ट्रोनॉट कभी भी पढ़ना और खुद को ट्रेन करना बंद नहीं करता. हम हमेशा अगले टेस्ट की तैयारी करने में लगे रहते हैं. जब मैं 9 साल का था तो एक बड़े से रॉकेट में जिसके पीछे से बहुत आग निकल रही होती थी, उससे स्पेस में जाने का सपना देखा करता था. मैंने कभी नहीं सोचा था कि एक एस्ट्रोनॉट को ऑर्बिटल मैकेनिक्स सीखने के लिए घंटों क्लास में भी बैठना पड़ता है. लेकिन फिर भी मुझे अपने काम से बहुत प्यार है और मैं किसी भी कीमत पर इसे किसी दूसरे काम से बदलना नहीं चाहूँगा. इसमें हर रोज़ आने वाले नए चैलेंज मुझे एक किक देते हैं.
अगर आपकी इच्छा एक स्पेस शिप में बैठ कर धरती के चारों ओर चक्कर लगाना है तो आपको एस्ट्रोनॉट बनना बिलकुल पसंद नहीं आएगा. एस्ट्रोनॉट्स को कोई मिशन सौंपने से पहले ही चार साल तक ट्रेनिंग लेनी पड़ती है. हम बार-बार बेहद मुश्किल टास्क को प्रैक्टिस करते हैं. हम ज़्यादातर समय अपने परिवार से दूर रहते हैं, इसलिए अगर आप असल में इस काम से प्यार नहीं करते तो अंत में धक हारकर आप इसे छोड़ देंगे, यहाँ सबसे ज्यादा challenging पार्ट तो ये है कि अगर आप एस्ट्रोनॉट बनने के लिए कई सालों तक ट्रेन कर भी लेते हैं तो इसकी कोई guarantee नहीं है कि आप स्पेस में जा पाएगे. ऐसे कई फैक्टर हैं जो एक स्पेस मिशन को डिसाइड करते हैं.
Mission Opportunities
उदाहरण के लिए, हर देश को represent करने वाले कितने मेंबर जाएंगे ये इस बात पर डिपेंड करता है कि उस देश ने ISS में कितना पैसा इंवेस्ट किया है. कैनेडा सिर्फ 2% फंडिंग देता है जिसका मतलब है कि मिशन पर जाने वाली टीम में कैनेडा के 2% लोग ही शामिल हो सकते हैं.
लेकिन अमेरिकन के लिए भी यही बात लागू होती है, उदाहरण के लिए, एक रॉकेट ब्लास्ट हो सकता है और उसके सभी क्रू मेंबर्स मारे जा सकते हैं. वैसी सिचुएशन में, जब तक प्रॉब्लम ठीक नहीं हो जाती और आम जनता को ये भरोसा नहीं हो जाता कि फ्लाइट उड़ान भरने के लिए सेफ़ है, तब तक स्पेस फ्लाइट को रोक दिया जाता है. या इकनोमिक क्राइसिस हो सकता है जिसके कारण कोई भी देश पैसा इंवेस्ट ना कर पाए. इसके अलावा, किसी एस्ट्रोनॉट की तबियत ख़राब हो सकती है या उसके परिवार में कोई emergency आ सकती है जिस वजह से वो ना जा सके.
इसलिए एक खुश और सक्सेसफुल एस्ट्रोनॉट बनने का राज़ है अपनी ट्रेनिंग पीरियड को पूरी तरह से एन्जॉय करना. इसकी कोई gaurantee नहीं है कि आप स्पेस में पहुंचेंगे या नहीं लेकिन अगर आपको रॉकेट साइंस से प्यार है और आप उस सीखने के प्रोसेस का मज़ा लेते हैं तो ये भी किसी रिवॉर्ड से कम नहीं होगा. रे दूसरे मिशन के बाद में ॥ साल तक किसी मिशन पर नहीं गया और सच पूछिए तो मुझे उम्मीद भी नहीं थी कि मुझे दोबारा जाने का मौका मिलेगा. लेकिन मैंने अपने सेल्फ़-वर्थ, कमिटमेंट और खुशी को स्पेस में जाने के साथ जोड़ा नहीं. मैं हर दिन काम करने के लिए excited रहता था.
सक्सेस का मतलब
मेरे लिए सक्सेस का मतलब किसी रॉकेट में बैठकर स्पेस में जाना नहीं है बल्कि सक्सेस का मतलब है अपनी कड़ी मेहनत और उस लंबे सफ़र के बारे में अच्छा फील करना, आपको इस जर्नी को पूरा जीना है, पूरा एन्जॉय करना है- इसे सक्सेस कहते हैं. स्पेस मिशन में attitude का मतलब होता है ओरिएंटेशन यानी ये वो डायरेक्शन है जिसमें आपका स्पेस शिप अर्थ, sun या किसी दूसरे स्पेस शिप की ओर point कर रहा है. अगर एक स्पेस क्रू अपने attitude का कंट्रोल खो देता है तो शिप उल्टा होकर घूमने लगेगा. वो अपने रास्ते से भटक जाएगा. अगर शिप में fuel कम है या समय की कमी है तो कू मेंबर्स अंदर मर भी सकते हैं. इसलिए एक एस्ट्रोनॉट के लिए बेहद ज़रूरी है कि वो कभी अपने attitude का ट्रैक ना खोए. स्पेस की तरह इस दुनिया में भी attitude उतना ही ज़रूरी है. एक एस्ट्रोनॉट के रूप में ऐसी कई चीजें हैं जो मेरे कंट्रोल के बाहर हैं. लेकिन इस पूरे सफ़र में सिर्फ मेरा attitude ही मेरे कंट्रोल में है. यही मुझे स्टेबल रखता है और सही डायरेक्शन में ले जाता है. अपने attitude के प्रति अलर्ट रहकर में अपने गोल्स के करीब पहुंचता जाता हूँ और यही आपको भी करना है.
The Power of Negative Thinking
इमेजिन करें कि आप अपनी मस्ती में अपने रास्ते जा रहे हैं, तभी अचानक कोई आपको पकडकर रॉकेट के अंदर बैठा देता है और कहता है कि आप 3 मिनट के बाद स्पेस के के लिए उड़ान भरने वाले हैं. ये सुनते ही आपकी हवा निकल जाएगी. ऐसी सिचुएशन में डर लगना लाज़मी है लेकिन एस्ट्रोनॉट्स को डर नहीं लगता क्योंकि उन्हें सालों तक इसकी ट्रेनिंग दी जाती है.
एक्सपर्ट्स की टीम हमें हर पॉसिबल सिचुएशन के लिए तैयार करने में मदद करती है जो स्पेस तक जाने में और लौटने के रास्ते में आ सकती है. इस सफ़र में मैंने जाना है कि नॉलेज और इनफार्मेशन की कमी से डर पैदा होता है. आपको डर तब लगता है जब आप नहीं जानते कि क्या होने वाला है। अब जैसे, मुझे हाइट से डर लगता है. लेकिन नॉलेज और एक्सपीरियस ने मुझे अपने इमोशंस को कंट्रोल करना, प्रॉब्लम को एनालाइज करना और solution के बारे में सोचना सिखाया.
मुझे पता है कि जब मैं एक प्लेन में उड़ रहा हूँ या स्पेस शिप में सफ़र कर रहा हूँ तो मैं गिरूगा नहीं क्योंकि मैंने फिजिक्स और वो कैसे काम करता है उस बारे में पढ़ा है. इसलिए किसी भी स्ट्रेसफुल और मुश्किल सिचुएशन में शांत बने रहने का राज़ है नॉलेज होना, फ्लाइट सिमुलेशन के दौरान एस्ट्रोनॉट को हर मुश्किल प्रॉब्लम का सामना करना सिखाया जाता है. अगर रॉकेट ब्लास्ट हो जाए, इंजन में कोई ख़राबी हो जाए या कंप्यूटर ख़राब हो जाए तो हमें क्या करना है, हम इन सभी चीज़ों की प्रैक्टिस करते हैं. हम फेलियर का सामना करते हैं, उसे स्टडी करते हैं और ये पता लगाते हैं कि उसे कैसे solve करना है. हम सालों साल हर रोज़ इन challenging स्थितियों के लिए तैयार होते रहते हैं.
सिमुलेशन और रियलिटी
सिमुलेशन और रियलिटी से बेहद करीब सिचुएशन से डील करते हैं. इसलिए हमारी fight-or-flight instinct कट्रोल्ड होती है. जब एस्ट्रोनॉट्स स्पेस में किसी प्रॉब्लम का सामना करते हैं तो वो घबराने और चिल्लाने के बजाय शांति से काम लेते हैं. इसके लिए हम warn-gather-work technique का इस्तेमाल करते हैं. आइए एक example से समझते हैं. एक रात ISS में एक घटना घटी. में और मेरे क्रू के साधी स्लीपिंग पॉड के अंदर सो रहे थे. अचानक अलार्म बजने की तेज़ आवाज़ हुई. उस वक़्त हम चार लोग थे. हम सबने अपने स्लीपिंग बैग से सिर निकालकर आस पास देखा.
ISS में घटना
असल में हम ISS के अमेरिकन हिस्से में आ गए थे. हमने प्रॉब्लम को देखने के लिए दीवार पर लगी emergency लाइट को चेक किया, ये toxicity या depressurization नहीं था बल्कि फायर अलार्म था. अब दिया. मेरे 20 सालों की ट्रेनिंग ने मुझे शांत और मैंने बिना सोचे समझे पागलों की तरह fire extinguisher उठाकर यूज़ करना शुरू नहीं किया था. warn-gather-work को यूज़ करना सिखाया था.
Warn-Gather-Work Technique
तो पहला स्टेप है warn यानी चेतावनी देना, पहले हमने इण्टरकॉम से russian सेगमेंट के साथ चेक किया. हमने अपने कू के साथियों को फायर अलार्म के बारे में इन्फॉर्म किया, फिर हमने कंप्यूटर चेक किया कि कौन सा स्मोक डिटेक्टर एक्टिव था. दूसरा है gather यानी इकट्ठा होकर सोचना, हम सभी russian सेगमेंट में गए और सोचने लगे, तीसरा है work यानी एक्शन लेना. हमने हर साइन और सिग्नल को चेक किया. अब तक वहाँ जलने की गंध या धुंआ नहीं था. हमने Moscow और ह्यूस्टन में मिशन कंट्रोल से कांटेक्ट किया. हमने जब जांच की तो पता चला कि स्मोक डिटेक्टर में खराबी थी, कहीं भी कोई तार या मशीन नहीं जल रहा था. ये एक false अलार्म था.
अनुभव और सीख
हम सभी वापस सोने चले गए. एक घंटे के बाद जब दोबारा अलार्म बजा तब भी हमने warm-gather-work का ही इस्तेमाल किया. डर नहीं लगा. मेरी नींद खराब होने से मुझे चिडचिडाहट भी नहीं हुई. मेरे माइंड में यही चल रहा था कि ये किसी भी नार्मल सिमुलेशन जैसा ही था, मुझे response प्रोटोकोल को टेस्ट करने की प्रैक्टिस थी. मुझे पता है कि कई self-help books कहते हैं कि आपको सिर्फ पॉजिटिव चीजों के बारे में सोचना चाहिए. नेगेटिव सिचुएशन के बारे में सोचना ही उन्हें आपकी और attract करेगा, तो क्यों बुरी चीजों के बारे में चिंता करें जो शायद कभी होने वाली नहीं है? लेकिन एक एस्ट्रोनॉट के रूप में मैंने सीखा कि प्रॉब्लम को expect करना ही इससे बचने का रास्ता है.
Steps | Details |
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Warn | Intercom check with Russian segment |
Gather | Collect and analyze information |
Work | Contact Moscow and Houston Mission Control |
प्रॉब्लम की उम्मीद और तैयारी
हम हमेशा प्रॉब्लम के बारे में पहले सोचकर रखते हैं और एनालाइज करते हैं कि क्या करना चाहिए. कभी-कभी, जब मैं एक प्लेन में या एक भीड़ भरे लिफ्ट के अंदर होता हूं, तो मैं उस बदतर सिचुएशन के बारे में सोचता हूं जो हो सकता है और फिर मैं अपने अगले स्टेप्स को इमेजिन करता हूं. ये है नेगेटिव सोच की पॉवर, मैं जानता हूँ कि मैं किसी भी प्रॉब्लम से डील कर सकता हूं क्योंकि मैं तैयार हूँ. मैंने प्रॉब्लम के बारे में सोचा है, इसके साथ-साथ मैं उसे कैसे हल कर सकता हूँ इस बारे में भी सोचा है.
पायलट से एस्ट्रोनॉट
1982 में मैंने मिलट्री कॉलेज से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में अपनी डिग्री पूरी की, उस वक्त मैं कई तरह के छोटे प्लेन उड़ा रहा था. लेकिन एक फाइटर पायलट बनने के लिए मुझे जेट उड़ाना सीखने की ज़रूरत थी. ट्रेनिंग कोर्स सस्केचेवान (Saskatchewan) में था. इसके लिए एक condition थी कि एक इंस्ट्रक्टर के साथ जिसने आपकी हर मूवमेंट को नोट किया हो, आपको CT-114 टू सीटर जेट में 200 घंटे उडाने पूरे करने की ज़रुरत थी. वहाँ हमारा हर दिन एक टेस्ट की तरह होता था. अगर आपने एक फ्लाइट में भी कम स्कोर किया तो आपको एक्स्ट्रा ट्रेनिंग के लिए भेज दिया जाता था, फिर आपको उस फ्लाइट एक्सरसाइज को रिपीट करना होता था. लेकिन दोबारा राइड करना आपके रिकॉर्ड को खराब कर देता है. अगर आप कई फ्लाइट में फेल हुए हैं या आपने कई बार दोबारा राइड किया है तो आपको प्रोग्राम से निकाल दिया जाता है. इसका मतलब है कि पायलट बनना आपके लिए आसान नहीं है.
ट्रेनिंग और मेहनत
वहाँ एक बोर्ड था जहां हर कोई देख सकता था कि कौन कौन दोबारा राइड कर रहा है. अगर आपका नाम वहाँ होता तो ट्रेन करने वाले आपके साथ ऐसा व्यवहार करते थे जैसे आप एक लूजर हैं. ऐसी सिचुएशन में फिर से अपना कांफि्डेस डेवलप करना काफी मुश्किल हो जाता है. इसलिए अगर आप सच में एक फाइटर पायलट बनना चाहते हैं तो आपको हर फ्लाइट में अपना बेस्ट देना होगा. आपको पूरा फोकस कर जी जान लगाना होगा. इसका मतलब है कि आप किसी चीज़ को हल्के में नहीं ले सकते क्योंकि आपके हर मूवमेंट को स्कोर दिया जाएगा इसलिए आपको कड़ी मेहनत करनी होगी.
गोल की दिशा में कदम
मेरे लिए फाइटर पायलट बनना एक अहम् कदम था क्योंकि एस्ट्रोनॉट बनने का ये एक रास्ता है. 1983 वो साल है जब कैनेडा ने अपना पहला एस्ट्रोनॉट चुना था. यही कारण था कि मैं इस ट्रेनिंग कोर्स में कामयाब होने के लिए बहुत excited था. सिर्फ टॉप पोजीशन वाले कैंडिडेट को ये चुनने का मौका दिया जाता था कि वो फाइटर पायलट बनना चाहता है या नहीं. बाकी सभी को ट्रांसपोर्ट जेट में पोजीशन दे दी जाती थी. कुछ को इंस्ट्रकटर बनने का काम सौंपा जाता. इसलिए यहाँ मेरा गोल था टॉप स्कोर करना.
ट्रेनिंग का अनुभव
एक किस्सा मुझे याद आता है जब एक फ्लाइट मेरा फ्यूचर डिसाइड करने वाली थीं. उससे मेरा करियर या तो बन जाता या बर्बाद हो जाता. इस फ्लाइट मुझे एक ऐसे इंस्ट्रक्टर के साथ जाना था जो मेरे लिए बिलकुल नए थे. वो नहीं जानते थे कि में अच्छे से प्लेन उड़ा सकता हूँ या नहीं. लेकिन मेरी हरकतों ने उन्हें यकीन दिलाने में कोई कसर नहीं छोड़ी कि मैं बहुत ही बुरा पायलट हूँ. उस दिन में एक अनाड़ी की तरह प्लेन उड़ा रहा था. में प्लेन को smoothly टर्न ही नहीं कर पा रहा था और ऐसा लग रहा था जैसे में प्लेन को नहीं उड़ा रहा बल्कि वो प्लेन मुझे खींच रही है. ज़ाहिर सी बात है कि इंस्ट्रक्टर ने मेरी हर गलती को देखा और गुझे टोका भी, उन्होंने मेरी रिकॉर्ड फाइल के पन्ने पलटने शुरू किए. अब मुझे यकीन होने लगा था कि वो मुझे दोबारा राइड करने का मार्क देंगे.
सीख और सुधार
मैं वहाँ चुपचाप बैठा रहा. मैंने अपना बचाव करने की कोशिश नहीं की क्योंकि मैं जानता था कि वो इस्ट्क्टर सही थे. मैं उस फ्लाइट में फेल हो गया था. कुछ पलों के बाद, इंस्ट्रक्टर ने कहा, "मैं देख रहा हूँ कि आपका रिकॉर्ड अच्छा रहा है और आज पहली बार आपकी परफॉरमेंस कुछ गड़बड़ हुई है. तो कहूँगा कि आज आपका सिर्फ एक बुरा दिन था लेकिन आप दोबारा राइड करने वाला मार्क deserve नहीं करते." इन शब्दों को सुनना मेरे लिए राहत की बात नहीं थी बल्कि जिंदगी बदलने वाला पल था. अगर उस इंस्ट्रक्टर ने मेरे ट्रैक रिकॉर्ड पर गौर नहीं किया होता तो मेरा एस्ट्रोनॉट बनने का सपना टूट सकता था. आज भी वो दिन याद कर मैं काँप जाता हूँ कि कैसे कुछ पलों की वो उड़ान मेरी सालों की मेहनत पर पानी फेर सकती थी.
तैयारी का महत्व
लेकिन इससे मुझे एक सबक सीखने मिला कि मुझे हमेशा prepared रहना होगा. इसके बाद मैंने अपनी ट्रेनिंग हैबिट को बदलने का फैसला किया. अपने रूम में बैठकर सोचने के बजाय अब में हर रात उस प्लेन में बैठने जाया करता था जिसे में अगले दिन उड़ाने वाला था. मैं दोबारा से सारे procedure, स्टेप्स और चेकलिस्ट देखता. मैं कट्रोल पर क्लिक करने की प्रैक्टिस करता, मैं खुद को सावधानी से प्लेन टेक ऑफ करते हुए, आसानी से टर्न करते हुए और सेफ्ली लैंड करते हुए इमेजिन करता. को तीन चार बार रिपीट करता ताकि जब टेस्ट के लिए मैं सच में उड़ान भरू तो पूरी तरह से तैयार रहूँ.
सीखने की प्रक्रिया
तो उस दिन मुझे क्या हो गया था? क्या मैं थका हुआ था? क्या मैंने फोकस खो दिया था? ध्यान से सोचने पर मैंने महसूस किया कि मैं लापरवाह हो गया था या यूं कहे कि मैं अपनी परफॉरमेंस से पूरी तरह संतुष्ट होने लगा था शायद इसलिए ओवर कॉफिडेंट हो गया था कि मैं तो एक बेहतरीन स्किल्ड पायलट बन गया हूँ. मुझे जितना स्टडी करना चाहिए था मैंने उतना किया नहीं जिसका नतीजा था वो बुरे flight का experience.
गहरी सीख
वो सबक मेरे मन में गहराई से बैठ गया, मुझे समझ आया कि मैं छोटी से छोटी डिटेल को भी अनदेखा नहीं कर सकता. मैं बिना तैयरी के unprepared होकर नहीं जा सकता क्योंकि एक लापरवाह एस्ट्रोनॉट एक डेड एस्ट्रोनोॉट की तरह होता है. तो इस बुक में आपने क्रिस के अद्भुत करियर के बारे में जाना, आपने उनके काम करने के तरीके और माइंडसेट के बारे में जाना, आपने ये भी जाना एक एस्ट्रोनॉट होना कितनी बड़ी ज़िम्मेदारी होती है. इसमें कई सालों की ट्रेनिंग शामिल होती है. इसलिए आप में पक्का इरादा और कड़ी मेहनत करने का जज्बा होना चाहिए.
कॉन्क्लूज़न
एक संतुष्ट एस्ट्रोनॉट बनने का सीक्रेट है अपनी ट्रेनिंग पीरियड को पूरी तरह से एन्जॉय करना. इस बात की कोई guarantee नहीं है कि आप स्पेस में किसी मिशन के लिए जा पाएंगे या नहीं लेकिन अगर आपका attitude अच्छा है, तो हर रोज़ का हार्ड वर्क और और चैलेंज भी आपको satisfaction देगा. नेगेटिव थिंकिंग के पॉवर का मतलब है बुरे से बुरे वात के लिए खुद को तैयार करना. जब आपके पास किसी भी प्रॉब्लम के लिए बैंक अप plan होगा तब आपको डर नहीं लगेगा. लापरवाह और ओवर कॉंफिडेंट हो जाना वो गलतियां हैं जिनसे आपको हमेशा बचकर रहना होगा. हमेशा सीखते रहे और प्रैक्टिस करते रहें. कभी ये ना सोचें कि आपकी स्किल परफेक्ट हो गई है क्योंकि इससे आपकी ग्रोथ रुक जाएगी.
क्रिस का वायरल वीडियो
अपने वायरल वीडियो में क्रिस ने हमें दिखाया कि जीरो-ग्रेविटी में कैसे गिटार बजाया जाता है और उड़ा जाता है. उन्होंने ये भी दिखाया कि स्पेस में पानी कैसे अलग तरह से व्यवहार करता है, क्रिस ने यह भी बताया कि एस्ट्रोनॉट ब्रेड क्यों नहीं खाते और क्यों ISS के अंदर हर जगह वेल्क्रो होता है, लेकिन सबसे बढ़कर, क्रिस ने हमें सिखाया कि कैसे एक मीनिंगफुल जीवन जिया जाए, जो सीखने और एक मकसद से भरा हो.