Attitude Is Everything: Change Your Attitude and You Change Your Life!
इंट्रोडक्शन (Introduction)
क्या आप अपने लाइफ से थक गए हैं और इसे बदलना चाहते हैं लेकिन नहीं जानते कि कहाँ से शुरूआत करनी चाहिए? अगर हाँ तो इसका जवाब ये बुक है. अपनी लाइफ को चेंज करने से पहले अपने ऐटिट्यूड को बदलने की ज़रुरत है. अगर लाइफ के प्रति आपका ऐटिट्यूड नेगेटिव है तो आपको ये बुक ज़रूर पढ़नी चाहिए.
ये बुक नेगेटिव लोगों के लिए है ताकि वो पॉजिटिव ऐटिट्यूड अपना सकें. एक बार जब आपका ऐटिट्यूड पॉजिटिव हो गया तो आप अपने बारे में ऐसी ऐसी चीज़ों को डिस्कवर करेंगे जो आपने कभी सोचा भी नहीं होगा.
ये बुक उनके लिए भी है जो पहले से पॉजिटिव सोच रखते हैं. इसमें कुछ ऐसे इम्पोर्टेन्ट कॉन्सेप्ट्स हैं जो आपको लाइफ में और भी ज़्यादा ग्यों करने के लिए अच्छे मौकों को हासिल करने में मदद करेगा.
सच तो ये है कि आपका ऐटिट्यूड ही सब कुछ होता है. एक बार जब आप अपना ऐटिट्यूड बदल लेते हैं, आप जो भी काम करेंगे उसका रिजल्ट भी बदल जाता है. ये आपको सोचने पर मजबूर करेगी, ये आपको बोलना और एक्शन लेना सिखाएगी. पहले सेक्शन में, आप सक्सेस के लिए अपने माइंड के बारे में जानेंगे. आप सीखेंगे कि अपने थॉट्स को यूज़ करके कैसे आप अपनी पसंद की दुनिया बना सकते हैं.
पार्ट 1: सक्सेस बिगिंस इन द माइंड - योर ऐटिट्यूड इज़ योर विंडो टू द वर्ल्ड
आप दुनिया को किस नज़रिए से देखते हैं उसे एटीट्यूड कहा जाता है. एक ही समय में दो लोग बिलकुल सेम चीज़ एक्सपीरियंस कर सकते हैं लेकिन दोनों की फीलिंग्स अलग अलग होंगी, ये सब उनके ऐटिट्यूड पर डिपेंड करता है.
जब हम बच्चे थे, तब हमने ज़िन्दगी की शुरुआत एक साफ़ और पॉजिटिव ऐटिट्यूड से की थी. हमारा मानना था कि भले ही हम जितनी बार भी गिर जाएँ, फिर भी हम दौड़ सकते हैं, चल सकते हैं, साइकिल चला सकते हैं. हमारे फेलियर के लिए हम कभी दुनिया को दोष नहीं देते थे. लेकिन जैसे जैसे हम बड़े होते गए, हमारे पेरेंट्स, फ्रेंड्स और टीचर्स ने हम में कई सारी कमियाँ और दोष निकालना शुरू कर दिया. ये हमारी सोच को जैसे एक बादल की तरह ढक देता है.
लोग या बाहर के फैक्टर्स आपको कुछ समय के लिए तो मोटीवेट कर सकते हैं लेकिन लंबे समय तक इसे बनाए रखने के लिए ये आपके अंदर से आना चाहिए. सिर्फ आप ही अपना एटीट्यूड चेंज कर सकते हैं. आप सोच रहे होंगे कि आपके पास तो ऐसा करने की पॉवर है ही नहीं, है ना? लेकिन आप गलत हैं क्योंकि हिस्ट्री ने ये साबित किया है कि आपसे पहले जिन जिन लोगों ने कोशिश की थी वो सब इसमें सक्सेसफुल हुए हैं.
कहानी | साबिती |
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विक्टर फ्रेंकल की कहानी | एटीट्यूड बदलने की पॉसिबिलिटी |
आइये एक कहानी सुनते हैं जो ये साबित कर देगा कि हर किसी के लिए अपना ऐटिट्यूड बदलना बिलकुल पॉसिबल है. विक्टर फ्रेंकल नाज़ी डेथ कैंप में एक कैदी थे. उन्होंने हर रोज़ भूख और ठंड को बहुत करीब से महसूस किया था. वहाँ इंसानियत को शर्मिदा करने वाले एक्सपीरियंस की वजह से वो ना जाने कितनी तकलीफ़ों को झेल रहे थे. उनका पूरा परिवार या तो कैप में या गैस चैंबर में अपनी जान गँवा चुका था. इस बेरहमी ने उनके दुखों को कई गुना बढ़ा दिया था.
उनकी ज़िन्दगी जैसे दुःख का दूसरा नाम बन रह गई थी. अगर आप ध्यान से सोचें तो उनके जीवन में ऐसा कुछ नहीं था जो उन्हें जीने की होप और उम्मीद देता. वो एक जीते जागते नर्क में रह रहे थे. उनकी जगह कोई और होता तो उसकी हर उम्मीद टूट चुकी होती लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. उनका मानना था कि हमारा ऐटिट्यूड ही सब कुछ होता है.
उनका मानना था कि अगर उनके पास सिर्फ एक चीज़ हो और बाकि सब उनसे ज़बरदस्ती छीन भी लिया जाए तब भी वो आराम से जिंदा रह सकते थे. और वो एक चीज़ थी; चुज़ करने की पॉवर, पॉवर ऑफ़ चॉइस हमारा ऐटिट्यूड है. जेल में होने के बावजूद वो हर चीज़ से सीख रहे थे सबसे ज़रूरी बात जो उन्होंने सीखी वो ये थी कि आपकी सिचुएशन कैसी है वो मायने नहीं रखता, आप उसे किस तरह देखते हैं वो ज़्यादा मायने रखता है.
यूं आर अ ह्यूमन मैगनेट (You Are a Human Magnet)
हम में से कईयों की तरह आपने भी कभी ना कभी तो ज़रूर सोचा होगा कि क्यों बस कुछ ही लोग सक्सेसफुल हो पाते हैं और कुछ नहीं. इसका जवाब बहुत सिंपल है "वी आर व्हाट वी थिंक यू आर" यानी हम जैसा खुद के बारे में सोचते हैं बिलकुल वैसे ही बन जाते हैं.
अगर आप किसी ऐसे गोल के बारे में लगातार सोचते रहते हैं जिसे आप सच में पाना चाहते हैं तो आपकी सारी एनर्जी उस गोल पर फोकस्ड हो जाती है, आप देखेंगे कि आप नैचुरली उसे पाने के लिए एक्शन लेने लगेंगे क्योंकि उसे अचीव करने के लिए आपका ऐटिट्यूड सेट हो चुका है.
जिस चीज़ में हम बहुत strongly बिलीव करने लग जाते हैं हम उस चीज़ को खुद की तरफ़ attract करने लगते हैं. जब हम सच में विश्वास करते हैं कि हम कुछ भी अचीव कर सकते हैं और अगर ये थॉट हमारे ब्रेन में बैठ जाती है तो हम सच हासिल करने में कामयाब हो जाते हैं. अगर आपका गोल पॉजिटिव ऐटिल्यूड बनाना है तो आपको कुछ सेकंड के लिए नहीं बल्कि पूरा दिन इसके बारे में सोचना होगा.
पिक्चर योर वे टू सक्सेस (Picture Your Way to Success)
अपने गोल को पाने के लिए आपके मन में अपनी मंजिल की एक क्लियर पिक्चर होनी चाहिए. बहुत सारे फेमस सिंगर्स और athletes का कहना है कि वो बचपन से अपनी सक्सेस को इमेजिन कर रहे थे. हमारे ब्रेन में चलने वाले ये इमेज जैसे एक फिल्म बना देते हैं. इस फिल्म से हमारे पास्ट का पता लगाया जा सकता है.
सिर्फ आप अपने द्वारा बनाई गई मेंटल इमेज को कंट्रोल कर सकते हैं, कोई दूसरा नहीं. जब हम बच्चे थे, तब हमारे ब्रेन में कोई मेंटल बैकग्राउंड नहीं था. हम बहुत पॉजिटिव थे कि हम जो चाहे कर सकते हैं. जैसे ये पूरी दुनिया हमारी है और कोई हमें नहीं रोक सकता.
जैसे जैसे हम बड़े होते गए, खुद पर विश्वास करने की एबिलिटी को हमारे experiences ने बिलकुल एक बादल की तरह ढक दिया. जब भी हम कुछ नया करने की कोशिश करना चाहते हैं तो हम अपनी पिछली फेलियर को याद करने लगते हैं और ट्राय करना ही छोड़ देते हैं. एक के बाद एक फेलियर से हमारी मेंटल कैपेसिटी negativity से भर जाती है.
मेक अ कमिटमेंट.एंड यू विल मूव माउंटेन्स (Make a commitment... and You Will Move Mountains)
बिना कमिटमेंट के कोई भी गोल हासिल नहीं किया जा सकता. ये हमारे अचीवमेंट का सबसे इम्पोर्टेन्ट पार्ट होता है. सही मायनों में कमिटमेंट का मतलब होता है अपने गोल तक पहुँचने के लिए जो भी करना पड़े वो करने की इच्छा होना.
कमिटमेंट किसी जादू से कम नहीं है. जब आप अपने ड्रीम पर फोकस करने लगते हैं तो आप नोटिस करेंगे कि उस ड्रीम तक पहुँचने के लिए नए रास्ते खुलने लगे हैं. ये रास्ते पहले भी मौजूद थे लेकिन जब आप किसी चीज़ के लिए कमिट करना शुरू कर देते हैं तो आप उसे attract करने लगते हैं.
हाँ, लेकिन सिर्फ कमिटमेंट सब कुछ नहीं होता, लाइफ आपके रास्ते में कई सारी मुश्किलें खड़ी करके आपको टेस्ट भी करेगी. लेकिन आपको पेशेंट होकर, कभी हार मानने वाला ऐटिट्यूड अपनाना होगा. कमिटमेंट सिर्फ़ एक्शन लेने के बारे में नहीं है बल्कि ये मज़बूती से डट कर खड़े रहने के बारे में भी है फिर चाहे कितना भी वक्त क्यों ना लगे.
Part 2: Watch Your Words Your Words Blaze a Trail
भी स्टोर खोलने की परमिशन दे दी गई और 0 सालों बाद जेरी दुनिया के सबसे बड़े एनीमेशन आर्ट सेलर में से एक बन गया,
आप सोच रहे होंगे कि वर्ड्स या वर्ड के सिलेक्शन के बारे में बात करना इतना जरूरी क्यों है? तो आपको पता होना चाहिए कि आपके शब्द या तो आपका फ्यूचर बना सकते हैं या बिगाड़ सकते हैं, वर्ड्स आपके ऐटिट्यूड और भी ज़्यादा मज़बूत बनाते हैं. अगर आपके वर्ड्स पॉजिटिव होंगे तो आपका ऐटिट्यूड भी ज़रूर पॉजिटिव होगा. इसलिए हमें बहुत सोच समझ कर बोलना चाहिए.
थॉट से शुरू होता है. फिर ये वर्ड बनता है, उसके बाद विश्वास, फिर एक्शन और एंड में रिजल्ट हमारे सामने होता है. एक बार जब आप अपने ब्रेन में एक पॉजिटिव इमेज बना लेते हैं, तो पॉजिटिव लैंग्वेज बोलना शुरू करें ताकि वो आपको अपने गोल की तरफ़ लेजा सके.
आप अपने ड्रीम को दूसरों के साथ शेयर भी कर सकते हैं. लेकिन आपको केयरफुल रहना होगा. अपनी पॉजिटिव बातों को सिर्फ उनके साथ शेयर करें खुद बहुत पॉजिटिव हो. ऐसे लोगों में ये पॉवर होती है कि वो आपको और आगे बढ़ाने में मदद करते हैं. यहाँ तक कि जब आपको अपनी ज़िम्मेदारी के लिए जवाब देना होगा तब इसमें वो आपके साथ खड़े हो सकते हैं.
बहुत इंस्पायर करती है. केंट कलर्स NASA में साइंटिस्ट थे. वो "सर्च फॉर एक्स्ट्रा टेरेस्ट्रियल इंटेलिजेंस" प्रोजेक्ट के लीडर थे, कलर्स की कहानी केंट को फिजिक्स में डॉक्टरेट की डिग्री मिली थी. वो एक ऐसा सॉफ्टवेर बनाने की कोशिश कर रहे थे जो यूनिवर्स में दूसरे लिविंगबींग्स के होने के बारे पता लगा सके.
Challenges and Achievements
Challenge | Solution |
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Blindness | Used controlled language to maintain positive attitude |
Complex Software Development | Worked hard and stayed focused on goals |
इम्पॉसिबल लग रहा था. लेकिन अपने गोल को अचीव करने के लिए वो कड़ी मेहनत कर रहे थे, उनके सामने प्रॉब्लम ये नहीं थी कि ये आईडिया ही बेहत मुश्किल था बल्कि उनकी बॉडी की कंडीशन भी एक प्रॉब्लम थी जो उनकी प्रोग्रेस में बाधा डाल रही थी. लेकिन अपनी इस प्रॉब्लम को वो छोटी और मामूली प्रॉब्लम मानते थे. उनका कहना था कि उनकी बॉडी उनके काम में बिलकुल बाधा नहीं डालती.
आखिर ये प्रॉब्लम थी क्या? आप सुन कर हैरान रह जाएँगे कि केंट जिसे छोटी सी प्रॉब्लम कह रहे थे तो थी उनकी ब्लाइंडनेस. केंट देख नहीं सकते थे, वो अच्छे से जानते थे कि अगर वो स्ट्रॉंग और नेगेटिव वर्ड्स का यूज़ करेंगे तो वो अपनी प्रॉब्लम को और भी ज़्यादा पॉँवर दे देंगे जो उनकी पूरी लाइफ को ही कट्रोल करने लगेगा.
इसलिए उन्होंने फैसला किया कि वो सोच समझ कर वर्ड्स को चूज़ करेंगे. अपने वर्ड्स को कंट्रोल करके यो ब्लाइंडनेस की पॉवर को कंट्रोल कर रहे थे, केंट को NASA में अपना काम बहुत पसंद था. ब्लाइंड होने के बावजूद वो फिजिक्स में डॉक्टरेट की डिग्री लेने में सक्सेसफुल हुए. ये कोई छोटी बात नहीं थी.
ऐसा जज्बा रखने वाले के लिए NASA के उस प्रोजेक्ट में भी सक्सेसफुल होना कोई इम्पॉसिबल बात नहीं थी. इमेजिन कीजिये कि अगर आप बड़े से बड़े प्रॉब्लम को भी मामूली समझने लगे तो आपके पास कितनी पॉवर होगी, अगर प्रॉब्लम को आप अपने सक्सेस को बिगाड़ने का पॉवर ही नहीं देंगे तो सोचिये आपकी लाइफ कितनी बदल जाएगी.
How Are You?
तो क्या हाल हैं आपके? आपको ये सवाल दिन में कितनी बार सुनने मिलता है? मुझे लगता है कई बार हम अक्सर इस सवाल के इम्पोटेंस को नज़रंदाज़ कर देते हैं क्योंकि हम इतनी बार इसका जवाब दे चुके हैं कि ये हमारी हैबिट बन गई है.
लेकिन वया आप खुद पर इसके होने वाले असर के बारे में जानते हैं? शायद नहीं. अगर आप इस सवाल का अक्सर जवाब देते हैं तो ये बिलकुल खुद से बात करने जैसा ही होता है, जो आपके दिन को डायरेक्ट करने में मदद करता है. चलिए अभी ख़ुद से पूछिए "हाउ आर यू"?
आपका जवाब पॉजिटिव, नेगेटिव या इन दोनों के बीच का हो सकता है. जवाब पॉजिटिव साइड में होना सबसे अच्छा होता है, अगर आप ठीक नहीं भी हैं तो भी दीजिये आप ठीक हैं और आप सच में अच्छा फील करने लगेंगे. स्टोरी इसका एक परफेक्ट एक्जाम्पल है.
सैली बहुत टायर्ड फील करती थी. उसे जब भी ऑफिस में कोई पूछता था हाउ आर यू"? वो हमेशा सच बोलती वो बहुत थका हुआ फील कर रही थी. ऐसा करने से उसका विश्वास और भी स्ट्रोंग होता जा रहा था कि वो सच में टायर्ड है.
इस ऐटिट्यूड से जैसे जैसे दिन बीतता जाएगा, वो चो और भी ज्यादा टायर्ड फील करने लगेगी. ऐसा भी हो सकता है कि उसे ऑफिस में बैठे बैठे नींद की झपकी आने लगे और वो अपने चेयर से नीचे गिर जाए.
अब ज़रा उस ऑफिस में काम करने वाले आदमी के बारे में सोचिये जिसने उससे पूछा था कि वो कैसी है. क्या आपको लगता है कि सैली का जवाब सुन कर उसे पॉजिटिव फील हो रहा होगा? नहीं, सच तो ये है कि ऐसा थका हुआ जवाब सुन कर वो खुद भी थका हुआ फील करने लगेगा. इस तरह जवाब देकर सैली सिर्फ खुद की नहीं बल्कि अपने साथ काम करने वालों की एनर्जी भी कम कर रही थी.
सैली जब घर पहुंची तो बहुत कमजोर और टायर्ड फील कर रही थी. वो अपने favourite चेयर में आराम करने के लिए बैठी और अपनी lottery की टिकट चेक करने लगी. उसकी हैरानी का ठिकाना ही नहीं रहा जब उसे पता चला कि उसने 10 मिलियन डॉलर की lottery जीत ली है.
आपको तो ही है कि सैली कितनी धकी हुई थी लेकिन अब वो बहुत खुश भी थी. वो चेयर से उठ कर डांस करने लगी. वो अपने दोस्तों और फॅमिली को कॉल करके ये गुड न्यूज़ शेयर करने में लग गई. शायद excitement के मारे वो सारी रात सोई भी नहीं होगी.
तो सवाल ये है कि इतनी थकान के भी सैली को सेलिब्रेट करने की एनर्जी कहाँ से मिली? इसका राज़ उसके मैंटल स्टेट में छुपा है. जब वो सब से ये कहती थी कि वो टायर्ड है, लो पूरे दिन वो उसी एनर्जी पर फोकस करती थी. ये चीज़ों को और भी ज़्यादा खराब कर देता है. अगर वो अपनी एनर्जी किसी पॉजिटिव चीज़ पर फोकस करती तो उसका पूरा दिन एनर्जी से भरा हुआ और कमाल का गुज़रता.
याद रखना, आप जो भी कहते हैं, सोचते हैं वो सब आपकी बॉडी सुनती है इसलिए अपने वर्ड्स और थॉट्स को सोच समझ कर चूज़ करना चाहिए.
Part 3: Heaven Helps Those Who Act - Associate with Positive People
इस दुनिया में दो तरह के लोग होते हैं : एक negativity से भरे टॉक्सिक लोग और दूसरे पाजिटिविटी से भरे लोग जो दूसरों को भी नर्चर करते हैं. ऐसे लोग आपको हमेशा आगे बढ़ाने के लिए पुश करते रहते हैं. ये लोग हमेशा पॉजिटिव होते हैं और इस बात में भरोसा करते हैं कि आप अपने गोल को अचीव कर सकते हैं.
आपको ऐसे ही लोगों को आस पास रखना चाहिए. तो वहीं दूसरी तरफ, टॉक्सिक लोग हमेशा नेगेटिव सोचते हैं और शिकायत करते रहते हैं. वो आपकी सारी पॉजिटिव एनर्जी को ख़त्म करके आपका मूड ही खराब कर देते हैं. आपको ऐसे लोगों की संगत से बचना चाहिए.
स्मोकी एक अच्छा दोस्त है. उसने 45 सालों तक फ्यूनरल होम मिनिस्ट्री में सेल्स डिपार्टमेंट में काम किया. हम जब भी फ्यूनरल या अंतिम संस्कार का नाम सुनते हैं तो सोचते हैं कि वो हमेशा मौत से ही घिरा हुआ था इसलिए वो एक नेगेटिव इंसान होगा.
लेकिन सच बिलकुल उल्टा था, स्मोकी का ऐटिट्यूड बहुत पॉजिटिव था. उनका मानना था कि लोग स्पंज की तरह होते हैं, उनके चारों तरफ जो भी होता है वो उसे absorb कर लेते हैं, तो जो भी सुनते हैं उसका उन पर असर होने लगता है.
वो इस बात में भी विश्वास करते थे कि अगर हम नेगेटिव लोगों के आस पास होते हैं तो अंत में हम भी नेगेटिव बन जाते हैं. हालांकि, वो हमेशा डेड बॉडी से घिरे रहते थे, वो अपने रास्ते में आने वाले नेगेटिव इंसानों से दूर भागते थे.
Positive vs. Toxic People
Positive People | Toxic People |
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Encourage growth and success | Complain and drain energy |
Believe in achieving goals | Spread negativity and doubt |
उनका मानना था कि पॉजिटिव बने रहने के लिए हमें समझदारी से दोस्तों फॅमिली मेंबर्स को चुनना चाहिए. खासकर जिनके साथ हमारा ज्यादातर समय बीतता है.
Confront Your Fears and Grow
कभी कभी जब हम अपनेझीम को पाने के बहुत करीब होते हैं तो हमें एक ऐसी मुसीबत का सामना करना पड़ता है जिससे हम डर जाते हैं. कभी कभी ये प्रॉब्लम बहुत छोटी सी होती है लेकिन हमारे डर की वजह से ये हमें बहुत बड़ी लगने लगती है.
अगर आप सक्सेसफुल होना चाहते हैं तो आपको चीज़ों को करने के लिए तैयार होना होगा जो आपको डराएँगी. डर इस पूरे प्रोसेस का हिस्सा है और आप अपने ड्रीम को तब तक अचीव नहीं कर सकते जब तक आप ऐसे काम नहीं करेंगे जो आपको आपके कम्फर्ट जोन से बाहर निकाले.
जब आप कुछ नया करने की कोशिश करना चाहते हैं और ऐसा करने से डर रहे हैं तो उस सिचुएशन के बारे में ध्यान से सोचें, अपने डर वकी जड़ को समझने की कोशिश कीजिये ताकि आप उसे कंट्रोल कर सकें.
हमेशा याद रखना, अगर किसी चीज़ को आप सच में करना चाहते हैं लेकिन सिर्फ डर की वजह से नहीं कर पा रहे, उससे दूर जा रहे हैं, तो आप बहुत कुछ खो देंगे. आपको कुछ पलों के लिए तो रिलैक्स फील होगा लेकिन आपकी सेलफ रिस्पेक्ट और ह्यूमन बीइंग के रूप में आपकी ग्रोथ बहुत नीचे आ जाएगी.
अपने को खुद पर हावी मत होने दो, हिम्मत करके उठो और आगे बढ़. आइये एक ऐसी औरत की कहानी सुनते हैं जो अपने डर को कंट्रोल करना जानती है.
डॉटी 32 साल तक हाई स्कूल में टीचर थी. उसका सपना एंटरटेनमेंट के फील्ड में काम करने का था लेकिन अपने डर की वजह से वो कभी कोई एक्शन ही नहीं ले पाई. उसने टीचर बनना चुना क्योंकि उसे ये एक सेफ प्रोफेशन लगा.
पढ़ा भी रह भी उसका सपना उसके दिल में कहीं ना कहीं जिंदा था. वो गाने लिखती रही और उन्हें गाती रही. वो एक दिन परफ़ॉर्मर बनने का सपना देखती रही.
The Journey of Dottie
Year | Event |
---|---|
32 years | Worked as a high school teacher |
50 years | Started a musical show |
60 years | Released first music album |
गर्मियों का सीजन शुरू हो गया था. एक दिन बस उसने डिसाइड किया कि उसे अपना ड्रीम पूरा करना है और अपनी जॉब छोड़ दी. उसने शो बिज़नेस में ऊँचा मुकाम हासिल करने की ठान ली थी.
लेकिन फिर उसका सच्चाई से हुआ. उसने अपनी जॉब छोड़ दी थी और अपने सपने की ओर बढाने से भी पबरा रही थी. डॉटी ने अपने डर के सामने हार मान ली और वापस पढ़ाने लगी.
लेकिन अब अत भी उसका सपना खत्म नहीं हुआ था. उसे म्यूजिक से बहुत प्यार था. 6 महीने बाद वो रिटायर हुई और उसने अपने रिजेक्शन के डर का सामना करने का फैसला किया.
50 की उम्र में होने के बावजूद भी वो अपना म्यूजिकल शो चलाने में सक्सेसफुल हुई. 60 की उम्र में उन्होंने अपना पहला म्यूजिक एल्बम रिलीज़ किया. वो न्यू यॉर्क सिटी के बार और क्लब्स में भी परफॉर्म किया करती थी. डॉटी को अपने करियर पर बहुत प्राउड फील हो रहा था.
वो बहुत खुश थी, ओल्ड एज में पहुँचने के बाद भी उन्होंने अपनी ज़िन्दगी को भरपुर और ख़ुशी से जी लिया था क्योंकि उन्होंने हिम्मत करके अपना ड्रीम रियलिटी में बदल दिया था.
Get Out There and Fail
अभी कुछ देर पहले ही हमने ग्रो करने के लिए खुद को चैलेंज करने के इम्पोरटेंस के बारे में discuss किया था. कभी कभी कुछ नया ट्राय करने की कोशिश करना हमें डरा देता है लेकिन इसका रिजल्ट कुछ भी हो हमें ब्रैव होने की जरुरत है.
हाँ, हम फेल होंगे, जैसा कि हमसे पहले कोशिश करने वाले ज्यादातर लोग हुए हैं. लेकिन इसका ये मतलब तो नहीं हुआ कि हम कोशिश ही ना करें या एक जगह पर ही ठहर जाएं. अगर कोई ऐसा ड्रीम है जिसे हम सच में पाना चाहते हैं तो हमें कोशिश करनी होगी एक बार, दो बार यहाँ तक कि 100 बार, तब तक जब तक हम सक्सेसफुल नहीं हो जाते.
चलिए अब जैक और मार्क की कहानी के बारे में जानते हैं. इन दोनों ने साथ मिलकर एक बुक लिखी थी. वो इसे पब्लिश करना चाहते थे और उनका टारगेट था किसी भी तरह इसे 3 महीनों में पूरा करना.
पब्लिशर को बुक भेजी लेकिन उसने ना कह दिया. उन्होंने फिर कोशिश की लेकिन तब भी जवाब ना ही मिला. उन्होंने 33 बार ट्राय किया उन्होंने एक लेकिन हर बार बस ना ही सुनने मिला.
उनकी जगह कोई और होता तो हार मान चुका होता लेकिन वो अपनी धुन में लगे रहे. अबकी बार उन्होंने दूसरे पब्लिशर को बुक भेजी और उसने एक बार में ही हाँ कर दिया.
The Journey of Jack and Mark
Attempts | Outcome |
---|---|
1-33 | Rejected |
34th | Accepted |
कहाँ उनका aim था इसे 3 महीने में अचीव करना और ऐसा करने में उन्हें 3 साल लग गए. लेकिन ये इस सच को नहीं बदल सकता कि आखिर जो उन्होंने ठाना था उसे पा कर ही दम लिया. अंत में वो सकसेसफुल हो ही गए और बस यही तो मायने रखता है.
जो बुक उन्होंने पब्लिश की थी वो इतनी फेमस हुई कि आपको हर बुक स्टोर में मिल जाएगी. वो बुक पोपुलर सीरीज "चिकन सूप फॉर द सोल" है. उन दोनों ऑथर नाम है जैक केनफ़ील्ड और मार्क विक्टर हैनसन.
अगर उन्होंने लगातार कोशिश नहीं की होती, बीच में ही सब छोड़ दिया होता तो वो कभी सक्सेसफुल नहीं होते. इसलिए आप कितनी बार फेल हुए वो मत गिनिए और उसे फाइनल रिजल्ट के रूप में तो बिलकुल मत देखो. याद रखना, रिजेक्शन हमारे फ्यूचर को डिफाइन नहीं करता लेकिन हमारा ऐटिट्यूड उसे ज़रूर डिफाइन करता है.
Conclusion
तो अब जब आपने पॉजिटिव ऐटिट्यूड के इम्पोटेंस के बारे में सीख ही लिया है तो इसे अपनाकर अपने लाइफ में अप्लाई करने का समय आ गया है. पार्ट 1 में आपने अपने माइंड के रोल के बारे में समझा. एक बार जब आप अपने थॉट्स को पॉजिटिव बातों पर सेट कर देते हैं तो आप हर पॉजिटिव चीज़ को अपने लाइफ में attract करना शुरू कर देते हैं.
पार्ट 2 में अपने सीखा कि कैसे पॉजिटिव लैंग्वेज अपनाकर आप पॉजिटिव रिजल्ट हासिल कर सकते हैं. एक सिंपल से सवाल हाउ आर यू"? का जवाब आपका दिन या तो बना सकता है या बिगाड़ सकता है.
पार्ट 3 में आपने सीखा कि आप किस तरह पॉजिटिव हो सकते हैं और अपना काम कर सकते हैं. आपने सही लोगों को चूज़ करने के इम्पोर्टेंस के बारे में जाना, संगत का हम पर कितना असर होता है ये तो अब आप समझ ही गए होंगे, आपने इस बात को भी समझा कि ग्रो करने के लिए और स्टरॉग बनने के लिए हमारा अपने कम्फर्ट जोन से बाहर निकलना कितना ज़रूरी है.
ये बुक उन जादुई चाबियों से भरी हुई है जो आपके रास्ते के हर दरवाज़े को खोलती हुई आपको सक्सेस के दरवाज़े तक पहुंचाएगी. और ये कोई राकेट साइंस नहीं है, आपको सिर्फ ऐटिट्यूड के मैजिक पर विश्वास करना होगा.
अपने माइंड, वर्ड्स और एक्शन का कट्रोल अपने हाथों में लेना होगा. अगर आपका ड्रीम कुछ ऐसा पाना है जो आपसे पहले कभी किसी ने अचीव नहीं किया है तो इसे पॉसिबल करने के लिए सबसे पहला स्टेप है अपने ऐटिट्यूड पर काम करना. चेट मत करो, डाउट मत करो.
पॉजिटिव ऐटिट्यूड पर काम करना शुरू करो जो आपको एक ऐसी लाइफ की तरफ ले जाएगा जहां पॉजिटिविटी और सैटिस्फैक्शन दोनों होगा. एक टेस्ट है जिससे आप अपना ऐटिट्यूड चेक कर सकते हैं - एक टेबल पर आधा गिलास पानी रखा है. आपके हिसाब से ये भरा हुआ है या खाली?
कुछ लोग इसे आधा भरा हुआ तो कुछ लोग इसे आधा खाली कहेंगे. गलत दोनों नहीं है फ़र्क सिर्फ देखने के ऐटिट्यूड का है. honestly सोचिये आपके माइंड में क्या थाट आया? बस वही आपका ऐटिट्यूड है और इस पर काम करना आपकी चॉइस है.
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