UNLOCKING POTENTIAL by Michael k. simpson.

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लेखक के बारे में

लगभग 25 सालों तक, माइकल के सिंहासन एक अच्छे कोच रहे हैं, और उन्होंने दुनिया के कुछ बड़े बिजनेस ओर्गनाइजेशसके साथ काम किया हैं। उनकी कई को-औबई और पब्लिश्ड किताबों में रडी, एम, एक्सेल और योर सीड्स ऑफ ग्रटनस शामिल हैं।

यह किताब आपको क्यों पढ़नी चाहिए

आज के हमेशा बदलते रहने वाले बिजनेस के माहौल में, यह जरुरी है कि एम्प्लॉईज नई स्किल्स सीखते रहें और खुद को विकसित करते रहें।

ये कहना आसान है लेकिन कर पाना मुश्किल है। एक बिजनेस लीडर की तरह, आपका भी मन करता होगा कि आप स्किल्स सीखें और अपनी टीम को ऐसा करने के लिए इन्सपायर करें, लेकिन ऐसा कर पाना आसान नहीं होता है।

लेकिन फिक्र करने वाली कोई बात नहीं है! एक अच्छा कोच बहुत ही कम समय

एक्सेप्शनल में बदल सकता है।

आपकी टीम को ट्रांसफॉर्म कर सकता है। आसान शब्दों में, एक कोच एवरेज को

तो आप अपनी टीम को नेट लेवल ले जाने के लिए एक अच्छे कोच की शक्ति का इस्तेमाल कैसे करेंगे? अनलॉकिंग पोटेंशियल किताब की इस समरी में आप अच्छे कोचेस की सारी टिप्स और ट्रिक्स सीखेंगे ताकि आप अपने बिज़नेस गोल्स को समझ पाए।

इसके अलावा आप जानेंगे कि

सबसे अच्छा फीडबैक एक कोच दे सकता है लेकिन क्यों एक कोच कभी ऐसा फीडबैक नहीं देता है?

  • क्यों प्रोफेश पर्सनल मिशन एक ही
  • “गोइंग विद द पत्लो किस तरह आपको बहुत प्रोडक्टिव बना देता है।

पहले दो कोचिंग सिद्धांत हैं ट्रस्ट यानी विश्वास और पोटेंशियल अनलॉकिंग हैं। आपको सफल होने के लिए दोनों

की जरुरत है।

यदि आप एक बिजनेस लीडर है, तो आपकी टीम की क्षमता को बढ़ाना आपका काम है। लेकिन आप ये कैसे कर पाएंगे? जवाब है, कोचिंग।

कोचिंग एक अलग तरह का लीडरशिप स्टाइल है। यह केवल अडवाईसींग और कंसल्टिंग से जुड़ा नहीं है, बल्कि इससे आप दूसरे लोगों के पोटेंशियल को भी अनलॉक कर सकते हैं, यानी कि आप इससे दुसरे लोगों की असली क्षमता भी बाहर निकाल सकते हो।

ये काम भासान नहीं है। इससे पहले कि आप अपनी टीम की कोचिंग के बारे में सोचें, यह जरुरी है कि माप कोचिंग के चार सबसे जरुरी सिद्धांतों को ध्यान में रखें।

पहले दो सिद्धांतों से शुरू करते हैं। कोचिंग का पहला सिद्धांत है विश्वास।

एक कोच तब तक सफल नहीं हो सकता जब तक कि उसकी टीम उस पर विश्वास न करे। विश्वास बहुत जरुरी है क्योंकि विश्वास होने पर कम्युनिकेशन अच्छी तरह से होता है। जब दो लोग एक-दूसरे पर विश्वास करते हैं तो वो एक-दूसरे के साथ ईमानदार रहते हैं और सारी बातें एक दुसरे को बताते हैं। ऐसे में कोई सीक्रेट या झूठ उनके बीच दरार पैदा नहीं कर सकता है।

एक कोच को यह जानने की जरूरत है कि उसकी टीम को किस चीज़ की जरूरत है। एक कोच को अच्छी तरह से काम करने के लिए अपने क्लाइट्स से पूरी ईमानदारी

चाहिए होती है। लेकिन जब तक वह खुद ईमानदारी नहीं दिखाता है, तब तक उसे क्लाईट्स से भी ईमानदारी की उम्मीद नहीं करनी चाहिए विश्वास दोनों तरफ से होना

जरूरी है।

कोचिंग का दूसरा मुख्य सिद्धांत है, पोटेंशियल, यानी क्षमता। इसका क्या मतलब है? कोचिंग इस धारणा पर आधारित है कि प्रत्येक व्यक्ति में आगे बढ़ने और कुछ बेहतर बनने का पोटेंशियल होता है।

किसी के पोटेंशियल को अनलॉक करने की शुरुआत क्लोज़ ऑब्जरवेशन से होती है, यानी ध्यान देने से होती है कि व्यक्ति क्या कह रहा है और किस तरह कह रहा है, उसे ध्यान से सुनिए। क्या वह बहुत धीरे बोल रहा है? या आँखें नहीं मिला रहा है? हो सकता है कि उसने अपना सिर झुका रखा है, या वह शायद गुस्से में है?

ये सारी चीज़ कोच को चलाइंट्स के चरित्र और उनके विचारों को समझने में मदद करती है। इससे पता चलता है

रखता है क्योंकि इससे उनके एक्शन और बिहेवियर पर बहुत एफेक्ट पड़ता है।

क्लाईट अपने बारे में और दुनिया के बारे में क्या सोच

उदाहरण के लिए, अगर कोई व्यक्ति लो सेल्फ एस्टीम दिखाता है तो ये हो सकता है कि उसके पास जरुरी लाइफ स्किल्स नहीं है और वह कभी भी कुछ बड़ा हासिल न कर पाए। एक कोच का काम ऐसी जानकारी का पता लगाना है, जिसे चेलेंज करके वो कुलाइंट को उसका पोटेंशियल दिखा सकता है।

कमिटमेंट बनाने के लिए जरुरी सवाल पूछे। अच्छी तरह से काम करने के लिए फ्लो स्टेट को बढ़ावा दें।

दुष्ट को अच्छी तरह समझने के बाद, हम कोचिंग के अगले दो सिद्धांतों की ओर बढ़ सकते हैं। ये दो सिद्धांत हैं कमिटमेंट यानि प्रतिबद्धता और एक्सिक्युशन यानि

क्रियाचयन।

सबसे पहले कमिंटमेंट को समझते हैं कि यह जरूरी क्यों है?

किसी भी व्यक्ति को लॉन्ग टर्म गोल्स पाने का मोटिवेशन तभी तक होता है जब तक उसके पास उन गोल्स के लिए मज़बूत कमिटमेंट होता हो। जादा समय तक टिके रहने वाला कमिटमेंट बनाने का एक तरीका है पावरफुल कोचिंग रिलेटेड सवाल पूछना, और उनका जवाब ध्यान से सुनना है।

आप क्लाइट्स से ये सवाल पूछ सकते हैं कि पर्सनली और प्रोफेशनली उनकी स्ट्रेटेजीज और गोल्स क्या है जिन्हे वो पूरा करना चाहते है? क्या वें दुनिया में बदलाव लाना वाहते हैं? क्या वे हर दिन अपने प्रोफेशनल स्किल्स में सुधार करना चाहते हैं?

जब लोग अपने लाइफ गोल्स के बारे में जान जाते है और ये जान जाते है कि वो ये क्यों करना चाहते हैं, तो उनका काम उनको क्लेयरली दिखने लगता है और अपने काम को लेकर उनका कमिटमेंट और मजबूत हो जाता है।

एक बार कमिटमेंट बन जाने के बाद, हम चौथे और आखिरी सिद्धांत के बारे में बात कर सकते हैं: एक्सेक्यूशन। कोच इस जरुरी स्टेप को कैसे एप्रोच करते हैं?

याद रखें: कोच का काम किसी क्लाईट को काग की ओर धकेलना या खींचना नहीं है। इसके बजाय, एक कोच का काम यह देखना है कि वलाइट खुद ही वो पा लें जो वो पाना चाहते हैं। कोच के लिए यह करने का सबसे अच्छा तरीका है कि वो क्लाइंट को फ्लो स्टेट में काम सीखने में मदद करें।

फ्लो स्टेट आपका वो स्टेट है जब आप किसी काम को अपने तन, मन और आत्मा के साथ पूरी तरह से ध्यान लगाकर करते

पाते हैं और आप अपने गोल्स की ओर बढ़ते हैं।

फूलो स्टेट में, आप आप बहुत ज्यादा काम कर

एथलीट्स हमेशा रेस से पहले और रेस के दौरान फ्लो स्टेट में होते हैं। इसकी वजह से वो सारी डिस्ट्रेक्शस से दूर रह पाते हैं और रेस पर पूरा धयान लगा पाते हैं।

अब जब आप कोचिंग के चारों सिद्धांतों को जानते हैं, तो आइए कोचिंग में शामिल स्किल्स पर एक नज़र ड्ालें। कोच इन चार एलिमेंट्स ट्रस्ट, पोटेंशियल, करमिटमेंट और एक्सेक्यूशन को किस तरह इस्तेमाल करके अपना काम करते हैं? पता लगाने के लिए आगे पढ़ें।

कोचिंग के लिए क्रेडिबिलिटी यानी विश्वसनीयता और क्लाइंट के ऐटिटूड को चैलेंज करने की क्षमता जरुरी होती है।

कोच के लिए विश्वास को सही तरह सही तरीके से बनाना बहुत जरुरी है। यह आसान नहीं है। क्लाईट के साथ विश्वास बताते समय समय कोव को कुछ बातों को ध्यान में

रखना जरुरी है।

एक भरोसेमंद कोच एक विश्वसनीय व्यक्ति भी होता है। एक कोच को चरित्र और क्षमता दोनों को डेवेलप करने की जरुरत होती है। चरित्र इंसान की आनेस्ट्री और मॉडेस्टी

जैसे गुणों दिखाता है। दूसरी ओर, क्षमता स्किल्स को दिखाती है।

अच्छे कोच का चरित्र और क्षमता देखने लायक होती है। मान लें कि आप एक ईमानदार व्यक्ति है, लेकिन आप एक अच्छे मैनेजर नहीं हैं। यदि आप हमेशा देर करते है और चीजें भूल जाते हैं, तो क्या आपको लगता है कि आपकी टीम आप पर भरोसा करेगी: बिलकूल नहीं। सच्ची विश्वसनीयता के लिए आपकी चरित्र और क्षमता दोनों को अच्छा होना चाहिए।

ट्रस्ट डेवलप करने की तरह ही, कलाइंट्स के पोटेंशियल को अनलॉक करने के लिए भी एक सही एप्रोच की ज़रूरत होती है। यह क्लाइंट्स के स्टेंडइर्स को चैलेंज करने से शुरू होता है जहां आप उनके गलत स्टैंडर्ड को चैलेंज करते हैं जो उनकी परफॉरमेंस को रोकते हैं। आप उनके व्यक्तिगत विचार को चुनौती देते हैं। लेकिन व्यक्तिगत विचार किसी भी व्यक्ति की परफॉरमेंस को कितना प्रभावित करते हैं?

यदि कोई आपसे कहता है कि आप अपने कुलीग की तुलना में अच्छा परफॉर्म नहीं कर रहे हैं, तो आप कैसा महसूस करेंगे। जाहिर हैं कि आप दबाव महसूस करेगें। आप परेशा हो सकते हैं, और यह आपकी परफॉरमेंस को भी प्रभावित करेगा।

कोच को लगातार क्लाईट्स के नकारात्मक विचारों को चैलेंज करना चाहिए। इसका मतलब यह नहीं है कि आप लो सेल्फ-एस्टीम वाले क्लाईट्स पर हमेशा सख्त रहें,

क्योंकि इस तरह आपका मकसद कामयाब नहीं होगा।

आप बस उनसे सही सवाल कीजिए। अच्छे को जानते है कि कैसे सवाल पूछे जाए जो एक क्लाइट को खुद को पहचानने में मदद करे, जिससे क्लाइट अपने आप को बदल पाएं।

सोच को चुनौती देने वाला एक सवाल यह हो सकता है: “आप यह मान रहे हैं कि आपका केस ऐसा है। आप यह बताएं की आपका केस ऐसा क्यों है? कोच क्लाइट्स को

उनके खुद की मान्यताओं पर सोचने पर मदद करते हैं कि ये मान्यताएं कहाँ से आयी हैं और क्या ये सही हैं।

ऐसा हो जाने के बाद, एक फॉलोअप सवाल यह हो सकता है कि इसे करने के लिए और क्या क्या विकल्प है?”इस तरह कि बातचीत से क्लाइट को नये सस्टेनबल एप्रोच विकसित करने में मदद मिल सकती है।

अपना हर दिन मैनेज करें लेकिन अपने लॉन्ग टर्म गोल्स को ना भूलें। कोच यह संतुलन बनाए रखने में आपकी मदद करते हैं।

आम तौर पर, यह जानना मुश्किल हो जाता है कि लोग प्रोफेशनली कौन सा काम करना चाहते है, क्योंकि लोगों के लाँग टर्म गोल्स कभी कभी या तो क्लियर नहीं होते या नामुमकिन जैसे होते हैं।

एक कोच के लिए दूसरों को उनकी अस्थायी आकांक्षाए को पाने के लिए गाइड करना बहुत ही चैलेंजिंग होता है। फिर भी अच्छे कोच इस काम को कर पाते हैं। वो ऐसा कैसे

कर पाते हैं?

कोच आपको अपने पर्सनल और प्रोफेशनल मिशतों को क्लियर करने में मदद करते हैं, और उन्हें पाने के लिए स्ट्रेटेजीज भी तैयार करते हैं। अगर आपके पास कोई मिशन नहीं है तो आपको गाइड करना बहुत मुश्किल हो सकता है। ऐसे में आप उन चीजों का पीछा करते हैं जो आकर्षक तो होती हैं पर मायावी भी होती है जैसे पैसा या फेमा एक कोच आपको याद दिलाता है कि आपको अपने पर्सनल और प्रोफेशनल मिशनों को तय करना चाहिए।

इसके अलावा, पर्सनल और प्रोफेशनल गोल्स पर एक साथ सोचना जरुरी है। सिर्फ एक पर ध्यान देना बाद में आपकी समस्या बन सकती है। उदाहरण के लिए, घंटो काम करना या बहुत ज्यादा काम ले लेने के बाद आप परिवार के साथ ज्यादा समय नहीं बिता सकते हैं।

एक क्लाइंट को बेहतर वर्क लाइफ बैलेंस देने के लिए, कोच को क्लाइट के पर्सनल और प्रोफेशनल गोल्स को तैयार करने में मदद करनी चाहिए। इस बात को समझों कि

क्लाइंट्स के लिए चर्क-लाइफ गोल्स बनाना एक काम है; और उन्हें पाने के लिए स्ट्रेटेजीज बनाना दूसरा काम है।

कंसलटेंट माइकल मैनकिन्स और दे पाती है। द्वारा रिसर्च से चला है कि औसतन, किसी भी स्ट्रेटेजी केवल 63 प्रतिशत ही फाइनेंशियल

यदि मिशन और स्ट्रेटेजिक गोल्स को फॉलो नहीं किया जाता है, तो वे केवल आशाए और सपने बनकर रह जाते हैं। तो अच्छे कोच गोल्स को वास्तविक कैसे रख पाते हैं। वो क्लाइट को अर्जेंट, डेली, और लॉन्ग टर्म गोल्स पहचानने में मदद करते हैं। लोग रोजमर्रा की छोटी छोटी मांगों में फंस कर बहुत समय बिता देते हैं। एक कोच को क्लाइट कि लॉन्ग टर्म स्ट्रेटेजी को ध्यान में रखते हुए, उसकी गदद करनी चाहिए।

अगर आप क्लाइंट को फीडबैक देना चाहते हैं तो उन्हें खुद को फीडबैक देने के लिए कहें। क्यूंकि खुद को दिया गया फीडबैक ही बेस्ट फीडबैक है।

यदि आप अपने करियर और लाइफ को बेहतर बनाना चाहते हैं, तो आपको दूसरे लोगों से रेगुलर फीडबैक लेते रहना होगा। कोच भी इसमें आते हैं। अगर कोई कोच किसी क्लाइट की सच में मदद करना चाहता है, तो उन्हें अपने क्लाइंट्स को बहुत सारे फीडबेक देने होंगे।

नेगेटिव या गलत फीडबैक देने से क्लाईट हार मान सकता है और ये कुछ ऐसा है जो एक कोच को कभी नहीं करना चाहिए।

एक अच्छा कोच लोगों से पहले खुद को फीडबैक देने के लिए कहता है।

उदाहरण के लिए आप पूछ सकते है कि आपने अभी जो काम किया है, उसके बारे में आपको क्या पसंद है? एक बार क्लाइंट अपने कामों को खुद मूल्यांकन कर ले, उसके बाद ही कोच को अपने ऑव्से्वशन्स और सजेशंस देने चाहिए।

ऐसा इसलिए करना चाहिए क्योकि अगर लोग अपने काम पर खुद को फीडबैक देंगे तो उसे अच्छी तरह से करने कि कोशिश करेंगे। ये कहावत सच है कि आप घोड़े को पानी तक ले जा सकते हैं, लेकिन पानी वो अपनी मर्जी से ही पियेगा।”

कोचिंग के साथ ऑनेस्ट और हेल्पफुल फीडबेक, प्रभावी बदलाव ला सकता है, लेकिन क्लाइट्स को फीडबैक लेने के लिए तेयार करना कोच का काम है। ज्यादातर लोग

फीडबैक को नेगेटिव ले लेते हैं जिससे उनकी परफॉरमेंस पर असर पड़ता है।

इसलिए, आप पॉनि कर सकते हैं? रहकर क्लाईट्स की ताकत पर ध्यान दें। उनसे पूछे कि उनके हिसाब मे सबसे हैं और वो कैसे इस काम पर ज्यादा

यह क्लाइट्स की क्षमता का पता लगाने का सबसे अच्छा तरीका है। फीडबैक प्रोसेस से कोच और क्लाईट्स दोनों भच्छी तरह अपना काम कर सकते हैं।

एक अच्छा कोच आपके जन्मजात टैलेंट को आपके सामने लाता है और आपको अच्छी तरह से काम करने में मदद

करता है।

क्या आप जानते हैं कि आपका टैलेंट किस चीज में है? हममें से बहुत से लोगों को थोड़ा बहुत आईडिया है कि हम किस चीज़ में अच्छे है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ऐसे कई काम हैं जिनमें आपका टैलेंट अभी तक इस्तेमाल नहीं हुआ है?

अच्छे कोच लोगों के जन्मजात टेलेट को उनके सामने ले आते हैं जिससे क्लाईट को फ़ायदा हो सकता है। कोच बातचीत करके आपके उन बिहेवियर और ऐटिटूड को

मोटीवेट करते हैं जो आपके छुपे हुए टैलेंट्स और शक्तियों को बताते हैं।

ये बातचीत परफॉरमेंस प्रोग्रेस के बारे में होती है जहाँ एक कोच यह पता लगता है कि आपके लिए क्या सफलता है और क्या सफलता नहीं है। एक इम्प्रुवमेंट कचर्सेशन के दौरान, कोच को हमेशा गोल्स को लेकर ऑनेस्ट और डायरेक्ट होना चाहिए और उनके फीडबैक एनकरेजिंग और कस्ट्रक्टिव होने चाहिए।

अंत में, जब कोच अपना काम कर चुका होता है तो क्लाइंट को माइक्रो गेनेजमेंट के नेगेटिव इफेक्ट्स के बारे में नहीं सोचना चाहिए।

अपनी किताब ‘माई वे आर द हाइवे में, लेखक हैरी चेबर्स ने बताया कि 62 प्रतिशत एम्प्लॉईज़ ने माइक्रोमैनेजमेंट के कारण नौकरी बदलने पर विचार किया; जबकि 32 प्रतिशत एम्प्लॉईज ने अपनी नौकरी छोड़ दी।

अच्छे कोच वैल-परफार्मिंग लोगों पर भी ध्यान देते हैं जो कहीं बीव में फस जाते हैं। इन लोगों में बड़ी चीजें करने की क्षमता होती है लेकिन इन पर कभी ध्यान नहीं दिया जाता है जिसकी वजह से ये आगे नहीं बढ़ पाते हैं।

अपनी किताब विनिगः द आंसर में जैक और सूजी वेल्च ने कहा है कि हर कंपनी में लो परफार्मिग ग्रुप (10 से 20 प्रतिशत कर्मचारी), मिडिल परफार्मिग ग्रुप (60 से 70

प्रतिशत) और हाई परफार्मिंग ग्रुप (10 से 20 प्रतिशत) होता है जो मिलकर काम करते हैं।

कम्पनियों को मिडिल परफार्मिंग ग्रुप को बढ़ावा देने से बहुत फ़ायदा हो सकता है, क्योंकि यहाँ बहुत ज्यादा एम्प्लॉईज है। इसके बारे में सोचिये। अगर इस ग्रुप के सभी एम्प्लॉईज़ इफेक्टिव हो जाएं तो इससे कंपनी को कितना फायदा होगा।

यह कई तरीकों में से एक है जिसमें कोचिंग के असर को देखा जा सकता है।

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